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सद‌ग् रुु  बता रहे हैं कि भस्म क्या है, उसे क्यों और कै से इस्तेमाल करना चाहिए और हमें उससे
क्या-क्या फायदे हैं।
 
सद‌ग् रुु :
विभति ू , भस्म या पवित्र राख के इस्तेमाल के कई पहलू हैं। पहली बात, वह ऊर्जा को किसी को देने या किसी
तक पहुचं ाने का एक बढ़िया माध्यम है। इसमें ‘ऊर्जा-शरीर’ को निर्देशित और नियंत्रित करने की क्षमता है।
इसके अलावा, शरीर पर उसे लगाने का एक सांकेतिक महत्व भी है। वह लगातार हमें जीवन के नश्वरता की याद
दिलाता रहता है, मानो आप हर समय अपने शरीर पर नश्वरता ओढ़े हुए हों।
भस्म बनाने की विधि
आम तौर पर योगी श्‍मशान भमि ू से उठाई गई राख का इस्तेमाल करते हैं। अगर इस भस्म का इस्तेमाल नहीं हो
सकता, तो अगला विकल्प गाय का गोबर होता है। इसमें कुछ दसू रे पदार्थ भी इस्तेमाल किए जाते हैं लेकिन
मल
ू सामग्री गाय का गोबर होती है। अगर यह भस्म भी इस्तेमाल नहीं की जा सकती, तो चावल की भसू ी से
भस्म तैयार की जाती है। यह इस बात का संकेत है कि शरीर मल
ू पदार्थ नहीं है, यह बस भसू ी या बाहरी परत है।
भस्म लगाने के फायदे
सबु ह घर से निकलने से पहले, आप कुछ खास जगहों पर विभति ू लगाते हैं ताकि आप अपने आस-पास मौजदू
ईश्वरीय तत्व को ग्रहण कर सकें , शैतानी तत्व को नहीं। 
बदकिस्मती से कई जगहों पर यह एक शर्मनाक कारोबार बन गया है, जहां भस्म के नाम पर सफे द पत्थर का
पाउडर दे दिया जाता है। लेकिन अगर इसे सही तरीके से तैयार किया जाए और आपको पता हो कि उसे कहां
और कै से लगाना है तो भस्म आपको और ग्रहणशील बनाती है। आप उसे अपने शरीर पर जहां भी लगाते हैं,
वह अंग अधिक संवेदनशील हो जाता है और परम प्रकृ ति की ओर अग्रसर होता है। इसलिए, सबु ह घर से
निकलने से पहले, आप कुछ खास जगहों पर विभति ू लगाते हैं ताकि आप अपने आस-पास मौजदू ईश्वरीय तत्व
को ग्रहण कर सकें , शैतानी तत्व को नहीं। उस समय आपका जो भी पहलू ग्रहणशील होगा, उसके आधार पर
आप अलग-अलग रूपों में और अपने विभिन्न आयामों से जीवन को ग्रहण कर सकते हैं। आपने ध्यान दिया
होगा – कभी आप किसी चीज को देखकर एक खास तरीके से उसका अनभु व करते हैं, फिर किसी और समय
आप उसी चीज का अनभु व बिल्कुल अलग रूप में करते हैं। महत्वपर्णू यह है कि आप जीवन को किस रूप में
ग्रहण करते हैं। आप चाहते हैं कि आपके उच्च पहलू ग्रहणशील हों, न कि निम्न पहल।ू
आपके शरीर में, सात मल ू कें द्र हैं जो जीवन का अनभु व करने के सात आयामों को दर्शाते हैं। इन कें द्रों को चक्र
कहा जाता है। चक्र, ऊर्जा प्रणाली के भीतर एक खास मिलन बिंदु होते हैं। इन चक्रों की प्रकृ ति भौतिक नहीं,
बल्कि सक्ष्ू म होती है। आप इन चक्रों को अनभु व से जान सकते हैं, लेकिन अगर आप शरीर को काटकर देखें,
तो आपको कोई चक्र नहीं दिखेगा। जब आप तीव्रता के उच्च स्तरों की ओर जाते हैं, तो स्वाभाविक रूप से
ऊर्जा एक चक्र से दसू रे चक्र की ओर बढ़ती है। अगर आप नीचे स्थित चक्रों से जीवन को ग्रहण करते हैं तो जो
आपका अनभु व होगा उसकी तल ु ना में तब आपके अनभु व और आपकी स्थिति बिल्कुल अलग होगी जब
आप शरीर में ऊपर की ओर स्थित चक्रों से जीवन को ग्रहण करें गे ।
भस्म कै से लगायें?
पारंपरिक रूप से भस्म को अंगठू े और अनामिका के बीच लेकर – ढेर सारी विभति ू उठाने की जरूरत नहीं है,
बस ज़रा सा लगाना है – भौंहों के बीच, जिसे आज्ञा चक्र कहा जाता है, गले के गड्ढे में, जिसे विशद्धि
ु चक्र
कहा जाता है और छाती के मध्य में, जिसे अनाहत चक्र के नाम से जाना जाता है, में लगाया जाता है। भारत में
आम तौर पर माना जाता है कि आपको इन बिंदओ ु ं पर विभति
ू जरूर लगानी चाहिए। इन खास बिंदओ ु ं का
जिक्र इसलिए किया गया है क्योंकि विभतिू उन्हें अधिक संवेदनशील बनाती है।
 भस्म आम तौर पर अनाहत चक्र पर इसलिए लगाई जाती है ताकि आप जीवन को प्रेम के रूप में ग्रहण कर सकें ।
 उसे विशुद्धि चक्र पर इसलिए लगाया जाता है ताकि आप जीवन को शक्ति के रूप में ग्रहण करें , शक्ति का मतलब
सिर्फ शारीरिक या मानसिक शक्ति नहीं है, इसं ान बहुत से रूपों में शक्तिशाली हो सकता है। इसका मकसद
जीवन ऊर्जा को बहुत मजबतू और शक्तिशाली बनाना है ताकि सिर्फ आपकी मौजदू गी ही आपके आस-पास
के जीवन पर असर डालने के लिए काफी हो, आपको बोलने या कुछ करने की जरूरत नहीं है, बस बैठने से ही
आप अपने आस-पास की स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं। एक इसं ान के भीतर इस तरह की शक्ति विकसित
की जा सकती है।
 विभतिू को आज्ञा चक्र पर इसलिए लगाया जाता है, ताकि आप जीवन को ज्ञान के रूप में ग्रहण कर सकें ।
यह बहुत गहरा विज्ञान है लेकिन आज उसके पीछे के विज्ञान को समझे बिना हम बस उसे एक लकीर की तरह
माथे पर लगा लेते हैं। यह मर्ख ू ता है कि एक तरह की लकीरों वाला व्यक्ति दसू री तरह की लकीरों वाले व्यक्ति से
खदु को अलग समझता है। भस्म शिव या किसी और भगवान की दी हुई चीज नहीं है। यह विश्वास का प्रश्न नहीं
है। भारतीय संस्कृ ति में, उसे गहराई से किसी व्यक्ति के विकास के उपकरण के रूप में देखा गया है। सही तरीके
से तैयार विभति ू की एक अलग गजंू होती है। इसके पीछे के विज्ञान को पनु र्जीवित करने और उसका लाभ उठाने
की जरूरत है।
संपादकीय टिप्पणी: ईशा शॉपी में उपलब्ध भस्म (विभति
ू ) को बहुत सावधानी से तैयार किया गया है और अधिकतम लाभ के
लिए उसे क्रिेयाशील किया गया है। उसे ईशा शॉपी से खरीदा जा सकता है।

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