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Jhunjhar Chalisa-1
Jhunjhar Chalisa-1
Jhunjhar Chalisa-1
ी झुंझार तु त चालीसा
ll दोहा ll
गजवदन चत धा रके, थम पू य झुंझार l
व न हरण कर मंगल, र - स के भंडार ll
तन मन वचन बंधन से, जपु मान झुंझार l
अंधकार काश करो, सुख समृ अपार ll
ll चौपाई ll
जय अमरचंद झुंझार बलरासी , श सव ा जय अ वनाशी l
क हैयालाल जतना के नंदन, पारीक कुल खात ड़या संतन ll
धोले घोड़े क असवारी, म ं नाथ अब चूक हमारी l
बा यकाल से हो चारी, बालाजी के आ ाकारी ll
ll दोहा ll
झुंझार नाम आधार को, जो भी चत म लाय l
साचा मन का श द तो, गोली क यूं जाय ll
ll ी झुंझार वंदना ll
सै नक पं अ वाहन ेतं l े ष बु वनाशायं ll
शुभम् करोतु लाणं l आरो य सुख संपदां ll
अमर नामम् सकळ यो त l झुंझार य नमो तुते ll
ll ी झुंझार मं ll
ऊँ झुंझार य नमो नमः l क नवारक नमो नमः ll
अमर झुंझाराय नमो नमः l भ सहायक नमो नमः ll
ll जीवन प रचय ll
शहीद अमरचंद पारीक का ज म राज थान दे श के सीकर जले
म बाडलवास नामक ाम म आ जो सीकर से 20 कलो नटर
क री पर सीकर - डीडवाना माग पर थत है l इनके पता का
नाम ी क हैयालाल व माता का नाम ीमती जतना दे वी था l
यह बचपन से ही वीर, परा मी, नडर, साहसी बालक थे l जब
आपक आयु मा 18 वष ई तो इनका चयन भारतीय सेना
(आर.ए.सी.) म सन् 1964 म आ l जब सन् 1965 म पा क तान
ने भारत पर धावा बोला तब आप राज थान के गंगानगर जले के
रंणक - भदे रा सीमा े पर तैनात थे जब पा क तानी सै नक
ने भारतीय सीमा को चार तरफ से घेर लया तो आप बना सेवा
काय के ही 15 सतंबर को रा काल म वीर श का दशन
करते ए अपने साथी सै नक के साथ मन का डटकर
मुकाबला कया और जब मन सेना को भारी होते दे ख साथी
सै नक भाग खड़े ए तब आप मां भारती का उ ोष करते ए
सैकड़ मन को मार गराया और अंततः मन सेना ने जब
वशाल तोप से आपका शरीर बा द गो लय से छ न छ कर
दया तब भी आपने सालासर बालाजी का समरण करते ए 15
सतंबर सन 1965 क रा को मन से लोहा लेते ए वीर ग त
को ा त ए l ध य है ऐसे भारत माता के अमर सपूत जसने दे श
र ाथ काम आकर हमारा सर गौरवा वत कया आज भी आप
झुंझार जी महाराज के प म सक ड (श शाली) लोक- दे वता
है l जनका मरण करने से सभी असंभव काय भी संभव हो जाता
है l
जय अमर शहीद.........
रंगा बसंती चोला रण म अपने दे श क शान है
ऐसे वीर झूंझारजी के चरण म णाम है
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