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Child care in lockdown in hindi

वर्तमान समय में जैसा कि आप सब जानते हैं सारा विश्व एक करोना नामक बीमारी से घिरा हुआ है पिछले कई
महीनों से भारत देश में इस समस्या का सामना किया जा रहा है सरकार ने लोक डाउन के आदेश दिए हैं सभी
बच्चे घर पर ही बैठे हैं या एक भयानक समस्या है क्योंकि इसका इलाज तो है लेकिन यह एक दसू रे से फै लती है
यह चीज का ध्यान में रखा जाए तो यह भयानक  रूप धारण ले लेती है बच्चों के स्कूल बंद कॉलेज सब बदं पड़े
हैं बच्चों को घर पर बैठकर ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है इसके रहते कै से बच्चों की के यर की जाए ताकि उनका
स्वास्थ्य पर बरु ा असर न पड़े घर पर अगर बजु र्गों
ु और बच्चों को एक साथ चौबीस घटं े गजु ारने पड़ें, तो उनके
बीच तालमेल बैठाने की मशक्कत कई बार घर की महिलाओ ं को ही करनी पड़ती है। दो पीढ़ियों को एक साथ
सभं ालना आसान बात नहीं। आप ऐसे समय में इन टिप्स को आजमा सकती हैं। 
 
1- बच्चों और बजु र्गों
ु के बीच आपस में अच्छा तालमेल बिठाने के लिए आपको कुछ पहल करनी होंगी। आप
किसी एक की तरफदारी ना करते हुए उन दोनों को एक मचं पर साथ लाने का काम करें ।
 
2-बच्चे दादा-दादी या नाना-नानी को टेक्नोलॉजी के बारे में समझा सकते हैं और बदले में उन्हें कहानियों का
पिटारा तैयार मिलेगा। रोज एक नई कहानी का बच्चों को इतं जार रहने लगेगा।
 
3-रोज शाम ये दोनों पीढ़ियां साथ बैठकर लडू ो, कै रम, शतरंज जैसे इडं ोर गेम्स भी खेल सकती हैं। इसमें उन्हें
मजा आएगा, बढ़ू ों को अके लापन नहीं महससू होगा और बच्चों को बोरियत भी नहीं होगी।

4-घर के बजु र्गों


ु को समय पर खाना या दवा देने जैसे छोटे -छोटे कार्य बच्चों या छोटे सदस्यों को सौपें। इससे बड़ों
को थोड़ा आराम मिल जाएगा और बच्चों को थोड़ा काम। इससे उनके भीतर जिम्मेदारी का भाव भी पनपेगा। 
 
5-एक एक्टिविटी थोड़ा हटकर भी की जा सकती है। जैसे-कोई भी एक विषय लें और उसमें दोनों पीढ़ियों की
राय लें। अभी के समय में कोरोना को लेकर ही जागरूकता को लिया जा सकता है। इस बारे में दोनों को कितनी
जानकारी है, ये एक-दसू रे से साझा करें।

बच्चों की समस्या
. बच्चों का सही समय पर न उठना
. खेलकूद का बदं होना
. आंखों का कमजोर होना
. सर्वाइकल की समस्या
. एसिडिटी का अधिक बन्ना
बच्चों का सही समय पर नया उठना
यदि दिन की शरुु आत ही अच्छी नहीं होगी तो वह सबसे बड़ा कारण होता है मां-बाप को चाहिए कि बच्चों को
रात को सही समय पर सोने को कहीं घर में बड़ों को एक समय सचू ी तैयार करनी चाहिए छोटे बच्चों को प्यार से
कहानियां सनु ाते हुए सल
ु ाना चाहिए ताकि उसकी उनकी नींद परू ी होने से उन्हें सबु ह समय पर उठाया जा सके छोटे
बच्चों को 8 से 9 घटं े रात को सोना चाहिए इससे उनका मानसिक विकास अच्छा होता है अर्थात पाचन क्रिया
भी बहुत अच्छे से अपना कार्य करती हैं बच्चों को हमेशा रात को हल्का खाना देना चाहिए इससे भी उनकी नींद
और स्वभाव व मानसिक विकास पर असर पड़ता है 10 से 20 वर्ष के बच्चों बच्चे किशोरावस्था में बाल
अवस्था में आ जाते हैं ऐसे में बच्चों को प्यार से समझाना चाहिए उन्हें अलार्म आदि का प्रयोग करने को कहना
चाहिए ताकि उन्हें उठने की आदत बन जाए देर रात टीवी मोबाइल लैपटॉप आदि का प्रयोग करना भी समय से न
उठने का कारण बनता है इसलिए समय से सोए ताकि सबु ह समय पर ही अपने आप नींद खल ु ने के अच्छे स्वास्थ्य
की निशानी है यदि बच्चे दिन भर का टाइम टेबल बना ले तो यह सब समस्याएं खत्म हो सकती है और बच्चों को
सही समय पर उठने की आदत बन जाती है
खेलकूद का बदं होना
वर्तमान समय में बच्चों का स्कूल जिम इत्यादि सभी बदं होने से उनके स्वास्थ्य पर बरु ा असर हो रहा है जब बच्चे
स्कूल में जाते हैं तो उछल कूद करने से व्यायाम होता रहता है परंतु सब कुछ ऑनलाइन होने से बच्चे बीमारियों से
गिरने लगे हैं उससे छुटकारा पाने के लिए घर में ही बच्चों को छत पर सैर कराएं सबु ह योगा करवाना चाहिए सबु ह
का व्यायाम वैसे हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा लाभदायक होता है सबु ह की ऑक्सीजन हमारी बॉडी को
एनर्जी देती है बच्चों के साथ घर में मां बाप को भी व्यायाम करना चाहिए इससे उनका मन भी लगा रहता है और
मा-ं बाप का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है व्यायाम के तरु ं त बाद हमें थोड़ा आराम करना चाहिए फिर जसू या नारियल
पानी वगैरह बच्चों को देना चाहिए जिससे उन्हें एनर्जी बनी रहती है
आंखों का कमजोर होना
दिन भर अंदर कमरे में रहने से हमें ऑक्सीजन की कमी होती है जिससे वह हमारे आंखों पर बहुत बरु ा असर
डालते हैं सारा दिन लैपटॉप या कंप्यटू र से पढ़ाई करने से उनके साइड इफे क्ट होते हैं बच्चों के समय तालिका
बनाकर उन्हें समय के अनसु ार ही कंप्यटू र स्क्रीन का प्रयोग करने देना चाहिए बड़े बच्चों को इटं रनेट की सवि
ु धा
अपने सामने ही देनी चाहिए ताकि बच्चे गेम   न  खेलने लगे वह हमारी आख ं ों दिमाग और हाथ पर भी बरु ा
असर डालते हैं इसके साइड इफे क्ट कम करने के लिए हमें बच्चों को समय-समय पर उठाना चाहिए उन्हें बाहर
ताजी हवा में एक दो चक्कर लगवाने चाहिए ताकि बच्चों को आराम मिल सके बच्चों को हर घटं े के दौरान पानी
देना चाहिए इससे उनकी आख ं ों को भी ताज की मिलती है दिन में तीन से चार बार आख
ं ों को ठंडे पानी के छींटे
मरवाने चाहिए इसे आंखों के सारे साइड इफे क्ट खत्म हो जाते हैं

सर्वाइकल की समस्या
बच्चे सारी पढ़ाई करने के लिए झक
ु कर बैठे रहते हैं जिससे हमारी गर्दन की नस खिंच जाती है यह बहुत बड़ी
समस्या है इसमें अत्यधिक पीड़ा होती है बच्चों को बार-बार कहना चाहिए कि समय-समय पर सामने देखे और
ऊपर देखें गर्दन को हिलाते रहे ताकि गर्दन को ब्लड की सप्लाई मिलती रहे यदि बच्चा या घर का कोई भी सदस्य
दिनभर एक ही पोजीशन में झक ु कर बैठा रहेगा तो उन्हें सर्वाइकल की समस्या हो सकती है
गर्दन में दर्द होना, गर्दन अकड़ जाना और हिलान-डुलाने में परे शानी होना कई बार लोगों को आम समस्या
लगती है। कई लोग इस दर्द के साथ लबं े समय तक जीते रहते हैं और इसे नजरअदं ाज कर देते हैं, लेकिन यह दर्द
खतरनाक साबित हो सकता है। गर्दन का यह दर्द (सर्वाइकल पैन) के लक्षण होते हैं। सर्वाइकल स्पाइन यानी
गर्दन के हिस्से वाली रीढ़ की हड्डी के जोड़ों और डिस्क में समस्या होने से सर्वाइकल पैन की स्थिति बनती है।
समय रहते इलाज न कराया जाए, तो सर्वाइकल पैन के वल गर्दन तक ही नहीं रहता है, बल्कि शरीर के दसू रे
हिस्सों में भी फै ल जाता है। गर्दन में दर्द की शिकायत करने वालों की संख्या आजकल तेजी से बढ़ रही है जिसका
कारण है वर्क कल्चर यानी कामकाज के आधनि ु क तौर-तरीके । आज लोग घंटों कम्प्यटू र के सामने बैठते हैं, लंबे
समय तक मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं जिससे यह समस्या होती है। यही नहीं मोबाइल को कान और कंधे के
बीच फंसा कर बात करने लगते हैं जो कि शरीर के लिए गर्दन के इस्तेमाल का सही तरीका नहीं है। लोग अपनी
गर्दन को असविु धाजनक स्थिति में लंबे समय तक रखने लगते हैं। इससे तेज दर्द होता है और रोजाना के काम में
परे शानी आती है।

एसिडिटी बन्ना
एसिडिटी का बनना एक आम समस्या है बच्चों का दिन भर बैठे रहना भी इसका कारण हो सकता है दिनभर बच्चे
जब स्क्रीन के आगे बैठे रहे फिर खाने के समय  खाना खाया फिर थोड़ी देर आराम किया उठकर फिर से पढ़ाई
करने लगे इससे खाने का पचना मश्किु ल हो जाता है सामान्य तौर पर खाना खाने के बाद थोड़े साथ घमू ना चाहिए
ताकि खाना डाइजेस्ट होना इजी हो जाए नाभि के ऊपरी हिस्से में ज्यादा एसिड बनने लगता है जिससे वहां जलन
पैदा होने लगती है। कभी-कभी ये एसिड ऊपर की तरफ गले में आ जाता है जिससे खट्ट‌ ी डकारें और जलन होने
लगती है। ये मख्ु य रूप से पित्त के कारण होता है। जब पेट में गर्माहट बढ़ने लगती है तो गर्म तासीर वाली चीजें,
अधिक मिर्च, मसाला या खटाई खाने से पेट में पित्त उत्पन्न होता है। सीने और गले में लगातार जलन, सख
ू ी
खासं ी, पेट फूलना, सांसों में बदब,ू खट्ट‌ ी डकार, कभी-कभी उल्टी होना, उल्टी में अम्ल या खट्ट‌ े पदार्थ का
निकलना जैसी समस्याएं एसिडिटी के कारण होने लगती है
आइए यह जानते हैं कि इन समस्याओ ं को कै से दूर किया जा सकता है तथा बच्चों की के यर कै से की
जा सकती है
घर के सभी सदस्यों को खाना हल्का खाना चाहिए
दिनभर हर व्यक्ति पर बच्चों को 10 से 12 गिलास पानी पीना चाहिए
यदि सभं व हो तो दिन में एक समय में जसू या नारियल पानी लेना चाहिए   जिससे वह बच्चों को एनर्जी देते हैं
18 महीने से कम उम्र के बच्चों को स्क्रीन का इस्तेमाल न करने दें
1 से 3 वर्ष के बच्चों को माता-पिता उच्च गणु वत्ता वाले प्रोग्राम ही दिखाएं
2 से 5 वर्ष के बच्चों को एक से 2 घंटे ही स्क्रीन पर बैठने के लिए दें
5 से 10 वर्ष के बच्चों को पढ़ाई के लिए ही स्क्रीन दें ध्यान रखें कि वह टीवी गेम आदि ना देखें
10 से 20 वर्ष के बच्चे बड़े होते हैं यदि उन्हें समझाया जाए कि वह अपना समय तालिका तैयार करें
स्क्रीनटाइम कम कर के अपना कार्य करे
बच्चों को हर घटं े में उठने के लिए कहें ताकि उन्हें सर्वाइकल एसिडिटी जैसी समस्याओ ं का सामना ना करना पड़े
रात को खाना समय से ही दें ताकि डाइजेस्ट करना इजी हो जाए
खाने के बाद सैर करने की आदत डालें
दिन में कम से कम दो से तीन बार साफ है ठंडे पानी के आंखों पर छींटे लगवाए इससे आंखों में अत्यधिक आराम
मिलता है
नित्या सबु ह योगा करने की आदत डालें
रात को खाना खाने के बाद आधा घंटा छत पर ही घमू सकते हैं
किशोरावस्था में बच्चों का ध्यान रखें कि वह इटं रनेट का कितना वह कै से प्रयोग कर रहे हैं
पेरेंट्स को चाहिए कि यदि बच्चा छोटा है तो मैं उसके दोस्तों की वीडियो कॉल कराएं ताकि वह अके ला महससू
ना करें
रोज शाम को माता-पिता दादा-दादी के साथ बैठकर इडं ोर गेम जैसे लडू ो कै रम नो कार्ड आदि खेल सकते हैं इससे
बच्चे अके ला महससू नहीं करते
लोक डाउन के दौरान घर के बजु र्गु व्यक्तियों व बच्चों में तालमेल बिठाए ताकि उन्हें अके लापन का एहसास ना हो
बच्चों को अच्छे सस्ं कार दें ताकि वह समाज में अपना जीवन अच्छे से बिता सकें लॉक डाउन का समय मश्कि ु ल
समय है बच्चों का दिमाग उसी दिशा में आगे बढ़ता है, जो आप उन्हें बचपन से सिखाते हैं। अगर आप परिवार
के साथ रहते हैं तो बच्चों को अच्छी आदतें सीखने में ज्यादा समय नही लगता क्योंकि उन्हें सीखने में उनके
दादा-दादी अहम भमि
ू का निभाते हैं। परंतु अगर आप अपने बच्चों के साथ अके ले रहते हैं तो आपको बच्चों पर
अधिक ध्यान देना होगा।अगर घर मे कोई समस्या हो या आपके बीच मे कोई मन-मटु ाव हो तो उसका असर
बच्चों पर नही पड़ने दें।ऐसे समय मे आपकी जिम्मेदारी बनती है कि आप अपने बच्चों को

अच्छी शिक्षा दें। लॉक डाउन के समय आपको अपने बच्चों को नैतिक शिक्षा देनी चाहिए। इसके लिए
सबसे पहले उनकी दिनचर्या पर ध्यान देना चाहिए। जैसे-

1.बच्चों को सबु ह जल्दी उठाएं।


2.उन्हें ब्रश कराकर फ्रेश होने के लिए कहें।
3.समय पर नहाने की आदत डालें।
4.फोन और टेलीविजन कम से कम इस्तेमाल करने दें।
5.बच्चों के साथ खेलें।
6.उन्हें अच्छी कहानियां सनु ाए।ं
7.अपने बचपन की कहानियां और किस्से बच्चों को सनु ाए।ं  

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