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पच्चीसवीं पौढ़ी के अर्थ
पच्चीसवीं पौढ़ी के अर्थ
पच्चीसवीं पौढ़ी के अर्थ
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*।।ੴDGNੴ।।*
* ।।धन गरू
ु नानक दे व
सतिनामु वाहिगरू
ु ।। *
*केिे िपप िट
ु हि वेकार ।।*
*केिे िै िै मक
ु रु पाहि ।।*
*केिे मूरि िािी िाहि ।।*
*केतिआ दि
ू भि
ू सद मार
।।*
फफर लसद्धों ने पछ
ू ा उस
परमात्मा की कृपाििा
फकिने िी (बेशम
ु ार) योद्धा
(सरू मे)उन के द्वार पर माींग
रिे िैं ,जजन की कोई गगनिी
निीीं और ना िी वीचार फकया
जा सकिा िै ,फकिने
जीव(बींदे)पवकारों में फींस के
बरबाद िो जािे िैं, फकिने िी
नाशुक्रे परमात्मा की दी िुई
सौगािें िे के मक
ु र जािे िैं
,कई मि
ू ख लसफख िाए िी जािे
िैं दे ने वािे को भुिाए िुए िैं
और(कमाखनस
ु ार)सदा दि
ू और
भि
ू की मार सि रिे िैं ,
िे दािार ये भी आप िी की दी
िुई बिशीश िै (कोई लशकायि
निीीं करिे ऐसे भी बींदे िैं)
परमात्मा सब की जरूरिें
जानिे िैं सब को दे िे भी िैं ,
ये बाि कई मनष्ु य जानिे िैं
और कििे िैं (परमात्मा का
धन्यवाद भी करिे िैं) ये
समझ भी जजसे परमात्मा दे िे
िैं विी प्रभू की सरािना
(िारीफ)करिे िैं ।
गरू
ु नानक जी कििे िैं (जो
परमात्मा के फकये पर राज़ी
रििे िैं )विी बादशािों के भी
बादशाि िैं ।
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