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Class 9 Hindi Notes
Class 9 Hindi Notes
Class 9 Hindi Notes
Solution क-i
यहाँ पर अतल
ु और अविनाश की माँ खद
ु के रुढ़िवादी विचारों तथा जात-पात के संस्कारों को
मानने के अपराध की बात कर रही है ।
Solution क-ii
Solution क-iii
Solution क-iv
Solution ख-i
यहाँ पर अतुल और अविनाश की माँ हिन्द ू समाज की रूढ़िवादी संस्कारों से ग्रस्त हैं। वे
संस्कारों की दास हैं। एक मध्यम परिवार में अपने पुराने संस्कारों की रक्षा करना धर्म माना
जाता है । इसलिए माँ संस्कारों की दासता से मुक्त होने में विफल रही।
Solution ख-ii
माँ ने अपने रूढ़ीवादी विचारों के कारण अपने बेटे-बहू से बिछड़ने का पश्चाताप किया है ।
Solution ख-iii
जब माँ को अविनाश की पत्नी की बीमारी की सूचना मिलती है तब उसका हृदय मातत्ृ व की
भावना से भर उठता है । उसे इस बात का आभास है कि यदि बहू को कुछ हो गया तो
अविनाश नहीं बचेगा। माँ को पता है कि अविनाश को बचाने की शक्ति केवल उसी में है ।
इसलिए वह प्राचीन संस्कारों के बाँध को तोड़कर अपने बेटे के पास जाना चाहती है । इस
प्रकार बेटे की घर वापसी के निर्णय से अतल
ु और उमा प्रसन्न हैं।
Solution ख-iv
अविनाश की वधू बहुत भोली और प्यारी थी, जो उसे एक बार दे ख लेता उसके रूप पर
मंत्रमुग्ध हो जाता। बड़ी-बड़ी काली आँखें उनमें शैशव की भोली मुस्कराहट उसके रूप तथा
बड़ों के प्रति आदर के भाव ने अतुल और उमा को प्रभावित किया।
Solution ग-i
Solution ग-ii
अविनाश ने एक विजातीय (बंगाली) कन्या से विवाह किया था। अविनाश की माँ ने इसका
सबसे ज्यादा विरोध किया और उसको घर से निकाल दिया। माँ की इस रुढ़िवादी मनोवत्ति
ृ
को बदलने में अतल
ु और उमा ने भरपूर प्रयास किया। उन दोनों ने अविनाश की पत्नी के
गुणों तथा विचारों से माँ को अवगत करवाया अतुल ने ही अपनी माँ को अविनाश की बहू
को अपनाने के लिए प्रेरित किया। अतुल ने के द्वारा ही माँ को पता चलता है कि किस
प्रकार उनकी बहू ने अपने प्राणों की परवाह न करके अविनाश की जान बचाई और अब बहू
स्वयं बीमार है । इसलिए जब माँ को अविनाश की पत्नी की बीमारी की सच
ू ना मिलती है तब
उसका हृदय मातत्ृ व की भावना से भर उठता है । उसे इस बात का आभास है कि यदि बहू
को कुछ हो गया तो अविनाश नहीं बचेगा।
इस प्रकार अतल
ु और उमा के सम्मिलित प्रयास से माँ अपनी बहू को अपना लेती है ।
Solution ग-iii
Solution ग-iv
विष्णु प्रभाकर द्वारा रचित "संस्कार और भावना" एकांकी में भारतीय हिंद ू परिवार के पुराने
संस्कारों से जकड़ी हुई रूढ़िवादिता तथा आधुनिक परिवेश में पले बड़े बच्चों के बीच संघर्ष की
चेतना को चित्रित किया गया है ।
वक्ता जीवन लाल, कमला के ससुर है और श्रोता प्रमोद है जो अपनी बहन कमला की विदा
के लिए उसके ससुराल आया है ।
Solution क-ii
यहाँ वक्ता जीवन लाल है । जीवन लाल अत्यंत लोभी, लालची और असंवेदनशील व्यक्ति है ।
Solution क-iii
जीवनलाल के अनुसार बेटे की शादी में बहू कमला के परिवार वालों ने उनकी है सियत के
हिसाब से उनकी खातिरदारी नहीं की तथा कम दहे ज दिया। इससे उनके मान पर धब्बा लगा
है ।
Solution क-iv
यहाँ पर 'घाव के लिए मरहम भेजने' का आशय दहे ज से है । जीवन लाल शादी में कम दहे ज
मिलने के घाव को पाँच हजार रूपी मरहम दे कर दरू करने कहते हैं।
Solution ख-i
Solution ख-ii
जीवन लाल शराफत और इन्सानियत की दहु ाई दे रहा है क्योंकि दहे ज दे ने के बावजूद उसकी
बेटी गौरी के ससुराल वालों उसे दहे ज कम पड़ने की वजह से उसके भाई के साथ विदा न
करके उसे अपमानित किया।
Solution ख-iii
Solution ख-iv
दहे ज दे ने के बावजूद उसकी बेटी गौरी के ससुराल वालों के उसे दहे ज कम पड़ने की वजह से
उसके भाई के साथ विदा न करके उसे अपमानित करने पर जीवन लाल जीवन लाल शराफत
और इन्सानियत की दहु ाई दे ते हैं। तब वक्ता राजेश्वरी ने अपने पति जीवन लाल की आँखें
खोलने के लिए कहा अब तुम शराफत और इन्सानियत की दहु ाई दे रहे हो जबकि खुद
अपनी बहू को दहे ज के पाँच हजार कम पड़ने की वजह से उसके भाई के साथ विदा नहीं
करते और अपमानित कर रहे हो।
Solution ग-i
'कभी-कभी चोट भी मरहम का काम कर जाती है ' कथन से वक्ता जीवन लाल का यह
अभिप्राय है कि बहू भी बेटी होती है और इस बात का उन्हें अहसास हो गया है ।
Solution ग-ii
वक्ता जीवन लाल अपनी बेटी गौरी के ससुरालवालों को दहे ज दे ने के बावजूद उसके ससुराल
वालों ने उसे दहे ज कम पड़ने की वजह से उसके भाई के साथ विदा न करके उसे अपमानित
करने पर जीवन लाल की आँखें खुलीं।
Solution ग-iii
उपर्युक्त कथन को सुनकर प्रमोद मुस्करा कर अपने जीजा रमेश की ओर दे खने लगा तथा
उसकी बहन कमला खुशी के आँसू पोंछती हुई अंदर चली गई।
Solution ग-iv
जी हाँ, स्त्री शिक्षा दहे ज प्रथा को समाप्त करने में सहायक हो सकती है । शिक्षा से बेटियाँ
खद
ु आत्मनिर्भर बनेंगी। समाज में बेटा-बेटी का फर्क मिट जाएगा तथा वे अपने अधिकार एंव
अत्याचारों के प्रति सजग रहें गी।
Solution क-i
प्रस्तुत पाठ लेखक यशपाल द्वारा रचित है । प्रस्तुत पाठ में सेठ जी कुछ ख़ास विशेषताओं
का उल्लेख किया है । सेठजी बड़े विन्रम और उदार थे। सेठ जी इतने बड़े धर्मपरायण थे कि
कोई साधू-संत उनके द्वार से निराश न लौटता, भरपेट भोजन पाता। उनके भंडार का द्वार
हमेशा सबके लिए खुला रहता। उन्होंने बहुत से यज्ञ किए और दान में न जाने कितना धन
दिन दखि
ु यों में बाँट दिया था। यहाँ तक की गरीब हो जाने के बावजद
ू भी उन्होंने अपनी
उदारता को नहीं छोड़ा और पुन:धन प्राप्ति के बाद भी ईश्वर से सद्बुद्धि ही माँगी।
Solution क-ii
सेठ जी के उदार होने के कारण कोई भी उनके द्वार से खाली नहीं जाता था परं तु अकस्मात ्
सेठ जी के दिन फिरे और सेठ जी को गरीबी का मँह
ु दे खना पड़ा। ऐसे समय में संगी-
साथियों ने भी मँह
ु फेर दिया और यही सेठ जी के दःु ख का कारण था।
Solution क-iii
उन दिनों एक प्रथा प्रचलित थी। यज्ञों के फल का क्रय-विक्रय हुआ करता था। छोटा-बड़ा
जैसा यज्ञ होता, उनके अनुसार मूल्य मिल जाता। जब बहुत तंगी हुई तो एक दिन सेठानी ने
सेठ को सलाह दी कि क्यों न वे अपना एक यज्ञ बेच डाले। इस प्रकार बहुत अधिक गरीबी
आ जाने के कारण सेठानी ने सेठ को अपना यज्ञ बेचने की सलाह दी।
Solution ख-i
सेठ जी को जब पैसों को बहुत तंगी होने लगी और सेठानी ने उन्हें यज्ञ बेचने का सझ ु ाव
दिया। सेठानी की यज्ञ बेचने की बात पर पहले सेठ बड़े दख
ु ी हुए परं तु बाद में तंगी का
विचार त्यागकर सेठ अपना एक यज्ञ बेचने के लिए तैयार हो गए।
Solution ख-ii
कंु दनपुर नाम का एक नगर था, जिसमें एक बहुत सेठ रहते थे। लोग उन्हें धन्ना सेठ कहते
थे। धन की उनके पास कोई कमी न थी। विपद्ग्रस्त सेठ ने उन्हीं के हाथ एक यज्ञ बेचने
का का विचार किया। इस तरह सेठ जी ने कंु दनपुर के धन्ना सेठ के पास अपना यज्ञ बेचने
गए।
Solution ख-iii
सेठ जी बड़े तड़के उठे और कंु दनपरु की ओर चल दिए। गर्मी के दिन थे सेठ जी सोचा कि
सरू ज निकलने से पर्व
ू जितना ज्यादा रास्ता पार कर लेगें उतना ही अच्छा होगा परं तु आधा
रास्ता पार करते ही थकान ने उन्हें आ घेरा। सामने वक्ष
ृ ों का कंु ज और कुआँ दे खा तो सेठ
जी ने थोड़ा दे र रुककर विश्राम और भोजन करने का निश्चय किया।
Solution ख-iv
सामने वक्ष
ृ ों का कंु ज और कुआँ दे खा तो सेठ जी ने थोड़ा दे र रुककर विश्राम और भोजन
करने का निश्चय किया। पोटली से लोटा-डोर निकालकर पानी खींचा और हाथ-पाँव धोए।
उसके बाद एक लोटा पानी ले पेड़ के नीचे आ बैठे और खाने के लिए रोटी निकालकर तोड़ने
ही वाले थे कि क्या दे खते हैं एक कुत्ता हाथ भर की दरू ी पर पड़ा छटपटा रहा था। भख
ू के
कारण वह इतना दर्ब
ु ल हो गया कि अपनी गर्दन भी नहीं उठा पा रहा था। यह दे ख सेठ का
दिल भर आया और उन्होंने अपना सारा भोजन धीरे -धीरे कुत्ते को खिला दिया।
Solution ग-i
उपर्युक्त अवतरण की वक्ता कंु दनपुर के धन्ना सेठ की पत्नी हैं। धन्ना सेठ की पत्नी बड़ी
विदष
ु ी स्त्री थीं। उनके बारे में यह प्रचलित था कि उन्हें कोई दै वीय शक्ति प्राप्त है जिसके
कारण वे तीनों लोकों की बात जान लेती हैं। इसी शक्ति के बल पर वह जान लेती हैं यज्ञ
बेचने वाले सेठ अत्यंत उदार, कर्तव्यपरायण और धर्मनिष्ठ हैं।
Solution ग-ii
श्रोता धन्ना सेठ की पत्नी ने जब वक्ता सेठ जी से अपना महायज्ञ बेचने की बात की तो
उन्हें आश्चर्य हुआ क्योंकि महायज्ञ की बात तो छोड़िए सेठ ने बरसों से कोई सामान्य यज्ञ
भी नहीं किया था।
Solution ग-iii
धन्ना सेठ की पत्नी ने जब महायज्ञ की बात की तो सेठजी सोचने लगे कि इन्हें यज्ञ तो
खरीदना नहीं है नाहक ही मेरी हँसी उड़ा रही हैं क्योंकि जिस महायज्ञ की वे बात कर रही है
वो तो उन्होंने किया ही नहीं है ।
Solution ग-iv
धन्ना सेठ ही पत्नी के अनुसार स्वयं भूखे रहकर चार रोटियाँ किसी भूखे कुत्ते को खिलाना
ही महायज्ञ है । इस तरह यज्ञ कमाने की इच्छा से धन-दौलत लट
ु ाकर किया गया यज्ञ, सच्चा
यज्ञ नहीं है , निस्वार्थ भाव से किया गया कर्म ही सच्चा यज्ञ महायज्ञ है ।
Solution घ-i
Solution घ-ii
सेठानी के पति जब कंु दनपुर गाँव से धन्ना सेठ के यहाँ से खाली हाथ घर लौटे तो पहले तो
वे काँप उठी पर जब उसे सारी घटना की जानकारी मिली तो उनकी वेदना जाती रही। उनका
ह्रदय यह दे खकर उल्लसित हो गया कि विपत्ति में भी उनके पति ने अपना धर्म नहीं छोड़ा
और इसी बात के लिए सेठानी ने अपने पति की रज मस्तक से लगाई।
Solution घ-iii
रात के समय सेठानी उठकर दालान में दिया जलाने आईं तो रास्ते में किसी चीज से
टकराकर गिरते-गिरते बची। सँभलकर आले तक पहुँची और दिया जलाकर नीचे की ओर
निगाह डाली तो दे खा कि दहलीज के सहारे पत्थर ऊँचा हो गया है जिसके बीचों बीच लोहें
का कंु दा लगा है । शाम तक तो वहाँ वह पत्थर बिल्कुल भी उठा नहीं था अब यह अकस्मात
कैसे उठ गया? यही सब दे खकर सेठानी भौचक्की-सी खड़ी हो गई।
Solution घ-iv
सेठानी ने जब सेठ को बल
ु ाकर दालान में लगे लोहे कंु दे के बारे में बताया तो सेठ जी भी
आश्चर्य में पड़ गए। सेठ ने कंु दे को पकड़कर खींचा तो पत्थर उठ गया और अंदर जाने के
लिए सीढ़ियाँ निकल आईं। सेठ और सेठानी सीढ़ियाँ उतरने लगे कुछ सीढ़ियाँ उतरते ही
इतना प्रकाश सामने आया कि उनकी आँखें चौंधियाने लगी। सेठ ने दे खा वह एक विशाल
तहखाना है और जवाहरातों से जगमगा रहा है । इस तरह सेठ को धन की प्राप्ति हुई।