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एक गाँव में एक कुम्हार रहता था। उसके दो बेटे थे। बड़ा बेटा बुद्धिमान था जबकि छोटा बेटा मूर्ख

था। कुम्हार के पास एक


गधा भी था। वह मिट्टी के बर्तन बनाते थे और उसे गधे पर लादकर बाजार में बेच दे ते थे। इसी पर उनके परिवार का गुजारा था।

समय बीतता गया. उसके बेटे जवान हो गए. उसका बड़ा बेटा उसके साथ मिट्टी के बर्तन बनाता था, और उसे बेचने के लिए
शहर भी जाता था। मगर छोटा बेटा बेकार रहता था. कुछ भी काम नहीं करता था। कुमार की बीवी की मृत्यु हो गई. तो
उसकी बहन ने उससे कहा कि तुम अपने बेटों की शादी करवादो ताकि समय रहते हुए उन्हें अपनी जिम्मेदारी का एहसास हो
जाए।

कुम्हार ने दोनों बेटों की शादी करा दी. अब खर्च बढ़ गया और कुम्हार भी बीमार पड़ने लगा . कुछ समय बाद, कुम्हार की मृत्यु
हो गई, और घर की सारी जिम्मेदारी बड़े बेटे पर आ गई।

बड़े बेटे को जब बच्चा हो गया तो उसकी बीवी ने उससे कहा, कि हम कब तक इस तरह तुम्हारे छोटे भाई को खिलाते रहेंगे?
अब हमारा परिवार हो गया है, इसलिए हमें अलग रहना चाहिए। बीवी की बात सुनकर बड़ा भाई अपने परिवार को लेकर
अलग रहने लगा।

छोटा भाई नाकारा था इसलिए उसके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं था। कुछ दिन उसने और उसकी बीवी ने घर की चीजें
बेच कर गुजारा कर लिया. कुछ दिनों में घर की सारी चीजें भी खत्म हो गई, सिर्फ एक गधा उनके पास रह गया था।

एक दिन, उसकी पत्नी ने कहा, कि हमारे पास इस गधे के अलावा कुछ नहीं बचा. और हमारे बच्चे भी नहीं हैं जो कमाकर
खिला सकें. मैंने सुना है कि अगर गधे को पढ़ाया लिखाया जाए, तो गधे से इंसान बन सकता है. क्यों ना हम अपने गधे को
पढ़ा लिखा कर इंसान बनाएं, ताके ओ बुढ़ापे में हमारा सहारा बन सके।

यह सुनकर ओ बहुत खुश हुआ और बोला, हम आज ही अपने गधे को लेकर मास्टर साहब के पास जाते हैं. ताकि वह उसे
पढ़ा लिखा कर इंसान बनाए. यह कहकर उन दोनों ने गधे के गले में बसता डाल दिया, और उसे लेकर स्कूल की तरफ चल
पड़े.

रास्ते में जब लोगों ने गधे के गले में बसता लटका दे खा, तो खिल खिल कर हंसने लगे, लेकिन उन्हें कुछ समझ ना आया के
लोग क्यों हस रहे हैं. और जब वह स्कूल के गेट पर पहुंचे तो स्कूल के बच्चे भी दे ख कर जोर जोर से हंसने लगे.

स्कूल में इतने सारे बच्चे दे खकर गधा बाहर ही रुक गया. लेकिन उन दोनों ने गधे को धक्का मारकर मास्टर साहब के पास ले
गए. मास्टर ने पूछा, बताओ यहां कैसे आना हुआ? तो उन्होंने कहा, मास्टर जी! हम अपने साथ अपना गधा लेकर आए हैं,
आप उसे पढ़ा लिखा कर इंसान बना दीजिए. मास्टर को इनकी बेवकूफीयों के बारे में पता था. मास्टर ने उनसे कहां के ठीक
है, लेकिन इसके लिए ₹5000 फीस लगेगी.
उनके पास इतने पैसे नहीं थे। उन्होंने अपनी गाड़ी बेच दी और मास्टर को फीस दी. और फिर खुशी-खुशी घर आ गए। दो साल
बीत गए तो उन्होंने सोचा कि अब हमारा गधा इंसान बन गया है, अब हम उसे घर ले आते हैं।

पति-पत्नी दोनों अपने बेटे गधे को लेने के लिए स्कूल गए, और मास्टर से पूछा कि हमारा गधा इंसान बन गया है या नहीं।
मास्टर ने कहा, क्यों नहीं. मैंने उसे बड़ी मेहनत से पढ़ा लिखा कर पुलिस इंस्पेक्टर बनाया है, और मैंने उसका नाम शामू रखा
है। तुम दोनों थाने में जाओ जहां शामू इंस्पेक्टर है।

दोनों बहुत खुश हुए। और अपने गधे की रस्सी और उस की पीट की गद्दी ले कर ठाणे पहुंच गए, और शामू के बारे में पुछा, तो
लोगों ने उसकी तरफ इशारा किया. वो अपने बेटे को दे ख कर बहुत खुश हुवे और उस से थोड़ी दूर ज़मीन पर बेथ गए

जब उस ने इन दोनों को नहीं पहचाना, तो गधे की रस्सी निकाल कर और उसकी बीवी गधे की पीठ की गद्दी निकाल कर
उसके सामने हिलाने लगे, कि शायद इसे दे खकर उनके बेटे गधे को उनकी याद आ जाए.

इंस्पेक्टर श्यामू उनकी हरकतें दे खकर परेशान होकर सोचने लगा, कि यह दोनों इस तरह बेवक़ूफ़व वाली हरकतें क्यों कर रहे
हैं? और उन्हें अपने पास बुला कर पूछा, के क्या बात है तुम इस तरह क्यों कर रहे हो?

क्यों बेटा गधा! तूने अपने मालिक को नहीं पहचाना, हमने ही तो तुझे मास्टर साहब के पास भेज कर पढ़ा लिखा कर गधे से
इंसान बनाया था. जब उस ने इंस्पेक्टर को पूरी बात बता दी, तो वो इंस्पेक्टर समझ गया, के मास्टर ने इन दोनों को बेवक़ूफ़
बनाया है. इंस्पेक्टर ने उन से कहा के मुझे मास्टर साहब के पास ले चलो. तो वो उसे मास्टर के पास ले गए.

इंस्पेक्टर ने कहा कि ये दोनों बहुत ही मासूम और सीधे-सादे हैं, इन्हें बेवकूफ बनाने में आपने कोई कसर नहीं छोड़ी है. फिर
इंस्पेक्टर ने उन दोनों से कहा, दे खो, इन्सान न पढ़े तो गधों की तरह मूर्ख हो जाते हैं. लेकिन गधे कभी इंसान नहीं बन सकते।
तेरा गधा इस मास्टर के पास है।मास्टर बहुत शर्मिंदा हुवे और ₹5000 उन्हें वापस कर दिए। फिर इंस्पेक्टर उन दोनों को अपने
घर ले गया और उनकी दे खभाल करने लगा

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