Baat Athanni Ki-1

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स्वीकृति

मैं अपनी शिक्षिका श्रीमिी डॉ सरििा मोहन औि अपने


प्रधानाचार्य िे व. डॉ. एम. ओ. ओमेन को सहृदर्
धन्र्वाद दे ना चाहिा हूँ कक उन्होंने मझ
ु े इिनी
शििाप्रद परिर्ोजना कार्य किने का अवसि ददर्ा |
इस कार्य को किने में मझ ु े बहुि मज़ा आर्ा | इस
कार्य से मझ ु े कई सािी नाई चीज़ों के बािे में जानने
का मौका शमला औि नर्ी - नर्ी जानकारिर्ाूँ
प्राप्ि किके मैं काफ़ी उत्सादहि भी हुआ | दसिा, मैं
अपने मािा - पपिा औि दोस्िों का भी ददल से
धन्र्वाद किना चाहिा हूँ जजन्होंने हि समर् मुझे
सहर्ोग ददर्ा औि जजसके बबना मैं के र्ह
परिर्ोजना कार्य समर् पि बनाने में सफल नहीीं हो
पािा |

स्वीकृति 1
तनदे शिका
क्रमाींक श्रेणी पवषर् पष्ृ ठ सींख्र्ा
साींख्र्ा
1. भाषा "जैसी किनी 4 - 6
वैसी भिनी " |
इस लोकोजति
को आधाि
मानकि
लगभग 300
- 400 िब्दों
में एक
मौशलक कहानी
शलखिए |
2. सादहत्र् दहींदी के के 7 - 14
प्रशसद्ध
सादहत्र्काि
सुदियन द्वािा
िचचि कहानी
" बाि अठन्नी
की " का
नाट्र्
रूपाींििण िीन
दृश्र्ों में
कीजजर्े |

तनदेशिका 2
विषय
भाषा
"जैसी किनी वैसी भिनी " | इस लोकोजति को
आधाि मानकि लगभग 300 - 400 िब्दों में
एक मौशलक कहानी शलखिए |

सादहत्र्
दहींदी के के प्रशसद्ध सादहत्र्काि सुदियन द्वािा
िचचि कहानी " बाि अठन्नी की " का नाट्र्
रूपाींििण िीन दृश्र्ों में कीजजर्े |

पवषर् 3
जैसी किनी वैसी भिनी
इस कहानी की िरु ु आि िाजस्थान के िहि बीकानेि में होिी है |
इसी िहि में िहिा था एक छोटा सा कपड़ा व्र्ापािी,
मनविलाल | मनविलाल अपनी बीवी के साथ एक छोटे से घि
में िहिा था | दोनों पति - पत्नी अपनी जज़न्दगी ख़ि ु ी - ख़ुिी
से बबिािे थे | मनविलाल की कमाई ज़्र्ादा नहीीं थी | कफि भी
दोनों पति - पत्नी काम पैसों में भी आिाम से अपन गज़ ु ािा
चला लेिे थे | कुछ महीनों के बाद मनविलाल की बीवी लीला
प्रेग्नेंट हो गर्ी | वे दोनों ही काफी िुि थे |
अपने बच्चे के आने के पहले से ही मनविलाल िाि ददन मे हनि
कि अपनी पज ीं ी बचाने लगा िाकक उसके बच्चे भपवष्र् सुिक्षिि
िहे |
कुछ महीनों के बाद लीला ने एक बेटे को जन्म ददर्ा | उन दोनों
की छोटी सी जज़न्दगी को उस बच्चे ने बड़ा बना ददर्ा |
मनविलाल औि लीला ने अपने बड़े ही प्र्ाि से िनीष ििा |
िनीष के आिे ही उनकी जज़न्दगी ही बदल गर्ी | वे दोनों ही
अपने बेटे का बहुि ध्र्ान िििे थे | उसके शलए हि ििह के
खिलौने लािे | लीला ददन भि उसके साथ िेलिे | वे उसे एक
पल भी अकेला नहीीं छोड़िे | ज़्र्ादा पैसे न होने के बाद भी
उन्होंने उसे बड़े स्कल में डाला िाकक उसे अच्छी शििा शमले |
उन्होंने उसकी पिवरिि में कोई कमी नहीीं ििी | जैसे - जैसे
िनीष बड़ा होिे जा िहा था उनका िचय भी बढ़ िहा था | कफि
भी वो िनीष की हि ज़रूिि का ख्र्ाल िििे थे | वो हमेिा
िनीष से पछिे कक कहीीं वो उन्हें अकेला िो नहीीं छोड़ दे गा |
िनीष हमेिा बड़े ही प्र्ाि से उन्हें कहिा की वो उनका साथ
कभी नहीीं छोड़ेगा |
कुछ साल ऐसे ही बीि गए | िनीष अब 26 साल का हो चका था
| उसकी अच्छी सी नौकिी भी लग चुकी थी | उसकी सैलिी भी
अच्छी िासी थी | उसने एक नर्ा मकान भी शलर्ा | वहाूँ वो
अपने मािा - पपिा के साथ िहिा | अब उनके घि में पैसे की
भी कमी नहीीं थी| अब तर्कूँ क िनीष भी अपनी जज़न्दगी में सेट
हो चक ु ा था उन्होंने िनीष की िादी सािी नाम के लड़के से

भाषा 4
किवा दी | िुरुआि के कुछ साल िो सब ठीक चला मगि थोड़े ददनों
बाद घि में झगडे होने लगे | सािी औि लीला में आए ददन
झगडे होने लगे | िरु
ु आि में िो िनीष को समझ नहीीं आर्ा की
तर्ा करूूँ लेककन आगे चलके कुछ ऐसा होने लगा जजसकी
कलपना भी मनविलाल औि लीला ने नहीीं की होगी | जो िनीष
कहिा था की अपने मािा - पपिा का साथ कभी नहीीं छोड़ेगा वो
अपनी बीवी के शलए उनसे लड़ने लगा |

कुछ महीनों बाद िनीष की नौकिी चली गर्ी | उसने सोचा की


ककसी औि जगह िो उसे नौकिी िो शमल ही जाएगी मगि ऐसा
नहीीं हुआ | कई महीनों िक उसे नौकिी नहीीं शमली | उसके
मािा - पपिा ने उसका हौंसला टटने नहीीं ददर्ा | उसके
मजु श्कल समर् में एक पल भी उसका साथ नहीीं छोड़ा | जब िक
उसे नौकिी नहीीं शमली वो अपने पापा के ही साथ उनकी दकान
पे बैठिा | ककसी ििह उनका िचय उनकी दकान से आए पैसों
से चल िहा था | उसी बीच सािी भी प्रेग्नेंट हुई |

कुछ महीनों बाद सािी ने अपने औि िनीष के बच्चे को जन्म


ददर्ा| सािी ने एक लड़के को जन्म ददर्ा| वो बच्चा उनकी
जज़न्दगी में िुशिर्ाीं ले आर्ा | िनीष की वापस से एक जगह
नौकिी लग गई | मगि उसकी इस बाि कम सैलिी थी | उन्होंने
उसका नाम अद्पवक ििा | िनीष ने अपने बच्चे की पिवरिि
में कुछ कमी नहीीं ििी | मनविलाल औि लीला भी अपने पोिे
का िब ख्र्ाल िििे थे | वो उसे पिा समर् दे िे औि ददन भि
उसके साथ िेलिे | सािी भी ददन भि उसे उनके भिोसे छोड़
दे िी थी |

उन सब के लाड प्र्ाि के बीच अद्पवक कब बड़ा हो गर्ा उन्हें पिा


भी नहीीं चला | अब ् भी वो सब उसे उिना ही प्र्ाि दे िे | िनीष
को पैसों की चचींिा होने लगी थी तर्ूँकक उसकी सैलिी में कुछ
ख़ास इज़ाफ़ा नहीीं हुआ था औि उनका घि का िचाय बढ़िा जा
िहा था | उसे अद्पवक के भपवष्र् की चचींिा होने लगी थी |
अद्पवक नौ साल का हो चक ु ा था | उसका भी अपने दादा -
दादी के साथ बहुि मन लगिा था |

भाषा 5
मनविलाल औि लीला भी बढ़े हो चुके थे | उनकी दवाइर्ों औि
बाकी चीज़ों का िचय िनीष को भािी लगने लगा था | उसे अब
अपने ही मािा - पपिा बोझ लगने लगे थे | उसने सािी से भी
इस बािे में कहा | सािी औि उसने फैसला ककर्ा की वो उन्हें
वद्
ृ ध आश्रम भेज दें गे | उन्होंने जब र्े बाि मनविलाल औि
लीला को बिाई िो उन्हें बहुि बड़ा धतका लगा | अपने बच्चों
की ख़ुिी के शलए वो मान गए | बढ़ ु ापे में अब उन्हें अपना
ही घि छोड़के जाना पड़ा | उन्हें इस बाि का सबसे ज़्र्ादा दुःु ि
हुआ की उन्हें अपने पोिे से अलग होना पड़ेगा | जजस बेटे की
पिवरिि में , जजसकी िुशिर्ाूँ पिी किने में , उन्होंने अपनी
पिी जज़न्दगी लग दी, अपनी सािी पज ीं ी िचय कि दी , उस बेटे
ने ही आििी समर् पे, उनके बढ़ ु ापे में उनका हाथ छोड़ |
अद्पवक पहले िो कुछ ददनों िक अपने दादा - दादी के
बािी में पछिा िहा | सािी औि िनीष उसे बोल दे िे की वो
लोग अब उनके साथ नहीीं िहें गे | उन्होंने अद्पवक से कहा की
उड़के दादा - दादी अब अलग िहने चल गए है | जैसे - जैसे
अद्पवक बड़ा होिे गर्ा उसने उनके बािे में पछना बींद कि ददर्ा
| लेककन अभी भी उसे उनकी र्ाद आिी थी | अद्पवक अब
काफी बड़ा हो चक ु ा था | सािी औि िानीि अब भी उसे इिना
ही प्र्ाि दे िे थे |
िनीष औि सािी ने अद्पवक की िादी सािी की एक दोस्ि की
बेटी से किवा दी | कुछ ददनों बाद सािी औि िनीष के साथ
हुआ जैसे उन्होंने मनविलाल औि लैला के साथ ककर्ा था |
अद्पवक को भी सािी िनीष बोझ लगने लगे थे | उसने भी
उनके साथ वैसा ही ककर्ा जैसा उन्होंने मनविलाल औि लीला
के साथ ककर्ा था | उस ददन सािी औि िनीष को एहसास
हुआ की उन्होंने ककिना बड़ा पाप ककर्ा था|

सीख - जो जैसा कमय कििा है , उसे फैसा ही फल शमलिा है |

भाषा 6
बाि अठन्नी की
ले िक परिचर्
सुदर्शन - सुप्रशसद्ध सादहत्र्काि सुदियन का जन्म अपवभाजजि
दहींदस्
ु िान के शसर्ालकोट में सन्न 1895 में हुआ था | इनका
मल नाम बद्रीनाथ था| आपकी कहातनर्ो का मल लक्ष्र् िाष्
को स्वच्छ व सुदृढ़ बनाना िहा है | इनकी भाषा सहज,
स्वाभापवक, प्रभाविाली व मह ु ाविे र्त
ु ि हैं | इन्होने अनेक
कफल्मों की पठकथा औि गीि भी शलिे हैँ | 'पष्ु पलिा',
‘सप्रु भाि', 'पनघट' इनकी प्रशसद्ध कहातनर्ाूँ हैं | 'परिवियन ',
'भागवन्िी' औि 'िाजकुमाि सागि ' इनके चचचयि उपन्र्ास िहे हैं
हैं| 16 ददसींबि,1967 को मींबु ई में इनका तनधन हुआ I

पात्र परिचर्
रमज़ान - िमज़ान जजला मजजस् े ट िेि सलीमद् ु दीन के घि का
चौकीदाि था | उसकी िसीला के साथ गहिी दोस्िी थी | वह
एक सच्चा िथा मस ु ीबि में सहार्िा किने वाला व्र्जति था |
िुद गिीब होने के बाद भी मुसीबि के समर् अपने शमत्र
िसीला की रूपए दे कि सहार्िा कििा हैं | वह एक न्र्ार्पप्रर्
आदमी था | उसके मन में रिश्वििोि औि भ्रष्ट व्र्जतिर्ों के
शलए बहुि क्रोध था |

बाबू जगत ससहिं - बाब जगिशसहीं पेिे से इींजीतनर्ि थे | वे


िसीला के माशलक थे | वे समाज में ऊूँचे पद पि बैठे बेईमान
व्र्जति थे | वे गिीबो का िोषण कििे थे , अपींन े सेवक िसीला
को ज़रुिि पड़ने पि पेिगी भी मना कि दे िे है | वे स्वर्ीं
रिश्वि लेिे थे पिीं िु िसीला द्वािा अठन्नी की बेईमानी किने
पि उसे माििे औि पशु लस ठाणे ले जािे औि वह शसपाही को
पाूँच रूपए रिश्वि भी दे िे |

सादहत्र् 7
रसीला - िसीला 'बाि अठन्नी की ' कहानी का मख् ु र् पात्र है |
वह इींजीतनर्ि बाब जगिशसहीं का नौकि था | वह एक ईमानदाि
व्र्जति था | वह अपने परिवाि की जज़म्मेदािी अच्छे से तनभािा
था | वह एक ईमानदाि व्र्जति था लेककन माशलक को रिश्वि
कििा दे ि िुद भी अठन्नी की बेईमानी कि लेिा है | उसकी
बेईमानी जब पकड़ी जािी है िब वो अपना ज़म ु य कबल लेिा है |
कफि भी उसके माशलक उसे माििे है औि थाने ले जािे है |
वह भोला - भाला, सींवद
े निील, अपनी गलिी मानने वाला, चल
कपट से िदहि व्र्जति था |

र्ेख सलीमुद्दीन - िेि सलीमुद्दीन जज़ला मजजस् े ट है | वे


इींजीतनर्ि बाब के पडोसी थे| वे शमर्ाूँ िमज़ान के माशलक थे|
उनमें औि इींजीतनर्ि बाब में गहिी दोस्िी थी | वे ऊूँचे पद पि
बैठे बेईमान व्र्जति थे | वे वे भ्रष्ट आदमी थे जो िुद िो
हज़ािों रूपए रिश्वि लेिे लेककन गिीब िसीला की अठन्नी की
बेईमानी पि उसे छह महीने की सज़ा सुना दे िे है |

सादहत्र् 8
बाि अठन्नी की
पहला दृश्र्

िसीला इींजीतनर्ि बाब जगिशसहीं के घि का नौकि था |


दस रूपए वेिन था | गाूँव में उसके बढ़े पपिा, पत्नी, एक
लड़की औि दो लड़के थे | इन सबका भाि उसी के कींधों पि था
| वह सािी िनख्वाह घि भेज दे िा, पि घिवालों का गुज़ािा न
चल पािा | इसशलए वह कफि वेिन बढ़ने की बाि किने के
शलए इींजीतनर्ि बाब के पास जािा है |

िसीला - माशलक, अगि हो सके िो मेिा वेिन थोड़ा बढ़ा दीजजए |


घि का गज़ु ािा बड़ी मजु श्कल से हो िहा है |

इींजीतनर्ि बाब - अगि िुम्हें कोई ज़्र्ादा दे िो अवश्र् चले जाओ |


मैं िनख्वाह नहीीं बढ़ाऊींगा |

िसीला - (सोचिे हुए ) र्हाूँ इिने सालों से हूँ | अमीि लोग नौकिी
पि पवश्वास नहीीं कििे, पि मझ ु े पि र्हाूँ कभी ककसी ने सींदेह
नहीीं ककर्ा | र्हाूँ से जाऊीं िो िार्द कोई ग्र्ािह - बािह रूपए
दे दे , ऐसा आदि न शमलेगा |

जजला मजजस् े ट िेि सलीमुद्दीन इींजीतनर्ि बाब के


पड़ोसी थे | उनके चौकीदाि िमज़ान औि िसीला में बहुि दोस्िी
थी | दोनों घींटों साथ बैठिे , बािें कििे | िेि साहब फलों के
िोकीन थे औि इींजीतनर्ि साहब को शमठाई का िौक था |
इसशलए िमजान िसीला को फल दे िा औि िसीला िमजान को
शमठाई दे िा |

सादहत्र्
| 9
िमज़ान - ( िसीला को उदास दे िकि पछिे हुए) तर्ा हुआ िसीला
? आज िम ु इिने उदास तर्ों हो ?

िसीला - कुछ भी िो नहीीं | मैं थोड़ी न उदास हूँ | (अपनी उदासी


तछपािे हुए)

िमज़ान - कोई बाि नहीीं हैं, िो िाओ सौगींध |

िसीला ने िमज़ान का हठ दे िा िो भावक


ु हो गर्ा औि उसकी
आूँिें भि आइ |

िसीला - घि से िि आर्ा है , बच्चे बीमाि हैं औि रूपर्ा नहीीं है |

िमज़ान - िो माशलक से पेिगी माींग लो |

िसीला - कहिे हैं, एक पैसा भी न दूँ गा |

िसीला चचींिा में था |

दसिा दृश्र्

िमज़ान - (ठीं डी साींस भििे हुए) िुम र्हीीं रुको मैं अभी अपनी
कोठिी से आिा हूँ |

िमज़ान - (िसीला की हथेली पि कुछ रूपए िििे हुए )


थोड़े दे ि बाद िमज़ान ने िसीला की हथेली पि कुछ
पैसे ििे | वो दे िकि िसीला कुछ बोल नहीीं पार्ा |

सादहत्र् 10
िसीला - (मन में सोचिे हुए ) बाब साहब की मैंन े इिनी सेवा की,
पि दुःु ि में उनहोंने साथ न ददर्ा | िमज़ान को दे िो गिीब है ,
पिीं िु आदमी नहीीं, दे विा है | ईश्वि उसका भला किे |

अब िसीला के बच्चे स्वस्थ हो गए | उसने िमज़ान का


ऋण चका ददर्ा | केवल आठ आने बाकी िह गए थे | िमज़ान
ने कभी पैसे नहीीं माूँगे , कफि भी िसीला उसके आूँि न उठा
पािा | िसीला िुद को उसके सामने छोटा समझ िहा था |

एक ददन की बाि है | बाब जगिशसहीं अपने कमिे में


ककसी से बाि कि िहे थे | िसीला ने उनकी बाि सन
ु ी |

बाब जगिशसहीं - बस पाींच सो ! इिनी सी िकम दे कि आप मेिा


अपमान कि िहे हैं |

आदमी - हुज़ि मान जाइए | आप समझे आपने मेिा काम मफ्


ु ि
ककर्ा है |

िसीला - (सोचिे हुए) ज़रूि अींदि रिश्वि ली जा िही है | रूपर्ा

कमाने का र्ह आसान ििीका है | मैं सािा ददन मज़दिी कििा


हूँ िब महीने भि बाद दस रूपए हाथ आिे हैं |

बाहि आके उसने साड़ी बाि िमज़ान को सािी बिा दी |

िमज़ान - बस इिनी - सी बाि ! हमािे िेि साहब िो उनके भी


गरु
ु हैं | आज भी एक शिकाि फ़ाींस है | हज़ाि से काम िर् न
होगा | भैर्ा , गुनाह का फल शमलेगा र्ा नहीीं , र्ह िो
भगवान जाने, पि ऐसी ही कमाई से कोदठर्ों में िहिे हैं , औि
एक हम हैं की परिश्रम किने पि भी हाथ में कुछ नहीीं िहिा |

सादहत्र् 11
बाहि आके उसने साड़ी बाि िमज़ान को सािी बिा दी |

िमज़ान - बस इिनी - सी बाि ! हमािे िेि साहब िो उनके भी


गरु
ु हैं | आज भी एक शिकाि फ़ाींस है | हज़ाि से काम िर् न
होगा | भैर्ा , गन
ु ाह का फल शमलेगा र्ा नहीीं , र्ह िो
भगवान जाने, पि ऐसी ही कमाई से कोदठर्ों में िहिे हैं , औि
एक हम हैं की परिश्रम किने पि भी हाथ में कुछ नहीीं िहिा |

िसीला - ( सोचिे हुए ) मेिे हाूँथ से सैंकड़ों रूपए तनकल गए पि


धमय न बबगड़ा | एक - एक आना भी उडािा िो काफी िकम
जुड़ जािी |

बाब जगिशसहीं - ( आवाज़ लगिे हुए ) िसीला , दौड़कि पाींच रूपए


की शमठाई ले आ |

िीसिा दृश्र्
िसीला - (हलवाई से) साढ़े चाि रूपए की शमठाई दे ना िो |

िसीला - ( मन में ) बाकी बचे पैसों से िमज़ान का बचा हुआ उधाि


चका दे िा हूँ | ऐसे भी माशलक को तर्ा पिा चलेगा कक शमठाई
रूपए की है र्ा साढ़े चाि की | ऐसे भी माशलक साढ़े चाि रूपए
के शलए इिना ददमाग नहीीं लगाएींगे |

बाब जगिशसहीं ने शमठाई दे िी िो चौंक उठे | उन्होंने िसीला से


पछा

बाब जगिशसहीं - र्ह शमठाई पाींच रूपए की है ! हुज़ि पाींच की ही है |

िसीला का िीं ग उड़ गर्ा | बाब जगिशसहीं बाि समझ गए |


उन्होंने िसीला से कफि पछा, िसीला ने कफि वही दोहिार्ा |
उन्हें गस्
ु सा आ गर्ा औि उन्होंगे िसीला को एक िमचा मािा |

सादहत्र् 12
ु पि िमाचा मििे हुए ) चल मेिे
बाब जगिशसहीं - ( िसीला के मींह
साथ जहाूँ से लार्ा है |

िसीला - हुज़ि , झठ कहूँ िो ( उसने अपनी बाि पिी भी नहीीं


की थी कक इींजीतनर्ि बाब कफि उसपे चचल्लाए)

बाब जगिशसहीं - (िसीला पि चचल्लािे हुए) अभी सच औि झठ


का पिा चल जाएगा | अब सािी बाि हलवाई के सामने ही
कहना |

िसीला - माई बाप, गलिी हो गई | इस बाि माफ़ कि दें |

इींजीतनर्ि साहब की आूँिों से आग बिसने लगी | उन्होंने


तनदय र्िा से िसीला को िब पीटा |

बाब जगिशसहीं - िेिी दहम्मि कैसे हुई चोिी किने की | एक िो


चोिी कििा है ऊपि से झठ भी बोलिा है | चल, अभी िुझे
पशु लस थाने ले जािा हूँ |

बाब जगिशसहीं - ( पशु लस थाने में शसपाही के हाथ में पाींच सौ का


नोट ििा औि कहा ) मनवा लेना | लािों के भि बािों से नहीीं
मानिे |

दसिे ददन मामला िेि सलीमद् ु दीन की कचहिी में पेि हुआ|
िसीला ने ििु ीं ि अपना अपिाध स्वीकाि कि शलर्ा | उसने कोई बहना
न बनार्ा | चाहिा िो कह सकिा था कक र्े सब साजज़ि है | पि उसकी
आूँिें िुल गई थी |
िसीला - र्ह सब एक साजज़ि है | मैं नौकिी नहीीं किना चाहिा
इसीशलए मझु े हलवाई के साथ शमलकि फींसा िहे हैं | ( िसीला
चाहिा िो ऐसा कह सकिा था पि एक औि अपिाध किने की
दहम्मि उसमे नहीीं थी| )

सादहत्र् 13
िसीला - र्ह सब एक साजज़ि है | मैं नौकिी नहीीं किना चाहिा
इसीशलए मुझे हलवाई के साथ शमलकि फींसा िहे हैं | ( िसीला
चाहिा िो ऐसा कह सकिा था पि एक औि अपिाध किने की
दहम्मि उसमे नहीीं थी| )

िसीला - मैं अपना गन


ु ाह कुबल कििा हूँ |
िेि सलीमुद्दीन - िसीला को उसके जुमय के शलए छह महीनों की
सज़ा सुनाई जािी है |

सज़ा सनु ाने के बाद िेि रुमाल से मींह


ु पोछा | र्ह वही
रुमाल था जजसमे एक ददन पहले ककसी ने हज़ाि रूपए बाूँधकि
ददए थे |
फ़ैसला सुनकि िमज़ान के आूँिों में िन उिि आर्ा |

िमज़ान - (सोचिे हुए ) र्ह दतु नर्ा न्र्ार् नगिी नहीीं , अूँधेिी
एींग्री हैं | चोिी पकड़ी गई िो अपिाध हो गर्ा | असली अपिाधी
िो बड़ी - बड़ी कोदठर्ों में बैठकि दोनों हाथों से धन बटोि िहहैं
| उन्हें कोई नहीीं पकड़िा |

िमज़ान घि जािा है |
िमज़ान - ( एक दासी से ) िसीला का तर्ा हुआ ?
दससी - छह महीने की कैद | अच्छा हुआ | वह इसी लार्क था |
िमज़ान - (गुस्से में ) र्ह इींसाफ नहीीं अींधेि है | शसफय एक अठन्नी
की ही िो बाि थी !

िाि के समर् जब हज़ाि, पाींच सौ के चोि निम गद्दों पि मीठे


नीींद ले िहे थे , अठन्नी का चोि जेल की िींग , अूँधेिी कोठिी में
पछिा िहा था |

सादहत्र् 14
ग्रींथ सची
1. दहींदी पाठ्र्पजु स्िका सादहत्र् सागि
2. सिस दहींदी व्र्ाकिण पजु स्िका
3. https://www.wikipedia.org

15

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