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DR.

AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

2. हदनचयाथध्यायां

1] वाग्भट मतानुसार स्वस्थ मनुष्य को आयुष्य रक्षणाथथ ब्राह्म मुहूतथ पे उठना चाहहये |

ब्राह्मे मह
ु ू तथ उत्तिष्ठे त्सस्वस्थो रक्षाथथमायष
ु : |

2] दन्तधावन त्तवधी

1) वाग्भट मतानुसार वक्ष


ृ – अकथ, न्यग्रोध, खहदर, करज्ज, कुकुभ

2) कषाय, कटु, ततक्त रस प्रधान

3) दन्तधावन काल 1) प्रात:

2) भक्
ु त्सवा ( खाने के बाद )

4) प्रमाण - 1) व्दादशाांगुल

2) कनीनी अग्र सम स्थौल्य

3] Extra Point

अष्टाांग सांग्रह मे दन्तधावन के बारे मे कहा है

वटासनाकथखहदरकज्जकरवीरजम ् |

सजाथररमेदापामागथमालतीककुभोभ्दवम ् |

कषायततक्तकटुकां मल
ू मन्यदपीदृशम ् |

त्तवज्ञातवक्ष
ृ ां क्षुण्णाग्रमज्
ृ वग्रन्न्थ सभ
ु मू मजम ् |

अ. सां. स.ु 3

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4] दन्तधावन अनहथ

1) अजीणथ

2) वमथु

3) श्वास

4) कास

5) ज्वर

6) अहदथ त

7) तष्ृ णा

8) आस्यपाक

9) हृत ् नेत्र मशर: कणाथमयी

5] वाग्भट मतानुसार तनत्सय सौवीर अज्जन का प्रयोग करे |

6] Extra Point

1) हे माहि मतानस
ु ार अांजन मान

मद
ृ च
ु ण
ू ाांजनत्सवात्तिस्त्र: शलाका मानम ् |

2) अष्टाांग सांग्रह मे अांजन का फल

लोचने तेन भवतो मनोज्ञे सक्ष्


ु मदशथने |

व्यक्तत्रत्रवणे त्तवमले सन्ु स्नग्धघनपक्ष्मणी ||

3) सुश्रुतोक्त स्त्रोतोंजन ( सु. चच. 24 )

मतां स्त्रोतोज्जनां श्रेष्ठां त्तवशद्


ु धां मसन्धस
ु म्
ां भवम ् |

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दाह कण्डु मलघ्नां च दृष्टे : क्लेदरुजापहम ् ||

7] ‘ चक्षुस्तेजोमयां तस्य त्तवशेषात ् श्र्लेष्मतो भयम ् | ‘

यह वाग्भट का कथन है |

8] वाग्भट के अनुसार सप्तरात्री पश्चात स्त्रावणाथथ रसाज्जन का प्रयोग करे |

रसाांजन

दावीकवाथमजाक्षीरपादां पक्त्सवा यदा घनम ् |

तदा रसाज्जनाख्यां तन्नेत्रयोश्च प्रयोजयेत ् ||

9] वाग्भट के अनस
ु ार अज्जन पश्चात ( क्रम से )

1) नावन

2) गण्डुष

3) धूम

4) ताम्बुल

10] वाग्भट मतानस


ु ार ताम्बल
ु अनहथ

1) क्षत ( क्षतकास: - हे माहि )

2) त्तपिास्त्र

3) रुक्ष ( तन:स्नेहाङग: )

4) उत्सकुत्तपतचक्षुषाम ( अमभष्यांदाहद रोग )

5) त्तवष

6) मूर्च्ाथ

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7) मदातथ

8) शोत्तषत ( राजयक्ष्मा )

11] वाग्भट मतानस


ु ार अभ्यङग फल

1) जराश्रमवातहा

2) दृन्ष्ट प्रसाद

3) पुन्ष्ट

4) आयु:

5) स्वप्न

6) सत्सु वक्

7) दाढयथत्सव

12] वाग्भट के अनुसार अभ्यङग त्तवशेषत: मशर, श्रवण, और पाद पे करे |

13] Extra Points

1) सङग्रहोक्त अभ्यङग

त्सवर्चयश्च परमभ्यङगो यस्मातां शीलयेदत: |

2) सांग्रहोक्त पादाभ्यांग लाभ

पादाभ्यङगस्तु तत्सस्थैयतथ निादृन्ष्टप्रसादकृत ् |

पादसुन्प्तश्रमस्तम्भसङकोचस्फुटनप्रणत
ु ् ||

14] वाग्भट मतानस


ु ार अभ्यङग अनहथ

1) कफग्रस्त

2) कृतसांशद्
ु चध

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3) अजीर्णथ

15] वाग्भट के अनस


ु ार व्यायाम के फल

1) लाघव

2) कमथसामर्थयथ

3) दीप्त अन्ग्न

4) मेदस: क्षय

5) त्तवभक्तघनगात्रत्सवां

16] Extra Points

अष्टाांग सांग्रह के अनस


ु ार व्यायाम व्याख्या

शरीरायासजनकां कमथ व्यायाम उर्चयते |

17] वाग्भट मतानस


ु ार व्यायाम अनहथ

1) वातत्तपिामयी व्यन्क्त

2) बाल ( आषोडशाव्दषाथत ् )

3) वद्
ृ ध

4) अजीणी

18] वाग्भट के अनस


ु ार व्यायाम के तनयम

1) अधथशक्त्सया तनषेव्यस्तु बमलमभ: न्स्नग्धभोन्जमभ: |

2) शीतकाले और वसन्त मे व्यायाम करे |

3) अन्य ऋतु मे मन्द व्यायाम या व्यायाम ना करे |

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19] सश्र
ु ुतोक्त अधथशन्क्त लक्षण सु. चच. 24/47

ह्रहदां स्थानन्स्थतो वायुयदा वक्त्रां प्रपदयते |

20] वाग्भट के अनुसार व्यायाम पश्चात शरीर का मदथ न करे |

21] वाग्भट मतानस


ु ार अततव्यायाम उपिव

1) तष्ृ णा

2) क्षय ( राजयक्ष्मा )

3) प्रतमक

4) रक्तत्तपि

5) श्रम

6) क्लम

7) कास

8) ज्वर

9) ्हदथ

22] ‘ गजां मसांह इवाकषथन ् भजन्नतत त्तवनश्यतत | ‘

वाग्भट ने व्यायाम, जागरण, अध्व, स्त्री, हास्य, भाष्य आहद के अततयोग के बारे मे कहा है |

23] वाग्भट अनस


ु ार उव्दतथन लाभ

1) कफहरां

2) मेदस: प्रत्तवलायनम ्

3) न्स्थरीकरणमङगानाां

4) त्सवक् प्रसादकरां परम ्

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24] Extra Point

हे माहि अनस
ु ार उव्दतथन – कषायहदचण
ू ेगाथत्रोध्दषथणम ् |

25] वाग्भट के अनस


ु ार स्नान के लाभ

1) दीपनां

2) वष्ृ यम ्

3) आयष्ु यां

4) ऊजाथबलप्रदम ्

5) कण्डूमलश्रमस्वेदतन्िातङ
ृ दाहपाप्मन्जत ्

26] वाग्भट मतानुसार उष्णाम्बु स्नान करने से

1) अध: काय – बलावहा:

2) उिमाङग – बलह्रत्सकेशचक्षुषाम ्

27] वाग्भट के अनुसार स्नान अपर्थय है –

1) अहदथ त

2) नेत्र, आस्य, कणथ रोग

3) अततसार

4) आध्मान

5) पीनस

6) अजीणथ

7) भुक्तवत ्

28] ‘ न वेचगतोsन्यकायथ:स्यात ् ‘ वाग्भट ने कहा है |

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29] वाग्भट के अनुसार प्रार्णयोंकक सभी प्रवत्तृ ियाां सख


ु प्राप्ती हे तु है |

और सुख धमथ के अधीन है |

‘ तस्मात ् धमथपरो भवेत ् ‘ |

30] वाग्भट ने ‘ दशत्तवधपापकमथ ‘ समावेश सद्वि


ृ मे ककया है |

31] वाग्भट मतानुसार दशत्तवध पापकमथ

1) हहांसा

2) स्तेय ( चोरी करना )

3) अन्यथाकामम ् ( अगम्यागमनम ् )

4) पैशुन्य ( परस्या अप्रत्सयक्षां तद्दोषकीतथनम ् )

5) परुष

6) अनत
ृ ( असत्सयम ् )

7) सन्म्भन्नालापां ( असम्बद्ध प्रलाप )

8) व्यापद ( प्रार्ण उपघात चचन्ता )

9) अमभदया ( परगुणात ् असहहष्णुता )

10) दृन्ग्वपयथय ( आप्तवाकयेषु अप्रमाणबुद्चध: )

32] ‘ आत्समवत्ससततां पश्येदत्तप कीटत्तपपीमलकम ् | ‘

यह वाग्भट का कथन है |

33] ‘ हे तावीष्येत्सफले न तु | ‘

हे तु कक इषाथ करे फल कक नही |

34] ‘ न पीडयेहदन्न्ियार्ण न चैतान्यतत लालयेत ् ‘

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यह वाग्भट का कथन है |

35] चलते समय ‘ यग


ु मात्र ‘ ( हस्तचतष्ु टय ) अांतराल पर नजर रखे |

36] उत्सकटासन मे दीघथकाल तक न बैठे |

37] ‘ स्वातन््ये स्त्रीषु च त्सयजेत ् | ‘ वाग्भट का कथन है |

38] वाग्भट ने ‘ स्वाथथबद्


ु चध पराथेषु ‘ कहा है |

परहहत मे स्वाथथ रखना सद्वि


ृ है |

39] ‘ आयुरारोग्यमैश्र्वयां यशो लोकाांश्र्व शाश्र्वतान ् | ‘

वाग्भट के अनुसार सद्वि


ृ का फल है |

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