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स्वतंत्रता दिवस पर भाषण

आदरणीय अतिथि महोदय, आदरणीय प्रधानाचाययजी, सभी अध्यापकगण, अथभभावक और

मेरे प्यारे दोस्ोों जैसा तक आप सभी जानिे ही है तक आज हम यहााँ पर अपने दे श का 75वाों

स्विों त्रिा तदवस मनाने के उपलक्ष में एकतत्रि हुए है। सबसे पहले मैं आप सभी को स्विों त्रिा

तदवस की हातदयक बधाई दे िा हाँ/दे िी हाँ। 15 अगस् भारिवर्य का राष्ट्रीय पवय है। भारि दे श

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वर्य 1857- वर्य 1947 िक स्विों त्रिा सों ग्राम लड़ने के पश्चाि तितिश शासन से 15 अगस्

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वर्य 1947 को मुक्त हुआ और एक स्विों त्र राष्ट्र बना। िभी से भारिवासी इस तदन को
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“स्विों त्रिा तदवस” के रूप में बहुि सी धूम-धाम और हर्ोउल्लास से मनािे है।
AP

आओ झुककर सलाम करें उन्हें ,


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जिनकी जििंिगी में मुकाम आया है ,


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ककस किर खुशनसीब है वो लोग,

जिनका लहू भारत के काम आया है !!

स्विों त्रिा सों ग्राम की शुरुआि िब से हुई जब मों गल पाोंडे नामक क्ाोंतिकारी को तितिश शासन
के अोंग्रेज अथधकारी ने गोली मारी िी। िभी से सम्पूणय भारि दे शवाथसयोों ने अोंग्रेजोों के
थिलाफ आवाज उठाई। हमे और हमारे दे श को तितिशोों से यह आजादी इिनी आसानी से
नहीों तमली है। दे श की आजादी पाने के थलए बहुि से क्ाोंतिकारी सेनातनयोों ने बथलदान तदया
जैसे तक- महात्मा गाोंधी, सुभार् चों द्र बोस, मों गल पाोंडे, बाल गों गाधर तिलक, पों तडि
जवाहरलाल नेहरू, लोक मान्य तिलक, लाला लाजपि राय और िुदीराम बोस आतद।
आजादी की लड़ाई लड़ने के थलए महात्मा गाोंधी ने सत्याग्रह आों दोलन चलाया और कई बार
िो उन्हें जेल भी जाना पड़ा। लेतकन उन्होोंने हार नहीों मानी। क्योतक उनका एकमात्र लक्ष्य
भारि दे श को तितिश शासन से आजादी तदलाना िा और काफी अत्याचार सहने और सों घर्य
करने के पश्चाि फलस्वरूप वे सफल भी हुए। स्विों त्रिा सेनातनओों के थलए कु छ लाइनें कहना
चाहुाँगी/चाहुाँगा –

नमन है उन वीरों को जिन्होंने इस िेश को बचाया,

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गुलामी की मिबूत बेकियों को,

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अपने बजलिान के रक्त से पपघलाया,
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और भारत मााँ को आिाि है कराया।
AP

15 अगस् वर्य 1947 को भारि के इतिहास को स्वणय अक्षरोों में थलिा गया। इसी तदन दे श
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के आजाद होने पर भारि के प्रिम प्रधानमों त्री पों तडि जवाहरलाल नेहरू ने लाल तकले पर
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झों डा फहराया िा। िभी से प्रत्येक वर्य दे श के प्रधानमों त्री लाल थलिे पर झों डा फहरािे है ,
राष्ट्रगान गािे है और सभी शहीद स्विों त्रिा सेनातनयोों को 21 िोपोों से श्रद्ाोंजथल दी जािी
है। दे श के प्रधानमों त्री हर साल दे शवाथसयोों को अपने भार्ण के द्वारा सम्बोथधि करिे है
और सेना द्वारा अपना शतक्त प्रदशयन और परेड माचय करिे है। स्विों त्रिा तदवस के तदन सभी
भारिवाथसयोों के मन में दे शभतक्त की भावना के साि-साि पूणय जोश रहिा है। आजादी के
बाद भारि दे श अब िक बहुि उन्नति कर चुका है। 15 अगस् स्विों त्रिा तदवस के तदन सभी
तवद्यालय, कॉथलज, सों स्थान, बाजार, कायायलय और कारिाने आतद बों द रहिे है। इस तदन
सरकारी छु ट्टी होिी है। जगह-जगह पर झों डा फहराया जािा है। स्कू लोों, कॉथलजोों आतद में
साोंस्कृतिक काययक्मोों का आयोजन तकया जािा है थजसमें सभी छात्र-छात्राएों भाग लेिे है
और दे शभतक्त के गीि गािे है, कोई कतविा सुनािा है िो कोई साोंस्कृतिक गीिोों पर नृत्य
करिे है।

15 August भारि दे श के गवय और सौभाग्य का तदवस है। यह पवय हमारे हृदय में नवीन
स्फूतिय, नवीन आशा, उत्साह ििा दे श-भतक्त का सों चार है। स्विों त्रिा तदवस हमे इस बाि

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बाि की याद तदलािा है तक हमने तकिनी कु बायतनयााँ दे कर यह आजादी प्राप्त की है, थजसकी
रक्षा हमे हर कीमि पर करनी है। चाहे हमे इसके थलए अपने प्राणोों का त्याग क्योों न करना

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पड़ें। इस प्रकार हम स्विों त्रिा तदवस के पवय को पूणय उत्साह, उमों ग और जोश के साि
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मनािे है और राष्ट्र की स्विों त्रिा और सावयभौतमकिा की रक्षा का प्रण लेिे है। जािे-जािे मैं
AP

बस इिना ही कहना चाहोंगी/चाहोंगा तक –

भूल न िाना भारत मााँ के सपूतों का बजलिान,


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इस दिन ले जलए िो हुए थे हाँ सकर कुबाान,


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आिािी की खुजशयााँ मनाकर लो शपथ ये कक,

बनाएंगे िेश भारत को और भी महान।

िय दहन्द !………. िय भारत !……..


स्वतंत्रता दिवस पर भाषण –पवद्यार्थियों के जलए
आदरणीय प्राचायय जी, थशक्षकगण और मेरे प्यारे साथियोों आज (15 अगस्) स्विों त्रिा तदवस
के अवसर पर हम सभी यहााँ पर इकट्ठा हुए है और मुझे आप सभी के समक्ष स्विों त्रिा तदवस
के इस शुभ अवसर पर अपने तवचार रिने का मौका तमला है, यह मेरा सौभाग्य है। सबसे
पहले आप सभी को स्विों त्रिा तदवस की हातदयक शुभकामनाएों । क्या आप जानिे है इस वर्य
भारि का कौन-सा स्विों त्रिा तदवस मनाया जा रहा है ? इस वर्य भारि का 75वाों स्विों त्रिा
तदवस मनाया जा रहा है। आज मैं स्विों त्रिा तदवस पर अपने कु छ तवचार आपके सामने रिने

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जा रहा/रही हाँ। शुरुआि करिे है कु छ लाइनोों से –

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िब आाँख खुलें तो धरती दहन्दुस्तान की हो,
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िब आाँख बंि हो टी यािें दहन्दुस्तान की हों,
AP

हम मर भी िाएाँ टी कोई गम नहीं….


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मरते वक्त र्मटटी दहन्दुस्तान की हो।


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हमारा भारि दे श 200 वर्ों िक तितिश शासन के अधीन रहा। दे श को आजाद कराने के
थलए हमारे दे श के बहुि से स्विों त्रिा सेनातनओों जैसे – बाल गों गाधर तिलक, लोक मान्य
तिलक, पों तडि जवाहरलाल नेहरू, माहत्मा गाोंधी, लाला लाजपि राय, िुदीराम बोस, सुभार्
चों द्र बोस और मों गल पाोंडे आतद ने बथलदान तदए और अत्याचार सहिे हुए भी वे दे श को
आजादी तदलाने के थलए सदै व ित्पर रहें। वर्य 1857-1947 िक स्विों त्रिा सों ग्राम लड़ने के
बाद और काफी अत्याचार सहने के बाद 15 अगस् वर्य 1947 को हमारा भारि दे श तितिश
शासन की बेतड़योों से मुक्त हुआ और सभी भारिवाथसयोों ने आजादी की साोंस ली। आज के
स्विों त्रिा तदवस के इस शुभ अवसर पर मैं शहीद स्विों त्रिा सेनातनयोों के थलए कु छ शब्द
कहना चाहुाँगी/चाहुाँगा।

फांसी चढ़ गए और सीने और गोली खाई,

हम उन शहीिों को प्रणाम करते है ,

िो र्मट गए िेश पर,

हम शहीिों को प्रणाम करते है।

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प्रतिवर्य 15 अगस् को भारि दे श के स्विों त्रिा तदवस के रूप में मानाया जािा है। इस तदन
को भारि के इतिहास में स्वणय अक्षरोों में थलिा गया है। हर साल दे श प्रधानमों त्री लाल तकले

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पर राष्ट्रीय ध्वज फहरािे है थजसके बाद राष्ट्रीय गान गाय जािा है, सेना द्वारा परेड माचय और
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शतक्त प्रदशयन तकया जािा है और साि ही स्विों त्रिा सेनातनयोों को 21 िोपोों की सलामी भी
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दी जािी है। दे श के प्रधानमों त्री दे श को सम्बोथधि करिे है। राष्ट्र ध्वज के सम्मान में कु छ
लाइन कहना चाहुाँगी/चाहुाँगा।
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िे सलामी इस पतरं गे को,


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जिससे तेरी शान है,

सर हमेशा ऊाँचा रखना इसका,

िब तक दिल में िान है !!

15 अगस् स्विों त्रिा तदवस के पवय को सम्पूणय दे श में बहुि ही जोश, उमों ग और दे शभतक्त
भाव के साि मनाया जािा है। स्कू ल और कॉथलजोों में साोंस्कृतिक काययक्मोों का आयोजन
तकया जािा है थजसमे अथधकिर बच्चे भाग लेिे है और अलग अलग पेशकश पेश करिे है।
कोई दे शभतक्त गीि सुनािा है, कोई दे शभतक्त से सों बों थधि कतविा सुनािा है और कोई
साोंस्कृतिक गीिोों पर नृत्य िैयार करिे है। छात्र भगि थसोंह महात्मा गाोंधी और अन्य क्ाोंतिकारी
बनिे है और नािक पेश करिे है। सभी दफ्िरोों, कायायलयोों, सों स्थानोों आतद का सरकारी
अवकाश रहिा है।

हमने अोंग्रेजोों के शासन से आजादी ऐसे ही नहीों तमली है। इस आजादी को प्राप्त करने के
थलए हमारे दे श के बहुि से स्विों त्रिा सेनातनयोों ने बथलदान तदया है। हमें सभी शहीद स्विों त्रिा

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सेनातनयोों के बथलदानोों और याद रििे हुए अपने राष्ट्र का सम्मान करिे हुए राष्ट्र के सम्मान
को बनाये रिने का प्रण लेना चातहए। आइये स्विों त्रिा तदवस के इस शुभ तदन पर हम सभी

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तमलकर राष्ट्र की एकिा और अिों डिा को बनाये रिने का प्रण लेिे है। कु छ लाइनोों के साि
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अपनी बाि को समाप्त करिी/करिा हाँ –
AP

आिािी की कभी शाम नहीं होने िेंगे,


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शहीिों की कुबाानी बिनाम नहीं होने िेंगे,


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बची हो िो एक बूाँि भी गरम लहू की,

तब तक भारत माता का आाँचल नीलाम नहीं होने िेंगे।

िय दहन्द !…….. िय भारत !…..


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