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अर्थव्यवस्र्ा एक परिचय
अर्थशास्र
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• भारत में ब्रिब्रिश काल से ही राष्ट्रीय आय की गणना के प्रयास ब्रकये • चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय - राष्ट्रीय आय को प्रचब्रलत बाजार
जाते रहे हैं। मूल्यों पर मापा जाता है इसे मौब्ररक आय भी कहा जाता है।
• दादा भाई नौरोजी (1868), ब्रिब्रलयम ब्रिग्बी (1899), ब्रिन्िले • स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय - एक लेखा िर्थ के दौरान एक देश
ब्रशराज (1911,1922 और 1931), शाह एिं खम्ब्िा (1921), िी. के सामान्य नागररक द्वारा उत्पाब्रदत सभी िस्तुओ ं तर्ा सेिाओं के
के . आर. िी. राि (1925–29 और 1930-31), आर. सी. देसाई मूल्य है इसे ब्रकसी आधार िर्थ (ितथ मान में 2011 - 12,पूिथ में 2004-
(1931-40) आब्रद अर्थ शाब्रियों ने स्ितंत्रता के पूिथ भारत की 05) के मूल्यों पर मापा जाता है इसे िास्तब्रिक राष्ट्रीय आय भी
राष्ट्रीय आय मापने का प्रयास ब्रकया र्ा। कहा जाता है।
• नौरोजी के आकलन के अनुसार िर्थ 1868 में प्रब्रत व्यब्रि आय 20 ➢ राष्ट्रीय आय से संबंस्ित तथ्य
रुपये र्ी। एि ब्रसराथ स ने िर्थ 1911 में प्रब्रत व्यब्रि आय 49 रुपये • भारत में राष्ट्रीय आय की गणना कें रीय सांब्रययकी संगठन के द्वारा
बताया। की जाती है
• स्ितंत्रता प्राब्रि के उपरान्त भारत सरकार ने राष्ट्रीय आय की गणना • भारत में ब्रित्त िर्थ 1 अप्रैल से 31 माचथ तक होता है
के ब्रलए अगस्त, 1949 में प्रो. पी. सी. महालनोब्रबस की अध्यक्षता
• राष्ट्रीय आय िाब्रर्थक गणना होती है
में एक राष्ट्रीय आय सब्रमब्रत (National Income Committee)
की स्र्ापना की, ब्रजसके अन्य सदस्य प्रो. िी. आर. गािब्रगल और • भारत में राष्ट्रीय आय सब्रमब्रत का गठन 1949 में ब्रकया गया र्ा
प्रो. िी. के . आर. राि र्े। • सीएसओ ने प्रणि सेन की अध्यक्षता में गब्रठत कमेिी की ब्रसिाररश
• इस सब्रमब्रत ने साइमन कु जनेत्स, जे. आर. स्िोन और िॉ. िकथसन पर 30 जनिरी 2015 को राष्ट्रीय आय से संबंब्रधत आंकडे जारी
को अपना परामशथ दाता ब्रनयुि ब्रकया। सब्रमब्रत ने अपनी प्रर्म ररपोिथ ब्रकए इससे पिू थ राष्ट्रीय आय संबंब्रधत आकलन िर्थ 2004 - 05 को
1951 में तर्ा अब्रन्तम ररपोिथ 1954 में प्रस्तुत की। आधार िर्थ लेते हुए जारी ब्रकए जाते र्े ब्रकंतु अब 2011-12 को नए
आधार िर्थ के रूप में अपनाया गया
• राष्ट्रीय आय सब्रमब्रत की अब्रन्तम ररपोिथ प्राि होने के पश्चात् भब्रिष्ट्य
के राष्ट्रीय आय के आकलन का कायथ के न्रीय सांब्रययकीय संगठन • 30 जनिरी 2015 से भारत में राष्ट्रीय आय के अनुमान लगाने का
(CSO) को सौंप ब्रदया गया। आधार िर्थ 2011 - 12 कर ब्रदया गया
❖ राष्ट्रीय आय की पररभाषा • भारत में सांब्रययकी आंदोलन का जनक प्रशांत चंर महालनोब्रबस
को कहा जाता है
• राष्ट्रीय आय से तात्पयथ ब्रकसी देश की अर्थ व्यिस्र्ा द्वारा परू े िर्थ के
दौरान उत्पाब्रदत अब्रन्तम िस्तुओ ं ि सेिाओं के शुद्ध मूल्य के योग • कें रीय सांब्रययकी संगठन की स्र्ापना 2 मई, 1951 में की गई र्ी
इसका मुययालय न्यू ब्रदल्ली में है
से होता है, इसमें ब्रिदेशों से अब्रजथत शुद्ध आय भी शाब्रमल होती है।
• सीएसओ के िाब्रर्थक प्रकाशन को राष्ट्रीय लेखा सांब्रययकी के नाम
• साइमन कु जनेि्स को राष्ट्रीय आय लेखांकन का जन्मदाता माना
से जाना जाता है यहां राष्ट्रीय लेखा सांब्रययकी पब्रत्रका 1956 से
जाता है ब्रजन्हें इसके ब्रलए नोबेल पुरस्कार ब्रमला।
लगातार प्रत्येक िर्थ प्रकाब्रशत होती है
➢ राष्ट्रीय आय में ध्यान देने योग्य बातें -
• सीएसओ की औद्योब्रगक सांब्रययकी शाखा कोलकाता में ब्रस्र्त है
• राष्ट्रीय आय को मुरा के रूप में मापा जाता है।
• भारत की राष्ट्रीय आय एिं प्रब्रत व्यब्रि आय की गणना का प्रर्म
• इसमें अंब्रतम िस्तुओ ं एिं सेिाओं के मल्ू य को ही सब्रम्बमब्रलत ब्रकया
प्रयास दादा भाई नौरोजी ने 1867-68 में ब्रकया र्ा
जाता है ना ब्रक मध्यिती िस्तुओ ं के मूल्य को।
• राष्ट्रीय आय के अनुमान का प्रर्म सरकारी आकलन िर्थ 1948 -
• राष्ट्रीय आय में पुरानी िस्तुओ ं के मूल्य को शाब्रमल नहीं ब्रकया जाता
49 में िाब्रणज्य मंत्रालय के द्वारा जारी ब्रकया गया
है।
❖ राष्ट्रीय आय के मापन की स्िस्ियां
• घरेलू सेिा ( कपडे धोना, खाना बनाना आब्रद) अर्िा कायथ को
राष्ट्रीय आय से बाहर रखा जाता है। • राष्ट्रीय आय के मापन की ब्रिब्रधयां की तीन ब्रिब्रधयां है
• इसमें हस्तांतरण भुगतान (पेंशन, भत्ता) शाब्रमल नहीं ब्रकया जाता ➢ आय गणना स्िस्ि
है।
➢ राष्ट्रीय आय की गणना दो प्रकार से की जाती है -
• आर्थिक र्ियोजि से आशय पूर्ि-र्िर्धि रित औि र्िर्ित सधमधर्जक • र्र्ि 1944 में श्री मिधिधयण िे गधंर्ीर्धदी योजिध िधम से एक योजिध
एर्ं आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु अथि व्यर्स्थध के सभी अंगों को कध र्िमधि ण र्कयध। इसी प्रकधि श्री एमएि िॉय द्वधिध अप्रैि 1945 में
एकीकृ त औि समर्वर्त किते हुए िधष्ट्र के संसधर्िों के सम्बवर् में जि योजिध (People’ s plan) र्िर्मित की गई।
सोच-र्र्चधिकि रूपिेखध तैयधि कििे औि के वरीय र्ियवरण से है।
• जिर्िी 1950 में श्री जय प्रकधश िधिधयण सर्ोदय योजिध के िधम
❖ आर्थिक र्ियोजि के उद्देश्य से एक योजिध प्रकधर्शत की।
• िधष्ट्रीय आय एर्ं प्रर्त व्यर्ि आय में र्ृर्ि • 15 मधचि 1950 को भधित सिकधि के प्रस्तधर् द्वधिध योजिध आयोग
• िोजगधि में र्ृर्ि कध गिि हुआ।
• आत्म-र्िभि ितध की प्रधर्ि • र्र्श्व में सबसे पहिे सोर्र्यत संघ िे र्र्ि 1927 में पंचर्र्ीय योजिध
• कल्यधणकधिी िधज्य की स्थधपिध कध प्रधिंभ र्कयध।
• सधर्ि जर्िक क्षेर कध र्र्स्तधि • भधित सिकधि िे पधंच सधि की योजिधओं को िॉवच कििध बंद कि
• समधजर्धदी समधज की स्थधपिध र्दयध है औि योजिध आयोग के स्थधि पि िीर्त आयोग िधमक एक
र्थंक िैंक िॉवच र्कयध है।
• जिसंख्यध र्ृर्ि पि र्ियवरण,
• र्पछडे क्षेरों कध र्र्कधस, भारत में र्ियोजि तंत्र
• उद्योग एर्ं सेर्धओं कध र्र्स्तधि, • 15 मधचि 1950 को योजिध आयोग कध गिि र्कयध गयध र्जसकी
• खधद्यधवि एर्ं औद्योर्गक उत्पधदि में र्ृर्ि। अिुशंसध पि प्रथम पंचर्र्ीय योजिध 1 अप्रैि 1951 से िधगू हुई।
❖ र्ियोजि के तत्व ❖ योजिा आयोग
• प्रभधर्ी र्ियोजि के र्िए र्िम्िर्िर्खत तत्र्ों कध होिध आर्श्यक है • 1946 में गर्ित के . सी. र्ियोगी सर्मर्त की र्सफधरिश के आर्धि
• आंकडों की उपिब्र्तध पि भधित में योजिध आयोग कध गिि 15 मधचि 1950 को
संर्र्र्धिेत्ति औि पिधमशि दधरी र्िकधय के रूप में र्कयध गयध थध।
• आर्थिक आर्धिभूत संिचिध की उपिब्र्तध
➢ आयोग का संगठि
• दक्ष प्रशधसि की उपिब्र्तध
• अध्यक्ष - प्रर्धिमंरी पदेि अध्यक्ष होते हैं; उपधध्यक्ष;
• व्यधपक जिभधगीदधिी
• सदस्य - 3 पूणिकधर्िक सदस्य; 3 अंशकधर्िक सदस्य
• कु शि संस्थधि
❖ िीर्त आयोग
❖ र्ियोजि के र्वशेष तथ्य
• योजिध आयोग को समधि कि िीर्त आयोग कध गिि र्कयध गयध है।
• 1934 में एम. र्र्श्वेश्विैयध द्वधिध “Planned economy for India“
• प्रर्धिमंरी ििेंर मोदी जी िे 15 अगस्त 2014 को िधष्ट्र के िधम
िधमक पुस्तक र्िखी गई थी। इस पुस्तक में भधित के 10 र्र्ि
संबोर्ि में एक िए आयोग के गिि की घोर्णध की थी, इस िए
र्ियोर्जत र्र्कधस के र्िए कधयि क्रम र्िर्धि रित र्कयध गयध।
आयोग को िधष्ट्रीय भधित परिर्ति ि संस्थधि (National
• र्र्ि 1938 में भधितीय िधष्ट्रीय कधंग्रेस िे पंर्ित जर्धहििधि िेहरू institution For transforming India - NITI) िधम र्दयध गयध
की अध्यक्षतध में एक िधष्ट्रीय र्ियोजि सर्मर्त गर्ित की, 1938 में है।
भधितीय िधष्ट्रीय कधंग्रेस कध अर्र्र्ेशि हरिपुिध में हुआ थध।
➢ िीर्त आयोग की संरचिा
• र्र्ि 1944 में मुंबई के 8 उद्योगपर्तयों द्वधिध बॉम्बे प्िधि िधम से एक
• अध्यक्ष - प्रर्धिमंरी
15 र्र्ीय योजिध को प्रस्तुत र्कयध गयध।
• उपधध्यक्ष - प्रर्धिमंरी द्वधिध र्ियुि र्र्शेर्ज्ञ (िॉ िधजीर् कु मधि )
• र्िर्िश सिकधि द्वधिध र्र्ि 1944 में र्ियोजि एर्ं र्र्कधस र्र्भधग
िधमक प्रथक र्र्भधग खोिध गयध तथध आदेर्शि दिधि जो मुंबई • पदेि सदस्य - चधि ( गृहमंरी ,र्र्त्त मंरी, कृ र्र् मंरी ,िेिर्े मंरी)
प्िधि के सदस्य थे उिको इसकध अध्यक्ष बिधयध गयध। • पूणिकधर्िक सदस्य - कु ि 5
• अंशकधर्िक सदस्य - दो पदेि सदस्य, र्र्श्वर्र्द्यधिय के र्शक्षक
निर्धिता
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• भरत में निर्ध िता की माप करिे के निए निरपेक्ष प्रनतमाि को प्रयोग
• निर्ध िता से आशय उस सामानिक अवस्था से है निसमें समाि का नकया िाता है।
एक भाग अपिे िीवि की आर्ारभूत आवश्यकताओ को भी पूरा • हमारे देश में योििा आयोग द्वारा गरीबी निर्ाध रण के सम्बन्र् में एक
िहीं कर पाता है। वैकनपपक पररभाषा स्वीकार की निसमें पयाध प्त मात्र में उिाध उपभोग
• निर्ध िता आनथध क नवकास, ििसँख्या, प्रनतव्यनि एवं क्रयशनि से ि कर पािे की क्षमता के आर्ार पर नकया िाता है।
िुडी है। • इस अवर्ारणा के अिुसार उस व्यनि को निर्ध िता की रेखा में िीचे
❖ निरपेक्ष निर्धिता (Absolute Poverty) मािा िाता है, िो ग्रामीण क्षेत्रों में प्रनतनदि 2400 कै िोरी व शहरी
• “एक व्यनि की निरपेक्ष गरीबी से अथध है नक उसकी आय या उपभोग क्षेत्रों में 2100 कै िोरी भोिि प्राप्त करिे में असमथध है।
व्यय इतिा कम है नक वह न्यूितम भरण पोषण के स्तर के िीचे • भारत में निर्ध िता रेखा के निर्ाध रण का पहिा अनर्काररक प्रयास
स्तर पर रह रहा है।” योििा आयोग द्वारा िुिाई 1962 ई में नकया गया।
• भारत में निर्ध िता मापिे के निए निरपेक्ष प्रनतमाि का प्रयोग नकया • नवश्व बैंक के अिुसार निर्ध िता रेखा - वैनश्वक गरीबी अिुमाि के निए
िाता है। नवश्व बैंक िे िई गरीबी रेखा को अपिाया है।
• इस आर्ार पर निर्ाध ररत नकये गए न्यूितम उपभोग व्यय को • वषध 2011 में क्रय शनि समतुपयता (PPP) के आर्ार पर 1.90
निर्ध िता रेखा कहा िाता है। डॉिर प्रनतनदि तक की आय वािों को गरीबी रेखा के िीचे मािा
• नवकाशीि देशों में मुख्यतः निरपेक्ष गरीबी मापी िाती है। िाता था। िो पूवध में 1.25 डॉिर प्रनतनदि (वषध 2005 के PPP पर
• िोट : निर्ध िता की माप के निए निरपेक्ष प्रनतमाि का सवध प्रथम आर्ाररत) थी।
प्रयोग खाद्य एवं कृ नष संगठि (F.A.O.) के प्रथम महानिदेशक आर. ❖ भारत में गरीबी निर्ाधरण का इनतहास
वायड िे 1945 ई में नकया । • दादा भाई िौरोजी - इि की पुस्तक “पावर्ी एंड अि निनर्श रूि
❖ सापेक्ष निर्धिता (Relative Poverty) इि इंनडया” में पहिी बार गरीबी के मापि को िीिे की न्यूितम
• सापेक्ष निर्ध िता से अनभप्राय नवनभन्ि वगो प्रदेशो या दुसरे देशो की आवश्यकताओं की पनू तध से िगाया था, उन्होंिे गरीबी रेखा वषध
तुििा में की िािे वािी निर्ध िता से हैI 1867 - 68 के मूपय पर प्रनत व्यनि प्रनतवषध नवनभन्ि क्षेत्रों के नहसाब
से 20 निर्ाध ररत नकया था।
• निस देश या वगध के िोगो का िीवि स्तर या निवाध ह स्तर िीचा
होता है वे उच्च िीवि स्तर या निवाध ह स्तर के िोगो या देश की • वई के अलर् सनमनत - 1979 में अिघ सनमनत िे गांवों में 49 रुपये
तुििा में गरीब या सापेक्ष रूप से निर्ध ि मािे िाते हैI तथा शहरों में 56.64 रुपये प्रनत व्यनि मानसक व्यय को गरीबी रेखा
मािा।
• इसे प्राय नगिी गुणांक तथा िोरेंि वक्र द्वारा मापा िाता है इस
प्रकार यह नवनर् नवकनसत देशों में निर्ध िता मापिे के निए ज्यादा • लकडावाला सनमनत - वषध 1989 में योििा आयोग में डी.र्ी.
उपयुि है। िकडावािा की अध्यक्षता में पुि: एक कायध दि का गठि नकया गया
दादा भाई िौरोिी की पुस्तक “पावर्ी एंड अि निनर्श रूि इि
• “नवश्वबैंक की 'गरीबी और साझा समृनि - 2016 ररपोर्ध के अिुसार
इंनडया” में पहिी बार गरीबी के मापि को िीिे की न्यूितम
नवश्व में दस में से एक व्यनि प्रनतनदि 1.90 डॉिर पर िीवि-यापि
आवश्यकताओं की पनू तध से िगाया था, उन्होंिे गरीबी रेखा वषध
करता है।”
1867 - 68 के मूपय पर प्रनत व्यनि प्रनतवषध नवनभन्ि क्षेत्रों के नहसाब
• लॉरेंज वक्र - इस वक्र के द्वारा नकसी देश के िोगों के बीच आए से 20 निर्ाध ररत नकया था।
नवषमता को ज्ञात करते हैं।
• इस कायध दि िे प्रत्येक राज्य के निये अिग-अिग निर्ध िता रेखा
• इसे वषध 1905 में मैक्स औ िोरेंि िे नवकनसत नकया था। बिाई और इसके निये शहरी क्षेत्रों में औद्योनगक श्रनमकों के
• नगिी गुणांक - नगिी गुणांक को 1912 में इर्ानियि कोरोदो नगिी उपभोिा मूपय सूचकांक को एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कृ नष श्रनमकों के
िे नवकनसत नकया था। उपभोिा मूपय सूचकांक को आर्ार बिाया।
❖ भारत में निर्धिता और उसका अध्ययि • 1990 में पुि: कै िेरी को निर्ध िता की गणिा का आर्ार बिाया
गया।
• ववविमय - वस्तुओ ं के आदान-प्रदान को वववनमय कहते हैं, परन्तु • उदाहरण: सभी मूकयवर्थ (₹2, ₹5, ₹10, ₹100, ₹500, ₹2000)
वस्तुओ ं के सभी आदान-प्रदान को वववनमय नहीं कहा जा सकता। के नोट
अर्थ शास्त्र में के वल वही आदान-प्रदान वववनमय कहलाता है जो • दल ु ल भ मुद्रा (Hard Money) - अन्तराथ ष्ट्रीय बाजार में, वजस मुद्रा
पारस्पररक, ऐवछिक एवं वैधावनक हो। की पवू तथ की तुलना में मांर् लर्ातार अवधक होती है। वह मुद्रा दुलथभ
❖ वस्तु ववविमय प्रणाली मुद्रा कहलाती है।
• जब कोई व्यवि अपनी वकसी वस्तु या सेवा के बदले वकसी अन्य • उदाहरणः प्रायः ववकवसत देशों की मुद्रा दुलथभ मुद्रा कहलाती है,
व्यवि से अपनी आवश्यकता की कोई वस्तु या सेवा प्राप्त करता है जैसे - USA ($)।
तो इस विया को अदल-बदल या वस्तु वववनमय या प्रत्यक्ष वववनमय • सुलभ मुद्रा (Soft Money) - अन्तराथ ष्ट्रीय बाजार में, वजस मुद्रा
कहते हैं। इस प्रणाली के अन्तर्थ त मुद्रा (द्रव्य) का प्रयोर् नहीं होता की पूवतथ अवधक होती है, परन्तु मांर् कम रहती है, सुलभ मुद्रा
बवकक वस्तुओ ं तर्ा सेवाओं का आदान-प्रदान होता है। कहलाती है।
• मुद्रा - मुद्रा वह कोई भी वस्तु है, वजसे वस्तुओ ं और सेवाओं के • उदाहरणः प्रायः ववकासशील देशों की मुद्रा सुलभ मुद्रा कहलाती है,
भुर्तान के वलए सामान्य स्वीकृ वत प्राप्त है। मुद्रा के अन्तर्थ त चेक, जैसे - भारत (₹)।
िे विट कािथ को भी सवममवलत वकया जाता है। • हॉट मिी (Hot Money) - उस ववदेशी मुद्रा को हॉट मनी कहा
❖ मुद्रा के प्रकार (Types of Money) जाता है वजसमें शीघ्र पलायन कर जाने की प्रवृवि होती है अर्ाथ त्
• वास्तववक मुद्रा (Proper Money) - वकसी देश में वास्तव में वजस स्र्ान पर लाभ वमलने की संभावनाएं अवधक होती हैं, उसी
प्रचवलत मुद्रा अर्ाथ त् दैवनक जीवन में प्रयुि होने वाली मुद्रा ही स्र्ान पर यह स्र्ानांतररत हो जाती है।
वास्तववक मुद्रा कहलाती है। यही मुद्रा देश में वववनमय के माध्यम • उदाहरणः शेयर बाजार में लर्ी ववदेशी मुद्राएं हॉट मनी के उदाहरण
तर्ा सामान्य मूकय मापक के रूप में प्रचवलत होती है। इसे यर्ार्थ हैं।
मुद्रा या साधारण मुद्रा भी कहा जाता है। • प्लावस्टक मुद्रा (Plastic Money) - प्लावस्टक मुद्रा से आशय
• उदाहरणः भारत में प्रचवलत नोट तर्ा वसक्के वास्तववक मुद्रा के वववभन्न बैंकों, वविीय संस्र्ाओं तर्ा अन्य कं पवनयों द्वारा जारी
उदाहरण हैं। वकए र्ए िे विट एवं िेवबि कािथ से है।
• ऐवछिक मुद्रा (Optional Money) - यह वह मुद्रा होती है वजसे • डेवबट काडल (Debit Card) - बैंक खाते में वजतनी धनरावश जमा
भुर्तान के रूप में स्वीकार करना अर्वा ना करना पूणथता भुर्तान होती है, उतनी धनरावश या विर उससे कम धनरावश का समान
प्राप्तकताथ की इछिा पर वनभथ र करता है अर्ाथ त् इस मुद्रा को भुर्तान खरीदने के वलए िेवबट कािथ का प्रयोर् कर सकते हैं।
के रूप में स्वीकार करने के वलए वैधावनक रूप से बाध्य नहीं वकया • क्रेवडट काडल (Credit Card) - बैंक खाते में वजतनी धनरावश जमा
जा सकता। उदाहरणः हुण्िी, प्रवतज्ञा पत्र, वववनमय पत्र। होती है, उससे अवधक धनरावश का समान खरीद सकते हैं। वनवित
• ऐवछिक मुद्रा 2 प्रकार की होती है - समय के भीतर शेष धनरावश बैंक में जमा करनी पड़ती है।
• वैधाविक पत्र अथवा वैधाविक मुद्रा – इससे तात्पयथ उस मुद्रा से ❖ रुपए का इवतहास
है वजसे कानून का समर्थ न प्राप्त है और कोई भी व्यवि इसे • भारत ववश्व वक उन प्रर्म सभ्यताओं में से है जहााँ वसक्कों का
अस्वीकार नहीं कर सकता। प्रचलन लर्भर् िठी सदी ईसापूवथ में शुरू हुआ।
• उदाहरण के वलए भारत की घरेलू सीमा के भीतर कोई भी व्यवि • संस्कृ त में रूप्यकम् का अर्थ है चााँदी का वसक्का। रुपया शब्द सन
वकसी प्रकार के लेन-देन के वलए भारतीय ररजवथ बैंक द्वारा जारी 1540 - 1545 के बीच शेरशाह सरू ी के द्वारा जारी वकए र्ए चााँदी
वकये र्ए 100 ₹ या उससे अवधक के नोटों को लेने से इंकार नहीं के वसक्कों वलए उपयोर् में लाया र्या।
कर सकता।
• रुपयो के कार्ज के नोटो को सबसे पहले जारी करने वालो मे से र्े
• कागजी मुद्रा – इससे तात्पयथ भारतीय ररजवथ बैंक द्वारा जारी करेंसी बैंक ऑफ वहन्दुस्ताि (1770-1832), द जिरल बैंक ऑफ
नोट और वसक्कों से हैं इसका सोने और चााँदी के वसक्कों की तरह बंगाल एंड वबहार (1773-75, वारेि हावस्टग्स द्वारा स्थावपत)
कोई आंतररक मूकय नहीं होता और यह सरकार के आदेश पर और द बंगाल बैंक(1784-91)
प्रचवलत होती है। इस मुद्रा को आदेश मुद्रा भी कहा जाता है।
• सरकार के एकावधकार के अन्तर्थ त पत्र मुद्रा का वनर्थ मन 1861 के
• पत्र मुद्रा को वनर्थ त करने का अवधकार भारतीय ररजवथ बैंक को है बाद हुआ।
जबवक इस पर वलखी र्यी रावश के भुर्तान का अंवतम दावयत्व
भारत सरकार का होता है| • 1935 में पत्र मुद्रा का वनर्थ मन का दावयत्व ररजवथ बैंक ऑि इंविया
को वदया र्या।
बजट
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• संघ लोक सेिा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों के िेतन भत्ते एिं
पेंशन।
• भारतीय संविधान में सीधे तौर पर ‘बजट’शब्द का वजक्र नहीं है, • ऐसे ऋण वजनके वलए भारत सरकार उत्तरदायी हैं जैसे - ऋण,
बवकक इसे संविधान के अनुच्छे द 112 में 'एनुअल फाइनेंवशयल भुगतान ि िसूली से सम्बंवधत अन्य खर्चय (वसंवकं ग फण्ड)।
स्टेटमेंट' कहा गया है। इस में अनुमावनत प्रावियों और खर्चों का उस • अदालत या न्यायवधकरण के फै सले से प्राि पुरस्कार या धन।
साल के वलए सरकार का विस्तृत वििरण होता है।
• अन्य कोई ऐसा खर्चय वजसे संसद कानून द्वारा घोवर्त करे।
❖ बजट के प्रकार
❖ लोक लेिा वनवध
➢ िाविवयिक बजट
• भारत सरकार की ओर से अन्य सािय जवनक धन (संवर्चत वनवध से
• यह िैधावनक रूप से अवनिायय नहीं है। इसमें पररितय न वकया जा
संबंवधत धन को छोडकर) लोक लेखा वनवध में जमा वकए जाएंगे जो
सकता है तथा मध्य काल में भी उसे छोडा जा सकता है ।
इस प्रकार हैं —
• यह लाभ के उद्देश्य संर्चावलत होता है।
• सरकार द्वारा भविष्ट्य वनवध, लघु बर्चत, सडक विकास, प्राथवमक
➢ सरकारी बजट वशक्षा जैसे अन्य विशेर् खर्चय सवम्मवलत होंगे।
• यह सभी सरकारी विभागों के वलए िैधावनक रूप से अवनिायय है। • यह वनवध कायय पावलका द्वारा संर्चावलत की जाती हैं, इसमें वकसी भी
• इसमें आिंवटत धन के आधार पर ही कायय करना होता है इसमें प्रकार के भुगतान के वलए संसद की अनुमवत आिश्यक नहीं हैं।
वकसी भी प्रकार के पररितय न के वलए औपर्चाररक अनुमोदन की ❖ आकवममकता वनवध
आिश्यकता होती है।
• संविधान के अनुच्छे द 267 के अनुसार संसद आकवस्मकता वनवध
• यह लोक ककयाण के उद्देश्य से संर्चावलत होता है। के गठन के वलए अवधकृ त हैं, वजसमे विवध द्वारा समय समय पर धन
• आम बजट में सभी मंत्रालिों के कु ल प्रावििों तथा व्िि का जमा वकया जाएगा।
अनुमान होता हैं, इसमें वनम्नवलवित तीन आंकड़े सवम्मवलत • यह वनवध राष्ट्रपवत के अधीन हैं। यह राष्ट्रपवत के नाम पर वित्त
होते हैं - सवर्चि द्वारा संर्चावलत वकया जाता हैं।
• विगत िर्य वक कु ल िास्तविक आय तथा व्यय। • भारत में लोकवनवध की तरह यह कायय पावलका द्वारा संर्चावलत वकया
• र्चालू िर्य के संसोवधत आंकडे। जाता हैं।
• आगामी िर्य के वलए बजट अनुमान। ❖ सरकारी बजट के घटक
• सरकार वक प्रावििों को संविधान के तीन िातों में रिा जाता हैं • भारत में प्रत्येक वित्तीय िर्य , सरकार की अनुमावनत प्रावियों और
- 1. संवर्चत वनवध; 2. लोक लेखा वनवध; 3.आकवस्मकता वनवध व्ययों का वििरण संसद के समक्ष प्रस्तुत करना एक संिैधावनक
❖ संवित वनवध अवनिायय ता है।
• यह एक ऐसी वनवध हैं वजसमे सभी प्रावियां जमा की जाती हैं तथा • बजट दो प्रकार के होते है -
सभी व्यय वनकाले जाते हैं। • (i) राजस्ि बजट (ii) पूंजीगत बजट
• सरकार द्वारा सभी प्रकार का भुगतान विवधक रूप से इसी फण्ड से
वकया जाता हैं। इस वनवध से संसद की अनुमवत के वबना वकसी भी
प्रकार से धन विवनयोवजत नहीं वकया जा सकता।
• वनम्नवलवित प्रकार के व्िि संवित वनवध में सवम्मवलत हैं -
• राष्ट्रपवत के िेतन और भत्ते।
• राज्य सभा के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष एिं लोक सभा के अध्यक्ष
तथा उपाध्यक्ष के िेतन ि भत्ते।
• सिोच्र्च न्यायलय के न्यायाधीशों के िेतन ि भत्ते।
• उच्र्च न्यायालय के न्यायधीशों के पेंशन।
• भारत के वनयंत्रक एिं महालेखापरीक्षक के िेतन भत्ते एिं पेंशन। • राजमि बजट - राजस्ि बजट में सरकार की र्चालू प्रावियां और उन
प्रावियों से वकए जाने िाले व्यय के वििरण को दशाय या जाता है ।
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• कृ षि क्षेत्र में देश की लगभग आधी श्रमशषि कार्य रत है। हालाांषक • कटाई - मई-जनू
जीडीपी में इसका र्ोगदान 17.5% है (2015-16 के मौजूदा मल्ू र्ों • प्रमुख फसलें - तरबूज, खरबूजा, ककडी, टमाटर, चारा इत्र्ाषद |
पर)। ➢ नकदी फसल
• 1950 के दशक में जीडीपी में कृ षि क्षेत्र का र्ोगदान जहाां 50% था, • वह फसल जो व्र्ापार के उद्देश्र् से षकसानों द्वारा की जाती है । वे
वहीं 2015-16 में र्ह षगरकर 15.4% रह गर्ा (षथथर मूल्र्ों फसलें षजन्हें उगाने का मुख्र् उद्देश्र् व्र्ापार करके धन अषजय त
पर)। करना होता है। षजसे षकसान र्ा तो सांपूणय रूप से बेच देते हैं र्ा षफर
• भारत का खाद्यान्न उत्पादन प्रत्र्ेक विय बढ़ रहा है। आांषशक रूप से उपर्ोग करते है तथा शेि बडा षहथसा बेच देते हैं।
• भारत दुग्ध उत्पादन में पहले और फलों एवां सषजजर्ों के उत्पादन नगदी फसल को व्र्ापाररक फसलें भी कहते है।
में दूसरे थथान पर है। • जैसे - कपास, गन्ना, तांबाकू, जूट इत्र्ाषद।
• 2013 में भारत ने दाल उत्पादन में 25% का र्ोगदान षदर्ा जोषक • मुख्य व्यापाररक फसलें इस प्रकार हैं -
षकसी एक देश के षलहाज से सबसे अषधक है। इसके अषतररि • षतलहन - मूांगफली, सरसों, षतल, अलसी, अण्डी, सूर्यमुखी।
चावल उत्पादन में भारत की षहथसेदारी 22% और गेहां उत्पादन में
13% थी। • शकयरा वाली फसलें - गन्ना, चुकन्दर।
• षपछले अनेक विों से दूसरे सबसे बडे कपास षनर्ाय तक होने के • रेशे वाली फसलें - जटू , मेथटा, सनई और कपास।
साथ-साथ कु ल कपास उत्पादन में भारत की षहथसेदारी 25% है। • उद्दीपक फसलें - तम्बाकू।
❖ कृषि फसलों का प्रकार • पेर् फसलें - चार् और कहवा।
• भारत में मुख्र् तीन फसलें हैं - 1. रबी फसल. 2. खरीफ फसल, • ऊजाा फसल (Energy Crop)
3. जार्द फसल • षजन फसलों को अल्कोहल र्ा बार्ोडीजल बनाने के षलए उगार्ा
➢ 1. रबी की फसल जाता है उन्हें energy crop कहते हैं।
• शीत ऋतु की फसल • Ex - गन्ना, आलू, जटरोफा, मक्का
• बुआई - अक्टूबर - नवम्बर ❖ बायोडीजल
• कटाई - माचय -अप्रेल • बार्ोषडजल जैषवक स्रोतों से प्राप्त तथा डीजल के समतुल्र् इांधन है
• प्रमुख फसलें - गेहूँ , जौ, सरसों, चना, राई, अलसी, मटर, जो परम्परागत डीजल इांजनों को षबना पररवषतय त षकर्े ही चला
सरू जमुखी, जीरा, धषनर्ा, तारामीरा, इत्र्ाषद सकता है।
• नकदी फसल – गन्ना, बरसीम – मवेषशर्ों का चारा • बार्ोषडजल शत्-प्रषतशत नवीनीकरणीर् स्रोतों से बनार्ा जाता है।
र्ह परम्परागत इांधनो का एक थवच्छ षवकल्प है। इसको भषवष्र् का
• मावठ - शीतकालीन विाय (चक्रवातीर् विाय ) रबी की गोल्डन ड्रोप्स|
इांधन माना जा रहा है।
➢ 2. खरीफ की फसल
• भारत का पहला बार्ोडीजल सांर्ांत्र आथरेषलर्ा के सहर्ोग से
• खरीफ फसल मुख्र् रूप से मानसून काल की फसल है। काकीनाडा सेज (KSEZ) में थथाषपत षकर्ा गर्ा है।
• जनू -जुलाई में बोर्ा जाता है और अक्टूबर में काट षलर्ा जाता है। ❖ प्रमुख भारतीय फसलों और उनके उत्पादक राज्यों की
• प्रमुख फसलें - सूची
• खाधान्न - धान, ज्वार, बाजरा, मक्का, फसल भारत की सवााषधक उत्पादक राज्यों के नाम
• दलहन - मूांग, उडद, सोर्ाबीन, लोषबर्ा प्रमुख
• षतलहन - सोर्ाबीन, मूांगफली, सूरजमुखी, तील, अांडी, कपास फसलों
तांबाकू के नाम
अनाज चावल पषिम बांगाल, उत्तर प्रदेश, आन्र प्रदेश,
• सोर्ाबीन दलहन एवां षतलहन दोनों की श्रेणी में आता है। षबहार और पांजाब
• 3. जायद फसल गेंह उत्तर प्रदेश, पांजाब, हररर्ाणा, षबहार,
• रबी और खरीफ के बीच का मौसम मध्र् प्रदेश और राजथथान
❖ परामर्श योजना
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