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गीताशास्त्रमिदं-WPS Office
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एकं शा ं दे वक पु गीतम्।
एको दे वो दे वक पु एव ।
एको म त य नामा न या न।
कमा येकं त य दे व य सेवा ॥
आज के युग म लोग एक शा , एक ई र, एक धम तथा एक वृ के
लए अ य त उ सुक ह। अतएव एकं शा ं दे वक पु गीतम्—के वल
एक शा भगव ता हो, जो सारे व के लए हो। एको दे वो
दे वक पु एव—सारे व के लए एक ई र हो— ीकृ ण। एको
म त य नामा न या न—और एक म , एक ाथना हो—उनके नाम
का क तन हरे कृ ण, हरे कृ ण, कृ ण कृ ण, हरे हरे। हरे राम, हरे राम,
राम राम, हरे हरे। कमा येकं त य दे व य सेवा—के वल एक ही काय
हो—भगवान् क सेवा। (गीता माहा य ७)