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भगवाना
भगवाना
ख़रबूज़े
स्वयं सौदे के लिए बाज़ार में बै ठ जाऊँगा
पत्नी: अरे हाँ लौटते समय बाज़ार से बच्चो के लिए कुछ मीठा ले ते हुए आना
बच्चे : हाँ बाबू हमारे लिए नचाने वाला लट् टू लाना लाओगे न ?
ओझा: अरे बाप रे ! ये तो बड़ा ज़हरीला सांप था जिससे की इसका पूरा शरीर कला पड़ चूका हैं । इसका ज़हर
उतारने केलिए नाग दे वता की पूजा तथा झाड़ फुक करनी पड़े गी
माँ : ज़िं दा आदमी नं गा भी रह सकता हैं परन्तु मु र्दे को नं गा कैसे विदा किया जाए। उसके लिए तो बजाज की
ू ान से नया कपडा लाना ही होगा चाहे उसके लिए मे रे और बाहु के छनि ककना ही क्यों न बिक जाए।
दक
माँ : बहु अब मैं तु म्हे खाने को क्या द ू तु महे तो ते ज़ बु खार हैं ख़रबूज़े तो खा नहीं सकती। ले किन तु म चिं ता न
करो अभी मैं ये खरबूजे बाज़ार में बे चकर खाने का कुछ इं तेज़ाम करती हँ ।ू अपना और बच्चो का ख्याल रखना।
ू ान लगा के बै ठी हैं ।
कमें टर: दे खो क्या ज़माना हैं ? जवान बे टे को मरे हुए दो दिन नहीं बिता और ये बे हया दक
कमें टर: अरे ये कमीने लोग रोटी के टु कड़े पर जान दे ते हैं । इनके लिए बीटा बे टी खसम लु गाई धर्म ईमान सब
रोटी का टु कड़ा है ।
ले खक: अरे तु म लोग उसे क्या बोल रहे हो वो बिचारि दुखी हैं , गरीब माँ हैं । पिछले साल हमारे पड़ोस में एक
सं भर् ांत महिला के पु तर् की मृ त्यु हो गयी थी उसे हर पांच दस मिनट पे मूर्छा आती थी उसके सिरहाने दो दो
डॉक्टर बै ठे रहते थे क्योंकि उसके पास पै सा था इसलिए शहर भर के लोग द्रवित थे ।
ले खक: ये सब पै से का खे ल हैं
सं भर् ांत लोगों को ही दुःख का अधिकार हैं , गरीब लोगों के पास दुःख मनाने का अधिकार भी नहीं हैं ।