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ऑनलाइन पालल – ल दिं ी कार्यशाला २०२०

लिपश्र्ना लिशोधन लिन्र्ास


व्याकरण क्यों ?
➢ बद्ध
ु ं सरणिं गच्छालि
➢ र्े च बुद्धा अतीता च र्े च बुद्धा अनागता
➢ नलथि िे सरणिं अञ्ञिं बुद्धो िे सरणिं िरिं
➢ निो तस्स भगितो अर तो सम्िासम्बद्ध ु स्स
➢ इदलम्प बद्धु े रतनिं पणीतिं
➢ एतिं बुद्धान सासनिं
विभवि एकिचन बहुिचन
पठिा बद्ध
ु ो बुद्ध (एक) बद्ध
ु ा बुद्ध (अनेक)
दलु तर्ा बुद्धिं बद्ध
ु को बुद्धे बद्ध
ु ों को
तलतर्ा बुद्धने बुद्ध स,े द्वारा बुद्धले , बुद्धले भ बुद्धों स,े द्वारा
चतुथिी बुद्धस्स, बुद्धार् बुद्ध को, के ललए बुद्धानिं बुद्धों को, के ललए
पञ्चिी बद्ध
ु ा, बद्ध ु स्िा, बद्ध
ु से बद्ध
ु ले , बद्धु ले भ बद्ध
ु ों से
बुद्धम् ा
छट्ठी बुद्धस्स, बुद्धार् बुद्ध का, की, के बुद्धानिं बुद्धों का, की, के
सत्तिी बद्ध
ु ,े बद्ध
ु लस्ििं, बुद्ध िें, पर बद्ध
ु से ु बुद्धों िें, पर
बुद्धलम्
आलपन बुद्ध, बुद्धा े बुद्ध ! बद्ध
ु ा े बुद्धों !
संज्ञाओ ं के विभवि रूप
➢ सिंज्ञाका ललिंग (पुल्लिंग, स्त्रीललिंग र्ा नपुिंसकललिंग), और
➢ सिंज्ञा के अिंलति स्िर के अनस ु ार
जैसे की – बुद्ध (‘अ’ कारान्त पुल्लगिं शब्द)
सारे अकारान्त पुल्लिंग शब्दों एक रूप ‘बुद्ध’ शब्द के सिान
ी ोंगे |
धम्म, मग्ग, सङ्घ, विहार, पुररस, आचररय इत्यावि
विभवि रूपों का प्रयोग
➢ पठिा : कताय
➢ दलु तर्ा : किय
➢ तलतर्ा : से, के द्वारा, के साि
➢ चतथु िी : (सिंप्रदान) लाभािी, प्राप्त क कताय, लेने िाला
➢ पञ्चिी : (अपादान) अलगाि अििा त े ु, कारण
➢ छट्ठी : सिंबिंधसूचक
➢ सत्तिी : (स्िल और कालसूचक) स्िान अििा सिर्
➢ आलपन : सबिं ोधन
कुछ संज्ञाए ं और वियाए ं
कुिार – कुिार, लड़का पत्त
ु – पत्रु
लित्त – लित्र र्ाचक – र्ाचक, लभखारी
कस्सक – कृषक, लकसान

सलत – स िं ता ै सर्लत – सोता ै


गच्छलत – जाता ै र्ाचलत – र्ाचना करता ,ै
कसलत – जोतता ,ै िािंगता ै
ल चलाता ै
पठमा
बुद्धो (एकिचन) – एक बद्ध
ु बुद्धा (ब ुिचन) – अनेक बद्ध

➢ िाक्र् िें कताय दशायने के ललए पठिा लिभलति का प्रर्ोग
कर्ाा – विया करने िाला (कौन?)
➢ कुिारो सर्लत ।
➢ पुत्तो सलत ।
➢ लित्तो गच्छलत ।
➢ र्ाचको र्ाचलत |
➢ कस्सको कसलत |
कुछ संज्ञाए ं और वियाए ं

भत्त – भोजन भपू ाल – राजा


रुक्ख – िक्षृ , पेड़ पासाद – प्रासाद, ि ल

पस्सलत – देखता ै देसेलत – देशना देता ै,


पलिसलत – प्रिशे करता ै उपदशे दते ा ै
आरु लत – आरो ण करता ै, भञ्ु जलत – खाता ै,
चढ़ता ै भोजन करता ै
दवु र्या
बुद्धं (एकिचन) – बुद्ध को बुद्धे (ब ुिचन) – बुद्धों को

➢ िाक्र् िें किय दशायने के ललए दलु तर्ा लिभलति का प्रर्ोग


कमा – लिर्ा लजस पर घट र ी ै (क्र्ा? / लकसे?)

➢ पुत्तो भत्तिं भुञ्जलत ।


➢ कस्सको लित्तिं पस्सलत ।
➢ बुद्धो धम्ििं दस े ेलत ।
दवु र्या
➢ गिंतव्र् स्िान* दशायने के ललए दलु तर्ा लिभलति का प्रर्ोग
(गलतदशयक लिर्ाओ*िं * के साि)

➢ लित्तो नगरिं गच्छलत ।


➢ भूपालो पासादिं पलिसलत ।
➢ कुिारो रुक्खिं आरु लत ।

* Destination ** verb of motion


एकिचन - बहिु चन
कताय – ओ आ
लिर्ा – लत लन्त

➢ कुिारो सर्लत । कुिारा सर्लन्त ।


➢ पुत्तो सलत । पुत्ता सलन्त ।
➢ लित्तो गच्छलत । लित्ता गच्छलन्त ।
एकिचन - बहिु चन

➢ कस्सको लित्तिं पस्सलत । (किय - एकिचन)


➢ कस्सको लित्ते पस्सलत । (किय - ब ुिचन)

➢ कस्सका लित्तिं पस्सलन्त । (किय - एकिचन)


➢ कस्सका लित्ते पस्सलन्त । (किय - ब ुिचन)

➢ लिर्ा (लिर्ापद) का रूप कताय के अनस


ु ार ोगा ।

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