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Current Affairs Hindi Magazine July 2022
Current Affairs Hindi Magazine July 2022
1.3 क्वाड सहयोगियों को पीएम मोदी द्वारा ददए िए उपहारों का सांस्कृवतक महत्व ................................................................... 9
ु ं का मामिा........................................................................................................................................... 10
1.6 चापेकर िंधओ
3.2 चीफ ऑफ डडफेंस स्टाफ (CDS) वनयुगि के वनयमों में संशोधन ...................................................................................... 12
3.6 चुनाि आयोि ने 111 पंजीकृत िैर-मान्यता प्राप्त राजनीवतक दिों को सूची से हटाया........................................................14
4. सामालजक न्याय
4.1 अमेररकी उच्चतम न्यायािय ने पिटा ‘रो िनाम िेड’ वनणतय ............................................................................................. 15
5. अंतराष्ट्रीय संिंध
5.2 दलिण प्रशांत द्वीपीय दे शों ने चीन के िेत्रीय सुरिा समझौते को खाररज डकया .................................................................16
5.13 UNHCR द्वारा िाडषतक ररपोटत ‘ग्लोिि टर ेंड्सः फोर्ल्त डडस्प्प्लेसमेंट इन 2021’ जारी ........................................................... 21
5.14 भारत-िांग्लादे श ने संयुि सिाहकार आयोि (JCC) के सातिें दौर की िैठक आयोलजत ................................................ 21
5.20 संयुि राष्ट्र (UN) द्वारा ‘आंतररक विस्थापन पर कायत एजेंडा’ जारी ............................................................................... 24
6. आधथतक विकास
6.5 प्रधान मंत्री रोजिार सृजन कायतक्रम (PMEGP) वित्त िषत 2025-26 तक जारी ................................................................ 28
6.6 विद्युत और निीकरणीय ऊजा (RE) उपकरणों के लिए विवनमाण िेत्र स्थाडपत ................................................................ 28
6.9 भारत द्वारा इिेिरॉवनक टर ांसवमशन सीमा शुल्क स्थिन को जारी रखने का विरोध........................................................... 30
6.12 ििनतमेंट ई-माकेटप्लेस (GeM) पोटति के माध्यम से सहकारी सवमवतयों को खरीद की अनुमवत ....................................... 31
6.13 विश्व व्यापार संिठन (WTO) के 60 सदस्य दे शों ने खाद्य सक्टिडी पर नई पद्धवत का समथतन डकया ................................ 32
6.16 ग्रेटर पन्ना िैंडस्केप के लिए एकीकृत भू–पररदृश्य प्रिंधन ILM योजना आरं भ ................................................................ 33
6.24 खाडी सहयोि पररषद (GCC) के साथ भारत का िढ़ता दद्वपिीय व्यापार ...................................................................... 37
6.25 भारत की सतत विकास िक्ष्य (SDG) तैयारी रैं डकं ि में गिरािट.................................................................................... 38
6.26 FSSAI का चौथा राज्य खाद्य सुरिा सूचकांक (SFSI) जारी ........................................................................................ 38
6.28 पेटेंट संरिण के मामिे में भारत सिसे चुनौतीपूणत अथतव्यिस्थाओं में शावमि ................................................................ 40
6.29 CCPA द्वारा भ्रामक विज्ञापनों और भ्रामक विज्ञापनों के अनुमोदन पर ददशा-वनदे श ........................................................ 40
6.31 राष्ट्रीय ई-ििनेस सेिा वितरण आकिन (NeSDA) ररपोटत, 2021 .................................................................................41
6.35 िैंक िोडत ब्यूरो को िदिने के लिए िडे जनादे श के साथ नई इकाई ............................................................................... 44
6.37 ‘रेििे के लिए स्टाटतअप्स’ नाम से भारतीय रेििे निाचार नीवत प्रस्तुत .......................................................................... 44
6.39 उन्मेष....................................................................................................................................................................... 45
6.43 भारतीय ररज़ित िैंक (RBI) द्वारा ‘पेमेंट्स विजन 2025’ दस्तािेज जारी.......................................................................... 47
6.45 हररयाणा सरकार द्वारा िीटी कपास डकस्म के फीर्ल् टर ायि की अनुमवत ...................................................................... 48
6.47 भारत में 1 जुिाई से एकि उपयोि प्लास्टस्टक (SUP) पर प्रवतिंध क्यों ििाया जा रहा है ............................................... 49
6.49 सरोिेट माताओं के लिए 3 िषीय स्वास्थ्य िीमा योजना: सरकार ................................................................................. 50
6.51 ‘अनुसूचचत और िहु -राज्यीय शहरी सहकारी िैंकों तथा ऋण सवमवतयों’ का राष्ट्रीय सम्मेिन आयोलजत ............................ 51
6.52 ‘भारत के लिए भविष्य के सुपर फूड’ थीम पर राष्ट्रीय मोटा अनाज सम्मेिन आयोलजत .................................................... 51
6.53 िस्तु एिं सेिा कर (GST) प्रवतपूवतत उपकर की समयसीमा में िृद्धद्ध ................................................................................ 52
6.55 स्कूिी लशिा पर ‘लजिा प्रदशतन ग्रेडडंि सूचकांक’ (PGI-D) जारी ................................................................................. 53
6.56 नीवत आयोि द्वारा भारत की गिि और प्लेटफॉमत अथतव्यिस्था पर ररपोटत जारी ............................................................... 53
8.1 भारत द्वारा दलिण अफ्रीका और नामीविया से चीता िाने के लिए समझौता .................................................................... 56
8.4 पयतटन मंत्रािय (MoT) ने 'राष्ट्रीय सतत पयतटन रणनीवत (NSST) जारी की..................................................................... 57
8.5 CO2 का िततमान स्तर 40 िाख िषत पहिे के स्तर के िरािर ......................................................................................... 58
8.6 िैज्ञावनक तथा औद्योगिक अनुसंधान पररषद-राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (CSIR-NIO) .................................................. 58
8.9 पयािरणीय मंजूरी के विना होंिे िनों में चचदडयाघर (Zoo) स्थाडपत ................................................................................ 60
8.11 एजूजधें थिी मूंिा (प्रिाि/कोरि) की चार प्रजावतयों की मौजूदिी को दजत ......................................................................61
8.15 अल्प विकलसत दे श कोष (LDCF) और विशेष जििायु पररिततन कोष (SCCF) ............................................................. 63
8.16 िैलश्वक जैि विविधता फ्रेमिकत (GBF) 2020 िैठक संपन्न ............................................................................................ 63
8.17 हीटिेि 2022: कारण, प्रभाि और भारतीय कृडष के लिए आिे की राह ......................................................................... 64
8.18 भारत G-7 के “रे लजलिएं ट डेमोक्रेसीज स्टेटमेंट 2022” में शावमि................................................................................. 64
1.3 क्वाड सहयोगियों को पीएम मोदी द्वारा ददए िए उपहारों का सांस्कृवतक महत्व
हाल ही में, टोक्यो में आयोलजत ‘क्वाड सम्मेलन’(Quad Summit) के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की समृि सांस्कृवतक विरासत और कला के
रूपों को प्रदलशषत करने के ललए अमेररका, ऑस्टर ेललया और जापान के प्रमुखों को उपहार हदए हैं।
ददए िए उपहार और इनका सांस्कृवतक महत्व:
रोिन चचत्रकिा
क्वाड मीपटंि के दौरान भारतीय प्रधान मंत्री ने जापान के प्रधानमंत्री को एक ‘सफेद रोिन’ भेंट पकया।
रोिन (Rogan) िस्तुतः िस्त्र पर की जाने िाली चचत्रकला का एक रूप है। इसे चार शताब्दब्दयों से अधधक पुराना माना जाता है। ितषमान में,
यह िुजरात के कच्छ के वनरोना में केिल एक ही पररिार द्वारा संरलक्षत है।
रोिन (Rogan) एक फारसी शब्द है । इसका अथष है िावनषश या तेल। इस कला में उिले हु ए तेल और िनस्पवत रं िों से िने पेंट का उपयोि
पकया जाता है ।
इस कला में अरं डी के तेल से िने एक विशेर् पेस्ट का उपयोि पकया जाता है। इसमें सामान्यतः ज्यावमतीय रूपांकनों को प्राथवमकता दी जाती
है।
सांझी किा रूप
अमेररकी रािर पवत जो िाइडन को उपहार में प्रधानमंत्री ने मथुरा के ‘ठकुरानी घाट’ की थीम पर आधाररत एक जपटल ‘सांझी फलक’(Sanjhi
Art Panel) को उपहार स्वरूप प्रदान पकया।
विहदत हो पक ठकुरानी घाट िोकुल में यमुना की पवित्र नदी के तट पर सिसे प्रलसि घाटों में से एक है।
‘सांझी’ कािज पर हाथ से पडजाइन करने की कला है और इस कला रूप की उत्पधत्त ‘कृष्ण पंथ’ से हु ई है।
इस कला रूप में देिता के जीिन की घटनाओं पर आधाररत ‘स्टेंलसल’ िनाए जाते है और इन स्टेंलसल को कैंची या ब्लेड का उपयोि करके
हाथ से काटा जाता है और नाजुक सांझी को प्रायः कािज की पतली शीट के साथ रखा जाता है।
‘सांझी’ को 15िीं और 16िीं शताब्दी में िैष्णि मंहदरों द्वारा लोकपप्रय िनाया िया था और ब्राह्मण पुजाररयों द्वारा इसका अभ्यास पकया जाता
था।
िोंड किा पेंडटंि:
ऑस्टर ेललयाई प्रधानमंत्री एं थनी अल्बनीज को प्रधानमंत्री मोदी ने मध्य प्रदे श मूल की एक ‘िोंड कला पेंपटंि’ भेंट की।
िोंड पेंपटंि सिसे प्रशंलसत आहदिासी कला रूपों में से एक है। डॉट् स और लाइनों द्वारा िनाई िई ये पेंपटंि िोंडों की दीिारों और फशों पर
सचचत्र कला का एक हहस्सा रही हैं।
यह स्थानीय रूप से उपलब्ध प्राकृवतक रं िों और सामग्री जैसे लकडी का कोयला, रं िीन वमट्टी, पौधे का रस, पत्ते, िाय का िोिर और चूना
पत्थर पाउडर के साथ हर घर के वनमाण और पुनवनषमाण में पकया जाता है।
मध्य प्रदे श में ‘िोंड कला’ का कायष िोंड समुदाय द्वारा पकया जाता है ।
इस कला की उत्पधत्त का स्रोत ‘जांिढ श्याम’ की चचत्रकला में वमलता है , लजन्होंने 1970 और 80 के दशक में पाटनिढ िांि में घरों की दीिारों
पर, जनजातीय मौखखक वमथकों और पकं िदंवतयों को िडे पैमाने पर चचपत्रत करना शुरू पकया था।
स्रोत – द दहंदू
ु ं का मामिा
1.6 चापेकर िंधओ
22 जून, 1897 को चापेक र िंधुओ ं ने महारािर के पुणे में वब्रपटश अधधकारी डब्ल्यू.सी. रैं ड और उनकी सैन्य सुरक्षा में तैनात लेफ्टिनेंट आयस्टष की हत्या कर
दी थी।
दामोदर हरर चापेकर, िालकृष्ण हरर चापेकर और िासुदेि हरर चापेकर को चापेकर िंधुओ ं के नाम से जाना जाता था। ये 19िीं सदी के
उत्तराधष में डब्ल्यू.सी. रैं ड की हत्या में शावमल भारतीय क्रांवतकारी थे।
इस हत्याकांड में महादेि विनायक रानाडे भी उनके सहयोिी थे।
1857 के विद्रोह के िाद भारत में उग्रिादी रािर िाद का यह पहला मामला था।
1896-97 के दौरान पुणे (पूना) में िुिोवनक प्लेि फैला था। इसे पूना प्लेि भी कहा जाता है। सरकार ने प्लेि के खतरे से वनपटने और िीमारी
के प्रसार को वनयंपत्रत करने के ललए िर्ष 1897 में एक विशेर् प्लेि सवमवत की स्थापना की थी। चाल्सष िाल्टर रैं ड (डब्ल्यू.सी. रैं ड) इस सवमवत
के अध्यक्ष थे।
प्लेि आयोि ने पुणे में चचपकत्सकों को वनयुक्त करने की िजाय 800 से अधधक अधधकाररयों और सैवनकों को तैनात कर हदया था।
3.6 चुनाि आयोि ने 111 पंजीकृत िैर-मान्यता प्राप्त राजनीवतक दिों को सूची से हटाया
भारत के चुनाि आयोि (ECI) ने पंजीकृत राजनीवतक दलों की सूची से 111 'अस्तस्तिहीन' दलों को हटा हदया है।
इन 111 पंजीकृत िैर-मान्यता प्राप्त राजनीवतक दलों (RUPPS) का कोई अस्तस्ति नहीं था। इन्हें लोक प्रवतवनधधि अधधवनयम, 1951 का उल्लंघन करते
हु ए भी पाया िया था।
उल्लेखनीय है पक चुनाि आयोि के पास पकसी राजनीवतक दल का पंजीकरण समाप्त करने की शगक्त नहीं है। इस संिंध में चुनाि सुधार का प्रस्ताि
अि भी सरकार के पास लंवित है।
हालांपक, यह राजनीवतक दलों की वित्तीय अवनयवमतताओं के मुद्दे को उठा सकता है। साथ ही, यह राजनीवतक दलों से वनम्नललखखत वनयमों का अवनिायष
रूप से अनुपालन करने की मांि कर सकता है:
चंदा प्राब्दप्त के स्रोत और इसके तरीके,
कंपवनयों द्वारा पडस्क्लोजर,
िैंक खातों का वििरण आहद।
चुनाि आयोि ने लोक प्रवतवनधधि अधधवनयम, 1951 की धारा 29A और 29C के तहत कई पंजीकृत िैर-मान्यता प्राप्त राजनीवतक दलों के खखलाफ
कारष िाई शुरू की है। ये दल अवनिायष आिश्यकताओं को पूरा पकए विना कर छूट का दािा कर रहे थे।
पंजीकृत िैर-मान्यता प्राप्त राजनीवतक दिों (RUPPs) से संिद्ध चचंताएं -
इनमें से िहु त से दल केिल कािज पर ही मौजूद पाए िए या उनके पते पर भेजे िए पत्र िापस लौटा हदए िए।
कुछ लोिों ने पंजीकृत दलों को हदए िए चंदे पर आयकर छूट का दुरुपयोि पकया।
4. सामालजक न्याय
4.1 अमेररकी उच्चतम न्यायािय ने पिटा ‘रो िनाम िेड’ वनणतय
हाल ही में अमेररकी उच्चतम न्यायालय ने िभषपात के अधधकारों पर ऐवतहालसक ‘रो िनाम िेड’ (Roe v. Wade) वनणषय को पलट हदया है।
अमेररकी उच्चतम न्यायालय ने िर्ष 1973 के ‘रो िनाम िेड’ के उस ऐवतहालसक वनणषय को पलट हदया है , लजसने महहला के िभषपात के अधधकार को
संिैधावनक संरक्षण प्रदान पकया था।
िर्ष 1973 के वनणषय ने िभषपात से संिंधधत सुरक्षा को संस्थाित रूप भी प्रदान पकया था।
इस फैसले का धावमषक और जीिन समथषक समूहों ने समथषन पकया है। िहीं अधधकारों के ललए लडने िालों ने इस वनणषय का विरोध पकया है।
वनणषय विरोधधयों के अनुसार इस वनणषय का अन्य अधधकारों पर भी नकारात्मक प्रभाि पडेिा।
यह वनणषय राज्यों द्वारा िभषपात पर प्रवतिंध लिाने के ललए प्रपक्रया आरं भ करने का मािष भी प्रशस्त करता है।
िभतपात के अधधकार के पि में तकत-
प्रजनन (नहीं) के ललए अपने शरीर की क्षमताओं के िारे में महहलाओं द्वारा ‘चुनने के अधधकार’ को सुरलक्षत करता है।
15 । Head office: 639, Dr. Mukherjee Nagar, Delhi -09
Mo.: 9811334480, 9811334434: E- info@youthdestination.in, Web: www.youthdestination.in
जनसंख्या, स्वास्थ्य और विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में यह सहायक है।
भ्रूण के विकारों की पहचान करने में मदद करता है। साथ ही, िैर-कानूनी िभषपात के खतरों से िचाता है।
िभतपात के अधधकार के विरोध में तकत-
ललंि वनधारण के ललए प्रौद्योगिपकयों के दुरूपयोि से जुडे नैवतक मुद्दे शावमल हैं।
िलपूिषक और जिरन नसिंदी के खतरों को िढाता है।
िभषपात का अधधकार िच्चों के जीिन के अधधकार के अलािा भ्रूण और जीिन की रक्षा के राज्य के दागयि के भी खखलाफ है।
िभत का चचडकत्सकीय समापन (संशोधन) वनयम, 2021
कुछ श्रेद्धणयों की महहलाओं के ललए 24 सप्ताह तक िभषपात की अनुमवत प्रदान की िई है।
20 सप्ताह के भीतर िभषपात के ललए 1 चचपकत्सक की सलाह और 20-24 सप्ताह के भीतर िभषपात के ललए 2 चचपकत्सक की सलाह लेना
जरूरी है।
राज्य स्तरीय मेपडकल िोडष भ्रूण में असाधारण विकृवतयों के मामलों में 24 सप्ताह से अधधक के िभषपात की अनुमवत दे सकता है (या
अस्वीकार कर सकता है )।
स्रोत –द दहन्दू
5. अंतराष्ट्रीय संिंध
5.1 इजरायि और संयि
ु अरि अमीरात (UAE) व्यापार समझौता
हाल ही में इजरायल ने संयुक्त अरि अमीरात (UAE) के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर पकए हैं। यह इजरायल का एक अरि दे श के साथ
इस तरह का पहला समझौता है।
यह अमेररकी मध्यस्थता में संपन्न अब्राहम समझौते पर आधाररत है।
यह समझौता इजरायल और संयुक्त अरि अमीरात तथा िहरीन के मध्य िर्ष 2020 में हस्ताक्षररत हु आ था। िाद में मोरक्को भी इसमें शावमल
हो िया था।
समझौते के तहत इन दे शों के िीच राजनगयक संिंधों को सामान्य करने का आह्वान पकया िया है। साथ ही, दशकों पुरानी उस अरि नीवत को
भी त्याि हदया िया, लजसमें इजरायल के साथ संिंध स्थापपत करने से पहले एक पफललस्तीनी राज्य के वनमाण पर िल हदया जा रहा था।
समझौते के पररणामस्वरूप इन दे शों के िीच व्यापार के 96% उत्पादों पर शीघ्र या धीरे -धीरे सीमा शुल्क छूट प्रदान की जाने की उम्मीद है।
स्रोत –द दहन्दू
5.2 दलिण प्रशांत द्वीपीय दे शों ने चीन के िेत्रीय सुरिा समझौते को खाररज डकया
हाल ही में दलक्षण प्रशांत द्वीपीय दे शों ने चीन के क्षेत्रीय सुरक्षा समझौते को खाररज पकया है ।
प्रशांत महासािर के 10 द्वीपीय दे शों ने चीन द्वारा प्रस्तावित प्रारूप व्यापार और सुरक्षा विज्ञब्दप्त पर समझौते को अस्वीकार कर हदया।
ये 10 दे श इन समझौतों के पीछे चीनी उद्देश्यों से चचंवतत थे।
इन दे शों में शावमि हैं-
पफजी, समोआ, टोंिा, पकररिाती, पापुआ न्यू गिनी, िानुअतु, सोलोमन द्वीप, पूिी वतमोर, नीयू आहद।
चीन ने इस क्षेत्र के साथ आधथषक और सुरक्षा, दोनों मोचों पर अपने संिंधों को लिातार मजिूत पकया है। उदाहरण के ललए, चीन के साथ
प्रशांत के द्वीपीय दे शों के व्यापार का मूल्य ऑस्टर ेललया के साथ उनके व्यापार के मूल्य से अधधक हो िया है। इसके अवतररक्त, सोलोमन द्वीप
ने चीन के साथ एक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर पकए हैं ।
यह समझौता चीन को अपने पुललस/सुरक्षा कवमषयों को यहां भेजने की अनुमवत देिा। साथ ही, चीनी नौसैवनक जहाजों को इस द्वीप के
िंदरिाहों का उपयोि करने की भी अनुमवत वमल जायेिी।
स्रोत –द दहन्दू
5.13 UNHCR द्वारा िाडषतक ररपोटत ‘ग्लोिि टर ेंड्सः फोर्ल्त डडस्प्प्लेसमेंट इन 2021’ जारी
हाल ही में संयुक्त रािर शरणाथी उच्चायुक्त (UNHCR) ने िापर्षक ररपोटष ‘ग्लोिल टर ेंड्सः फोर्ल्ष पडस्प्लेसमेंट इन 202’ ('Global Trends: Forced
Displacement in 2021') जारी की है ।
ररपोटत वनम्नलिखखत से जुडे प्रमुख सांख्यख्यकीय रुझान और उनकी हालिया संख्या िताती है:
शरणाथी,
शरण की मांि करने िाले,
आंतररक रूप से विस्थापपत लोि,
विि भर में राज्य विहीन (stateless) व्यगक्त,
और जो अपने मूल दे श या मूल क्षेत्र में लौट आए हैं ।
ररपोटत के मुख्य वनष्कषत-
िर्ष 2021 के अंत तक, युि, हहंसा, उत्पीडन और मानिाधधकारों के हनन से विस्थापपत होने िालों की संख्या 8.93 करोड थी। यह संख्या एक
िर्ष पहले की तुलना में 8% अधधक है ।
िर्ष 2021 में जलिायु पररितषन और आपदाओं के कारण भारत में लिभि 50 लाख लोि आंतररक रूप से विस्थापपत हु ए थे।
अपने ही दे श के भीतर विस्थापपत हु ए लोिों को आंतररक रूप से विस्थापपत कहा जाता है।
िर्ष 2021 में आपदाओं की िजह से सिसे िडा विस्थापन चीन में हु आ (60 लाख लोि) था।
व्यगक्तित शरण के ललए विि में सिाधधक आिेदन अमेररका को प्राप्त हु ए थे। जमषनी दूसरे स्थान पर था।
सभी शरणाधथषयों में से 69% केिल पांच दे शों से आए थे। ये दे श वनम्नललखखत हैं:
सीररयाई अरि िणराज्यः 68 लाख, िेनेजुएलाः 46 लाख, अफिावनस्तान: 27 लाख, दलक्षण सूडानः 24 लाख, और म्यांमारः 12 लाख।
िच्चे विि की आिादी का 30% हहस्सा हैं, लेपकन सभी जिरन विस्थापपत लोिों में उनका 41% हहस्सा है ।
57 लाख विस्थापपत लोि िर्ष 2021 में अपने क्षेत्रों या मूल दे शों में लौट आए। इनमें 53 लाख आंतररक रूप से विस्थापपत लोि और
429,300 शरणाथी शावमल हैं।
संयुि राष्ट्र शरणाथी उच्चायुि (UNHCR)
एक एक िैलिक संिठन है। यह शरणाधथषयों, जिरन विस्थापपत समुदायों और राज्य विहीन लोिों का जीिन िचाने, उनके अधधकारों की रक्षा
करने तथा उनके ललए िेहतर भविष्य के वनमाण के प्रवत समपपषत है।
इसका िठन िर्ष 1950 में हद्वतीय विि युि के िाद की पररस्थस्थवतयों में हु आ था।
स्रोत -द दहन्दू
5.14 भारत-िांग्लादे श ने संयुि सिाहकार आयोि (JCC) के सातिें दौर की िैठक आयोलजत
हाल ही में भारत-िांग्लादे श ने संयुक्त सलाहकार आयोि (JCC) के सातिें दौर की िैठक आयोलजत की है।
दोनों दे श आपटषपफलशयल इं टेललजेंस, साइिर सुरक्षा, स्टाटषअप और पफनटेक के क्षेत्रों में सहयोि का पता लिाने के ललए रणनीवतक साझेदारी का विस्तार
करने पर सहमत हु ए।
इसके अवतररक्त, दोनों दे श रे लिे क्षेत्र के साथ-साथ सीमा पार नदी प्रिंधन और संरक्षण में भी संिंधों को आिे िढाएं िे।
5.20 संयुि राष्ट्र (UN) द्वारा ‘आंतररक विस्थापन पर कायत एजेंडा’ जारी
हाल ही में संयुक्त रािर (UN) महासचचि ने ‘आंतररक विस्थापन पर कायष एजेंडा’ (Action Agenda on Internal Displacement) जारी पकया है।
यह कायष एजेंडा आंतररक विस्थापन संकटों को िेहतर ढंि से हल करने , रोकने और दूर करने के ललए संयुक्त रािर प्रणाली की प्रवतििताओं
को वनधाररत करता है ।
आंतररक रूप से विस्थापपत व्यगक्त (IDPs) िे लोि हैं, जो कई कारणों से अपने घरों से पलायन के ललए मजिूर हो जाते हैं , लेपकन अपने दे श
के भीतर ही रहते हैं।
आंतररक विस्थापन के प्रमुख कारण वनम्नलिखखत हैं:
सशस्त्र संघर्ष,
सामान्य हहंसा,
मानिाधधकारों का उल्लंघन,
प्राकृवतक या मानि वनवमषत आपदा, जलिायु पररितषन के प्रभाि आहद।
आंतररक रूप से विस्थापपतों की संख्या 5.9 करोड से अधधक (2021) हो िई है। भारत में भी िर्ष 2021 में आंतररक विस्थापपतों की संख्या 49 लाख थी।
आंतररक रूप से विस्थाडपत िोि वनम्नलिखखत चुनौवतयों का सामना करते हैं:
शारीररक हमले, लैंगिक हमले और अपहरण का अत्यधधक खतरा।
पयाप्त आश्रय, भोजन और स्वास्थ्य सेिाओं आहद से िंचचत होना।
यह कायत एजेंडा वनम्नलिखखत तीन िक्ष्यों को साकार करने के लिए संयुि राष्ट्र की प्रवतिद्धताओं को वनधाररत करता है:
आंतररक रूप से विस्थापपत लोिों की उनके विस्थापन का एक स्थायी समाधान खोजने में मदद करना;
नए विस्थापन संकटों को उभरने से िेहतर तरीके से रोकना; तथा
यह सुवनलश्चत करना पक विस्थापन का सामना करने िालों को प्रभािी सुरक्षा और सहायता वमले।
भारत में, आंतररक विस्थापन को वनम्नलिखखत श्रेद्धणयों में शावमि डकया जाता है:
प्राकृवतक आपदाओं के कारण विस्थापन,विकास िवतविधधयों के कारण विस्थापन, तथा हहंसा और संघर्ष की घटनाओं के कारण विस्थापन ।
भूवम अधधग्रहण अधधवनयम, 2013 और आपदा प्रिंधन अधधवनयम, 2005 पहली दो श्रेद्धणयों को संिोधधत करते हैं ।
इनके अलािा, प्रिालसयों और स्वदे श लौटने िालों के राहत ि पुनिास की एक अम्ब्रेला योजना भी चलाई जा रही है। इसके तहत वित्तीय
सहायता और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
स्रोत –द दहन्दू
6.3 मंकीपॉक्स
हाल ही में मंकीपॉक्स के कारण नाइजीररया में पहली मौत दजष की िई है। हालांपक, विि स्वास्थ्य संिठन (WHO) ने कहा है पक मंकीपॉक्स िैलिक
महामारी के रूप में पररिवतषत नहीं होिा।
मंकीपॉक्स एक पशुजन्य (जूनोपटक) रोि है। यह ऑथोपॉक्सिायरस जीनस से संिंधधत िायरस के कारण होता है ।
ऑथोपॉक्सिायरस जीनस में िेररयोला िायरस (जो चेचक का कारण िनता है ), िैक्सीवनया िायरस (चेचक के टीके में प्रयुक्त ) और
काउपॉक्स िायरस आहद भी शावमल हैं।
इसे पहली िार िर्ष 1958 में खोजा िया था। इसका व्यापक प्रसार मध्य और पलश्चम अफ्रीका के उष्णकपटिंधीय िर्ािनों के समीप हु आ है ।
इसका पशु से मानि में संचरण रक्त, शारीररक तरल पदाथष, या संक्रवमत जानिरों के िचीय या श्लैत्वष्मक घािों के प्रत्यक्ष संपकष में आने से हो
सकता है।
स्रोत – द दहंदू
6.5 प्रधान मंत्री रोजिार सृजन कायतक्रम (PMEGP) वित्त िषत 2025-26 तक जारी
प्रधान मंत्री रोजिार सृजन कायषक्रम (PMEGP) को वित्त िर्ष 2025-26 तक जारी रखने को मंजूरी दी ियी है ।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) मंत्रालय ने प्रधान मंत्री रोजिार सृजन कायषक्रम (PMEGP) को अिले पांच िर्ों के ललए जारी रखने को मंजूरी दी
है। यह अिधध िर्ष 2021-22 से िर्ष 2025-26 तक होिी।
कायषक्रम के ललए पररव्यय रालश 13554.42 करोड रुपये होिी। यह योजना पांच वित्तीय िर्ों में लिभि 40 लाख व्यगक्तयों के ललए स्थायी रोजिार के
अिसर पैदा करे िी।
मौजूदा योजना में वनम्नलिखखत प्रमुख संशोधन डकये िए हैं:
विवनमाण इकाइयों के ललए अधधकतम पररयोजना लाित 25 लाख रुपये से िढाकर 50 लाख रुपये कर दी ियी है।
सेिा इकाइयों के ललए अधधकतम पररयोजना लाित 10 लाख रुपये से िढाकर 20 लाख रुपये की िई है। ग्रामोद्योि और ग्रामीण क्षेत्र की
पररभार्ा को संशोधधत पकया िया है ।
पंचायती राज संस्थाओं के अंतिषत आने िाले क्षेत्रों को ग्रामीण क्षेत्र के अंतिषत रखा िया है। िहीं निर पाललका के अंतिषत आने िाले क्षेत्रों को
शहरी क्षेत्र माना जाएिा।
सभी कायान्वयन एजेंलसयों को आिेदन प्राप्त करने और वनपटान करने की अनुमवत दी ियी है , भले ही ये ग्रामीण श्रेणी के हों या शहरी श्रेणी
के हों।
आकांक्षी लजलों और टर ांसजेंडर श्रेणी के PMEGP आिेदकों को विशेर् श्रेणी के आिेदकों के रूप में माना जाएिा। ये उच्च सस्थिडी के ललए
पात्र होंिे।
PMEGP को िर्ष 2008 में आरं भ पकया िया था। इसे प्रधानमंत्री रोजिार योजना (PMRY) और ग्रामीण रोजिार सृजन कायषक्रम (REGP)
को वमलाकर शुरू पकया िया था।
यह एक क्रेपडट ललंक् ड सस्थिडी कायषक्रम तथा केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। इसे MSME मंत्रालय प्रशालसत करता है। यह ग्रामीण और शहरी
क्षेत्रों में सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना के माध्यम से युिाओं के ललए रोजिार के अिसर पैदा करने की सुविधा प्रदान करता है। इसे खादी और
ग्रामोद्योि आयोि (KVIC) ने रािर ीय स्तर पर लािू पकया है।
PMEGP के तहत दी जाने िािी सक्टिडी-
विशेर् श्रेणी अथात अनुसूचचत जावत, अनुसूचचत जनजावत, अन्य पपछडा ििष, महहला, टर ांसजेंडर आहद के ललए शहरी क्षेत्र में पररयोजना लाित
का 25 प्रवतशत तथा ग्रामीण क्षेत्र में 35 प्रवतशत है।
सामान्य श्रेणी के ललए, शहरी क्षेत्र में पररयोजना लाित का 15 प्रवतशत और ग्रामीण क्षेत्रों में 25 प्रवतशत है।
स्रोत – द दहंदू
6.6 विद्युत और निीकरणीय ऊजा (RE) उपकरणों के लिए विवनमाण िेत्र स्थाडपत
हाल ही में विद्युत और निीकरणीय ऊजा (RE) उपकरणों के ललए विवनमाण क्षेत्र स्थापपत करने की योजना हे तु अधभरुचच-पत्र मानदं ड को संशोधधत
पकया िया है ।
यह योजना विद्युत मंत्रालय तथा निीन और निीकरणीय ऊजा मंत्रालय ने संयुक्त रूप से प्रस्तावित की है। इस योजना के तहत िर्ष 2026-
27 तक विद्युत और निीकरणीय ऊजा उपकरणों के ललए 3 विवनमाण क्षेत्र स्थापपत पकए जाएं िे।
इनमें से 2 क्षेत्र पहले से विकलसत भूवम पर ब्राउनफीर्ल् प्रकृवत के होंिे। दे श के तटीय क्षेत्र में 1 ग्रीनफीर्ल् विवनमाण इकाई स्थापपत की
जाएिी।
6.7 िुजरात के किोि में स्थाडपत होिा दे श का पहिा तरि नैनो यूररया संयंत्र
हाल ही में प्रधान मंत्री ने कलोल (िुजरात) में दे श के पहले तरल नैनो यूररया संयंत्र का उद्घाटन पकया है। तरल नैनो यूररया पेटेंटकृत रासायवनक
नाइटर ोजन उिषरक है।
इसका विकास IFFCO के कलोल स्थस्थत नैनो जैि प्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र ने पकया है। यह उिषरक नैनो नाइटर ोजन कणों 20-50 नैनोमीटर से वनवमषत
है।
यह विि का पहला नैनो यूररया (तरल) संयंत्र है। एक नैनोमीटर एक मीटर के अरििें हहस्से के िरािर होता है।
यह सीधे पौधों की पधत्तयों पर चछडका जाता है । इसे पधत्तयों के एपपडवमषस (िाह्यपरत) पर पाए जाने िाले रं ध्र -चछद्र (स्टोमेटा) अिशोपर्त कर लेते हैं।
नैनो यूररया के िाभ
पारं पररक यूररया की 25% दक्षता की तुलना में नैनो यूररया की दक्षता 85-90% तक है । इससे यूररया की कम खपत होिी। साथ ही, कृपर्
उपज में भी सुधार होिा।
यूररया आयात में कमी आएिी।
सरकारी सस्थिडी ि लॉलजत्वस्टक लाित में कमी आएिी।
यूररया से होने िाले वमट्टी, जल और िायु प्रदूर्ण में कमी होिी।
इसके अलािा. भवमित जल की िणित्ता में सिार होिा और ग्लोिल िावमिंि में कमी करने में मदद वमलेिी।
नमी के संपकष में आने पर घनीभूत (caking) होने की कोई समस्या नहीं होने के कारण इसकी शेल्फ लाइफ अधधक होिी।
कृडष में नैनो प्रौद्योगिकी के अन्य संभावित उपयोि
शाकनालशयों, कीटनाशकों और अन्य उिषरकों के नैनोफॉम्युषलेशन का उपयोि पकया जा सकता है।
कृपर्-रसायन के अिशेर्ों और रोिों की पहचान करने के ललए नैनोसेंसर का उपयोि पकया जा सकता है । उत्पादकता, पोर्ण मूल्य या शेल्फ
लाइफ िढाने के ललए पौधों की आनुिंलशकी में सुधार में उपयोि पकया जा सकता है।
स्रोत –द दहन्दू
6.9 भारत द्वारा इिेिरॉवनक टर ांसवमशन सीमा शुल्क स्थिन को जारी रखने का विरोध
हाल ही में भारत सरकार द्वारा यह वनणषय ललया िया पक भारत विि व्यापार संिठन (WTO) की िैठक में इलेक्टरॉवनक टर ांसवमशन सीमा शुल्क स्थिन
को जारी रखने का विरोध करे िा ।
WTO के सदस्य दे शों ने िर्ष 1998 के िाद से, इलेक्टरॉवनक टर ांसवमशन पर सीमा शुल्क नहीं लिाने पर सहमवत व्यक्त की थी। इलेक्टरॉवनक
टर ांसवमशन में िस्तु (जैसे ई-िुक्स और म्यूलजक डाउनलोड) तथा सेिाओं, दोनों को शावमल पकया िया है ।
इलेक्टरॉवनक टर ांसवमशन पर सीमा शुल्क स्थिन (moratorium) को समय-समय पर िढाया जाता रहा है। ितषमान में पडलजटल व्यापार में
तकनीकी रूप से सक्षम और विकलसत दे शों का िचषस्व है । इसललए, सीमा शुल्क स्थिन पूरी तरह से विकलसत दे शों के पक्ष में झुका हु आ है।
भारत, विकासशील दे शों पर स्थिन के प्रवतकूल प्रभाि को उजािर करने के ललए कई िार संयुक्त आिेदन दे चुका है ।
इस कारण से विकासशील दे शों को प्रशुल्क के रूप में 10 अरि डॉलर की िापर्षक राजस्व हावन होने का अनुमान है । भारत को िापर्षक लिभि
50 करोड डॉलर का नुकसान होता है।
पहले की भौवतक िस्तुओ ं (DVDs की जिह ऑनलाइन स्टर ीवमंि, मुहद्रत पुस्तकों की जिह ई-िुक्स आहद) के पडलजटलीकरण से राजस्व की
हावन हु ई है।
यहद 3D पप्रंपटंि तकनीक में वनिेश को दोिुना कर हदया जाता है , तो यह संभावित रूप से िर्ष 2047 तक सीमा पार भौवतक िैलिक व्यापार में
40% तक की कमी कर सकता है। इससे राजस्व की और हावन हो सकती है।
आयात शुल्क स्थिन की समाब्दप्त विकासशील दे शों के ललए महिपूणष है। इससे िे पडलजटल क्षेत्र में अपनी प्रिवत को दे खते हु ए नीवतयां िना
सकेंिे। इसके माध्यम से िे आयात को विवनयवमत कर सकेंिे और राजस्व प्राप्त कर सकेंिे।
हालांपक, शुल्क स्थिन के समथषकों का दािा है पक सीमा शुल्क लिाने से पडलजटल अथषव्यिस्था के विकास पर प्रवतकूल प्रभाि पडेिा।
स्रोत –द दहन्दू
6.12 ििनतमेंट ई-माकेटप्लेस (GeM) पोटति के माध्यम से सहकारी सवमवतयों को खरीद की अनुमवत
हाल ही में केंद्र सरकार ने ििनषमेंट ई-माकेटप्लेस (GeM) पोटषल के माध्यम से सहकारी सवमवतयों को खरीद की अनुमवत दी।
केंद्रीय मंपत्रमंडल ने GeM के कायादे श (mandate) का विस्तार करने के प्रस्ताि को मंजूरी दी है। यह विस्तार सहकारी सवमवतयों को GeM
पर खरीद में सक्षम िनाने के ललए पकया जा रहा है ।
इस कदम से सहकारी सवमवतयों को खुली और पारदशी प्रपक्रया के माध्यम से प्रवतस्पधी मूल्य प्राप्त करने में मदद वमलेिी।
इससे दे श की 8.54 लाख से अधधक पंजीकृत सहकारी सवमवतयां और उनके 27 करोड सदस्य लाभात्वन्वत होंिे।
इससे GOM पर पंजीकृत विक्रेताओं को भी अधधक खरीदारों तक पहु ंचने में मदद वमलेिी। साथ ही, यह कदम सहकारी सवमवतयों के ललए
व्यिसाय करना सुिम िनाएिा।
GeM के िारे में
इसे िर्ष 2016 में िाद्धणज्य मंत्रालय ने लॉन्च पकया था। इसका उद्देश्य सरकारी खरीदारों के ललए एक खुला और पारदशी खरीद मंच उपलब्ध
कराना है।
6.13 विश्व व्यापार संिठन (WTO) के 60 सदस्य दे शों ने खाद्य सक्टिडी पर नई पद्धवत का समथतन डकया
भारत सहहत G–33, अफ्रीकी समूह और ACP (अफ्रीकी, कैररवियन और प्रशांत) समूह ने विि व्यापार संिठन के समक्ष एक संयुक्त प्रस्ताि प्रस्तुत
पकया है । इसमें खाद्य सस्थिडी िणना की पिवत में सुधार की िात की ियी है।
विश्व व्यापार संिठन की िततमान डक्रयाविधध-
WTO का यह अधधदे श है पक सदस्य दे शों के खाद्य सस्थिडी विल को 'िाह्य संदभष अिधध (External Reference Period: ERP) के
आधार पर उत्पादन मूल्य के 10 प्रवतशत की सीमा का उल्लंघन नहीं करना चाहहए।
इस 10% की सीमा को ‘डी वमवनवमस’ के रूप में जाना जाता है। इसका अथष है - कृपर् पर समझौते के तहत प्रदान की जाने िाली घरे लू
सहायता की न्यूनतम मात्रा।
‘िाह्य संदभष अिधध’ (ERP) आधार िर्ष 1986-88 पर आधाररत औसत मूल्य है। ERP को दशकों से संशोधधत नहीं पकया िया है। यह पिवत
विकासशील दे शों में उच्च मुद्रास्फीवत के स्तर को ध्यान में रखने में विफल रही है।
इन दे शों ने सक्टिडी की िणना करने के लिए एक नई पद्धवत का सुझाि ददया है:
िाहरी संदभष मूल्य (ERP) में अत्यधधक मुद्रास्फीवत की िणना करके, या पपछले पांच िर्ों के आधार पर ERP की िणना करके। इसमें संिंधधत उत्पाद
के ललए उच्चतम और वनम्नतम प्रविपि को नहीं जोडा जायेिा।
घरे लू समथषन में सस्थिडी का ििीकरण शावमल हैं। इन्हें टर ैपफक लाइट् स के रं िों के अनुसार ििीकृत पकया िया है ।
ग्रीन िॉक्स
इन उपायों को कटौती प्रवतििताओं से छूट दी िई है। िास्ति में, इसे विि व्यापार संिठन के तहत विना पकसी वित्तीय सीमा के भी िढाया
जा सकता है।
यह विकलसत और विकासशील, दोनों तरह के सदस्य दे शों पर लािू होता है। लेपकन विकासशील दे शों के मामले में , खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों के
ललए सरकारी अंशधाररता कायषक्रमों तथा शहरी एिं ग्रामीण िरीिों के ललए सस्थिडीकत खाद्य कीमतों के संिंध में विशेर् व्यिहार प्रदान
पकया जाता है ।
भारत की सािषजवनक वितरण प्रणाली-(PDS) ग्रीन िॉक्स के अंतिषत नहीं आती है।
एम्बर िॉक्स
िे सभी घरे लू समथषन उपाय (कुछ अपिादों के साथ) लजन्हें उत्पादन और व्यापार को विकृत करने िाला माना जाता है , एिर िॉक्स में आते
हैं।
उदाहरण के लिए- न्यूनतम समथषन मूल्य (MSP); खरीद मूल्य तथा उिषरक, जल, ऋण, विजली आहद जैसे इनपुट पर सस्थिडी का कुल
योि।
ब्लू िॉक्स
इसमें िास्ति में एिर िॉक्स सस्थिपडयां हैं। लेपकन, ये उत्पादन को सीवमत करती हैं। ऐसा कोई भी समथषन जो आम तौर पर एिर िॉक्स में
होता है, उसे ब्लू िॉक्स में रखा जाएिा, यहद ऐसा समथषन पकसानों को अपने उत्पादन को सीवमत करने के ललए िाध्य करता हो।
इन उपायों को भी कटौती प्रवतििताओं से छूट प्राप्त है।
विशेष और विभेदक व्यिहार िॉक्स (S&DT)
इसमें टर क्ट
ै र और पंप सेट जैसी वनिेश सस्थिडी, पकसानों को उिषरक जैसी कृपर् इनपुट सेिाएं आहद शावमल हैं ।
ऐसी सस्थिडी केिल विकासशील और वनम्न आय िाले दे शों द्वारा दी जा सकती है।
स्रोत –द दहन्दू
6.16 ग्रेटर पन्ना िैंडस्केप के लिए एकीकृत भू–पररदृश्य प्रिंधन ILM योजना आरं भ
हाल ही में जल शगक्त मंत्रालय ने ग्रेटर पन्ना लैंडस्केप के ललए एकीकृत भू –पररदृश्य प्रिंधन ILM योजना आरं भ की है । यह योजना भारतीय िन्यजीि
संस्थान ने केन-िेतिा ललंक पररयोजना के संिंध में तैयार की है।
एकीकृत भू–पररदृश्य प्रिंधन का तात्पयष भू–पररदृश्य से आिश्यक कई उद्देश्यों को प्राप्त करने के ललए अलि-अलि हहतधारकों के िीच दीघषकाललक
सहयोि से है।
इन उद्देश्यों में वनम्नलिखखत शावमि हैं:
कृपर् उत्पादन,पाररस्थस्थवतकी तंत्र सेिाओं का वितरण, सांस्कृवतक विरासत और मूल्य, ग्रामीण आजीविका आहद।
6.24 खाडी सहयोि पररषद (GCC) के साथ भारत का िढ़ता दद्वपिीय व्यापार
GCC समूह के दे शों के साथ भारत का हद्वपक्षीय व्यापार िर्ष 2020-21 के 87.4 अरि अमेररकी डॉलर से िढकर िर्ष 2021-22 में 154.73 अरि
अमेररकी डॉलर हो िया है।
उल्लेखनीय है पक दोनों के िीच िढते आधथषक संिंधों के कारण व्यापार में िृद्धि दजष की ियी है।
िर्ष 2021-22 में GCC को भारत का वनयात 58.26 प्रवतशत िढा है।
भारत के कुल वनयात में GCC दे शों की हहस्सेदारी िढकर 10.4 प्रवतशत हो िई है। GCC एक राजनीवतक, आधथषक, सामालजक और क्षेत्रीय संिठन है ।
इसके सदस्यों में शावमल हैं - सऊदी अरि, संयुक्त अरि अमीरात (यू.ए.ई.), ओमान, कतर, िहरीन तथा कुिैत।
भारत GCC संिंधों का महत्व
व्यापार और िाद्धणज्यः िर्ष 2021-22 में भारत के कुल व्यापार का लिभि पांचिां हहस्सा इराक सहहत GCC के साथ संपन्न हु आ था।
ऊजा सुरिाः GCC के पयाप्त तेल और िैस भंडार भारत की ऊजा जरूरतों के ललए अत्यंत महिपूणष हैं।
6.25 भारत की सतत विकास िक्ष्य (SDG) तैयारी रैं डकं ि में गिरािट
एक ररपोटष के अनुसार भारत की सतत विकास लक्ष्य (SDG) तैयारी (preparedness) रैं पकं ि में गिरािट जारी है ।
सतत विकास ररपोटष (SDR), 2022 में भारत 163 दे शों में से 121िें स्थान पर है। यह ररपोटष सतत विकास समाधान नेटिकष (SDSN) के स्वतंत्र विशेर्ज्ञों
के एक समूह द्वारा प्रकालशत की ियी है।
SDR यह आकलन करती है पक SDG की प्राब्दप्त में प्रत्येक दे श की स्थस्थवत क्या है। SDR को पूिष में SDG इंडेक्स और डैशिोडष कहा जाता था।
ररपोटत के मुख्य वनष्कषत:
लिातार दूसरे िर्ष, विि सतत विकास लक्ष्यों की प्राब्दप्त की हदशा में प्रिवत नहीं कर रहा है।
इं टरनेशनल स्तस्पलओिर इं डेक्स, 2022 के अनुसार संपन्न दे श विशेर् रूप से असंधारणीय खपत के माध्यम से नकारात्मक अंतरािर ीय
स्तस्पलओिर (प्रभाि विस्तार) उत्पन्न कर रहे हैं।
स्तस्पलओिर प्रभाि एक दे श की अथषव्यिस्था पर दूसरे दे श में होने िाली असंिंधधत घटनाओं के प्रभाि को दशाता है।
ररपोटष के अनुसार, िर्ष 2030 और उसके िाद सतत विकास लक्ष्यों के मामले में प्रिवत के ललए विि के समक्ष मूलभूत शते हैं: शांवत, कूटनीवत
और अंतरािर ीय सहयोि।
भारत का प्रदशतन:
भारत की रैं पकं ि में लिातार तीसरे िर्ष गिरािट दजष की ियी है। भारत िर्ष 2020 में 117िें और िर्ष 2021 में 120िें स्थान पर था। इस िर्ष यह
121िें स्थान पर है।
भारत ने SDG के दो लक्ष्य (SDG 12 और 13) प्राप्त कर ललए हैं।
एक लक्ष्य (SDG 4) के मामले चुनौवतयां िनी हु ई हैं ।
3 लक्ष्यों (SDG 1, 7 और 10) में महिपूणष चुनौवतयां िनी हु ई हैं।
कुल 17 SDGs में से 11 लक्ष्यों (SDG-2, 3, 5, 6, 8, 9,11,14,15,16 और 17) की प्राब्दप्त में िडी चुनौवतयां िनी हु ई हैं ।
सतत विकास समाधान नेटिकत (SDSN) के िारे में:
इसे िर्ष 2012 में संयुक्त रािर महासचचि िान की मून ने लॉन्च पकया था।
इसके वनम्नलिखखत िक्ष्य हैं:
सतत विकास तथा SDGs के कायान्वयन के ललए व्यािहाररक समस्या समाधान को िढािा देने हे तु िैलिक िैज्ञावनक और तकनीकी
विशेर्ज्ञता जुटाना।
SDSN संयुक्त रािर एजेंलसयों, िहु पक्षीय वित्तपोर्ण संस्थानों, वनजी क्षेत्र और नािररक समाज के साथ वमलकर कायष करता है।
िर्ष 2019 में, SDSN ने लसक्स टर ांसफॉमेशंस फ्रेमिकष प्रकालशत पकया था। यह SDGs की प्राब्दप्त की हदशा में पररितषनकारी प्रयासों को
एकजुट करने के ललए एक निीन फ्रेमिकष है।
स्रोत –द दहन्दू
6.28 पेटेंट संरिण के मामिे में भारत सिसे चुनौतीपूणत अथतव्यिस्थाओं में शावमि
हाल ही में जारी यूएस टर ेड ररप्रेजेन्टेपटि (USTR) ररपोटष के अनुसार, पेटेंट संरक्षण के मामले में भारत सिसे चुनौतीपूणष अथषव्यिस्थाओं में शावमल है ।
USTR ने अपनी स्पेशल 301ररपोटष में भारत को छह अन्यदे शों के साथ प्राथवमकता वनिरानी सूची (Priority Watch List) में िनाए रखा
है।
भारत के अलािा इस सूची में शावमल छह अन्य दे श हैं: अजेंटीना, चचली, चीन, इंडोनेलशया, रूस और िेनेजुएला।
इस ररपोटष में भारत और अमेररका के िीच वििाद के मुख्य विंद ु पर प्रकाश डाला िया िया है, जो भारतीय पेटेंट अधधवनयम, 1970 की धारा
3(d) से संिंधधत है ।
धारा 3 में उन खोजों का वििरण है , लजन्हें उक्त अधधवनयम के तहत आविष्कार नहीं माना जा सकता है। इसी तरह धारा 3(d) पेटेंट की
एिरग्रीवनंि को रोकती है । (यहद मौजूदा उत्पाद में कुछ मामूली संशोधन करके पेटेंट के ललए पुनः आिेदन पकया जाता है , तो इसे एिरग्रीवनंि
कहते हैं।)
भारत में पेटेंट, भारतीय पेटेंट अधधवनयम, 1970 द्वारा शालसत होते हैं। इसे भारतीय पेटेंट और पडजाइन अधधवनयम, 1911 की जिह लाया िया
है।
इस अधधवनयम के तहत पेटेंट तभी प्रदान डकये जाते हैं ,जि आविष्कार वनम्नलिखखत मानदं डों को पूरा करता होः–
यह अधभनि होना चाहहए।
इसमें आविष्कारी प्रयास होने चाहहए अथिा यह स्वतःप्रकट (Obvious) नहीं होना चाहहए।
यह औद्योगिक अनुप्रयोि के ललए सक्षम होना चाहहए।
यह पेटेंट अधधवनयम, 1970 की धारा 3 और 4 केप्रािधानों के अधीन नहीं आना चाहहए।
भारत िौद्धद्धक संपदा अधधकार से संिंधधत वनम्नलिखखत अधभसमयों का हस्तािरकता है:
िौद्धिक संपदा अधधकार के व्यापार संिंधी पहलू (TRIPS),
िनष अधभसमय जो कॉपीराइट से संिंधधत है ,
िुडापेस्ट संधध,
औद्योगिक संपदा के संरक्षण के ललए पेररस अधभसमय, और पेटेंट सहयोि संधध (PCT)।
स्रोत –द दहन्दू
6.34 डप्रंट, डडलजटि एिं इिेिरॉवनक मीडडया को ऑनिाइन िेडटंि िािे विज्ञापनों की अनुमवत नहीं
हाल ही में सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने पप्रंट, पडलजटल एिं इलेक्टरॉवनक मीपडया को ऑनलाइन िेपटंि (दांि) को िढािा देने िाले विज्ञापनों से दूर रहने
को कहा है ।
मंत्रालय ने कहा है पक ऑनलाइन िेपटंि के विज्ञापन भ्रामक प्रकृवत के हैं। इसके अवतररक्त, ये वनम्नललखखत कानूनों/वनदे शों के अनुरूप नहीं हैं:
उपभोक्ता संरक्षण अधधवनयम 2019,
केिल टेलीविजन नेटिकष विवनयमन अधधवनयम, 1995 के तहत विज्ञापन संहहता,
भारतीय प्रेस पररर्द (PCI) द्वारा वनधाररत पत्रकाररता आचरण के मानदं डों के तहत विज्ञापन मानदं ड।
भारत में ऑनिाइन िेवमंि के विवनयमन के िारे में:
दांि (िैपटंि) और जुए/द्यूत (िैंिललंि) का उल्लेख संविधान की सातिीं अनुसूची की सूची- II में पकया िया है।
इनके विवनयमन का विशेर् अधधकार राज्यों को प्रदान पकया िया है।
िोिा, लसस्थक्कम और दमन को छोडकर भारत के प्रत्येक राज्य ने स्पि रूप से पकसी भी प्रकार के जुए तथा िेपटंि पर प्रवतिंध लिा हदया है।
हालांपक, ‘ऑनलाइन’ िेपटंि और जुए के विवनयम ‘ग्रे जोन’ के अंतिषत आते हैं।
इसे काननी दजा प्रदान करने िाला पहला राज्य लसस्थक्कम है। तेलंिाना इस पर प्रवतिंध लिाने िाला पहला राज्य है।
हाल ही में, केंद्र सरकार ने ऑनलाइन िेवमंि को विवनयवमत करने और इसकी वनिरानी को एक मंत्रालय के अधीन लाने के ललए एक सवमवत
का िठन पकया है।
िस्तु और सेिा कर (GST) पररर्द ने ऑनलाइन िेवमंि पर 28% GST लिाने को विचार योग्य माना है। ितषमान में इन पर कोई कर नहीं
लिता है। इसके पररणामस्वरूप सरकारी कोर् को नुकसान होता है।
संिंधधत जानकारी:
भारत सरकार या पकसी राज्य की सरकार द्वारा संचाललत लॉटरी संविधान की 7िीं अनुसूची की संघ सूची के अंतिषत आती है।
6.35 िैंक िोडत ब्यूरो को िदिने के लिए िडे जनादे श के साथ नई इकाई
केंद्र सरकार िैंक िोडष ब्यूरो (BBB) की जिह व्यापक अधधदे श िाली नई संस्था िहठत करने की योजना िना रही है। प्राप्त जानकारी के अनसार केंद्र
सरकार िैंक िोडष ब्यरो के स्थान पर नई संस्था िहठत करने की योजना िना रही है । नई संस्था एक व्यापक और कानूनी रूप से अधधक मान्य अधधदे श से
युक्त होिी।
िैंक िोडष ब्यूरो भारत सरकार का एक स्वायत्त वनकाय है। इसकी स्थापना िर्ष 2016 में पी.जे. नायक सवमवत की लसफाररश के आधार पर की
िई थी।
इसका उद्देश्य सािषजवनक क्षेत्र के अलि-अलि वित्तीय संस्थानों के िोडष के सदस्यों का चयन और वनयुगक्त करना है।
िैंक िोडष ब्यूरो को सभी सािषजवनक क्षेत्र के िैंकों के वनदे शक मंडल के साथ संपकष में रहने का कायष भी सौंपा िया था। इसके पीछे मुख्य
उद्देश्य िैंकों की संिृद्धि और विकास के ललए उपयुक्त रणनीवत तैयार करना है।
सािषजवनक क्षेत्र के 10 िैंकों का विलय कर चार िडे िैंकों के िठन के ललए भी िोडष से परामशष पकया िया था।
िैंक िोडष ब्यूरो ने सािषजवनक क्षेत्र की सामान्य िीमा कंपवनयों में कुछ वनयुगक्तयां की थी। िर्ष 2021 में, हदल्ली उच्च न्यायालय ने ब्यूरो द्वारा की
िई वनयुगक्तयों को िैंपकं ि कंपनी (उपक्रमों का अधधग्रहण और हस्तांतरण) अधधवनयम, 1980 के अधधकारातीत होने के कारण रद्द कर हदया
था।
न्यायालय ने उन पररपत्रों/आदे शों को भी रद्द घोपर्त कर हदया था, जो िैंक िोडष ब्यूरो को ऐसा करने की अनुमवत देते थे।
प्रस्तावित संस्था के अधधकार क्षेत्र में िीमा कंपवनयां भी शावमल होंिी। यह सरकार द्वारा संचाललत िैंकों, िीमा कंपवनयों और अन्य वित्तीय
संस्थानों में िररष्ठ प्रिंधन स्तर के पदों पर वनयुगक्त के ललए उम्मीदिारों की लसफाररश करे िी।
स्रोत –द दहन्दू
6.37 ‘रेििे के लिए स्टाटतअप्स’ नाम से भारतीय रेििे निाचार नीवत प्रस्तुत
हाल ही में रे ल मंत्रालय ने ‘रे लिे के ललए स्टाटषअप्स’ नाम से भारतीय रे लिे निाचार नीवत प्रस्तुत की है।
इस नीवत का उद्देश्य भारतीय स्टाटषअप्स/सूक्ष्म, लघु एिं मध्यम उद्यम (MSME)/ निोन्मेर्क/ उद्यवमयों द्वारा विकलसत निीन तकनीकों का लाभ उठाना
है। इससे भारतीय रे लिे की पररचालन दक्षता और सुरक्षा में सुधार हो सकेिा।
भारतीय रे ििे निाचार नीवत की मुख्य विशेषताएं
समान साझेदारी के आधार पर निोन्मेर्कों को 1.5 करोड रुपये तक का अनुदान हदया जायेिा। नयी उपलत्वब्ध पर भुितान का प्रािधान भी
पकया िया है ।
स्टाटषअप के चयन सहहत पूरी प्रपक्रया ऑनलाइन है।समय-सीमा भी वनधाररत की ियी है । इससे प्रपक्रया को पारदशी और उद्देश्यपू णष िनाया
जा सकेिा।
6.39 उन्मेष
संस्कृवत मंत्रालय और साहहत्य अकादमी, हहमाचल प्रदे श सरकार के कला एिं संस्कृवत विभाि के सहयोि से आज़ादी का अमृत महोत्सि समारोह के
हहस्से के रूप में लशमला में एक अंतरािर ीय साहहत्य महोत्सि उन्मेर् (Unmesh) का आयोजन कर रहे हैं।
भारत सहहत 15 दे शों के 425 से अधधक लेखकों, कवियों, अनुिादकों, आलोचकों और जीिन के विधभन्न क्षेत्रों के विलशि व्यगक्तिों के साथ 60 से
अधधक भार्ाओं तथा 64 कायषक्रमों का प्रवतवनधधि करते हु ए UNMESHA दे श का सिसे िडा साहहत्य उत्सि है।
सादहत्य अकादमी:
12 माचष, 1954 को भारत सरकार द्वारा औपचाररक रूप से साहहत्य अकादमी का उद्घाटन पकया िया।
हालाँपक यह सरकार द्वारा स्थापपत पकया िया था परं तु यह अकादमी एक स्वायत्त संिठन के रूप में कायष करती है। इसे सोसायटी पंजीकरण
अधधवनयम, 1860 के तहत जनिरी 1956 में एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत पकया िया था।
साहहत्य अकादमी, भारत की रािर ीय पत्र अकादमी, दे श में साहहत्वत्यक संिाद, प्रकाशन और प्रचार के ललये केंद्रीय संस्था है तथा अंग्रेज़ी सहहत
24 भारतीय भार्ाओं में साहहत्वत्यक िवतविधधयों का संचालन करने िाली एकमात्र संस्था है।
अकादमी द्वारा मान्यता प्राप्त भार्ाओं में साहहत्वत्यक कृवतयों के ललये सालाना 24 पुरस्कार और भारत की भार्ाओं में तथा भारत की भार्ाओं
में साहहत्वत्यक अनुिादों के ललये समान संख्या में पुरस्कार, जाँच चचा एिं चयन की एक साल की लंिी प्रपक्रया के िाद हदये जाते हैं।
यह भारतीय साहहत्य को िढािा देने के ललये दुवनया भर के विधभन्न दे शों के साथ साहहत्वत्यक आदान-प्रदान कायषक्रम भी चलाता है।
ज्ञानपीठ पुरस्कार के िाद साहहत्य अकादमी पुरस्कार भारत सरकार द्वारा हदया जाने िाला दूसरा सिसे िडा साहहत्वत्यक सम्मान है।
स्रोत: पी.आई.िी.
6.43 भारतीय ररज़ित िैंक (RBI) द्वारा ‘पेमेंट्स विजन 2025’ दस्तािेज जारी
हाल ही में भारतीय ररज़िष िैंक (RBI) ने ‘पेमेंट्स विजन-2025’ दस्तािेज जारी पकया है ।
ितषमान विज़न दस्तािेज़, पेमेंट्स विज़न 2019-21 दस्तािेज़ पर आधाररत है। यह हदसंिर 2025 तक की अिधध के ललए विचार प्रपक्रया की रूपरे खा
तैयार करता है।
पेमेंट्स विजन 2025 भारत के प्रयासों का लाभ उठाने के साथ-साथ सीमा पार भुितान को िढाने हे तु G-20 के लक्ष्य पर भी आधाररत है।
इस क्रम में यह चार प्रमुख चुनौवतयोंलाित, िवत, पहु ं च और पारदलशषता का भी समाधान करने पर िल देता है।
इस दस्तािेज की थीम है: ई-भुितान सभी के ललए, सभी जिह, हर समय (E-Payments for Everyone, Everywhere, Every-time'
(4Es))
विजनः प्रत्येक उपयोिकता को सुरलक्षत, सुवनलश्चत, तेज, सुविधाजनक, सुिम और िहनीय ई-भुितान विकल्प प्रदान करना।
पेमेंट्स विजन 2025 के लिए िक्ष्यः अखंडता, समािेशन, निाचार, संस्थानीकरण तथा अंतराष्ट्रीयकरण।
उपयुति पांच िक्ष्यों के तहत प्रस्तावित विधभन्न पहिों से वनम्नलिखखत पररणाम प्राप्त डकये जाने की अपेिा की ियी है:
चेक-आधाररत भुितानों की मात्रा कुल खुदरा भुितानों के 0.25% से कम होनी चाहहए।
पडलजटल भुितान लेनदेन की संख्या में 3 िुना से अधधक की िृद्धि होनी चाहहए।
एकीकृत भुितान इं टरफेस (UPI) 50% और तत्काल भुितान सेिा (IMPS)/ रािर ीय इलेक्टरॉवनक वनधध अंतरण (NEFT) 20% की औसत
िापर्षक िृद्धि दजष करें िे।
सकल घरे लू उत्पाद (GDP) की तुलना में भुितान लेनदे न कारोिार को िढाकर 8% करना।
पॉइं ट ऑफ सेल (POS ) पर डेविट काडष लेनदेन में 20% की िृद्धि की जाएिी।
GDP के प्रवतशत के रूप में कैश इन सकुषलेशन (CIC) में कमी की जाएिी इत्याहद।
स्रोत - द दहन्दू
6.45 हररयाणा सरकार द्वारा िीटी कपास डकस्म के फीर्ल् टर ायि की अनुमवत
हाल ही में, हररयाणा सरकार ने, िीटी कपास (BT cotton) की एक खरपतिार- सहनीय और कीट-प्रवतरोधी पकस्म, ‘िीजी -2 आरआरएफ’ (BG-2
RRF) पर ‘फीर्ल् परीक्षण’ करने के ललए एक प्रमुख िीज कंपनी ‘महीको’ (Mahyco) को ‘अनापधत्त प्रमाण पत्र’ (NOC) जारी पकया है ।
‘िीजी-2 आरआरएफ’ अमेररकी िोलिमष (American Bollworm) जैसे विनाशकारी कीटों के हमलों से सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है।
इस संदभत में सरकार द्वारा उठाए िए अन्य कदम:
भारत ने दे श में िीजी-1 और िीजी-2 जीएम कपास के व्यािसागयक उपयोि की अनुमवत दी है , जिपक िीजी-2 आरआरएफ के ललए अनुमोदन
विधभन्न चरणों में लंवित है।
केंद्र सरकार ने पहली िार कुछ प्रकार की ‘जीनोम-संपाहदत फसलों’ को आनुिंलशक रूप से संशोधधत या जीएम फसलों पर लािू कडे वनयमों
से छूट दी है, लजससे इन फसलों पर आिे अनुसंधान पकए जाने एिं इनके विकास का मािष प्रशस्त हु आ है।
अन्य दे शों में प्रािधान:
कई दे शों में जीनोम एपडपटंि के माध्यम से विकलसत सफ्टियों, फलों, वतलहनों और अनाज – जैसे ‘िामा-एवमनोब्यूपटर क एलसड’ या ‘GABA
टमाटर’, ‘हाई ओललक कैनोला’ (High Oleic Canola) और सोयािीन, ‘नॉन-ब्राउवनंि मशरूम’ आहद की व्यािसागयक खेती या तो
विकलसत कर ली हैं या इनको अनुमोहदत कर हदया िया है।
चीन में भी ‘जीनोम एपडपटंि’ के ललए ‘हदशा-वनदे शों’ को मंजूरी दे दी ियी है , इससे अधधक पैदािार और जो कीटों और जलिायु पररितषन के
ललए प्रवतरोधी फसलों में अनुसंधान को िढािा वमलेिा।
स्रोत -द दहन्दू
6.47 भारत में 1 जुिाई से एकि उपयोि प्लास्टस्टक (SUP) पर प्रवतिंध क्यों ििाया जा रहा है
हाल ही में पयािरण, िन और जलिायु पररितषन मंत्रालय ने अि प्लात्वस्टक की उन िस्तुओ ं की एक सूची को पररभापर्त पकया है , लजन पर 1 जुलाई,
2022 से प्रवतिंध लिाया जाएिा।
अधधसूचना के अनुसार, पॉलीस्टाइररन और विस्ताररत पॉलीस्टाइररन िस्तुओ ं सहहत एकल उपयोि प्लात्वस्टक का वनमाण, आयात, भंडारण,
वितरण, विक्री और उपयोि को 1 जुलाई, 2022 से प्रवतिंधधत पकया जाएिा।
एकल उपयोि प्लात्वस्टक से तात्पयष ऐसे प्लात्वस्टक उत्पाद से है , लजसका वनपटान या पुनचषक्रण से पहले एक ही उद्देश्य के ललए एक िार
उपयोि पकया जाता है ।
प्लास्टस्टक अपलशष्ट् प्रिंधन (PWM) वनयम, 2016 के तहत वनम्नलिखखत एकि उपयोि प्लास्टस्टक िस्तुएं प्रवतिंधधत हैं:
प्लास्टस्टक स्टस्टक्सः प्लात्वस्टक त्वस्टक्स िाली ईयरिड् स, िुब्बारों के ललए प्लात्वस्टक त्वस्टक्स, प्लात्वस्टक के झंडे,कैंडी त्वस्टक्स, आइसक्रीम
त्वस्टक्स, सजािट के ललए पॉलीस्टाइररन (थमाकोल)।
कटिरी आइटमः प्लेट, कप, गिलास, कटलरी जैसे कांटे, चम्मच, चाकू, स्टर ॉ ि टर े।
पैडकं ि/रै डपंि डफल्म्सः वमठाई के पडब्बों, वनमंत्रण काडों और लसिरे ट के पैकेटों को लपेटने ि पैक करने में उपयोि की जाने िाली पफल्म।
अन्य िस्तुएं: 100 माइक्रोन से कम के प्लात्वस्टक या पीिीसी िैनर, त्वस्टरर आहद।
इससे पहले, 30 लसतंिर 2021 से, प्लात्वस्टक अपलशि प्रिंधन वनयमों के तहत 75 माइक्रोन से कम मोटे कैरी िैग्स पर प्रवतिंध लिा हदया िया था। 31
हदसंिर, 2022 से इस प्रवतिंध को िढाकर 120 माइक्रोन कर हदया जाएिा।
प्लात्वस्टक अपलशि प्रिंधन वनयम िुटखा, तंिाकू और पान मसाले के भंडारण, पैपकं ि या विक्री के ललए प्लात्वस्टक सामग्री का उपयोि करने िाले पाउच
के उपयोि पर पूरी तरह से प्रवतिंध लिाते हैं।
स्रोत - द दहन्दू
6.51 ‘अनुसूचचत और िहु -राज्यीय शहरी सहकारी िैंकों तथा ऋण सवमवतयों’ का राष्ट्रीय सम्मेिन आयोलजत
हाल ही में सहकाररता मंत्रालय द्वारा ‘अनुसूचचत और िहु -राज्यीय शहरी सहकारी िैंकों तथा ऋण सवमवतयों’ का रािर ीय सम्मेलन आयोलजत पकया िया है ।
यह सम्मेलन सहकाररता मंत्रालय और ‘नेशनल फेडरे शन ऑफ अिषन कोऑपरे पटि िैंक्स एं ड क्रेपडट सोसाइटीज ललवमटेड’ (NAFCUB) ने आयोलजत
पकया है ।
सम्मेलन में सहकारी िैंकों के आधुवनकीकरण की आिश्यकता पर िल हदया िया।
सहकारी िैंकों का महत्वः
ये िरीिों की सौदेिाजी की शगक्त को िढाते हैं ,
ये नेतृि विकास को प्रोत्साहहत करते हैं ,
ये वित्तीय समािेशन को िढािा देते हैं आहद।
सहकारी िैंकों द्वारा सामना की जाने िािी चुनौवतयां-
ऐसे िैंकों में सरकारी हस्तक्षेप अधधक है और इनका राजनीवतकरण भी होता है।
ऐसे िैंकों में वनष्पक्ष लेखा परीक्षा तंत्र का अभाि है।
लाित की तुलना में लाभ अलजषत करने की प्रिृधत्त का अभाि है।
इन्हें दोहरे विवनयमन का सामना करना पडता है। ये राज्य के रलजस्टर ार ऑफ सोसाइटीज और भारतीय ररजिष िैंक दोनों के विवनयमन के
अधीन हैं।
सहकारी सवमवतयों के संिंध में संिैधावनक प्रािधान-
‘सहकारी सवमवतयां’ सातिीं अनुसूची के तहत ‘राज्य सूची’ का विर्य है।
97िे संविधान संशोधन अधधवनयम के माध्यम से संविधान में भाि IXB को जोडा िया था।
भारत संघ िनाम राजेंद्र शाह और अन्य (2021) मामले में, न्यायालय ने संशोधन को आंलशक रूप से रद्द कर हदया था। न्यायालय के अनु सार
संशोधन के कुछ प्रािधान राज्य सूची के विर्यों के संिंध में राज्य विधानसभाओं की शगक्तयों का अवतक्रमण करते हैं।
अनुच्छेद-19(1)(c) संिम या संघ या सहकारी सोसाइटी िनाने की स्वतंत्रता की िारं टी देता है ।
अनुच्छेद-43B में कहा िया है पक राज्य, सहकारी सवमवतयों के स्वैफ्टच्छक िठन, स्वायत्त । कामकाज, लोकतांपत्रक वनयंत्रण और पेशेिर
प्रिंधन को िढािा देने का प्रयास करे िा।
इससे पहले, एक नया सहकाररता मंत्रालय िहठत पकया िया था। इसका िठन सहकारी सवमवतयों के ललए व्यिसाय करने में सुिमता हे तु
प्रपक्रयाओं को सुव्यिस्थस्थत करने तथा िहु राज्यीय सहकारी सवमवतयों के विकास को सक्षम िनाने के ललए पकया िया है।
स्रोत –द दहन्दू
6.52 ‘भारत के लिए भविष्य के सुपर फूड’ थीम पर राष्ट्रीय मोटा अनाज सम्मेिन आयोलजत
हाल ही में खाद्य प्रसंस्करण उद्योि मंत्रालय ने ‘भारत के ललए भविष्य के सुपर फूड’ थीम पर रािर ीय मोटा अनाज सम्मेलन का उद्घाटन पकया है ।
मोटा अनाज, छोटे िीज िाली घासों का एक समूह है। इसका उत्पादन मानि उपभोि के ललए अनाज/ खाद्यान्न की फसल के रूप में या चारे
के रूप में पकया जाता है।
प्रोटीन, विटावमन-ए, आयरन और आयोडीन जैसे पोर्क तिों से युक्त होने के कारण इन्हें सुपरफूड कहा जाता है।
यह खरीफ मौसम (जुलाई से अक्टू िर) में उिाई जाने िाली फसल है। िाजरा, पफं िर वमलेट /रािी (अनाज), और ज्वार खरीफ की फसलें हैं।
कृडष-जििायु क्टस्थवतः ये फसलें हररयाणा, उत्तर प्रदे श, छत्तीसिढ, िुजरात, राजस्थान आहद के शुष्क और अधष-शुष्क क्षेत्रों में अच्छी तरह से शुष्क दोमट
मृदा में उिाई जाती हैं।
मोटे अनाज का महत्व
इसकी खेती के ललए अधधक मशीनीकरण की आिश्यकता नहीं होती। यह सूखे को सहन कर सकती है। फसल तैयार होने में कम समय
लिता है। इससे खाद्य की मांि को पूरा करने में सहायता वमलती है।
6.53 िस्तु एिं सेिा कर (GST) प्रवतपूवतत उपकर की समयसीमा में िृद्धद्ध
हाल ही में िस्तु एिं सेिा कर (GST) प्रवतपूवतष उपकर की समयसीमा माचष 2026 तक िढाई िई है।
िस्तु एिं सेिा कर (उपकर की अिधध और संग्रह की अिधध) वनयम, 2022 के अनुसार, प्रवतपूवतष उपकर 1 जुलाई, 2022 से 31 माचष, 2026 तक
लिाया जाता रहे िा।
उपकर का लिाया जाना 30 जून, 2022 को समाप्त होना था। लेपकन केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता िाली जी.एस.टी. पररर्द ने इसे
विस्ताररत करने का वनणषय ललया था। अिधध में यह विस्तार राज्यों को जी.एस.टी. के कारण राजस्व में हु ई हावन की भरपाई के ललए पहले
ललए िए ऋणों को चुकाने के ललए पकया िया था।
हालांपक, िढी हई अिधध तक राज्यों को प्रवतपूवतष दी जायेिी या नहीं, यह अभी तय नहीं पकया िया
िस्तु एिं सेिा कर व्यिस्था को िर्ष 2017 में लािू पकया िया था। यह िस्तुओ ं और सेिाओं के उपभोि पर एक िंतव्य आधाररत कर है।
िस्तु एिं सेिा कर (राज्यों को प्रवतपूवतष) अधधवनयम, 2017 के प्रािधानों के अनुसार जी.एस.टी. के कायान्वयन के कारण होने िाले राजस्व के
पकसी भी नुकसान के ललए राज्यों को पांच िर्ष की अिधध हे तु प्रवतपूवतष का आिासन हदया िया था।
इसका हद्वमालसक आधार पर भुितान पकया जाता था। चुवनंदा िस्तुओ ं या सेिाओं या दोनों की आपूवतष पर जी.एस.टी. प्रवतपूवतष उपकर लिाया
जाता है ।
इनमें विलालसता, अनािश्यक और नुकसानदे ह िस्तुएं शावमल हैं। जैसेः पान मसाला, अलि-अलि तंिाकू उत्पाद आहद नुकसानदे ह िस्तुएं हैं ।
केंद्र सरकार ने 31 मई, 2022 तक राज्यों को िकाया GST प्रवतपूवतष की पूरी रालश जारी कर दी है। हालांपक, कई राज्य प्रवतपूवतष को 5 िर्ष से
अधधक समय तक िढाने की मांि कर रहे हैं।
स्रोत –द दहन्दू
6.56 नीवत आयोि द्वारा भारत की गिि और प्लेटफॉमत अथतव्यिस्था पर ररपोटत जारी
हाल ही में नीवत आयोि ने भारत की गिि और प्लेटफॉमष अथषव्यिस्था पर ररपोटष जारी की िई है ।
यह ररपोटष अपनी तरह का पहला अध्ययन है। इसमें भारत में गिि-प्लेटफॉमष अथषव्यिस्था पर व्यापक दृपिकोण और लसफाररशें प्रस्तुत की ियी हैं।
8.4 पयतटन मंत्रािय (MoT) ने 'राष्ट्रीय सतत पयतटन रणनीवत (NSST) जारी की
पयषटन मंत्रालय (MoT) ने 'रािर ीय सतत पयषटन रणनीवत (NSST) जारी की और लजम्मेदार पयषटक अधभयान शुरू पकया।
यह रणनीवत (NSST) सतत और लजम्मेदार पयषटन िंतव्यों के विकास पर रािर ीय लशखर सम्मेलन में जारी की ियी है।
यह सम्मेलन पयषटन मंत्रालय ने संयुक्त रािर पयािरण कायषक्रम और रे स्पोंलसिल टू ररज्म सोसाइटी ऑफ इंपडया के साथ साझेदारी में आयोलजत पकया
था।
NSST के वनम्नलिखखत िक्ष्य हैं:
भारतीय पयषटन क्षेत्र में संधारणीयता को मुख्यधारा में लाना, तथा
प्राकृवतक और सांस्कृवतक संसाधनों की सुरक्षा करते हु ए अधधक लचीला, समािेशी, कािषन तटस्थ ि संसाधन कुशल पयषटन सुवनलश्चत
करना।
संधारणीय पयतटन में वनम्नलिखखत शावमि हैं :
इस तरह के पयषटन में ितषमान और भविष्य के आधथषक, सामालजक एिं पयािरणीय प्रभािों का संपूणष आकलन वनहहत पयािरणीय होता है।
यह आिंतुकों, उद्योि, पयािरण और मेजिान समुदायों की जरूरतों को पूरा करता है।
मुख्य लसद्धांतः
पयािरणीय संधारणीयताः संसाधन दक्षता तथा प्राकृवतक विरासत और जैि विविधता का संरक्षण।
सामालजक-सांस्कृवतक संधारणीयताः मेजिान समुदायों की सामालजक-सांस्कृवतक प्रामाद्धणकता का सम्मान करना, उनकी वनवमषत और
जीवित सांस्कृवतक विरासत का संरक्षण करना आहद ।
आधथतक संधारणीयताः सभी हहतधारकों को सामालजक-आधथषक लाभ प्रदान करना, आहद।
इस रणनीवत में सात रणनीवतक स्तंभों की पहचान की ियी है।
रणनीवत के प्रमुख दहतधारक हैं: केंद्रीय मंत्रालय; राज्य सरकारें ; स्थानीय सरकारी संस्थान; उद्योि;िैर-सरकारी संिठन तथा स्थानीय समुदाय।
यह रणनीवत वनम्नललखखत सतत विकास लक्ष्यों की प्राब्दप्त में मदद कर सकती है:
सतत विकास िक्ष्य-8: पूणष और उत्पादक रोजिार तथा सभी के ललए िररमापूणष कायष ।
सतत विकास िक्ष्य-12: संधारणीय उपभोि और उत्पादन।
सतत विकास िक्ष्य-14: महासािरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों का संरक्षण तथा संधारणीय उपयोि ।
स्रोत –द दहन्दू
8.6 िैज्ञावनक तथा औद्योगिक अनुसंधान पररषद-राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (CSIR-NIO)
हाल ही में महारािर मैंग्रोि सेल ने प्रिालों की पूिािस्था के ललए स्थलों की पहचान हे तु िैज्ञावनक तथा औद्योगिक अनुसंधान पररर्द-रािर ीय समुद्र विज्ञान
संस्थान (CSIR-NIO) को अधधकृत पकया है ।
CSIR-NIO को ‘भारत के तटीय समुदायों की जलिायु लचीलापन क्षमता िृद्धि’ पररयोजना के तहत अधधकृत पकया िया है। यह भारत-संयुक्त
रािर विकास कायषक्रम-हररत जलिायु कोर् (GOI-UNDP-GCF) की पररयोजना है ।
यह पहल महारािर की तटरे खा से लिने िाले दिािग्रस्त प्रिाल क्षेत्रों को दजष और चचखन्हत करे िी। साथ ही, दिाि के कारणों का भी पता
लिाएिी।
प्रिाि अथिा मूंिा (Corals) के िारे में:
ये वनडाररया कुल से संिंधधत अकशेरुकी प्राणी हैं। इनका जूजैधथली (Zooxanthellae) शैिाल के साथ सहजीिी (symbiotic) संिंध है।
जूजैधथली प्रिाल पॉललप को विधभन्न रं ि और भोजन प्रदान करते हैं। िदले में प्रिालों को एक संरलक्षत िातािरण और प्रकाश संश्लेर्ण हे तु
आिश्यक पोर्क ति प्राप्त होते हैं।
भारत में प्रिाि धभधत्तयों (मूंिा चट्टानों) के प्रमुख िेत्र वनम्नलिखखत हैं:
मन्नार की खाडी, पाक की खाडी, कच्छ की खाडी, अंडमान और वनकोिार द्वीप समूह, और लक्षद्वीप।
संयुक्त रािर पयािरण कायषक्रम के अनुसार, प्रिाल विि के कम-से-कम आधा विललयन लोिों को खाद्य सुरक्षा और आजीविका प्रदान करते
हैं।
प्रिाल धभधत्तयां समुद्र और तटरे खा के िीच ‘लहर अिरोध’ के रूप में भी कायष करती हैं। इस तरह येतटीय अपरदन के प्रभाि को कम करती
हैं।
ये िन्यजीि संरक्षण अधधवनयम (WPA), 1972 की अनुसूची-1 के तहत संरलक्षत हैं ।
जलिायु पररितषन प्रिालों के समक्ष सिसे िडे खतरों में से एक है । यह प्रिाल विरं जन (कोरल ब्लीचचंि) का कारण िनता है। इस प्रपक्रया में
प्रिाल पॉललप्स से जूजैधथली िाहर वनकल जाते हैं , और प्रिाल अपना रं ि खोकर मलीन हो जाते हैं।
हररत जििायु कोष (Green Climate Fund: GCF)
हररत जलिायु कोर् (GCF) जलिायु पररितषन से वनपटने में मदद करने के प्रवत समपपषत सिसे िडा िैलिक कोर् है।
यह जलिायु पररितषन पर संयुक्त रािर फ्रेमिकषकन्वेंशन(UNFCCC) के वित्तीय तंत्र की एक कायान्वयन इकाई है।
8.9 पयािरणीय मंजूरी के विना होंिे िनों में चचदडयाघर (Zoo) स्थाडपत
हाल ही में पयािरण, िन और जलिायु पररितषन मंत्रालय ने केंद्रीय चचहडयाघर प्राधधकरण (CZA) के एक प्रस्ताि को मंजूर कर ललया है। लजसके तहत
पयािरणीय मंजूरी के विना अि िनों में भी चचहडयाघर (Zoo) स्थापपत पकए जा सकते हैं।
इसमें िन संरक्षण अधधवनयम (FCA), 1980 के तहत िन भूवम पर CZA द्वारा अनुमोहदत चचहडयाघरों को िावनकी िवतविधध मानने का प्रस्ताि
पकया िया था।
िन संरक्षण अधधवनयम के तहत चचहडयाघरों, िन्य जीि िचाि केंद्रों आहद को िैर-िावनकी िवतविधध के रूप में स्वीकार पकया िया है। इनकी
स्थापना के ललए केंद्र सरकार से िन मंजूरी लेना अवनिायष है।
अि, चचहडयाघरों को FCA के तहत अलि-अलि मंजूरी लेने से छूट दी जाएिी।
िन संरिण अधधवनयम के िारे में
इसे 42िें संविधान संशोधन के िाद लाया िया था। संशोधन के द्वारा िन विर्य को राज्य सूची से समिती सूची में स्थानांतररत कर हदया िया
था।
यह कानून िनों की कटाई की समस्या से वनपटने के ललए लाया िया था।
इस कानून ने राज्यों को िैर िावनकी उद्देश्यों के ललए िन भूवम का उपयोि करने से पहले केंद्र सरकार की मंजूरी लेना अवनिायष कर हदया है।
इस तरह के पुनिषिीकरण की लसफाररश करने के ललए एक िन सलाहकार सवमवत भी िनाई ियी है।
िैर-िावनकी उद्देश्य का अथष है पुनिषनीकरण के अलािा पकसी अन्य उद्देश्य के ललए पकसी भी िन भूवम या उसके हहस्से को साफ करना।
चाय, कॉफी, मसाले, रिड, ताड, तेल युक्त पौधे, िाििानी फसलों या और्धीय पौधों की खेती भी िैर-िावनकी उद्देश्य में आती है।
हालांपक, िनों और िन्यजीिों के संरक्षण, विकास एिं प्रिंधन से संिंधधत पकसी भी कायष को िैर-िन प्रयोजन के रूप में नहीं माना जाता है।
केंद्रीय चचदडयाघर प्राधधकरण (CZA) के िारे में
िन्यजीि (संरक्षण) अधधवनयम, 1972 दे श की समृि जैि विविधता के संरक्षण में रािर ीय प्रयास को सहायता और मजिूती प्रदान करने के
ललए CZA (1992) की स्थापना का प्रािधान करता है।
CZA में एक अध्यक्ष, दस सदस्य और एक सदस्य सचचि होते हैं।
भारत में प्रत्येक चचहडयाघर को अपने संचालन के ललए CZA की मंजूरी की आिश्यकता होती है।
स्रोत –द दहन्दू
8.15 अल्प विकलसत दे श कोष (LDCF) और विशेष जििायु पररिततन कोष (SCCF)
हाल ही में, अल्प विकलसत दे श कोर् (LDCF), और विशेर् जलिायु पररितषन कोर् (SCCF) की 32िीं पररर्द की िैठक का आयोजन पकया िया था।
इसमें अल्प आय िाले दे शों और महासािरीय विकासशील दे शों के प्रवतवनधधयों ने अल्प विकलसत दे शों (LDCs) के ललए फंपडंि सीमा को 10 वमललयन
डॉलर से 20 वमललयन डॉलर तक िढाने की योजना का स्वाित पकया है।
LDCF और SCCF के िारे में
इन कोर्ों को िर्ष 2001 में स्थापपत पकया िया था। इनकी स्थापना विकासशील दे शों के जलिायु पररितषन अनुकूलन प्रयासों का समथष न
करने के ललए की िई थी। इनका उद्देश्य रािर ीय प्राथवमकताओं को संिोधधत करने िाली दे शों द्वारा संचाललत पररयोजनाओं का वित्तपोर्ण
करना है ।
LDCF एकमात्र ऐसा कोर् है, जो LDCs में जलिायु अनुकूलन कारष िाई का समथषन करने के प्रवत पूणषतया समपपषत है।
SCCF को विकासशील दे शों में जलिायु पररितषन अनुकूलन और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण से संिंधधत िवतविधधयों तथा पहलों के वित्तपोर्ण के
ललए पडज़ाइन पकया िया है।
स्रोत –द दहन्दू
8.17 हीटिेि 2022: कारण, प्रभाि और भारतीय कृडष के लिए आिे की राह
हीटिेि (लू) का एक विश्लेर्ण और अध्ययन केंद्रीय शुष्क भूवम कृपर् अनुसंधान संस्थान ने पकया था। यह संस्थान भारतीय कृपर् अनुसंधान पररर्द
(ICAR) के अधीन है ।
हीटिेि के कारण:
राजस्थान के पलश्चमी हहस्सों में प्रवत-चक्रिात (माचष) की स्थस्थवत और पलश्चमी विक्षोम की अनुपस्थस्थवत (िर्ा की अनुपस्थस्थवत) से शुरुआती एिं
चरम हीटिेि की स्थस्थवत पैदा हु ई है।
प्रवत-चक्रिात, िायुमंडल में उच्च दिाि प्रणाललयों के आसपास हिाओं के नीचे आने से िमष और शुष्क मौसम का कारण िनते हैं।
हीट िेि का प्रभाि:
इससे अनाज में पीलापन आ जाता है और ये लसकुड जाते हैं। इससे फसल समय से पहले पक जाती है।
इसके अन्य दुष्प्रभाि हैं; नमी जन्य दिाि, सनिनष, फूलों का गिरना आहद।
दुधारू जानिर / पलक्षयों की भूख में कमी हो जाती है और शरीर का तापमान अधधक हो जाता है।
हीटिेि शमन के लिए सुझाि:
फसल की सही पकस्मों को चुनाि, पशुओ ं को नहलाना और मफ्टचि
ं तकनीक (जैसे प्लात्वस्टक मफ्टचि) को अपनाना चाहहए।
समय पर िुिाई और ताप–सहहष्णु िेहूं की फसल की पकस्मों जैसी PBWO3, DBW187 आहद को अपनाना चाहहए।
पत्ते और फूल आने की अिस्था में पोटेलशयम नाइटर ेट का चछडकाि उपज की हावन को कम करता है।
िन्ने, मेड (ridge) और हल रे खा (furrow) में मफ्टचि (खरपतिार से ढकना) करने से वमट्टी की नमी िनी रहती है तथा दिाि कम होता है ।
फलदार पेडों को धूप से िचाने के ललए उन्हें छायादार जाल/ सूती कपडे से ढक देना चाहहए।
हीट िेि (HW) को पकसी क्षेत्र में िास्तविक तापमान के संदभष में तापमान सीमा के आधार पर या उसके सामान्य तापमान से अत्यधधक
विचलन के आधार पर पररभापर्त पकया जाता है।
स्रोत –द दहन्दू
8.18 भारत G-7 के “रे लजलिएं ट डेमोक्रेसीज स्टेटमेंट 2022” में शावमि
‘ऑनलाइन और ऑफलाइन’ फ्री स्पीच (स्वतंत्र अधभव्यगक्त) की रक्षा के ललए भारत, G-7 और 4 अन्य दे शों के समूह में शावमल हु आ है।
भारत ने G-7 समूह के दे शों और अन्य चार आमंपत्रत दे शों (अजेंटीना, इंडोनेलशया, सेनेिल ि दलक्षण अफ्रीका) के साथ ‘2022 रे लजललएं ट डेमोक्रेसीज
स्टेटमेंट’ (RDS) पर हस्ताक्षर पकए।
इन दे शों ने िैलिक चुनौवतयों (जलिायु पररितषन,कोविड-19 आहद) के समान, समािेशी और स्थायी समाधान की हदशा में कायष करने के प्रवत
अपनी प्रवतििता की पुपि की है।
इन दे शों ने वनयम-आधाररत अंतरािर ीय व्यिस्था के प्रवत प्रवतििता व्यक्त की है।
इन दे शों ने िर्ष 2021 की ‘काविषस िे ओपन सोसाइटीज स्टेटमेंट’ पर चचा पकया। साथ ही, उस समय से भू-राजनीवतक स्थस्थवत में हु ए नाटकीय
पररितषन पर भी विमशष पकया। इसके अवतररक्त, विि भर में लोकतांपत्रक प्रणाललयों के समक्ष मौजूद महिपूणष खतरों को स्वीकार पकया।
ये घोर्णाएं सामररक हहंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक कदमों और यूक्रेन पर रूस के आक्रमण जैसी अंतरािर ीय घटनाओं के पररप्रेक्ष्य में
महिपूणष हो जाती हैं।
रे लजलिएं ट डेमोक्रेसीज स्टेटमेंट (RDS) के लसद्धांत
िैलश्वक उत्तरदागयत्वः इसमें अन्य दे शों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के ललए सम्मान को िढािा दे ना; दुवनया भर में लोकतंत्र तथा स्वतंत्र
एिं वनष्पक्ष चुनाि का समथषन करना आहद शावमल हैं।