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भारतीय थलसेना

भारतीय सशस्त्र बल की भूमि आधारित शाखा

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भारतीय थलसेना, सेना की भूमि- आधारित दल की शाखा है और यह भारतीय सशस्त्र बल का सबसे बड़ा अंग है। भारत का
राष्ट्रपति, थलसेना का प्रधान सेनापति होता है,[6] और इसकी कमान भारतीय थलसेनाध्यक्ष के हाथों में होती है जो कि चार-
सितारा जनरल स्तर के अधिकारी होते हैं। पाँच- सितारा रैंक के साथ फील्ड मार्शल की रैंक भारतीय सेना में श्रेष्ठतम सम्मान की
औपचारिक स्थिति है, आजतक मात्र दो अधिकारियों को इससे सम्मानित किया गया है। भारतीय सेना का उद्भव ईस्ट इण्डिया
कम्पनी, जो कि ब्रिटिश भारतीय सेना के रूप में परिवर्तित हुई थी, और भारतीय राज्यों की सेना से हुआ, जो स्वतन्त्रता के
पश्चात राष्ट्रीय सेना के रूप में परिणत हुई। भारतीय सेना की टुकड़ी और रेजिमेंट का विविध इतिहास रहा हैं इसने दुनिया भर में
कई लड़ाई और अभियानों में हिस्सा लिया है, तथा आजादी से पहले और बाद में बड़ी संख्या में युद्ध सम्मान अर्जित किये।[7]
भारतीय सेना

भारतीय सेना की कलगी

स्थापना 1 अप्रैल 1895

देश  भारत

प्रकार थलसेना

विशालता 12,00,255 सक्रिय कर्मिक[1]

9,90,960 रिजर्व कर्मीक[2]

१३६ विमान[3]

का भाग भारतीय सशस्‍त्र सेनाएँ

मुख्यालय नई दिल्ली

आदर्श वाक्य "सर्विस बिफोर सेल्फ़" (स्वपूर्व सेवा)

रंग सुनहरा, लाल और काला

     

वर्षगांठ 15 जनवरी – सेना दिवस

जालस्थल indianarmy.nic.in (http://indianarmy.nic.in/)

सेनापति

थलसेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकु न्द नरवणे[4]

उप सेनाप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल सरत चन्द[5]

प्रसिद्ध फ़ील्ड मार्शल के ॰एम॰ करिअप्पा

सेनापति फ़ील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ

बिल्ला
ध्वज

प्रयुक्त वायुयान

हैलीकॉप्टर एचएएल रुद्र

परिवहन एचएएल ध्रुव, एचएएल चेतल, एचएएल चीता और चीतल

भारतीय सेना का प्राथमिक उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद की एकता सुनिश्चित करना, राष्ट्र को बाहरी आक्रमण और
आन्तरिक खतरों से बचाव, और अपनी सीमाओं पर शान्ति और सुरक्षा को बनाए रखना हैं। यह प्राकृ तिक आपदाओं और अन्य
गड़बड़ी के दौरान मानवीय बचाव अभियान भी चलाते है, जैसे ऑपरेशन सूर्य आशा, और आन्तरिक खतरों से निपटने के लिए
सरकार द्वारा भी सहायता हेतु अनुरोध किया जा सकता है। यह भारतीय नौसेना और भारतीय वायुसेना के साथ राष्ट्रीय शक्ति
का एक प्रमुख अंग है।[8] सेना अब तक पड़ोसी देश इस्लामी पाकिस्तान के साथ चार युद्धों तथा चीन के साथ एक युद्ध लड़
चुकी है। सेना द्वारा किए गए अन्य प्रमुख अभियानों में ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत और ऑपरेशन कै क्टस शामिल हैं।
संघर्षों के अलावा, सेना ने शान्ति के समय कई बड़े अभियानों, जैसे ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स और युद्ध- अभ्यास शूरवीर का
संचालन किया है। सेना ने कई देशो में संयुक्त राष्ट्र के शान्ति मिशनों में एक सक्रिय प्रतिभागी भी रहा है जिनमे साइप्रस,
लेबनान, कांगो, अंगोला, कम्बोडिया, वियतनाम, नामीबिया, एल साल्वाडोर, लाइबेरिया, मोज़ाम्बिक और सोमालिया आदि
सम्मलित हैं।

भारतीय सेना में एक सैन्य- दल (रेजिमेंट) प्रणाली है, लेकिन यह बुनियादी क्षेत्र गठन विभाजन के साथ संचालन और भौगोलिक
रूप से सात कमान में विभाजित है। यह एक सर्व- स्वयंसेवी बल है और इसमें देश के सक्रिय रक्षा कर्मियों का 80% से अधिक
हिस्सा है। यह 12,00,255 सक्रिय सैनिकों[9][10] और 9,90,960 आरक्षित सैनिकों[11] के साथ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी
स्थायी सेना है। सेना ने सैनिको के आधुनिकीकरण कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसे "फ्यूचरिस्टिक इन्फैं ट्री सैनिक एक
प्रणाली के रूप में" के नाम से जाना जाता है इसके साथ ही यह अपने बख़्तरबन्द, तोपखाने और उड्डयन शाखाओं के लिए नए
संसाधनों का संग्रह एवं सुधार भी कर रहा है

।.[12][13][14]

भारतीय सेना[15]में कै से शामिल हों

1. सैनिक सामान्य ड्यूटी 2. सैनिक व्यापारी 3. एनडीए परीक्षा के माध्यम से


4. तकनीकी प्रवेश योजना 5. सैनिक प्रवेश
योजना

उद्देश्य
बाहरी खतरों के विरुद्ध शक्ति सन्तुलन के द्वारा या युद्ध छेड़ने की स्थिति में संरक्षित राष्ट्रीय हितों, सम्प्रभुता की रक्षा, क्षेत्रीय
अखण्डता और भारत की एकता की रक्षा करना।
सरकारी तन्त्र को छाया युद्ध और आन्तरिक खतरों में मदद करना और आवश्यकता पड़ने पर नागरिक अधिकारों में
सहायता करना।"[16]
दैवीय आपदा जैसे भूकम्प, बाढ़, समुद्री तूफान ,आग लगने ,विस्फोट आदि के अवसर पर नागरिक प्रशासन की मदद करना।
नागरिक प्रशासन के पंगु होने पर उसकी सहायता करना।

इतिहास

1947 में स्वतन्त्रता मिलने के बाद ब्रिटिश भारतीय सेना को नये बने राष्ट्र भारत और इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान की सेवा
करने के लिये 2 भागों में बाँट दिया गया। अधिकतर इकाइयों को भारत के पास रखा गया। चार गोरखा सैन्य दलों को ब्रिटिश
सेना में स्थानान्तरित किया गया जबकि शेष को भारत के लिए भेजा गया।

जैसा कि ज्ञात है, भारतीय सेना में ब्रिटिश भारतीय सेना से व्युत्पन्न हुयी है तो इसकी संरचना, वर्दी और परम्पराओं को अनिवार्य
रूप से विरासत में ब्रिटिश से लिया गया हैं|

प्रथम कश्मीर युद्ध (1947)


स्वतन्त्रता के लगभग तुरन्त बाद से ही भारत और पाकिस्तान के मध्य तनाव पैदा हो गया था और दोनों देशों के बीच पहले तीन
पूर्ण पैमाने पर हुये युद्ध के बाद राजसी राज्य कश्मीर का विभाजन कर दिया गय। कश्मीर के महाराजा की भारत या पाकिस्तान
में से किसी भी राष्ट्र के साथ विलय की अनिच्छा के बाद पाकिस्तान द्वारा कश्मीर के कु छ हिस्सों मे आदिवासी आक्रमण
प्रायोजित करवाया गया। भारत द्वारा आरोपित पुरुषों को भी नियमित रूप से पाकिस्तान की सेना मे शामिल किया गया। जल्द
ही पाकिस्तान ने अपने दलों को सभी राज्यों को अपने में संलग्न करने के लिये भेजा। महाराजा हरि सिंह ने भारत और पंडित
जवाहर नेहरू से अपनी मदद करने की याचना की, पर उनको कहा गया कि भारत के पास उनकी मदद करने के लिये कोई
कारण नही है। इस पर उन्होने कश्मीर के विलय के एकतरफा सन्धिपत्र पर हस्ताक्षर किये जिसका निर्णय भारत सरकार द्वारा
लिया गया पर पाकिस्तान को यह सन्धि कभी भी स्वीकार नहीं हुई। इस सन्धि के तुरन्त बाद ही भारतीय सेना को
आक्रमणकारियों से मुकाबला करने के लिये श्रीनगर भेजा गया। इस दल में जनरल थिम्मैया भी शामिल थे जिन्होने इस
कार्यवाही में काफी प्रसिद्धि हासिल की और बाद में भारतीय सेना के प्रमुख बने। पूरे राज्य में एक गहन युद्ध छिड़ गया और
पुराने साथी आपस मे लड़ रहे थे। दोनो पक्षों में कु छ को राज्यवार बढत मिली तो साथ ही साथ महत्वपूर्ण नुकसान भी हुआ।
1948 के अन्त में नियन्त्रण रेखा पर लड़ रहे सैनिकों में असहज शान्ति हो गई जिसको संयुक्त राष्ट्र द्वारा भारत और पाकिस्तान
में विभाजित कर दिया गया। पाकिस्तान और भा‍रत के मध्य कश्मीर में उत्पन्न हुआ तनाव कभी भी पूर्ण रूप से समाप्त नहीं
हुआ है।

संयुक्त राष्ट्र शान्ति सेना में योगदान


कोरिया में सितंबर १९५३ में तटस्थ बफर जोन के साथ शांति स्थापित करने के लिए भारतीय सेना के आगमन पर

वर्तमान में भारतीय सेना की एक टुकड़ी संयुक्त राष्ट्र की सहायता के लिये समर्पित रहती है। भारतीय सेना द्वारा निरन्तर कठिन
कार्यों में भाग लेने की प्रतिबद्धताओं की हमेशा प्रशंसा की गई है।
भारतीय सेना ने संयुक्त राष्ट्र के कई शान्ति स्थापित करने की
कार्यवाहियों में भाग लिया गया है जिनमें से कु छ इस प्रकार हैं: अंगोला कम्बोडिया साइप्रस लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो, अल
साल्वाडोर, नामीबिया, लेबनान, लाइबेरिया, मोजाम्बिक, रवाण्डा, सोमालिया, श्रीलंका और वियतनाम| भारतीय सेना ने कोरिया
में हुयी लड़ाई के दौरान घायलों और बीमारों को सुरक्षित लाने के लिये भी अपनी अर्द्ध - सैनिकों की इकाई प्रदान की थी।

हैदराबाद का विलय (1948)


भारत के विभाजन के उपरान्त राजसी राज्य हैदराबाद, जो कि निजा़म द्वारा शासित था, ने स्वतन्त्र राज्य के तौर रहना पसन्द
किया। निजा़म ने हैदराबाद को भारत में मिलाने पर अपनी आपत्ति दर्ज करवाई। भारत सरकार और हैदराबाद के निज़ाम के
बीच पैदा हुई अनिर्णायक स्थिति को समाप्त करने हेतु भारत के उप- प्रधानमन्त्री सरदार बल्लभ भाई पटेल द्वारा 12 सितम्बर
1948 को भारतीय टुकड़ियों को हैदराबाद की सुरक्षा करने का आदेश दिया। 5 दिनों की गहन लड़ाई के बाद वायु सेना के
समर्थन से भारतीय सेना ने हैदराबाद की सेना को परास्त कर दिया। उसी दिन हैदराबाद को भारत गणराज्य का भाग घोषित
कर दिया गया। पोलो कार्यवाही के अगुआ मेजर जनरल जॉयन्तो नाथ चौधरी को कानून व्यवस्था स्थापित करने के लिये
हैदराबाद का सैन्य शाशक (1948-1949) घोषित किया गया।

गोवा, दमन और दीव का विलय (1961)


इन्हें भी देखें: गोवा मुक्ति संग्राम
ब्रिटिश और फ़्रांस द्वारा अपने सभी औपनिवेशिक अधिकारों को समाप्त करने के बाद भी भारतीय उपमहाद्वीप, गोवा, दमन
और दीव में पुर्तगालियों का शासन रहा। पुर्तगालियों द्वारा बारबार बातचीत को अस्वीकार कर देने पर नई दिल्ली द्वारा 12
दिसम्बर 1961 को ऑपरेशन विजय की घोषणा की और अपनी सेना के एक छोटे से दल को पुर्तगाली क्षेत्रों पर आक्रमण करने
के आदेश दिए। 26 घण्टे चले युद्ध के बाद गोवा और दमन और दीव को सुरक्षित स्वतन्त्र करा लिया गया और उनको भारत का
अंग घोषित कर दिया गया।

भारत-चीन युद्ध (1962)


1959 से भारत प्रगत नीति का पालन करना शुरु कर दिया। 'प्रगत नीति' के अन्तर्गत भारतीय गश्त दलों ने चीन द्वारा भारतीय
सीमा के काफी अन्दर तक हथियाई गई चौकियों पर हमला बोल कर उन्हें फिर कब्जे में लिया। भारत के मैक- महोन रेखा को
ही अंतरराष्ट्रीय सीमा मान लिए जाने पर जोर डालने के कारण भारत और चीन की सेनाओं के बीच छोटे स्तर पर संघर्ष छिड़
गया। बहरहाल, भारत और चीन के बीच मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों के कारण विवाद ने अधिक तूल नहीं पकड़ा। युद्ध का कारण
अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश की क्षेत्रों की सम्प्रभुता को लेकर था। अक्साई चिन में, जिसे भारत द्वारा कश्मीर और चीन
द्वारा झिंजियांग का हिस्सा का दावा किया जाता रहा है, एक महत्वपूर्ण सड़क लिंक है जोकि तिब्बत और चीनी क्षेत्रों झिंजियांग
को जोड़ती है। चीन के तिब्बत में भारत की भागीदारी के संदेह के चलते दोनों देशों के बीच संघर्ष की संभावनाएँ और बढ़ गई।

हैदराबाद व गोवा में अपने सैन्य अभियानों की सफलता से उत्साहित भारत ने चीन के साथ सीमा विवाद में आक्रामक रुख ले
लिया। 1962 में, भारतीय सेना को भूटान और अरुणाचल प्रदेश के बीच की सीमा के निकट और विवादित मैकमहोन रेखा के
लगभग स्थित 5 किमी उत्तर में स्थित थाग ला रिज तक आगे बढ़ने का आदेश दिया गया। इसी बीच चीनी सेनाएँ भी भारतीय
क्षेत्र में घुसपैठ कर चुकी थीं और दोनो देशों के बीच तनाव चरम पर पहुँच गया जब भारतीय सेनाओं ने पाया कि चीन ने
अक्साई चिन क्षेत्र में सड़क बना ली है। वार्ताओं की एक श्रृंखला के बाद, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने थाग ला रिज पर
भारतीय सेनाओं के ठिकानों पर हमला बोल दिया। चीन के इस कदम से भारत आश्चर्यचकित रह गया और 12 अक्टूबर को
नेहरू ने अक्साई चिन से चीनियों को खदेड़ने के आदेश जारी कर दिए। किन्तु, भारतीय सेना के विभिन्न प्रभागों के बीच
तालमेल की कमी और वायु सेना के प्रयोग के निर्णय में की गई देरी ने चीन को महत्वपूर्ण सामरिक व रणनीतिक बढ़त लेने का
अवसर दे दिया। 20 अक्टूबर को चीनी सैनिकों नें दोनों मोर्चों उत्तर- पश्चिम और सीमा के उत्तर- पूर्वी भागों में भारत पर हमला
किया और अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश के विशाल भाग पर कब्जा कर लिया।

जब लड़ाई विवादित प्रदेशों से भी परे चली गई तो चीन ने भारत सरकार को बातचीत के लिए आमन्त्रण दिया, लेकिन भारत
अपने खोए क्षेत्र हासिल करने के लिए अड़ा रहा। कोई शान्तिपूर्ण समझौता न होते देख, चीन ने एकतरफा युद्धविराम घोषित
करते हुए अरुणाचल प्रदेश से अपनी सेना को वापस बुला लिया। वापसी के कारण विवादित भी हैं। भारत का दावा है कि चीन
के लिए अग्रिम मोर्चे पर मौजूद सेनाओं को सहायता पहुँचाना सम्भव न रह गया था, तथा संयुक्त राज्य अमेरिका का राजनयिक
समर्थन भी एक कारण था। जबकि चीन का दावा था कि यह क्षेत्र अब भी उसके कब्जे में है जिसपर उसने कू टनीतिक दावा
किया था। भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच विभाजन रेखा को वास्तविक नियंत्रण रेखा का नाम दिया गया।

भारत के सैन्य कमाण्डरों द्वारा लिए गए कमजोर फै सलों ने कई सवाल उठाए। जल्द ही भारत सरकार द्वारा भारतीय सेना के
खराब प्रदर्शन के कारणों का निर्धारण करने के लिए हेंडरसन ब्रूक्स समिति का गठन कर दिया गया। कथित तौर पर समिति की
रिपोर्ट ने भारतीय सशस्त्र बलों की कमान की गलतियाँ निकाली और अपनी नाकामियों के लिए कई मोर्चों पर विफल रहने के
लिए कार्यकारी सरकार की बुरी तरह आलोचना की। समिति ने पाया कि हार के लिए प्रमुख कारण लड़ाई शुरु होने के बाद भी
भारत चीन के साथ सीमा पर कम सैनिकों की तैनाती था और यह भी कि भारतीय वायु सेना को चीनी परिवहन लाइनों को
लक्ष्य बनाने के लिए चीन द्वारा भारतीय नागरिक क्षेत्रों पर जवाबी हवाई हमले के डर से अनुमति नहीं दी गई। ज्यादातर दोष के
तत्कालीन रक्षा मन्त्री कृ ष्ण मेनन की अक्षमता पर भी दिया गया। रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की लगातार माँग के बावजूद
हेंडरसन - ब्रूक्स रिपोर्ट अभी भी गोपनीय रखी गई है।

द्वितीय कश्मीर युद्ध (1965)


पाकिस्तानी पदों पर भारतीय सेना की 18 वीं कै वलरी के टैंक 1965 के युद्ध के दौरान प्रभारी ले.
पाकिस्तान के साथ एक दूसरे
टकराव पर मोटे तौर पर 1965 में जगह ले ली कश्मीर. पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान शुरूऑपरेशन जिब्राल्टर1965
अगस्त में जिसके दौरान कई पाकिस्तानी अर्धसैनिक सैनिकों को भारतीय प्रशासित कश्मीर में घुसपैठ और भारत विरोधी
विद्रोह चिंगारी की कोशिश की. पाकिस्तानी नेताओं का मानना ​है कि भारत, जो अभी भी विनाशकारी युद्ध भारत - चीन से
उबरने का प्रयास कर रहा था, एक सैन्य जोर और विद्रोह के साथ सौदा करने में असमर्थ होगा. हालाँकि, ऑपरेशन एक प्रमुख
विफलता के बाद से कश्मीरी लोगों को इस तरह के एक विद्रोह के लिए थोड़ा समर्थन दिखाया और भारत जल्दी बलों
स्थानान्तरित घुसपैठियों को बाहर निकालने. भारतीय जवाबी हमले के प्रक्षेपण के एक पखवाड़े के भीतर, घुसपैठियों के सबसे
वापस पाकिस्तान के लिए पीछे हट गया था।

ऑपरेशन जिब्राल्टर की विफलता से पस्त है और सीमा पार भारतीय बलों द्वारा एक प्रमुख आक्रमण की उम्मीद है, पाकिस्तान
[[ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम] 1 सितम्बर को शुरू, भारत Chamb - Jaurian क्षेत्र हमलावर. जवाबी कार्रवाई में, 6 सितम्बर को
पश्चिमी मोर्चे पर भारतीय सेना के 15 इन्फै न्ट्री डिवीजन अन्तरराष्ट्रीय सीमा पार कर गया।

प्रारम्भ में, भारतीय सेना के उत्तरी क्षेत्र में काफी सफलता के साथ मुलाकात की. पाकिस्तान के खिलाफ लम्बे समय तक
तोपखाने barrages शुरू करने के बाद, भारत कश्मीर में तीन महत्वपूर्ण पर्वत पदों पर कब्जा करने में सक्षम था। 9 सितम्बर
तक भारतीय सेना सड़कों में काफी पाकिस्तान में बनाया था। भारत पाकिस्तानी टैंकों की सबसे बड़ी दौड़ था जब पाकिस्तान के
एक बख्तरबन्द डिवीजन के आक्रामक [Asal उत्तर [लड़ाई]] पर सितम्बर 10 वीं पा गया था। छह पाकिस्तानी आर्मड रेजिमेंट
लड़ाई में भाग लिया, अर्थात् 19 (पैटन) लांसर्स, 12 कै वलरी (Chafee), 24 (पैटन) कै वलरी 4 कै वलरी (पैटन), 5 (पैटन) हार्स
और 6 लांसर्स (पैटन). इन तीन अवर टैंक के साथ भारतीय आर्मड रेजिमेंट द्वारा विरोध किया गया, डेकन हार्स (शेरमेन), 3
(सेंचुरियन) कै वलरी और 8 कै वलरी (AMX). लड़ाई इतनी भयंकर और तीव्र है कि समय यह समाप्त हो गया था द्वारा, 4
भारतीय डिवीजन के बारे में या तो नष्ट में 97 पाकिस्तानी टैंक, या क्षतिग्रस्त, या अक्षुण्ण हालत में कब्जा कर लिया था। यह 72
पैटन टैंक और 25 Chafees और Shermans शामिल हैं। 28 Pat t ons सहित 97 टैंक, 32 शर्त में चल रहे थे। भारतीय
खेम करण पर 32 टैंक खो दिया है। के बारे में मोटे तौर पर उनमें से पन्द्रह पाकिस्तानी सेना, ज्यादातर शेरमेन टैंक द्वारा कब्जा
कर लिया गया। युद्ध के अंत तक, यह अनुमान लगाया गया था कि 100 से अधिक पाकिस्तानी टैंक को नष्ट कर दिया और गया
एक अतिरिक्त 150 भारत द्वारा कब्जा कर लिया गया। भारतीय सेना ने संघर्ष के दौरान 128 टैंक खो दिया है। इनमें से 40
टैंक के बारे में, उनमें से ज्यादातर AMX-13s और Shermans पुराने Chamb और खेम ​करण के पास लड़ाई के दौरान
पाकिस्तानी हाथों में गिर गया।

23 सितम्बर तक भारतीय सेना + ३००० रणभूमि मौतों का सामना करना पड़ा, जबकि पाकिस्तान 3,800 की तुलना में कम
नहीं सामना करना पड़ा. सोवियत संघ दोनों देशों के बीच एक शान्ति समझौते की मध्यस्थता की थी और बाद में औपचारिक
वार्ता में आयोजित किए गए ताशकं द, एक युद्धविराम पर घोषित किया गया था 23 सितम्बर। भारतीय प्रधानमन्त्री लाल बहादुर
शास्त्री और अयूब खान लगभग सभी युद्ध पूर्व पदों को वापस लेने पर सहमत हुए. समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद घण्टे ,
लाल बहादुर शास्त्री ताशकन्द विभिन्न षड्यन्त्र के सिद्धान्त को हवा देने में रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। युद्ध पूर्व पदों
के लिए वापस करने का निर्णय के कारण भारत के रूप में नई दिल्ली में राजनीति के बीच एक चिल्लाहट युद्ध के अन्त में एक
लाभप्रद स्थिति में स्पष्ट रूप से किया गया था। एक स्वतन्त्र विश्लेषक के मुताबिक, युद्ध को जारी रखने के आगे नुकसान का
नेतृत्व होता है और अन्ततः पाकिस्तान के लिए हार[17] भारतीय सेना के लिए और अधिक नियंत्रण से ग्लेशियर के 2/3rd
जारी है।[18] पाकिस्तान siachen.ht m सियाचिन पर नियंत्रण पाने के कई असफल प्रयास किया। देर से 1987 में, पाकिस्तान
के बारे में 8,000 सैनिकों जुटाए और उन्हें Khapalu निकट garrisoned, हालांकि Bilafond La. कब्जा करने के लिए लक्ष्य
है, वे भारतीय सेना कर्मियों Bilafond रखवाली उलझाने के बाद वापस फें क दिया गया। पाकिस्तान द्वारा 1990, 1995,
1996 और 1999 में पदों को पुनः प्राप्त करने के लिए आगे प्रयास शुरू किया गया।

भारत के लिए अत्यंत दुर्गम परिस्थितियों और नियमित रूप से पहाड़ युद्ध.[19] सियाचिन से अधिक नियंत्रण बनाए रखने
भारतीय सेना के लिए कई सैन्य चुनौतियों poses. कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के क्षेत्र में निर्माण किया गया, समुद्र के
स्तर से ऊपर एक हेलिपैड 21,000 फीट (+ ६४०० मीटर) सहित[20] 2004 में भारतीय सेना के एक अनुमान के अनुसार 2
लाख अमरीकी डॉलर एक दिन खर्च करने के लिए अपने क्षेत्र में तैनात कर्मियों का समर्थन.
ht t p://www.at imes.com/at imes/Sout h_ Asia/FI23Df04 [21]

उपद्रव-रोधी गतिविधियाँ
भारतीय सेना अतीत में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लड़ाई विद्रोही और आतंकवादियों राष्ट्र के भीतर. सेना ऑपरेशन
ब्लूस्टार और [ऑपरेशन [Woodrose]] [[सिख] विद्रोहियों का मुकाबला करने के लिए 1980 के दशक में. शुभारंभ सेना के
साथ अर्द्धसैनिक बलों भारत के कु छ अर्धसैनिक बलों, बनाए रखने के प्रधानमंत्री जिम्मेदारी है [[कानून और व्यवस्था
(राजनीति) | कानून और व्यवस्था] परेशान जम्मू कश्मीर क्षेत्र में. भारतीय सेना श्रीलंका 1987 में के एक भाग के रूप में भी
एक दल भेजा है भारतीय शांति सेना.

कारगिल संघर्ष (1999)


और कु छ दिनों के बाद, पाकिस्तान और अधिक द्वारा प्रतिक्रिया परमाणु परीक्षणों देने के दोनों देशों के परमाणु प्रतिरोध क्षमता |
1998 में, भारत [परमाणु परीक्षण] [पोखरण द्वितीय] किया जाता है कू टनीतिक तनाव के बाद ढील लाहौर शिखर सम्मेलन
1999 में आयोजित किया गया था। आशावाद की भावना कम रहता था, तथापि, के बाद से मध्य 1999- पाकिस्तानी
अर्धसैनिक बलों में और कश्मीरी आतंकवादियों पर कब्जा कर लिया वीरान है, लेकिन सामरिक, कारगिल जिले भारत के
हिमालय हाइट्स. इन दुर्गम सर्दियों की शुरुआत के दौरान किया गया था भारतीय सेना द्वारा खाली थे और वसंत में
reoccupied चाहिए. मुजाहिदीनजो इन क्षेत्रों का नियंत्रण ले लिया महत्वपूर्ण समर्थन प्राप्त है, दोनों हाथ और आपूर्ति के रूप
में पाकिस्तान से. उनके नियंत्रण है, जो भीटाइगर हिलके तहत हाइट्स के कु छ महत्वपूर्ण श्रीनगर -[[ लेह] राजमार्ग (एनएच
1A), बटालिक और Dras की अनदेखी .
सेना ट्रकों भारतीय गर्मियों में 1999 में कारगिल में लड़ रहे सैनिकों के लिए आपूर्ति ले
एक बार पाकिस्तानी आक्रमण के पैमाने
का एहसास था, भारतीय सेना जल्दी 200.000 के बारे में सैनिकों जुटाए और ऑपरेशन विजय शुरू किया गया था। हालांकि,
बाद से ऊं चाइयों पाकिस्तान के नियंत्रण के अधीन थे, भारत एक स्पष्ट रणनीतिक नुकसान में था। राष्ट्रीय राजमार्ग 1 ए पर
भारतीयों पर भारी हताहत inflict ing < रेफरी नाम = "NLI" | अपने प्रेक्षण चौकी से पाकिस्तानी बलों की दृष्टि से एक स्पष्ट
रेखा अप्रत्यक्ष तोपखाने आग [] [अप्रत्यक्ष आग] नीचे रखना पड़ा > भारतीय सामान्य कारगिल में पाकिस्तानी वीरता भजन (ht
t ps://archive.is/20121209121858/www.dailyt imes.com.pk/default .asp?page=st ory_ 5-5-2003_ p
g7_ 14) 5 मई [[+ २,००३] डेली टाइम्स, पाकिस्तान </ रेफरी> यह भारतीय सेना के लिए एक गंभीर समस्या है के रूप में
राजमार्ग अपने मुख्य सैन्य और आपूर्ति मार्ग था इ शार्प, 2003 द्वारा प्रकाशित रॉबर्ट Wirsing करके युद्ध की छाया में[22] इस
प्रकार, भारतीय सेना की पहली प्राथमिकता चोटियों कि NH1a के तत्काल आसपास के क्षेत्र में थे हटा देना था। यह भारतीय
सैनिकों में पहली बार टाइगर हिल और Dras में Tololing जटिल लक्ष्यीकरण परिणामस्वरूपसन्दर्भ त्रुटि: <ref> टैग
के लिए समाप्ति </ref> टैग नहीं मिला
! st yle="t ext -align: left ; background: #aacccc;"| टिप्पणी
|-----
| HAL Dhruv ||  भारत || ut ilit y helicopt er || || 36+ || To acquire 73 more Dhruv in next 5 years.
|--
---
| Aérospat iale SA 316 Alouet t e III ||  फ्रांस || ut ilit y helicopt er || SA 316B Chet ak || 60 || t o
be replaced by Dhruv
|-----
| Aérospat iale SA 315 Lama ||  फ्रांस || ut ilit y helicopt er || SA 315B
Cheet ah || 48 || t o be replaced by Dhruv
|-----
| DRDO Nishant ||  भारत || reconnaissance UAV
|| || 1 || Delivery of 12 UAV's in 2008.
|-----
| IAI Searcher II ||  इस्राइल || reconnaissance UAV || ||
100+ || |-----
| IAI Heron II ||  इस्राइल || reconnaissance UAV || || 50+ || |}

[23]

परम वीर चक्र विजेता

भारत का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले वीरों की सूची इस प्रकार है :
अनुक्रम संख्या नाम रेजीमेंट तिथि स्थान टिप्पणी
चौथी बटालियन, 3 नवंबर,
1 IC-521 मेजर सोमनाथ शर्मा बड़गाम, कश्मीर मरणोपरांत
कु माऊँ रेजीमेंट 1947

13
लांस नायक करम पहली बटालियन,
2 IC-22356 अक्तू बर, टिथवाल, कश्मीर
सिंह सिख रेजीमेंट
1948

सेकें ड लेफ़्टीनेंट राम इंडियन कार्प्स ऑफ 8 अप्रैल,


3 SS-14246 नौशेरा, कश्मीर
राघोबा राणे इंजिनयर्स 1948

पहली बटालियन, फरवरी


4 27373 नायक यदुनाथ सिंह नौशेरा, कश्मीर मरणोपरांत
राजपूत रेजीमेंट 1948

17-18
कं पनी हवलदार छ्ठी बटालियन,
5 2831592 जुलाई, टिथवाल, कश्मीर मरणोपरांत
मेजर पीरू सिंह राजपूताना राइफल्स
1948

कै प्टन गुरबचन सिंह तीसरी बटालियन, १ 5 दिसंबर, एलिजाबेथ विले, काटंगा,


6 IC-8497 मरणोपरांत
सलारिया गोरखा राइफल्स 1961 कांगो
20
पहली बटालियन,
7 IC-7990 मेजर धनसिंह थापा अक्तू बर, लद्दाख,
गोरखा राइफल्स
1962

23
पहली बटालियन, तोंगपेन ला, नार्थ इस्ट
8 JC-4547 सूबेदार जोगिंदर सिंह अक्तू बर, मरणोपरांत
सिख रेजीमेंट फ्रं टियर एजेंसी, भारत
1962

तेरहवीं बटालियन, 18 नवंबर,


9 IC-7990 मेजर शैतान सिंह रेज़ांग ला मरणोपरांत
कु माऊँ रेजीमेंट 1962

कं पनी क्वार्टर मास्टर 10


चौथी बटालियन, बाम्बे
10 2639885 हवलदार अब्दुल सितंबर, चीमा, खेमकरण सेक्टर मरणोपरांत
ग्रेनेडियर्स
हमीद 1965

15
लेफ्टीनेंट कर्नल फिलौरा, सियालकोट
11 IC-5565 द पूना हार्स अक्तू बर, मरणोपरांत
आर्देशिर तारापोर सेक्टर, पाकिस्तान
1965

लांस नायक अलबर्ट चौदहवीं बटालियन, 3 दिसंबर,


12 4239746 गंगासागर मरणोपरांत
एक्का बिहार रेजीमेंट 1971

13 10877 फ्लाईंग आफिसर अठारहवीं स्क्वैड्रन, 14 श्रीनगर, कश्मीर मरणोपरांत


F(P) निर्मलजीत सिंह भारतीय वायुसेना दिसंबर,
सेखों 1971

16
लेफ्टीनेंट अरुण
14 IC-25067 पूना हार्स दिसंबर, जरपाल, शकरगढ़ सेक्टर मरणोपरांत
क्षेत्रपाल
1971

17
तीसरी बटालियन, बसंतार नदी, शकरगढ़
15 IC-14608 मेजर होशियार सिंह दिसंबर,
बाम्बे ग्रेनेडियर्स सेक्टर
1971

आठवीं बटालियन,
JC- नायब सूबेदार बन्ना 23 जून, सियाचिन ग्लेशियर, जम्मू
16 जम्मू कश्मीर लाइट जीवित
155825 सिंह 1987 कश्मीर
इनफे न्ट्री
मेजर रामास्वामी आठवीं बटालियन, 25 नवंबर,
17 IC-32907 श्रीलंका मरणोपरांत
परमेश्वरन महार रेजीमेंट 1987

प्रथम बटालियन, ज़ुबेर टाप, बटालिक


लेफ्टीनेंट मनोज 3 जुलाई,
18 IC-56959 ग्यारहवीं गोरखा सेक्टर, कारगिल क्षेत्र, मरणोपरांत
कु मार पांडे 1999
राइफल्स जम्मू कश्मीर
ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह अठारहवीं बटालियन, 4 जुलाई, टाइगर हिल्स, कारगिल
19 2690572 जीवित
यादव द ग्रेनेडियर्स 1999 क्षेत्र
राइफलमैन संजय तेरहवीं बटालियन, 5 जुलाई,
20 13760533 फ्लैट टाप क्षेत्र, कारगिल जीवित
कु मार जम्मू कश्मीर राइफल्स 1999
तेरहवीं बटालियन, 6 जुलाई, बिंदु 5140, बिंदु 4875,
21 IC-57556 कै प्टन विक्रम बत्रा मरणोपरांत
जम्मू कश्मीर राइफल्स 1999 कारगिल क्षेत्र

भारतीय थलसेना की संरचना

भारतीय थलसेना को 13 कोर के अंतर्गत 35 प्रभागों में संगठित किया गया है। सेना का मुख्यालय, भारतीय राजधानी नई
दिल्ली में स्थित है, और यह सेना प्रमुख (चीफ ऑफ़ दी आर्मी स्टाफ) के निरिक्षण में रहती हैं। वर्तमान में जनरल मनोज मुकुं द
नरवारे सेना प्रमुख हैं।

कमान संरचना
सेना की 6 क्रियाशील कमान(कमांड) और 1 प्रशिक्षण कमांड है। प्रत्येक कमान का नेतृत्व जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ
होता है जोकि एक लेफ्टिनेंट जनरल रैंक का अधिकारी होता हैं। प्रत्येक कमांड, नई दिल्ली में स्थित सेना मुख्यालय से सीधे
जुड़ा हुआ है। इन कमानो को नीचे उनके सही क्रम में दर्शाया गया हैं,

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कमांड
कमांड का नाम मुख्यालय कमांडर अधीनस्थ इकाइयां(यूनिट् )
चिह्न
मुख्यालय, भारतीय
नई दिल्ली 50वीं भारतीय पैराशूट दल – आगरा
सेना
I कोर — वर्तमान में दक्षिण पश्चिमी कमान
कें द्रीय कमान लखनऊ लेफ्टिनेंट जनरल बी एस नेगी[24]
सौंपा गया हैं
23वीं इन्फैं ट्री डिवीजन – रांची

III कोर – दीमापुर


दूसरी माउंटेन डिवीजन – डिब्रूगढ़
57वीं माउंटेन डिवीजन – लेइमखोंग

56वीं माउंटेन डिवीजन – जखमा

IV कोर – तेज़पुर, असम


पूर्वी कमान कोलकाता लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बक्षी[25] 71वीं माउंटेन डिवीजन – मिसमारी

5वीं माउंटेन डिवीजन – बोमडिला

21वीं माउंटेन डिवीजन – रंगिया

XXXIII कोर – सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल


17वीं माउंटेन डिवीजन – गंगटोक

20वीं माउंटेन डिवीजन – बिनागुरी

27वीं माउंटेन डिवीजन – कालीम्पोंग


उत्तरी कमान उधमपुर लेफ्टिनेंट जनरल देवराज XIV कोर, – लेह
अनबू[26][27] तीसरी इन्फैं ट्री डिवीजन – लेह
8वाँ माउंटेन डिवीजन – द्रास

XV कोर, – श्रीनगर
19वीं इन्फैं ट्री डिवीजन – बारामूला,

28वीं माउंटेन डिवीजन – गुरेज

XVI कोर – नागरोटा


10वाँ इन्फैं ट्री डिवीजन – अखनूर

25वीं इन्फैं ट्री डिवीजन – राजौरी

39वीं इन्फैं ट्री डिवीजन – योल


10 तोपख़ाना दल
41वीं तोपख़ाना विभाग – पुणे

XII कोर – जोधपुर


चौथा बख़्तरबंद दल
340वाँ यांत्रिक दल

11वाँ इन्फैं ट्री डिवीजन – अहमदाबाद

लेफ्टिनेंट जनरल पी एम 12वाँ इन्फैं ट्री डिवीजन – जोधपुर


दक्षिणी कमान पुणे
हरिज़[28][29]
XXI कोर – भोपाल
31वाँ बख़्तरबंद विभाग – झांसी

36वाँ इन्फैं ट्री डिवीजन – सागर

54वाँ इन्फैं ट्री डिवीजन – हैदराबाद/


सिकं दराबाद
475वाँ अभियांत्रिकी दल
42वाँ तोपख़ाना विभाग – जयपुर

I कोर – मथुरा
चौथा
इन्फैं ट्री डिवीजन – इलाहाबाद

छटवां पर्वतारोही प्रभाग – बरेली


33वाँ बख़्तरबंद प्रभाग – हिसार सैन्य

दक्षिण पश्चिमी लेफ्टिनेंट जनरल अभय स्टेशन


जयपुर
कमान कृ ष्ण[30][31] X कोर – भटिंडा
16वाँ इन्फैं ट्री डिवीजन – श्री गंगानगर

18वाँ इन्फैं ट्री डिवीजन – कोटा

24वाँ इन्फैं ट्री डिवीजन – बीकानेर

छटवां बख़्तरबंद दल
615वाँ स्वतंत्र वायु रक्षा दल

471वाँ अभियांत्रिकी दल
पश्चिमी कमान चंडीमंदिर लेफ्टिनेंट जनरल सुरिंदर 40वाँ तोपख़ाना विभाग – अंबाला
सिंह[32][33][34]
II कोर, – अंबाला
पहला बख़्तरबंद विभाग – पटियाला
14वाँ इन्फैं ट्री डिवीजन – देहरादून

22वाँ इन्फैं ट्री डिवीजन – मेरठ

474वाँ अभियांत्रिकी दल

612वाँ यंत्रीकृ त स्वतंत्र वायु रक्षा दल

IX कोर, – योल
26वाँ इन्फैं ट्री डिवीजन – जम्मू

29वाँ इन्फैं ट्री डिवीजन – पठानकोट

2nd बख़्तरबंद दल

3rd स्वतंत्र बख़्तरबंद दल

XI कोर, मुख्यालय जालंधर में


7वाँ इन्फैं ट्री डिवीजन – फिरोजपुर

9वाँ इन्फैं ट्री डिवीजन – मेरठ

15वाँ इन्फैं ट्री डिवीजन – अमृतसर

23वाँ बख़्तरबंद दल

55वाँ यंत्रीकृ त दल
सेना प्रशिक्षण लेफ्टिनेंट जनरल डी.आर. सोनी
शिमला
कमान [35][36]

लड़ाकू दल

अभ्यास के दौरान भारतीय सेना का एक सैनिक


भारतीय सेना के 99वाँ पर्वतीय दल का एक सैनिक अभ्यास के दौरान

नीचे दिए गए कोर, विशिष्ट पैन- आर्मी कार्यों हेतु एक कार्यात्मक प्रभाग हैं। भारतीय प्रादेशिक सेना विभिन्न इन्फैं ट्री रेजिमेंटों से
संबद्ध बटालियन हैं, जिनमे कु छ विभागीय इकाइयां, कॉर्प्स ऑफ इंजीनियर्स, आर्मी मेडिकल कोर या आर्मी सर्विस कोर से हैं।
ये अंशकालिक आरक्षित के रूप में सेवा करते हैं।
नाम महानिदेशक कें द्र
बख्तरबंद कोर बख्तरबंद कोर कें द्र और स्कू ल, अहमदनगर
तोपखाना
लेफ्टिनेंट जनरल पी के श्रीवास्तव, वीएसएम[37] तोपखाना स्कू ल,नासिक के पास देवलाली
रेजिमेंट
वायुरक्षा सेना
लेफ्टिनेंट जनरल ए के सेहगल, वीएसएम[38] गोपालपुर, उड़ीसा.
कोर 
सेना के विमानन लड़ाकू सेना विमानन प्रशिक्षण कें द्र,
लेफ्टिनेंट जनरल पी.के . भरली, वीएसएम[39]
कोर नासिक.
कॉलेज ऑफ मिलिट्री इंजीनियरिंग, दापोडी,
पुणे

मद्रास इंजीनियर समूह, बैंगलोर

इंजीनियर्स कोर
बंगाल इंजीनियर समूह, रुड़की

बॉम्बे इंजीनियर समूह, खडकी, पुणे के


पास
दूरसंचार इंजीनियरिंग सैन्य कॉलेज
(एमसीटीई), महू

संके तक कोर
दो सिग्नल प्रशिक्षण के न्द्र जबलपुर और
गोवा में.
मशीनीकृ त
अहमदनगर
इन्फैं ट्री
इन्फैं ट्री
लेफ्टिनेंट जनरल अमित सरीन एवीएसएम, एसएम,
ऑर्डिनेंस कोर सिकं दराबाद
वीएसएम, एडीसी[40]

पैदल सेना (इन्फैं ट्री)


2013 युद्ध अभ्यास के दौरान 99वें माउंटेन ब्रिगेड के दूसरे बटालियन, 5 गोरखा राइफल्स के सैनिक।

अपनी स्थापना के समय, भारतीय सेना को ब्रिटिश सेना की संगठनात्मक संरचना विरासत में मिली, जो आज भी कायम है।
इसलिए, अपने पूर्ववर्ती की तरह, एक भारतीय इन्फैं ट्री रेजिमेंट की ज़िम्मेदारी न सिर्फ फ़ील्ड ऑपरेशन की है बल्कि युद्ध मैदान
और बटालियन में अच्छी तरह से प्रशिक्षित सैनिक प्रदान करना भी हैं, जैसे कि एक ही रेजिमेंट के बटालियन का कई दल,
प्रभागों, कोर, कमान और यहां तक ​कि थिएटरों में होना आम बात है। अपने ब्रिटिश और राष्ट्रमंडल समकक्षों की तरह, सैनिक
अपने आवंटित रेजिमेंट के प्रति बेहद वफादार और बहुत गर्व करते हैं, जहाँ सामान्यतः उनका पूरा कार्यकाल बीतता हैं।

भारतीय सेना के इन्फैं ट्री रेजिमेंट्स में नियुक्ति, विशिष्ट चयन मानदंडों के आधार पर होती हैं, जैसे कि क्षेत्रीय, जातीयता, या धर्म
पर; असम रेजिमेंट, जाट रेजिमेंट, और सिख रेजिमेंट क्रमशः। अधिकतर रेजिमेंट तो ब्रटिश राज के समय के ही हैं, लेकिन
लद्दाख स्काउट, अरुणाचल स्काउट्स, और सिक्किम स्काउट्स, सीमा सुरक्षा विशेष दल, स्वतंत्रता के बाद बनाये गए हैं।

इंसास राइफल के साथ इंडिया गेट की रक्षा करता, जम्मू और कश्मीर लाइट इन्फैं ट्री का एक जवान।
राजपूत रेजिमेंट के सैनिक

सिख लाइट इन्फैं ट्री के सैनिक

मद्रास रेजिमेंट के सैनिक

वर्षों से विभिन्न राजनीतिक और सैन्य गुटों ने रेजिमेंटों की इस अनूठी चयन मानदंड प्रक्रिया को भंग करने की कोशिश करते रहे
है उनका मानना था की कि सैनिक का अपने रेजिमेंट के प्रति वफादारी या उसमे उसके ही जातीय के लोगों के प्रति निष्ठा, भारत
के प्रति निष्ठा से ऊपर न हो जाये। और उन्होंने कु छ गैर नस्लीय, धर्म, क्षेत्रीय रेजिमेंट, जैसे कि ब्रिगेड ऑफ गॉर्ड्स और पैराशूट
रेजिमेंट, बनाने में सफल भी रहे, लेकिन पहले से बने रेजिमेंट्स में इस प्रकार के प्रयोग का कम ही समर्थन देखने को मिला हैं।
भारतीय सेना के रेजिमेंट, अपनी वरिष्ठता के क्रम में:[41]
रेजिमेंट रेजिमेंट कें द्र वर्ष
गार्ड ब्रिगेड[42] कम्पटी, महाराष्ट्र 1949

पैराशूट रेजिमेंट बैंगलोर, कर्नाटक 1945

मैके नाइज़्ड इन्फें ट्री रेजिमेंट अहमदनगर, महाराष्ट्र 1979

पंजाब रेजिमेंट रामगढ़ छावनी, झारखंड 1761

मद्रास रेजिमेंट वेलिंगटन, उधगमंडलम 1758

द ग्रेनेडियर जबलपुर, मध्य प्रदेश 1778

मराठा लाइट इन्फें ट्री बेलगाम, कर्नाटक 1768

राजपूताना राइफल्स दिल्ली छावनी, नई दिल्ली 1775

राजपूत रेजिमेंट फतेहगढ़, उत्तर प्रदेश 1778

जाट रेजिमेंट बरेली, उत्तर प्रदेश 1795

सिख रेजिमेंट रामगढ़ छावनी, झारखंड 1846

सिख लाइट इन्फें ट्री फतेहगढ़, उत्तर प्रदेश 1857

डोगरा रेजिमेंट फै जाबाद, उत्तर प्रदेश 1877

गढ़वाल राइफल्स लांसडाउन, उत्तराखंड 1887

कु माऊं रेजिमेंट रानीखेत, उत्तराखंड 1813

असम रेजिमेंट शिलांग, मेघालय 1941

बिहार रेजिमेंट दानापुर छावनी, पटना, बिहार 1941


महार रेजिमेंट सागर, मध्य प्रदेश 1941

जम्मू कश्मीर राइफल्स जबलपुर, मध्य प्रदेश 1821

जम्मू कश्मीर लाइट इन्फें ट्री अवंतीपुर, जम्मू और कश्मीर 1947


नागा रेजिमेंट रानीखेत, उत्तराखंड 1970

1 गोरखा राइफल्स (मालाओं रेजिमेंट) सबाथु, हिमाचल प्रदेश 1815

3 गोरखा राइफल्स वाराणसी, उत्तर प्रदेश 1815

4 गोरखा राइफल्स सबाथु, हिमाचल प्रदेश 1857

5 गोरखा राइफल्स (फ्रं टियर फोर्स) शिलांग, मेघालय 1858

8 गोरखा राइफल्स शिलांग, मेघालय 1824

9 गोरखा राइफल्स वाराणसी, उत्तर प्रदेश 1817

11 गोरखा राइफल्स लखनऊ, उत्तर प्रदेश 1918


लद्दाख स्काउट्स लेह, जम्मू और कश्मीर 1963

राष्ट्रीय राइफल्स 1990

अरुणाचल स्काउट्स शिलांग, मेघालय 2010

सिक्किम स्काउट्स 2013

तोपख़ाना (आर्टिलरी)

पिनाका मल्टी बैरल रॉके ट लांचरों का कारगिल युद्ध के दौरान इस्तेमाल किया गया

तोपखाना रेजिमेंट (आर्टिलरी रेजिमेंट) भारतीय सेना का दूसरा सबसे बड़ा हाथ है, जोकि सेना की कु ल ताकत का लगभग
छठवाँ भाग हैं। मूल रूप से यह 1935 में ब्रिटिश भारतीय सेना में रॉयल भारतीय तोपखाने के नाम से शामिल हुआ था। और
अब इस रेजिमेंट को, सेना को स्व- प्रचालित आर्टिलरी फील्ड प्रदान करने का काम सौंपा गया है, जिसमे बंदूकें , तोप, भारी
मोर्टार, रॉके ट और मिसाइल आदि भी सम्मलित हैं।

भारतीय सेना द्वारा संचालित लगभग सभी लड़ाकू अभियानों में, तोपखाना रेजिमेंट एक अभिन्न अंग के रूप में, भारतीय सेना
की सफलता में एक प्रमुख योगदानकर्ता रहा है। कारगिल युद्ध के दौरान, वह भारतीय तोपखाना ही था, जिसने दुश्मन को
सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया था।[43] पिछले कु छ वर्षों में, पांच तोपखाना अधिकारी भारतीय सेना की सर्वोच्च पद, सेना
प्रमुख के रूप में रह चुके हैं।
बोफोर्स तोप

कु छ समय के लिए, आज की तुलना में तोपखाना रेजिमेंट सेना के कर्मियों के काफी बड़े हिस्से की कमान संभालता था, जिनमें
हवाई रक्षा तोपखाना और कु छ विमानन संपत्तियों का रख- रखाव भी सम्मलित थे। फिर 1990 के दशक में सेना के वायु रक्षा
कोर के गठन किया गया और विमानन संपत्तियों को सेना के विमानन कॉर्प्स को हस्तान्तरित कर दिया गया। अब यह रेजिमेंट
अपना ध्यान फील्ड आर्टिलरी पर कें द्रित करता है, और प्रत्येक परिचालन कमानो के लिए रेजिमेंट और बैटरी की आपूर्ति करता
है। इस रेजिमेंट का मुख्यालय नाशिक, महाराष्ट्र में है, इसके साथ यहाँ एक संग्रहालय भी स्थित है। भारतीय सेना का तोपखाना
स्कू ल देवलाली में स्थित है।

तीन दशकों से आधुनिक तोपखाने के आयात या उत्पादन में निरंतर विफलताओं के बाद[44][45], अंततः तोपखाना रेजिमेंट 130
मिमी और 150 मिमी तोपो की अधिप्राप्ति कर ली है।[46][47][48] सेना बड़ी संख्या में रॉके ट लांचरों को भी सेवा में ला रहा है,
अगले दशक के अंत तक 22 रेजिमेंट को स्वदेशी- विकसित पिनाका मल्टी बैरल रॉके ट लॉन्चर से सशत्र किया जायेगा।[49]

बख़्तरबंद (आर्मर)
पैरा (विशेष बल)

(आदेश) कमान

सेना के सामरिक 6 आदेशों चल रही है। प्रत्येक आदेश [[लेफ्टिनेंट जनरल] रैंक के साथ जनरल कमांडिंग इन चीफ अधिकारी
की अध्यक्षता में है। प्रत्येक आदेश सीधे में सेना मुख्यालय से संबद्ध है [[नई दिल्ली]. इन आदेशों नीचे उनके सही क्रम को ऊपर
उठाने के स्थान (शहर) और उनके कमांडरों में दिया जाता है। उनकी भी एक प्रशिक्षण ARTRAC के रूप में जाना जाता है
आदेश है।

-
लखनऊ | | || |
| | जयपुर
Bgcolor = "# cccccc" | पुणे | | लेफ्टिनेंट चंडीमंदिर उधमपुर
| कमान!
Bgcolor = "#
कोलकाता ||
लेफ्टिनेंट जनरल H.S. (चंडीगढ़) ||
cccccc" | कमान
|| लेफ्टिनेंट
- - जनरल - - पनाग, - || - लेफ्टिनेंट - -
लेफ्टिनेंट जनरल
मुख्यालय
Bgcolor = "# नोबल पीवीएसएम, लेफ्टिनेंट जनरल
cccccc" |! जीओसी -
जनरल CKS
Thamburaj एवीएसएम *, जनरल पीसी
वीके सिंह साबू
इन - सी एडीसी टी.के . सप्रू भारद्वाज

(कोर) कॉर्प

व्यूह - रचना (फील्ड गठन)


वाहिनी सेना के एक क्षेत्र में एक कमान के भीतर एक क्षेत्र के लिए जिम्मेदार गठन है। स्ट्राइक होल्डिंग और मिश्रित: वहाँ
भारतीय सेना वाहिनी के 3 प्रकार के होते हैं। कमान आम तौर पर 2 या अधिक कोर के होते हैं। अपने आदेश के तहत एक
कोर सेना प्रभागों है। कोर मुख्यालय सेना में उच्चतम क्षेत्र गठन है।

9 वाहिनी || | योल, हिमाचल प्रदेश || पश्चिमी कमान || लेफ्टिनेंट जनरल पीके रामपाल || 26 इन्फैं ट्री डिवीजन ([[जम्मू
छावनी | जम्मू]) 29, इन्फैं ट्री डिवीजन(पठानकोट), 2,3,16 इंडस्ट्रीज़ ARMD Bdes
10 कोर || | भटिंडा, पंजाब || पश्चिमी
कमान || लेफ्टिनेंट जनरल || 16 इन्फैं ट्री डिवीजन (श्री गंगानगर), 18 त्वरित ( कोटा), 24 त्वरित (बीकानेर), 6 इंडस्ट्रीज़
ARMD BDE
कोर 12 || | जोधपुर, राजस्थान || दक्षिण पश्चिमी कमान || || 4 ARMD BDE, 340 Mech BDE, 11
इन्फैं ट्री डिवीजन (अहमदाबाद), 12 Inf (प्रभाग जोधपुर)
16 वाहिनी || | नगरोटा, जम्मू एवं कश्मीर || उत्तरी कमान ||
लेफ्टिनेंट जनरल आर Karwal || 10 Inf (डिव अखनूर ),< रेफरी> इन्हें भी देखें
ht t ps://web.archive.org/web/20081220184054/ht t p://orbat .com/ sit e/cimh/divisions/10t h%%
20Division 20orbat % 20Chaamb 201971.ht ml% </ ref> 25 Inf डिव (Rajauri), 39 Inf डिव ( योल),
तोपखाना ब्रिगेड, बख़्तरबंद ब्रिगेड?
वाहिनी मुख्यालय कमान जनरल आफिसर कमांडिंग (
मथुरा, उत्तर मध्य
1 कोर 4 | इन्फैं ट्री डिवीजन (इलाहाबाद), 6 Mt n डिव (बरेली), 33 ARMD डिव ( हिसार)
प्रदेश कमान

अम्बाला, पश्चिमी
कोर 2 लेफ्टिनेंट जनरल जेपी सिंह, एवीएसएम
हरियाणा कमान

Rangapahar
पूर्वी
3 कोर (दीमापुर), लेफ्टिनेंट जनरल राके श कु मार Loomba
कमान
नागालैंड

पूर्वी
4 कोर तेजपुर, असम लेफ्टिनेंट जनरल आर के छाबड़ा
कमान

जालंधर, पश्चिमी
11 वाहिनी 7 | इन्फैं ट्री डिवीजन (फिरोजपुर), 9 इन्फैं ट्री डिवीजन (मेरठ), 15 इन्फैं ट्री डिवीजन (अ
पंजाब कमान
3 | इन्फैं ट्री डिवीजन (लेह ), 8 माउंटेन डिवीजन (Dras ),< ref> [[Globalsecurit y
उत्तरी
14 वाहिनी लेह, लद्दाख ht t ps://web.archive.org/web/20081216152813/ht t p://www.globa
कमान
दिसंबर 2007 पहुँचा तोपखाना ब्रिगेड </ ref>

श्रीनगर, जम्मू उत्तरी


15 वीं कोर लेफ्टिनेंट जनरल मुके श सभरवाल
एवं कश्मीर कमान

21 कोर (पूर्व
भोपाल, मध्य दक्षिणी लेफ्टिनेंट जनरल
आईपीके एफ) प्रदेश कमान
सिलीगुड़ी, पूर्वी
33 वाहिनी लेफ्टिनेंट जनरल पीके रथ
पश्चिम बंगाल कमान

रेजिमेंट संगठन

(फील्ड कोर ऊपर उल्लेख किया है के साथ भ्रमित होने की नहीं) इस के अलावा रेजिमेंट या कोर या विभागों भारतीय सेना के
हैं। कोर नीचे उल्लेख किया कार्यात्मक विशिष्ट अखिल सेना कार्यों के साथ सौंपा डिवीजनों हैं।

शैली = "फ़ॉन्ट - आकार: 100%;" | | शस्त्र


1. भारतीय इन्फै न्ट्री रेजिमेंट

2. आर्मड रेजिमेंट कोर - बख्तरबंद कोर स्कू ल और सेंटर [अहमदनगर []]


3. आर्टिलरी रेजिमेंट - आर्टिलरी स्कू ल में देवलाली के निकट नासिक.
4. [[भारतीय सेना के कोर इंजीनियर्स | कोर ऑफ इंजीनियर्स] - दपोदी पर सैन्य अभियांत्रिकी कालेज, पुणे. कें द्र इस प्रकार
है - मद्रास इंजीनियर ग्रुप बंगलौर, बंगाल इंजीनियर ग्रुप रुड़की और बॉम्बे इंजीनियर ग्रुप Khadki में, पुणे के रूप में
स्थित हैं .
5. आर्मी एयर डिफें स सेंटर कोर गोपालपुर उड़ीसा राज्य.

6. मैके नाइज्ड इंफें ट्री अहमदनगर - पर रेजिमेंटल कें द्र [[]].


7. सिग्नल कोर

8. सेना उड्डयन कोर


सेवा'
1. आर्मी डेंटल कोर
2. सेना शिक्षा कोर - सेंटर में पचमढ़ी.
3. आर्मी मेडिकल कोर - सेंटर में [[लखनऊ].
4. सेना आयुध कोर में कें द्र जबलपुर और सिकं दराबाद.

5. सेना डाक सेवा कोर

6. सेना सेवा कोर - बंगलौर पर कें द्र


7. वाहिनी इलेक्ट्रिकल और भोपाल में मैके निकल इंजीनियर्स के कें द्र और सिकं दराबाद.
8. वाहिनी सैन्य पुलिस के [1] (ht t ps://web.archive.org/web/20091102122238/ht t p://en.wikipedia.or
g/wiki/Indian_ Corps_ of_ Milit ary_ Police) - बंगलौर में कें द्र
9. इंटेलीजेंस कोर - सेंटर में पुणे.
10. जज एडवोके ट जनरल विभाग. सैन्य विधि संस्थान में कै म्पटी ,नागपुर.

11. सैन्य फार्म सेवा

12. मिलिट्री नर्सिंग सर्विस

13. रिमाउंट और वेटेनरी कोर

14. पायनियर कोर

साँचा:भारतीय सेना के शस्त्र और सेवाएँ

अन्य व्यूह सैन्य (अन्य फील्ड संरचनाओं)


भारतीय सेना के एक वर्ग एक सैन्य अभ्यास के दौरान आरोप लगते हैं।

* प्रभाग: सेना डिवीजन एक कोर और एक ब्रिगेड के बीच एक मध्यवर्ती है। यह सबसे बड़ी सेना में हड़ताली बल है। प्रत्येक
प्रभाग [जनरल आफिसर कमांडिंग (जीओसी) द्वारा [[मेजर जनरल] रैंक में होता है। यह आमतौर पर + १५,००० मुकाबला
सैनिकों और 8000 का समर्थन तत्वों के होते हैं। वर्तमान में, भारतीय सेना 4 रैपिड (पुनः संगठित सेना Plains इन्फैं ट्री
प्रभागों) सहित 34 प्रभागों लड़ाई प्रभागों, 18 इन्फै न्ट्री प्रभागों, 10 माउंटेन प्रभागों, 3 आर्मड प्रभागों और 2 आर्टिलरी
प्रभागों. प्रत्येक डिवीजन के कई composes ब्रिगेड्स.
* ब्रिगेड: ब्रिगेड डिवीजन की तुलना में छोटे है और आम तौर पर विभिन्न लड़ाकू समर्थन और आर्म्स और सेवाएँ के तत्वों के
साथ साथ 3 इन्फै न्ट्री बटालियन के होते हैं। यह की अध्यक्षता में है एक ब्रिगेडियर के बराबर ब्रिगेडियर जनरल भारतीय सेना
भी 5 स्वतंत्र बख्तरबंद ब्रिगेड, 15 स्वतंत्र आर्टिलरी ब्रिगेड, 7 स्वतंत्र इन्फैं ट्री ब्रिगेड, 1 स्वतंत्र पैराशूट ब्रिगेड, 3 स्वतंत्र वायु
रक्षा ब्रिगेड, 2 स्वतंत्र वायु रक्षा समूह और 4 स्वतंत्र अभियंता ब्रिगेड है। ये स्वतंत्र ब्रिगेड कोर कमांडर (जीओसी कोर) के
तहत सीधे काम.
* बटालियन: एक बटालियन की कमान में है एक कर्नल और इन्फैं ट्री के मुख्य लड़ इकाई है। यह 900 से अधिक कर्मियों की
होते हैं।
* [[कं पनी (सैन्य इकाई) | कं पनी] के नेतृत्व: मेजर, एक कं पनी के 120 सैनिकों को शामिल.
प्लाटून: एक कं पनी और धारा के बीच एक मध्यवर्ती, एक प्लाटून लेफ्टिनेंट या कमीशंड अधिकारियों की उपलब्धता पर
निर्भर करता है, एक जूनियर कमीशंड अधिकारी [रैंक के साथ, [जूनियर कमीशन अफसर की अध्यक्षता में | सूबेदार ]] या
नायब सूबेदार. यह बारे में 32 सैनिकों की कु ल संख्या है।
* धारा: सबसे छोटा 10 कर्मियों के एक शक्ति के साथ सैन्य संगठन. रैंक के एक गैर कमीशन अधिकारी द्वारा कमान संभाली
हवलदार या [सार्जेंट []].

रेजिमेंट

सिख लाइट इन्फैं ट्री के सैनिकों .

सिख लाइट इन्फैं ट्री के सैनिकों .

वहाँ कई बटालियनों या इकाइयों के एक रेजिमेंट में वही गठन के अंतर्गत हैं। गोरखा रेजिमेंट, उदाहरण के लिए, कई बटालियनों
है। एक रेजिमेंट के तहत सभी संरचनाओं के एक ही हथियार या कोर (यानी, इन्फैं ट्री या इंजीनियर्स) की बटालियनों हैं। रेजिमेंट
बिल्कु ल क्षेत्र संरचनाओं नहीं कर रहे हैं, वे ज्यादातर एक गठन नहीं कर सकता हूँ. गोरखा उदाहरण के लिए सभी रेजिमेंट के
एक साथ एक गठन के रूप में लड़ना नहीं है, लेकिन विभिन्न ब्रिगेड या कोर या भी आदेश पर फै लाया जा सकता है है।
आर्टिलरी प्रतीक चिन्ह

विदेशी राष्ट्राध्यक्ष की राजकीय यात्रा सभी घुडसवार राष्ट्रपति अंगरक्षक .

सिख लाइट इन्फैं ट्री के सैनिकों .

वहाँ कई बटालियनों या इकाइयों के एक रेजिमेंट में वही गठन के अंतर्गत हैं। गोरखा रेजिमेंट, उदाहरण के लिए, कई बटालियनों
है। एक रेजिमेंट के तहत सभी संरचनाओं के एक ही हथियार या कोर (यानी, इन्फैं ट्री या इंजीनियर्स) की बटालियनों हैं। रेजिमेंट
बिल्कु ल क्षेत्र संरचनाओं नहीं कर रहे हैं, वे ज्यादातर एक गठन नहीं कर सकता हूँ. गोरखा उदाहरण के लिए सभी रेजिमेंट के
एक साथ एक गठन के रूप में लड़ना नहीं है, लेकिन विभिन्न ब्रिगेड या कोर या भी आदेश पर फै लाया जा सकता है है।
आर्टिलरी प्रतीक चिन्ह

विदेशी राष्ट्राध्यक्ष की राजकीय यात्रा सभी घुडसवार राष्ट्रपति अंगरक्षक .


आर्टिलरी प्रतीक चिन्ह

विदेशी राष्ट्राध्यक्ष की राजकीय यात्रा सभी घुडसवार राष्ट्रपति अंगरक्षक .

सिख लाइट इन्फैं ट्री के सैनिकों .


पैदल सेना रेजिमेंट (इन्फै न्ट्री रेजिमेंट)
वहाँ कई बटालियनों या इकाइयों के एक रेजिमेंट में वही गठन के अंतर्गत हैं। गोरखा रेजिमेंट, उदाहरण के लिए, कई बटालियनों
है। एक रेजिमेंट के तहत सभी संरचनाओं के एक ही हथियार या कोर (यानी, इन्फैं ट्री या इंजीनियर्स) की बटालियनों हैं। रेजिमेंट
बिल्कु ल क्षेत्र संरचनाओं नहीं कर रहे हैं, वे ज्यादातर एक गठन नहीं कर सकता हूँ. गोरखा उदाहरण के लिए सभी रेजिमेंट के
एक साथ एक गठन के रूप में लड़ना नहीं है, लेकिन विभिन्न ब्रिगेड या कोर या भी आदेश पर फै लाया जा सकता है है।
आर्टिलरी प्रतीक चिन्ह

विदेशी राष्ट्राध्यक्ष की राजकीय यात्रा सभी घुडसवार राष्ट्रपति अंगरक्षक .


आर्टिलरी प्रतीक चिन्ह

विदेशी राष्ट्राध्यक्ष की राजकीय यात्रा सभी घुडसवार राष्ट्रपति अंगरक्षक .


आर्टिलरी प्रतीक चिन्ह

विदेशी राष्ट्राध्यक्ष की राजकीय यात्रा सभी घुडसवार राष्ट्रपति अंगरक्षक .

आर्टिलरी प्रतीक चिन्ह


तोपखाना रेजिमेंट (आर्टिलरी रेजिमेंट)

तोपखाना सेना के विध्वंसक शक्ति का मुख्य अंग है | भारत सभी प्राचीन ग्रंथों सभी तोपखाने का वर्णन मिलता है | तोप को
संस्कृ त सभी शतघ्नी कहा जाता है | मध्य कालीन इतिहास सभी तोप का प्रयोग सर्वप्रथम बाबर ने पानीपत के प्रथम युद्ध सभी
1526 सन 0 ई सभी किया था | कु छ नवीन प्रमाणों से यहाँ प्रतीत होता है के तोप का प्रयोग बहमनी राजाओं 1368 ने सभी
अदोनी के युद्ध सभी तथा गुजरात के शासक मोहमद शाह ने 15 वीं शताब्दी सभी किया था | भारत मे तोप खाना के दोउ है
के न्द्र ह्य्द्रबद और नसिक रोअद

थलसेना का कार्यबल

क्षमता
विदेशी राष्ट्राध्यक्ष की राजकीय यात्रा सभी घुडसवार राष्ट्रपति अंगरक्षक .

भारतीय - कार्यरत - आरक्षित - [[प्रादेशिक - मुख्य - तोपखाना - [[] - [[क्रू ज ब्रह्मोस - वायुयान 10 - [[
थल सेना सैनिक सैनिक सेना] युद्धक 12,800 प्रक्षेपास्त्र] प्रक्षेपास्त्र] स्क्वाड्रन वा
सम्बंधित १३,००,००० 1,200,000 200.000 टैंक | 100
हेलिकॉप्टर प्र
आंकड़े | | ** | 4500 (अग्नि 9
| |

-1, अग्नि
-2) |
* 300.000 प्रथम पंक्ति 500.000 ओर द्वितीय पंक्ति के योद्धा सम्मिलित हैं;

* 40,000 प्रथम पंक्ति 160.000 ओर द्वितीय पंक्ति के योद्धा सम्मिलित हैं

आंकड़े
एक प्रशिक्षण मिशन के दौरान भारतीय सेना की 4 राजपूत इन्फैं ट्री बटालियन से सैनिकों

4 त्वरित (Reorganised सेना Plains इन्फैं ट्री प्रभागों)

18 इन्फैं ट्री प्रभागों

10 माउंटेन प्रभागों

3 आर्मड प्रभागों

2 आर्टिलरी प्रभागों

13 एयर डिफें स + ब्रिगेड्स 2 भूतल एयर मिसाइल समूह


5 स्वतंत्र बख्तरबंद ब्रिगेड

15 स्वतंत्र आर्टिलरी ब्रिगेड

7 स्वतंत्र इन्फैं ट्री ब्रिगेड

1 पैराशूट ब्रिगेड

4 अभियंता ब्रिगेड

14 सेना उड्डयन हेलीकाप्टर इकाइयों


उप - इकाइयाँ
63 टैंक रेजिमेंट

7 एयरबोर्न बटालियन

200 आर्टिलरी रेजिमेंट

360 इन्फैं ट्री बटालियन + 5 पैरा बटालियन (एस एफ)

40 मैके नाइज्ड इंफें ट्री बटालियन

लड़ाकू हेलीकाप्टर इकाइयों 20


52 एयर डिफें स रेजिमेंट

पदानुक्रम संरचना
[[चित्र: भारतीय सेना के
गोरखा rifles.jpg | अंगूठे | [[1 की 1 बटालियन गोरखा राइफल्स] भारतीय सेना का] एक नकली
मुकाबला शहर के बाहर एक प्रशिक्षण अभ्यास के दौरान स्थान ले]]

भारतीय सेना के विभिन्न रैंक से नीचे के अवरोही क्रम में सूचीबद्ध हैं:
कमीशन प्राप्त अधिकारी
[[फ़ील्ड मार्शल (भारत) | फ़ील्ड मार्शल]

जनरल (यह थलसेना अध्यक्ष का पद है)


लेफ्टिनेंट - जनरल
मेजर - जनरल
ब्रिगेडियर
कर्नल
लेफ्टिनेंट - कर्नल
मेजर
[कप्तान [(भूमि) | कप्तान]]
[[लेफ्टिनेंट]

सेकं ड लेफ्टिनेंट 2
कनिष्ठ कमीशन प्राप्त अधिकारी (जेसीओ)
सूबेदार मेजर / [[मानद कप्तान] 3
सूबेदार / मानद लेफ्टिनेंट 3
सूबेदार मेजर
सूबेदार
नायब सूबेदार
गैर कमीशन प्राप्त अधिकारी (NCOs)
रेजीमेंट हवलदार मेजर 2
रेजीमेंट क्वार्टरमास्टर हवलदार मेजर 2
कं पनी हवलदार मेजर
कं पनी क्वार्टरमास्टर हवलदार मेजर
हवलदार
नायक
लांसनायक
सिपाही
नोट:
• 1. के वल दो अधिकारियों को फील्ड मार्शल किया गया है अब तक बना है: फील्ड के .एम. करियप्पा  – पहले भारतीय कमांडर
- इन - चीफ (एक के बाद के बाद समाप्त कर दिया है)  – और फील्ड मार्शल SHFJ मानेकशॉ मार्शल , 1971 के युद्ध
पाकिस्तान के साथ.
में सेना के दौरान थल सेनाध्यक्ष
• 2. यह अब बंद कर दिया गया है। हवलदार के रैंक में गैर कमीशंड अधिकारी मानद जूनियर
कमीशन अफसर रैंकों के लिए elible हैं
• 3. बकाया है जूनियर कमीशन अफसर श्रेष्टता श्रेणी को देखते हुए और एक लेफ्टिनेंट के भुगतान, भूमिका एक जूनियर
कमीशन अफसर का होना जारी है

युद्ध सिद्धान्त

भारतीय सेना के वर्तमान सिद्धांत का मुकाबला प्रभावी ढंग से पकड़े संरचनाओं और हड़ताल संरचनाओं के उपयोग पर
आधारित है। एक हमले के मामले में पकड़े संरचनाओं दुश्मन होते हैं और हड़ताल संरचनाओं दुश्मन ताकतों को बेअसर
पलटवार होगा. एक भारतीय हमले के मामले में पकड़े संरचनाओं दुश्मन ताकतों नीचे पिन भारतीय को चुनने के एक बिंदु पर
whilst हड़ताल संरचनाओं हमले. भारतीय सेना काफी बड़ी हड़ताल भूमिका के लिए कई कोर समर्पित है। वर्तमान में, सेना
अपने विशेष बलों क्षमताओं को बढ़ाने में भी देख रहा है।

उपस्कर एवं उपकरण

एमबीटी अर्जुन .
[[चित्र: भारतीय सेना टी 90.jpg | अंगूठे | भीष्म टी 90] एमबीटी
[[चित्र: भारतीय सेना T-72 image1.jpg |
अंगूठे | सही | [[टी 72] अजेय]]
नाग मिसाइल और NAMICA (नाग मिसाइल वाहक)

सेना के उपकरणों के अधिकांश आयातित है, लेकिन प्रयासों के लिए स्वदेशी उपकरणों के निर्माण किए जा रहे हैं। सभी
भारतीय सैन्य आग्नेयास्त्रों बंदूकें आयुध निर्माणी बोर्ड की छतरी के प्रशासन के तहत निर्मित कर रहे हैं, ईशापुर में प्रिंसिपल
बन्दूक विनिर्माण सुविधाओं के साथ, काशीपुर, कानपुर, जबलपुर और तिरूचिरापल्ली. भारतीय राष्ट्रीय लघु शस्त्र प्रणाली
(INSAS) राइफल है, जो सफलतापूर्वक 1997 के बाद से भारतीय सेना द्वारा शामिल Ordanance निर्माणी बोर्ड, ईशापुर के
एक उत्पाद है। जबकि गोला बारूद किरकी (अब Khadki) में निर्मित है और संभवतः बोलंगीर पर.

इन्हें भी देखें

भारतीय सशस्‍त्र सेनाएं


ब्रिटिश भारतीय सेना
आज़ाद हिन्द फ़ौज
प्रादेशिक सेना
भारतीय सेनाएं सशस्त्र
ब्रिटिश भारतीय सेना
इंडियन नेशनल आर्मी
भारतीय प्रादेशिक सेना

बाहरी कड़ियाँ

विकिमीडिया कॉमन्स पर Army of India (https://commons.wikimedia.org/wiki/Category:Army_of_Indi


a?uselang=hi#mw-subcategories) से सम्बन्धित मीडिया है।

मुख्य लेख : भारतीय सेना के उपकरण


भारतीय सेना के विभिन्न रैंक से नीचे के अवरोही क्रम में सूचीबद्ध हैं:
कमीशन प्राप्त अधिकारी
[[फ़ील्ड मार्शल (भारत) | फ़ील्ड मार्शल]

जनरल (यह थलसेना अध्यक्ष का पद है)


लेफ्टिनेंट - जनरल
मेजर - जनरल
ब्रिगेडियर
कर्नल
लेफ्टिनेंट - कर्नल
मेजर
[कप्तान [(भूमि) | कप्तान]]
[[लेफ्टिनेंट]

सेकं ड लेफ्टिनेंट 2
कनिष्ठ कमीशन प्राप्त अधिकारी (जेसीओ)
सूबेदार मेजर / [[मानद कप्तान] 3
सूबेदार / मानद लेफ्टिनेंट 3
सूबेदार मेजर
सूबेदार
नायब सूबेदार
गैर कमीशन प्राप्त अधिकारी (NCOs)
रेजीमेंट हवलदार मेजर 2
रेजीमेंट क्वार्टरमास्टर हवलदार मेजर 2
कं पनी हवलदार मेजर
कं पनी क्वार्टरमास्टर हवलदार मेजर
हवलदार
नायक
लांसनायक
सिपाही
नोट:
• 1. के वल दो अधिकारियों को फील्ड मार्शल किया गया है अब तक बना है: फील्ड के .एम. करियप्पा  – पहले भारतीय कमांडर
- इन - चीफ (एक के बाद के बाद समाप्त कर दिया है)  – और फील्ड मार्शल SHFJ मानेकशॉ मार्शल , 1971 के युद्ध
पाकिस्तान के साथ.
में सेना के दौरान थल सेनाध्यक्ष
• 2. यह अब बंद कर दिया गया है। हवलदार के रैंक में गैर कमीशंड अधिकारी मानद जूनियर
कमीशन अफसर रैंकों के लिए elible हैं
• 3. बकाया है जूनियर कमीशन अफसर श्रेष्टता श्रेणी को देखते हुए और एक लेफ्टिनेंट के भुगतान, भूमिका एक जूनियर
कमीशन अफसर का होना जारी है

युद्ध सिद्धान्त

भारतीय सेना के वर्तमान सिद्धांत का मुकाबला प्रभावी ढंग से पकड़े संरचनाओं और हड़ताल संरचनाओं के उपयोग पर
आधारित है। एक हमले के मामले में पकड़े संरचनाओं दुश्मन होते हैं और हड़ताल संरचनाओं दुश्मन ताकतों को बेअसर
पलटवार होगा. एक भारतीय हमले के मामले में पकड़े संरचनाओं दुश्मन ताकतों नीचे पिन भारतीय को चुनने के एक बिंदु पर
whilst हड़ताल संरचनाओं हमले. भारतीय सेना काफी बड़ी हड़ताल भूमिका के लिए कई कोर समर्पित है। वर्तमान में, सेना
अपने विशेष बलों क्षमताओं को बढ़ाने में भी देख रहा है।

उपस्कर एवं उपकरण

एमबीटी अर्जुन .
[[चित्र: भारतीय सेना टी 90.jpg | अंगूठे | भीष्म टी 90] एमबीटी
[[चित्र: भारतीय सेना T-72 image1.jpg |
अंगूठे | सही | [[टी 72] अजेय]]
नाग मिसाइल और NAMICA (नाग मिसाइल वाहक)

सेना के उपकरणों के अधिकांश आयातित है, लेकिन प्रयासों के लिए स्वदेशी उपकरणों के निर्माण किए जा रहे हैं। सभी
भारतीय सैन्य आग्नेयास्त्रों बंदूकें आयुध निर्माणी बोर्ड की छतरी के प्रशासन के तहत निर्मित कर रहे हैं, ईशापुर में प्रिंसिपल
बन्दूक विनिर्माण सुविधाओं के साथ, काशीपुर, कानपुर, जबलपुर और तिरूचिरापल्ली. भारतीय राष्ट्रीय लघु शस्त्र प्रणाली
(INSAS) राइफल है, जो सफलतापूर्वक 1997 के बाद से भारतीय सेना द्वारा शामिल Ordanance निर्माणी बोर्ड, ईशापुर के
एक उत्पाद है। जबकि गोला बारूद किरकी (अब Khadki) में निर्मित है और संभवतः बोलंगीर पर.

इन्हें भी देखें

भारतीय सशस्‍त्र सेनाएं


ब्रिटिश भारतीय सेना
आज़ाद हिन्द फ़ौज
प्रादेशिक सेना
भारतीय सेनाएं सशस्त्र
ब्रिटिश भारतीय सेना
इंडियन नेशनल आर्मी
भारतीय प्रादेशिक सेना

बाहरी कड़ियाँ

विकिमीडिया कॉमन्स पर Army of India (https://web.archive.org/web/20151105215012/https://comm


ons.wikimedia.org/wiki/Category:Army_of_India?uselang=hi#mw-subcategories) से सम्बन्धित
मीडिया है।

Official websit e of t he Indian Army (ht t ps://web.archive.org/web/20170626223336/ht t ps://ind


ianarmy.nic.in/)

Official websit e of t he Indian Armed Forces (ht t ps://web.archive.org/web/20070102002543/h


t t p://armedforces.nic.in/)

Official websit e of t he Defence Minist ry of India (ht t ps://web.archive.org/web/200902021222


30/ht t p://mod.nic.in/)

Bharat Rakshak: Indian Army (ht t ps://web.archive.org/web/20041206180157/ht t p://www.bhara


t -rakshak.com/LAND-FORCES/Army/)

Indian army guide (ht t ps://web.archive.org/web/20160106003728/ht t p://www.globalsecurit y.o


rg/milit ary/world/india/army.ht m)
Indian Army news (ht t ps://web.archive.org/web/20070909104627/ht t p://front ierindia.net /cat e
gory/indian-army-news/)

सन्दर्भ

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148814)) [पत्र सूचना कार्यालय]. pib.nic.in. मूल से 15 सितंबर 2016 को पुरालेखित (https://web.archive.
org/web/20160915111743/http://pib.nic.in/newsite/erelease.aspx?relid=(Release%20ID%20:
148814)) . अभिगमन तिथि 18 फ़रवरी 2017.

2. सामरिक अध्ययन के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थान (३ फ़रवरी २०१४). The Military Balance 2014 [सैन्य संतुलन
२०१४,] (अंग्रेज़ी में). लंदन: रूटलेज. पृ॰ २४१–२४६. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781857437225.
3. "World Air Forces 2015" (https://d1fmezig7cekam.cloudfront.net/VPP/Global/Flight/Airline%
20Business/AB%20home/Edit/WorldAirForces2015.pdf) [विश्व वायु सेना २०१५] (पीडीएफ).
फ्लाइटग्लोबल (अंग्रेज़ी में). पृ॰ १७. मूल से 19 दिसंबर 2014 को पुरालेखित (https://web.archive.org/web/20
141219164437/https://d1fmezig7cekam.cloudfront.net/VPP/Global/Flight/Airline%20Busine
ss/AB%20home/Edit/WorldAirForces2015.pdf) (PDF). अभिगमन तिथि १९ फ़रवरी २०१७.

4. "Chief of the Army Staff" (https://web.archive.org/web/20170103225315/http://indianarmy.ni


c.in/Site/FormTemplete/frmTemp1PTC2C.aspx?MnId=AK1o9xW%2BBP4oIf5XyUiT3w%3D%3
D&ParentID=HnwuzQObYhoYhuxEIPsHoA%3D%3D) . भारतीय सेना का आधिकारिक जालस्थल (अंग्रेज़ी
में). मूल (http://indianarmy.nic.in/Site/FormTemplete/frmTemp1PTC2C.aspx?MnId=AK1o9xW+
BP4oIf5XyUiT3w==&ParentID=HnwuzQObYhoYhuxEIPsHoA==) से 3 जनवरी 2017 को
पुरालेखित. अभिगमन तिथि १९ फ़रवरी २०१७.
5. "Lieutenant-general sarath chand is vice chief of army staff" (http://www.newindianexpress.co
m/states/kerala/2017/jan/05/lieutenant-general-sarath-chand--is-vice-chief-of-army-staff-1556
229.html) [लेफ्टिनेंट जनरल सरत चन्द भारतीय सेना के उप प्रमुख बने] (अंग्रेज़ी में). इंडियन एक्सप्रेस. ५ जनवरी
२०१७. मूल से 7 जनवरी 2017 को पुरालेखित (https://web.archive.org/web/20170107210445/http://
www.newindianexpress.com/states/kerala/2017/jan/05/lieutenant-general-sarath-chand--is-vi
ce-chief-of-army-staff-1556229.html) . अभिगमन तिथि १९ फ़रवरी २०१७.

6. "About – The President of India" (https://web.archive.org/web/20160405170925/http://www.


presidentofindia.nic.in/about.htm) [भारत के
राष्ट्रपति – के बारे में] (अंग्रेज़ी में). मूल (http://presidento
findia.nic.in/about.htm) से 5 अप्रैल 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १९ फ़रवरी २०१७.

7. सिंह, सरबंस (१९९३). Battle Honours of the Indian Army 1757–1971 [भारतीय सेना के युद्ध सम्मान
१७५७–१९७१] (अंग्रेज़ी में). नई दिल्ली: विजन बुक्स. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 8170941156.
8. Headquarters Army Training Command. "Indian Army Doctrine". October 2004.
[https://web.archive.org/web/20071201062843/http://indianarmy.nic.in/indianarmydoctrine_
1.doc "Archived copy" (http://web.archive.org/web/20071201062843/) . मूल (http://indianar
my.nic.in/indianarmydoctrine_1.doc) से 1 December 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1
December 2007. Archive link] via archive.org (original url: {{cite
web|url=http://indianarmy.nic.in/indianarmydoctrine_1.doc |title=Archived copy
|accessdate=1 December 2007 |url-status=dead
|archiveurl=https://web.archive.org/web/20071201062843/http://indianarmy.nic.in/indianar
mydoctrine_1.doc |archivedate=1 December 2007 }}).

9. " "Press Information Bureau" " (http://pib.nic.in/newsite/erelease.aspx?relid=(Release%20ID%2


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915111743/http://pib.nic.in/newsite/erelease.aspx?relid=(Release%20ID%20:148814)) .
अभिगमन तिथि 18 फ़रवरी 2017.
10. "International Institute for Strategic Studies (3 February 2014)" (https://en.wikipedia.org/wiki/I
nternational_Institute_for_Strategic_Studies) . मूल से 20 मार्च 2017 को पुरालेखित (https://web.arc
hive.org/web/20170320150114/https://en.wikipedia.org/wiki/International_Institute_for_Stra
tegic_Studies) . अभिगमन तिथि 15 मार्च 2017.

11. "International Institute for Strategic Studies (3 February 2014)" (https://en.wikipedia.org/wiki/I


nternational_Institute_for_Strategic_Studies) . मूल से 20 मार्च 2017 को पुरालेखित (https://web.arc
hive.org/web/20170320150114/https://en.wikipedia.org/wiki/International_Institute_for_Stra
tegic_Studies) . अभिगमन तिथि 15 मार्च 2017.

12. The Military Balance 2010 (https://archive.org/details/militarybalance2010iiss) .


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age/n348) , 359–364. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 1857435575.

13. "Indian Army Modernisation Needs a Major Push" (https://web.archive.org/web/2013090619


5929/http://indiastrategic.in/topstories482.htm) . India Strategic. February 2010. मूल (http://
www.indiastrategic.in/topstories482.htm) से 6 सितंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 July
2013.

14. "India's Military Modernisation Up To 2027 Gets Approval" (https://web.archive.org/web/2013


1029201514/http://www.defencenow.com/news/611/indias-military-modernisation-up-to-20
27-gets-approval.html) . Defence Now. 2 April 2012. मूल (http://www.defencenow.com/new
s/611/indias-military-modernisation-up-to-2027-gets-approval.html) से 29 अक्तू बर 2013 को
पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 July 2013.
15. Career, Guide (2022-01-11GMT+000011:44:48+00:00). "How To Join Indian Army" (https://allj
obs.co.in/career/how-to-join-indian-army/) . Career guide (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2022-01-18.
|date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)

16. "Indian Army doctrine" (https://web.archive.org/web/20071201062843/http://indianarmy.nic.i


n/indianarmydoctrine_1.doc) . मूल (http://indianarmy.nic.in/indianarmydoctrine_1.doc) से 1
दिसंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 जनवरी 2009.
17. http://www.globalsecurity.org/military/world/war/indo-pak_1965.htm Archived (https://we
b.archive.org/web/20170509223002/http://www.globalsecurity.org/military/world/war/indo-
pak_1965.htm) 2017-05-09 at the Wayback Machine </ ref>.

बांग्लादेश मुक्ति युद्ध (1971)


एक स्वतन्त्रता आन्दोलन में बाहर तोड़ दिया पूर्वी पाकिस्तान जो था बेरहमी से कु चल दिया. पाकिस्तानी बलों द्वारा.
कारण बड़े पैमाने पर अत्याचारों उनके खिलाफ के हजारों [[बंगाली लोग | बंगालियों] पड़ोसी भारत में शरण ली, वहाँ
एक प्रमुख शरणार्थी संकट के कारण. जल्दी 1971 में, भारत बंगाली विद्रोहियों के लिए पूर्ण समर्थन, मुक्ति वाहिनी के
रूप में जाना जाता घोषित और भारतीय एजेंटों को बड़े पैमाने पर गुप्त आपरेशनों में शामिल थे उन्हें सहायता.

भारतीय सेना कर्मियों के अंत में भारतीय जीत का जश्न मनाने Basantar की लड़ाई बाहर खटखटाया पाकिस्तानी पैटन
टैंक के शीर्ष पर
20 नवम्बर 1971 को भारतीय सेना 14 पंजाब बटालियन चले गए और 45 कै वलरी गरीबपुर, पूर्वी
पाकिस्तान के साथ भारत की सीमा के पास एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शहर है और में सफलतापूर्वक [[गरीबपुर
की लड़ाई | कब्जा कर लिया]. अगले दिन और [[Atgram की लड़ाई | संघर्ष] भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच
जगह ले ली. भारत बंगाली विद्रोह में बढ़ती भागीदारी से सावधान पाकिस्तान वायु सेना (पीएएफ) का शुभारंभ किया
[ऑपरेशन [Chengiz खान | हड़ताल अग्रकय] 3 दिसम्बर को भारतीय सेना पूर्वी पाकिस्तान के साथ अपनी सीमा के
निकट पदों पर. हवाई आपरेशन, तथापि, इसकी कहा उद्देश्यों को पूरा करने में विफल रहा है और भारत पाकिस्तान के
खिलाफ एक पूर्ण पैमाने पर युद्ध के कारण उसी दिन घोषित किया। आधी रात से, भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना के
साथ, पूर्वी पाकिस्तान में प्रमुख सैन्य जोर का शुभारंभ किया। भारतीय सेना की निर्णायक सहित पूर्वी मोर्चे पर कई
लड़ाइयों जीता [Hilli [लड़ाई]]

पाकिस्तान के पश्चिमी मोर्चे पर भारत के खिलाफ जवाबी हमले का शुभारंभ किया। December 4, 1971 को, एक
कं पनी के 23 बटालियन के पंजाब रेजिमेंट का पता चला और पाकिस्तान के पास सेना की 51 इन्फैं ट्री डिवीजन के
आंदोलन को रोक [[रामगढ़, राजस्थान]. [Longewala [लड़ाई]] के दौरान जो लागू एक कं पनी है, हालांकि
outnumbered, वीरतापूर्वक लड़ी और पाकिस्तानी अग्रिम नाकाम जब तक भारतीय वायु सेना अपने सेनानियों को
निर्देशित करने के लिए पाकिस्तानी टैंक संलग्न. समय लड़ाई समाप्त करके 34 पाकिस्तानी टैंक और 50 APCs या नष्ट
हो गए थे परित्यक्त. के बारे में 200 पाकिस्तानी सैनिकों को लड़ाई के दौरान कार्रवाई में मारे गए थे जबकि के वल 2
भारतीय सैनिकों को उनके जीवन खो दिया है। 4 दिसम्बर से 16 तक भारतीय सेना लड़ी और अंत जिसमें से 66
पाकिस्तानी टैंक को नष्ट कर रहे थे और 40 से कब्जा कर लिया गया [] [लड़ाई के Basantar] जीता. बदले में
पाकिस्तानी बलों के लिए के वल 11 भारतीय टैंकों को नष्ट करने में सक्षम थे। 16 दिसम्बर तक पाकिस्तान के पूर्वी और
पश्चिमी दोनों मोर्चों पर बड़े आकार का क्षेत्र खो दिया था।

लेफ्टिनेंट | जगजीत सिंह अरोड़ा के आदेश के तहत जनरल जे एस अरोड़ा, भारतीय सेना के तीन कोर में प्रवेश किया जो
पूर्वी पाकिस्तान पर आक्रमण किया था ढाका और पाकिस्तानी सेना ने 16 दिसम्बर 1971 को आत्मसमर्पण करने के
लिए मजबूर किया। पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल के बाद AAK नियाज़ी समर्पण के साधन पर हस्ताक्षर किए, भारत
में 90,000 से अधिक पाकिस्तानी [[] युद्ध के कै दियों (+३८,००० सशस्त्र बलों के कर्मियों और 52,000 मिलिशिया
पश्चिम पाकिस्तानी मूल के और नौकरशाहों) ले लिया।

1972 में, [[शिमला समझौते] दोनों देशों के तनाव और simmered के बीच हस्ताक्षर किए गए थे। हालांकि, वहाँ
कू टनीतिक तनाव है जो दोनों पक्षों पर वृद्धि हुई सैन्य सतर्क ता में समापन में कभी कभी spurts थे।

इन्हें भी देखें: Hilli की लड़ाई एवं Longewala की लड़ाई Basantar की लड़ाई


सियाचिन विवाद (1984-)

चित्र:MI-8 Indian Army.jpg

एम आई 8भारतीय सेना का एक सैन्य अभ्यास में हिस्सा लेता है। एम आई-8 बड़े पैमाने पर एयरलिफ्ट भारतीय सैनिकों के लिए इस्तेमाल किया गया
था ऑपरेशन मेघदूत के दौरान.

सियाचिन ग्लेशियर, हालांकि कश्मीर क्षेत्र के एक हिस्सा है, आधिकारिक तौर पर सीमांकन नहीं है। एक परिणाम के रूप
में, पहले 1980 के दशक के लिए, न तो भारत और न ही पाकिस्तान इस क्षेत्र में स्थायी सैन्य उपस्थिति को बनाए रखा.
हालांकि, पाकिस्तान पर्वतारोहण अभियानों के 1950 के दशक के दौरान ग्लेशियर श्रृंखला की मेजबानी शुरू कर दिया.
1980 के दशक तक पाकिस्तान की सरकार पर्वतारोहियों के लिए विशेष अभियान परमिट देने गया था और संयुक्त
राज्य अमेरिका सेना नक्शे जानबूझकर पाकिस्तान के एक भाग के रूप में सियाचिन से पता चला है। इस अभ्यास
कार्यकाल के समकालीन अर्थoropolitics . को जन्म दिया

एक irked भारत का शुभारंभ किया ऑपरेशन मेघदूत अप्रैल 1984 के दौरान जो पूरे कु माऊं रेजिमेंट भारतीय सेना की
ग्लेशियर पहुंचा था। पाकिस्तानी सेना ने जल्दी से जवाब दिया और दोनों के बीच संघर्ष का पालन किया। भारतीय सेना
सामरिक सिया ला और Bilafond ला पहाड़ गुजरता है और 1985 के द्वारा, क्षेत्र के 1000 वर्ग मील से अधिक,
पाकिस्तान ने दावा किया, भारतीय नियंत्रण के अधीन था।<ref> Http://www Archived (https://web.archiv
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