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Praveen Kit7
Praveen Kit7
PRAVEEN COURSE
किट : 7 / KIT : 7
पाठ : 18 से 20
LESSON: 18 TO 20
फरवरी - किट / FEBRUARY - KIT
िेंद्रीय ह द
िं ी प्रशिक्षण सिंस्थान
पत्राचार पाठ्यक्रम स्ििंध (ह द
िं ी)
राजभाषा ववभाग,ग ृ मिंत्रालय
2-ए, पथ्
ृ वीराज रोड, नई हदल्ली-110011
Email-adptracharchti-dol@nic.in
Phone No. 011-23017203
Fax No. 011-23017203
To download this Kit:
http://chti.rajbhasha.gov.in/?9600?21
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Lesson/पाठ - 18
इिंफाल िी यादें
भशू मिा Introduction
This is a memoir. In this lesson the writer reminiscences about his
years spent in Imphal, the capital of Manipur. He fondly remembers his
colleague Shri Lokhan Singh. Through Lokhan Singh he come across the
distinct Manipur culture, their way of living, handicrafts, art of weaving
clothes on loom, special cuisines and their hospitality. His stay in Manipur
has left a long-lasting impression on him.
Through this memoir, we learn about the unique and distinct culture of
our North Eastern State Manipur.
Synopsis
Now you are going to study the main body. Main text of the lesson
titled ''इंफाल की यादें '.
We are presenting the first part of the text, in which the narrator has
received a letter from his colleague, who is a native of Manipur. The writer
was posted in Manipur during1981-1984. As soon as he received a letter,
the picture of Lokhan Singh, his colleague appeared before him. Lokhan
Singh’s well built physique, his typical manipuri features, his hearty laugh &
up right behaviour attracted the writer towards him. With passage of time
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their friendship grew stronger. Once, Lokhan Singh invited the writer to his
home for lunch.
इिंफाल िी यादें
आज शाम को दफ्तर से घर पहुूँचा ही था कक पत्नी ने एक पत्र पकडा ददया। आज के
मोिाइल, फैक्स और ई-मेल के यग
ु में "पत्र" का आना ककसी आश्चयय से कम नहीं था।
1
आजकल तो िभ
ु िामना के पत्र भेजना भी लोग भल
ू चक
ु े हैं। नए साल, होली, दीवाली,
पोंगल आदद के शुभकामना सिंदेि2 टे लीफोन व ई-मेल के द्वारा भेजे जाने लगे हैं।
पत्र हाथ में ललया ही था कक मेरी नजर इंफाल के डाकखाने की मु र3 पर पडी। उसे
दे खकर वर्य 1981 से 1984 के दौरान इंफाल में बिताए ददन चलचचत्र4 की भाूँतत मेरी आँखों
िे सामने घूमने5 लगे। ऐसा लगा कक 21 साल पहले का लोखन लसंह मेरे सामने आकर खडा
हो गया है ।
मणणपुर स्थथत जनगणना पररचालन ननदे िालय6 में अनुवादि7 के पद पर मेरी पहली
नौकरी लगी थी। लगभग मेरे साथ-साथ लोखन लसंह की भी ननयुक्ति8 अवर श्रेणी शलवपि9 के
पद पर हुई थी। लोखन का घर इंफाल से लगभग 26 कक.मी. दरू बिशनपुर में था। सामान्य
सा चेहरा, खाललस मणणपुरी नैन नति10, मजित
ू शरीर वाला लोखन लसंह सामान्य मैिेयी
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से कुछ अलग ही लगता था। उसकी उन्मुति12 हूँ सी एवं ननश्चल व्यव ार13 से मैं उसकी ओर
णखंचने लगा था और हमारी दोथती धीरे -धीरे गहरी होने लगी थी। हम दोनों घंटों िैठकर
14
ववलभन्न ववर्यों पर चचाय करते । हालाूँकक मैतेई िडे अिंिमख
ु ी थवभाव के होते हैं ।
मयािंग(परदे िी)15 से वे घुलना-लमलना पसंद नहीं करते, कफर भी वे अनिचथ16 का िहुत
सम्मान करते हैं। उनके ललए ककसी को अपने घर िुलाना संभवत: उसका सिसे िडा सम्मान
होता है । एक ददन लोखन लसंह ने मुझे अपने घर खाने पर िुलाया। ननमिंत्रण17 पाकर मैं िहुत
प्रसन्न हुआ।
अगले ददन सुिह मैं बस अड्डे18 पहुूँचा। वहाूँ चड ू ाचाूँदपुर जाने वाली िस लग चक
ु ी
थी। यह िस बिशनपुर होकर जाने वाली थी। बिशनपुर पहुूँचने में लगभग एक घंटे का समय
लगता है । मैं िस में िैठे-िैठे उसके घर के िारे में सोचने लगा कक मेरी आँख लग गई19। िस
से उतरते ही लोखन लसंह हाथ दहलाकर मझ
ु े िल
ु ाने लगा। हम दोनों घर पहुूँचे ही थे कक उसके
वपताजी घर के िाहर आ गए। लोखन उनसे मेरा पररचय कराने लगा। मैंने
खरु य मजरी(नमथकार) कहकर उनका अशभवादन20 ककया
िब्दाथु Vocabulary:
1. best wishes/greetings 2. message 3. stamp 4. film 5. old memories comes
a live 6. directorate of census operations 7. translator 8. appointment 9.
lower division clerk 10 features 11. a tribal group of Manipur 12. hearty
laugh 13. up right behaviour 14. introvert 15. foreigner 16. guest 17.
invitation 18. bus stop 19. to fell asleep 20. to greet
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बोध प्रश्न
1 लेखक के पास कहाूँ से और ककसका पत्र आया था?
2 लेखक इंफाल में कि से कि तक रहे ?
3 लोखन लसंह के थवभाव की ककन ववशेर्ताओं से लेखक प्रभाववत हुआ?
4 लोखन लसंह के वपता का ककन शब्दों से लेखक ने अलभवादन ककया?
Here we present the second part of the text, in which the narrator
describes his visit to Lokhan Singh’s house. Here he enjoys the warm
hospitality of his host. He gets the glimpse of distinct culture of Manipur,
tastes the special cuisines and also receives the beautiful pieces of
handicrafts like Manipur shawl & bamboo object as a gift.
In the previous section we saw the use of 'लग' verb. In this section we
will study the use of 'चक
ु ' as a compound verb.
भाग-2
उसके वपताजी शिक्षि21 के पद से सेवाननवत्त
ृ
22
हो चक
ु े थे । उसकी िहन ने पढाई पूरी
कर ली थी और उसकी नौकरी लग चक
ु ी थी ।
खपरै ल23 से िना उनका घर, ववशिष्ट24 मणणपुरी सिंस्िृनि25 की झलक दे रहा था । घर
के पीछे का पोखर26 कमल के फूलों से भरा हुआ था। िाूँस के फनीचर से सुसक्जजि27 बैठि28
में मेज पर भोजन लग चकु ा था। खाने में कई प्रकार की चटतनयाूँ थीं, उनमें इरोम्िा िहुत
स्वाहदष्ट29 थी। पपीते व केले की सब्जी तो मैं पहले भी खा चक 30
ु ा था पर बिंबू (िाूँस) की
सब्जी व िाूँस का अचार31 मैंने पहली िार खाया था। खाना िहुत थवाददष्ट था। खाने के िाद
32
हम िातें करने लगे शाम हो चक ु ी थी, सरू ज ढ़लने लगा था। मैं वापस लौटने ही वाला था,
तभी उसके वपताजी ने अपने हाथ से िनाई िंिू की टोिरी33 और उसकी िहन ने मणणपरु ी
शॉल व चादर मुझे उप ार34 में दी। प्रेम के प्रतीक यह उपहार आज भी मेरे ललए िेहद कीमती
35
हैं। वापसी में उन्होंने मझ
ु से लोखटक झील चलने का कहा। चूँकू क वह थथान मेरा पहले ही
दे खा हुआ था, इसललए मैं वहाूँ नहीं गया।
उन ददनों कायायलय सप्ताह में छह ददन लगता था । कायायलय समय भी प्रात: 10.00
िजे से सायं 5.00 िजे तक था । प्रत्येक माह के दस
ू रे शतनवार को छुट्टी होती थी। छुट्टी
के ददन आस-पास घूमना िहुत अच्छा लगता था। इंफाल में भी ब ु मिंक्जली36 इमारिें 37,
िायाुलयीन पररसर38 आदद िनाए जाने लगे थे। कुछ इमारतें िन चक
ु ी थीं और कुछ िन रही
थीं। पाओना िाजार के पास िी. टी. रोड पर क्रीडा पररसर39 का तनमायण होने लगा था।
पत्र में उसने मुझे सपररवार इंफाल में आने के ललए आमंबत्रत ककया था। पत्र को पढते
ही लोखन लसंह से लमलने की इच्छा प्रबल40 होने लगी। मैं पररवार सदहत इंफाल जाने का
काययक्रम िनाने लगा।
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िब्दाथु Vocabulary:
21. teacher 22. retire 23 mud tiles 24. special 25. culture 26. small pond
27. well decorated 28. drawing room 29. tasty 30. bamboo 31. pickle 32. sun
was setting 33. basket 34. present/gift 35. lake 36. multi storey 37. building
38. office complex 39. sport complex 40. strong desire
बोध प्रश्न
1 लोखन लसंह कहाूँ रहता था?
2 लोखन लसंह की घर की ववशेर्ताएूँ िताएूँ।
3 मणणपुर के खाद्य व्यंजन तथा हथतकला का वणयन करें ।
4 इंफाल शहर का वणयन करें ।
Grammatical Notes
पयाुयवाची िब्द (Synonyms)
आश्चयय = अचंभा व्यवहार = आचरण
नजर = दृस्ष्ट दोथती = लमत्रता
उन्मक्
ु त = थवछं द उपहार = भें ट
तनमंत्रण = आमंत्रण अततथथ = मेहमान
Syntactic Structures:
I. 'लग' and ‘चक
ु ' are both compound verbs. The 'लगना' verb expresses the
commencement of an action where as 'चक
ु ना' verb expresses completion
of an action e.g.
5
आजकल लोग मॉल से खरीदारी करने लगे हैं।
Now-a days people have started shopping from the malls.
िस लग चक
ु ी थी।
Bus was ready to start.
मैं ददया गया काम पहले ही पूरा कर चक
ु ा हूूँ।
I have already completed the work assigned to me.
The 'वाला' phrase has different shades of meaning with the change of
its position in a sentence. This will be clear from the following sets of
sentences.
1 Noun + वाला
1. अखिार वाला बिल लेकर आया। (The paper vendor)
2. दध
ू वाले से तीन लीटर दध
ू ले लेना। (milk maid)
2 Adverb + वाला
1. ऊपर वाला कमरा िडा है । (The room on the upper floor)
2. वह पीछे वाली सीट पर िैठी थी। (The back seat)
3 Verbal Noun + वाला
1. मुंिई जानेवाली गाडी ककस प्लेटफॉमय से छूटती है । (Bombay bound)
2. लेख ललखने वालों को ककतना पैसा ददया जाएगा? (those writing
articles)
4 Infinitive Verb + वाला
1. अगले सोमवार से परीक्षाएूँ होने वाली हैं। (going to take place)
2. कल से संसद सत्र शरू
ु होने वाला है । (going to start)
5 Infinitive + वाला (emphatic)
1. जल्दी दटकट लीस्जए, गाडी आने ही वाली है । (about to arrive)
2. जल्दी जाइए िैंक िंद होने ही वाला है । (about to close)
3. िच्चा थगरने ही वाला था कक मैंने उसे पकड ललया। (about to fall)
मौखखि अभ्यास
Oral practice helps you to retain what you have learnt and allows you
to speak the language in appropriate situations:
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Practice the following
Substitution Exercise/ स्थानापवत्त Substitution
1. राजधानी ट्रे न एक नंिर प्लेटफामय से छूटने वाली है ।
(जाना, चलना, रवाना होना, तनकलना)
2. अध्यापक के आते ही ववद्याथी खडे हो गए ।
(पहुूँचते, प्रवेश करते, उठते, दे खते, जाते)
3. सब्जीवाला रोज सुिह आता है ।
(फलवाला, दध
ू वाला, अखिारवाला)
4. िाररश रुकते ही लोग घर जाने लगे ।
(टहलना, घूमना, चलना)
रूपािंिरण /Transformation
नमन
ू ा: एलशयाड खेलों के आयोजन में करोडों रुपए खचय हुए ।
एशियाड खेलों िे आयोजन में िरोडों रुपए लगे।
1. कुतुिमीनार का तनमायण कई वर्ों में हुआ।
2. कॉमन वेल्थ खेलों में िहुत पैसा खचय हुआ।
3. इस पाठ्यक्रम का तनमायण दो वर्य में हुआ।
4. ताजमहल का तनमायण 22 वर्ों में हुआ।
5. मैट्रो के तनमायण में काफी पैसा खचय हुआ होगा।
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नमन
ू ा: वे शादी की सारी तैयारी कर चक
ु े हैं।
िादी िी सारी िैयारी िी जा चि
ु ी ै।
1. हम गोवा जाने के ललए रे ल में आरक्षण करवा चक
ु े हैं।
2. आवती ललवपक केंद्रीय रस्जथट्री से सारे पत्र भेज चक
ु ा होगा।
3. प्राध्यापक परीक्षा से पहले पाठ्यक्रम पूरा पढा चक
ु े हैं।
4. थटोर कीपर कायायलय के ललए लेखन सामग्री खरीद चक
ु ा है ।
5. हम अधीनथथ कायायलयों से सूचनाएूँ मूँगवा चक
ु े हैं।
नमन
ू े िे अनुसार बदलें / Transform as per model.
नमूना: िस आ गई?
न ीिं, बस आने ी वाली ै ।
1. वे लोग जा चक
ु े है ?
2. तुम्हें तनख्वाह लमल गई?
3. परीक्षा पररणाम तनकल गया?
4. उसने खाना खा ललया?
5. आपने बिजली का बिल भर ददया?
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सिंवाद/Communication
Two friends are meeting after a long time. One is from a village, the
other one is from a town. Discuss changes that have come in the using
expressions like थकूल-कालेज िन चक
ु े हैं, लोग ट्रै क्टर का उपयोग करने लगे हैं, लोग नई
िातें सीख चक
ु े हैं etc.
सारािंि/ Summary
यह पाठ एक संथमरण है । इसमें लेखक वर्य 1981 से 1984 तक माणणपुर स्थथत
जनगणना कायायलय में तैनात रहा। इस दौरान उसकी लमत्रता कायायलय में अवर श्रेणी ललवपक
के पद पर तैनात लोखन लसंह से हुई। लोखन लसंह मणणपुरी था। लोखन लसंह के हूँ समुख तथा
तनश्चल व्यवहार से लेखक प्रभाववत था और दोनों में गहरी दोथती हो गई।
जि लेखक को कई वर्ों िाद लोखन लसंह का पत्र लमला तो उसे दे खकर उसे मणणपुर में
बिताए ददन याद आ गए तथा लोखन लसंह का थचर पररथचत चेहरा उसकी आूँखों के सामने
आ गया। लोखन लसंह का खाने पर घर िुलाना, उसके पररवार वालों द्वारा लेखक का थवागत
करना, खाने में मणणपुरी लमष्ठानों का परोसना, घर में मणणपुरी संथकृतत की झलक तथा
उपहार के रूप में िाूँस से िनी टोकरी, मणणपुरी शाल व चादर पाकर लेखक अलभभूत हो गया।
लोखन लसंह का तनमंत्रण पाकर लेखक पररवार सदहत मणणपुर जाने का काययक्रम िनाने लगा।
इस पाठ में हमने व्याकरणणक बिंदओ
ु ं जैस-े संयुक्त कक्रयाएूँ 'लगना' तथा 'चक
ु ना' का
प्रयोग सीखा तथा इसी के साथ हमने 'वाला' कृदं त एवं तात्काललक प्रततकक्रया को व्यक्त करने
हे तु योजक 'कक' का प्रयोग भी सीखा।
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Synopsis
It is a conversation between the two friends Ramesh & Dinesh. After the
Hindi fortnight, the closing ceremony was organised at Dinesh’s office.
Ramesh was an invitee to the programme but due to viral fever he could not
make it. Dinesh is apprising him of the highlights of this programme.
Ramesh has already seen some of the highlights of this programme on
television.
Here we present the first part of the text.
समापन समारो
1 2
रमेश : िधाई, सन
ु ा है इस िार दहंदी पखवाडे के समापन समारो का आयोजन िहुत ही
अच्छा रहा।
ददनेश : हाूँ, सभी लोगों के सिि3 सहयोग से यह काययक्रम सफल रहा । इस िार लोग भी
अथधक संख्या में उपस्थथत थे। पूरा हॉल खचाखच भरा ु आ4 था। हाूँ, यह िताओ
कक तुम समारोह में क्यों नहीं आए? क्या तनमंत्रण पत्र समय पर नहीं लमला?
रमेश : इस िार तनमंत्रण पत्र तो काफी पहले लमल गया था लेककन वायरल होने के कारण
मैं चाह कर भी नहीं आ पाया। िीमारी में कैसे आता।
ददनेश : काश, तुम आ जाते क्योंकक इस िार काययक्रम िहुत अच्छा था। हर काययक्रम
तनदे शक महोदया के तनदे शन में हुआ। मैं सोचता हूूँ अगर वे व्यक्तिगि रुचच5 न
लेतीं तो शायद काययक्रम इतना सफल न होता।
रमेश : अस्वस्थिा6 के िावजूद भी मैंने तुम्हारे काययक्रम का कुछ अंश दरू दशयन पर दे खा है
भई! सािंस्िृनिि7 काययक्रम तो काफी रिं गारिं ग8 लग रहा था।
ददनेश : हाूँ, मैं सोचता हूूँ कक इस िार समारोह का मुख्य आकयर्ण रहा- उसका सांथकृततक
काययक्रम। गीि एविं नाटि प्रभाग9 के कलाकारों की प्रस्िुनि10 ने तो काययक्रम में
चार चाँद लगा11 ददए। मखणपुरी रास12 की छटा13 दे खते ही िनती थी।
रमेश : गरबा नत्ृ य14 ने भी गुजरात की संथकृतत की जीविंि झलि15 प्रथतुत की और दहंदी
गीत से काययक्रम की साथुििा16 शसद्ध17 हो गई।
िब्दावली/Vocabulary :
1. fortnight 2. closing ceremony 3. continuous 4. jam packed 5. personal
interest 6. illness 7. cultural programme 8. entertaining 9. song and drama
division 10. presentation 11. to have a feather added to one's cap 12. folk
dance of Manipur state 13. beauty 14. folk dance of Gujrat 15. lively 16.
significance 17. proved.
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बोध प्रश्न
1. इस िार दहंदी पखवाडे का समापन समारोह कैसा रहा?
2. समारोह की सफलता का क्या कारण था?
3. रमेश इस समारोह में क्यों नहीं गया?
4. समारोह का मुख्य आकर्यण क्या था?
भाग - 2
In this part of the text in which Ramesh is informing Dinesh that the
report of closing ceremony is published in the various newspapers. He is
also elobrating about the comparing prize distribution, Director's detailed
presentation of department's achievements, the chief guest’s speech
emphasizing the increasing importance of Hindi as a world language,
encouraging the audience to do every possible effort for the development
and propagation of Hindi.
Here we present the second part of the text.
ददनेशः क्या तुमने अखबारों18 में हमारे काययक्रम के िारे में प्रनिकक्रया19 दे खी?
20
रमेशः हाूँ, इस िार दो तीन अखिारों ने काययक्रम की ववस्िि
ृ ररपोटय दी। अगर इसमें
कुछ फोटो भी प्रिाशिि21 होते तो अच्छा रहता।
ददनेशः लगता है कक तुमने ‘जन जागरण’ नहीं दे खा। उसमें तो फोटो भी छापे गए थे।
रमेशः नहीं, मैं कहाूँ से दे खता। मेरे घर तो यह अखिार आता ही नहीं। काययक्रम में
उद्घोषि22 का मिंच सिंचालन23 कैसा रहा?
ददनेश : मंच संचालन अच्छा था लेककन पुरस्िार24 ववजेिा25 अथधक हो गए क्योंकक दो
प्रनियोचगिाएँ26 इस िार अथधक करवाई गई थीं।
रमेश : ति तो पुरस्िार वविरण27 में काफी समय लग गया होगा?
ददनेश : हाूँ, इस कारण तनदे शक महोदया द्वारा कायायलय की उपलक्ब्धयों28 के वववरण29 के
प्रस्िुिीिरण30 में समय िा अभाव31 कुछ खटि32 रहा था। अगर अथधक समय
लमलता तो ज्यादा अच्छा रहता।
रमें श : मैं सोचता हूूँ कक अगर काययक्रम में उपक्स्थि33 रहता तो ववशिष्ट अनिचथ34 का पूरा
भाषण35 सुन पाता। इस िार अखिारों में उनके भार्ण की काफी प्रििंसा ु ई36 है ।
ददनेश : हाूँ, ववलशष्ट अततथथ ने ववश्व37 में दहंदी के िढते महत्व पर चचाय कर उसकी
ववशिष्टिा38 लसद्ध की। उन्होंने कहा कक दहंदी ववश्व की एक म त्वपूण39
ु भार्ा है ।
40
दहंदी को िोलने और समझने वाले लोग ववश्व में हर जगह मौजद
ू हैं। ववश्व भार्ा
13
के रूप में दहंदी के ववकास41, प्रचार42 तथा प्रसार43 के ललए हमें हर संभव प्रयास44
करना होगा। उनके वतिव्य45 की सभी श्रोिाओिं46 ने िरिल ध्वनन47 से सरा ना48
की। अंत में जलपान49 के साथ ही समारो 50
सफलिापव ु 51 सिंपन्न52 हुआ।
ू ि
िब्दावली/Vocabulary :
18 newspapers 19. comments 20. detailed 21. publish 22. announcer 23.
compere 24. prize 25. winner 26. competitions 27 prize distribution 28.
achievements 29. details 30. presentation 31. shortage of time 32. to pinch
33. present 34. special guest 35. speech 36. praise 37. world 38. speciality
39. important 40. present 41. development 42 publicity 43. propogation 44.
effort 45. statement/comment 46. listner/audience 47. clapping 48. praise 49.
nacks 50. function 51. successfully 52. conclude
बोध प्रश्न
1. समापन समारोह की ववथतत
ृ ररपोटय कहाूँ छपी थी? इस समारोह के फोटो ककस अखिार
में छपे थे?
2. परु थकार ववतरण में अथधक समय लगने का क्या कारण था?
3. कायायलय की उपलस्ब्धयों का वववरण ककसने प्रथतुत ककया?
4. ववलशष्ट अततथथ ने अपने भार्ण में दहंदी की ववलशष्टता को ककन शब्दों में लसद्ध ककया?
Grammatical Notes
पयाुयवाची िब्द
उपस्थथत = मौजद
ू साथयकता = उपयोथगता
िीमारी = अथवथथता परु थकार = इनाम
रं गारं ग = मनोरं जक अततथथ = मेहमान
ववकास = उन्नतत
ववलोम िब्द
समापन x उद्घाटन रुथच x अरुथच
सहयोग x असहयोग आकर्यण x ववकर्यण
उपस्थथत x अनुपस्थथत ववथतत
ृ x संक्षक्षप्त
थवथथ x अथवथथ श्रोता x वक्ता
Sentence patterns
ि. े िु े िुमद भूि (contingent past) Conditional Past
i) अगर वह मेहनत करता तो पास हो जाता।
Had he worked hard he would have passed.
14
ii) अगर मैं दफ्तर जाता तो काम परू ा हो जाता।
I had gone to office the work would have been completed.
iii) अगर वह लमलता हो उससे लमठाई खाते।
Had we met him, we would have asked for sweets.
The word अगर' can be substituted by 'यदद’ without changing the import i.e.
'अगर और यदद' are synonyms in Hindi.
In sentence (i) & (ii) the verbs in the ‘अगर’’ clause & 'तो’ clause are
in the present participle from (करता, जाता) but they denote past actions.
ख. क्या ही अच्छा होता अगर कफल्म की दटकट लमल जाती।
How nice it would have been if tickets have been available.
The words 'क्या ही अच्छा होता' and 'अगर'can also be substituted by काश
काश कफल्म की दटकट लमल जाती।
काश तुम आ जाते।
ग. के कारण = on account of due to
के कारण = see the use of prepositional phrase
िीमारी के कारण वह कायायलय नहीं आ सका।
स्थानापवत्त/ Substitution
1. िैठक काययददवस में होती तो सभी सदथय आते।
(सम्मेलन, मैच, प्रततयोथगता, चन
ु ाव)
2. आयोजन छोटे हॉल में होता तो अच्छा रहता।
(सलमतत कक्ष, खल
ु े मैदान, सम्मेलन कक्ष, िडे हॉल)
3. वक्ता संगोष्ठी में तनधायररत समय तक िोलते तो अच्छा रहता।
(सीलमत समय, कम समय, ददए गए समय)
4. संगोष्ठी के िारे में अखिार में चचाय कम हुई।
(टी.वी., रे डडयो, पबत्रका, आपस में )
5. आपने कहा होता तो वे आते।
(िुलाना, तनमंत्रण दे ना, पत्र भेजना, फोन करना)
रूपािंिरण अभ्यास Transformation Practice
नमूने िे अनुसार वातय बदशलए ।
नमूना:- मैंने तैयारी नहीं की और पास नहीं हुआ।
मैं िैयारी िरिा िो पास ो जािा।
1. छुट्टी नहीं लमली और मैं तम्
ु हारे घर नहीं आया।
15
2. ऋण नहीं लमला और उन्होंने मकान नहीं िनवाया।
3. सच
ू ना नहीं लमली, उसने खिर नहीं भेजी।
4. यात्रा भत्ता नहीं लमला, आप कोलकाता नहीं आए।
5. फाइल नहीं आई और मैंने आपके संिंध में िात नहीं की।
रूपािंिरण /Transformation
उदा रण : मैं थकूटर का भाडा कैसे दे ता? (खल
ु े पैसे)
अगर खल
ु े पैसे ोिे िो दे िा।
1. वह पहचान-पत्र कैसे िनवाता? (फोटो)
2. िच्चे अध्ययन कैसे करते? (पुथतक)
3. टं कक मसौदा टं ककत कैसे करता? (कंप्यूटर)
4. माताजी खाना कैसे िनाती? (सब्जी)
5. ऋतु दौरे पर कैसे जाती? (अनुमतत)
Make the past contingent form of the sentence in the given situations:
नमूना : मैंने नहीं िुलाया। वह नहीं आया।
मैं बुलािा िो व आ जािा।
1. आपने नहीं कहा। मैं नहीं गया/गई।
2. तुमने कहा। इसीललए मैं चली गयी।
3. थचट्ठी नहीं लमली। मैं चला गया।
4. उसने पढा नहीं। वह पास नहीं हुई ।
5. तुमने नहीं मांगा। मैंने नहीं ददए।
16
सिंवाद / Communication
Imagine what you would do if you were the Prime Minister or the
President of India. Discuss with fellow learners or neighbours.
सारािंि/ Summary
इस पाठ में रमेश और ददनेश दो लमत्रों के िीच वातायलाप (conversation) हो रहा है ।
ददनेश के कायायलय में दहंदी पखवाडे के पश्चात उसका समापन समारोह आयोस्जत ककया गया
स्जसमें रमेश को भी तनमंबत्रत ककया गया था। रमेश वायरल िुखार के कारण समारोह में नहीं
आ सका। रमेश ने कुछ अंश दरू दशयन पर दे खे। उसे सांथकृततक काययक्रम काफी मनोरं जक
लगा। ददनेश ने िताया कक इस काययक्रम में गीत एवं नाट्य प्रभाग के कलाकारों की प्रथतुतत
ने चार चाूँद लगा ददए। कई समाचार-पत्रों में समारोह की खिर तथा फोटो छपे। समारोह में
प्रततयोथगताओं में ववजेता प्रततभाथगयों को पुरथकार ददए गए। तनदे शक महोदय ने ववभाग की
उपलस्ब्धयों का वववरण प्रथतुत ककया। ववलशष्ट अततथथ ने ववश्व में दहंदी की िढती महत्ता पर
प्रकाश डाला। जलपान के पश्चात समारोह सफलतापूवक
य संपन्न हुआ।
17
पाठ / Lesson 20
परीक्षा
भशू मिा Introduction
‘Pariksha’ is a story by famous Hindi writer Munshi Premchand. In this
story the central character Sardar Sujan Singh is a Minister of a small
province Devgarh. One day he requests the king that he wishes to retire as
he is getting old. King reluctantly agrees to his request on one condition that
Sujan Singh should find a suitable successor. In this story we will find out
how Sujan Singh finds a new Minister having human virtues like compassion,
strong will power and enormouns courage.
Synopsis
Here below we present the first part of the text in which Sardar Sujan
Singh the Minister of a small province, Devgarh, request his king that as he
is getting old, he wish to retire. The king agrees to his request on one
18
condition that Sujan Singh should find his own successor. In response to the
advertisement, hundreds of candidates applied for the post of minister. In the
advertisement if was specifically mentioned that instead of education, more
emphasis will be given to human virtues. Every candidate was puting up the
best of his behaviour. Sardar Sujan Singh was keenly observing who the
grain among the chaff is. Let us find how he selects the candidate most
appropriate for the Ministerial post.
परीक्षा
1 2
जि ररयासि दे वगढ के दीवान सरदार सुजानलसंह िूढे हुए तो जाकर महाराज से
ववनय3 की "दीनबिंध4ु , दास ने श्रीमान की सेवा चालीस साल तक की। अि मेरी अवस्था
ढल5 गई है , राजिाज6 सूँभालने की शस्क्त नहीं रही। कहीं भूल-चि
ू
7
हो जाए तो िुढापे में
दाग लगे। "
राजा साहि अपने नीनििुिल8 दीवान का िडा आदर करते थे। उन्होंने दीवान साहि
को िहुत समझाया, लेककन जि दीवान साहि न माने तो हारकर उनकी प्राथुना9 थवीकार कर
ली, पर शतय यह लगा दी कक ररयासत के ललए नया दीवान आप ही को खोजना पडेगा।
10 11
दस
ू रे ददन दे श के प्रशसद्ध समाचार पत्रों में यह ववज्ञापन तनकाला गया कक दे वगढ
के ललए एक सुयोग्य12 दीवान की जरूरत है । जो सजजन13 थवयं को इस पद के योग्य समझें
वे वतयमान दीवान सरदार सुजानलसंह से संपकय करें । यह जरूरी नहीं है कक वे ग्रेजुएट हों, मगर
14
थवाथ्य अच्छा होना चादहए। एक महीने तक उम्मीदवारों के र न-स न15, आचार-ववचार16
की परख17 की जाएगी। ववद्या18 पर कम परं तु ििुव्य19 पालन पर अथधक ववचार ककया
20
जाएगा। जो महाशय इस परीक्षा में परू े सफल होंगे वे इस पद पर ननयत
ु ि ककए जाएूँगे ।
21
इस ववज्ञापन ने सारे मल्
ु ि में लचल22 मचा दी। ऐसा ऊूँचा पद और ककसी प्रकार
का िंधन नहीं। सैिडों23 आदमी अपना-अपना भाग्य आजमाने24 के ललए चल पडे।
25 26
सरदार सज
ु ानलसंह ने इन म ानभ
ु ावों के आदर-सत्िार का िडा अच्छा प्रिंध ककया
था। हर व्यस्क्त अपने जीवन को अपनी िद्
ु थध के अनस
ु ार अच्छे रूप में ददखाने की कोलशश
27
कर रहा था। लेककन मनष्ु यों का वह िढ ू ा जौ री सजु ान लसंह आड में िैठा हुआ दे ख रहा था
28
कक इन बगलु ों में िं स कहाूँ तछपा है ।
एक ददन युविों29 ने हॉकी के खेल का आयोजन ककया । खेल िडे उत्साह से चल रहा
था । वे लोग जि गें द को लेकर तेजी से उडते तो िढती हुई लहर को दस
ू रे लोग इस तरह
30
रोक लेते थे कक मानो लो े िी दीवार हो।
सिंध्या31 तक यही धम 32
ू धाम रही। लोग पसीने से तर हो गए। ाँफिे- ाँफिे33 णखलाडी
बेदम34 हो गए, लेककन हार-जीत का तनणयय न हो सका। अूँधेरा हो गया था।
इस मैदान से जरा दरू हटकर एक नाला35 था। उस पर कोई पुल न था, आने-जाने
वाले लोगों को नाले में से चलकर आना पडता था। खेल अभी िंद ही हुआ था और लोग दम
ले36 रहे थे कक एक ककसान अनाज से भरी हुई गाडी ललए उस नाले पर आया। लेककन कुछ
19
तो नाले में िीचड37 था और कुछ उसकी चढ़ाई38 इतनी ऊूँची थी कक गाडी ऊपर नहीं चढ
सकती थी। वह कभी िैलों को ललिारिा40, कभी पह यों41को हाथ से धिेलिा42, लेककन
बोझ43 अथधक था और िैल कमजोर। गाडी ऊपर न चढती और चढती भी तो कुछ दरू चढकर
44
कफर णखसककर नीचे पहुूँच जाती। ककसान िार-िार ज़ोर लगाता और िार-िार झँझ
ु लािर
िैलों को मारता, लेककन गाडी आगे िढने का नाम न लेती। बेचारा45 ककसान िाि46 होकर
इधर-उधर दे ख रहा था मगर वहाूँ कोई नजर नहीं आया। गाडी को अकेले छोडकर कहीं जा भी
न सकता था । िडी ववपवत्त47 में फँसा ु आ48 था।
िब्दाथु/ Vocabulary
1. state 2. minister 3. request 4. your kindness 5. getting old 6. state affairs
7 mistake 8. efficient in administration 9. request 10. famous 11.
advertisement 12. most suitable 13. gentleman 14. candidates 15. way of
living 16. good conduct and thinking 17. test 18. education 19. duty 20.
appoint 21. country 22. commotion or wave 23. hurdreds 24. try one’s luck
25. greatmen 26. hospitality 27. Jeweller 28. to separate from the chaff 29.
youngmen 30. wall of Iron 31. evening 32. hectic Activity 33. painting 34.
exhausted 35. drain 36. taking rest 37. mud/marsh 38. climb 39. buallocks
40. to challenge 41. wheels 42. push 43. load 44. getting irritated 45.
helpless 46. disappointed 47.trouble 48. trapped
बोध प्रश्न
1 दीवान सज
ु ान लसंह ने महाराजा से क्या ववनती की?
2 राजा साहि ने उनकी ववनती ककस शतय पर थवीकार की?
3 ववज्ञापन से हलचल क्यों मच गई?
4 िढ
ू ा जौहरी ककसे कहा गया है और क्यों?
भाग- 2
In next part of the text in which Sardar Sujan Singh impersonifying
himself as a poor farmer, tries hard to cross the drain with his bullock cart.
All the candidates passed through the same way but they didn’t realise the
agony of the poor farmer. At last a candidate who himself was injured
helped the farmer. The candidate was Pandit Janki Nath. Next day in a full
court, Sujan Singh declared Pandit Janki Nath as the new minister &
congratulated the entire province for getting such an able administrator who
has enormous courage, will power & compassion towards the fellow being.
He praised him because inspite of injury he helped the poor farmer. He
20
further said that a person of such a firm resolution can never harm a poor.
He may be deceived but will not leave the path of compassion & religion.
इसी िीच णखलाडी हाथों में हॉकी ललए घूमते हुए उधर से तनकले। ककसान ने उनकी
तरफ स मी49 हुई आूँखों से दे खा, परं तु ककसी से मदद माूँगने का सा स50 न हुआ।
णखलाडडयों ने भी उसिो दे खा मगर बिंद आँखों से51।
52
उसी समू में एक ऐसा व्यक्ति53 था, स्जसके ह्दय54 में दया54 थी और साहस था।
आज हॉकी खेलते हुए उसके पैरों में चोट लग गई थी। वह लँ गडािा ु आ56 धीरे -धीरे चला आ
रहा था। अिस्माि57 उसकी तनगाह गाडी पर पडी। वह रुक गया । ककसान की सूरि58 दे खते
ही वह सि समझ गया। उसने हॉकी एक ककनारे रख दी, कोट उतारा और ककसान के पास
जाकर िोला, "मैं तुम्हारी गाडी तनकाल दूँ ?
ू "
ककसान ने दे खा, एक स्वस्थ बदन59 वाला लंिा आदमी सामने खडा है । झुककर िोला,
"हुजूर मैं आपसे कैसे कहूूँ?
युवक ने कहा, "मालूम होता है , तुम यहाूँ िडी दे र से फूँसे हुए हो। अच्छा, तुम गाडी
पर जाकर िैलों को संभालो, मैं पदहयों को धकेलता हूूँ, अभी गाडी ऊपर चढ जाएगी। "
ककसान गाडी पर जा िैठा । युवक ने पदहयों को जोर लगाकर उठाया। कीचड िहुत
ज्यादा था। वह घुटने तक जमीन में गड गया, लेककन ह म्मि60 न हारी। उसने कफर जोर
लगाया, उधर ककसान ने िैलों को ललकारा। िैलों को सहारा लमला, उन्होंने ििंधे झुिािर61
एक िार जोर लगाया तो गाडी नाले के ऊपर थी।
ककसान यव
ु क के सामने हाथ जोडकर खडा हो गया । िोला "महाराज, आपने आज
62
मझ
ु े उबार शलया , नहीं तो सारी रात यहीं िैठना पडता । "
63 64
यव
ु क ने हूँसकर कहा, "अि आप मझ
ु े क्या इनाम दें गे ? "ककसान ने गिंभीर भाव से
कहा, "नारायण चा ें गे65 तो दीवानी आपको ही लमलेगी ।"
66 67 68
महीना परू ा हुआ और चनु ाव का ददन आ पहुूँचा। उम्मीदवार प्राि:िाल से अपनी-
69
अपनी ककथमत का फैसला सन ु ने के ललए उत्सि
ु थे। ददन काटना पहाड हो गया। प्रत्येक के
चेहरे पर आिा70 और ननरािा71 के रं ग आते-जाते थे। नहीं मालूम, आज ककसके नसीब72
जागें गे?
संध्या समय राजा साहि का दरबार73 सजाया गया । शहर के रईस74, राज कमयचारी,
दरबारी75 तथा दीवानी के उम्मीदवारों के समूह सज-धज िर76 दरिार में पधारे । उम्मीदवारों
के िलेजे धडि77 रहे थे।
ति सरदार सुजानलसंह ने खडे होकर कहा, "दीवानी के उम्मीदवार महाशयों, मैंने आप
लोगों को जो कष्ट ददया है , उसके ललए मुझे क्षमा78 कीस्जए। इस पद के ललए ऐसे पुरुर् की
आवश्यकता थी स्जसके ह्दद्य में दया हो और साथ-साथ आत्मबल79। इस ररयासत को
सौभाग्य80 से ऐसा पुरुर् लमल गया है । ऐसे गण 81
ु वान संसार में िहुत कम हैं। मैं ररयासत
को पंडडत जानकीनाथ-सा दीवान पाने पर बधाई82 दे ता हूूँ।
21
सरदार साहि ने कफर फ़रमाया83, "आप लोगों को यह थवीकार करने में कोई आपवत्त न
होगी कक जो व्यस्क्त थवयं जख्मी84 होकर एक गरीि ककसान की भरी हुई गाडी को दलदल85
से तनकालकर नाले के ऊपर चढा दे , उसके ह्दद्य में साहस, आत्मिल और उदारिा86 का
वास87 है। ऐसा आदमी गरीिों को कभी न सिाएगा88। उसका सिंिल्प89 दृढ़90 है , जो उसके
चचत्त91 को क्स्थर92 रखेगा। वह चाहे धोखा खा जाए परं तु दया और धमु93 से कभी न हटे गा।"
- प्रेमचिंद
(मुिंिी प्रेमचिंद िी मूल ि ानी िा सिंपाहदि रूप)
िब्दाथु /Vocabulary
49. frightened 50. courage 51. to overlook 52. group 53. person 54. heart
55. mercy.56. limping 57. suddenly 58. face 59. healthy body 60. courage
61. bending shoulders 62. to help somebody to get out of trouble 63. reward
64. serious note 65. If god wishes 66. selection 67. candidate 68. morning
69. eager 70. hope 71.disappointment 72. fortune 73. court 74. rich person
75. courtiers 76. well attired 77. beating heart 78. to forgive 79. will power
80 fortunately 81. virtuous 82. congratulation 83. said 84 injured 85. marsh
86 generosity 87 existence 88. to harass 89. resolution 90. firm 91. heart 92.
firm stable 93. religion
बोध प्रश्न
1 युवक ने ककसान की मदद ककस तरह की?
2 ककसान की िैलगाडी तनकालने के िाद यव
ु क ने ककसान से क्या पछ
ू ा और ककसान ने
उसका क्या जवाि ददया?
3 दीवान ककसे चन
ु ा गया? उसमें क्या-क्या गण
ु थे?
22
The subjunctive mood: The subjunctive mood is a form of verb which
represents the action not as a reality but as a wish, suggestion command,
possibility & condition.
It represents in short the action or state as conception of the mind
rather than a reality.
(i) Subjunctive verb expresses suggestion: e.g.
क्यों न नेपाल में पशुपततनाथ का मंददर दे खा जाए।
Why not, we may see Pashupati Nath’s temple in Nepal.
(ii) Subjunctive verb expresses possibility: e.g.
कहीं दफ्तर पहुूँचने में दे र न हो जाए।
Perhaps we may get dealyed in reaching office.
iii) Subjunctive verb expresses commaned e.g.
अततथथयों के रहने का प्रिंध ककया जाए।
The arrangement may be done for the stay of guests.
iv) Subjunctive verb expresses permission e.g.
क्या मैं अंदर आऊूँ?
May I come in?
(II) Present participle - (वतयमान काललक कृदं त)
Present participle can be used as an adverb e.g.
तुम काम करते हुए िातचीत मत करो।
Do not talk while doing work.
आप खाना खाते हुए टी.वी. न दे खें।
Don't watch television while taking food.
III (i) A relative pronoun is related to a Noun or a Pronoun occuring in
the main sentence, the relative itself occurs in a subordinate
sentence joining the two. Hindi has the Relative Pronoun 'जो' for
who, which, that, what.
i) वह पें लसल लमल गई जो खो गई थी।
The pencil has been found which was lost.
ii) We can transform the adjective in to relative clause e.g.
मुझे कायायलय के पास का मकान चादहए।
मुझे ऐसा मकान चादहए जो कायायलय के पास हो।
iii) We can also use 'मानो' in place of adjective 'जैस'े e.g.
वह ऐसे िोल रहा है जैसे सि जानता हो।
He speaks as if he knows everything.
वह ऐसे िोल रहा था मानो सि जानता हो।
23
Oral practice helps you to retain what you have learnt and allows you
to speak the language in appropriate situations. Practice the following:
स्थानापवत्त अभ्यास:
1. क्यों न नेपाल में काठमांडू दे खा जाए।
(पोखरा, पशुपततनाथ मंददर, लुंिनी शहर, कंचनजंघा पवयत श्रेणी)
2. कहीं दफ्तर पहुूँचने में दे र न हो जाए।+
(लसनेमा हॉल, थटे शन, कॉलेज)
3. अततथथयों के रहने का प्रिंध ककया जाए। (सोना, ठहरना, िैठना)
4. अि मैं आपसे क्या कहूूँ? (वह, तुम, वे)
5. गौतम गाना गाते हुए दफ्तर गया।
(नाश्ता खाते हुए, पान चिाते हुए, लसगरे ट पीते हुए, िाजार होते हुए)
रूपािंिरण
(ि) उदा रण :- तुम अथपताल जाओ। तम
ु कायायलय जाओ।
िुम अस्पिाल जािे ु ए िायाुलय जाओ।
1. आप काम करें । आप िातचीत न करें ।
2. तम
ु चाय वपयो। तम
ु अख़िार पढो।
3. सहायक तनयम दे खे। वह मामले का तनपटान करे ।
4. िच्चे टी.वी. दे खें। वे ख़ाना न खाएूँ।
5. मैं दटप्पणी ललखता हूूँ। मैं सझ
ु ाव भी दे ता हूूँ।
24
सिंवाद Communication
‘परीक्षा’ कहानी में दीवान सज
ु ानलसंह तथा पंडडत जानकीनाथ के स्जन गण
ु ों से आप
प्रभाववत हैं, उनकी चचाय करें ।
सारािंि (summary)
'परीक्षा' दहंदी के महान लेखक मुंशी प्रेमचंद की उत्कृष्ट कहातनयों में से एक है । इस
कहानी में रायगढ ररयासत के दीवान सरदार सुजान लसंह राजा से प्राथयना करते हैं कक वे
ढलती आयु के कारण अपने पद से सेवातनवत्त
ृ होना चाहते हैं। राजा साहि उनकी िात इस
शतय पर मानते हैं कक सज
ु ान लसंह ररयासत के ललए नया दीवान चन
ु ें गे।
िगुलों में हं स पहचानने हे तु सुजान लसंह एक हॉकी प्रततयोथगता आयोस्जत करते हैं।
प्रततयोथगता के िाद उम्मीदवार स्जस राथते से गुजरते हैं वहाूँ एक नाला था। सुजान लसंह
ककसान के भेर् में अपनी िैलगाडी को नाले से पार करने का भरसक प्रयत्न करते हैं ककंतु
गाडी को नाले के पार नहीं ले जा पाते। वहाूँ से गुजरने वाले उम्मीदवार उन्हें दे खकर भी
अनदे खा कर दे ते हैं। अंत में एक सदथय उम्मीदवार घायल होते हुए भी उनकी मदद करता
है । सुजान लसंह उसके आत्मिल, साहस एवं उदारता के कायल हो जाते हैं और उसी यव
ु क
पंडडत जानकीनाथ को भरी सभा में रायगढ का नया दीवान घोवर्त करते हैं।
इस कहानी में एक प्रशासक के ललए पुथतकीय ज्ञान की अपेक्षा आत्मिल, साहस एवं
उदारता जैसे मानवीय गुणों को प्रततथथावपत ककया है ।
इस पाठ के माध्यम से हमने संभाव्य भववष्यत काल, वतयमानकाललक कृदं त को कक्रया
ववशेर्ण के रूप में प्रयुक्त करना, संिंध वाचक सवयनाम आदद का प्रयोग सीखा।
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