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न ह शशु के ट काकरण के वरोध म 40 दलील

-जग ाथ चटज (ट काकरण संघष 1985 से)

1. इस बात का कोई वै ा नक माण नह है क ट काकरण से वा तव म रोग क रोकथाम ई है। बीमा रय के ाफ और


आंकड़े दशाते ह क ट काकरण क शु आत के समय अमुक बीमा रयां वत: ही ख म होने के कगार पर थी। जैसे क
चेचक के ट के से चेचक ख म होने का दावा कया जाता है, ले कन इससे पहले क लोग इसके ट के का वरोध कर पाते,
हजार लोग इसके कारण मौत का शकार हो चुके थे।

2. ट के सुर त ह या नह , इसके लए कोई द घकालीन अ ययन और ामा णक शोध का ावधान नह है। ब लक ब त


ही छोटे एवं अवै ा नक टे ट योग कए जाते ह, जनम ट का लगाए गए लोग क तुलना उन लोग से क जाती है, ज ह
कोई और ट के लगे होते ह! जब क असल म यह तुलना ऐसे लोग के साथ क जानी चा हए, ज ह कभी कोई ट के नह
लगे ह । को◌इ नह जानता क क नय ारा ायो जत इन ट क के योग म कन नयम और मापद ड का पालन
कया जाता है।

3. आज तक कोई ऐसा क़दम नह उठाया गया है, जसम ट के लगे ए लोग और बना ट के लगे ए लोग का तुलना मक
अ ययन यह जानने के लए कया गया हो क आ खर इन ट क का ब और समाज पर या असर हो रहा है।

4. एक ब े को के वल एक नह , अनेक ट के लगाए जाते ह। इन अनेक ट क का ब े पर या असर होता होगा, इसक


जांच का को◌इ ावधान नह है।

5. शशु के ट काकरण का कोई वै ा नक आधार ही नह है। ”टाइ स आफ इं डया म का शत एक व र डा टर के


कथनानुसार, ”ट क से बचाई जाने वाली बीमा रय से सत होने क स ावना ब म 2 तशत से भी कम होती है,
ले कन इन ट क का हरज़ाना उ ह 100 तशत भुगतना पड़ता है। यहां तक क ट क के आ व कारक ने भी ट काकरण
से पहले क◌इ सावधा नयां बरतने क पेशकश क है तथा वे खुद भी वशाल तर पर ट काकरण के प म कभी नह थे।"

6. ब का ट काकरण इस लए आसान होता है, य क उनके अ भभावक म बीमा रय का डर पैदा करके उ ह


जबरद ती ट के लगाने के लए तैयार कया जा सकता है। नवजात शशु का ट काकरण ट का- नमाता क नय और
डा टर के लए सबसे फायदे म द ध ा है।

7. भारत सरकार ने ”द
ह अखबार म का शत एक व ापन के ज रये अ भभावक को यह हदायत दे ना शु कया है
क वे सफ सरकार ारा मा यता ा त ट के ही लगवाएं तथा ाइवेट अ ताल म ट के नह लगवाएं।"

8. भारतीय शशु रोग वशेष संघ के उड़ीसा चे टर म उड़ीसा के मु यम ी को लखे गए एक प म यह उ लेख कया
गया है क ाइवेट ली नकअ ताल ट क के सुर त सं हण के लायक नह है तथा माता- पता को यह चेतावनी द
है क वे ाइवेट अ ताल म ट के नह लगवाएं।

9. ट क म इ तेमाल होने वाली सभी चीज अ य त वषैली और खतरनाक है।

10. ाय: सभी ट क म – धातुए,ं कसर पैदा करने वाले त व, खतरनाक रसायन, जी वत और जीन-प रव तत वायरस,
ज तु के वायरस से यु सड़ा आ सीरम, बना टे ट कए गए एंट बायो ट स आ द होते ह, जनके भाव होते ही
ह।

11. ट क म इ तेमाल होने वाला पारा (मर यूरी), ए यू म नयम और जी वत वायरस आ ट म नामक महामारी (अमे रक
डा टर के अनुसार हर 50 म से 1 कत आ ट म से सत है) के मु य कारण है। यह एक ऐसा त य है, जो अमे रक
वै सीन कोट ने भी वीकार कया है।

12. अमे रक सं ा ”सी.डी.सी. (सटर फार डजीज़ कं ोल) ने यह खुले तौर पर वीकार कया है क ट काकरण और
आ ट म के बीच स ब को नकारने वाली सन 2003 क यात टडी गलत है। सी.डी.सी. मुख डा. गेरब डग ने
मी डया (सी.एन.एन.) के सम यह वीकार कया क ट क क वज़ह से आ ट म के ल ण पैदा हो सकते ह। आ ट म
महामारी सफ उ ह दे श म ई ह, जहां वशाल तर पर ट काकरण को वीकृ त दे द गई है।

13. सन 1999 म अमे रक सरकार ने ट का- नमाता क नय को ”तुर त भाव के साथ ट क म से (पारा) हटाने के
नदश दए थे। ले कन आज भी कई ट क म पारे का इ तेमाल य का य हो रहा है। पारे यु ट क पर कोई कदम नह
उठाया गया और ये ट के सन 2006 तक ब को दए जाते रहे। यहां तक क तथाक थत ”पारे र हत ट क म भी 0.05
माइ ो ाम पारा होता है, जो क एक न ह शशु को आजीवन वकलांग बनाने के लए काफ होता है।

14. भारत म ट कसे पारा और अ य धातु को हटाने के लए कोई कदम नह उठाये गये, सफ इस लए क ऐसा करने
से ट क क क मत बढ़ जाएगी।

15. भारत के त कालीन रा प त ी अ ल कलाम के पूछने पर वा य मं ालय का कहना था, ”ट क को सुर त बनाने
के लए पारे क ज रत होती है। लेखक के इस ” ये कै से ट के ह, ज ह सुर त बनाए रखने के लए नया के सरे
बड़े खतरनाक यूरोटा कसन पारे क ज रत होती है!? का कोई जवाब नह था।

16. ट क म इ तेमाल कए जाने वाला पारा , यूरे नयम के बाद सरे न बर का घातक ज़हर है। यूरे नयम एक घातक
रे डयोए कटव पदाथ है, जो क ब े के स ूण नाड़ी-त को पल भर म न कर सकता है।

17. पारा चब म एक त होता है। और हमारा पूरा दमाग ही चब क को शका से बना होता है। अ धकांश पारा वह
जमा होता है और ब म आ ट म के ल ण को बढ़ाता है।
18. ट कम इ तेमाल होने वाला पारा, इथाइल पारा होता है, जो क भारतीय डा टर के अनुसार आमतौर पर यु
मथाइल पारे से 1000 गुना यादा वषैली होती है।

19. ट क म यु होने वाला ए यू म नयम, पारे को 100 गुना और अ धक वषैला बना दे ता है।

20. एकवत अ ययन के अनुसार ट क म ए यू म नयम और फामल डहाइड क मौजूदगी से म य◌र्ूरी 1000 गुना
अ धक वषैला हो जाता है।

21. ‘तहलका म आ ट म के बारे म का शत एक लेख के अनुसार ब को उनके बदा त करने क मता से 250 गुना
अ धक पारा ट क के ज रए मल रहा है। इसी लेख म यह भी कहा गया है क अगर कोई ड यू.एच.ओ. ारा तय क गई
पानी म म य◌र्ूरी क सीमा को आधार मान, तो वे उस सीमा से 50000 गुना अ धक पारा ट क के ज रए हण कर रहे
ह। जब क यह सीमा भी वय क के लए नधा रत क गई है, शशु के लए नह ।

22. आ ट म भारत म ब म ब त तेजी से फै लने वाली एक महामारी के प म उभर रहा है, जो त 500 म से 1 ब े
से बढ़कर आज यह त 300 म से 1 ब े को है।

23. आ ट म एक ायी वकलांगता है, जो ब े को शारी रक, मान सक और भावना मक प से भा वत करती है।
इससे ब े का समाज से स ब टू ट जाता है। यह ब े के शारी रक और मान सक वकास म कावट डालता है। यह
ब े के दमाग को त प ंचाता है, जससे उसक याददा त और यान दे ने क मता ब त भा वत होती है। ट क पर
शोध करने वाले डा टर हे रस का टर के अनुसार ट काकरण से ब े वकृ त और आपरा धक वृ तत के हो जाते ह।
अमे रका म कू ली ब ारा ई ह या क घटनाएं आ ट म से सत ब ारा ही ई है। ट के इतने घातक हो सकते ह
क च क सक समुदाय भी इसे अ य प से वीकार करने लगा है।

24. आ ट म से त ब को आंत के बीमा रयां भी झेलनी पड़ती है। डा टर ए î◌ू वेकफ के अनुसार यह
एम.एम.आर. ट के म मौजूद मीज स के ़ज दा वायरस के कारण होता है। और इस ट के के बाद लगभग सभी ब े
आ ट म से त हो जाते ह।

25. डी.पी.ट . का ट का भी ब
के वकास को रोकता है और यह भय पैदा करता है क वे जी वत वायरस से यु ट के
आ ट म का मुख कारण है। अगर तीन ़ज दा वायरस वाले ट के से इतनी हा न हो सकती है, तो हम क पना कर सकते
ह क आज पांच और सात वायरस से यु ट क से ब पर या असर होता होगा।

26. आ ट म से भी पहले, यह मालूम हो चुका है क वतमान समाज म कसर नामक महामारी ट काकरण क वजह से
फै ल रही है। चेचक और पो लयो दोन के ट के ब दर के सीरम से बनाए जाते ह। इस सीरम म ब दर म कसर पैदा करने
वाले क◌इ वायरस होते ह, 60 ऐसे वायरस पाये जा चुके ह, जो इंसान क र - शरा म डाले जाते ह।

27. यह भी व दत है क ट क म ब दर के सीरम के इ तेमाल क वज़ह से ◌ै ट ( स वयन इ यून डे फ सएंसी वायरस) का


ाना तरण ब दर से इंसान म आ है। ◌ै ट और ट (जो क एडस का कारण) दोन ब त समान ह।

28. के वल एडस ही नह , ब लक ब म र -कसर (ए यूट ल ो ला सटक यूके मया), जो क हजार क तादाद म


ब को भा वत कर रहा है, उसका कारण भी ट क म मौजूद अ य त वषैले पदाथ ह।

29. शशु अव ा म होने वाले पी लया और मधुमेह का भी इन वषैले ट क के साथ गहरा स ब है।

30. भारतीय च क सा संघ के डा टर के मतानुसार ब को पला◌इ जाने वाली पो लयो क दवा से 65000 से भी
अ धक ब े ट। ् (वै सीन क वजह से होने वाला पैरल े ाइ टक पो लयो) से सत हो चुके ह। अमे रका म पो लयो का
ट का लगाने के 16 साल बाद भी पो लयो का के स सामने आया है।

31. ट कम न के वल च जी और ब दर के सीरम, ब लक गाय, सूअर, मुग , अ डे, घोड़े और यहां तक क इंसान के


सीरम और भू्रण से नकाले ऊतक ( ट यू) का इ तेमाल कया जाता है।

32. ट काकरण से मृ
यु और ायी वकलांगता ब त सामा य बात है और वयं डा टर इस बात को जानते ह। ले कन वे
सरकारी नदश के अनुसार चुप रहने और इन के स का स ब ट काकरण से नह जोड़ने के लए बा य ह।

33. कोई डा टर यह मानते ह क बचपन म होने वाली बीमा रयां शरीर क रोग तरोधक मता को बढ़ाने के लए होती
ह। इन बीमा रय को दबा दे ने से ब े का इ यून स टम अ वक सत रह जाता है, जससे मधुमेह और आथराइ टस जैसी
आटो इ यून रोग पैदा होते ह, जो क आज महामारी का प ले रहे ह।

34. ट काकरण से ब े क ाकृ तक रोग- तरोधक मता दब जाती है, जससे शरीर म ाकृ तक एंट बाडीज नह बन
पाती। इसी कारण मां के ध म भी ाकृ तक एंट बाडीज नह होती और वो ब े म बीमा रय से लड़ने क मता
वक सत नह कर पाता।

35. अमे रका म तो ट क के वपरीत भाव कारकाड रखा जाता है और सरकार ारा पी ़डता को करोड़ डालर का
हजाना दया जाता है (हाल ही के एक के स म वै
सीन कोट ारा तकरीबन 20 करोड़ डालर का हजाना दया गया)।
जब क भारत सरकार इस बात को वीकार भी नह करती क ट क से कोई मृ यु या ायी वकलांगता हो सकती है।

36. यह बात वै ा नक तौर पर मा णत हो चुक है क ट के बीमा रय को रोकने म नाकामयाब रहे ह। ट के तो


के वल ”हयूमरल यानी र स ब ी तर ा पैदा करने क को शश भर करते ह, जब क तरोधक मता का वकास
हयूमरल और को शक य स हत कई तर पर होता है। इंसानी इ यून स टम के बारे म हम आज भी ब त सी मत ान
रखते ह, अत: हम इसम दखल नह दे ना चा हए।

37. अमे रका म ब के अ भभावक को ट क के भाव के बारे म सू चत कया जाता है और ट काकरण से पहले
उनक सहम त ली जाती है। ले कन भारत म वशाल तर पर व ापन और अ भयान के ज रये चार कया जाता है क
ट काकरण पूरी तरह से सुर त है। जो अ भभावक इसका ब ह कार करते ह, उ ह शास नक धम कय का सामना करना
पड़ता है।

38. ट काकरण से त त ब के इलाज के लए कोई व ा नह है। अ भभावक को एक अ ताल से सरे


अ ताल म च कर लगाने पड़ते ह। सरकार भी ऐसे के स से आंख फे र लेती है तथा ट काकरण से इन के स के स ब को
पूरी तरह नकार दे ती है।

39. कई मे डकल डा टर तो भारत सरकार ारा मा णत ट क को भी चुनौती दे रहे ह। ट .बी. क रोकथाम के लए


लगाए जाने वाले बी.सी.जी. के ट के क जांच तो ब त पहले सन 1961 म ही क जा चुक थी और इसे पूरी तरह बेअसर
पाया गया। पो लयो क दवा से पो लयो स हत कई यूरोलो जकल और आंत से स ब नधत रोग से सत 10 हजार से
भी अ धक ब े पाए गए ह। हाल ही म शु कया गया हैपेटाइ टस-बी का ट का ब के लए कत◌इ नह है। यह ट का
एक यौन सवं मत रोग के लए है, जो सफ वय क के लए है। टे टनस के ट के म टे टनस टा सायड के अलावा म य◌र्ूरी
और ए यू म नयम दोन होते ह। डी.पी.ट . के ट के को खुद डा टर भी लगाना पस द नह करते ह, य क यह सबसे
अ धक घातक ट क म से एक है। मीज़ स का ट का अकसर ब त ग ीर भाव डालता है क कई वा यकम भी इसे
ब द करने के प धर ह।

40. शशु रोग च क सक भारत म ऐसे स नद ध ट के ला रहे ह, जनका अमे रका और यूरोप म डा टर , राजनेता और
जनता ारा वरोध कया जा चुका है। रोटावायरस, हब, एच.पी.वी. और कई अ य म ट वायरस के ट क को भारत म
बना परी ण के सफ इस लए लाया जा रहा है क ट के बनाने वाली क नयां और उनसे जुड़े डा टर इनसे ब त पैसा
कमा रहे ह। व भर म कई ईमानदार डा टर इन ट क का वरोध कर रहे ह।

👆उपयु सभी त य संपूण नह कहे जा सकते, फर भी इ ह पढ़ने के बाद भी, अगर आप को लगता है
क आपके ब को ट के लगने चा हये, तो आपक मज । आप न संदेह एक ट का त शशु के माता
पता कहलाने के हकदार ह।

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