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जवाहर नवोदय वद्यालय

धुबड़ी, असम
प्रस्तु त : डॉ. जीतेन्द्र प्रताप

स्नातकोत्तिर शक्षक - हन्दी


ह रवंश राय बच्चन

दन जल्दी जल्दी ढ़लता है


क व के बारे में
: क वता के बारे में :

1. इस क वता के क व हालावाद के प्रणेता क व ह रवंशराय बच्चन


हैं।
2. इस क वता में क व ने मंिजल प्रािप्त के न मत्ति प्रबलतम प्रयास
हे तु कसी आलंबन के होने की आवश्यकता पर बल दया है ।
3. क व कहता है क लक्ष्य की प्रािप्त हे तु कये जाने वाले प्रयास के
दौरान समय कब बीत जाता है , इसका पता ही नहीं चलता है ।
4. क व स्पष्ट करता है क जब हमें अपना लक्ष्य करीब नजर आता
है तब यह भी भय लगने लगता है क कहीं समय बीत तो नहीं
जाएगा।
💐 क वता का सारांश 💐
क वता ‘ दन जल्दी-जल्दी ढलता है ’ मूलतः एक प्रेमगीत
है । इसमें क व जीवन की व्याख्या करता है । वह कहता है
क शाम होते दे खकर मंिज़ल तक पहु ँचने ( प्रय से मलने)
हे तु यात्री (व्यिक्त) तेजी से चलता है क कहीं रास्ते में रात
न हो जाए। उसकी मंिजल समीप ही होती है , इस कारण
वह थकान होने के बावजूद भी जल्दी-जल्दी चलता है ।
कहने का आशय है क मंिजल प्राप्त होने की उम्मीद हमारे
अंदर ऊजार्जा का संचार कर दे ती है । वहीं इसके वपरीत की
दशा में हमारे पद श थल होने लगते हैं।
हो जाए न पथ में रात कहीं,

दन जल्दी जल्दी ढलता है


आइए, क वता दे खते हैं

मंिजल भी तो है दूर नहीं-

यह सोच थका दन का पंथी

भी जल्दी-जल्दी चलता है !

दन जल्दी-जल्दी ढलता है !
बच्चे प्रत्याशा में होंगे,

नीड़ों से झाँक रहे होंगे—

यह ध्यान परों में च ड़यों के

भरता कतनी चंचलता है !

दन जल्दी-जल्दी ढलता है !
मुझसे मलने को कौन वकल?

मैं होऊँ कसके हत चंचल?

यह प्रश्न श थल करता पद को,

भरता उर में वह्वलता है !

दन जल्दी-जल्दी ढलता है ।
आइए, इस क वता से संबं धत अभ्यास-प्रश्न दे खते हैं-
प्रश्न : 1 : बच्चे कस बात की आशा में नीड़ों से झांक रहे होंगे?
उत्तिर : बच्चे इस आशा में नीड़ों से झांक रहे होंगे क उनके माता- पता आयेंगे
उनके आने पर उन्हें भोजन और माता – पता का प्यार मलेगा।

प्रश्न : 2 : ‘ दन जल्दी-जल्दी ढलता है ’ की आवृ त्ति से क वता की कस


वशेषता का पता चलता है ?
उत्तिर : ‘ दन जल्दी-जल्दी ढलता है ’ की आवृ त्ति से क वता की इस वशेषता का
पता चलता है क वह समय के अबाध ग त से व्यतीत होने के सत्य को प्रकट
कर रही है । दन के ढलने पर सभी अपने-अपने घरों को लौटने की आतुरता में
होते हैं। इसी आतुरता को अ भव्यक्त करने के लये क व ने इस पंिक्त को
बार-बार दोहराया है ।
💐 धन्यवाद 💐

प्रस्तु त
डॉ जीतेन्द्र प्रताप यदुवंशी
प्रवक्ता- हंदी
जवाहर नवोदय वद्यालय धुबड़ी, असम

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