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Delhi Public School, Bangalore -East Ii Language (Hindi) Notes Topic: बस की यात्रा Name: - - - - - - - - - - - - - - Class प्रश्न - उत्तर
Delhi Public School, Bangalore -East Ii Language (Hindi) Notes Topic: बस की यात्रा Name: - - - - - - - - - - - - - - Class प्रश्न - उत्तर
Delhi Public School, Bangalore -East Ii Language (Hindi) Notes Topic: बस की यात्रा Name: - - - - - - - - - - - - - - Class प्रश्न - उत्तर
TOPIC: बस की यात्रा
प्रश्न – उत्तर
प्रश्न 1 - “मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ़ पिली बार श्रद्धाभाव से दे खा |” लेखक के मन में
हिस्सेदार सािब के प्रतत श्रद्धा क्यों जग गयी ?
उत्तर : बस कंपनी के हिस्सेदार सािब के लिए िेखक के मन में श्रद्धा जगी -क्योंकक हिस्सेदार सािब बस
के टायरों की िाित जानते थे किर भी अपनी जान जोखखम में डािकर बस में यात्रा कर रिे थे इसलिए
िेखक को िगा कक आत्मोसगग की ऐसी भावना दि
ु भ
ग िै | उनके सािस और बलिदान की भावना को दे ख
कर िेखक के मन में उनके प्रतत श्रद्धा उत्पन्न िो गई |
प्रश्न 2 – “लोगों ने सलाि दी कक शाम वाली बस में सफर निीं करते |” लोगों ने यि सलाि क्यों दी ?
उत्तर : िोगों ने िेखक को शाम वािी बस में सिर करने के लिए मना ककया क्योंकक बस बिुत िी पुरानी
और टूटी-िूटी िाित में थी | उस बस से यात्रा करने का मतिब जान जोखखम में डािना था |
प्रश्न 3 - “ऐसे जैसे सारी बस िी इंजन िै और िम इंजन के भीतर बैठे िै |” लेखक को ऐसा क्यों लगा ?
उत्तर - िेखक को ऐसा इसलिए िगा क्योंकक स्टाटग िोने पर इंजन में िी आवाज़ आती िै , परं तु यिााँ तो पूरी
बस िी इंजन के समान कााँप रिी थी | खखड़ककयों के बचे िुए कााँच बरु ी तरि से शोर कर रिे थे | ऐसे में
सारी बस िी इंजन िग रिी थी और िेखक स्वयं को इंजन में बैठा मिसूस का रिा था |
प्रश्न 4 - “गजब िो गया | ऐसी बस अपने आप चलती िै |” लेखक को यि सुन कर िै रानी क्यों िुई ?
उत्तर - बस की जजगर तथा दयनीय िाित को दे खकर िेखक को वि चिने की िाित में बबिकुि भी निीं
िग रिी थी | िेखक ने बस कंपनी के हिस्सेदार से पूछा कक यि बस चिती िै , अपने आप चिती िै , तो
उन्िोंने किा, जी िााँ अपने आप चिती िै | यि सन
ु कर िेखक िैरान रि गया गया |
प्रश्न 5 - “मैं िर पेड़ को अपना दश्ु मन समझ रिा था |” लेखक पेड़ों को दश्ु मन क्यों समझ रिा था ?
उत्तर : सिर प्रारं भ करने के साथ िी बस में कोई न कोई खराबी आती जा रिी थी और वि बार-बार बंद िो
रिी थी | िेखक का उस बस से ववश्वास उठ चुका था | उसके मन में बस के ब्रेक िेि िोने, स्टीयररंग
टूटने आहद का डर उत्पन्न िो गया था उसे िग रिा था कक बस अतनयंबत्रत िोकर सड़क के ककनारे पेड़ों से
टकरा सकती िै , इसलिए वि पेड़ों को अपना दश्ु मन समझ रिा था |
उत्तर : यि बस पज
ू ा के योग्य थी क्योंकक बस एकदम बढ़
ू े व्यक्क्त के समान थी | क्जस प्रकार वद्
ृ ध
व्यक्क्तयों से कायग निीं करवाया जाता िै , उनको आराम हदया जाता िै उसी तरि यि बस भी वद्
ृ धा िो गई
थी | अत: उसको चिाया निीं जा सकता था उसको भी आराम की आवश्यकता थी | इसलिए िेखक ने ऐसा
किा कक यि बस पूजा के योग्य िै |
1) “िर हिस्सा दस
ू रे से अिसियोग कर रिा था | पूरी बस सववनय अवज्ञा आंदोलन के दौर से गुज़र रिी थी
|”
2) “िमारी बेताबी, तनाव खत्म िो गए | िम बड़े इत्मीनान से घर की तरि बैठ गए चचंता जाती रिी |”
उत्तर : जब पररक्स्थततयााँ ऐसी िो जाए कक िाख कोलशशों के बाद भी क्जन्िें सुधारना िमारी सामर्थयग से बािर
िो जाए तब िमारे पास सिी समय का इंतजार करने के अिावा और कोई उपाय निीं िोता |
उपयक्
ुग त पंक्क्तयों में िेखक और उनके साथी अत्यंत पुरानी और जजगर बस में बैठे िुए थे जो
िाख कोलशशों के बाद भी चिते िुए बार-बार रुक रिी थी | अत: अब उन्िें िगाने िगा कक क्जंदगी इसी बस
में गुजरकर समाप्त िो जाएगी और वे चचंतामुक्त िोकर आराम से बैठ गए |
3) “उत्सगय की ऐसी भावना दल
ु भ
य िै |”
इस पंक्क्त में िेखक किना चािते िै कक स्वाथग से भरी इस दतु नया में जिााँ इंसान अपने लिए िी
जीता िै विी दस
ू रों के लिए जान न्योछावर करना अपने आप में मिान कायग िै | िेखक ने जब
यि दे खा कक कंपनी के हिस्सेदार टायरों की बरु ी िाित से पररचचत िोने के बाद भी अपनी जान
िथेिी पर िेकर इसी बस में यात्रा कर रिे िै , तब िेखक के मन में ववचार आया कक अपनी
कंपनी के लिए आत्मोसगग की ऐसी भावना वाकई दि
ु भ
ग िै |
प्रश्न- राघव एक सेल्स कंपनी में काम करता िै | उसे अपने काम के ससलससले में आस-पास के
गााँवों और शिरों को यात्रा करनी पड़ती िै | उसने अनुभव ककया कक गााँवों में जो बसें चलती िै ,
उनकी अवस्था बिुत खराब िै |पाठ ‘बस की यात्रा’ के आधार पर अपने ववचार से स्पष्ट कीजजए
कक अपने मुनाफे के सलए दस
ू रों के प्राणों को संकट में डालना किााँ तक उचचत िै ?
उत्तर : ‘बस की यात्रा’ पाठ में यातायात के साधन की खराब िाित पर व्यंग्य ककया िै | िेखक
बताते िैं कक ककस प्रकार पुरानी और खराब िाित की बसें सड़कों पर चिती िैं | उनके मालिक
केवि धन कमाना चािते िैं | िोगों के जानमाि के बारे में उन्िें कोई चचंता निीं िोती | उन्िें
िोगों की क्जंदगी के साथ खखिवाड़ करने का कोई अचधकार/िक़ निीं िै |
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