Download as docx, pdf, or txt
Download as docx, pdf, or txt
You are on page 1of 26

साहित्य सागर – ने ता जी का चश्मा

प्रश्न क-i:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इसी नगरपालिका के उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार ‘शहर’ के मु ख्य चौराहे पर ने ताजी
सु भाषचं दर् बोस की एक सं गमरमर की प्रतिमा लगवा दी यह कहानी उसी प्रतिमा के बारे में है ,बल्कि उसके भी
एक छोटे -से हिस्से के बारे में ।
हालदार साहब कब और कहाँ -से क्यों गु जरते थे ?

उत्तर:
हालदार साहब हर पं दर् हवें दिन कंपनी के काम के सिलसिले में एक कस्बे से गु जरते थे । जहाँ बाज़ार के
मु ख्य चौराहे पर ने ताजी की मूर्ति लगी थी।

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इसी नगरपालिका के उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार ‘शहर’ के मु ख्य चौराहे पर
ने ताजी सु भाषचं दर् बोस की एक सं गमरमर की प्रतिमा लगवा दी यह कहानी उसी प्रतिमा के बारे में है ,
बल्कि उसके भी एक छोटे -से हिस्से के बारे में ।
कस्बे का वर्णन कीजिए।

उत्तर :
कस्बा बहुत बड़ा नहीं था। जिसे पक्का मकान कहा जा सके वै से कुछ ही मकान और जिसे बाज़ार कहा जा
सके वै सा एक ही बाज़ार था। कस्बे में एक लड़कों का स्कू ल, एक लड़कियों का स्कू ल, एक सीमें ट का
कारखाना, दो ओपन एयर सिने माघर और एक नगरपालिका थी।

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इसी नगरपालिका के उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार ‘शहर’ के मु ख्य चौराहे पर
ने ताजी सु भाषचं दर् बोस की एक सं गमरमर की प्रतिमा लगवा दी यह कहानी उसी प्रतिमा के बारे में है ,
बल्कि उसके भी एक छोटे -से हिस्से के बारे में ।
नगरपालिका के कार्यों के बारे में बताइए।

उत्तर:
उस कस्बे नगरपालिका थी तो कुछ-न कुछ करती भी रहती थी। कभी कोई सड़क पक्की करवा दी, कभी
कुछ पे शाबघर बनवा दिए, कभी कबूतरों की छतरी बनवा दी तो कभी कवि सम्मले न करवा दिया।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इसी नगरपालिका के उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार ‘शहर’ के मु ख्य चौराहे पर
ने ताजी सु भाषचं दर् बोस की एक सं गमरमर की प्रतिमा लगवा दी यह कहानी उसी प्रतिमा के बारे में है ,
बल्कि उसके भी एक छोटे -से हिस्से के बारे में ।
शहर के मु ख्य बाज़ार में प्रतिमा किसने लगवाईं थी और उस प्रतिमा की क्या विशे षता थी?
उत्तर:
शहर के मु ख्य बाज़ार के मु ख्य चौराहे पर नगरपालिका के किसी उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी
ने ने ताजी सु भाषचं दर् बोस की एक सं गमरमर की प्रतिमा लगवा दी थी।
उस मूर्ति की विशे षता यह थी कि मूर्ति सं गमरमर की थी। टोपी की नोक से कोट के दस ू रे बटन तक कोई दो
फुट ऊँची और सुं दर थी। ने ताजी फौजी वर्दी में सुं दर लगते थे । मूर्ति को दे खते ही ‘दिल्ली चलो’ और तु म
मु झे खून दो… आदि याद आने लगते थे । केवल एक चीज की कसर थी जो दे खते ही खटकती थी ने ताजी
की आँ ख पर सं गमरमर चश्मा नहीं था बल्कि उसके स्थान पर सचमु च के चश्मे का चौड़ा काला फ् रे म मूर्ति
को पहना दिया गया था।

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वाह भाई! क्या आइडिया है । मूर्ति कपड़े नहीं बदल सकती, ले किन चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है ?
प्रस्तु त कथन के वक्ता का परिचय दें ।

उत्तर:
प्रस्तु त कथन के वक्ता हालदार साहब हैं । वे अत्यं त भावु क और सं वेदनशील होने के साथ एक दे शभक्त
भी हैं । उन्हें दे शभक्तों का मज़ाक उड़ाया जाना पसं द नहीं है । वे कैप्टन की दे शभावना के प्रति सम्मान
और सहानु भति ू रखते हैं ।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वाह भाई! क्या आइडिया है । मूर्ति कपड़े नहीं बदल सकती, ले किन चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है ?
प्रस्तु त कथन के श्रोता का परिचय दें ।

उत्तर:
प्रस्तु त कथन का श्रोता पानवाला है । पानवाला पूरी की पूरी पान की दुकान है , सड़क के चौराहे के
किनारे उसकी पान की दुकान है । वह काला तथा मोटा है , उसकी तोंद भी निकली हुई है , उसके सिर पर
ू री ओर उसका मुँ ह पान
गिने -चु ने बाल ही बचे हैं । वह एक तरफ़ ग्राहक के लिए पान बना रहा है , वहीं दस
से भरा है । पान खाने के कारण उसके होंठ लाल तथा कहीं-कहीं काले पड़ गए हैं । स्वभाव से वह
मजाकिया है । वह बातें बनाने में माहिर है ।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वाह भाई! क्या आइडिया है । मूर्ति कपड़े नहीं बदल सकती, ले किन चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है ?
कस्बे से गु जरते समय हालदार साहब को क्या आदत पड़ गई थी?

उत्तर:
कस्बे से गु जरते समय हालदार साहब को उस कस्बे के मु ख्य बाज़ार के चौराहे पर रुकना, पान खाना और
मूर्ति को ध्यान से दे खने की आदत पड़ गई थी।

प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वाह भाई! क्या आइडिया है । मूर्ति कपड़े नहीं बदल सकती, ले किन चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है ?
मूर्ति का चश्मा हर-बार कौन और क्यों बदल दे ता था?

उत्तर:
मूर्ति का चश्मा हर-बार कैप्टन बदल दे ता था। कैप्टन असलियत में एक गरीब चश्मे वाला था। उसकी कोई
दुकान नहीं थी। फेरी लगाकर वह अपने चश्मे बे चता था। जब उसका कोई ग्राहक ने ताजी की मूर्ति पर
लगे फ् रे म की माँ ग करता तो कैप्टन मूर्ति पर अन्य फ् रे म लगाकर वह फ् रे म अपने ग्राहक को बे च दे ता।
इसी कारणवश मूर्ति पर कोई स्थाई फ् रे म नहीं रहता था।

प्रश्न ग-i:

निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :


“ले किन भाई! एक बात समझ नहीं आई।” हालदार साहब ने पानवाले से फिर पूछा, “ने ताजी का
ओरिजिनल चश्मा कहाँ गया?”
प्रस्तु त कथन में ने ताजी का ओरिजिनल चश्मा से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर:
प्रस्तु त कथन में ने ताजी का ओरिजिनल चश्मा से तात्पर्य ने ताजी के बार-बार बदलने वाले फ् रे म से है ।
मूर्तिकार ने ने ताजी की मूर्ति बनाते समय चश्मा नहीं बनाया था। ने ताजी बिना चश्मे के यह बात एक
गरीब दे शभक्त चश्मे वाले कैप्टन को पसं द नहीं आती थी इसलिए वह ने ताजी की मूर्ति पर उसके पास
उपलब्ध फ् रे मों से एक फ् रे म लगा दे ता था।

प्रश्न ग-ii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“ले किन भाई! एक बात समझ नहीं आई।” हालदार साहब ने पानवाले से फिर पूछा, “ने ताजी का
ओरिजिनल चश्मा कहाँ गया?”
मूर्तिकार कौन था और उसने मूर्ति का चश्मा क्यों नहीं बनाया था?

उत्तर:
मूर्तिकार उसी कस्बे के स्थानीय विद्यालय का मास्टर मोतीलाल था। मूर्ति बनाने के बाद शायद वह यह
तय नहीं कर पाया होगा कि पत्थर से पारदर्शी चश्मा कैसे बनाया जाये या फिर उसने पारदर्शी चश्मा
बनाने की कोशिश की होगी मगर उसमें असफल रहा होगा।

प्रश्न ग-iii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

“ले किन भाई! एक बात समझ नहीं आई।” हालदार साहब ने पानवाले से फिर पूछा, “ने ताजी का
ओरिजिनल चश्मा कहाँ गया?”
“वो लँ गड़ा क्या जाएगा फ़ौज में । पागल है पागल!”कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी
प्रतिक्रिया लिखिए।

उत्तर:
पानवाले ने कैप्टन को लँ गड़ा तथा पागल कहा है । जो कि अति गै र जिम्मे दाराना और दुर्भाग्यपूर्ण वक्तव्य
है । कैप्टन में एक सच्चे दे शभक्त के वे सभी गु ण मौजूद हैं जो कि पानवाले में या समाज के अन्य किसी
वर्ग में नहीं है । वह भले ही लँ गड़ा है पर उसमें इतनी शक्ति है कि वह कभी भी ने ताजी को बग़ै र चश्मे के
नहीं रहने दे ता है । अत: कैप्टन पानवाले से अधिक सक्रिय तथा विवे कशील तथा दे शभक्त है ।

प्रश्न ग-iv:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“ले किन भाई! एक बात समझ नहीं आई।” हालदार साहब ने पानवाले से फिर पूछा, “ने ताजी का
ओरिजिनल चश्मा कहाँ गया?”
से नानी न होते हुए भी चश्मे वाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे ?

उत्तर:
चश्मे वाला कभी से नानी नहीं रहा परन्तु चश्मे वाला एक दे शभक्त नागरिक था। उसके हृदय में दे श के वीर
जवानों के प्रति सम्मान था। वह अपनी ओर से एक चश्मा ने ताजी की मूर्ति पर अवश्य लगाता था उसकी
इसी भावना को दे खकर लोग उसे कैप्टन कहते थे ।

प्रश्न घ-i:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
हालदार साहब भावु क हैं । इतनी सी बात पर उनकी आँ खें भर आईं।
हालदार साहब ने अपने ड्राईवर को चौराहे पर रुकने के लिए मना क्यों किया?

उत्तर:
करीब दो सालों तक हालदार साहब उस कस्बे से गु जरते रहे और ने ताजी की मूर्ति में बदलते चश्मे को
दे खते रहे फिर एक बार ऐसा हुआ कि ने ताजी के चे हरे पर कोई चश्मा नहीं था। पता लगाने पर हालदार
साहब को पता चला कि मूर्ति पर चश्मा लगाने वाला कैप्टन मर गया और अब ऐसा उस कस्बे में कोई
नहीं था जो ने ताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाता इसलिए हालदार साहब ने अपने ड्राईवर को चौराहे पर
न रुकने का निर्दे श दिया।

प्रश्न घ-ii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
हालदार साहब भावु क हैं । इतनी सी बात पर उनकी आँ खें भर आईं।
हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे ?

उत्तर:
कैप्टन की मृ त्यु के बाद हालदार साहब को लगा कि क्योंकि कैप्टन के समान अब ऐसा कोई अन्य दे श
प्रेमी बचा न था जो ने ताजी के चश्मे के बारे में सोचता। हालदार साहब स्वयं दे शभक्त थे और ने ताजी
जै से दे शभक्त के लिए उसके मन में सम्मान की भावना थी। यही सब सोचकर हालदार साहब पहले मायूस
हो गए थे ।

प्रश्न घ-iii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
हालदार साहब भावु क हैं । इतनी सी बात पर उनकी आँ खें भर आईं।
मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है ?
उत्तर:
मूर्ति पर लगे सरकंडे का चश्मा इस बात का प्रतीक है कि आज भी दे श की आने वाली पीढ़ी के मन में
दे शभक्तों के लिए सम्मान की भावना है । भले ही उनके पास साधन न हो परन्तु फिर भी सच्चे हृदय से
बना वह सरकंडे का चश्मा भी भावनात्मक दृष्टि से मूल्यवान है । अतः उम्मीद है कि बच्चे गरीबी और
साधनों के बिना भी दे श के लिए कार्य करते रहें गे ।

प्रश्न घ-iv:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
हालदार साहब भावु क हैं । इतनी सी बात पर उनकी आँ खें भर आईं। हालदार साहब इतनी-सी बात पर
भावु क क्यों हो उठे ?

उत्तर:
उचित साधन न होते हुए भी किसी बच्चे ने अपनी क्षमता के अनु सार ने ताजी को सरकंडे का चश्मा
पहनाया। यह बात उनके मन में आशा जगाती है कि आज भी दे श में दे श-भक्ति जीवित है भले ही बड़े
लोगों के मन में दे शभक्ति का अभाव हो परं तु वही दे शभक्ति सरकंडे के चश्मे के माध्यम से एक बच्चे के
मन में दे खकर हालदार साहब भावु क हो गए।

 
साहित्य सागर – बड़े घर की बे टी

प्रश्न क-i:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
यह इसलिए नहीं कि उसे अपने सास-ससु र, दे वर या जे ठ आदि से घृ णा थी बल्कि उसका विचार था कि
यदि बहुत कुछ सहने पर भी परिवार के साथ निर्वाह न हो सके तो आए दिन के कलह से जीवन को नष्ट
करने की अपे क्षा अच्छा है कि अपनी खिचड़ी अलग पकाई जाय।
बे नी माधव के कितने पु त्र थे उनका परिचय दें ।

उत्तर:
बे नी माधव के दो बे टे थे बड़े का नाम श्रीकंठ था। उसने बहुत दिनों के परिश्रम और उद्योग के बाद
बी.ए. की डिग्री प्राप्त की थी और इस समय वह एक दफ़्तर में नौकर था। छोटा लड़का लाल बिहारी
सिं ह दोहरे बदन का सजीला जवान था।

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
यह इसलिए नहीं कि उसे अपने सास-ससु र, दे वर या जे ठ आदि से घृ णा थी बल्कि उसका विचार था कि
यदि बहुत कुछ सहने पर भी परिवार के साथ निर्वाह न हो सके तो आए दिन के कलह से जीवन को नष्ट
करने की अपे क्षा अच्छा है कि अपनी खिचड़ी अलग पकाई जाय।
श्रीकंठ कैसे विचारों के व्यक्ति थे ?
उत्तर :
श्रीकंठ बी.ए. इस अं गर् े जी डिग्री के अधिपति होने पर भी पाश्चात्य सामजिक प्रथाओं के विशे ष
प्रेमी न थे , बल्कि वे बहुधा बड़े जोर से उसकी निं दा और तिरस्कार किया करते थे । वे प्राचीन सभ्यता का
गु णगान उनकी प्रकृति का प्रधान अं ग था। सम्मिलित कुंटु ब के तो वे एक मात्र उपासक थे । आजकल
स्त्रियों में मिलजु लकर रहने में जो अरुचि थी श्रीकंठ उसे जाति और समाज के लिए हानिकारक समझते
थे ।

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
यह इसलिए नहीं कि उसे अपने सास-ससु र, दे वर या जे ठ आदि से घृ णा थी बल्कि उसका विचार था कि
यदि बहुत कुछ सहने पर भी परिवार के साथ निर्वाह न हो सके तो आए दिन के कलह से जीवन को नष्ट
करने की अपे क्षा अच्छा है कि अपनी खिचड़ी अलग पकाई जाय।
गाँ व की स्त्रियाँ श्रीकंठ की निं दक क्यों थीं?

उत्तर:
श्रीकंठ स्त्रियों में मिलजु लकर रहने में जो अरुचि थी उसे जाति और समाज के लिए हानिकारक समझते
थे । वे प्राचीन सभ्यता का गु णगान और सम्मिलित कुंटु ब के उपासक थे । इसलिए गाँ व की स्त्रियाँ
श्रीकंठ की निं दक थीं। कोई-कोई तो उन्हें अपना शत्रु समझने में भी सं कोच नहीं करती थीं।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
यह इसलिए नहीं कि उसे अपने सास-ससु र,दे वर या जे ठ आदि से घृ णा थी बल्कि उसका विचार था कि
यदि बहुत कुछ सहने पर भी परिवार के साथ निर्वाह न हो सके तो आए दिन के कलह से जीवन को नष्ट
करने की अपे क्षा अच्छा है कि अपनी खिचड़ी अलग पकाई जाय।
आनं दी की सम्मिलित कुंटु ब के बारे में राय अपने पति से अलग क्यों थी?

उत्तर:
आनं दी स्वभाव से बड़ी अच्छी स्त्री थी। वह घर के सभी लोगों का सम्मान और आदर करती थी परं तु
उसकी राय सं युक्त परिवार के बारे में अपने पति से ज़रा अलग थी। उसके अनु सार यदि बहुत कुछ
समझौता करने पर भी परिवार के साथ निर्वाह करना मु श्किल हो तो अलग हो जाना ही बे हतर है ।

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“लालबिहारी को भावज की यह ढिठाई बु री मालूम हुई तिनकर बोला मै के में तो जै से घी की नदियाँ बहती
हो। स्त्रियाँ गालियाँ सह ले ती है , मार भी सह ले ती है , पर उससे मै के की निं दा नहीं सही जाती।”
आनं दी और उसके दे वर के बीच झगड़े का क्या कारण था?

आनं दी ने सारा पावभर घी मांस पकाने में उपयोग कर दिया था जिसके कारण दाल में घी नहीं था। दाल में
घी का न होना ही उनके झगड़े का कारण था।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“लालबिहारी को भावज की यह ढिठाई बु री मालूम हुई तिनकर बोला मै के में तो जै से घी की नदियाँ बहती
हो। स्त्रियाँ गालियाँ सह ले ती है , मार भी सह ले ती है , पर उससे मै के की निं दा नहीं सही जाती।”
लालबिहारी के किस कथन से आनं दी को दुःख पहुँचा और क्यों?

उत्तर:

घी की बात को ले कर लालबिहारी ने अपनी भाभी को ताना मार दिया कि जै से उनके मायके में घी को
नदियाँ बहती हैं और यही आनं दी के दुःख का कारण था क्योंकि आनं दी बड़े घर की बे टी थी उसके यहाँ
किसी भी चीज की कोई कमी नहीं थी।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“लालबिहारी को भावज की यह ढिठाई बु री मालूम हुई तिनकर बोला मै के में तो जै से घी की नदियाँ बहती
हो। स्त्रियाँ गालियाँ सह ले ती है , मार भी सह ले ती है , पर उससे मै के की निं दा नहीं सही जाती।”
उपर्युक्त सं वाद का प्रसं ग स्पष्ट कीजिए?

उत्तर:
आनं दी बड़े घर की बे टी होने के कारण किफायत नहीं जानती थी इसलिए आनं दी ने हांडी का सारा घी
मांस पकाने में उपयोग कर दिया जिसके कारण दाल में डालने के लिए घी नहीं बचा और इसी कारणवश
दे वर और भाभी में झगडा हो जाता है ।

प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“लालबिहारी को भावज की यह ढिठाई बु री मालूम हुई तिनकर बोला मै के में तो जै से घी की नदियाँ बहती
हो। स्त्रियाँ गालियाँ सह ले ती है , मार भी सह ले ती है ,पर उससे मै के की निं दा नहीं सही जाती।”
स्त्रियाँ गालियाँ सह ले ती है , मार भी सह ले ती है , पर उससे मै के की निं दा नहीं सही जाती से क्या
तात्पर्य है ?

उत्तर:
उपर्युक्त सं वाद से तात्पर्य स्त्री आत्मगौरव से है । भले ही स्त्रियों की शादी हो जाए, काम के सिलसिले
ू रे शहर और घर में रहना पड़े , सफलता के शिखर को छू लें परं तु मायका ऐसा सं वेदनशील
में उन्हें दस
विषय है जिसे स्त्री कभी भी छोड़ नहीं पाती है । वे सब कुछ सह ले गी ले किन कभी भी अपने माता-पिता
और मायके की बु राई नहीं सु न सकती।

प्रश्न ग-i:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इलाहबाद का अनु भव रहित झल्लाया हुआ ग्रेजु एट इस बात को न समझ सका। उसे डिबे टिंग – क्लब
में अपनी बात पर अड़ने की आदत थी, इन हथकंडों की उसे क्या खबर?
यहाँ पर इलाहबाद का अनु भव रहित झल्लाया हुआ ग्रेजु एट किसे सं बोधित किया जा रहा है और वह
क्या नहीं समझ पा रहा था?

उत्तर:
यहाँ पर बे नी माधव सिं ह के के बड़े पु तर् श्रीकंठ को अनु भव रहित झल्लाया हुआ ग्रेजु एट सं बोधित
किया जा रहा है ।
श्रीकंठ अपनी पत्नी की शिकायत पर अपने पिता के सामने घर से अलग हो जाने का प्रस्ताव रखता है ।
जिस समय वह ये बातें करता है वहाँ पर गाँ व के अन्य लोग भी उपस्थित होते हैं । बे नी माधव अनु भवी
होने के कारण घर के मामलों को घर में ही सु लझाना चाहते थे और यही बात श्रीकंठ को समझ नहीं आ
रही थी। पिता के समझाने पर भी वह लोगों के सामने घर से अलग होने की बात दोहरा रहा था।

प्रश्न ग-ii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इलाहबाद का अनु भव रहित झल्लाया हुआ ग्रेजु एट इस बात को न समझ सका। उसे डिबे टिंग – क्लब
में अपनी बात पर अड़ने की आदत थी, इन हथकंडों की उसे क्या खबर?
बे नी माधव सिं ह ने अपने बे टे का क् रोध शांत करने के लिए क्या किया?

उत्तर:
अनु भवी बे नी माधव सिं ह ने अपने बे टे का क् रोध शांत करने के लिए कहा कि वे उसकी बातों से सहमत है
श्रीकंठ जो चाहे कर सकते हैं क्योंकि उनके छोटे बे टे से अपराध तो हो ही गया है साथ ही उन्होंने यह
् मान लोग मूर्खों की बात पर ध्यान नहीं दे ते। लालबिहारी बे समझ लड़का है उससे जो
भी कहा कि बु दधि
भी भूल हुई है उसे श्रीकंठ बड़ा होने के नाते माफ़ कर दे ।

प्रश्न ग-iii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इलाहबाद का अनु भव रहित झल्लाया हुआ ग्रेजु एट इस बात को न समझ सका। उसे डिबे टिंग – क्लब
में अपनी बात पर अड़ने की आदत थी, इन हथकंडों की उसे क्या खबर?
गाँ व के लोग बे नी माधव सिं ह के घर आकर क्यों बै ठ गए थे ?

उत्तर:
गाँ व में कुछ कुटिल मनु ष्य ऐसे भी थे जो बे नी माधव सिं ह के सं युक्त परिवार और परिवार की नीतिपूर्ण
गति से जलते थे उन्हें जब पता चला कि अपनी पत्नी की खातिर श्रीकंठ अपने पिता से लड़ने चला है तो
कोई हुक्का पीने , कोई लगान की रसीद दिखाने के बहाने बे नी माधव सिं ह के घर जमा होने लगे ।

प्रश्न ग-iv:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इलाहबाद का अनु भव रहित झल्लाया हुआ ग्रेजु एट इस बात को न समझ सका। उसे डिबे टिंग – क्लब
में अपनी बात पर अड़ने की आदत थी, इन हथकंडों की उसे क्या खबर?
उपर्युक्त कथन का सं दर्भ स्पष्ट करें ।

उत्तर:
श्रीकंठ क् रोधित होने के कारण अपने पिता से सबके सामने लड़ पड़ते हैं । पिता नहीं चाहते थे कि घर की
बात बाहर वालों को पता चले परं तु श्रीकंठ अनु भवी पिता की बातें नहीं समझ पाता और लोगों के सामने
ही पिता से बहस करने लगता है । उपर्युक्त कथन श्रीकंठ की इसी नासमझी को बताने के लिया कहा गया
है ।

प्रश्न घ-i:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
बे नी माधव बाहर से आ रहे थे । दोनों भाईयों को गले मिलते दे खकर आनं द से पु लकित हो गए और बोल
उठे , बड़े घर की बे टियाँ ऐसी ही होती हैं । बिगड़ता हुआ काम बना ले ती हैं ।”
आनं दी की शिकायत का क्या परिणाम हुआ?

उत्तर:
आनं दी का अपने दे वर के साथ दाल में घी न डालने पर झगड़ा हो गया था और गु स्से में उसके दे वर ने
आनं दी पर खड़ाऊँ फेंककर दे मारी थी। आनं दी ने इस बात की शिकायत जब अपने पति श्रीकंठ से की
तो वह गु स्से से आग-बबूला हो गया और पिता के सामने जाकर घर से अलग होने की बात कह डाली।

प्रश्न घ-ii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
बे नी माधव बाहर से आ रहे थे । दोनों भाईयों को गले मिलते दे खकर आनं द से पु लकित हो गए और बोल
उठे , बड़े घर की बे टियाँ ऐसी ही होती हैं । बिगड़ता हुआ काम बना ले ती हैं ।”
आनं दी को अपनी बात का पछतावा क्यों हुआ?

उत्तर:
आनं दी ने गु स्से में आकर अपने पति से शिकायत तो कर दी परं तु दयालु व सं स्कारी स्वभाव की होने के
कारण मन-ही-मन अपनी बात पर पछताने भी लगती है कि क्यों उसने अपने पर काबू नहीं रखा और व्यर्थ
में घर में इतना बड़ा उपद्रव खड़ा कर दिया।

प्रश्न घ-iii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
बे नी माधव बाहर से आ रहे थे । दोनों भाईयों को गले मिलते दे खकर आनं द से पु लकित हो गए और बोल
उठे , बड़े घर की बे टियाँ ऐसी ही होती हैं । बिगड़ता हुआ काम बना ले ती हैं ।”
बे नी माधव ने ने आनं दी को बड़े घर की बे टी क्यों कहा?

उत्तर:
आनं दी का दे वर जब घर छोड़कर जाने लगा तो स्वयं आनं दी ने आगे बढ़कर अपने दे वर को रोक लिया
और अपने किए पर पश्चाताप करने लगी। आनं दी ने अपने अपमान को भूलकर दोनों भाईयों में सु लह
करवा दी थी। अत: बिगड़े हुए काम को बना दे ने के कारण बे नी माधव ने आनं दी को बड़े घर की बे टी
कहा।

प्रश्न घ-iv:

निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :


बे नी माधव बाहर से आ रहे थे । दोनों भाईयों को गले मिलते दे खकर आनं द से पु लकित हो गए और बोल
उठे , बड़े घर की बे टियाँ ऐसी ही होती हैं । बिगड़ता हुआ काम बना ले ती हैं ।”
‘बड़े घर की बे टी’ कहानी का उद्दे श्य स्पष्ट करें ।

उत्तर:
इस काहनी के माध्यम से ले खक ने स्पष्ट किया है कि किसी भी घर में पारिवारिक शां ति और सामं जस्य
बनाए रखने में घर की स्त्रियों की अहम् भूमिका होती है । घर की स्त्रियों अपनी समझदारी से टू टते और
बिखरते परिवारों को भी जोड़ सकती है । साथ की ले खक ने सं युक्त परिवारों की उपयोगिता को भी इस
कहानी के माध्यम से सिद्ध किया है ।
साहित्य सागर – अपना – अपना भाग्य
प्रश्न क-i:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मैं ने दे खा कि कुहरे की सफेदी में कुछ ही हाथ दरू से एक काली-सी मूर्ति हमारी तरफ आ रही थी। मैं ने
कहा – “होगा कोई”
ले खक किसके साथ कहाँ बै ठा था?

उत्तर:
ले खक अपने मित्र के साथ नै नीताल में सं ध्या के समय बहुत दे र तक निरुद्दे श्य घूमने के बाद एक बें च पर
बै ठे थे ?

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मैं ने दे खा कि कुहरे की सफेदी में कुछ ही हाथ दरू से एक काली-सी मूर्ति हमारी तरफ आ रही थी। मैं ने
कहा – “होगा कोई”
बादलों का ले खक ने कैसा वर्णन किया है ?

उत्तर :
ले खक अपने मित्र के साथ नै नीताल में सं ध्या के समय बहुत दे र तक निरुद्दे श्य घूमने के बाद एक बें च पर
बै ठे थे । उस समय सं ध्या धीरे -धीरे उतर रही थी। रुई के रे शे की तरह बादल ले खक के सिर को छतू े हुए
निकल रहे थे । हल्के प्रकाश और अँ धियारी से रं ग कर कभी बादल नीले दिखते , तो कभी सफ़ेद और फिर
कभी जरा लाल रं ग में बदल जाते ।

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मैं ने दे खा कि कुहरे की सफेदी में कुछ ही हाथ दरू से एक काली-सी मूर्ति हमारी तरफ आ रही थी। मैं ने
कहा – “होगा कोई”
ले खक ने नै नीताल की उस सं ध्या में कुहरे की सफेदी में क्या दे खा?

उत्तर:
ले खक ने उस शाम एक दस-बारह वर्षीय बच्चे को दे खा जो नं गे पै र, नं गे सिर और एक मै ली कमीज
लटकाए चला आ रहा था। उसकी चाल से कुछ भी समझ पाना ले खक को असं भव सा लग रहा था
क्योंकि उसके पै र सीधे नहीं पड़ रहे थे । उस बालक का रं ग गोरा था परं तु मै ल खाने से काला पड़ गया था,
ऑंखें अच्छी, बड़ी पर सूनी थी माथा ऐसा था जै से अभी से झुरियों आ गईं हो।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मैं ने दे खा कि कुहरे की सफेदी में कुछ ही हाथ दरू से एक काली-सी मूर्ति हमारी तरफ आ रही थी। मैं ने
कहा – “होगा कोई”
ले खक और मित्र ने उस बालक के विषय में कौन-सी बातें जानी?
उत्तर:
नै नीताल की सं ध्या के समय ले खक और उसके मित्र जब एक बें च पर बै ठे थे तो उनकी मु लाकात एक
दस-बारह वर्षीय बालक से होती है । दोनों को आश्चर्य होता है कि इतनी ठं ड में यह बालक बाहर क्या कर
रहा है । वे उससे तरह-तरह के प्रश्न करते हैं । उससे उन्हें पता चलता है कि वो कोई पास की दुकान पर
काम करता था और उसे काम के बदले में एक रूपया और जूठा खाना मिलता था।

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“अजी ये पहाड़ी बड़े शै तान होते हैं । बच्चे -बच्चे में अवगु ण छिपे रहते हैं – आप भी क्या अजीब हैं उठा
लाए कहीं से -लो जी यह नौकर लो।”
उपर्युक्त अवतरण में किस की बात की जा रही है ?

उत्तर:
उपर्युक्त अवतरण में एक दस-बारह वर्षीय पहाड़ी बालक की बात की जा रही है ।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“अजी ये पहाड़ी बड़े शै तान होते हैं । बच्चे -बच्चे में अवगु ण छिपे रहते हैं – आप भी क्या अजीब हैं उठा
लाए कहीं से -लो जी यह नौकर लो।”
प्रस्तु त कथन के वक्ता का परिचय दें ।

उत्तर:
प्रस्तु त कथन के वक्ता ले खक के वकील मित्र हैं और साथ ही होटल के मालिक भी हैं ।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“अजी ये पहाड़ी बड़े शै तान होते हैं । बच्चे -बच्चे में अवगु ण छिपे रहते हैं – आप भी क्या अजीब हैं उठा
लाए कहीं से -लो जी यह नौकर लो।”
ले खक उस बच्चे को वकील साहब के पास क्यों ले गए?

उत्तर:
ले खक को रास्ते में एक दस-बारह वर्षीय बालक मिला जिसके पास कोई काम और रहने की जगह नहीं थी।
ले खक के एक वकील मित्र थे जिन्हें अपने होटल के लिए एक नौकर की आवश्यकता थी इसलिए ले खक
उस बच्चे को वकील साहब के पास ले गए।

प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“अजी ये पहाड़ी बड़े शै तान होते हैं । बच्चे -बच्चे में अवगु ण छिपे रहते हैं – आप भी क्या अजीब हैं उठा
लाए कहीं से -लो जी यह नौकर लो।”
वकील साहब उस बच्चे को नौकर क्यों नहीं रखना चाहते थे ?

उत्तर:
वकील उस बच्चे को नौकर इसलिए नहीं रखना चाहते थे क्योंकि वे और ले खक दोनों ही उस बच्चे के बारे
में कुछ जानते नहीं थे । साथ ही वकील साहब को यह लगता था कि पहाड़ी बच्चे बड़े शै तान और
अवगु णों से भरे होते हैं । यदि उन्होंने ने किसी ऐरे गै रे को नौकर रख लिया और वह अगले दिन वह चीजों
को ले कर चं पत हो गया तो। इस तरह भविष्य में चोरी की आशं का के कारण वकील साहब ने उस बच्चे को
नौकरी पर नहीं रखा।

प्रश्न ग-i:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
पर बतलाने वालों ने बताया कि गरीब के मुँ ह पर छाती, मु ट्ठियों और पै रों पर बर्फ की हल्की-सी चादर
चिपक गई थी, मानो दुनिया की बे हयाई ढँ कने के लिए प्रकृति ने शव के लिए सफ़ेद और ठं डे कफ़न का
प्रबं ध कर दिया था।
यहाँ पर गरीब किसे और क्यों सं बोधित किया गया है ?

उत्तर:
यहाँ पर गरीब उस पहाड़ी बालक को सं बोधित किया गया, जो कल रात ठं ड के कारण मर गया था। उस
बालक के कई भाई-बहन थे । पिता के पास कोई काम न था घर में हमे शा भूख पसरी रहती थी इसलिए वह
बालक घर से भाग आया था यहाँ आकर भी दिनभर काम के बाद जूठा खाना और एक रूपया ही नसीब
होता था।

प्रश्न ग-ii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
पर बतलाने वालों ने बताया कि गरीब के मुँ ह पर छाती, मु ट्ठियों और पै रों पर बर्फ की हल्की-सी चादर
चिपक गई थी, मानो दुनिया की बे हयाई ढँ कने के लिए प्रकृति ने शव के लिए सफ़ेद और ठं डे कफ़न का
प्रबं ध कर दिया था।
लड़के की मृ त्यु का क्या कारण था?

उत्तर:
लड़का अपनी घर की गरीबी से तं ग आकर काम की तलाश में नै नीताल भाग कर आया था। यहाँ पर
आकर उसे एक दुकान में काम मिल गया था परं तु किसी कारणवश उसका काम छट ू जाता है और उसके
पास रहने की कोई जगह नहीं रहती है । उस दिन बहुत अधिक ठं ड थी और उसके पास कपड़ों के नाम पर
एक फटी कमीज थी इसी कारण उसे रात सड़क के किनारे एक पे ड़ के नीचे बितानी पड़ी और अत्यधिक
ठं ड होने के कारण उस लड़के की मृ त्यु हो गई।

प्रश्न ग-iii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
पर बतलाने वालों ने बताया कि गरीब के मुँ ह पर छाती, मु ट्ठियों और पै रों पर बर्फ की हल्की-सी चादर
चिपक गई थी, मानो दुनिया की बे हयाई ढँ कने के लिए प्रकृति ने शव के लिए सफ़ेद और ठं डे कफ़न का
प्रबं ध कर दिया था।
‘दुनिया की बे हयाई ढँ कने के लिए प्रकृति ने शव के लिए सफ़ेद और ठं डे कफ़न का प्रबं ध कर दिया था’-
इस पं क्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
प्रस्तु त पं क्ति का आशय सामान्य जनमानस की सं वेदन-शून्यता और स्वार्थ भावना से है । एक पहाड़ी
बालक गरीबी के कारण ठं ड से ठिठु रकर मर जाता है । परं तु प्रकृति ने उसके तन पर बर्फ की हल्की चादर
बिछाकर मानो उसके लिए कफ़न का इं तजाम कर दिया। जिसे दे खकर ऐसा लगता था मानो प्रकृति
मनु ष्य की बे हयाई को ढँ क रही हो।

प्रश्न ग-iv:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
पर बतलाने वालों ने बताया कि गरीब के मुँ ह पर छाती, मु ट्ठियों और पै रों पर बर्फ की हल्की-सी चादर
चिपक गई थी, मानो दुनिया की बे हयाई ढँ कने के लिए प्रकृति ने शव के लिए सफ़ेद और ठं डे कफ़न का
प्रबं ध कर दिया था।
‘अपना अपना भाग्य’ कहानी के उद्दे श्य पर विचार कीजिए।

उत्तर:
प्रस्तु त कहानी का उद्दे श्य आज के समाज में व्याप्त स्वार्थपरता, सं वेदनशून्यता और आर्थिक विषमता को
उजागर करना है । आज के समाज में परोपकारिता का अभाव हो गया है । निर्धन की सहायता करने की
अपे क्षा सब उसे अपना-अपना भाग्य कहकर मु क्ति पा ले ते हैं । हर कोई अपनी सामजिक जिम्मे दारी से
बचना चाहता है । किसी को अन्य के दुःख से कुछ ले ना-दे ना नहीं होता।

साहित्य सागर – वह जन्मभूमि मेरी [कविता]

प्रश्न क-i:
निम्नलिखित पद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह जन्मभूमि मे री, वह मातृ भमि ू मे री।
ऊँचा खड़ा हिमालय आकाश चूमता है ,
नीचे चरण तले झुक, नित सिं धु झम ू ता है ।
गं गा यमु ना त्रिवे णी नदियाँ लहर रही हैं ,
जगमग छटा निराली पग-पग छहर रही है ।
वह पु ण्य भूमि मे री, वह स्वर्ण भूमि मे री।
कवि किस भूमि की बात कर रहा है ?

उत्तर:
कवि अपनी जन्मभूमि भारतमाता की बात कर रहा है ।

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित पद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह जन्मभूमि मे री, वह मातृ भमि ू मे री।
ऊँचा खड़ा हिमालय आकाश चूमता है ,
नीचे चरण तले झुक, नित सिं धु झम ू ता है ।
गं गा यमु ना त्रिवे णी नदियाँ लहर रही हैं ,
जगमग छटा निराली पग-पग छहर रही है ।
वह पु ण्य भूमि मे री, वह स्वर्ण भूमि मे री।
कवि ने हिमालय के बारे में क्या कहा है ?

उत्तर :
कवि कहते है कि हिमालय इतना ऊँचा है मानो आसमान को चूम रहा है । वह हमारे भारत की रक्षा करता
है ।
प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित पद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह जन्मभूमि मे री, वह मातृ भमि ू मे री।
ऊँचा खड़ा हिमालय आकाश चूमता है ,
नीचे चरण तले झुक, नित सिं धु झम ू ता है ।
गं गा यमु ना त्रिवे णी नदियाँ लहर रही हैं ,
जगमग छटा निराली पग-पग छहर रही है ।
वह पु ण्य भूमि मे री, वह स्वर्ण भूमि मे री।
त्रिवे णी नदियों के नाम लिखिए।

उत्तर:
गं गा, यमु ना और सरस्वती त्रिवे णी नदियाँ है ।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित पद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह जन्मभूमि मे री, वह मातृ भमि ू मे री।
ऊँचा खड़ा हिमालय आकाश चूमता है ,
नीचे चरण तले झुक, नित सिं धु झम ू ता है ।
गं गा यमु ना त्रिवे णी नदियाँ लहर रही हैं ,

जगमग छटा निराली पग-पग छहर रही है ।


वह पु ण्य भूमि मे री, वह स्वर्ण भूमि मे री।
शब्दार्थ लिखिए :
मातृ भमि
ू , सिं धु, नित, पु ण्य भूमि

उत्तर:

शब्द अर्थ

मातृ भमि
ू जन्म भूमि

सिं धु समु दर्

नित प्रतिदिन
पु ण्य भूमि पवित्र भूमि

प्रश्न ख-i:

निम्नलिखित पद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :


वह जन्मभूमि मे री, वह मातृ भमिू मे री।
झरने अने क झरते जिसकी पहाड़ियों में ,
चिड़िया चहक रही हैं , हो मस्त झाड़ियों में ।
अमराइयाँ घनी हैं कोयल पु कारती है ,
बहती मलय पवन है , तन मन सँ वारती है ।
वह धर्मभूमि मे री, वह कर्मभूमि मे री।
कवि ने भारत के लिए किन-किन विशे षणों का प्रयोग किया है ?

उत्तर:
पकवि ने भारत के लिए जन्मभूमि, मातृ भमि
ू , धर्मभूमि तथा कर्मभूमि विशे षणों का प्रयोग किया है ।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित पद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह जन्मभूमि मे री, वह मातृ भमिू मे री।
झरने अने क झरते जिसकी पहाड़ियों में ,
चिड़िया चहक रही हैं , हो मस्त झाड़ियों में ।
अमराइयाँ घनी हैं कोयल पु कारती है ,
बहती मलय पवन है , तन मन सँ वारती है ।
वह धर्मभूमि मे री, वह कर्मभूमि मे री।
झरने कहाँ झरते हैं ?

उत्तर:
पझरने भारत माता की पवित्र पहाड़ियों पर झरते हैं ।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित पद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह जन्मभूमि मे री, वह मातृ भमि
ू मे री।
झरने अने क झरते जिसकी पहाड़ियों में ,
चिड़िया चहक रही हैं , हो मस्त झाड़ियों में ।
अमराइयाँ घनी हैं कोयल पु कारती है ,
बहती मलय पवन है , तन मन सँ वारती है ।

उत्तर:
भारत में बहने वाली हवा सु गंधित है । यह हमारे तन-मन को सँ वारती है ।
प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित पद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह जन्मभूमि मे री, वह मातृ भमिू मे री।
झरने अने क झरते जिसकी पहाड़ियों में ,
चिड़िया चहक रही हैं , हो मस्त झाड़ियों में ।
अमराइयाँ घनी हैं कोयल पु कारती है ,
बहती मलय पवन है , तन मन सँ वारती है ।
वह धर्मभूमि मे री, वह कर्मभूमि मे री।
शब्दार्थ लिखिए :
अमराइयाँ , मलय, पवन

उत्तर:

शब्द अर्थ

अमराइयाँ आम के पे ड़ों के बाग

मलय पर्वत का नाम

पवन हवा

प्रश्न ग-i:

निम्नलिखित पद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :


वह जन्मभूमि मे री वह मातृ भमि ू मे री।
जन्मे जहाँ थे रघु पति, जन्मी जहाँ थी सीता,
श्रीकृष्ण ने सु नाई, वं शी पु नीत गीता।
गौतम ने जन्म ले कर, जिसका सु यश बढ़ाया,
जग को दया सिखाई, जग को दिया दिखाया।
वह यु द्ध-भूमि मे री, वह बु द्ध-भूमि मे री।
वह मातृ भमिू मे री, वह जन्मभूमि मे री।
कवि भारत की भूमि को पावन क्यों मानते हैं ?
उत्तर:
पकवि भारत की भूमि को पावन मानते हैं क्योंकि यहाँ राम, सीता, श्रीकृष्ण तथा गौतम जै से महान
अवतार अवतरित हुए थे ।

प्रश्न ग-ii:
निम्नलिखित पद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह जन्मभूमि मे री वह मातृ भमि ू मे री।
जन्मे जहाँ थे रघु पति, जन्मी जहाँ थी सीता,
श्रीकृष्ण ने सु नाई, वं शी पु नीत गीता।
गौतम ने जन्म ले कर, जिसका सु यश बढ़ाया,
जग को दया सिखाई, जग को दिया दिखाया।
वह यु द्ध-भूमि मे री, वह बु द्ध-भूमि मे री।
वह मातृ भमिू मे री, वह जन्मभूमि मे री।
गौतम कौन थे ? उन्होंने क्या उपदे श दिया था?

उत्तर:
गौतम बौद्ध धर्म चलाने वाले महापु रुष थे । उन्होंने जीवों पर दया रखने का उपदे श दिया।

प्रश्न ग-iii:
निम्नलिखित पद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह जन्मभूमि मे री वह मातृ भमि ू मे री।
जन्मे जहाँ थे रघु पति, जन्मी जहाँ थी सीता,
श्रीकृष्ण ने सु नाई, वं शी पु नीत गीता।
गौतम ने जन्म ले कर, जिसका सु यश बढ़ाया,
जग को दया सिखाई, जग को दिया दिखाया।
वह यु द्ध-भूमि मे री, वह बु द्ध-भूमि मे री।

वह मातृ भमिू मे री, वह जन्मभूमि मे री।


‘श्रीकृष्ण ने सु नाई, वं शी पु नीत गीता’ – पं क्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
उपर्युक्त पं क्ति का आशय यह है कि यह वहीं पवन भारत भूमि है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया
था। गोकुल और मथु रा की गोपियों को अपनी मु रली की धु न से मोहित कर दिया था तथा कुरुक्षे तर् के
यु द्ध में अर्जुन को गीता का उपदे श दिया था।

प्रश्न ग-iv:
निम्नलिखित पद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह जन्मभूमि मे री वह मातृ भमि ू मे री।
जन्मे जहाँ थे रघु पति, जन्मी जहाँ थी सीता,
श्रीकृष्ण ने सु नाई, वं शी पु नीत गीता।
गौतम ने जन्म ले कर, जिसका सु यश बढ़ाया,
जग को दया सिखाई, जग को दिया दिखाया।
वह यु द्ध-भूमि मे री, वह बु द्ध-भूमि मे री।
वह मातृ भमिू मे री, वह जन्मभूमि मे री।
शब्दार्थ लिखिए :
रघु पति, वं शी, पु नीत, जं ग

उत्तर: उत्तर:

शब्द अर्थ

रघु पति भगवान श्री राम

वं शी बांसुरी

पु नीत पवित्र

जं ग सं सार

 साहित्य सागर – मे घ आए [कविता]


प्रश्न क-i:
निम्नलिखित पद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मे घ आये बड़े बन-ठन के, सँ वर के।
आगे -आगे नाचती-गाती बयार चली
दरवाजे -खिड़कियाँ खु लने लगी गली-गली
पाहुन ज्यों आये हों गाँ व में शहर के।
पे ड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाये
आँ धी चली, धूल भागी घाघरा उठाये
बाँकी चितवन उठा नदी, ठिठकी, घूँघट सरकाए।
मे घ रूपी मे हमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?

उत्तर:
मे घ रूपी मे हमान के आने से हवा के ते ज बहाव के कारण आँ धी चलने लगती है जिससे पे ड़ कभी झुक
जाते हैं तो कभी उठ जाते हैं । दरवाजे खिड़कियाँ खु ल जाती हैं । नदी बाँकी होकर बहने लगी। पीपल का
वृ क्ष भी झुकने लगता है , तालाब के पानी में उथल-पु थल होने लगती है , अं त में आसमान से वर्षा होने
लगती है ।

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित पद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मे घ आये बड़े बन-ठन के, सँ वर के।
आगे -आगे नाचती – गाती बयार चली
दरवाजे -खिड़कियाँ खु लने लगी गली-गली
पाहुन ज्यों आये हों गाँ व में शहर के।
पे ड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाये
आँ धी चली, धूल भागी घाघरा उठाये
बाँकी चितवन उठा नदी, ठिठकी, घूँघट सरकाए।
‘बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरकाए।’ पं क्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :
उपर्युक्त पं क्ति का भाव यह है कि मे घ के आने का प्रभाव सभी पर पड़ा है । नदी ठिठककर कर जब ऊपर
दे खने की चे ष्टा करती है तो उसका घूँघट सरक जाता है और वह तिरछी नज़र से आए हुए आं गतु क को
दे खने लगती है ।

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित पद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मे घ आये बड़े बन-ठन के, सँ वर के।
आगे -आगे नाचती – गाती बयार चली
दरवाजे -खिड़कियाँ खु लने लगी गली-गली
पाहुन ज्यों आये हों गाँ व में शहर के।
पे ड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाये
आँ धी चली, धूल भागी घाघरा उठाये
बाँकी चितवन उठा नदी, ठिठकी, घूँघट सरकाए।
मे घों के लिए ‘बन-ठन के, सँ वर के’ आने की बात क्यों कही गई है ?

उत्तर:
कवि ने मे घों में सजीवता लाने के लिए बन ठन की बात की है । जब हम किसी के घर बहुत दिनों के बाद
जाते हैं तो बन सँ वरकर जाते हैं ठीक उसी प्रकार मे घ भी बहुत दिनों बाद आए हैं क्योंकि उन्हें बनने
सँ वरने में दे र हो गई थी।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित पद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मे घ आये बड़े बन-ठन के, सँ वर के।
आगे -आगे नाचती – गाती बयार चली
दरवाजे -खिड़कियाँ खु लने लगी गली-गली
पाहुन ज्यों आये हों गाँ व में शहर के।
पे ड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाये
आँ धी चली, धूल भागी घाघरा उठाये
बाँकी चितवन उठा नदी, ठिठकी, घूँघट सरकाए।
शब्दार्थ लिखिए – बन ठन के, बाँकी चितवन, पाहन
ू , ठिठकना

उत्तर:

शब्द अर्थ

बन ठन के सज-धज के

बाँकी चितवन तिरछी नजर

पाहुन अतिथि

ठिठकना सहम जाना

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित पद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
बूढ़े़ पीपल ने आगे बढ़ कर जु हार की
‘बरस बाद सु धि लीन्ही’ बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
क्षितिज अटारी गदरायी दामिनि दमकी
‘क्षमा करो गाँठ खु ल गयी अब भरम की’
बाँ ध टू टा झर-झर मिलन अश्रु ढरके
मे घ आये बड़े बन-ठन के, सँ वर के।
‘क्षितिज अटारी गहराई दामिनी दमकी, क्षमा करो गाँठ खु ल गई अब भरम की’ – पं क्ति का आशय स्पष्ट
कीजिए।

उत्तर: उपर्युक्त पं क्ति का आशय यह है कि नायिका को यह भ्रम था कि उसके प्रिय अर्थात् मे घ नहीं
आएँ गे परन्तु बादल रूपी नायक के आने से उसकी सारी शं काएँ मिट जाती है और वह क्षमा याचना करने
लगती है ।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित पद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
बूढ़े़ पीपल ने आगे बढ़ कर जु हार की
‘बरस बाद सु धि लीन्ही’
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
क्षितिज अटारी गदरायी दामिनि दमकी
‘क्षमा करो गाँठ खु ल गयी अब भरम की’
बाँ ध टू टा झर-झर मिलन अश्रु ढरके
मे घ आये बड़े बन-ठन के, सँ वर के।
लता ने बादल रूपी मे हमान को किस तरह दे खा और क्यों?

उत्तर:
लता ने बादल रूपी मे हमान को किवाड़ की ओट में से दे खा क्योंकि एक तो वह बादल को दे खने के लिए
व्याकुल हो रही थी और दसू री ओर वह बादलों के दे री से आने के कारण रूठी हुई भी थी।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित पद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
बूढ़े़ पीपल ने आगे बढ़ कर जु हार की
‘बरस बाद सु धि लीन्ही’
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के। क्षितिज अटारी गदरायी दामिनि दमकी
‘क्षमा करो गाँठ खु ल गयी अब भरम की’
बाँ ध टू टा झर-झर मिलन अश्रु ढरके
मे घ आये बड़े बन-ठन के, सँ वर के।
कवि ने पीपल के पे ड़ के लिए किस शब्द का प्रयोग किया है और क्यों?

उत्तर:
कवि ने पीपल के पे ड़ के लिए ‘बूढ़े’ शब्द का प्रयोग किया है क्योंकि पीपल का पे ड़ दीर्घजीवी होता है ।
जिस प्रकार गाँ व में मे हमान आने पर बड़े -बूढ़े आगे बढ़कर उसका अभिवादन करते हैं वै से ही मे घ रूपी
दामाद के आने पर गाँ व के बु जुर्ग पीपल का पे ड़ आगे बढ़कर उनका स्वागत करते हैं ।

प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित पद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
बूढ़े़ पीपल ने आगे बढ़ कर जु हार की
‘बरस बाद सु धि लीन्ही’
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
क्षितिज अटारी गदरायी दामिनि दमकी
‘क्षमा करो गाँठ खु ल गयी अब भरम की’
बाँ ध टू टा झर-झर मिलन अश्रु ढरके
मे घ आये बड़े बन-ठन के, सँ वर के।
शब्दार्थ लिखिए – बरस, सु धि, अकुलाई, ढरके

उत्तर:
शब्द अर्थ

बरस वर्ष

सु धि सु ध

अकुलाई व्याकुल

ढरके ढलकना

साहित्य सागर – सूर के पद [कविता]


प्रश्न क-i:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जसोदा हरि पालने झुलावै ।
हलरावै , दुलराइ मल्हावै , जोइ-सोइ कछु गावै ॥
मे रे लाल कौं आउ निं दरिया, काहे न आनि सु वावै ।
तू काहैं नहिं बे गहिं आवै , तोकौं कान्ह बु लावै ॥
कबहुँ पलक हरि मूँ दि ले त हैं , कबहुँ अधर फरकावै ।
सोवत जानि मौन ह्वै कै रहि, करि-करि सै न बतावै ॥
इहिं अं तर अकुलाइ उठे हरि, जसु मति मधु रै गावै ।
जो सु ख सूर अमर-मु नि दुरलभ, सो नँ द-भामिनि पावै ॥
कौन किसको सु लाने का प्रयास कर रहा है ?

उत्तर:
प्रस्तु त पद्यां श में कवि ने माता यशोदा का कृष्ण के प्रति प्यार को प्रदर्शित किया है । यहाँ पर माता
यशोदा कृष्ण को सु लाने का प्रयास कर रही है ।

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जसोदा हरि पालने झुलावै ।
हलरावै , दुलराइ मल्हावै , जोइ-सोइ कछु गावै ॥
मे रे लाल कौं आउ निं दरिया, काहे न आनि सु वावै ।
तू काहैं नहिं बे गहिं आवै , तोकौं कान्ह बु लावै ॥
कबहुँ पलक हरि मूँ दि ले त हैं , कबहुँ अधर फरकावै ।
सोवत जानि मौन ह्वै कै रहि, करि-करि सै न बतावै ॥
इहिं अं तर अकुलाइ उठे हरि, जसु मति मधु रै गावै ।
जो सु ख सूर अमर-मु नि दुरलभ, सो नँ द-भामिनि पावै ॥
यशोदा बालक कृष्ण को सु लाने के लिए क्या-क्या यत्न कर रही है ?

उत्तर :
यशोदा जी बालक कृष्ण को सु लाने के लिए पलने में झुला रही हैं । कभी प्यार करके पु चकारती हैं और
लोरी गाती रहती है ।

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जसोदा हरि पालने झुलावै ।
हलरावै , दुलराइ मल्हावै , जोइ-सोइ कछु गावै ॥
मे रे लाल कौं आउ निं दरिया, काहे न आनि सु वावै ।
तू काहैं नहिं बे गहिं आवै , तोकौं कान्ह बु लावै ॥
कबहुँ पलक हरि मूँ दि ले त हैं , कबहुँ अधर फरकावै ।
सोवत जानि मौन ह्वै कै रहि, करि-करि सै न बतावै ॥
इहिं अं तर अकुलाइ उठे हरि, जसु मति मधु रै गावै ।
जो सु ख सूर अमर-मु नि दुरलभ, सो नँ द-भामिनि पावै ॥
कृष्ण को सोता हुआ जानकर यशोदा क्या करती हैं ?

उत्तर:
ू री गोपियों को भी सं केत करके समझाती हैं
कृष्ण को सोते समझकर यशोदा माता चु प हो जाती हैं और दस
कि वे सब भी चु प रहे ।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जसोदा हरि पालने झुलावै ।
हलरावै , दुलराइ मल्हावै , जोइ-सोइ कछु गावै ॥
मे रे लाल कौं आउ निं दरिया, काहे न आनि सु वावै ।
तू काहैं नहिं बे गहिं आवै , तोकौं कान्ह बु लावै ॥
कबहुँ पलक हरि मूँ दि ले त हैं , कबहुँ अधर फरकावै ।
सोवत जानि मौन ह्वै कै रहि, करि-करि सै न बतावै ॥
इहिं अं तर अकुलाइ उठे हरि, जसु मति मधु रै गावै ।
जो सु ख सूर अमर-मु नि दुरलभ, सो नँ द-भामिनि पावै ॥
सूरदास के अनु सार यशोदा कौन-सा सु ख पा रही हैं ?
उत्तर:
सूरदास जी कहते हैं कि जो सु ख दे वताओं तथा मु नियों के लिये भी दुर्लभ है , वही श्याम को बालरूप में
पाकर लालन-पालन तथा प्यार करने का सु ख यशोदा प्राप्त कर रही हैं ।

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

खीजत जात माखन खात।


अरुन लोचन, भौंह टे ढ़ी, बार-बार जँ भात॥
कबहुँ रुनझुन चलत घु टुरुनि, धूरि धूसर गात।
कबहुँ झुक कै अलक खैँ चत, नै न जल भरि जात॥
कबहुँ तोतरे बोल बोलत, कबहुँ बोलत तात।
सूर हरि की निरखि सोभा, निमिष तजत न मात॥
इस दोहे में सूरदास जी ने क्या वर्णन किया है ?

उत्तर:
इस दोहे में सूरदास जी ने श्रीकृष्ण के अनु पम बाल सौन्दर्य का वर्णन किया है ।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
खीजत जात माखन खात।
अरुन लोचन, भौंह टे ढ़ी, बार-बार जँ भात॥
कबहुँ रुनझुन चलत घु टुरुनि, धूरि धूसर गात।
कबहुँ झुक कै अलक खैँ चत, नै न जल भरि जात॥
कबहुँ तोतरे बोल बोलत, कबहुँ बोलत तात।
सूर हरि की निरखि सोभा, निमिष तजत न मात॥
बाल कृष्ण कैसे चलते हैं ?

उत्तर:
बाल कृष्ण घु टनों के बल चलते हैं । उनके पै रों में घु ं घरुओं की आवाज़ आती है ।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
खीजत जात माखन खात।
अरुन लोचन, भौंह टे ढ़ी, बार-बार जँ भात॥
कबहुँ रुनझुन चलत घु टुरुनि, धूरि धूसर गात।
कबहुँ झुक कै अलक खैँ चत, नै न जल भरि जात॥
कबहुँ तोतरे बोल बोलत, कबहुँ बोलत तात। सूर हरि की निरखि सोभा, निमिष तजत न मात॥
बाल कृष्ण के रूप सौंदर्य का वर्णन कीजिए |

उत्तर:
बाल कृष्ण बहुत सुं दर हैं । उनके ने तर् सुं दर हैं , भौंहें टे ढ़ी हैं तथा वे बार-बार जम्हाई ले रहे हैं । उनका शरीर
धूल में सना है ।
प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
खीजत जात माखन खात।
अरुन लोचन, भौंह टे ढ़ी, बार-बार जँ भात॥
कबहुँ रुनझुन चलत घु टुरुनि, धूरि धूसर गात।
कबहुँ झुक कै अलक खैँ चत, नै न जल भरि जात॥
कबहुँ तोतरे बोल बोलत, कबहुँ बोलत तात।
सूर हरि की निरखि सोभा, निमिष तजत न मात॥
बाल कृष्ण कैसी जबान में बोलते हैं ?

उत्तर:
बाल कृष्ण तोतली जबान में बोलते हैं ।

प्रश्न ग-i:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मै या, मैं तौ चं द-खिलौना लै हौं।
जै हौं लोटि धरनि पर अबहीं, ते री गोद न ऐहौं॥
सु रभी कौ पय पान न करिहौं, बे नी सिर न गु हैहौं।
ह्वै हौं पूत नं द बाबा को, ते रौ सु त न कहै हौं॥
आगैं आउ, बात सु नि मे री, बलदे वहि न जनै हौं।
हँसि समु झावति, कहति जसोमति, नई दुलहिया दै हौं॥ ते री सौ, मे री सु नि मै या, अबहिं बियाहन जै हौं॥
सूरदास ह्वै कुटिल बराती, गीत सु मंगल गै हौं॥
उपर्युक्त पद का प्रसं ग स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
उपर्युक्त पद महाकवि सूरदास द्वारा रचित है । इस पद में बाल कृष्ण अपनी यशोदा माता से चं दर् मा रूपी
खिलौना ले ने की हठ कर रहे हैं उसका वर्णन किया गया है ।

प्रश्न ग-ii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मै या, मैं तौ चं द-खिलौना लै हौं।
जै हौं लोटि धरनि पर अबहीं, ते री गोद न ऐहौं॥
सु रभी कौ पय पान न करिहौं, बे नी सिर न गु हैहौं।
ह्वै हौं पूत नं द बाबा को, ते रौ सु त न कहै हौं॥
आगैं आउ, बात सु नि मे री, बलदे वहि न जनै हौं।
हँसि समु झावति, कहति जसोमति, नई दुलहिया दै हौं॥
ते री सौ, मे री सु नि मै या, अबहिं बियाहन जै हौं॥
सूरदास ह्वै कुटिल बराती, गीत सु मंगल गै हौं॥
अपनी हठ पूरी न होने पर बाल कृष्ण अपनी माता को क्या-क्या कह रहे हैं ?

उत्तर:
अपनी हठ पूरी न होने पर बाल कृष्ण अपनी माता को कहते हैं कि जब तक उन्हें चाँद रूपी खिलौना नहीं
मिल जाता तब तक वह न तो भोजन ग्रहण करें गे , न चोटी गु ँ थवाएगे , न मोतियों की माला पहनें गे , न
उनकी गोद में आएँ गे, न ही नं द बाबा और यशोदा माता के बे टे कहलाएँ गे।
प्रश्न ग-iii:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मै या, मैं तौ चं द-खिलौना लै हौं।
जै हौं लोटि धरनि पर अबहीं, ते री गोद न ऐहौं॥
सु रभी कौ पय पान न करिहौं, बे नी सिर न गु हैहौं।
ह्वै हौं पूत नं द बाबा को, ते रौ सु त न कहै हौं॥
आगैं आउ, बात सु नि मे री, बलदे वहि न जनै हौं।
हँसि समु झावति, कहति जसोमति, नई दुलहिया दै हौं॥
ते री सौ, मे री सु नि मै या, अबहिं बियाहन जै हौं॥
सूरदास ह्वै कुटिल बराती, गीत सु मंगल गै हौं॥
यशोदा माता श्रीकृष्ण को मनाने के लिए क्या कहती है ?

उत्तर:
यशोदा माता श्रीकृष्ण को मनाने के लिए उनके कान में कहती है , तु म ध्यान से सु नो। कहीं बलराम न सु न
ले । तु म तो मे रे चं दा हो और में तु म्हारे लिए सुं दर दुल्हन लाऊँगी।

प्रश्न ग-iv:
निम्नलिखित गद्यां श को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मै या, मैं तौ चं द-खिलौना लै हौं।
जै हौं लोटि धरनि पर अबहीं, ते री गोद न ऐहौं॥
सु रभी कौ पय पान न करिहौं, बे नी सिर न गु हैहौं। ह्वै हौं पूत नं द बाबा को, ते रौ सु त न कहै हौं॥
आगैं आउ, बात सु नि मे री, बलदे वहि न जनै हौं।
हँसि समु झावति, कहति जसोमति, नई दुलहिया दै हौं॥
ते री सौ, मे री सु नि मै या, अबहिं बियाहन जै हौं॥
सूरदास ह्वै कुटिल बराती, गीत सु मंगल गै हौं॥
माँ यशोदा की बात सु नकर श्रीकृष्ण की क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर:
माँ यशोदा की बात सु नकर श्रीकृष्ण कहते हैं माता तु झको मे री सौगन्ध। तु म मु झे अभी ब्याहने चलो।

You might also like