Bagladhuma- दुष्ट तांत्रिक विधान को नष्ट करना-बगला सूक्त

You might also like

Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 5

0 अिधक अगला लॉग» gresham19@gmail.

com डै शबोड थान कर

Tuesday, 19 April 2016 Get latest posts on your email

द ु ट त ि क िवधान को न ट करना-बगला सू Email address... Submit

Contact

मेरा यजमान एक सरकारी ाइवर है िजस पर कृ या का इतना ती योग िकया गया िक वह घर You can contact Dr. TD Singh
म रह ही नह पाते थे, रात म भी घर न जाकर आिफस म ही सोते थे। चार-चार माह बीत at 09839149434
जाते पर तु वह घर जाने का नाम ही नह लेते यही नह त ंुसक बना
ारा उ ह पूणतः नप◌
िदया गया, उनका से स पूणतः न ट हो चुका था। से स ठीक करवाने हेतु अनेको डा टर की Account detals :
दवाइय का सेवन िकया, पर तु कोई लाभ न हुआ, कई त ि क के च कर लगाए, एक त ि क
पर भैरव का आवेश आता था, रात-रात उसके वह रहे, बड़े ़-बडे़ वादे उस त ि क ने िकए पर TAPESHWARI DAYAL SINGH
सम या जस की तस बनी रही। उनके तीन बेिटय िववाह के यो य हो रही थ , कैसे उनका Account No. :
683610110002010
िववाह करना है , कुछ भी िवचार नह करते। कुल िमलाकर थित अ य त शोचनीय थी।
IFSC CODE : BKID0006836
अ िवि त अव था की ओर मशः उनका जीवन जा रहा था, इसे हम रोकना था और वह भी Bank of India Lucknow
िबन पैस के। एक ती त ि क से सीधी ट कर लेनी थी। वह कहता था नौकरी प की नह होने
दंू ा, हाथ म कटोरा पकड़वा दं
ग ग
ू ा। इस ती त ि क के ि या कलाप को न ट करना कोई मजाक
नह था। ती पर ती तर योग ही सफलता दे सकता अतः िवचार िकया य न बगला-सू के Blog Archive
यारह हजार पाठ का सं क प िलया जाए और ऐसा ही िकया गया। पाठ पूण होने के बाद सब
▼  2016 ( 4 )
सामा य हो गया। अब वह ीमान जी घर म रहने लगे, उनकी प नी भी उनके पैर दबाने लगी,
जमीन का अ छा मुवावजा भी िमल गया, अब वह करोड़पित बन गये, कुछ समयोपरा त दो ▼  April ( 1 )
बेिटय का िववाह भी स प न हो गया। येक बेटी के िववाह म चार पिहया गाड़ी देकर धूमधाम दु ट त ि क िवधान
से काय म स प न िकया। कुछ कृिष यो य जमीन भी खरीद ली पर तु हम एक बात का दुःख को न ट करना-
अव य हुआ िक िगरे व पर मने िनःशु क साथ िदया, भगवती से ाथना कर उनके जीवन को बगला सू
खुशहाली के माग पर लाने का य न िकया, िजसम म सफल भी हुआ, अब न है िक
►  March ( 1 )
पािर िमक के तौर पर हम या िमला? बाबा जी का ठु लु। िजस कार ि या की गई आप के
स मुख तुत है - ►  February ( 2 )

►  2015 ( 11 )
बगला सू -कृ या पिरहण ‘‘अथवद से’’

सं
क प - ऊँत स ................ साद िस ी ारा मम यजमान य (नाम द)
सव भी ठ िसि थ पर योग, पर मं-तं-यं िवनाशाथ, सव दु ट हे बाधा िनवाणाथ, सव
उप व शमनाथ ी भगवती पीता बरायाः बगला सू ये यारह सह पाठे अह कुव। (जल
पृ वी पर डाले द)

सव थम भगवती को मछली अिपत कर पाठ कर व यारह हजार पाठ के उपरा त हवन कर


भवगती को पुनः मछली भट कर।

थे िजसम काला ितल अिधक हो, इसकी मछली बनाकर, आं


मछली भट करना: - आटा गूँ ख के
थान पर एक-एक ल ग लगा कर इसकी ाण ित ठा करते ह, िफर कड़े पर सरस के तेल से
जयोित उठा कर यह मछली भगवित को अिपत कर बगला सू का पाठ आर भ कर।

मछली की ाण ित ठा:- िविनयोग - ऊँअ य ाण ित ठा म य ा, िव णु, ा ऋषयः


ऋ य जुसामिन छ दािस, पराऽऽ या ाण शि ं
देवता, आंबीज, शि ः, ◌े कीलक
मछली ाण ित ठापने िविनयोगः (जल भूिम पर डाल द)
ऋ यािद यास -

ऊँअंगु ठयो।
ऊँआं अंकंखंगंघंङंआँऊँ वाय व न सिलल पृ वी व पाऽऽ मनेडं ग यं
गयौः
तज ये च।
ऊँआं इंचंछ जंझंञं ई परमा यपर सुग धाऽऽ पने िशरसे वाहा म यमयो चं
ऊँआं डंटंठंछंडंदंणंऊँ े तव कच ु-िज हा ाणाऽऽ मने िशखायै वष
अनािमकयो च।
ऊँआं एंतंथंदंघंनं ाणातमने कवचाय हुंकिन ठकयो च।
ऊँआं पंफंवंभंमंवचना दान गमन िवसग न दाऽऽ मने औ ं ने याय वौष ।
ऊँआं अंयंरंलंवंशंयंसंहंलं ंअः मनो बु यंहं कार िच ाऽऽ मने अ ाय फ ।

मछली को पश करते हुए यह मं पढ़े:- ऊँआं यंरंलंवंशंषंसंह हं सः मछली


ाणा इह ाणाः। ऊँआं यंरंलंवंशंषंसंह हं सः मछली जीव इह थतः। ऊँआं
यंरंलंवंशंषंसंह हं सः मछली सव याािण इह थतािन। ऊँआं यंरंलंवंशं
षंसंह हं
सः मछली वाङ मन ु- ो - ाण- ाणा इहाग य सं
खंिचरंित ठ तु वाहा।

बगला सू

य ते च ु रामे पा य च िम घा ये।

आमे म से कृ य य च ु ः पुनः ित हरािम ता !!1!!
य ते च ु ः कृक वाकावजे वा य कुरीिरिण।ं
अ य ते कृ य य च ु ः पुनः ित हरािम ता !!2!!
य ते च ु ः रेक शफे पशूना मृभयादित।
गदभे कृ य य च ु ः पुनः ित हरािम ता !!3!!
य ते च ु ः रमूलाय वलगंवा नरा या ।
े ते कृ या म च ु ः पुनः ित हरािम ता !!4!!

य ते च ु ः ग हप ये पूव नावुत दु चतः।
शालाय कृ य य च ु ः पुनः ित हरािम ता !!5!!
य ते च ु ः सभाय य च ु रिघदेवने।
अ ष े ु कृ य य च ु ः पुनः ित हरािम ता !!6!!
य ते च ु ः सेनाय य च ु िर वायुघ।े
दु दुभौ कृ य य च ु ः पुनः ित हरािम ता !!7!!
य ते कृ य कूपेऽवदघुः मशाने वा िनचर तुः।
स िन कृ य य च ु ः पुनः ित हरािम ता !!8!!
य ते च ु ः पु षा थे अ नौ एं क सुके च या ।
ोकंिनद ह यादंपुनः ित हरािम ता !!9!!
अपथेना जभारैण त पथेतः िह मिस।
अघीरो मय घीरे यः संजभारािच या !!10!!
य चकार न शशाक कतु श पदाम ङिल ।

चकार भ म मभयम भगौ भगव यः !!11!!
कृ य कृतंवलिगनंमूिलनंशपथेयऽ ।
इ तंह तु महता वघेना न िव यतव तया !!12!!

यह एक पाठ हुआ।

अथ:- 
अिभचार करने वाले ने अ छे िम टी के पा म या घान, जौ गहू, उपवाक, ितल, क गनी के
िमि त घा य म अथवा कु कुटािद से क चे म स म, हे कृ ये! तुझे िकया है । म तुझे उपचार
करने वाले पर ही वापस भेजता हँ
ू !!1!! 

हे कृ ये! तुझे मुग, बकरे या पेड़ पर िकया है , तो हम अिभचार करने वाले पर ही लौटाते ह
!!2!! 
हे कृ ये! अिभचारक ने तुझ एक खुर वाले अथवा दोन ◌े द त वाले गघे पर िकया है तो तुझे
अिभचारक पर ही लौटाते ह !!3!! 

हे कृ ये! यिद तुझे मनु य से पूिजत भ यंपदाथ म ढक कर खेत म िकया गया है तो तुझे
अिभचारक पर ही लौटाते है !!4!! 

हे कृ ये! तुझे गाहप या न या य शाला म िकया गया है , तो तुझे अिभचारक पर लौटाते है


!!5!! 

हे कृ ये! तुझे सभा म या जुएंके पाश म िकया गया है तो अिभचारक पर ही लौटाते ह


!!6!! 

सेना के बाण अथवा दु दुिभ पर िजस कृ या को िकया है , उसे म अिभचारक पर ही लौटाता हँ



!!7!! 

िजस कृ या को कुएंम डालकर, मशान म गाड़ कर अथवा घर म िकया है , उसे म वापस


करता हूँ!!8!! 

पु ष की ह डी पर या िटमिटमाती हुई अ न पर िजस कृ या को िकया है , उसे म सभ ी


अिभचारक पर ही पुनः िसत करता हूँ!!9!! 

िजस अ ानी ने कृ या को कुमाग से हम मय िदत लोग पर भेजा है , हम उसे उसी माग से


उसकी (भेजने वाले की) ओर िरत करते ह !!10!! 

जो कृ या ारा हमारी उं
गली या पैर को न ट करना चाहता है , वह अपने इ छत यास म सफल
न हो और हम भा यशािलय का वह अमग ंल न कर सके !!11!! 

भेद रखने वाले तथा िछपकर (गु त प से) कृ या कम करने वाले को, इ अपने िवशाल श
से न ट कर द, अ न उसे अपनी वालाओ ं से जला डाले !!12!!

हवन:- येक लोक के बाद वाहा लगा कर 108 या 11 पाठ की आहुित देते ह।

हवन साम ी:- िपसी ह दी, पीली सरस , सुनहरी हरताल, मालक गनी, सफेद ितल, देशी घी
म सानते ह।
कृ या िनवारण - 11 हजार पाठ का िवधान है ।

डा0 तपे री दयाल िसं


Author onkar kumar at 02:47


Recommend this on Google

onkar kumar
I am a spiritual seeker working on "Who am I "

No comments :

Post a Comment
Comments will be published after spam moderation . Thank you .
Enter your comment...

Comment as: GRESHAM (Google) Sign out

Publish Preview Notify me

Search baglatd.com

Search

Popular Posts

परिव ा भ णी व काला िज न
शा ो म िलखा है यिद आप को आिथक मानिसक, शारीिरक हािन पहुचाने के उ े श से िकसी वाथ यि ारा कोई अिभचाािरक कम
आप के िव ...

दु ट त ि क िवधान को न ट करना-बगला सू
मेरा यजमान एक सरकारी ाइवर है िजस पर कृ या का इतना ती योग िकया गया िक वह घर म रह ही नह पाते थे, रात म भी घर
न जाकर आिफस मे...

रा स से छु टकारा
म यं
िगरा  येक यि िकसी न िकसी कार की श ु ता के यामोह म आब है । इसीिलए सकारा मक वृि य उदा त
चेतन...

बगला िवपरीत यं
िगरा का अनु ठान
जब दु ट ारा कोई त ि क  िवधान कर िदया जाता है तो जीवन क टमय हो जाता है , मुझ पर कुछ दु ट की छ छाया ऐसी पड़ी िक
अभी मुझे ...

ी बगलामुखी क प िवधान-गु त श ु मदनी


                 अपनी श दावली व भाव णाली की िविश टता के कारण इसे अ य त िवकट श ु से स ास को व त
करने के ...

बगलामुखी म ारा स पुिटत म की ती ता


कोई भी म हो यिद वह भगवती बगलामुखी के म ारा सं
पुिटत कर जप करते ह, तो ती गित से सुखद पिरणाम आते ह | एक
द ृ टा त द...

भगवती बगलामुखी को जािनए


माता ी बगला  आइये माता ी बगला के बारे म जानते ह 

िकस कार साधना ार भ कर


‘ म दी ा’ के अनुसार साधना करने से म -साधना का ठ फल भुि और मुि दोन ही साधक को ा त होती है । िन न म से

म प...
म प...

बगला मुखी मूल मं


‘‘ म दी ा के अनुसार-एका री, चतुर र, अ टा र मं जप के बाद प चा ही मूल मं का जप कर , सीधे मूल मं का जप न
कर, य...

स पुिटत मं की ती ता ( वा य लाभ हेतु)


मेरे पिरिचत की रात एकाएक वा य िच ता जनक हो गयी उ ह बेहोशी की हालत म अ पताल ले जाना पड़ा, इधर गु जी को फोन
लगाया उ होन महा...

Powered by Spiritual Systems | www.spiritualsys.com

Total Pageviews

5644

You might also like