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Shani Chalisa PDF
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॥ दोहा ॥
जय गणेश गगरिजा सव
ु ि, मंगल किण कृपाल ।
दीिि के दख
ु दिू करि, कीजै िाथ निहाल ॥
॥ चौपाई ॥
टे ढ़ी दृष्टट भक
ृ ु टट ववकिाला ॥
पववतहू तण
ृ होई निहाित ।
तण
ृ हू को पववत करि डाित ॥
िाज ममलत िि िामटहं दीन्हयो ।
ििहूुँ में मग
ृ कपट टदखाई ।
िप
ृ ववक्रम पि तटु ह पगु धािा ।
हरिश्चन्द्र िप
ृ िारि बिकािी ।
जग टदग्गज गदव भ मग
ृ स्वािा ॥
जम्िक
ु मसंह आटद िख धािी ।
गज वाहि लक्ष्मी गह
ृ आवैं ।
हय ते सख
ु सम्पनत उपजावैं ॥
मग
ृ दे कटट प्राण संहािै ॥
॥ दोहा ॥