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II अ लकोट ामी ो II

ॐ ीअ लकोट ामी समथास नम: | ॐ नमो ीगजवदना | गणराया गौरीनंदना | िव े शा भवभयहरणा |

नमन माझे सा ागी || १|| नंतर निमली ी सर ती | जग ाता भगवती | कुमारी वीणावती | िव ादा ी

िव ाची || २|| नमन तै से गु वया | सुखिनधान सदगु राया | नी ा पिव पायां | िच शु दी जाहली || ३||

थोर ॠिषमुनी संतजन बुधगण आिण स न | क नी तयांसी नमन | ंथरचना आरं िभली ||४|| ी अ लकोट

ामीराया नी तु म ा पिव पायां | ो महा तु मचे गावया | ारं भ आता करतो मी || ५|| नां व गां व खु

ामींचे | िकंवा ां ा मातािप ां चे | कोणालाच ठाऊक नाही साच | अंदाज मा अनेक || ६|| ां ा

ज ासंबंधाने, आ ाियका िलिहली एकान | तीच स मानुनी े काने | समाधान मानावे || ७ || णे उ र

भारती एका थानी | घनदाट कदळी ा बनी ं | ामी गटले वा ळां तुनी | लाकुडतो ा ा िनिम ाने || ८ ||

कु हाडीचा घाव बसू न, ाचा रािहला कायमचा वण | आगळी ती अवतार खू ण | पाहीली सवानी || ९ ||

एका भ ान केला , ामी तु मची जात कोण | ते ां िदल उ र छान | मुखच समथानी || १० || मी यजु वेदी

ा ण | माझे नां व नृिसं हभान | का प गो राशी मीन | ऐस ामी णाले ||११ || खर खोट दे व जाणे | बर नाही

खोलां त िशरण | ई वरी करणीची कारण | आपण काय शोधावी || १२ || द ा या तु ी िनराकार िनगु ण | नरदे ह

तरीही केला धारण | सकळं भू दे श केला पावन | आपु ा चरण शाने || १३ || नंतर ामी िनघाले ितथून |

तीथया ेसी केले याण | द ा याचे ेक िठकाण | िफ नी पािहल || १४ || द वा जे थे िनरं तर | तो

थोर पवत िगरनार | ते थेच गे ले अगोदर | नंतर िफरले इतर || १५ || या े चे वास सं पले | ते ा मंगळवे ासी

आले | ते थे थोडे िदवस रािहले | दामाजी ा गां वात || १६ || काही काळ ितथे गे ला | पु वंतां ना भाव कळला |

जनसमु दाय भजनी ं लागला | सा ा ारी यती ा || १७ || पु ढे अ लकोट ह | वा ाचे झाले िठकाण |

अखेरपयत ितथच रा न | अनंत लीला दाखिव ा || १८ || ते जः पुंज शरीर गोमट, सरळ नािसका कान मोठे |

आजानुबा कौिपन छोटे | िदगंबर असती अनेकदां || १९|| ामी समथ अ लकोटचे | चवथे अवतार

द ा याचे | तीन अवतार यापूव चे | गु च र ी विणले || २० || पिहले द ा ेय, दु सरे ीपादव भ|

नृिसं हसर ती हे ितसरे नां व शुभ | गाणगापूर दशन दे वदु लभ | जागृ त द थान ते || २१ || ते थे होउनी सा ा ार

| पहावयासी ये ती चवथा अवतार | अ लकोट पु भू िम थोर | जे थे द वसे || २२ || अ लकोटी िन

रा नी | अगाध गूढ लीला क नी | भ ां सी सा ा ार दे ऊनी | गु झाले अनेकदा || २३ || ना क होते कोणी

ां ना | चम ार दाखिवले नाना | शेवटी कराया मायाचना | लागले ामी चरणां सी || २४ || ामी सवसा ी

उदार | सा ात द ाचे अवतार | कधी सौ कधी उ तर | प दािवल दासां ना || २५ || ां नी ां ची से वा केली

| ां ची कुळे पावन झाली | ज ोज ीची पाप जळली | पु राशी िमळा ा || २६ || स ु षाची करणी अगाध |
वाणी गू ढ िनिववाद | झा ािवण कृपा साद | अथ ाचा समजेना || २७ || ामींचे बोलणे थोड | जणूं काय

कठीण कोड | अथ काढावे िततुके थोडे | ात भिव असे भरलेल || २८ || जाणणारे ते च जािणती | घे ती ां ा

संकेताची िचती | ाचा तोच उमजे िच ीं | इतरां अथबोध होईना || २९ || कोणाकोणाला पादु का िदध ा|

कोणाला वािह ा लाखो ा | कोणा ाम की मा र ा | पायां त ा वाहाणाही || ३० || ा ा ा ा

भा ा माण | ामीनी िदले भरपूर दे ण | कोणा पु कोणा सोनेनाणे | कोणा जीवनदानही िदल ां नी || ३१ ||

अनेकां ा ाधी के ा दू र | अनेकां ना दाखिवले चम ार | अनेकां ना िश ा घोर | के ा ां नी अनेकदा || ३२

|| सव सा ी अंत ानी | पू ण ानी | णूनच ह ा ा िठकाणी | दशन िदधल भ ाना || ३३ || न

सां गता सव जािणले | ाच ाला यो उ र िदल | लो ा नी मृदु दय वल | दु :खी क ी जीवां साठी || ३४ ||

दयेचा अथां ग सागर | भ ांसाठी परम उदार | अनेकां चा केला उ दार | सदु पदे श िद ा दे ऊनी || ३५ ||

ामीराया द ा ेया | तुम ा कृपेची असावी छाया | हीच ाथना तु म ा पायां | मागणे नाही आणखी || ३६ ||

मजवरी होता कृपा ी | द मय भासेल सव सृ ी | सुखसंप ीची होईल वृ ी | सकल िस दी लाभती || ३७ || ऐसी

दा माझे मनी | उपजली आहे आतां णुनीं | िमठी घातली तव चरणीं | धाव पाव समथा तूं || ३८ || तुमची

करावी कैसी सेवा | हे मज ठाऊक नाही दे वा | ओळखु नी मा ा भो ा भावा | वरदह ठे वा म कीं || ३९ ||

संसार ताप पोळलों भारी, दू र करा ही दु :खे सारी | तु म ावीण माझा कैवारी | अ कोणी िदसे ना || ४० || तु मचे

पाय माझी काशी | पं ढरपूर सव तीथ तशी | आहे त तुम ा चरणां पाशी | मग या ेस जाऊ कशाला || ४१ ||

अ ोटचे समथ ामी | रं गून जातां ां चे नामीं | ा िव ू िशवधामी | सव भ ी पोंचते || ४२ || ामी

समथाची मूित आठवावी | ांचे पायी ढ दा ठे वावी | आणी आपली भावना असावी | मनोभाव ऐसी कीं || ४३ ||

पाठीशीं आहे त अ लकोट ामी | उगीच कशास ावे मी | काहींच पडणार नाही कमी | समथा ा दासासी ||

४४ || भा वान ते जे लागले भजनी | वादिववाद केले पंिडतां नी | मग एकमुखान सवानी | मा केली थोर यो ता

|| ४५ || वेदां ताचा अथ लािवला | पं िडतां चा ताठा िजरिवला | भािवक भ ां ना िदधला | धीर अनेक संकटी || ४६ ||

ामी तुमचे च र आगळ | अत अलौिकक जगावेगळे | ां त ेमाचे सागर सां ठले | ध ध ां ना उमजल

ते || ४७ || बाळ ा चोळ ािद सवानी | लहान मो ा अिधका यां नी | गरीबां पासू न ीमंतां नी | सेवा केली

यथाश ी || ४८ || जे जे तु म ा भजनी ं लागले | ां चे ां चे क ाण झाल | हव हव ते सार िमळाले | ी समथ

कृपेन || ४९ || पु ढे संप ा लीला संपले खेळ | ताटातु टीची आली वेळ | ामी णजे पर केवळ | पर ां त

िमळाल || ५० || शके अठराश ब धा नाम सं व ंरी | चै व योदशी मं गळवारी | पु घिटका ितस या हरी

| ामी गे ले िनजधामा || ५१ || बोलता बोलता आला अंतकाळ | कृतीत झाली चलिबचल | णात पाप ा

झा ा अचल | िनजानंदी झाले िनम || ५२ || वचनपू त साठी िनणयानंतर | पां चवा िदवस शिनवार | ामी

गटले िनलेगां वाबाहे र | िदल दशन भाऊसाहे बां सी || ५३ || ऐसा यती द िदगंबर | सं पवूनी आपूला अवतार |
िनजधामा गेला िनरं तर | भ झाले पोरके || ५४ || बातमी जे ा सव पसरली | जनता शोकाकुल झाली | सव

भ मंडळी हळहळली | अ पाणीही सुचेना || ५५ || गावोगां वीची भ मंडळी | अ लकोटी गोळा झाली |

समथाची समाधी पािहली | आप ा सा ू नयनां नी || ५६ || चवथा अवतार सं पला | तरीही चैत प ितथेच

रािहला | अ लकोट पु भूमीला | े ा ा जाहल || ५७ || अजू नही जे ये ती समाधीदशना | ां ा ाधी

आणी िववंचना | संकटे आणी दु :खे नाना | ामी दू र करतात || ५८ || याचे असती असं दाखले | अनेकां नी

अनुभवले | णूनी महाराजांची पाऊले | आपणही वंदूंया || ५९ || न होउनी ां चे चरणीं | कळकळने क ं या

िवनवणी | ामींना यावी क णा णूनी | ाथना ां ना क ं या || ६० || जयजय द ा अवधू ता | अ लकोट

ामी समथा | सदगु िदगंबरा भगवंता | दया करी गा मजवरी || ६१ || अनेकां ा संकटी आला धावून | आता

माझी ाथना ऐकून | समथराया दे ई दशन | दू र लोटु नको मला || ६२ || वहारी मी जगतो जीवन | अनेक पाप

घडती हातून | तव नामाच होते िव रण | मा याची असावी || ६३ || सदगु राया कृपा करावी | तुमची सेवा िन

घडावी | ऐसी बु दी मजला ावी | पापे सव पळावी || ६४ || सु खाच ावे जीवन ऐिहक | धनदौलत िमळावी,

िमळावे पु पौ सुख | गृ हसौ आणी वाहनसु ख | अंती सदगित लाभावी || ६५ || तु ी कैव ठे वा |

णुनी याचना करतों दे वा | उदार मनाने वर ावा | आणी तथा ु णावे || ६६ || तु मची होतां कृपा पू ण | जीवन

माझ होईल ध | णुनी आलों तव पायी शरण | द राया दयाघना || ६७ || मी एक मानव सामा | तु मची से वा

िन घडावी णून | या पोथीच क रतों वाचन | दान ा तुम ा कृपे चे || ६८ || वेडीवाकुडी माझी सेवा |

ीकारावी ामी दे वा | वरदह िन म कीं ठे वा | हीच अं ती िवनंती || ६९ || शके अठराशे न ा वष |

चै मासीं शु प ी | शुभ रामनवमी िदवशी || पोथी पू ण झाली ही || ७० || ामींचे िच ठे ऊनी पु ांत | िकंवा

ामीं ा एखा ा मठांत | बसुनी ही पोथी वाचावी मनां त | इ ा सफल होईल || ७१ || मािणक भू , साई

िशरडी र | आणी अ लकोट् चे िदगंबर | एकाच त ाचे तीन अिव ार | भेद ां त नसे मुळी || ७२ || एकाची

क रतां भ ी | ितघां नाही पावते ती | ऐसी ठे ऊनी आपली वृ ी | पोथी िन वाचावी || ७३ || या पोथीचे क रतां

िन पठण | ामी होतील स | करतील सव मनोरथ पू ण | स स वाचा ही || ७४ ||

ॐ ीअ लकोट ामी समथापणम ु || शु भं भवतु || ॐ शां ित:शां ित:शां ित: ||

|| " ी अ लकोट ामी ो ---माहा स ू ण " ||

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