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Role of Shiromani Akali Dal in Indian Politics
Role of Shiromani Akali Dal in Indian Politics
Volume 6 Issue 3, March-April 2022 Available Online: www.ijtsrd.com e-ISSN: 2456 – 6470
@ IJTSRD | Unique Paper ID – IJTSRD49890 | Volume – 6 | Issue – 3 | Mar-Apr 2022 Page 1993
International Journal of Trend in Scientific Research and Development @ www.ijtsrd.com eISSN: 2456-6470
एसएडी "ारा इसके चुनाव िचs म- एक सम(प I4ु तीकरण Vआ है । एक पूरी तरह से संतुिलत तराजू का िचs दशाता है िक जब
लोकतां ि क अिधकारों और िसखों के िहतों की बात आती है तब यह प पातपूण या पूवाOिहत नहीं होता है । दू सरे श3ों म-, रा]^ीय
अ\सं'कों के आिथक और सामािजक उuान तथा िसखों की लोकता0vक परwराओं और संJृित की सुर ा के िलए एसएडी "ारा
की गयीं मां ग- पूरी तरह से संतुिलत ह: एवं अितशयो0xपूण या नाजायज नहीं ह: । भारतीय संिवधान की संवैधािनक संरचना म- िनदA िशत
सामािजक rाय, बंधुता और धमिनरपे ता के िसyां तों का सzी से पालन करते Vए िशरोमिण अकाली दल दु िनया भर म- िसख
समु दाय की र ा के िलए सभी संभव Iयास करता है ।
प रचय बलिवंदर िसंह भं डर, रा, सभा सां सद
िशरोमिण अकाली दल के ने ता, जो पाट? के रा]^ीय कायकारी भी
रणजीत िसंह ‚ƒपुरा, एसएडी के व[र„ उपाL
ह: , नीचे सूचीबy ह: :
बलवंत िसंह रामू वािलया, व[र„ उपाL और एसएडी के
रा]^ीय Iवxा
अवतार िसंह िहट, एसएडी के महासिचव
दलजीत िसंह चीमा, एसएडी के सिचव और Iवxा[1]
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रा, म- बड़े •ापा[रक घरानों और कॉप—रे ट लॉबी को िवचार-िवमश
िनमं ण दे कर औ•ोिगक िवकास और वृ0y सुिनि˜त की पंजाब की Iमु ख राजनीितक पाट? िशरोमिण अकाली दल ने
जा रही है । पंजाब की राजनीित म- अहम भू िमका िनभाई लेिकन आज अपने
अ045 के िलए संघष करती िदख रही है . भारतीय रा]^ीय
एसएडी रा, म- बेहतर आधारभू त सुिवधाओं के साथ-साथ
कां Oेस भारत म- सबसे पुरानी राजनीितक पाट? है िजसकी
िव™ 4रीय िश ण सं1थानों का िनमाण करके पंजाब के
1थापना साल 1885 म- Vई. उसके करीब 35 साल बाद भारतीय
लोगों के िलए जीवन के बेहतर मानकों को सुिनि˜त करने
क›ु िनW पाट? यानी सीपीआई की 1थापना Vई. सीपीआई की
के िलए Iयास करती है । अपनी नीितयों और Iशासन के
1थपाना के दो महीने बाद िशरोमिण अकाली दल का गठन Vआ.
माLम से, एसएडी पंजाब की आबादी के INेक वग तक
पVं चती है ।
भारतीय ˆाधीनता संOाम का यह वो दौर था जब महाœा गां धी 14 िदसंबर 1920 को अकाली दल का गठन Vआ जो बाद म-
आं दोलन की रीढ़ बन चुके थे . सNाOह और असहयोग आं दोलन िशरोमिण अकाली दल बन गया. िबिपन चं~ िलखते ह: िक महंतों
न िसफ अंOेजी शासन के 0खलाफ हो रहा था ब0• भारतीय के 0खलाफ लोगों म- गु े की कुछ ता¡ािलक वजह- भी थीं.
समाज म- •ाŠ कुरीितयों को समाŠ करने , शोषक जमींदारों से चूंिक इm- ि‚िटश Vकूमत का पूरा समथन िमलता था इसिलए ये
मु 0x, मं िदरों म- दिलतों के Iवेश और गुH"ारों को कुछ लोगों महं त भी सरकार का साथ दे ते थे .
की मु •ी से छु ड़ाने के िलए भी शु ( हो चुका था.[2]
साल 1920 म- ही दो घटनाओं ने आग म- घी डालने का काम
सीपीआई की 1थापना (सी Qां ित से Iभािवत थी जबिक िकया. पहली घटना म- अमृ तसर के ˆण मं िदर से एक फरमान
िशरोमिण अकाली दल पर गां धी की अिहं साœक संघष की नीित जारी Vआ िजसम- िवदे शों म- रहकर अंOेजी सरकार के 0खलाफ
का Iभाव था और िजस तरह से भारतीय रा]^ीय कां Oेस आं दोलन संघष कर रहे गदर आं दोलन से जु ड़े Qां ितका[रयों को िव~ोही
की उपज थी, उसी तरह यह पाट? भी गुH"ारों म- B] महं तों के घोिषत कर िदया गया और दू सरी घटना यह Vई िक साल 1919
0खलाफ Vए संघष और गुH"ारों की मु 0x के िलए चले आं दोलन म- अमृ तसर के जिलयां वाला बाग म- नरसंहार करने वाले जनरल
से जžी थी. गुH"ारों का संचालन उस वx िनजी तौर पर होता डायर को सरोपा भ- ट करके उm- िसख घोिषत कर िदया गया.
था और उनका िनयं ण भी कुछे क महं तों के हाथ म- होता था.
आं दोलन यूं तो अिहं सक रहा ले िकन 20 फरवरी 1921 को
इितहासकार िबिपन चं~ ने अपनी पु4क ‘भारत का ˆाधीनता
ननकाना साहब गुH"ारे म- Iवेश करने की कोिशश रहे
संघष' म- िलखा है िक केश न रखने के कारण मु गल इन महंतों
अकािलयों पर गोली चलाई गई िजसम- बड़ी सं'ा म- लोग मारे
को िहं दू समझते थे और इस वजह से ये महं त मु गलों के
गए. हालां िक अकाली इस गुH"ारे म- Iवेश करने म- सफल रहे .
कोपभाजन होने से बचते रहे . ले िकन समय के साथ ये महं त B]
आं दोलन को अपना समथन दे ने के िलए खु द महाœा गां धी
होते गए और गुH"ारों म- आने वाले चढ़ावे को िनजी संपिe मान
ननकाना साहब पVं चे और उनके साथ मौलाना शौकत अली के
उसका दु Hपयोग करते रहे .
अलावा कई बड़े ने ताओं ने इस आं दोलन के Iित अपनी
1920 के दशक म- इन महं तों के 0खलाफ िसख सुधारकों ने एकजु टता Iदिशत की. अकाली दल और और एसजीपीसी ने
गां धीवादी तरीके से अिभयान चलाया और न चाहते Vए भी अंOेज असहयोग आं दोलन को समथन िदया और ˆतं ता संघष म-
िसख गुH"ारा अिधिनयम, 1925 लाने पर मजबूर Vए. साल कां Oेस और गां धी जी के साथ रहे . साल 1925 म- गुH"ारों का
1920 म- गुH"ारों को महं तों से आजाद कराने के िलए 175 िनयं ण एसजीपीसी के हाथ म- आ गया.
सद}ीय एक टाJ फोस का गठन िकया गया िजसे िशरोमिण
प रणाम
गुH"ारा Iबंधक कमे टी नाम िदया गया.
महाœा गां धी ने आं दोलन के ने ता बाबा खड़ग िसंह को अंOेजों
संघष का ने तृ5 करने , बड़ी सं'ा म- ˆयंसेवकों को आं दोलन "ारा ˆण मं िदर की चािबयां सौंपे जाने की घटना को अंOेजों से
से जोड़ने और आं दोलन को सुिनयोिजत तरीके से चलाने के िलए आजादी के िलए चल रहे संघष म- भारत की पहली जीत बताया.
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करीब बीस साल तक अकाली दल और कां Oेस िमल कर अंOेजों Iकाश िसंह बादल के बेटे सुखबीर िसंह बादल िपछली सरकार
के 0खलाफ संघष करते रहे . 1942 म- भारत छोड़ो आं दोलन से म- रा, के उप मु 'मं ी के साथ पाट? के अL भी रहे .
पहले तक कां Oेस और िशरोमिण अकाली दल की दोहरी सुखबीर िसंह बादल की प€ी हरिसमरत कौर क-~ म- नर- ~ मोदी
सद}ता आम बात थी. यहां तक िक बाबा खड़ग िसंह भी 1922 सरकार म- मं ी भी थीं ले िकन िपछले साल कृिष कानू नों क
म- अकाली दल का अL बनने के बाद भी पंजाब म- कां Oेस के िवरोध म- उmोंने इ4ीफा दे िदया और अकाली दल ने एनडीए से
मह5पूण ने ता रहे. अलग होने की भी घोषणा कर दी. हालां िक कृिष कानू नों की
िसखों की लड़ाई लड़ने वाले िशरोमिण अकाली दल ने साल वापसी के बाद पाट? के एनडीए म- शािमल होने के िफर कयास
1937 म- पहली बार चुनावी मैदान म- कदम रखा और पंजाब म- लगाए जा रहे ह: ले िकन जानकारों का कहना है िक ऐसा होना
10 सीट- हािसल कीं. साल 1947 म- जब मजहब के आधार पर िफलहाल मु0¥ल िदख रहा है .
दे श का बंटवारा Vआ तो िशरोमिण अकाली दल के त¡ालीन सौ साल पुरानी यह पाट? भले ही एक े ीय दल के (प म- ही
Iमु ख माWर तारा िसंह ने इसका िवरोध िकया. [3] पूव खु द को दज करा सकी ले िकन रा]^ीय राजनीित म- भी कई मौकों
रा,सभा सद} तरलोचन िसंह ने कुछ समय पहले संसद म- पर मह5पूण भू िमका िनभाई. िफलहाल प[रवारवाद के संकट से
कहा था िक यिद तारा िसंह ने िवभाजन के समय पािक4ान म- जू झने के अलावा उसे कां Oेस पाट? के साथ साथ आम आदमी
एक िसख रा, के िलए िजjा के कुछ दे ने के बदले कुछ ले ने की पाट? से भी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है . [4]
मं शा को खा[रज न िकया होता तो पूरा पंजाब पािक4ान म- चला
िन र् ष
गया होता. दरअसल साल 1930 से 1965 तक िसख राजनीित के
आम तौर पर सारे पंजाब वािसयों और िवशे ष तौर पर िसखों की
सवAसवा बाबा खड़ग िसंह के उeरािधकारी माWर तारा िसंह ही
सबसे पुरानी पाट? कही जाने वाली िशरोमिण अकाली दल
थे.
(एसएडी), वतमान दौर म- अपने राजनीितक अ045 के सबसे
साल 1950 के दशक म- दे श भर म- भाषाई आधार पर रा,ों के संकटO4 दौर से गुजर रही है । पंजाब म- राजनीित के कई
पुनगठन की मां ग तेज Vई तो इस आं दोलन की आं च पंजाब पर जानकारों के िवचार म- हालाँ िक पाट? ने 1920 म- अपनी 1थापना
भी आई. आं दोलन यहां भी चला ले िकन साल 1956 म- रा, के बाद से कई उथल-पुथल के दौर दे खे ह: , ले िकन मौजू दा समय
पुनगठन आयोग की िसफा[रश पर िजन रा,ों की 1थापना Vई, म- िजस Iकार का संकट है वह अपने आप म- अभू तपूव है ।
उसम- पंजाब का नाम नहीं था. पंजाब को साल 1966 म- अलग
मौजू दा पाट? ने तृ5 (मु 'तया बादल प[रवार) के सामने एक
रा, का दजा िमला और अगले साल Vए िवधानसभा चुनाव म-
गंभीर चुनौती आन पड़ी है , िजसके बारे म- कई लोगों का मानना
िशरोमिण अकाली दल के ने ता गुरनाम िसंह रा, के पहले
है िक िफलवx इस संकट से िनपटने के िलए वे मजबूत 01थित
अकाली मु 'मं ी बने. साल 1975 म- लगे आपातकाल का सबसे
म- नहीं िदखते ह: । अकाली दल का सां गठिनक ढां चा अपे ाकृत
पहला िवरोध िशरोमिण अकाली दल की ओर से िकया गया और
कमजोर Vआ है और उसकी ने तृ5 वैधता दां व पर लगी Vई है ।
Iकाश िसंह बादल, गुरचरण िसंह टोहड़ा, जगदे व िसंह तलवंडी
यह घटनाQम पाट? के शीष1थ ने ताओं की ने तृ5 करने की
जै से कई Iमु ख ने ता िगर‘ार िकए गए थे . अकाली दल के
मता पर गंभीर सवाल खड़े करती है ।
इं िदरा गां धी से [र¢े यहीं से िबगड़ने लगे. इं िदरा गां धी ने सeा म-
लौटने के बाद साल 1978 म- बनी अकाली सरकार को भं ग कर अकाली दल के साथ यह Iिकया 2017 के पंजाब िवधानसभा
िदया. और 2019 लोकसभा चुनावों, िवधानसभा उप-चुनावों के साथ-
साथ शहरी एवं अध-शहरी नगर िनकायों, सिमित और िज़ला
1980 के दशक म- पंजाब अलगाववाद और उOवाद के साये म-
प[रषद के चुनावों म- उसके खराब Iदशन के साथ शु ( हो चुकी
रहा. साल 1984 म- इं िदरा गां धी की हNा के बाद 01थितयां और
थी, भले ही भारतीय जनता पाट? (भाजपा) के साथ इसका
िबगड़ गईं. अकाली दल को भी क£रपंथी राजनीित का सामना
गठबंधन रहा हो।
करना पड़ा ले िकन उOवाद के खाœे के बाद 01थितयां बदलने
लगीं और िशरोमिण अकाली दल एक बार िफर मु ' धारा की अकाली दल के धूिमल Iदशन ने इसके शीष ने तृ5 के बदतर
राजनीित म- सिQय हो गई. कभी कां Oेस के साथ रहने वाली पाट? Iबंधन कौशल की कलई खोलकर रख दी है । इसके साथ-साथ
अब कां Oेस की मु ' Iित"ं "ी पाट? हो गई और साल 1996 म- हाल के वष‰ म- , संसद के भीतर तीन क-~ीय कृिष कानू नों पर
भारतीय जनता पाट? के साथ गठबंधन करके रा]^ीय जनतां ि क इसके समथन के चलते पाट? की सम}ाएं और भी अिधक बढ़
गठबंधन म- शािमल हो गई जो िपछले साल कृिष कानू नों के गई ह: ।
0खलाफ शु ( Vए िकसान आं दोलन की शु Hआत तक चलता
पहले पहल, अकाली दल ने क-~ म- भाजपा ने तृ5 वाले रा]^ीय
रहा.
जनतां ि क गठबंधन का िह ा होने के नाते इस िवधेयक की
पंजाब म- िशरोमिण अकाली दल कई बार सeा म- रही है ले िकन वकालत की और समथन िकया था। बाद म- , नर- ~ मोदी सरकार
साल 1970 म- Iकाश िसंह बादल के मु 'मं ी बनने के बाद से म- इसकी एकमा Iितिनिध, हरिसमरत कौर बादल को इ4ीफ़ा
पाट? म- पूरी सeा उनके प[रवार के ही पास क-ि~त हो गई है . दे ना पड़ा और िकसानों के िवरोध Iदशनों के बढ़ते दबाव को
साल 1992 म- िशरोमिण अकाली दल ने िवधानसभा चुनाव का दे खते Vए पाट? ने एनडीए से अपना समथन वापस ले िलया।[5]
बिह¤ार कर िदया, ले िकन साल 1997 म- बीजे पी के साथ
इस बात को याद िकया जा सकता है िक अकाली दल जनसंघ
िमलकर भारी बVमत से सeा म- वापसी की. तब से ले कर साल
और बाद म- भाजपा के सबसे पुराने सहयोिगयों म- से एक रही है।
2021 तक पाट? ने तीन बार सरकार- बनाईं और तीनों बार
ले िकन आज के िदन हालात एक ऐसे दौर म- पVँ च गए ह: िक
Iकाश िसंह बादल ही मु 'मं ी बने.
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अr पारं प[रक दलों के ने ताओं की तरह ही अब अकाली ने ता ”े य िदया गया। उस जीत ने सरकारी मशीनरी और पाट? के
भी िकसानों एवं अr लोगों के गु े के डर से आगामी उपर बादलों के पूण िनयं ण की ओर उžु ख िकया, िजसके
िवधानसभा चुनावों म- समथन हािसल करने के िलए Oामीण एवं चलते अंततः पाट? के भीतर कुछ ही हाथों म- सeा का पूण
अध-शहरी इलाकों का दौरा करने से बचते िदख रहे ह: । के-ीयकरण हो गया, और पाट? म- भत? Vये नए रं ग(टों के
"ारा सभी 4रों पर आतंक का िवक-~ीकरण कर िदया गया।
अकाली दल को गंभीर झटका तब लगा जब सुखदे व िसंह
ढींढसा, मनिजं दर िसंह िसरसा, सेवा िसंह सेखवां , रणजीत िसंह सादगी के 1थान पर गुंडागद? की एक नई संJृित ने पाट? की
‚ƒपुरा सिहत कई अr Iमुख ने ताओं ने या तो अपनी खु द की मू ल भावना को कु®ला िदया। अकाली दल कभी िसyां तों पर
पाट? बनाने या अr दलों म- शािमल होने के िलए पाट? छोड़ दी। चलने वाली पाट? Vआ करती थी िजसका बिलदानों का
ने ताओं के इस तरह लगातार पलायन ने शीष ने तृ5 के सामने गौरवशाली इितहास रहा है । यह भारत के सबसे पुराने े ीय
मु सीबतों का अंबार खड़ा कर िदया है । राजनीितक दलों म- से एक है जो 1920 म- अ045 म- आ गई
थी। पाट? की मू ल उŽिe ही ˆतं ता-पूव भारत म- दमनकारी
अकाली दल म- वतमान संकट की शु Hआत को जानने के िलए
एवं िनरं कुश बतानवी शासन और इसी तरह की [रयासतों के
2007 से इसे दे खा जा सकता है जब पाट? के कई व[र„ और
0खलाफ संघष म- Vई थी। 1975 म- आपातकाल के दौरान इं िदरा
टकसाली (लं बे समय से Iमािणत) नेताओं की अनदे खी करते Vए
गाँ धी के दमनकारी शासनकाल के 0खलाफ पाट? का मोचा
पाट? अL , सुखबीर िसंह बादल को उनके िपता Iकाश िसंह
समकालीन दौर म- अतुलनीय रहा है ।
बादल के "ारा पाट? ने तृ5 की कमान सौंप दी गई थी। इस
घटनाQम ने रणजीत िसंह ‚ƒपुरा, रतन िसंह अजनाला (पूव 10 वष‰ के अकाली दल के शासन (2007-2017) के
लोकसभा सद}ों), सुखबीर बादल के चचेरे भाई और बादल प[रणामˆ(प िकसानों की िवनाशकारी 01थित, िबगडती
सरकार म- त¡ालीन िवe मं ी मनIीत िसंह बादल और राजकीय अथ•व1था और बढ़ते कज, बढ़ते ड^ग ने टवक,
रा,सभा सां सद सुखदे व िसंह ढींडसा जै से कई पाट? के िद§जों B]ाचार के 4रों म- लगातार वृ0y, सव—¯ नयायालय म-
को नाराज कर िदया था। ह[रयाणा के 0खलाफ सतलु ज-यमु ना िलं क मामले म- िमली हार,
गुंडागद? और कुछ 1थानीय अकाली ने ताओं का अहं कार, रा,
इन ने ताओं के पाट? से नाता तोड़ने के बाद कई मL-Qम के
प[रवहन, शराब, रे त और बजरी मािफया पर एकछ राज,
ने ताओं के इ4ीफों का दौर शु ( हो गया। इनम- से अिधकाँ श
िविभj 1थानों पर गुH Oंथ सािहब (िसखों की पिव पु4क) की
ने ता हाल के िदनों म- भाजपा म- शािमल हो गए ह: । हालाँ िक कुछ
बे-अदबी (अपमान) के (प म- बढ़ती धािमक असिह°ु ता ने
पुराने ने ताओं ने सिQय राजनीितक जीवन से सrास ले ने के
वतमान दौर म- अकाली दल की 01थित को बद से बदतर बना
पीछे ˆा¨ एवं वृyाव1था का हवाला िदया है , ले िकन असल
डाला है ।[6]
बात तो कुछ और ही थी। उनम- से अिधकां श को आने वाले िदनों
म- अकाली दल म- कोई भिव© नहीं िदख रहा था 8ोंिक 2017 आगामी िवधान सभा चुनावों (20 फरवरी को) म- अकाली दल के
िवधानसभा चुनावों और उसके बाद Vए कई चुनावों म- लोगों ने और भी हािशये पर चले जाने के आसार साफ़-साफ़ नजर आ
पाट? को बुरी तरह से खा[रज कर िदया गया था। यह िसफ 15 रहे ह: । पंजाब के आम लोगों का oढ मत था और यकीन है िक
सीट- ही जीत सकी थी और इसकी जगह आम आदमी पाट? श0xशाली बादल प[रवार और उसके करीबी [र¢े दार किथत
(आप) ने सदन म- मु ' िवप ी पाट? का 1थान Oहण कर िलया तौर पर मादक पदाथ‰ की तJरी, खनन और शराब मािफया,
था। जन-िवरोधी गितिविधयों, राजनीितक Iितशोध इNािद म- हाथ
था। 2017 म- लोकनीित "ारा िकये गये चुनावोपरां त सवA ण म-
अकाली दल म- इस िनरं तर पतन और इसकी संरचना सभी 4रों
भी यह बात पूरी तरह से ±] हो गई थी। यह पहली बार था िक
पर पूरी तरह से उजागर हो चुकी है । पाट? के 100 वष‰ के
मु 'मं ी पद के उlीदवार के तौर पर Iकाश िसंह बादल की
इितहास म- यह बात भी अपनेआप म- अभू तपूव है िक एक बेटे
लोकिIयता 1997 के बाद से सबसे िनचले 4र पर पVँ च गई
को उसके िपता के "ारा ही पाट? की कमान सौंपी गई हो।
थी।
कई वष‰ से बादल प[रवार के "ारा बड़े पैमाने पर उन नए लोगों
दमनकारी शासन के 0खलाफ आम लोगों के मू क िव~ोह की
को भत? करके पाट? और सरकार पर अपनी पकड़ को मजबूत
वजह से एक दशक तक सeा म- बने रहने के बाद अकािलयों को
करने का काम िकया गया है , जो शीष ने तृ5 के Iित अपनी पूण
जबद4 सeा िवरोधी लहर का सामना करना पड़ा था। यह
िन„ा भाव रखते ह: । यह सब टकसाली ने तृ5 को हािशये पर
सeा(ढ़ बादल कुल और उन लोगों के 0खलाफ एक िनजी
रखने के िलए िकया गया था। युवा ि‚गेड की कमान सुखबीर
दु ²नी की लहर थी, जो हर 4र पर गुंडागद? म- शािमल थे।
िसंह बादल के बहनोई िबQमजीत िसंह मजीिठया के हाथों सुपुद
उm- ऐसे धूत ितकड़मबाज राजनीितXों के तौर पर दे खा जाने
कर दी गई, जो खु द 2007 चुनावों के दौरान ही सिQय Vए थे ।
लगा िजmोंने अपने तु³ िनजी ˆाथ‰ के िलए समू ची राजनीितक
इस IिQया का नतीजा यह Vआ िक पाट? के भीतर व[र„ IिQया को अप´त कर िलया था।
ने ताओं सिहत समझदार कायकताओं को पूरी तरह से हािशए
आम लोगों के बीच म- यह धारणा घर कर गई थी िक िशरोमिण
पर डाल िदया गया, और उनकी जगह संिदª साख रखने वाले
अकाली दल ने कायकाल की लू ट को साझा करने के िलए
लोगों ने ले ली। असल म- दे ख- तो 2012 िवधानसभा चुनावों म-
करीिबयों और िव4ा[रत प[रवार के लोगों और िम ों के एक
अकािलयों की जीत ने ने तृ5 के संकट को टालने का ही काम
िनजी µब म- त3ील कर िदया है । संभवतः यही वजह थी
िकया, और िजसके प[रणामˆ(प नए ने तृ« को उन चुनावों म-
जीत और पाट? Iबंधन दोनों ही मामलों म- Iबंधन कौशल का
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िजसके चलते बादलों और व[र„ अकाली ने ताओं पर िपछले बादलों ने मनमाने तरीके से संगठन के भीतर लोकतां ि क
िवधानसभा चुनावों के दौरान कई दफा शारी[रक हमले भी Vए। Iिकया को ताक पर रख िदया है । पाट? और िशरोमिण गुH"ारा
Iबंधक कमे टी के भीतर हर एक फैसले को िनयंि त करके
सबसे चौंका दे ने वाला उदाहरण उनके अपने खु द के िनवाचन
बादल प[रवार ने पाट? म- िकसी भी अr ने ता के िलए कोई जगह
े ला¶ी थाट म- मु 'मं ी जू ते से हमला था, िजसम- कुछ
नहीं छोड़ी है।
[रपोट‰ के मु तािबक उनका च²ा टू ट गया था। इसी तरह उनके
बेटे और त¡ालीन उप—मु 'मं ी (सुखबीर) के लाव-ल¥र बादलों की तानाशाही के 0खलाफ पाट? के भीतर के लोगों म-
पर उनके िवधानसभा े म- पथराव की घटना Vई थी। भारी गु ा बना Vआ है । भाजपा के साथ अकाली दल के घिन„
संबंधों को दे खते Vए अभी भी इसे संदेहा की नजरों से दे खा
एक अr घटना म- , अकाली दल के एक व[र„ ने ता और
जाता है । तीन कृिष कानूनों के म¹े पर पाट? के "ारा मोदी
त¡ालीन सां सद की पगड़ी िनकाल दी गई थी, और त¸
सरकार से िकनारा कर ले ने के बाद भी इसे अपन खोई Vई
दमदमा सािहब के बाहर एक मं ी और उनके बेटे का एक भौंडे
राजनीितक जमीन को वापस पाने म- मदद नहीं िमल सकी है ।
शोरगुल म- घेराव िकया गया था जहाँ से उm- पुिलस के "ारा
धािमक बेअदबी, पिव Oंथ के पjों को फाड़ने आिद की िविभj
बचाया गया था। ये सभी चीज- पाट? के भिव© के शु (आती
घटनाओं के चलते इसने अपने मू ल पंिथक (सामु दाियक ने तृ5)
संकेत थे ।
के समथन आधार को भी खो िदया है ।
अकािलयों, िजmोंने हमे शा से अपने राजनीितक एज- डे को आगे
हािलया घटनाQम, जै से िक िबQमजीत िसंह मजीिठया के
बढ़ाने के मकसद से िसख धम का बेहद चतुराई से इ4े माल
0खलाफ मादक पदाथ‰ वाले मु¹े से संबंिधत मामला भी अकाली
िकया है , वे भी भरोसा करने वालों की नजरों म- िगर गये और
ने तृ5 के िलए शिम¼ दगी की 01थित पैदा कर रहा है और
उm- गुH Oंथ सािहब को अपिव करने और अr घटनाओं
कायकताओं पर इसका मनोबल िगराने वाला Iभाव पड़ रहा है ।
िजनसे उनकी धािमक भावनाएं आहत होती ह: के िलए िजlेदार
माना जा रहा है । िसखों के बीच म- आम लोगों को लगता है िक कुलिमलाकर दे ख- तो पंजाब के मौजू दा हालात इस बात की ओर
अकाली ने तृ5 वाली सरकार बे—अदबी मु ¹े को संबोिधत न इशारा कर रहे ह: िक आने वाले चुनावों म- पाट? को एक बार िफर
करने के िलए िजlेदार थी और िसख धम की भावनाओं का से बड़ी शिम¼ दगी का सामना करना पड़ सकता है । अकाली
आदर करने म- िवफल रही है । इस वजह से, पंजाब के लोगों के ने तृ5 को पाट? के पतन पर आœमं थन करने की ज(रत है ,
बीच म- अकािलयों ने अपना धािमक आधार खो िदया है । िजसका गौरवशाली अतीत रहा है , और एक वो समय भी था जब
इसके "ारा भारत म- सभी े ीय दलों का ने तृ« कर रा,ों को
बेअदबी का मु ¹ा कां Oेस के काम आया, िजसने इसका इ4े माल
अिधक ˆायeता सुिनि˜त करने , क-~-रा, संबंधों के पुनगठन
राजनीितक उ¹े p को Lान म- रखते Vए अकाली ने तृ5 को
और भारत म- लोकतां ि क एवं धमिनरपे मू½ों को मजबूत
और भी अिधक हतोºािहत करने के िलए िकया। बाद म- ,
करने म- अOणी भू िमका Vआ करती थी।[7]
िवधानसभा के िवशे ष स के दौरान बेअदबी के मु ¹े पर अकाली
िवधायकों का rायाधीश रं जीत िसंह की [रपोट पर चचा से भाग संदभ
खड़े होना, सदन की कायवाही तक का सामना न कर पाने की [1] जलाल, आयशा (1994) [पहली बार 1985 म- Iकािशत],
01थित ने सावजिनक तौर पर इसके ने तृ5 की कमजोरी को द सोल ±ोCमै न: िजjा, द मु 0Zम लीग एं ड द िडमांड
उघाड़कर रख िदया था। फॉर पािक4ान , कै0¾ज यूिनविसटी Iेस, आईएसबीएन
अकाली दल के शीष ने तृ5 के "ारा एक के बाद भारी भू ल की 978-0-521-45850-4
जाती रही। सबसे पहले , इसने Oंथी को िसरसा के डे रा स¯ा [2] जलाल, आयशा (2002), ˆ और संIभु ता: 1850 से
सौदा Iमु ख को मादान दे ने के िलए मजबूर िकया, और बाद म- दि ण एिशयाई इZाम म- •0xगत और समु दाय ,
आम लोगों के आQोश को दे खते Vए अपने फैसले को र¹ कर (टले ज, आईएसबीएन 978-1-134-59937-0
िदया, िजसके चलते पाट? और इसके ने तृ5 की छिव को ब£ा
लगा, िजनकी आलोचना ऐसे अहम धािमक मु ¹ों से िनपटने के [3] टै लबोट, इयान (1998), पािक4ान: ए मॉडन िहW^ ी , स-ट
िलए की गई थी। मािटन Iेस, ISBN 978-0-312-21606-1
इन घटनाओं ने िदखा िदया िक अकाली ने तृ5 के "ारा न िसफ [4] हरिजं दर िसंह िदलगीर। िसख तवारीख । िसख
अप[रप»ता का प[रचय िदया गया, ब0• इसम- गुHचरण िसंह यूिनविसटी Iेस, बे0Ãयम, 2007। 5 खंड (पंजाबी म-)
तोहड़ा, जगदे व िसंह तलवंडी, लोंगोवाल आिद जै से प[रप» [5] हरिजं दर िसंह िदलगीर। िसख इितहास । िसख
ने ताओं के िवचारशील सलाह का भी अभाव था। यूिनविसटी Iेस, बे0Ãयम, 2010-11। 10 खंड
लगता है मोदी ‚ां ड वाली राजनीित के साथ अकािलयों के [6] हरिजं दर िसंह िदलगीर। िशरोमिण अकाली दल (1920-
गठबंधन ने भी हाल के िदनों म- उनकी अलोकिIयता म- बढोeरी 2000) । िसख यूिनविसटी Iेस, बे0Ãयम, 2001।
करने का काम िकया है ।
[7] हरिजं दर िसंह िदलगीर। नवान महान कोष (िदलगीर
अकाली दल म- मौजू दा संकट और इसके ने तृ5 के 0खलाफ कोष, ) । िसख यूिनविसटी Iेस, इं Ä:ड।
गु ा इसिलए भी गहरा गया है 8ोंिक िपछले कई वष‰ से
@ IJTSRD | Unique Paper ID – IJTSRD49890 | Volume – 6 | Issue – 3 | Mar-Apr 2022 Page 1998