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NCERT Solutions For Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 - Dukh Ka Adhikar
NCERT Solutions For Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 - Dukh Ka Adhikar
NCERT Solutions For Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 - Dukh Ka Adhikar
Hindi
Chapter 1 – यशपाल
उत्तर:- किसी व्यक्ति िी पोशाि िो दे ख िर हमें समाज में उसिी है कसयत वह उसिे
अकििारोों िी अनुभूकत होती है , अथवा वह अमीर या गरीब है इसिी पहचान होती है |
2. िरबूजे बेचिे वाली स्त्री से कनई िरबूज़े क्यनों िही ों िरीद रहा था?
उत्तर:- उसिे पुत्र िे दे हाों त िी वजह से िोई उससे खरबूज़े नहीों खरीद रहे था |
उत्तर:- स्त्री िो दे खिर ले खि िा मन परे शान हो गया | उनिे मन में उसिे प्रकत दया िी
भावना िा उजागर हुआ |
उत्तर:- उस स्त्री िा बेटा एि कदन मुुँह – अुँिेरे खेत में से बेलोों से खरबूज़े चुन रहा था कि
कगली कमट्टी िी शीतलता में आराम िरते हुए साों प पर उसिा पैर पड़ गया और साुँ प ने उसिे
बेटे िो डुँ स कलया।ओझा िे झाड़- फूुँि आकद िा उस पर िोई असर न हुआ और उसिा
दे हाों त हो गया |
उत्तर:- बुकियािे बेटे िा दे हाों त हो गया था इसकलए बुकिया िे उिार कलए गए पैसे वापस िरने
िी सम्भावना नहीों थी | िारणवश बुकिया िो िोई उिार नहीों दे ता था |
उत्तर:- मनुष्य िे जीवन में पोशाि िा सवाा किि महत्त्व है | पोशाि ही मनुष्य िा समाज में
दजाा अथवा अकििार कनिाा ररत िरती है | पोशाि ही व्यक्ति िो ऊुँच - नीच िी श्रेणी में
वगीिृत िरती है | बहुत बार अच्छी पोशािें व्यक्ति िी किस्मत िे बोंद दरवाज़े खोल दे ती है
| सम्मान कदलाती हैं |
उत्तर:- जब हमारे सामने िोई ऐसी क्तथथकत आती है िी हमें किसी दु ुः खी व्यक्ति िे साथ साों त्वना
प्रिट िरनी होती है , लेकिन उसे छोटा समझ िर उससे बात िरने में कहचकिचाते हैं | उसिे
साथ सान्त्त्वना ति प्रिट नहीों िर पाते | हमारी पोशाि उसिे िरीब जाने में तब बोंिन और
अड़चन बन जाती है |
उत्तर:- वह स्त्रीकसर िो घुटनोों पर कटिाए हुए फफि-फफि िर रो रही थी। उसिे बेटे िी
मृत्यु िी वजह से लोग उससे खरबूज़े नहीों ले रहे थे | उसे बुरा भला िह रहे थे | उस स्त्री िो
दे खिर ले खि िा मन कचोंकतत हो उठा | उनिे मन में उसिे प्रकत साों त्वना िी भावना जागृत
10. लड़के की मृत्यु के दू सरे ही नदि बुनिया िरबूज़े बेचिे क्यनों चल पड़ी?
उत्तर:- बुकिया अपने बेटे िे दे हाों त शोि तो जताना चाहती थी ले किन उसिे घर िी क्तथथकत
उसे ऐसा िरने नहीों दे रही थी | इसिा सबसे बड़ा िारण है िन िी िमी | उसिे बेटे भगवाना
िे बच्चे भूख से कबलकबला रहे थे | बहू बीमार थी | यकद उसिे पास िन होता , तो वह िभी भी
सूति में खरबूजे बेचने बाज़ार नहीों जाती |
12. बाज़ार के लनग िरबूज़े बेचिेवाली स्त्री के बारे में क्या-क्या कह रहे थे? अपिे शब्नों
में नलखिए।
उत्तर:- िन िी िमी िी वजह से बेटे िे दे हाों त िे अगले ही रोज़ बुकिया िो खरबूज़े बेचने
बाज़ार आना पड़ता है | बाज़ार िे लोग उसिी पररक्तथथकत िो अनदे खा िरते हुए उसे बुरा -
भला िहते हैं , िोई घृणा से दे खिर बातें िह रहा था , िोई उसिी नीयत िो िोस रहा था
, िोई रोटी िे टु िड़े पर जान दे ने वाली िहता , िोई िहता इसिे कलए ररश्ोों िा िोई
महत्त्व नहीों है , दू िान वाला िहता यह िमा ईमान कबगाड़िर अिमा फैला रही है | इसिा
खरबूज़े बेचना सामाकजि रूप से गलत है | इन कदनोों उसिा सामान िोई भी छूना ति नहीों
चाहता था |
उत्तर:- ले खि उस पुत्र - कवयोकगनी िे दु ुः ख िा अोंदाज़ा लगाने िे कलए बीते वर्षा अपने पड़ोस
में पुत्रिी मृत्यु से दु ुः खी माता िी बात सोचने लगा। वह सोंभ्ाों त मकहला पुत्र िी मृत्यु िे बाद
अिाई मास ति पलों ग से उठ न सिी थी।उन्हें पोंद्रह-पोंद्रह कमनट बाद पुत्र-कवयोग िे िारण
बेहोश हो जाती थी | दो-दो डॉक्टर हरदम पास बैठे रहते थे।पूरे शहर िे व्यक्तियोों िा मनपुत्र
शोि से द्रकवत हो उठा |
16. इस पाठ का शीर्ाक ‘दु ुः ि का अनधकार’ कहााँ तक साथाक है? स्पष्ट कीनजए।
उत्तर:- इस िहानी में बुकिया िे कवर्षय में बताया गया है | िन िी िमी से बेटे िा दे हाों त िे
अगले कदन ही बुकिया िोखरबूजे बेचने बाज़ार जाना पड़ता है | बाज़ार िे लोग उसिी क्तथथकत
िो अनदे खा िरते हुए ,उस बुकिया िो बहुत ही बुरा - भला िहते हैं ,िोई घृणा सेथूििर
बेहया िह रहा था तो िोई उसिी नीयत िो िोस रहा था तो िोई रोटी िे टु िड़े पर जान
दे ने वाली बोलता , िोई िहता इसिे कलए ररश्ोों िा िोई महत्व ही नहीों है ,। दु िान वाला
िहता कि यह िमा ईमान कबगाड़िर अिमा मचा रही है | इसिा खरबूजे बेचना समाज िे कलए
एि अपराि है | इन कदनोों िोई भी उसे खरबूजे छूना भी नहीों चाहता था | अगर उसिे पास
िन होता तो वह िभी भी सूति में सौदा बेचने बाज़ार नहीों जाती |
दू सरी तरफ ले खि िे पड़ोस में एि सोंभ्ाों त मकहला रहते थी , कजसिे बेटे िा दे हाों त हो गया
था | उस मकहला िे पास शोि मनाने िे कलए बहुत समय था | वह ढाई महीने से कबस्तर पर थी
, और डॉक्टर हमेशा कसरहाने ही बैठा रहता था |
उत्तर:- यह िहानी समाज में फैले अोंिकवश्वास और ऊुँच-नीच िे बीच िे भेदभाव िो उजागर
िरती है | यह िहानी अमीरोों िे अमानवीय व्यवहार िो दशााती है | गरीबोों िी लाचारी िो
दशाा ती है | मनुष्य िी वेशभूर्षा होने अलग-अलग भागोों में बाों टती है | प्रायुः वेशभूर्षा ही मनुष्य
िो समाज में उसिे िाया और दजाा कनकित िराती है | वह हमारे कलए बहुत से 1 दरवाजे खोल
दे ती है , ले किनिभी ऐसी क्तथथकत आ जाती है , कि हम जरा नीचे झुि िर समाज िी कनचली
जाकतयोों िी अनुभूकत समझना चाहते हैं | उस समय यही वेशभूर्षा उनिा बोंिन और अड़चन
बन जाती है | जै से हवा िी लहरें िटी हुई पतों ग िो सहसा जमीन पर कगरने नहीों दे ती , उसी
तरह अलग-अलग क्तथथकतयोों में हमारी वेशभूर्षा हमें झुिने नहीों दे ती |
उत्तर:- समाज में रहते हुए सभी व्यक्तियोों िो कनयमोों, िानूनोों व परों पराओों िा पालन िरना
पड़ता है | रोजमराा िी जरूरतोों से अकिि महत्व जीवन िे मूल्ोों िो कदया जाता है | यह वाक्
गरीबोों पर एि गहरा तोंज है | गरीबोों िो अपने भूख िे कलए िन िमाने रोज ही जाना पड़ता है
, भले ही घर में मृत्यु ही क्ोों ना हो गई हो | ले किन िहने वाले सहानुभूकत न रखिर यह िहते
हैं कि रोटी ही इनिा ईमान है , ररश्े नातोों िा इनिे कलए िोई महत्व ही नहीों है |
उत्तर:- यह तोंज अमीरी पर है , क्ोोंकि समाज में अमीरोों िे पास शोि मनाने िा समय और
सुकविा दोनोों ही है | इसी िारण वह शोि मनाने िा कदखावा भी िर पाता है उसे अपना
अकििार समझता है | शोि िरने , दु ख मनाने िी सहूकलयत भी चाकहए | दु ख में मातम हर
व्यक्ति मनाना चाहता है चाहे वह अमीर हो या गरीब | अोंतुः गरीब कववश होता है | वह रोजी
रोटी िमाने िी उलझन में ही लगा रहता है | उसिे पास शोि मनाने िा न ही वि होता है
• भार्ा-अध्ययि: -
ध्याि दन नक ङ् , ञ्, ण्, ि् और म् ये पााँचनों पों चमाक्षर कहलाते हैं । इिके नलििे की
नवनधयााँ तु मिे ऊपर दे िी– इसी रूप में या अिुस्वार के रूप में। इन्हें दनिनों में से नकसी
भी तरीके से नलिा जा सकता है और दनिनों ही शुद्ध हैं । हााँ, एक पों चमाक्षर जब दन बार
आए तन अिुस्वार का प्रयनग िही ों हनगा; जैसे– अिा, अन्न आनद। इसी प्रकार इिके बाद
यनद अोंतथथ य, र, ल, व और ऊष्म श, र्, स, ह आनद हनों तन अिुस्वार का प्रयनग हनगा,
परों तु उसका उच्चारण पों चम वणों में से नकसी भी एक वणा की भााँनत हन सकता है ; जैसे–
सोंशय, सोंरचिा में ‘ि्’, सोंवाद में ‘म्’ और सोंहार में ‘ङ् ’ ।
( ंों ) यह नचह्न है अिुस्वार का और ( ंाँ ) यह नचह्न है अिुिानसक का। इन्हें क्रमशुः नबोंदु
और चोंद्र-नबोंदु भी कहते हैं । दनिनों के प्रयनग और उच्चारण में अोंतर है । अिुस्वार का प्रयनग
व्योंजि के साथ हनता है अिुिानसक का स्वर के साथ।
ध्यान दो कि ङ्, ञ्, ण् , न् और म् ये पाुँ चोों पोंचमाक्षर िहलाते हैं । इनिे कलखने िी कवकियाुँ
तु मने ऊपर दे खीों– इसी रूप में या अनुस्वार िे रूप में। इन्हें दोनोों में से किसी भी तरीिे से
कलखा जा सिता है और दोनोों ही शुद्ध हैं । हाुँ , एि पोंचमाक्षर जब दो बार आए तो अनुस्वार
िा प्रयोगनहीों होगा; जैसे– अम्मा, अन्न आकद। इसी प्रिार इनिे बाद यकद अोंतथथ य, र, ल,
व और ऊष्म श, र्ष, स, ह आकद होों तो अनुस्वार िा प्रयोग होगा, परों तु उसिा उच्चारण पोंचम
वणों में से किसी भी एि वणा िी भाुँ कत हो सिता है ; जै से– सोंशय, सोंरचना में ‘न्’, सोंवाद में
‘म्’ और सोंहार में ‘ङ्’ ।
( ंों ) यह कचह्न है अनुस्वार िा और ( ंुँ ) यह कचह्न है अनुनाकसि िा। इन्हें क्रमशुः कबोंदु और
चोंद्र-कबोंदु भी िहते हैं । दोनोों िे प्रयोग और उच्चारण में अोंतर है । अनुस्वार िा प्रयोग व्योंजन
िे साथ होता है अनुनाकसि िा स्वर िे साथ।
ईमाि ....................
बदि ....................
अोंदाज़ा ....................
बेचैिी ....................
गम ....................
दज़ाा ....................
ज़मीि ....................
बरकत ....................
गम .................... दु ुः ख , पीिा
उदाहरण: बेटा-बेटी
बोंद दरवाज़े िनल दे िा, निवााह करिा, भूि से नबलनबलािा, कनई चारा ि हनिा, शनक
से द्रनवत हन जािा।
• बोंद दरवाजे िनल दे िा - उन्नकत में रुिावट िे तत्व हटने सेबोंद दरवाजे खुल जाते हैं
।
तड़प-तड़पकर नलपट-नलपटकर
उत्तर:- ि )
ख)
हैं ।
(ि) 1. अरे जैसी िीयत हनती है, अल्ला भी वैसी ही बरकत दे ता है।
उत्तर:- ि )
ख)