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कबीर
कबीर
कबीर
कबीर ने नगण
ु नराकार ई वर क उपासना पर बल दया | उनका मत था क ान के
वारा ह नराकार म को ा त कया जा सकता है | उ होन कहा क म वयं भ त के
दय म वास करता है | अतः उसे घर-घर म ढूँढने क आव यकता नह ं है – “ हरदै सरोवर है
अ वनासी”
तन र प क र म मन र त क र हौ प च त व बाराती
“वासर सख
ु न रै न सख
ु | ना सख
ु सप
ु ने मा ह |