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पत्र अर्पित मार्च 2020
पत्र अर्पित मार्च 2020
पत्र अर्पित मार्च 2020
ॐ श्री हरि
श्री गणेशाय नमः
शंकर शंकर भोले बाबा
हर हर महादे व सिंधु बिंद ु
शिव शिव शंकर नीलकंठ
हे भयंकर हे महाकाल।
कैलाश से निकली ये लय- प्रलय
मझ
ु नदियों से जीवन हुआ अक्षय ।
• सतलुज
हे दे व दे व हे महादे व
जागी में आज, स्वप्न रहा अधरू ा
यह क्षण हुआ तत्क्षण परू ा
कैलाश के यह शाश्वत स्वर
मेरी डगर मेरा नगर
मैं सतलज
ु ,तम
ु प्रकाश पंज
ु
छिपे शत्रओ
ु ं पर प्रहार करो।
संहार करो ,संहार करो ..।।
• रावी
• चिनाब
दे व दे व महादे व
मैं आब हूं पंजाब हूँ
चंद्रभागा ,चिनाब हूं।
वह घड़ा फूटा था स्मति
ृ का
शिव -शक्ति की यति
ु का।
जो प्रेम पथ पर नहीं चले
नशे की लत में हुए पगले।
उन्हें कौन दे गा नवजीवन दान
वे यव
ु ा ,वे ही हमारा प्राण।।
आप के साथ धर्म हैं.
गंगा
हर हर महादे व जटाधारी
वेग संभाला मैं बलिहारी
ब्रह्म तत्व मुझ में रत
विष्णुपदी अमत
ृ सत
धारण किए मैंने सबके प्रण
मैं नदी नहीं मैं हूं जीवन
फिर आज यह धन बीत रहा
काल मझ
ु े डरा जीत रहा
मझ
ु में सब ने विष डाला है
बांधों ने रोकी अविरल धारा है
हे दे व हे अविचल
भागीरथी मैं ,क्यों ना रहूँ अविरल !!
कोसी
महानदी
हे दयानिधे हे पशुपति
हे दीनबंधु जगतपति
नमस्ते नमस्ते नमस्ते
बलदे व सुभद्रा जगन्नाथ
दे व सदा तुम मेरे साथ
मैं महानदी मैं महानदी
जीवित मुझसे यह संस्कृति
दरू सभी संशय कर दो
उमंगित होने का अक्षय वर दो
ब्रह्मपत्र
ु
https://www.youtube.com/watch?v=JyoLqozsX 1A&authuser=0
कपूर गौरम करुणावतारं संसारसारं भुजगें द्रहारम ् सदा वसंतम हृदयार विंदे भवं भवानी सहितं
नमामि
गुरुर ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु दे वो महे श्वरा गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः
जय श्री कृष्णा चैतन्य हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम
हरे हरे
ॐ त्र्यंबकम यजामहे सुगंधिम पष्टि
ु वर्धनम उर्वारुकमिव बन्धनात मत्ृ योर्मुक्षीय मामत
ृ ात ् ॐ
व्यास
नर्मदा
हे दे व है हरिहर
महाबलेश्वर मेरा घर
कलयुग मुझको लील रहा
मेरा अस्तित्व रीत रहा
ये क्रूर समय की बेला है
यहां हर मानव अकेला है
कावेरी
गोदावरी
त्रयंबकेश्वर हे त्रिशल
ू धारी
मैं तीर्थों की भमि
ू मैं गोदावरी
मैं गौतमी में गंगा
मैं मर्यादित नारी
शिव आपकी ही लय से
हैं दनि
ु या यह सारी!!
ता थैया ता थैया नाचे भोला
बम बम बम बाजे गाल
डम डम डम डम डम डम डमरु बाजे
दलि
ु छे कपाल माल
गरजे गंगा जटा माझे
उगरे अनल त्रिशल
ू राजे
धक धक धक मौलीबंध
ज्वले शशांक भाल
सबका मंगल करो हे कृपाल
सबका मंगल करो हे कृपाल !!