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Baat Athanni Ki-1
Baat Athanni Ki-1
Baat Athanni Ki-1
स्वीकृति 1
तनदे शिका
क्रमाींक श्रेणी पवषर् पष्ृ ठ सींख्र्ा
साींख्र्ा
1. भाषा "जैसी किनी 4 - 6
वैसी भिनी " |
इस लोकोजति
को आधाि
मानकि
लगभग 300
- 400 िब्दों
में एक
मौशलक कहानी
शलखिए |
2. सादहत्र् दहींदी के के 7 - 14
प्रशसद्ध
सादहत्र्काि
सुदियन द्वािा
िचचि कहानी
" बाि अठन्नी
की " का
नाट्र्
रूपाींििण िीन
दृश्र्ों में
कीजजर्े |
तनदेशिका 2
विषय
भाषा
"जैसी किनी वैसी भिनी " | इस लोकोजति को
आधाि मानकि लगभग 300 - 400 िब्दों में
एक मौशलक कहानी शलखिए |
सादहत्र्
दहींदी के के प्रशसद्ध सादहत्र्काि सुदियन द्वािा
िचचि कहानी " बाि अठन्नी की " का नाट्र्
रूपाींििण िीन दृश्र्ों में कीजजर्े |
पवषर् 3
जैसी किनी वैसी भिनी
इस कहानी की िरु ु आि िाजस्थान के िहि बीकानेि में होिी है |
इसी िहि में िहिा था एक छोटा सा कपड़ा व्र्ापािी,
मनविलाल | मनविलाल अपनी बीवी के साथ एक छोटे से घि
में िहिा था | दोनों पति - पत्नी अपनी जज़न्दगी ख़ि ु ी - ख़ुिी
से बबिािे थे | मनविलाल की कमाई ज़्र्ादा नहीीं थी | कफि भी
दोनों पति - पत्नी काम पैसों में भी आिाम से अपन गज़ ु ािा
चला लेिे थे | कुछ महीनों के बाद मनविलाल की बीवी लीला
प्रेग्नेंट हो गर्ी | वे दोनों ही काफी िुि थे |
अपने बच्चे के आने के पहले से ही मनविलाल िाि ददन मे हनि
कि अपनी पज ीं ी बचाने लगा िाकक उसके बच्चे भपवष्र् सुिक्षिि
िहे |
कुछ महीनों के बाद लीला ने एक बेटे को जन्म ददर्ा | उन दोनों
की छोटी सी जज़न्दगी को उस बच्चे ने बड़ा बना ददर्ा |
मनविलाल औि लीला ने अपने बड़े ही प्र्ाि से िनीष ििा |
िनीष के आिे ही उनकी जज़न्दगी ही बदल गर्ी | वे दोनों ही
अपने बेटे का बहुि ध्र्ान िििे थे | उसके शलए हि ििह के
खिलौने लािे | लीला ददन भि उसके साथ िेलिे | वे उसे एक
पल भी अकेला नहीीं छोड़िे | ज़्र्ादा पैसे न होने के बाद भी
उन्होंने उसे बड़े स्कल में डाला िाकक उसे अच्छी शििा शमले |
उन्होंने उसकी पिवरिि में कोई कमी नहीीं ििी | जैसे - जैसे
िनीष बड़ा होिे जा िहा था उनका िचय भी बढ़ िहा था | कफि
भी वो िनीष की हि ज़रूिि का ख्र्ाल िििे थे | वो हमेिा
िनीष से पछिे कक कहीीं वो उन्हें अकेला िो नहीीं छोड़ दे गा |
िनीष हमेिा बड़े ही प्र्ाि से उन्हें कहिा की वो उनका साथ
कभी नहीीं छोड़ेगा |
कुछ साल ऐसे ही बीि गए | िनीष अब 26 साल का हो चका था
| उसकी अच्छी सी नौकिी भी लग चुकी थी | उसकी सैलिी भी
अच्छी िासी थी | उसने एक नर्ा मकान भी शलर्ा | वहाूँ वो
अपने मािा - पपिा के साथ िहिा | अब उनके घि में पैसे की
भी कमी नहीीं थी| अब तर्कूँ क िनीष भी अपनी जज़न्दगी में सेट
हो चक ु ा था उन्होंने िनीष की िादी सािी नाम के लड़के से
भाषा 4
किवा दी | िुरुआि के कुछ साल िो सब ठीक चला मगि थोड़े ददनों
बाद घि में झगडे होने लगे | सािी औि लीला में आए ददन
झगडे होने लगे | िरु
ु आि में िो िनीष को समझ नहीीं आर्ा की
तर्ा करूूँ लेककन आगे चलके कुछ ऐसा होने लगा जजसकी
कलपना भी मनविलाल औि लीला ने नहीीं की होगी | जो िनीष
कहिा था की अपने मािा - पपिा का साथ कभी नहीीं छोड़ेगा वो
अपनी बीवी के शलए उनसे लड़ने लगा |
भाषा 5
मनविलाल औि लीला भी बढ़े हो चुके थे | उनकी दवाइर्ों औि
बाकी चीज़ों का िचय िनीष को भािी लगने लगा था | उसे अब
अपने ही मािा - पपिा बोझ लगने लगे थे | उसने सािी से भी
इस बािे में कहा | सािी औि उसने फैसला ककर्ा की वो उन्हें
वद्
ृ ध आश्रम भेज दें गे | उन्होंने जब र्े बाि मनविलाल औि
लीला को बिाई िो उन्हें बहुि बड़ा धतका लगा | अपने बच्चों
की ख़ुिी के शलए वो मान गए | बढ़ ु ापे में अब उन्हें अपना
ही घि छोड़के जाना पड़ा | उन्हें इस बाि का सबसे ज़्र्ादा दुःु ि
हुआ की उन्हें अपने पोिे से अलग होना पड़ेगा | जजस बेटे की
पिवरिि में , जजसकी िुशिर्ाूँ पिी किने में , उन्होंने अपनी
पिी जज़न्दगी लग दी, अपनी सािी पज ीं ी िचय कि दी , उस बेटे
ने ही आििी समर् पे, उनके बढ़ ु ापे में उनका हाथ छोड़ |
अद्पवक पहले िो कुछ ददनों िक अपने दादा - दादी के
बािी में पछिा िहा | सािी औि िनीष उसे बोल दे िे की वो
लोग अब उनके साथ नहीीं िहें गे | उन्होंने अद्पवक से कहा की
उड़के दादा - दादी अब अलग िहने चल गए है | जैसे - जैसे
अद्पवक बड़ा होिे गर्ा उसने उनके बािे में पछना बींद कि ददर्ा
| लेककन अभी भी उसे उनकी र्ाद आिी थी | अद्पवक अब
काफी बड़ा हो चक ु ा था | सािी औि िानीि अब भी उसे इिना
ही प्र्ाि दे िे थे |
िनीष औि सािी ने अद्पवक की िादी सािी की एक दोस्ि की
बेटी से किवा दी | कुछ ददनों बाद सािी औि िनीष के साथ
हुआ जैसे उन्होंने मनविलाल औि लैला के साथ ककर्ा था |
अद्पवक को भी सािी िनीष बोझ लगने लगे थे | उसने भी
उनके साथ वैसा ही ककर्ा जैसा उन्होंने मनविलाल औि लीला
के साथ ककर्ा था | उस ददन सािी औि िनीष को एहसास
हुआ की उन्होंने ककिना बड़ा पाप ककर्ा था|
भाषा 6
बाि अठन्नी की
ले िक परिचर्
सुदर्शन - सुप्रशसद्ध सादहत्र्काि सुदियन का जन्म अपवभाजजि
दहींदस्
ु िान के शसर्ालकोट में सन्न 1895 में हुआ था | इनका
मल नाम बद्रीनाथ था| आपकी कहातनर्ो का मल लक्ष्र् िाष्
को स्वच्छ व सुदृढ़ बनाना िहा है | इनकी भाषा सहज,
स्वाभापवक, प्रभाविाली व मह ु ाविे र्त
ु ि हैं | इन्होने अनेक
कफल्मों की पठकथा औि गीि भी शलिे हैँ | 'पष्ु पलिा',
‘सप्रु भाि', 'पनघट' इनकी प्रशसद्ध कहातनर्ाूँ हैं | 'परिवियन ',
'भागवन्िी' औि 'िाजकुमाि सागि ' इनके चचचयि उपन्र्ास िहे हैं
हैं| 16 ददसींबि,1967 को मींबु ई में इनका तनधन हुआ I
पात्र परिचर्
रमज़ान - िमज़ान जजला मजजस् े ट िेि सलीमद् ु दीन के घि का
चौकीदाि था | उसकी िसीला के साथ गहिी दोस्िी थी | वह
एक सच्चा िथा मस ु ीबि में सहार्िा किने वाला व्र्जति था |
िुद गिीब होने के बाद भी मुसीबि के समर् अपने शमत्र
िसीला की रूपए दे कि सहार्िा कििा हैं | वह एक न्र्ार्पप्रर्
आदमी था | उसके मन में रिश्वििोि औि भ्रष्ट व्र्जतिर्ों के
शलए बहुि क्रोध था |
सादहत्र् 7
रसीला - िसीला 'बाि अठन्नी की ' कहानी का मख् ु र् पात्र है |
वह इींजीतनर्ि बाब जगिशसहीं का नौकि था | वह एक ईमानदाि
व्र्जति था | वह अपने परिवाि की जज़म्मेदािी अच्छे से तनभािा
था | वह एक ईमानदाि व्र्जति था लेककन माशलक को रिश्वि
कििा दे ि िुद भी अठन्नी की बेईमानी कि लेिा है | उसकी
बेईमानी जब पकड़ी जािी है िब वो अपना ज़म ु य कबल लेिा है |
कफि भी उसके माशलक उसे माििे है औि थाने ले जािे है |
वह भोला - भाला, सींवद
े निील, अपनी गलिी मानने वाला, चल
कपट से िदहि व्र्जति था |
सादहत्र् 8
बाि अठन्नी की
पहला दृश्र्
िसीला - (सोचिे हुए ) र्हाूँ इिने सालों से हूँ | अमीि लोग नौकिी
पि पवश्वास नहीीं कििे, पि मझ ु े पि र्हाूँ कभी ककसी ने सींदेह
नहीीं ककर्ा | र्हाूँ से जाऊीं िो िार्द कोई ग्र्ािह - बािह रूपए
दे दे , ऐसा आदि न शमलेगा |
सादहत्र्
| 9
िमज़ान - ( िसीला को उदास दे िकि पछिे हुए) तर्ा हुआ िसीला
? आज िम ु इिने उदास तर्ों हो ?
दसिा दृश्र्
िमज़ान - (ठीं डी साींस भििे हुए) िुम र्हीीं रुको मैं अभी अपनी
कोठिी से आिा हूँ |
सादहत्र् 10
िसीला - (मन में सोचिे हुए ) बाब साहब की मैंन े इिनी सेवा की,
पि दुःु ि में उनहोंने साथ न ददर्ा | िमज़ान को दे िो गिीब है ,
पिीं िु आदमी नहीीं, दे विा है | ईश्वि उसका भला किे |
सादहत्र् 11
बाहि आके उसने साड़ी बाि िमज़ान को सािी बिा दी |
िीसिा दृश्र्
िसीला - (हलवाई से) साढ़े चाि रूपए की शमठाई दे ना िो |
सादहत्र् 12
ु पि िमाचा मििे हुए ) चल मेिे
बाब जगिशसहीं - ( िसीला के मींह
साथ जहाूँ से लार्ा है |
दसिे ददन मामला िेि सलीमद् ु दीन की कचहिी में पेि हुआ|
िसीला ने ििु ीं ि अपना अपिाध स्वीकाि कि शलर्ा | उसने कोई बहना
न बनार्ा | चाहिा िो कह सकिा था कक र्े सब साजज़ि है | पि उसकी
आूँिें िुल गई थी |
िसीला - र्ह सब एक साजज़ि है | मैं नौकिी नहीीं किना चाहिा
इसीशलए मझु े हलवाई के साथ शमलकि फींसा िहे हैं | ( िसीला
चाहिा िो ऐसा कह सकिा था पि एक औि अपिाध किने की
दहम्मि उसमे नहीीं थी| )
सादहत्र् 13
िसीला - र्ह सब एक साजज़ि है | मैं नौकिी नहीीं किना चाहिा
इसीशलए मुझे हलवाई के साथ शमलकि फींसा िहे हैं | ( िसीला
चाहिा िो ऐसा कह सकिा था पि एक औि अपिाध किने की
दहम्मि उसमे नहीीं थी| )
िमज़ान - (सोचिे हुए ) र्ह दतु नर्ा न्र्ार् नगिी नहीीं , अूँधेिी
एींग्री हैं | चोिी पकड़ी गई िो अपिाध हो गर्ा | असली अपिाधी
िो बड़ी - बड़ी कोदठर्ों में बैठकि दोनों हाथों से धन बटोि िहहैं
| उन्हें कोई नहीीं पकड़िा |
िमज़ान घि जािा है |
िमज़ान - ( एक दासी से ) िसीला का तर्ा हुआ ?
दससी - छह महीने की कैद | अच्छा हुआ | वह इसी लार्क था |
िमज़ान - (गुस्से में ) र्ह इींसाफ नहीीं अींधेि है | शसफय एक अठन्नी
की ही िो बाि थी !
सादहत्र् 14
ग्रींथ सची
1. दहींदी पाठ्र्पजु स्िका सादहत्र् सागि
2. सिस दहींदी व्र्ाकिण पजु स्िका
3. https://www.wikipedia.org
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