ू यि त रहता था। उसके पताजी एक धनवान यि त थे और मरते समय उसके लए वह बहुत सारा धन छोड़ कर गए थे। कंजस ू को हमेशा चोर का डर सताता था।
इस लए वह उस धन क सरु ा को लेकर हमेशा चं तत रहता था। धन क चंता म उसका
दन का चैन और रात क नींद गायब हो गई थी। धन क सरु ा का एक उपाय सोचकर एक दन वह एक सन ु सान जंगल म गया।
वहाँ पर एक उपयु त थान दे खकर उसने अपना सारा धन वहाँ एक ग ढे म छुपाकर रख
दया और उसे म ट से ढक दया। पहचान के लए उसने एक च ह भी बना दया। उसे इस बात क खश ु ी थी क उसने अपना धन एक सरु त थान पर रख दया है । इसके बाद वह त दन एक बार अपना धन दे खने अव य जाता था। यह उसका अटल नयम था। चाहे कुछ भी हो जाए पर वह धन दे खने ज र जाता था।
कंजस ू के एक म क नजर हमेशा उसके ऊपर रहती थी। इस लए उसे बहुत आसानी से कंजसू के धन के रह य का पता चल गया।
एक दन मौका दे खकर कंजस
ू का म उसी सन ु सान थान पर पहुँचा और उसने बड़ी ह सफाई से वहाँ से सारा धन नकाल लया। जब अगले दन कंजस ू वहाँ अपना धन दे खने गया तो वह वहाँ धन न पाकर भौच का रह गया।
वह अपना सर पकड़ कर जोर-जोर से रोने लगा। उस दन से वह बहुत उदास रहने लगा।
न कसी से यादा बोलता और न हँसता-मु कुराता। एक दन उसका वह म उससे मलने आया और उससे पछ ू ा, " या बात है , आजकल तम ु बहुत उदास रहते हो?" कंजस ू ने कहा, " या बताऊँ दो त, म बबाद हो गया हूँ। मने चोर के डर से अपना सारा धन एक सन ु सान थान पर छुपा कर रखा था। परं तु कसी ने उसे वहाँ से चरु ा लया है ।
मेर तो सार जमा-पँज
ू ी चल गई।" इस पर उसका म बोला, "इतना नराश मत हो। वह धन तम ु ने खच तो करना नह ं था, वह यथ ह पड़ा हुआ था। कम से कम अब वह कसी के काम तो आएगा।
जाने उस धन से उस आदमी के कतने काम परू े ह । वह तु ह दआ
ु एँ दे गा। रह तु हार बात तो तम ु अब ऐसा करो क उस ग ढे म एक खाल मटका रख दो और त दन उसे दे खने चले जाया करो। मटके को दे खकर तु ह ऐसा लगेगा क तु हारा धन मटके म सरु त पड़ा है और इस तरह तम ु खश ु भी रहोगे।"
श ाः जो धन काम न आ सके वो बेकार है ।
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