Shloka 3

You might also like

Download as txt, pdf, or txt
Download as txt, pdf, or txt
You are on page 1of 1

सर्वा बाधा विनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वितः। मनुष्यो मत्प्रसादेन, भविष्यति न शंसयः॥

देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्। रूपं देहि जयं देहि, यशो देहि द्विषो जहि॥

You might also like