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SUCCESS KEY TEST SERIES DATE: 16-09-19

IX (English)
(Unit Test -1 Hindi 1,2,3,4,5.) TIME: 1.30 hrs

Hindi-(1,2,3,4,5) MARKS: 40

SEAT NO:
.१ प र छे द पढ़कर द गई सच
ू नाओं के अनस
ु ार कृ तयाँ पण
ू क िजए - (ग य)
1) आकृ त पण ू क िजए 2
1. थानेदार ने अम को धमक द -              
2. कारण ल खए -
i. अम पर भीड़ अबतक नह ं टूट पड़ी थी -

अगर थानेदार और पु लस का सपाह वहाँ न होते तो अबतक अम पर भी टूट पड़ी होती | थानेदार ने आते
ह अम क कलाई पकड़ ल और पछ ू ा, “बोल, यह ब चा तन
ू े कहाँ से उठाया है और इसे तू कहाँ ले जा रहा
है ? बता कहाँ है तेरे साथी ? आज सबका सरु ाग लगाकर ह हटूँगा |” अम अब तक तो दल मे हँस रहा था
मगर थानेदार क धम कय से कुछ घबरा गया | दबी आवाज म वह थानेदार से बोला- “सरकार, मने कसी
का ब चा नह ं उठाया | न म बदमाश हूँ | म तो एक भले घर का नौकर हूँ | रोट -चौका करता हूँ और अपना
पेट पालता हूँ |”

जो आदमी थानेदार को बल ु कर लाया था, ोध म आकर बोला, “ य बकता है , बे !


दरोगा जी, ऐसे नह ं यह मानेगा | दो-चार बत रसीद क िजए |”दरोगा ने बगल से नकाल कर बत अपने हाथ
म ल ह थी क अम न तापव ू क झुका और बोला, “सरकार, आप िजतना चाह मझ ु े पीट ल, पहले यह तो
दे ख ल क इस बोर म है या ? हु म हो तो च लए थाने चल |” य य प थानेदार इस बात पर राजी हो गए
थे पर भीड़ कब मानने वाल थी | लोग च ला उठे , “हर गज नह ं, ऐसा कभी नह ं होगा | हम सब इस
आदमी क बदमाशी के गवाह ह | मामला कभी दबने नह ं दगे |” थानेदार दरु गए क उनक नीयत पर लोग
को शक हो रहा है | उ ह ने अम से कहा, “ अ छा, बोर को नीचे रखो | इसका मंहु खोलो |”

अम शां तपव ू क नीचे बैठ गया और धीरे धीरे से उसने बोर का मंह
ु खोल दया | जैसे ह
बोर का मँह
ु खल
ु ा ब ल का बलंगुड़ा छलाँग़ मारता हुआ एक तरफ भाग गया और लोग दे खते ह रह गए |
थानेदार क भी समझ म न आया क अब या कर ? वह थाने क तरफ मड़ ु ा और एक ताँगेवले क पीठ पर
बत मारते रा ते म ताँगा खड़ा नह ं करना चा हए |” इस कार अपनी झप मटाने का य न करते हुए दरोगा
जी चले गए और अम हँसता हुआ घर वापस आ गया |

2) 1. एक-एक वा य म उ तर ल खए: 2
थानेदार अम को कहाँ ले जाने के लए राजी हो गया ?

2. न न श द के लए न तैयार क िजए
बेत

3) 1. न न श द के समानाथ श द प र छे द से चन
ु कर ल खए: 2
i. राज –
ii. संदेह -

2. प र छे द म आए वराम चहन चन
ु कर उनके नाम ल खए
i.......................
ii. ....................

4) वमत 2
ाणी हमसे कहते ह, िजयो और जीने दो’ इस वषय पर अपने वचार ल खए |
. २ (अ) प र छे द पढ़कर द गई सच
ू नाओं के अनस
ु ार कृ तयाँ पण
ू क िजए - (प य)
1) संजाल पण
ू क िजए: 2

चा च क चंचल करण
खेल रह है जल – थल मे |
व छ चाँदनी बछ हुई है
अव न और अंबर तल मे ||

पल
ु क गत करती है धरती
ह रत तण
ृ क नोक से |
मानो झूम रहे है त भी
मंद पवन के झ क से ||

या ह व छ चाँदनी है यह
है या ह न बध नशा |
है व छं द – समु ंद गंध वह
नरानंद है कौन दशा ?

बंद नह ं, अब भी चलते है
नय त नट के काय-कलाप |
पर कतने एकांत भाव से
कतने शांत और चप ु चाप ||
2) 1. एक – एक श द म उ तर ल खए : 2

i. मंद पवन के झोक से यह झम


ू रहे ह -
ii. ह रत तण
ृ से यह पल
ु क उठती है |

2. पद से सबं धत न तैयार क िजए िजनके उ तर न न ल खत श द हो

i. चाँदनी
ii. नयती

3) दस
ू रे पढ़ का भावाथ सरल हंद म ल खए : 2
(आ) प ठत प यांश का सच
ू ना के अनस
ु ार व लेषण क िजए। (6)
कताब झाँकती ह बंद अलमार के शीश से,
बड़ी हसरत से तकती ह ।
मह न अब मल ु ाकात नह ं होतीं,
जो शाम उनक सोहबत म कटा करती थीं
अब अ सर ........

1) तत ु प यांश के क व का नाम या है ?
2) क वता क वधा या है ?
3) इस क वता म आपका पसंद दा यि त कौन है ?
4) पसंद यि त के पसंद दा होने का कारण ल खए ।
5) क वता से ा त संदेश ल खए ।
.३ प र छे द पढ़कर द गई सच
ू नाओं के अनस
ु ार कृ तयाँ क िजए - (परू क पठन)
1) कृ त पण
ू क िजए - 2

1) कबीर जी को जो वच लत नह ं कर सकती वो है –

2) कबीर जी के मतानस
ु ार बना ान के यथ है –

हम घर जारा अपना, लया मरु ाड़ा हाथ।


अब घर जार तासु का, जो चलै हमारे साथ।

हमन ह इ क म ताना, हमन को हो शयार या।


रह आजाद या जग से, हमन द ु नया से यार या।
जो बछुड़ै ह पयारे से, भटकते दर-बदर फरते।
हमारा यार है हम म, हमन को इंतजार या।

आसमान का आसरा छोड़ यारे ,


उल ट दे ख घट अपन जी।
तम
ु आप म आप तहक क करो,
तमु छोड़ो मन क क पना जी।

2) वमत अ भ यि तः- 2

हम घर जारा अपना, लया मरु ाड़ा हाथ।


अब घर जार तासु का, जो चलै हमारे साथ।
उपयु त प य का भावाथ प ट करो।

.४ याकरण
1. न न ल खत श द के वा य योग अ यय के प म क िजए। (2)
1) सामने

2) ओर

2. न न श द को सं ध व छे द कर भेद ल खए (1)
सोदाहरण -

3. काल पहचा नए (1)


मामला कभी दबने नह ं दगे ।

4. न न श द को मानक वतनी के अनस


ु ार ल खएः (2)
1) कुरते

2) कमसेकम

.५ उपयोिजत लेखन
1. प का ा प तैयार क िजए (5)
राजेश / रा गनी कुलकण , नेह रोड, अमरावती से मा। यव थापक, मौय बक
ु डेपो, को हापरु को प लखकर हंद क
आव यक पु तक क माँग करते हुए प लखता / लखती है |

2. न न ल खत ग यांश पढृकर पाँच ऐसे न तैयार क िजए िजनके उ तर एक-एक वा य मे हो| (5)
यह बात सभी जानते है क व व के १८५ दे श म इं लौड स हत केवल ६दे श क ह सरकार भाषा अँ ेजी साम य के अंतगत
रहे थे, जब क बना कर व भ न े ो म अपनी या त बढ़ा रहे है | परं तु दभ
ु ा य वश सरकार म बैठे क तपय वाथ लोग ने
अपने वाथ क खा तर रा भाषा को उसका जायज हक पाने से रोका और ऐसे लोग आज भी कम ताकतवर नह ं है | ह द
का मख ु वरोध अब तक द ण भारत म ह | हंद का मख ु वरोध अब तक द ण भारत म ह अहद क हुआ है | त मलनाडु
आधी राजी अपनी ादे शक भाषाओं और अँ ेजी म ह कामकाज करते ह| परं तु जब भी कभी हंद क बात उठती है , तो वे
उसके रा ते म हमेश कवाप डालते चले आ रहे है | यह भी वा त वकता है क द ण भरता म भी हंद सीख लेने वाल क
कानी नह ं है , जो इस बात क ए लए परू तरह तैयार है क याद कभी हंद का बोलबाला हो जाए और वह राजभाषा के पद पर
ति ठत हो जाए, ठो भी अ खल भारतीय सेवाओं म उनह का वच व कायम रह सके|

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