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CLASS NOTES

Class: X Topic:
Subject: HINDI व्याकरण: वाच्य(Part-1)

• वाच्य- वाच्य का अर्थ है ‘बोलने का ववषय।’


क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो क्रक उसके द्वारा क्रकए गए ववधान का ववषय कताथ है , कर्थ है या
भाव है, उसे वाच्य कहते हैं।
• दस
ू रे शब्दों र्ें क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो क्रक उसके प्रयोग का आधार कताथ, कर्थ या भाव है,
उसे वाच्य कहते हैं।

• वाच्य के भेद-हहिंदी र्ें वाच्य के तीन भेद र्ाने िाते हैं –


• कर्तवाच्य- जिस वाक्य में कर्ात की प्रमुखर्ा होर्ी है
• कमतवाच्य- जिस वाक्य में कमत की प्रधानर्ा होर्ी है
• भाववाच्य – इस वाच्य में कर्ात अथवा कमत की नह ीं बजकक भाव अथातर् ् क्रिया के अथत की प्रधानर्ा
होर्ी है
• कतव
थ त ाच्य - जिस वाक्य र्ें कताथ की प्रर्ुखता होती है अर्ाथत क्रिया का प्रयोग कताथ के ललिंग, वचन,
कारक के अनुसार होता है और इसका सीधा सिंबिंध कताथ से होता है तब कतव
थ त ाच्य होता है :

कर्व
त ाच्य- कुछ महत्त्वपूर्त र्थ्य
• कतव
थ त ाच्य र्ें अकर्थक और सकर्थक दोनों प्रकार की क्रिया का प्रयोग क्रकया िाता है;
• कताथ के अपनी सार्र्थयथ या क्षर्ता दशाथने के ललए सकारात्र्क वाक्यों र्ें क्रिया के सार् सक के
ववलभन्न रूपों का प्रयोग क्रकया िाता है ; िैसे –
• र्ैं फ्रेंच पढ़-ललख सकता हूूँ ।
• यह कलाकार क्ऱिल्र्ी गीतों के अलावा लोकगीत भी गा सकता है।
• ऐसा सुिंदर स्वेटर सुर्न ही बन सकती है।
• यही र्ज़दरू इस भारी पत्र्र को हटा सकता है।

कर्थवाच्य:-
• जिस वाक्य र्ें कर्थ की प्रधानता होती है तर्ा क्रिया का प्रयोग कर्थ के ललिंग, वचन और
पुरुष के अनुसार होता है और कताथ की जस्र्तत र्ें स्वयिं कर्थ होता है, वहाूँ कर्थवाच्य
होता है।
कर्थवाच्य-कुछ र्हत्त्वपूणथ तर्थय:-
• वाक्यों र्ें क्रिया का प्रयोग कताथ के अनुसार न होकर इनके कर्थ के अनुसार हुआ है ,
अतः ये कर्थवाच्य हैं।
• अन्य उदाहरण –
• र्ोहन के द्वारा लेख ललखा िाता है।
• हलवाई द्वारा लर्ठाइयाूँ बनाई िाती हैं।
• चचत्रकार द्वारा चचत्र बनाया िाता है।
• रूपाली द्वारा कढ़ाई की िाती है।
• तुलसीदास द्वारा रार्चररतर्ानस की रचना की गई। (कताथ + द्वारा)
• इस वाच्य र्ें कताथ के बाद से या के द्वारा का प्रयोग क्रकया िाता है ; िैसे--
• नौकर से चगलास टूट गया। (कताथ + से)
कभी-कभी कताथ का लोप रहता है ; िैस-े --
पेड़ लगा हदए गए हैं।
पत्र भेि हदया गया है।
• कर्थवाच्य र्ें असर्र्थता सूचक वाक्यों र्ें ‘के द्वारा’ के स्र्ान पर ‘से’ का प्रयोग क्रकया
िाता है। ऐसा केवल नकारात्र्क वाक्यों र्ें क्रकया िाता है ; िैसे –
• र्ुझसे अिंग्रेज़ी नहीिं बोली िाती।
• र्ज़दरू से यह भारी पत्र्र नहीिं उठाया गया।

कर्थवाच्य का प्रयोग-
• कर्थवाच्य का प्रयोग तनम्नललखखत स्र्ानों पर भी क्रकया िाता है –
• (i) कायाथलयी या कानूनी प्रयोग र्ें –
हे लर्ेट न पहनने वालों को दिं डित क्रकया िाएगा।
चालान घर लभिवा हदया िाएगा।
• (ii) अशक्तता दशाथने के ललए; िैसे –
अब दवा भी नहीिं पी िाती।
अब तो रोटी भी नहीिं चबाई िाती।
• (iii) िब सरकार या सभा स्वयिं कताथ हो; िैसे –
प्रत्येक घायल को पचास हिार रुपये हदए िाएूँगे।
दालों के तनयाथत का ़िैसला कर ललया गया है।
• (iv) िब कताथ ज्ञात न हो; िैसे –
भ्रष्टाचार को बढ़ावा हदया िा रहा है।
पत्र भेि हदया गया है।
• (v) अचधकार या घर्िंि का भाव दशाथने के ललए; िैसे
ऐसा खाना हर्से नहीिं खाया िाता।
नौकर को बल
ु ाया िाए।
भाव वाच्य-
भाव वाच्य – इस वाच्य र्ें कताथ अर्वा कर्थ की नहीिं बजल्क भाव अर्ाथत ् क्रिया के अर्थ की
प्रधानता होती है; िैसे –
र्रीि से उठा नहीिं िाता।
पहलवान से दौिा नहीिं िाता।
भाववाच्य – कुछ र्हत्त्वपूणथ तर्थय:---
इस वाच्य र्ें प्रायः नकारात्र्क वाक्य होते हैं।
भाववाच्य र्ें अकर्थक क्रिया का प्रयोग होता है।
भाववाच्य र्ें प्रयुक्त क्रिया सदा पुजल्लिंग अकर्थक और एकवचन होती है।
िैसे –
चलो, अब सोया िाय।
ऐसी धूप र्ें कैसे चला िाएगा।
ववधवा से रोया भी नहीिं िाता।
इस र्ोटे व्यजक्त से उठा नहीिं िाता।
चलो , घूर्ने चला िाए।

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