Professional Documents
Culture Documents
Sapno Ke Se Din
Sapno Ke Se Din
प्र1. कोई बी बाषा आऩसी व्मवहाय भें फाधा नहीॊ फनती −ऩाठ के ककस अॊश से मह
लसद्ध होता है ?
उत्तय− रेिक फताते हैं कक फचऩन भें उनके आधे से अधधक साथी याजस्थान मा
हरयमाणा के थे।फचऩन भें रेिक को उनकी फात सभझ भें नहीॊ आती थी।इसलरए
वे कई फाय उनकी फोरी की हॉ सी बी उड़ाते थे। ऩयन्तु जफ फच्चे आऩस भें लभरकय
िेरते थे औय िेरते सभम एक−दस
ू ये की फात अच्छी तयह सभझ रेते थे।
धीये −धीये वे एक दस
ू ये की फात आसानी से सभझ जाते थे।इससे मह लसद्ध होता है
कोई बी बाषा आऩसी व्मवहाय भें फाधा नहीॊ फनती।
प्र 2. ऩीटी साहफ की ‘शाफाश’ फ़ौज के तभगों−सी क्मों रगती थी? स्ऩष्ट कीजजए।
Page 1 of 6
प्र 3. नमी श्रेणी भें जाने औय नमी कापऩमों औय ऩयु ानी ककताफों से आती पवशेष
गॊध से रेिक का फारभन क्मों उदास हो उठता था?
उत्तय− नई श्रेणी भें जाते सभम छात्र िुश हो जाते हैं औय उत्साह से बय उठते हैं
ऩयन्तु रेिक उदास हो जाता था।उसका कायण था रेिक के भन भें नए
अध्माऩकों की भाय−ऩीट का डय तथा ऩढ़ाई का भजु श्कर होना। रेिक गयीफ
ऩरयवाय से था। फार भनोपवऻान के अनस
ु ाय रेिक को ऩता था कक वह नई ऩस्
ु तकें
नहीॊ ियीद सकता। उसे ऩयु ानी ककताफों औय नई कापऩमों से एक अजीफ प्रकाय की
गॊध आती थी।
अथवा
Page 2 of 6
‘सऩनों के टदन’ ऩाठ के आधाय ऩय लरखिए कक हे डभास्टय शभाण जी ने प्रीतभचॊद को
क्मों भअ
ु त्तर कय टदमा?
उत्तय− रेिक भानता है कक फचऩन भें उन्हें स्कूर जाना अच्छा नहीॊ रगता था
ऩयन्तु स्काउटटॊग का अभ्मास कयते सभम जफ वे नीरी−ऩीरी झॊड़डमाॉ रेकय ऩीटी
साहफ की सीटी ऩय मा वन−टू−थ्री कहने ऩय झॊड़डमाॉ ऊऩय−नीचे मा दाएॉ−फाएॉ कयते
थे तो उन्हें फहुत अच्छा रगता था।िाकी वदी औय गरे भें दो यॊ गा रूभार रटकाना
बी उन्हें अच्छा रगता था।जफ प्रीतभचॊद िुश होकय शाफाशी दे ते थे तफ उन्हें
स्कूर जाना अच्छा रगता था।
Page 3 of 6
प्र 7. रेिक अऩने छात्र जीवन भें स्कूर से छुटिमों भें लभरे काभ को ऩयू ा कयने के
लरए क्मा−क्मा मोजनाएॉ फनामा कयता था औय उसे ऩयू ा न कय ऩाने की जस्थनत भें
ककसकी बाॉनत ‘फहादयु ’ फनने की ककऩना ककमा कयता था?
अथवा
‘सऩनों के−से टदन’ ऩाठ के आधाय ऩय फताइए कक रेिक छात्र−जीवन भें छुटिमों
का काभ ऩयू ा
उत्तय− छुटिमों के ऩहरे तीन−चाय सप्ताह फड़ी भस्ती −बये होते थे।रेिक औय
उसके साथी िूफ िेरा कयते थे। जफ स्कूर जाने का सभम कयीफ आता तो वे डय
जाते थे औय लभरे हुए काभ को ऩयू ा कयने की फात सोचना शरू
ु कयते थे। टहसाफ
भें उन्हें दो सौ सवार टदए गए थे।रेिक सोचता कक योज दस सवार बी ककए तो
फीस टदन भें ऩयू े सवार हो जाएॉगे। िेरते−िेरते दस टदन औय फीत जाते ।अफ वे
सोचते कक दस की फजाम ऩॊद्रह सवार कयें गे ऩयन्तु धीये −धीये सभम हाथ से ननकर
जाता। जफ काभ ऩयू ा नहीॊ हो ऩाता तो सोचते कक काभ कयने की फजाम ‘ओभा’ की
तयह अध्माऩकों की भाय िा रॉ ग
ू ा।
उत्तय− ऩीटी भास्टय फहुत ही कठोय स्वबाव के थे।वे स्कूर के सभम कबी
भस
ु कयाते मा हॉ सते नहीॊ थे।छात्रों को अनश
ु ासन भें राने के लरए वे कठोय दॊ ड टदमा
कयते थे।ऩीटी का प्रलशऺण दे ते सभम अनश
ु ासन का कड़ा ऩारन कयवाते थे।गरती
Page 4 of 6
होने ऩय कड़ी सज़ा दे ते थे।काभ अच्छा होने ऩय फच्चों को शाफाशी बी दे ते
थे।प्रीतभचॊद फहुत स्वालबभानी थे।हे डभास्टय साहफ जफ उन्हें कठोय दॊ ड दे ने ऩय
भअ
ु त्तर कय दे ते हैं तो वह नौकयी के लरए उनके ऩास धगड़धगड़ाने नहीॊ जाते
हैं।उनका अऩने तोतों के प्रनत प्रेभ दे िकय रगता है कक वह कोभर द्ददम बी थे।
उत्तय− ऩाठ के आधाय ऩय ऩयु ाने ज़भाने भें ऩाठशारा भें पवद्माधथणमों को अनश
ु ासन
भें यिने के लरए मातनाएॉ दी जाती थीॊ।छात्रों को डयामा - धभकामा औय भाया−ऩीटा
जाता था।स्कूर भें बम का वातावयण होता था। इस ऩाठ भें ऩीटी अध्माऩक का
वणणन ककमा गमा है जजन्हें दे िते ही छात्र काॉऩने रगते थे औय ऩाठशारा जाने से
कतयाते थे। वतणभान सभम भें छात्रों को भायना−ऩीटना कानन
ू ी अऩयाध है।शयीरयक
दॊ ड छात्रों को लशऺा से पवभि
ु कय दे ता है।शयायती तथा ऩढ़ाई भें कभज़ोय फच्चों
को सध
ु ायने औय सही यास्ते भें राने के लरए हभें फार भनोपवऻान भें टदए गए
उऩाम अऩनाने चाटहए। सभम−सभम ऩय उन्हें प्रोत्साटहत कयने के लरए ऩयु स्काय
औय शाफाशी आटद दे ना चाटहए।
प्र 10. प्राम: अलबबावक फच्चों को िेर−कूद भें ज़्मादा रुधच रेने ऩय योकते हैं औय
सभम फयफाद न कयने की नसीहत दे ते हैं । फताइए —
Page 5 of 6
ि. आऩ कौन से ऐसे ननमभ− कामदों को अऩना अऩनाएॉगे जजससे अलबबावकों को
आऩके िेर ऩय अऩजत्त न हो?
उत्तय− अलबबावक चाहते हैं कक उनके फच्चे ऩढ़ाई कयें । उन्हें रगता है कक िेरों
भें फच्चे अधधक सभम रगाते हैं जजस कायण वे ऩढ़ाई भें पऩछड़ जाते हैं।इसलरए
टदन−बय िेरने की फजाम हभें िेर औय ऩढ़ाई भें सॊतुरन फनाना चाटहए।हभें
सभम का ध्मान यिकय सीलभत तथा ननजश्चत सभम ऩय िेरकूद भें टहस्सा रेना
चाटहए। हभ बफना ककसी ईष्माण - द्वेष के लभरजुर कय िेरेंगे। हभ अऩनी टदनचमाण
को इस प्रकाय ननजश्चत कयें गे कक िेरों के कायण हभायी ऩढ़ाई भें कोई फाधा न
आए।ऩयीऺा के सभम िेरों भें कभ औय ऩढ़ाई ऩय अधधक ध्मान दे गें।
अतिररक्ि प्रश्न—
4. रॊडे ऩढ़वाकय फटहमाॉ लरिना लसिा दें गे ।’ ककस सॊदबण भें कहा गमा है।
5. फ़ौज भें बयती कयाने के लरए अॊग्रेज़ सयकाय क्मा कयती थी?
8. ‘सऩनों के−से टदन’ के आधाय ऩय फताइए कक ऩढ़ाई भें रुधच न होने के कायण
फच्चे क्मा कयते थे?
Page 6 of 6