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पढ़े भ्‍ाारत बढ़े भ्‍ाारत

पढ़ना है समझना

कक्ा में प्रिं्ट-समृद्ध वा्‍ावरण :


पोस्टरों का इस्‍तेमाल
शरुआती
शरुआती
रुु आती पपढना-लिखना को सार्थक बनाऩे
कक्ा में प्रिं्ट-समृद्ध वा्‍ावरण :
कक् और बच बचचों को एक कुशि पाठक ए्वं ि़ेखक
बनान
बनाऩे की दृल्‍ट स़े मान्व संसा्धन ल्वकास
पोस्टरों का इस्‍तेमाल ममत्त्ं ािय द्ारा स्व्थ लशक्षा अलभयान क़े अतं ग्थत
पढना और लिखना स्वयं में एक अर्थपरू ्थ और रचनातमक प्रलरिया है। पढना- एक रारा्‍ट्रवयापी उप-काय्थरिम 'पढ़े भारत
लिखना सीखऩे की प्रलरिया में बचचों को उपिब्ध होऩे ्वािा लप्रंट-समृद्ध बढ़े भारत' का प्रारंभ लकया गया लिसक़े दो
्वाता्वरर महत्वपरू ्थ भलू मका लनभाता है। इतना ही नहीं, बचचों को शािा स़े क्ष़ेत् हैं - 1. समझ क़े सार प्रारंलभक पढना
बाहर और शािा क़े भीतर भाषा और साक्षरता का प्रयोग करऩे क़े ्वैल्वधयपरू ्थ और लिखना एए्वं 2. प्रारंलभक गलरत। यह
ए्वं सार्थक अ्वसरों स़े िाभ होता है। उनकी साक्षरता का ल्वकास करऩे क़े दस
दसता्व़ेज़ राजयों और कें द्र शालसत प्रद़ेशों
लिए उपयक्ु त परर्व़ेश तरा सहयोग उपिब्ध कराना आ्वशयक है। लिसक़े लिए क
क़े लिए एक प्रकार स़े लदशा-लनददेश भी हैं
यह समझ बनाना ज़रूरी है लक बचच़े लकस तरह पढना-लिखना सीखत़े हैं। िब ललिनक़े आ्धार पर समचू ़े द़ेश में प्रारंलभक
बचच़े औपचाररक लशक्षा क़े शरुु आती ्वषषों में प्र्व़ेश करत़े हैं तो उनहें एक ऐस़े पढना-लिखना को प्रभा्वी रूप स़े लरियालन्वत लकया िा सक़े । समझ क़े सार
कक्षा-कक्ष की आ्वशयकता होती है िो उनहें ल्वल्व्ध उद् द़ेशयों क़े लिए पढऩे, पढऩे-लिखऩे क़े अतं ग्थत लिन लबंदओ ु ं पर बि लदया गया है, ्व़े हैं - बचचों
बातचीत करऩे और लिखऩे क़े ्वैल्वधयपरू ्थ अ्वसर उपिब्ध कराता है। शािा द्ारा समझ क़े सार पढऩे-लिखऩे की सरायी रुलच का लनमा्थर करत़े हुए भाषा
में आऩे क़े एक ्वष्थ क़े भीतर प्रतय़ेक बचच़े को की रोचक दलु नया स़े पररलचत का ल्वकास करना। बचचों को समझ क़े सार अलभप्ऱेररत, स्वतंत् और सलरिय
होऩे का अ्वसर लमि़े। पाठक ए्वं ि़ेखक क़े योगय बनाना लिनमें पढऩे-लिखऩे क़े कौशि सरायी रूप
स़े ल्वद्यमान हों। सार ही ्व़े कक्षा क़े अनरू ु प सीखऩे क़े सतरों को प्राप्त कर सकें ।

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करऩे, पढऩे-लिखऩे क़े सार्थक अ्वसर प्राप्त हो सकें । बचचों क़े लिए बनाए
गए कहालनयों और कल्वताओ ं क़े पोसटरों को कक्षा-कक्षों, पसु तकाियों अर्वा
घरों में इसत़ेमाि लकया िा सकता है। धयान रखें लक िहाँ भी पोसटर िगाए िा
रह़े हैं, ्व़े बचचों को सहूलियत स़े पढऩे का अ्वसर दें तालक बचचों को उचक-
उचककर पढना न पड़े।

इन पोस्टरों को उपयोग करन


करनते सबिं िंधी
धी स
सझाव

ु ाव
इस ्रकार हैं :
* बचचों को लचत्ों को द़ेखऩे, उनका अ्विोकन करऩे क़े लिए पया्थप्त
प्रारंलभक पढना-लिखना की लशक्षा-शासत्ीय समझ क़े अतं ग्थत इन बातों को समय दें। धयान रखें लक प्रतय़ेक बचच़े की अ्विोकन-क्षमता अिग-
िानना और समझना ज़रूरी है - प्रारंलभक कक्षाओ ं म़ें पढना-लिखना सीखऩे अिग होती है। अत: बचचों को अपनी गलत स़े काय्थ करऩे या
की प्रलरिया की समझ, मौलखक ए्वं लिलखत भाषा क़े बीच संबं्ध, रोज़मरा्थ अ्विोकन करऩे क़े अ्वसर उपिब्ध कराएँ। 'चकई क़े चकदमु ', 'बरस
क़े िी्वन में साक्षरता का उपयोग, बचचों क़े अनभु ्वों का ससं ा्धनों क़े रूप रहा भई बरस रहा' कल्वता-पोसटरों तरा अनय पोसटरों में ऐसा बहुत
में उपयोग, अर्थपरू ्थ पढऩे-लिखऩे क़े अ्वसरों का प्रा्व्धान, मौलखक भाषा या कुछ है लिनहें द़ेखना बचचों को आनंद प्रदान कऱे गा।
बातचीत की भलू मका, ल्वद्यािय क़े भीतर और बाहर बचचों क़े पढऩे-लिखऩे * ्व़े पोसटर लिनमें क़े ्वि लचत् हैं, ्व़े बचचों को बातचीत करऩे क़े मौक़े
की ज़रूरतें, लप्रंट सामग्ी क़े रूप म़ें सरानीय कल्वताओ,ं कहालनयों और गीतों द़ेत़े हैं। यह बातचीत लचत् में दशा्थई गई चीज़ों, वयलक्तयों और घलटत
का इसत़ेमाि, कक्षाकक्ष में प्रदलश्थत सामग्ी, कल्वताओ ं और लचत्ों क़े आ्धार होऩे ्वािी बातों क़े इद्थ-लगद्थ हो सकती है। उदाहरर क़े लिए ‘हाट’
पर कक्षायी बातचीत आलद। पोसटर पर आ्धाररत चचा्थ इस लदशा में िा सकती है लक हाट खतम
इन लबंदओ हो िाऩे क़े बाद ्वह िगह कै सी नज़र आएगी, कौन-सी ्वसतएु ँ हाट
ु ं को धयान में रखत़े हुए प्रारंलभक साक्षरता काय्थरिम क़े अतं ग्थत
कक्षा-कक्ष का लप्रंट-समृद्ध बनाऩे क़े लिए कुछ पोसटरों का लनमा्थर लकया क़े समय क़े बाद भी होंगी या लिर उनका इसत़ेमाि कै स़े हो रहा रा।
गया है। इन पोसटरों में बचचों क़े रोज़मरा्थ क़े अनभु ्व-ससं ार पर आ्धाररत बचचों की लनिी लि़दगं ी और परर्व़ेश को िोडत़े हुए इस लबंदु पर चचा्थ
कहालनयों, कल्वताओ,ं लचत्ों आलद का इस प्रकार स़े चनु ा्व लकया गया है हो सकती है लक ्व़े लिस हाट या बाज़ार में िात़े हैं, ्वह पोसटर ्वाि़े
लक बचचों को बातचीत करऩे, एक-दसू ऱे क़े सार अपऩे अनभु ्वों को साझा हाट स़े लकस तरह स़े अिग है या समान है आलद। इसी तरह स़े 'लमट्ी
क़े रंग', 'िंगि' पर भी बातचीत की िा सकती है।

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िडु ा हुआ होगा, क्योंलक बचच़े लचत्ों क़े आ्धार पर कहानी क़े बाऱे में
अनमु ान िगात़े हैं।
* कल्वता क़े पोसटर को भी कक्षा में बातचीत करऩे, लचत्-्वर्थन, पढऩे
और लिखऩे का आ्धार बनाया िा सकता है। लशक्षक बचचों क़े सार
कल्वता को ियातमक तरीक़े स़े पढकर उसका आनंद उठाएँ। कल्वता
क़े शबदों और लचत्ों में इतनी गंिु ाइश है लक ्व़े बचचों को पढऩे का
मज़ा देंग़े।
* बचचोंं क़े कलपना-िोक और रचनातमकता को कक्षा में आमलं त्त करें ,
पया्थप्त िगह दें और उनहें अपनी कल्वता बनाऩे क़े लिए प्रोतसालहत
करें ।
* लचत्ों पर बातचीत करऩे क़े लिए उनस़े पछू ा िा सकता है लक उनहें * लचत्ों क़े आ्धार पर बचचों को अपऩे मन की बात कहऩे और लिखऩे क़े
लचत् में क्या-क्या लदखाई द़े रहा है। बचचों को अपनी बात कहऩे क़े लिए प्रोतसालहत करें । यह ि़ेखन आडी-लतरछी ऱे खाओ,ं प्रतीकातमक
अ्वसर दें। बचच़े लचत्ों में अपऩे अनभु ्व संसार में शालमि चीज़ों को लचत्, स्व-्वत्थनी, पारंपररक ि़ेखन क़े लकसी भी चरर पर हो सकता है।
सबस़े पहि़े धयान द़े सकत़े हैं। लशक्षक उनहें इतमीनान स़े सनु ें और बचचों क़े ि़ेखन को स्वीकार करें । उनक़े ि़ेखन काय्थ क़े बाऱे में उनस़े
बचचों में भी सनु ऩे क़े ्धैय्थ का ल्वकास करें । लचत्ों में अछूती रह गई बातचीत करें और बचच़े िो बताएँ उस़े लचत् क़े नीच़े लिख दें और
चीज़ों की ओर बचचों का धयान लदिाएँ और चचा्थ को आग़े बढाएँ। पढकर सनु ाएँ।
* कहानी, कल्वता क़े पोसटर पर बातचीत करऩे क़े सार उनहें पढऩे और
लशक्षक द्ारा उनहें़े पढकर सनु ाऩे क़े भरपरू अ्वसर लमि सकत़े हैं।
बचचों को पोसटर में लचत्ों क़े माधयम स़े प्रदलश्थत कहानी क़े बाऱे में
बचचों को अनमु ान िगाऩे क़े अ्वसर दें। बचच़े अपऩे अनभु ्व और
प्वू ्थज्ान क़े आ्धार पर अपनी कहानी सनु ा और बता सकत़े हैं। उनहें
्धैयप्वू क्थ सनु ें।
* यह सभं ्व है लक बचच़े द्ारा बताई गई कहानी पोसटर में लिखी गई
कहानी स़े अिग हो- उस़े सहष्थ स्वीकार करें । बचच़े िो भी कहानी
बनात़े हैं, उनहें ्व़े अपऩे तक्थ क़े आ्धार पर बनु त़े हैं। ि़ेलकन इतना
तय है लक उनकी कहानी का ताना-बाना पोसटरों में प्रदलश्थत लचत् स़े
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* िो कल्वता आपकी कक्षा में बचच़े बहुत पसंद करत़े हैं, उस़े आप बड़े
और साफ़ अक्षरों में चाट्थ पर लिखकर और संभ्व हो तो लकसी भी
तरह क़े लचत्ांकन क़े सार पोसटरनमु ा बना सकत़े हैं।
* अनय ल्वषयों, िैस़े पया्थ्वरर अधययन, गलरत आलद को पढाऩे क़े लिए
भी आप इन पोसटरों का उपयोग कर सकत़े हैं। 'लमट्ी क़े रंग' और
‘हाट’ पोसटर में तरह-तरह क़े काम करऩे ्वाि़े िोगों को बातचीत का़े
आ्धार बनाया िा सकता है। दसू री आ़ेर 'िगं ि' पोसटर क़े माधयम स़े
ल्वलभनन पशाु-पलक्षयों, उनक़े खान-पान, ल्वश़ेषताओ ं आलद पर ल्वसतृत
बातचीत की िा सकती है।

प्रारंलभक साक्षरता काय्थरिम


प्रारंलभक लशक्षा ल्वभाग
गोल्वंद बलिभ पंत बिाॅक
रा्‍ट्रीय शैलक्षक अनसु ं्धान और प्रलशक्षर पररषद् (एनसीईआरटी)
श्ी अरल्वंद माग्थ, नई लदलिी – 110016
दरू भाष/ िै ़क्स – 011-26863735/ 26863104
पढ़ना है समझना
ईम़ेि – readingcell.ncert@gmail.com
For more details, visit our website www.ncert.nic.in

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