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5e802-Current-Affairs July 2022 Hindi 2022
5e802-Current-Affairs July 2022 Hindi 2022
1.3. वििेशी योगिान विवनयमन अविवनयम (Foreign Contribution Regulation Act: FCRA) .................................... 11
1.5. वसविल सेिा प्रवशक्षण संस्थानों के वलए राष्ट्रीय मानक (National Standards for Civil Service Training Institutions:
NSCSTI) ..................................................................................................................................................... 16
1.6. प्रेस एिं पविका पंजीकरण वििेयक (Registration of Press and Periodicals Bill) ............................................. 18
2. अंतरा़िष्ट्रीय संबि
ं (International Relations) 24
2.1. भारत- इजरायल- संयुक्त अरब अमीरात- संयुक्त राज्य अमेररका (I2U2) {India- Israel- United Arab Emirates - USA
(I2U2)} ........................................................................................................................................................ 24
2.2. चीन पादकस्तान आर्थ़िक गवलयारा (China Pakistan Economic Corridor: CPEC) ............................................ 26
3. अथ़िव्यिस्था (Economy) 32
3.1. िस्तु और सेिा कर (GST) के पांच िष़ि पूरे हुए {Five Years of Goods and Services Tax (GST)} ...................... 32
3.4. वित्तीय सेिा संस्थान ब्यूरो (Financial Services Institution Bureau: FSIB) .................................................... 39
3.9. विद्युत वितरण कं पवनयों (वडस्कॉम्स) के वलए पुनोत्थान वितरण क्षेि योजना {Revamped Distribution Sector Scheme
(RDSS) for DISCOMS} ............................................................................................................................... 49
3.10. भारत की जैि-अथ़िव्यिस्था ररपोट़ि 2022 (India’s Bioeconomy Report 2022) ................................................ 52
3.11. प्रिान मंिी सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारीकरण (PMFME) योजना {Pradhan Mantri Formalisation of Micro
Food Processing Enterprises (PMFME) Scheme} ...................................................................................... 55
3.12. प्रारूप कॉिी (संिि़िन और विकास) वििेयक, 2022 {Draft Coffee (Promotion and Development) Bill, 2022} ... 58
4. सुरक्षा (Security) 70
4.1. पूिोत्तर में विद्रोह का सीमा-पारीय संपक़ि (Trans-border Linkages to North-East Insurgency) ......................... 70
4.3. िन-शोिन वनिारण अविवनयम (Prevention of Money Laundering Act: PMLA) ............................................ 74
5. पया़ििरण (Environment) 79
5.1. IPBES आकलन ररपोट़ि: िन्य प्रजावतयों का संिारणीय उपयोग (IPBES Assessment Report: Sustainable Use of
Wild Species) .............................................................................................................................................. 79
5.3. बच्चों पर जलिायु पररित़िन का प्रभाि (Impact of Climate Change on Children) .............................................. 84
6.1. राष्ट्रीय वशक्षा नीवत (NEP), 2020 {National Education Policy (NEP), 2020}.............................................. 102
6.1.1. भारत में उच्चतर वशक्षा की गुणित्ता (Quality of Higher Education in India) ............................................. 105
6.2. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सूचकांक के वलए राज्य रैं ककं ग सूचकांक {State Ranking Index (SRI) for National Food Security
Index} ........................................................................................................................................................ 107
6.3. प्रारूप राष्ट्रीय दिव्यांगजन नीवत {Draft National Policy on Persons with Disabilities (PwDs)} ....................... 110
6.4. प्रिान मंिी स्ट्ीट िेंडस़ि आत्मवनभ़िर वनवि (पी.एम. स्िवनवि) (Prime Minister Street Vendors Atmanirbhar Nidhi:
PM SVANidhi) ........................................................................................................................................... 113
7.3. राष्ट्रीय डोशपंग रोिी अविवनयम, 2022 (National Anti-Doping ACT, 2022) ................................................... 124
नोट:
वप्रय छािों,
करें ट अिे यस़ि को पढने के पश्चात् िी गयी जानकारी या सूचना को याि करना और लंबे समय तक स्मरण में रखना लेखों को
समझने वजतना ही महत्िपूण़ि है। मावसक समसामवयकी मैगज़ीन से अविकतम लाभ प्राप्त करने के वलए, हमने वनम्नवलवखत नई
विशेषताओं को इसमें शावमल दकया है:
विवभन्न अििारणाओं और विषयों की आसानी से पहचान तथा उन्हें स्मरण में बनाए रखने के वलए मैगज़ीन
में बॉक्स, तावलकाओं आदि में विवभन्न रं गों का उपयोग दकया गया है।
पढी गई जानकारी का मूल्यांकन करने और उसे स्मरण में बनाए रखने के वलए प्रश्न एक महत्िपूण़ि उपकरण
हैं। इसे सक्षम करने के वलए हम प्रश्नों के अभ्यास हेतु मैगज़ीन में प्रत्येक खंड के अंत में एक स्माट़ि दक्वज़ को
शावमल कर रहे हैं।
विषय को सुगमता पूि़िक समझने और सूचना के प्रवतिारण को सुवनवश्चत करने के वलए विवभन्न प्रकार के
इन्िोग्रादिक्स को भी जोडा गया है। इससे उत्तर लेखन में भी सूचना के प्रभािी प्रस्तुतीकरण में मिि
वमलेगी।
सुर्ख़ियों में रहे स्थानों और व्यवक्तयों को मानवचि, तावलकाओं और वचिों के माध्यम से िस्तुवनष्ठ तरीके से
प्रस्तुत दकया गया है। इससे तथ्यात्मक जानकारी को आसानी से स्मरण रखने में मिि वमलेगी।
चुनौवतयों में से एक है। इसवलए, सहकाररता में Federation: NAFED): यह राज्यों में विपणन सहकारी सवमवतयों को उनके माके टटंग व्यिसाय
को विकवसत करने और उनके सिस्यों को बेहतर सेिाएं प्रिान करने में मिि करने के वलए
पेशि
े र विशेषज्ञता का अभाि पाया जाता है।
सहायता करता है।
• सहकारी बैंकों के समक्ष चुनौवतयां:
• राष्ट्रीय सहकारी विकास वनगम (National Co-operative Development Corporation:
o िोहरा विवनयमन: सहकारी बैंकों पर िो
तरीके से वनयंिण रखा जाता है। इनके ऊपर NCDC): इसकी स्थापना िष़ि 1963 में की गई थी। यह माके टटंग, प्रसंस्करण, भंडारण आदि से
स्टेट रवजस्ट्ार ऑि सोसाइटीज़ एिं भारतीय संबंवित योजनाओं में सहकारी सवमवतयों को सहायता प्रिान करता है। यह सहकारी चीनी,
ररज़ि़ि बैंक िोनों के विवनयमन लागू हैं। इसके सहकारी कताई और बुनाई वमलों की शेयर पूंजी के संबि
ं में ऋण और सवब्सडी सहायता प्रिान
पररणामस्िरूप विवनयमन में अस्पष्टता आती करता है।
है औए ये बैंक जिाबिेवहता की कमी से ग्रस्त • सुप्रीम कोट़ि द्वारा 97िें संिि
ै ावनक संशोिन अविवनयम, 2011 के कु छ प्राििानों को रद्द करना:
हो जाते हैं। इस अविवनयम के जररये सहकाररता को संरक्षण िेने के वलए अनुच्छेि 19(1)(c) में संशोिन और
o वबगडती बैलस ें शीट: कई सहकारी बैंकों के उनसे संबवं ित अनुच्छेि 43 B और भाग IX B को सवम्मवलत दकया गया था। न्यायालय ने
पास िावणवज्यक बैंकों की तुलना में अविक
घोषणा की दक संवििान का भाग IXB के िल तभी तक प्रभािी है, जब तक यह विवभन्न राज्यों
गैर-वनष्पादित पररसंपवत्तयां (NPAs) हैं। और कें द्र शावसत प्रिेशों में बहुराज्यीय सहकारी सवमवतयों से संबंवित है।
▪ उिाहरण के वलए, के रल में सहकारी o संवििान के भाग IXB में सहकारी सवमवतयों के पररचालन से संबंवित प्राििानों को
बैंकों का NPA 38% पर है, जबदक वनिा़िररत दकया है।
• लोकतांविक भािना को बढािा िेना: लोकतांविक भािना सहकाररता की आत्मा है। साथ ही, राजनीवतक प्रभाि को कम करने और सहकारी
सवमवतयों की समािेवशता को बढाने के वलए भी यह आिश्यक है। वनम्नवलवखत उपायों के ज़ररए िस्तुवनष्ठता और पारिर्श़िता को बढािा िेकर इसे
सुवनवश्चत दकया जा सकता है:
o सहकारी सवमवतयों को सूचना का अविकार अविवनयम, 2005 के िायरे में लाना।
o सहकारी सवमवतयों के वनिेशक को हर साल अपनी संपवत्त घोवषत करने के वलए बाध्य करना।
o सिस्यों के बीच उनके अविकारों के साथ-साथ सहकारी सवमवतयों के उद्देश्य के बारे में जागरूकता पैिा करना।
o मूल्य-आिाररत वशक्षा प्रिान करना, जो दकशोरािस्था से ही लोगों के बीच नैवतक व्यिहार और सहयोग की भािना सुवनवश्चत करती हो।
• बहुउद्देशीय सवमवतयों को बढािा िेना: बहुउद्देशीय सवमवतयां अपने सिस्यों की जरूरतों के बारे में एक संतुवलत और एकीकर त िरवष्टकोण अपनाते हुए
उन्हें पूरा कर सकती हैं। ऐसा करने के वलए, कमजोर और अक्षम सवमवतयों को समाप्त कर मजबूत एिं कु शल सवमवतयों के साथ उनका विलय कर
दिया जाना चावहए।
• बुवनयािी ढांचे का विकास: एक पारिशी, जिाबिेह और कु शल प्रणाली सुवनवश्चत करने के वलए विशेष रूप से गिनेंस, बैंककं ग और व्यिसायों का
वडवजटलीकरण करना।
• कु शल कम़िचारी: सहकारी सवमवतयों के कम़िचाररयों, स्कू लों, कॉलेजों, वििविद्यालयों, तकनीकी और व्यािसावयक संस्थानों के छािों को सहकाररता
का प्रवशक्षण प्रिान करना। साथ ही, सहकारी सवमवतयां बनाने के इच्छु क ऐसे लोगों को प्रवशक्षण िेना, वजन्हें सहकारी सवमवतयों से संबंवित
काय़िप्रणाली एिं अवनिाय़िताओं के बारे में जानकारी नहीं है।
• के . एस. पुट्टास्िामी बनाम भारत संघ के ऐवतहावसक मामले में सुप्रीम कोट़ि ने RTBF को अनुच्छेि 21 के तहत जीिन के अविकार के वहस्से के रूप में मान्यता िी
है।
• सुप्रीम कोट़ि ने स्पष्ट दकया था दक RTBF कु छ प्रवतबंिों के अिीन है। इसका तब उपयोग नहीं दकया जा सकता, जब प्रश्नगत सामग्री वनम्नवलवखत के वलए आिश्यक
हो:
o अवभव्यवक्त और सूचना की स्ितंिता के अविकार का प्रयोग;
o कानूनी िावयत्िों का अनुपालन;
o लोक वहत या लोक स्िास्थ्य के वलए दकए गए काय़ि का वनष्पािन;
o जनवहत के उद्देश्य से भंडारण;
o िैज्ञावनक या ऐवतहावसक अनुसंिान या सांवख्यकीय उद्देश्य; या
o कानूनी िािों का सत्यापन; आदि।
• भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है, जो विशेष रूप से RTBF का प्राििान करता हो। हालांदक, व्यवक्तगत डेटा संरक्षण वििेयक (PDPB)5, 2019 में
RTBF के वसद्ांत से संबंवित प्राििान शावमल थे। अब इस वििेयक को िापस ले वलया गया है।
o GDPR के विपरीत, व्यवक्तगत डेटा संरक्षण वििेयक के िल व्यवक्तगत डेटा के वनरं तर प्रकटीकरण को रोकने का प्राििान करता है, न दक
व्यवक्तगत डेटा को हटाने का।
• ित़िमान में सूचना प्रौद्योवगकी वनयम, 2011 वडवजटल डेटा को वनयंवित करने िाला कानून है। इसमें भी RTBF से संबंवित कोई ठोस प्राििान नहीं
है।
भुला दिए जाने के अविकार से जुडे मुद्दे
• डेटा का एक जगह नहीं होना: दकसी व्यवक्त का डेटा कई प्लेटिाम्स़ि, क्लाउड आदि पर वितररत रहता है। इसके कारण व्यवक्त द्वारा अनुरोि दकए
जाने पर उससे संबंवित संपण
ू ़ि डेटा को पूरी तरह से हटाना कािी करठन हो जाता है।
• काया़िन्ियन: अश्लील कं टेंट पर अंकुश लगाने और हटाने में सरकार की सिलता िर अत्यंत कम है। इस प्रकार RTBF को लागू करने की सिलता िर
को लेकर भी आशंका है।
• डेटा के िोबारा अपलोड होने का मुद्दा: RTBF व्यवक्तगत डेटा को पूरी तरह से हटाना सुवनवश्चत नहीं कर सकता, क्योंदक डेटा के पुन: अपलोड होने
की संभािना होती है। इसके अलािा, व्यािहाररक रूप से इस मुद्दे का समािान करने के वलए कोई तंि या प्रदक्रया भी मौजूि नहीं है।
• िाक् और अवभव्यवक्त की स्ितंिता: एक अत्यविक व्यापक RTBF को लागू करने के वलए इं टरनेट वनगरानी की आिश्यकता होगी। साथ ही, इसके
संबंि में दकसी विवशष्ट सामग्री को हटाने या उसकी वहस्ट्ी को री-राइट करने के वलए िेब सच़ि टूल या साइटों को बाध्य करना होगा। इससे िाक् और
अवभव्यवक्त की स्ितंिता भी प्रभावित हो सकती है।
आगे की राह
• अविकारों को संतवु लत करना: संसि और सुप्रीम कोट़ि को RTBF का गहन परीक्षण करना चावहए। साथ ही, वनजता और िाक् एिं अवभव्यवक्त की
स्ितंिता के प्रवतस्पिी अविकारों को संतुवलत करने के वलए कोई तरीका वनिा़िररत करना चावहए।
• डेटा संरक्षण: सरकार को डेटा के िुरुपयोग और लीके ज को रोकने के वलए एक मजबूत डेटा सुरक्षा नीवत तैयार करनी चावहए।
• डेटा को नष्ट करना: ऑनलाइन सच़ि टूल्स और बडे कम्प्यूटरीकर त प्लेटिॉम्स़ि को अपने काय़ि-वसद्ांतों में संशोिन करना चावहए तथा एक विवशष्ट समय
सीमा के बाि जानकारी को नष्ट करना चावहए। इस प्रकार RTBF और वनजता के अविकार को संतुवलत दकया जा सके गा।
• रूपरे खा: RTBF को लागू करने के वलए एक ढांचा विकवसत दकया जाना चावहए। इसमें दकसी व्यवक्त के जीिन की रक्षा, हमले ि बिनामी से सुरक्षा
आदि जैसी वस्थवतयों को रे खांदकत दकया जाना चावहए।
• RTBF और जनवहत के बीच संतल
ु न: यदि सूचना लोक वहत की है, तो जनता के सूचना के अविकार को RTBF की तुलना में अविक महत्ि दिया
जाना चावहए।
1.3. वििेशी योगिान विवनयमन अविवनयम (Foreign Contribution Regulation Act: FCRA)
वपछले कु छ िषों में, वित्तीय अवनयवमतताओं या अन्य कारणों से कई NGOs के पंजीकरण या तो रद्द कर दिए गए हैं या उनका निीनीकरण नहीं दकया
गया है (इन्िोग्रादिक्स िेखें)। इसमें कई िैविक गैर-सरकारी संगठन शावमल हैं। इसके कारण कई समस्याएं पैिा हुई हैं:
• राजनीवतक या िैचाररक मतभेिों के कारण गैर-सरकारी संगठनों को लवक्षत करने के आरोप लगे हैं। इसके चलते कई बार लाइसेंस िेने से मना कर
दिया जाता है।
• प्रशासवनक खचों को सीवमत करने और कानून के पालन के बढते बोझ के कारण कई सारे गैर-सरकारी संगठनों की काय़िप्रणाली प्रभावित हुई है।
• ित़िमान वनयमों के तहत आिार काड़ि प्रस्तुत करने, एक विशेष बैंक के खाते में िं ्स प्राप्त करने की अवनिाय़िता तथा िूसरे NGOs को िं ्स के
हस्तांतरण पर प्रवतबंि लगाया गया है। इसके चलते समानता के अविकार, वनजता के अविकार, संगठन बनाने की स्ितंिता आदि का उल्लंघन होता
है।
o उिाहरण के वलए- अन्य गैर-सरकारी संगठनों को िं ्स के हस्तांतरण पर रोक से गैर-सरकारी संगठनों के बीच सहयोग सीवमत हो जाता है।
• यह भारत के लोकतांविक मूल्यों और लोकाचार के वखलाि है, वजसमें अनेक वहतिारक समूह शावमल हैं। इन समूहों के बीच जागरूकता पैिा करने
और उनके अविकारों की सुरक्षा के वलए गैर-सरकारी संगठनों की भूवमका महत्िपूण़ि है।
आगे की राह
सुप्रीम कोट़ि ने FCRA की संिि
ै ावनक िैिता को बरकरार रखा है, क्योंदक वििेशी चंिा प्राप्त करने का अविकार वनरपेक्ष नहीं हो सकता है। संसि इसे
विवनयवमत कर सकती है। साथ ही, जिाबिेही के वलए वनयमों का पालन करना गैर-सरकारी संगठनों का नैवतक िावयत्ि है। हालांदक, वनम्नवलवखत उपायों
के ज़ररए व्यवक्तगत अविकारों की रक्षा करते हुए इन विवनयमों का उपयोग हमेशा व्यापक जनवहत के संिभ़ि में दकया जाना चावहए-
• गैर-सरकारी संगठनों से संबंवित डेटा का कु शल प्रबंिन आिश्यक है। इसके वलए पूरी तरह से पारिशी प्रदक्रया को अपनाना चावहए।
• सरल अनुपालन के वलए प्रौद्योवगकी का उपयोग करना चावहए।
• व्यवक्तयों या गैर-सरकारी संगठनों को सुनिाई का उवचत अिसर प्रिान करना चावहए।
• वद्वतीय प्रशासवनक सुिार आयोग (2nd ARC) की वसिाररश के अनुसार, राज्य/ स्थानीय सरकार की भागीिारी के वलए वजम्मेिाररयों को
विकें द्रीकर त करने/ सौंपने की आिश्यकता है।
हाल ही में, चार राज्यों (आंध्र प्रिेश, तवमलनाडु , उत्तर प्रिेश और असम) ने अपने दकरायेिारी कानूनों को संशोवित दकया है। ये संशोिन इन राज्यों के
कानूनों को मॉडल टेनेंसी एक्ट (MTA) के अनुरूप बनाने के वलए दकए गए हैं।
मॉडल टेनस
ें ी एक्ट (MTA), 2021 के बारे में
• आिासन और शहरी काय़ि मंिालय (MoHUA) ने MTA, 2021 को मंजरू ी िे िी है। इस अविवनयम का उद्देश्य सभी राज्यों और कें द्र शावसत प्रिेशों
में दकसी पररसंपवत्त को दकराये पर लेने की प्रदक्रया को सरल एिं कारगर बनाना है। साथ ही, इसका उद्देश्य ररयल एस्टेट क्षेिक में दकराया
अथ़िव्यिस्था को सहयोग प्रिान करना है।
सकता है। हालांदक, यह पहले से मौजूि वडवजटल साक्षरता में अंतराल • अिोडेबल रें टल हाउशसंग कॉम्प्लेक्स (ARHCs): आिास और शहरी काय़ि
को िूर करने में सक्षम नहीं है और विशेष रूप से यह अनौपचाररक क्षेिक मंिालय (MoHUA) ने शहरी प्रिावसयों / गरीबों के वलए ARHCs को
में दकरायेिारों को बाजार तक समान पहुंच प्रिान करने में भी असमथ़ि है। शुरू दकया है। इसे प्रिान मंिी आिास योजना (PMAY-शहरी) के तहत
• दकराया से संबवं ित भेिभाि: यह अविवनयम दकरायेिारों को दकराये से एक उप-योजना के रूप में आरं भ दकया गया है।
संबवं ित भेिभाि से बचाने में वििल है। इस तरह के भेिभाि का अनुभि o इसका लक्ष्य ‘आत्मवनभ़िर भारत’ के विज़न को साकार करना है।
अक्सर अवििावहतों, अवििावहत जोडों, मांसाहारी लोगों, िवमतों, • PMAY-शहरी: इस योजना को MoHUA द्वारा लागू दकया जा रहा है।
िार्म़िक अल्पसंख्यकों, ट्ांसजेंडर व्यवक्तयों और लैंवगक अल्पसंख्यकों यह योजना मवलन बवस्तयों में रहने िाले, EWS / LIG (वनम्न आय
सवहत विवभन्न समूहों द्वारा दकया जाता है। समूह) और MIG (मध्यम आय समूह) श्ेवणयों के लोगों से संबंवित शहरी
• गैर-बाध्यकारी प्रिरवत्त: चूंदक भूवम और शहरी विकास राज्य सूची के आिास की कमी का समािान करती है। इस योजना का लक्ष्य सभी पाि
विषय हैं, इसवलए यह कानून राज्यों के वलए बाध्यकारी नहीं है। सभी शहरी पररिारों को िष़ि 2022 तक पक्का मकान उपलब्ि कराना है।
राज्यों और संघ शावसत प्रिेशों के पास अपने मौजूिा अविवनयमों को • ग्लोबल हाउशसंग टेक्नोलॉजी चैलज
ें - इं वडया (GHTC-India): यह
वनरस्त या संशोवित करने का विकल्प है। MoHUA की पहल है। इसका उद्देश्य आिास वनमा़िण क्षेि के वलए िुवनया
o जैस,े RERA6 के मामले में यदि कोई राज्य इसके दिशा-वनिेशों का भर से निाचारी भिन वनमा़िण प्रौद्योवगदकयों (संिारणीय, पया़ििरण-
पालन नहीं करने के विकल्प का चयन करता है तो इससे मॉडल अनुकूल और आपिा प्रत्यास्थ) की पहचान करना और उसे मुख्यिारा में
शावमल करना है।
एक्ट का मतलब ही खत्म हो जाता है।
आगे की राह
• संतल
ु नकारी िरवष्टकोण: सरकार को एक समािेशी िरवष्टकोण अपनाना चावहए। इसके वलए दकरायेिारों के सामावजक कल्याण और जमींिारों के
आर्थ़िक वहतों को संतुवलत करने का एक तरीका अपनाया जाना चावहए।
1.5. वसविल सेिा प्रवशक्षण संस्थानों के वलए राष्ट्रीय मानक (National Standards for Civil Service Training Institutions: NSCSTI)
NSCSTI के उद्देश्य:
• समन्िय का अभाि: प्रवशक्षण काय़िक्रमों की विषय-िस्तु हमेशा प्रवशक्षुओं के वलए प्रासंवगक और साथ़िक नहीं होती है। इसके अलािा, प्रवशक्षण संबि
ं ी
विषय-िस्तु और प्रवशक्षुओं की िास्तविक वनयुवक्त के बीच कोई संबि
ं नहीं होता है। साथ ही, कई प्रवशक्षण एजेंवसयों के प्रवशक्षण काय़िक्रमों और
व्यिवस्थत कररयर संबंिी विकास की आिश्यकताओं के मध्य समन्िय का अभाि होता है।
• प्रवशक्षण की पद्वत: अविकांश मामलों में प्रवशक्षण संस्थान प्रवशक्षण की पारं पररक लेक्चर पद्वत का पालन करते हैं। इनके द्वारा प्रवशक्षण के नए
और आिुवनक तरीकों को आसानी से नहीं अपनाया जाता है। अब भी, अविकांश संस्थानों में संपूण़ि प्रवशक्षण का लगभग 80% लेक्चर पद्वत के
ज़ररए प्रिान दकया जाता है।
• खराब मूल्यांकन: प्रवशक्षण प्रणाली का वशक्षा और अनुसि
ं ान से कोई जुडाि नहीं है। साथ ही, प्रशासन में िक्षता सुवनवश्चत करने में प्रवशक्षण संबंिी
प्रयासों और प्रवशक्षण पररणामों का व्यिवस्थत मूल्यांकन नहीं दकया जाता है।
आगे की राह
वसविल सेिा प्रवशक्षण संस्थानों के वलए राष्ट्रीय मानकों के साथ-साथ वनम्नवलवखत क्षेिों को भी प्राथवमकता िी जा सकती है:
• 4E पर ध्यान कें दद्रत करना: प्रवशक्षण संस्थानों में एम्पािड़ि लर्निंग, इिे वक्टि लर्निंग, एक्सप्लोरे टरी लर्निंग और इलेक्ट्ॉवनक लर्निंग के माध्यम से
वसविल सेिकों को प्रवशवक्षत करना चावहए। साथ ही, वसविल सेिकों के स्ि-मूल्यांकन की प्रदक्रया विकवसत करनी चावहए।
• नॉन-परिॉम़िस़ि को हटाना: काय़ि न करने िाले वसविल सेिकों को बखा़िस्त कर दिया जाना चावहए या उन्हें समयपूि़ि सेिावनिरवत्त िी जानी चावहए।
इससे वसविल सेिकों में आत्मसंतवु ष्ट पर अंकुश लगाने, प्रवतस्पिी भािना को बढािा िेने और कु शल ि पररणामोन्मुखी िरवष्टकोण विकवसत करने में
मिि वमलेगी।
• मध्य-कररयर प्रवशक्षण: काय़िक्षि
े संबि
ं ी ज्ञान और क्षमता विकवसत करने के वलए मध्य-कररयर प्रवशक्षण की आिश्यकता है।
• मध्य-कररयर प्रवशक्षण वसविल सेिकों को उनके कररयर के वनर्ि़िष्ट चरण में, आने िाली चुनौवतयों का समािान करने में प्रवशवक्षत करे गा।
• वनगरानी: राष्ट्रीय प्रवशक्षण नीवत के काया़िन्ियन की वनगरानी के वलए एक वनगरानी तंि स्थावपत दकया जाना चावहए।
वसविल सेिकों के कामकाज में सुिार के वलए की गई पहलें
• वमशन कम़ियोगी: यह एक एकीकर त सरकारी ऑनलाइन प्रवशक्षण (iGOT) प्लेटिॉम़ि है। इसकी तहत सभी सरकारी कम़िचाररयों को उनकी रैं क को ध्यान में रखे
वबना उनके काय़ि क्षेिों के आिार पर वनरं तर प्रवशक्षण प्रिान दकया जाता है।
o इसका उद्देश्य न्यू इंवडया के विज़न के अनुसार एक उवचत िरवष्टकोण, कौशल और ज्ञान के साथ ‘भविष्य के वलए तैयार’ वसविल सेिा का वनमा़िण करना है।
• आरं भ (Aarambh): इसे भारत सरकार ने शुरू दकया है। यह वसविल सेिकों के प्रवशक्षण के वलए प्रथम कॉमन िाउं डेशन पाठ्यक्रम है।
1.6. प्रेस एिं पविका पंजीकरण वििेयक (Registration of Press and Periodicals Bill)
1.7.1. सं स िीय सवमवतयों के काय़ि काल को बढाने का सु झाि (Increasing Tenure of House Committees)
• राज्य सभा सवचिालय पर पहले व्यापक अध्ययन में एक काय़ििल ने राज्यसभा के सभापवत को अपनी वसिाररशें प्रस्तुत की हैं।
• प्रमुख वसिाररशें:
o वस्थरता और वनरं तरता सुवनवश्चत करने के वलए संसिीय स्थायी सवमवतयों (PSC) के काय़िकाल को 1 िष़ि से बढाकर 2 िष़ि दकया जाना
चावहए।
o संसि में 'सवमवत काल' (Committee Hour) शुरू दकया जाना चावहए। इस वनिा़िररत समय में ररपोटों के विषयों के व्यापक विस्तार को िेखते
हुए प्रमुख ररपोटों पर चचा़ि की जा सकती है।
o उद्योग और िावणज्य पर मौजूिा सवमवतयों का विलय कर िेना चावहए। साथ ही, पय़िटन तथा संस्कर वत भी पर एक नई सवमवत का गठन दकया
जाना चावहए।
o विभागीय स्थायी सवमवतयों (DRSCs) की िचुअ
़ि ल बैठकें आयोवजत करने पर विचार दकया जाना चावहए। आिुवनक तकनीकों के आने तथा
अन्य िेशों की वििावयकाओं में दकये जा रहे प्राििानों को िेखते हुए ऐसा दकया जा सकता है।
o राज्यसभा सवचिालय के वलए वसिाररशें:
▪ सभी ररवक्तयों को भरा जाना चावहए।
▪ सवचि स्तर के कायों को सुव्यिवस्थत दकया जाना चावहए। इसमें 75% मुद्दों का वनचले और मध्यम स्तर पर वनपटान करना शावमल है।
• राज्यसभा सवचिालय की स्थापना संवििान के अनुच्छेि 98 में वनवहत प्राििानों के अनुसार की गई है। अनुच्छेि 98 में संसि के प्रत्येक सिन के वलए
अलग-अलग सवचिालय स्तरीय कर्म़ियों का प्राििान दकया गया है।
o राज्यसभा सवचिालय, राज्यसभा के सभापवत के माग़ििश़िन और वनयंिण में काय़ि करता है।
o राज्यसभा सवचिालय के मुख्य काय़ि वनम्नवलवखत हैं:
• संसिीय सवमवत का अथ़ि एक ऐसी सवमवत से है, जो सिन द्वारा वनयुक्त या वनिा़िवचत या अध्यक्ष/ सभापवत द्वारा नावमत की जाती है और जो उसके वनिेशन में काय़ि
करती है। इसका अपना सवचिालय होता है। यह सवचिालय, लोक सभा/ राज्य सभा सवचिालय द्वारा उपलब्ि कराया जाता है।
o संसिीय सवमवतयां अपना प्राविकार संवििान के अनुच्छेि 105 और अनुच्छेि 118 से प्राप्त करती हैं।
o संसि, संसिीय सवमवतयों की वसिाररशें मानने के वलए बाध्य नहीं है।
• संसिीय सवमवतयों के प्रकार:
o स्थायी संसिीय सवमवतयां: वित्तीय सवमवतयां, विभागीय स्थायी सवमवतयां तथा अन्य सवमवतयां (स्थायी और वनयवमत सवमवतयां)।
o तिथ़ि सवमवतयां: वििेयकों पर चयन और संयुक्त सवमवतयां। ये सवमवतयां एक विशेष उद्देश्य के वलए वनयुक्त की जाती हैं तथा सौंपे गए काय़ि के समाप्त होने और
ररपोट़ि प्रस्तुत दकए जाने के बाि इनका अवस्तत्ि समाप्त हो जाता है।
• चुनाि आयोग (EC) ने ‘लोक प्रवतवनवित्ि अविवनयम, 1950’ में कानूनी संशोिन और ‘वनिा़िचक पंजीकरण वनयम, 1960’ में संशोिनों के
अनुपालन में वनम्नवलवखत पररित़िन दकए हैं-
o ऐसे युिा वजनकी आयु 17 िष़ि से अविक है, िे मतिाता सूची में अपना नाम िज़ि कराने के वलए अवग्रम आिेिन कर सकते हैं।
o मतिाता सूची को प्रत्येक वतमाही में अपडेट दकया जाएगा। साथ ही, पाि युिाओं को उस िष़ि की आगामी वतमाही में पंजीकर त दकया जा सकता
है, वजस वतमाही में उनकी आयु 18 िष़ि हुई है।
o इसमें आिार वििरण को िॉम़ि से जोडने का िैकवल्पक प्राििान भी दकया गया है।
• हाल ही में, प्रिान मंिी ने प्रथम अवखल भारतीय ‘वजला विविक सेिा प्राविकरण’ (DLSA) बैठक के उद्घाटन सि को संबोवित दकया।
• DLSA, विविक सेिा प्राविकरण अविवनयम (LSA), 1987 के तहत स्थावपत दकए गए हैं। इनके वनम्नवलवखत उद्देश्य हैं:
o वनिःशुल्क कानूनी सहायता प्रिान करना; लोक अिालतों ि कानूनी साक्षरता वशविरों का आयोजन करना आदि।
o यह सुवनवश्चत करना दक आर्थ़िक वस्थवत खराब होने के कारण दकसी भी नागररक को न्याय प्राप्त करने और मौवलक अविकार का उपयोग करने
के अिसरों से िंवचत न दकया जाए।
• िेश में कु ल 676 वजला विविक सेिा प्राविकरण हैं। इसका प्रमुख वजला न्यायािीश
होता है। िह इन प्राविकरणों के अध्यक्ष के रूप में काय़ि करता है।
• DLSA राष्ट्रीय विविक सेिा प्राविकरण (NALSA) द्वारा आयोवजत लोक अिालतों
को विवनयवमत करके अिालतों पर बोझ कम करने में भी योगिान करते हैं।
o लोक अिालत एक िैकवल्पक वििाि समािान तंि है। इसे विविक सेिा
प्राविकरण अविवनयम के तहत सांविविक िजा़ि दिया गया है।
• विविक सेिा प्राविकरण अविवनयम, 1987 के बारे में
o यह कानून समान विशेषताओं िाले एक राष्ट्रव्यापी नेटिक़ि को स्थावपत करने के
वलए बनाया गया था, तादक कमजोर िगों को वनशुल्क और बेहतर कानूनी
सेिाएं प्रिान की जा सके ।
▪ संवििान का अनुच्छेि 39A समाज के गरीब और कमजोर िगों के वलए
वनिःशुल्क कानूनी सहायता का प्राििान करता है। साथ ही, सभी के वलए
न्याय सुवनवश्चत करता है।
o NALSA का गठन विविक सेिा प्राविकरण अविवनयम के तहत दकया गया है।
इसके वनम्नवलवखत उद्देश्य हैं:
▪ कानूनी सहायता काय़िक्रमों के काया़िन्ियन की वनगरानी और मूल्यांकन
करना तथा
▪ अविवनयम के तहत कानूनी सेिाएं उपलब्ि कराने के वलए नीवतयों और वसद्ांतों का वनिा़िरण करना।
o क्षेिीय और विषय िस्तु आिाररत क्षेिाविकार के आिार पर, वन:शुल्क कानूनी सेिाएं/ सहायता करने िाले प्राविकरणों को इन्िोग्रादिक्स में
दिखाया गया है।
1.7.5. िष़ि 2022 से नागररकों के वलए टे ली-लॉ से िा को वनिःशु ल्क दकया जा रहा है (Tele-law service to be made free
of cost for citizens from 2022)
• न्याय विभाग और राष्ट्रीय विविक सेिा प्राविकरण (NALSA/ नालसा) ने कानूनी सेिाओं के एकीकर त वितरण पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
दकए हैं।
o इस समझौते के अनुसार, नालसा प्रत्येक वजले में के िल टेली-लॉ काय़िक्रम के वलए 700 िकीलों की सेिाएं प्रिान करे गा।
o पैनल में शावमल ये िकील रे िरल िकीलों के रूप में भी काम करें गे। ये मुकिमेबाजी से पहले के चरण में वििाि से बचने में सहायता करें ग।े साथ
ही, ये वििाि समािान तंि को भी मजबूत करेंग।े
• टेली-लॉ पहल िष़ि 2017 में विवि और न्याय मंिालय के अंतग़ित न्याय विभाग ने शुरू की थी। यह पहल एक वििसनीय और कु शल ई-इं टरिे स
प्रिान करती है। यह मुकिमेबाजी से पहले वििाि समािान के उपाय भी सुझाती है।
• उच्चतम न्यायालय ने जैन समुिाय के एक उप-संप्रिाय द्वारा संवििान के अनुच्छेि 32 के तहत िायर एक यावचका को खाररज कर दिया है। इस
यावचका में जैन समुिाय के एक संप्रिाय द्वारा, उसी िम़ि के एक अन्य संप्रिाय द्वारा अपने िार्म़िक स्थानों के कवथत रूपांतरण के वखलाि ‘उपासना
स्थल (विशेष प्राििान) अविवनयम’, 1991 को लागू करने की मांग की गई थी।
• िष़ि 1991 का यह अविवनयम दकसी भी उपासना स्थल के रूपांतरण पर रोक लगाता है। साथ ही, यह दकसी भी उपासना स्थल के उस िार्म़िक
चररि को बनाए रखने के वलए प्राििान करता है, जैसा यह 15 अगस्त, 1947 को था।
• अविवनयम के प्रमुख प्राििान
o िारा 3: यह दकसी भी िार्म़िक संप्रिाय के उपासना स्थल को पूण़ि या आंवशक रूप से, एक अलग िार्म़िक संप्रिाय के उपासना स्थल में बिलने
पर रोक लगाती है। यहां तक दक यह एक ही िार्म़िक संप्रिाय के एक अलग खंड में रूपांतरण को भी रोकती है।
o िारा 4(2): इस अविवनयम के प्रारं भ पर, 15 अगस्त, 1947 को विद्यमान दकसी भी उपासना स्थल के िार्म़िक स्िरूप के पररित़िन के संबंि में
दकसी भी अिालत के समक्ष लंवबत कोई भी मुकिमा या कानूनी काय़ििाही समाप्त हो जाएगी। साथ ही, कोई नया मुकिमा या कानूनी काय़ििाही
शुरू नहीं की जाएगी।
• महत्ि
o इस कानून के माध्यम से, राज्य ने सभी िमों की समानता ि पंथवनरपेक्षता को बनाये रखने के वलए एक संिैिावनक प्रवतबद्ता को लागू दकया
है। साथ ही, अपने संिैिावनक िावयत्िों को व्यिहार में लाने का प्रयास दकया है।
o यह िारा भारत के िम़िवनरपेक्ष मूल्यों की एक अवनिाय़ि विशेषता के रूप में प्रवतगमन (पुरानी-वस्थवत में िापस लौटना) को रोकती है। इसका
मतलब है दक लोगों को प्राप्त अविकारों का अब कोई प्रवतगमन नहीं होना चावहए।
1.7.7. पररिार न्यायालय (सं शोिन) वििे य क, 2022 {The Family Courts (Amendment) Act, 2022}
• लोक सभा ने ‘वहमाचल प्रिेश’ और ‘नागालैंड’ में पहले से स्थावपत पररिार न्यायालयों को िैिावनक िजा़ि प्रिान करने के वलए एक वििेयक पाररत
दकया है।
• यह वििेयक ‘पररिार न्यायालय अविवनयम, 1984’ में संशोिन करता है। इस अविवनयम में ‘पररिार’ और ‘वििाह’ से संबवं ित वििािों से वनपटने
के वलए राज्यों द्वारा ‘पररिार न्यायालयों’ की स्थापना का प्राििान दकया गया है।
o विवभन्न राज्यों में इस अविवनयम के लागू होने की तारीखों को अविसूवचत करने का अविकार कें द्र सरकार के पास है।
o वहमाचल प्रिेश और नागालैंड ने इस अविवनयम के तहत अपने राज्यों में पररिार न्यायालयों की स्थापना की है। हालांदक, कें द्र सरकार ने इन
राज्यों में अविवनयम के अनुप्रयोग का विस्तार नहीं दकया है।
1.7.8. कें द्रीय उपभोक्ता सं र क्षण प्राविकरण {Central Consumer Protection Authority (CCPA)}
• कें द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राविकरण (CCPA) की स्थापना के िो िष़ि पूरे हुए।
• CCPA की स्थापना उपभोक्ता संरक्षण अविवनयम (CPA), 2019 के तहत की गई है। इसका गठन उपभोक्ताओं के अविकारों को बढािा िेने, उनकी
रक्षा करने और उन्हें लागू करने के वलए दकया गया है।
o उपभोक्ता संरक्षण अविवनयम (CPA), 2019 ने उपभोक्ता संरक्षण अविवनयम, 1986 का स्थान वलया है। उपभोक्ताओं की शचंताओं को िूर
करने के वलए अविवनयम के िायरे का विस्तार दकया गया है।
• कें द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राविकरण (CCPA) के बारे में
o यह वनम्नवलवखत के द्वारा उपभोक्ता के अविकारों की रक्षा करता है:
▪ अनुवचत व्यापार प्रथाओं को वनयंवित करके तथा
▪ जनता के वहतों को नुकसान पहुंचाने िाले झूठे और भ्रामक विज्ञापनों पर प्रवतबंि लगाकर।
o इसके पास वनम्नवलवखत अविकार भी हैं:
▪ उपभोक्ता अविकारों के उल्लंघन की जांच करना,
▪ असुरवक्षत िस्तुओं और सेिाओं को िापस लेने का आिेश िेना,
▪ अनुवचत व्यापार प्रथाओं और भ्रामक विज्ञापनों को बंि करने का आिेश िेना,
हाल ही में, I2U2 (भारत, इजरायल, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेररका) िेशों के नेताओं के प्रथम िचु़िअल वशखर सम्मेलन का आयोजन
संपन्न हुआ।
इस वशखर सम्मेलन की प्रमुख विशेषताओं पर एक नजर:
विशेषताएं वििरण
खाद्य सुरक्षा • संयुक्त अरब अमीरात संपूण़ि भारत में एकीकर त खाद्य पाकों की एक श्रंखला विकवसत करने के वलए 2 वबवलयन डॉलर का वनिेश
करे गा। यह खाद्य अपव्यय और इसके खराब होने की िर को कम करे गा। साथ ही, यह ताजे जल के संरक्षण के वलए जलिायु
अनुकूल प्रौद्योवगदकयों को भी पररवनयोवजत करे गा।
निीकरणीय • गुजरात में एक हाइवब्रड निीकरणीय ऊजा़ि पररयोजना की स्थापना की जाएगी। इस पररयोजना में 300 मेगािाट (MW) की पिन
ऊजा़ि और सौर ऊजा़ि क्षमता शावमल है। इसके वलए पूरक के तौर पर बैटरी ऊजा़ि भंडारण प्रणाली की व्यिस्था की जाएगी।
• इससे भारत को िष़ि 2030 तक 500 गीगािाट (GW) गैर-जीिाश्म ईंिन क्षमता के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता
वमलेगी।
एम िॉर • इन िेशों के नेताओं ने एग्रीकल्चर इनोिेशन वमशन िॉर क्लाइमेट इवनवशएरटि (AIM िॉर क्लाइमेट) में अमेररका, संयुक्त अरब
क्लाइमेट अमीरात और इजरायल के साथ शावमल होने की भारत की रुवच का स्िागत दकया है।
• इस पहल का उद्देश्य कर वष उद्योग के वलए पेररस समझौते में वनिा़िररत लक्ष्य को पूरा करने में मिि करना है। इस समझौते में िैविक
तापन को पूि-़ि औद्योवगक स्तरों से 1.5 वडग्री सेवल्सयस तक सीवमत करने का लक्ष्य वनिा़िररत दकया गया है।
बीच अब्राहम समझौते के अनुसरण में अक्टूबर 2021 में दकया गया था। • अब्राहम समझौता, इजरायल और कई अरब िेशों के मध्य शांवत
इस मंच को समुद्री सुरक्षा, बुवनयािी ढांचे और पररिहन से संबंवित मुद्दों समझौतों की एक शरंखला है। यह समझौता सबसे पहले संयुक्त
अरब अमीरात के साथ हस्ताक्षररत दकया गया था।
से वनपटने के वलए प्रस्तुत दकया गया था।
o इसे एक अंतरा़िष्ट्रीय मंच के रूप में स्थावपत दकया गया है। इसके o िष़ि 2020 में, संयक्त
ु राज्य अमेररका के मध्यस्थता के बाि
उद्देश्यों में वनम्नवलवखत शावमल हैं: इस समझौते को संयक्त
ु अरब अमीरात, बहरीन और
▪ पारस्पररक वहतों के साझा क्षेिों पर चचा़ि करना; इजरायल के मध्य लागू दकया गया था।
▪ व्यापार में आर्थ़िक साझेिारी को मजबूत करना; तथा • 'अब्राहम' नाम िुवनया के तीन प्रमुख िमों - इस्लाम, ईसाई िम़ि
▪ संबंवित क्षेिों और अन्य क्षेिों में वनिेश करना। और यहूिी िम़ि के एक ही परमेिर को संिर्भ़ित करता है।
o I2U2 को 'पवश्चम एवशयाई क्वाड' के रूप में भी जाना जाता है। • यह प्रतीकात्मक तौर पर प्रयोग दकया जाने िाला एक शीष़िक है,
o यह मुख्यतिः अथ़िव्यिस्था पर कें दद्रत है, इसमें सैन्य िरवष्टकोण शावमल जो साझा कु ल/िंश को मान्यता िेकर अरबी और यहूिी लोगों के
नहीं है। बीच एकता को बढािा िेता है।
• इसके तहत सहयोग के छह क्षेिों की पहचान की गयी है, वजसमें जल, ऊजा़ि, पररिहन, अंतररक्ष, स्िास्थ्य और खाद्य सुरक्षा शावमल हैं।
o I2U2 का लक्ष्य वनजी क्षेि की पूज
ं ी और विशेषज्ञता को जुटाना है। इसके उद्देश्य वनम्नवलवखत हैं-
▪ अिसंरचना का आिुवनकीकरण करना,
▪ उद्योगों के वलए कम काब़िन आिाररत विकास माग़ि प्रशस्त करना,
• शहंि महासागर: यह भारत, स्िेज नहर और िवक्षण अफ्रीका के बीच वस्थत पवश्चमी शहंि महासागर से सटे िेशों के साथ अविक से अविक संपक़ि को
सुगम बनाएगा।
o विि व्यापार का कम से कम 12 प्रवतशत स्िेज नहर के माध्यम से होता है। स्िेज नहर, लाल सागर के माध्यम से शहंि महासागर को भूमध्य
सागर से जोडती है।
• बाजार तक पहुंच: यह मंच वद्वपक्षीय व्यापार को बढाने में मिि करे गा। साथ ही, यह संयुक्त अरब अमीरात सवहत पवश्चम एवशया में रणनीवतक
बाजारों तक पहुंच भी प्रिान करे गा। इसके अवतररक्त, यह भारत में बडे पैमाने पर रोजगार के अिसर पैिा कर सकता है।
• मध्य-पूि़ि के साथ संबि
ं : इस मंच के माध्यम से भारत मध्य-पूि़ि के साथ अपने संबि
ं ों को मजबूत कर सकता है। गौरतलब है दक मध्य-पूि़ि क्षेि भारत
की ऊजा़ि तथा आर्थ़िक वहतों की पूर्त़ि करता है तथा बडी संख्या में भारतीय प्रिावसयों को रोजगार प्रिान करता है। इसके अलािा, यह एवशया के
बाहर भी संयक्त
ु राज्य अमेररका के साथ संबि
ं ों का विस्तार करने के अिसरों को बढाएगा।
o इजरायल और अरब िेशों के मध्य मौजूिा अंतराल को पाटने में भारत इस मंच का उपयोग कर सकता है।
• िैविक वस्थवत को मजबूत करने के रूप में: क्वाड के बाि, I2U2 में भारत की भागीिारी इसकी िैविक वस्थवत को मजबूत करे गी। इस तरह की
भागीिारी से भारत को रूस, यूरोप और चीन जैसी अन्य प्रमुख शवक्तयों के साथ समन्िय स्थावपत कर रणनीवतक रूप से अपनी राष्ट्रीय और क्षेिीय
शचंताओं को िूर करने में मिि वमल सकती है।
• सुरक्षा: यह मंच समुद्री डकै ती, ड्रग्स और हवथयारों की अिैि तस्करी तथा आतंकिाि जैसे खतरों को कम करने में मिि करे गा।
• स्पष्टता का अभाि: इस मंच के सामररक लक्ष्य स्पष्ट रूप से पररभावषत नहीं दकए गए हैं। उिाहरण के वलए- कई रणनीवतज्ञ I2U2 को ईरान को
वनयंवित करने के वलए बनाए गए एक संगठन के रूप में िेखते हैं। उनके अनुसार यह भारत और ईरान के संबि
ं ों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर
सकता है।
• सिस्यों के बीच विषमता: इस मंच के सिस्य िेश शवक्त की िरवष्ट से समान नहीं हैं। उिाहरणाथ़ि, भारत और संयुक्त अरब अमीरात की तुलना में संयुक्त
राज्य अमेररका और इजरायल सैन्य रूप से अविक मजबूत हैं।
• सहयोग: एक मुद्दा यह भी है दक चीन तथा रूस से वनपटने के तरीकों को लेकर I2U2 समूह के िेशों के मध्य परस्पर मत वभन्नता बनी हुई है। यह
वस्थवत समूह के भविष्य और इसकी सिलता की संभािनाओं को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है।
o उिाहरण के वलए, रूस-यूक्रेन युद् से संबंवित मतिान प्रदक्रया में भारत ने भाग नहीं वलया था।
• सुरक्षा: I2U2 भारत के वलए चुनौती पैिा कर सकता है। उिाहरण के वलए- अमेररका द्वारा प्रायोवजत और समर्थ़ित इजरायल-अरब सुरक्षा समझौता
मध्य-पूि़ि में भारत की “रणनीवतक स्िायत्तता” को जरटल बना सकता है। हालांदक, भारत इस क्षेि में तटस्थ रुख बनाए रखने का पक्षिर रहा है।
• पवश्चम एवशया में आंतररक संघष़ि: अरब जगत में आंतररक संघष़ि ईरान जैसे भारत के महत्िपूण़ि साझेिारों को पुराने समूह से िूसरे नए समूह में
शावमल होने के वलए बाध्य कर सकता है।
o उभरती वस्थवत से िो गुटों का वनमा़िण हो सकता है: प्रथम गुट में चीन, पादकस्तान, रूस, ईरान और तुकी हो सकते है। िहीं िूसरे गुट में भारत,
इजरायल, संयक्त
ु राज्य अमेररका और संयक्त
ु अरब अमीरात के शावमल होने की संभािना है।
आगे की राह
• वद्वपक्षीय शचंताओं को िूर करना: चूंदक, पवश्चम एवशयाई क्षेि की जरटलताओं के प्रबंिन में अनेक करठनाइयां मौजूि हैं, इसवलए इन चार िेशों के बीच
सहयोग को बनाए रखना अत्यंत आिश्यक है।
o इन चारों िेशों के बीच आपसी सहयोग के माध्यम से ही प्रवतद्वंद्वी िेशों को कू टनीवतक और रणनीवतक रूप से संतुवलत दकया जा सकता है। साथ
ही, इससे उनके साथ मैिीपूण़ि संबंिों को भी बनाए रखा जा सकता है।
• सहयोग: I2U2 भविष्य में नए क्षेिों में सहयोग को आगे बढाकर या अन्य भागीिारों के साथ सहयोग करके मध्य-पूि़ि और िवक्षण एवशया िोनों में
अपना विस्तार कर सकता है।
संबवं ित तथ्य
भारत, संयक्त
ु अरब अमीरात (UAE) ि फ्रांस ने अपनी पहली विपक्षीय बैठक आयोवजत की
• इस बैठक का उद्देश्य शहंि-प्रशांत क्षेि में सहयोग के संभावित क्षेिों का पता लगाना था।
o इन क्षेिों में शावमल हैं: समुद्री सुरक्षा, मानिीय सहायता और आपिा राहत (HADR), ब्लू इकोनॉमी, क्षेिीय संपक़ि , बहुपक्षीय मंचों पर
सहयोग, ऊजा़ि एिं खाद्य सुरक्षा, स्टाट़िअप्स आदि।
• भारत - संयक्त
ु अरब अमीरात - फ्रांस विपक्षीय मंच और इसका महत्ि -
o विपक्षीय फ्रेमिक़ि के तहत शहंि प्रशांत में सहयोग को बढािा िेना। इस क्षेि में चीन की सैन्य मौजूिगी के बढने से अंतरा़िष्ट्रीय शचंता में भी
बढोतरी हुई है। ऐसे में यह सहयोग महत्िपूण़ि हो जाता है।
o यह ऊजा़ि और क्षेिीय सुरक्षा सुवनवश्चत करने के वलए पवश्चमी शहंि महासागर क्षेि या अरब सागर में रणनीवतक स्िायत्तता को बढाएगा।
▪ संयक्त
ु अरब अमीरात और भारत, िोनों पवश्चमी शहंि महासागर क्षेि के िेश हैं। िहीं फ्रांस के िो समुद्रपारीय राज्यक्षेि - मैयट और
रीयूवनयन इस क्षेि में मौजूि हैं। इस रूप में िह भी इस क्षेि की एक स्थानीय शवक्त है। यूएई और वजबूती में फ्रांस के इं टर-सर्ि़िस बेस भी
हैं।
o यह भारत की िैविक भूवमका के साथ-साथ भारत की एक्ट ईस्ट पॉवलसी, लुक िेस्ट पॉवलसी, क्षेि में सभी की सुरक्षा और विकास
(सागर/SAGAR) पहल आदि की सिलता के वलए महत्िपूण़ि है।
o यह 'स्ितंि और मुक्त शहंि-प्रशांत' के साझा लक्ष्यों की दिशा में काय़ि करने का अिसर भी प्रिान करता है।
• शहंि-प्रशांत क्षेि के वलए अन्य पहलें-
o वब्रक्स,
o क्वाड,
o भारत-जापान-ऑस्ट्ेवलया मंच,
o भारत-ऑस्ट्ेवलया-फ्रांस मंच (इसे ऑस्ट्ेवलया में नई सरकार के तहत पुनजीवित दकया जाएगा) और
o भारत-इं डोनेवशया-ऑस्ट्ेवलया मंच (संभावित)।
o भारत और संयुक्त अरब अमीरात I2U2 मंच के भी सिस्य हैं। इस मंच के अन्य सिस्य िेश हैं- इजरायल और संयुक्त राज्य अमेररका।
2.2. चीन पादकस्तान आर्थ़िक गवलयारा (China Pakistan Economic Corridor: CPEC)
2.3.1. जापान के पू ि़ि प्रिान मं िी शशं जो आबे की हत्या {Former Japan Prime Minister (PM) Shinzo Abe
Assassinated}
• शशंजो आबे सबसे लंबे काय़िकाल तक जापान के प्रिान मंिी रहे थे। उन्होंने जापान की अथ़िव्यिस्था का कायाकल्प करने और िैविक मंच पर इसकी
भूवमका को दिर से स्थावपत करने के वलए अविक मुखर नीवतयों पर बल दिया था।
o उनकी पुस्तक 'उत्सुकुशी कु नी ई’ (टुिा्स़ि ए ब्यूटीिु ल कं ट्ी) में भारत का विशेष उल्लेख दकया गया है।
• शशंजो आबे के प्रमुख योगिान
आर्थ़िक • उनकी आर्थ़िक नीवत को 'आबेनॉवमक्स' के रूप में जाना जाता है। इसे िष़ि 2013 में शुरू दकया गया था। इसमें मौदद्रक नीवत में लोचशीलता,
राजकोषीय प्रोत्साहन और संरचनात्मक सुिारों को अपनाकर िो िशकों से अविक समय तक व्याप्त अिस्िीवत (deflation) को िूर करने के उपाय
सुझाए गए थे।
वििेश • उनकी 'आक़ि ऑि फ्रीडम एंड प्रोस्पेररटी' नीवत के तहत, शहंि-प्रशांत क्षेि एक सामवयक राजनीवतक, सामररक और आर्थ़िक िास्तविकता के रूप में
नीवत उभरा है।
• उन्होंने लोगों, िस्तुओं, पूंजी और ज्ञान के मुक्त प्रिाह के वलए िष़ि 2007 में ‘चतुष्पक्षीय सुरक्षा संिाि’ (QUAD) का विचार प्रस्तुत दकया था।
रक्षा • वद्वतीय विि युद् के बाि पहली बार उनके काय़िकाल में जापानी सैवनकों को वििेशी भूवम पर लडने की अनुमवत िेने के वलए संवििान की दिर से
व्याख्या की गई थी। साथ ही, उस प्राििान को भी रद्द कर दिया गया था, वजसके तहत एक वमि िेश पर हमले की िशा में उसकी रक्षा करने के
अविकार का प्रयोग करने पर प्रवतबंि था।
सामावजक • िुमवे नक्स की नीवत अपनाई गई। इसके तहत कं पवनयों को विशेष रूप से तैयार की गई सरकारी नीवतयों की मिि से मवहलाओं के वनयोजन को बढाने
के वलए प्रेररत दकया गया था। इस नीवत के तहत मवहलाओं को वनयोवजत करने िाली कं पवनयों को पुरस्कर त करने के वलए तरजीही सरकारी अनुबि
ं
और सरकार द्वारा वित्त पोवषत डे-के यर सेंटर की सुवििाएं प्रिान की गयी थीं।
• भारत-जापान संबि
ं ों में उनका योगिान
o आबे ने शांवत और सुरक्षा के वलए भारत-जापान के बीच विशेष सामररक एिं िैविक साझेिारी को बढािा दिया था।
o आबे के काय़िकाल में, जापान ने प्रमुख पररयोजनाओं में सहायता के माध्यम से भारत में प्रत्यक्ष वििेशी वनिेश के िसिें वहस्सा का योगिान दिया
था। इन पररयोजनाओं में मुंबई-अहमिाबाि हाई-स्पीड रे ल कॉररडोर पररयोजना भी शावमल थी।
o उन्होंने चार अंतरा़िष्ट्रीय वनया़ित वनयंिण व्यिस्थाओं में भारत के प्रिेश का समथ़िन दकया था। इसके अवतररक्त, रक्षा उपकरणों और प्रौद्योवगकी में
भी सहयोग को बढािा दिया था।
• शशंजो आबे के योगिान के वलए, भारत सरकार ने उन्हें िष़ि 2021 में प्रवतवष्ठत पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मावनत दकया था।
• चीन ने हांगकांग पर पुनिः वनयंिण की 25िीं िष़िगांठ मनायी। इस िौरान उसने एक िेश, िो प्रणाली (OCTS) के तहत हांगकांग पर चीन के
वनयंिण पर बल दिया।
• 'एक िेश, िो प्रणाली' का इवतहास
o इसे मूल रूप से चीन और ताइिान को एकजुट करने के वलए प्रस्तावित दकया गया था। लेदकन, ताइिान ने इसे अस्िीकार कर दिया था।
o यह विचार तब दिर से सामने आया, जब चीन ने वब्रटेन और पुतग
़ि ाल के साथ िाता़िएं शुरू की। तब वब्रटेन और पुत़िगाल क्रमशिः हांगकांग और
मकाऊ पर औपवनिेवशक शासन कर रहे थे।
• एक िेश, िो प्रणाली (OCTS) के बारे में
o चीन के अनुसार इस प्रणाली के तहत मुख्यभूवम चीन का भाग होते हुए भी हांगकांग और मकाऊ की वभन्न आर्थ़िक एिं राजनीवतक प्रणावलयां हो
सकती हैं।
o िोनों क्षेि चीन के विशेष प्रशासवनक क्षेि बन गए। इनकी अपनी वभन्न मुद्राएं तथा आर्थ़िक और कानूनी प्रणावलयां हैं।
▪ हालांदक, रक्षा और वििेश मामलों पर चीन वनण़िय लेता है।
हांगकांग और मकाऊ
• प्रथम अिीम युद् के बाि िष़ि 1842 में अंग्रेजों ने हांगकांग पर अविकार कर वलया था। िष़ि 1898 में, वब्रटेन और चीन ने एक समझौते पर हस्ताक्षर दकए।
o इसके तहत अंग्रेजों को हांगकांग के आसपास के द्वीप 99 िषों के वलए पट्टे (लीज़) पर िे दिए गए।
• िूसरी ओर, मकाऊ पर 1557 ई. से पुतग
़ि ावलयों का शासन था।
• िष़ि 1980 के िशक में, चीन ने िोनों क्षेिों की प्रावप्त के वलए वब्रटेन और पुतग
़ि ाल के साथ िाता़ि शुरू की।
• िष़ि 1997 में हांगकांग चीनी वनयंिण में िापस आ गया। िहीं मकाऊ की संप्रभुता िष़ि 1999 में स्थानांतररत कर िी गई।
2.3.3. अनाज के वनया़ि त को दिर से शु रू करने का रूस और यू क्रे न समझौता (Russia-Ukraine deal To Resume Grain
Exports)
• हाल ही में, रूस और यूक्रेन ने काला सागर के बंिरगाहों से अनाज के वनया़ित को दिर से शुरू करने पर सहमवत व्यक्त की है। इन बंिरगाहों में शावमल
हैं: ओडेसा, चेनोमोस्क़ि और यूजनी। यह सहमवत संयक्त
ु राष्ट्र संघ
और तुकी के बीच हुए एक समझौते का वहस्सा है।
o यह समझौता जहाजों की सुरवक्षत आिाजाही का प्राििान
करता है।
• समझौते का महत्ि:
o िैविक खाद्य संकट को कम करना: रूस के आक्रमण की िजह
से काला सागर के बंिरगाहों पर लगभग 22 वमवलयन टन
अनाज और सूरजमुखी तेल जैसी आिश्यक िस्तुएं िं सी हुई हैं।
इस समझौते के बाि यूक्रेन इन िस्तुओं का वनया़ित कर सके गा।
o समझौते के बाि रूस उि़िरकों का वनया़ित कर सके गा। इससे
विि में िसलों की उच्च पैिािार सुवनवश्चत होगी और खाद्यान्न
की कीमतों को कम करने में मिि वमलेगी।
▪ विि के कु ल उि़िरक उत्पािन में रूस का 13% वहस्सा है।
• िैविक खाद्य सुरक्षा सुवनवश्चत करने में रूस और यूक्रेन का महत्ि
o विि में एक चौथाई से अविक गेहूं की आपूर्त़ि (रूस 20% तथा यूक्रेन 8%) इन्हीं िोनों िेश द्वारा की जाती है।
o यूक्रेन िुवनया का चौथा सबसे बडा मक्का वनया़ितक िेश है। िैविक मक्का वनया़ित में उसकी वहस्सेिारी 16% है।
o यूक्रेन सूरजमुखी के तेल का िुवनया का सबसे बडा वनया़ितक है।
2.3.4. S-400 वमसाइल वसस्टम खरीिने पर लगे अमे ररकी प्रवतबं िों से छू ट ( Sanctions Waiver For S-400 Missile
System)
• संयुक्त राज्य अमेररका के हाउस ऑि ररप्रेजेन्टेरटि ने एक वििायी संशोिन पाररत दकया है। इसके तहत भारत पर काउं टटरं ग अमेररकन एडिस़िरीज
थ्रू सैंक्शंस एक्ट (CAATSA) के तहत लागू आर्थ़िक प्रवतबंिों से उसे छू ट िी गयी है।
एक्ट के माध्यम से आर्थ़िक प्रवतबंि लगा दिए थे। उल्लेखनीय है दक यह वमसाइल रक्षा प्रणाली चीन जैसे आक्रामक िेशों को रोकने में सहायक हो
सकती है।
o अमेररका चीन के वखलाि अपनी लडाई में भारत को एक महत्िपूण़ि सहयोगी के रूप में िेखता है। यदि ये प्रवतबंि जारी रहते हैं, तो क्वाड पर
• अमेररका ने CAATSA एक्ट िष़ि 2017 में लागू दकया था। इसका उद्देश्य आर्थ़िक प्रवतबंिों का उपयोग करके रूस, उत्तर कोररया और ईरान के साथ
o अमेररका ने तुकी पर भी रूस से S-400 वमसाइल वसस्टम खरीिने के कारण CAATSA के तहत प्रवतबंि लगाए हैं।
• S-400 एक लंबी िूरी की सचल सतह से हिा में मार करने िाली वमसाइल (LR-SAM) प्रणाली है।
o S-400 ट्ायम्ि में ड्रोन, वमसाइल, रॉके ट और यहां तक दक लडाकू जेट सवहत लगभग सभी प्रकार के हिाई हमलों से बचाि करने की क्षमता है।
2.3.5. आपू र्त़ि श्रं ख ला मं विस्तरीय मं च 2022 (2022 Supply Chain Ministerial Forum)
• भारत ने संयुक्त राज्य अमेररका द्वारा जारी ‘िैविक आपूर्त़ि श्रंखलाओं में सहयोग पर संयुक्त िक्तव्य’ (joint statement) को अपनाया है।
• भारत, अमेररका और यूरोपीय संघ सवहत 18 अथ़िव्यिस्थाओं की साझेिारी ने सामूवहक ि िीघ़िकावलक लचीली आपूर्त़ि श्रंखला (RSC) के वनमा़िण के
• RSC का रोडमैप पारिर्श़िता, विवििीकरण, सुरक्षा और संिारणीयता के िैविक वसद्ांतों पर आिाररत है।
o हाल ही में, आर्थ़िक और व्यापाररक मुद्दों सवहत कई क्षेिों में चीन मुखर होकर सामने आया है। इसी संिभ़ि में चीनी आपूर्त़ि श्रख
ं लाओं पर मंच के
o यह पूरे नेटिक़ि में सभी पररचालनों की वनगरानी रखकर जोवखमों को कम करे गी।
o पररचालनों में िक्षता लाने से निाचार और संिरवद् में वनिेश को बढािा वमलेगा।
o यह उत्पािकता में सुिार करे गी।
2.3.6. एवशया एनजी ट्ां वजशन इनीवशएरटि (Asia Energy Transition Initiative)
• जापान ने इस पहल के तहत स्िच्छ ऊजा़ि की दिशा में आगे बढने में भारत की सहायता करने की योजना बनाई है।
• इसका उद्देश्य ऊजा़ि संक्रमण के माध्यम से एवशया में सतत विकास और काब़िन तटस्थता को प्राप्त करना है।
• इसके तहत अक्षय ऊजा़ि, ऊजा़ि िक्षता और तरलीकर त प्राकर वतक गैस (LNG) पररयोजनाओं के वलए 10 अरब डॉलर वित्त की व्यिस्था की गई है।
3.1. िस्तु और सेिा कर (GST) के पांच िष़ि पूरे हुए {Five Years of Goods and Services Tax (GST)}
अप्रत्यक्ष करों में सुिार िीघा़ििवि से लंवबत थे। पहली बार अप्रत्यक्ष
करों पर के लकर टास्क िोस़ि की ररपोट़ि (िष़ि 2003 में प्रस्तुत) में इन
सुिारों पर चचा़ि की गई थी। GST वपछली कर-व्यिस्था की तुलना
में कई लाभ प्रिान करता है (इं िोग्रादिक्स िेखें)।
• अन्य लाभ:
o GST पररषि के चलते आर्थ़िक संघिाि को बढािा वमला है।
चुनौवतयां
• जी.डी.पी. पर सीवमत प्रभाि: पहले यह अनुमान लगाया गया था दक GST के लागू होने से जी.डी.पी. में 2-3% की िरवद् होगी। हालांदक, आर्थ़िक
मुद्दों (जैस-े ट्ेड िार), महामारी, रूस-यूक्रेन युद् आदि के कारण इसका प्रभाि सीवमत रहा है।
• अलग-अलग टैक्स स्लैब: GST की प्रस्तावित संरचना में तीन तरह के टैक्स स्लैब का उल्लेख था। ित़िमान में इसमें पांच स्लैब हैं। कु छ िस्तुओं (मुख्य
रूप से वसन गु्स और सेिाओं) पर अवतररक्त उपकर भी आरोवपत दकया गया है। साथ ही, िस्तुओं के टैक्स स्लैब को बार-बार बिला जाता है।
• कें द्र-राज्य वििाि: GST पररषि की बैठक के िौरान कें द्र और राज्यों के बीच प्राय: GST िरों, GST क्षवतपूर्त़ि उपकर के भुगतान आदि पर बहस
होती है।
o राज्यों के वलए GST क्षवतपूर्त़ि व्यिस्था के भविष्य पर स्पष्टता की कमी एक और समस्या है, क्योंदक महामारी के बाि से राज्यों के राजस्ि पर
गंभीर िबाि उत्पन्न हुआ है।
• असमान प्रवतवनवित्ि: GST पररषि में एक समान मतिान संरचना का अभाि है। इसमें कें द्र सरकार के मतों का भारांश कु ल भारांश का एक-वतहाई
है, जबदक सभी राज्यों (एक साथ) के पास कु ल भारांश का शेष िो-वतहाई है।
o मतिान के आिार पर वनण़िय लेने के वलए, उपवस्थत और मतिान करने िाले सिस्यों के भाररत मतों के कम-से-कम तीन-चौथाई बहुमत की
आिश्यकता होती है।
• कु छ उत्पािों और क्षेिों, जैस-े पेट्ोवलयम उत्पाि एिं विद्युत को GST व्यिस्था से बाहर रखा गया है। इसके पररणामस्िरूप, इनके ऊपर लगने िाला
कर हमेशा बढता रहता है।
• कर जमा करने की बोवझल संरचना: GST को सही ढंग से जमा करने के वलए तकनीकी और कर-ढांचे के ज्ञान की आिश्यकता होती है।
• इसके अलािा अन्य मुद्दे भी हैं जैसे दक िजी चालान, टैक्स पोट़िल पर तकनीकी गडबवडयां आदि। GST पररषि के वनण़ियों पर सुप्रीम कोट़ि के हावलया
िै सले का प्रभाि भी गैर-बाध्यकारी है।
आगे की राह
• टैक्स स्लैब की संख्या में कमी करने की जरूरत है। इससे कर ढांचे को और सरल बनाया जा सकता है।
• इनपुट टैक्स क्रेवडट का िािा करने की प्रदक्रया में तेजी लाने के वलए वडवजटल संसािनों का बेहतर इस्तेमाल दकया जाना चावहए। साथ ही, तीव्र डेटा
प्रोसेशसंग के माध्यम से बडी संख्या में कर-मामलों के प्रबंिन के वलए पोट़िल की क्षमता में िरवद् की जानी चावहए।
• चालानों के सत्यापन के माध्यम से कर चोरी करने िालों और अनैवतक प्रथाओं का पता लगाने के वलए मजबूत अनुपालन व्यिस्था ि प्रौद्योवगकी
संचावलत प्रणाली अपनाई जानी चावहए।
• सहकारी संघिाि और सि़िसम्मवत-आिाररत वनण़ियों को बढािा िेने के वलए GST पररषि में सुिार करना चावहए। इससे GST क्षवतपूर्त़ि जैसे मुद्दों
का समािान करने में भी मिि वमल सकती है।
• न्याय-वनण़ियन प्रदक्रया में तेजी लाने के वलए GST अपीलीय अविकरण का गठन दकया जाना चावहए।
• कम उत्पाि लागत के साथ इनपुट टैक्स क्रेवडट को सुव्यिवस्थत करने के वलए पेट्ोवलयम उत्पािों सवहत अन्य उत्पािों को भी GST के िायरे में लाना
चावहए।
• मुद्रास्िीवत के कारण कई िेशों को लंबे समय तक आर्थ़िक अवस्थरता का सामना करना पडा है। इसवलए 1970 के िशक के अंत और 1980 के िशक
की शुरुआत से ही मुद्रास्िीवत लक्ष्यीकरण या अिस्िीवतकारी नीवतयां12 कई कें द्रीय बैंकों की नीवत का वहस्सा रही हैं।
अविक या वनम्न टॉलरें स बैंड (2%) से कम रहती है, तो RBI कें द्र सरकार को • संरचना: इसमें कु ल 6 सिस्य हैं- RBI की ओर से 3 सिस्य
एक ररपोट़ि में वनम्नवलवखत के बारे में सूवचत करे गा: (अध्यक्ष- RBI गिऩिर) और सरकार द्वारा वनयुक्त 3 बाहरी
o मुद्रास्िीवत लक्ष्य को प्राप्त करने में वििल रहने संबि
ं ी कारणों के बारे में; सिस्य।
• वनण़िय लेने की प्रदक्रया: प्रत्येक सिस्य के पास एक मत होता है।
o बैंक द्वारा की जाने िाली प्रस्तावित उपचारात्मक काऱि िाइयों के बारे में;
मतों में बराबरी के मामले में RBI के गिऩिर के पास वद्वतीय या
तथा वनणा़ियक मत होता है।
o उस अनुमावनत समय-अिवि (वजसके भीतर प्रस्तावित उपचारात्मक • बैठक: MPC के वलए िष़ि में कम-से-कम चार बार बैठक करना
काऱि िाइयों के समय पर काया़िन्ियन से मुद्रास्िीवत लक्ष्य को प्राप्त दकया जा अवनिाय़ि है।
सके गा) के बारे में। • गणपूर्त़ि (कोरम): MPC की बैठक में कम-से-कम चार सिस्य
उपवस्थत होने चावहए।
मुद्रास्िीवत लक्ष्यीकरण की सीमाएं
हालांदक, MPC अपने गठन के बाि से मुद्रास्िीवत को 2 से 6 प्रवतशत (यानी टॉलरेंस बैंड) के बीच बनाए रखने में सिल रहा है। इसके बािजूि, MPC
की अपनी कु छ सीमाएं हैं, जैस-े
हालांदक, हाल ही में िैविक स्तर पर खाद्य और ईंिन की बढती कीमतों में कािी कमी आई है। इसके बािजूि, आपूर्त़ि-पक्ष संबंिी बािाओं का उवचत
समािान नहीं करने या मानसून की वििलता पर मुद्रास्िीवत लक्ष्य को प्राप्त करना करठन हो सकता है। इसवलए, कई चुनौवतयों का सामना करने के वलए
वनम्नवलवखत उपाय दकए जा सकते हैं:
• आपूर्त़ि-पक्ष संबि
ं ी मुद्रास्िीवत का सामना करने और संिरवद् पर नकारात्मक प्रभाि को वनयंवित करने के वलए मौदद्रक नीवत की मंशा और काऱि िाई
में वििसनीयता को मजबूत करने की आिश्यकता है। इसके वलए सुविचाररत मौदद्रक नीवत काऱि िाई को आरं भ दकया जाना चावहए।
• ऑनलाइन डेटा संग्रह, आर्ट़िदिवशयल इं टेवलजेंस आिाररत डेटा प्रसंस्करण प्रणाली आदि के माध्यम से डेटा संग्रह और विश्लेषण की गुणित्ता में सुिार
करना चावहए।
• िैविक आपूर्त़ि-पक्ष संबंिी बािाओं से वनपटने के वलए समवन्ित मौदद्रक और राजकोषीय काऱि िाई करने की आिश्यकता है। उिाहरण के वलए- खरीि
की िसल को समथ़िन प्रिान करके आपूर्त़ि-पक्ष संबंिी समस्या को कम करने में मिि वमल सकती है। यह विशेष रूप से वतलहन, कपास, िलहन और
अनाज से संबंवित मुद्रास्िीवत से वनपटने में कारगर होगी।
• वभन्न-वभन्न िगों के वलए अलग-अलग मुद्रास्िीवत लक्ष्यों का उपयोग दकया जाना चावहए। उिाहरण के वलए- वनि़िनों द्वारा उपभोग की जाने िाली
खाद्य िस्तुओं या स्टेपल िू ड (प्रिान खाद्य) पर मुद्रास्िीवत के वनम्न टॉलरें स बैंड (3-4%) को वनिा़िररत दकया जा सकता है। यह सभी िगों के वलए
अविक िायिेमंि हो सकता है।
हाल ही में, RBI ने ऋण बाजार में वििेशी वनिेश, बाह्य िावणवज्यक उिारी (ECB)15 और NRI जमा से संबंवित मानिंडों में ढील िी है। इसका उद्देश्य
भारतीय रुपये में वगरािट को रोकना और वििेशी मुद्रा अंतिा़िह (Inflow) को बढािा िेना है।
सरकार और RBI ने आयात को कम करने; मुद्रास्िीवत को वनयंवित करने; घाटे को कम करने; सरकारी राजस्ि में बढोतरी करने; वििेशी वनिेशकों की
िारणा में सुिार करने हेतु वनम्नवलवखत किम उठाए हैं:
सरकार द्वारा • वित्त िष़ि 2022 में 46 अरब डॉलर के स्िण़ि का आयात दकया गया। इसके कारण भारत स्िण़ि का िूसरा सबसे बडा उपभोक्ता िेश बन गया है।
उठाए गए
इसवलए, स्िण़ि पर लगने िाले सीमा शुल्क में िरवद् (10.75% से 15%) की गई है।
किम
• पेट्ोल, डीजल और एविएशन टरबाइन फ्यूल के वनया़ित पर उपकर और विशेष अवतररक्त उत्पाि शुल्क लगाया गया है।
RBI द्वारा • घरे लू मुद्रास्िीवत को वनयंवित करने के वलए RBI ने नीवतगत िरों में िरवद् की है।
उठाए गए • विवनमय िर में अत्यविक उतार-चढाि को वनयंवित करने और रुपये के मूल्य में वगरािट को कम करने के वलए वििेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप
किम (डॉलर को बेचना) दकए गए हैं।
• भारत और अन्य िेशों के मध्य रुपये में चालान बनाने,
भुगतान और व्यापाररक सौिों के वनपटान के वलए
अवतररक्त व्यिस्था की गई है। इसके अंतग़ित-
o भारतीय आयातक भागीिार िेश के कॉरेस्पोंडेंट बैंक
के विशेष िोस्ट्ो खाते में रुपये में भुगतान कर सकते
हैं।
▪ िोस्ट्ो खाता (लैरटन भाषा में िोस्ट्ो का अथ़ि
होता है आपका): यह कॉरे स्पोंडेंट बैंक में दकसी
अन्य बैंक की ओर से खोला गया खाता होता है।
िोस्ट्ो खाते घरे लू बैंकों को अपने ग्राहकों को
अंतरा़िष्ट्रीय बैंककं ग सेिाएं प्रिान करने में सक्षम
बनाते हैं।
▪ नोस्ट्ो खाता (लैरटन भाषा में नोस्ट्ो का अथ़ि
होता है हमारा): यह अंतरा़िष्ट्रीय व्यापार के वलए
िो बैंकों के बीच खाते का एक अन्य सेट है।
o वनया़ितक भागीिार िेश के कॉरेस्पोंडेंट बैंक के िोस्ट्ो खाते में भारतीय रुपये में भुगतान कर सकते हैं।
• नये वििेशी मुद्रा अवनिासी (बैंक) {FCNR (B)} और अवनिासी बाहरी (NRE)20 की ओर से जमा रावश पर अविक ब्याज िर िेने की व्यिस्था की
गयी है।
• ECB ऋणों के वलए ब्याज िर और अविकतम सीमा के संबि
ं में छू ट प्रिान की गई है।
भारतीय रुपये की मजबूती के वलए कु शल वित्तीय वस्थवत और सकारात्मक आर्थ़िक माहौल आिश्यक है। विवनमय िर में लगातार वगरािट से समवष्ट
आर्थ़िक वस्थरता को नुकसान पहुंच सकता है। इसवलए, यह महत्िपूण़ि है दक डॉलर के संिभ़ि में रुपये को पुनिः बेहतर स्तर पर लाया जाए। इसे वनम्नवलवखत
माध्यम से प्राप्त दकया जा सकता है:
• मुद्रास्िीवत को वनयंवित करके और सरकारी राजस्ि में िरवद् द्वारा विवनमय िर में वनरं तर वगरािट को रोककर भारतीय बाजार के प्रवत FPIs के
वििास को बढाना चावहए।
• राजकोषीय और मौदद्रक नीवत की सहायता से आयात से संबवं ित मुद्रास्िीवत को कम करना चावहए।
• वििेशी मुद्रा भंडार का वििेकपूण़ि उपयोग करना चावहए, तादक वनया़ित और आयात में वगरािट से रुपये पर कोई अनुवचत िबाि न पडे।
• बडी कं पवनयों को कु छ प्रमुख िैविक सूचकांकों का वहस्सा बनने के वलए प्रोत्सावहत करना चावहए। इनमें मॉग़िन स्टेनली कै वपटल इं टरने शनल
(MSCI) और िाइनेंवशयल टाइम्स स्टॉक एक्सचेंज (FTSE) जैसे सूचकांक शावमल हैं। इन सूचकांकों में भारतीय इदक्वटी के भारांश में िरवद् करने
और FPIs द्वारा पूंजी के बवहिा़िह की भरपाई करने के उपाय भी करने चावहए।
• वििेशी मुद्रा अंतिा़िह को बढाने और वििेशी मुद्रा भंडार को बढािा िेने के वलए ग्लोबल बॉण्ड इं डक्
े स में भारत को शावमल करने संबि
ं ी प्रयासों में
तेजी लाना चावहए।
3.4. वित्तीय सेिा संस्थान ब्यूरो (Financial Services Institution Bureau: FSIB)
हाल ही में, वनयुवक्त संबंिी मंविमंडलीय सवमवत (ACC)22 ने वित्तीय सेिा बैंक बोड़ि ब्यूरो (BBB) के बारे में
संस्थान ब्यूरो (FSIB) की स्थापना के वलए एक सरकारी प्रस्ताि को मंजरू ी िे • BBB का गठन िष़ि 2016 में एक स्िायत्त वनकाय के रूप में दकया गया
था। इसके वलए कें द्र ने राष्ट्रीयकर त बैंक (प्रबंिन और विविि प्राििान)
िी है। यह ब्यूरो, बैंक बोड़ि ब्यूरो (BBB) का स्थान लेगा।
योजना, 198021 में संशोिन दकया था। इसमें BBB की संरचना और
FSIB के बारे में
कायों के वलए एक कानूनी ढांचा प्रिान दकया गया था।
• FSIB की स्थापना वित्त मंिालय के वित्तीय सेिा विभाग (DFS)23 के o ज्ञातव्य है दक पी. जे. नायक सवमवत द्वारा BBB की वसिाररश की
अंतग़ित की गई है। इसकी स्थापना के वनम्नवलवखत उद्देश्य हैं: गई थी। यह सवमवत भारत के साि़िजवनक क्षेिक के बैंकों के मुद्दों को
हल करने के तरीके वनिा़िररत करने के वलए गरठत की गई थी।
o वित्तीय सेिा संस्थानों {जैसे दक साि़िजवनक क्षेि के बैंक (PSBs),
• इसकी स्थापना PSBs के गिनेंस में सुिार लाने के उद्देश्य से की गई थी।
साि़िजवनक क्षेि के बीमाकता़ि, वित्तीय संस्थान आदि} के बोड़ि में
इसे PSBs के प्रमुखों के चयन की वसिाररश करने का काय़ि सौंपा गया
पूणक़ि ावलक वनिेशकों और गैर-काय़िकारी अध्यक्षों24 के रूप में
था। साथ ही, इसे रणनीवतयों और पूज
ं ी जुटाने की योजनाओं को विकवसत
वनयुवक्त के वलए व्यवक्तयों की वसिाररश करना।
करने में बैंकों की मिि करने का िावयत्ि भी दिया गया था।
o इन संस्थानों में कार्म़िक प्रबंिन से संबवं ित कु छ अन्य मामलों पर
• PSBs को नया रूप िेने के उद्देश्य से इं द्रिनुष वमशन के तहत 7 सूिी
सलाह िेना।
रणनीवत अपनाई गयी थी। BBB इस रणनीवत का एक वहस्सा था।
o साि़िजवनक क्षेि के वित्तीय संस्थानों में कॉपोरे ट प्रशासन में
उत्कर ष्टता को बढािा िेना।
• FSIB की स्थापना के बाि, BBB की सभी संपवत्तयां, वहत और िेनिाररयां FSIB को स्थानांतररत कर िी जाएंगी।
• FSIB के अन्य प्रमुख कायों में शावमल हैं:
o सरकार को वनिेशकों की वनयुवक्तयों, स्थानांतरण या काय़िकाल के विस्तार और उनकी सेिाओं की समावप्त से संबंवित मामलों पर सलाह िेना।
o PSBs, साि़िजवनक क्षेि के बीमाकता़िओं और वित्तीय संस्थानों के वलए बोड़ि स्तर पर आिश्यक प्रबंिन संरचना पर सरकार को सलाह िेना।
o FSIB के अध्यक्ष को कें द्र सरकार द्वारा नावमत (nominate) • िीमी वनयुवक्त प्रदक्रया: इसके द्वारा PSBs में उच्च पिों के वलए वनयुवक्त की
दकया जाएगा, जो वनम्नवलवखत में से होगा: वसिाररश करने में वलया गया औसत समय 76 दिन था। बीमा कं पवनयों में
▪ बैंककं ग क्षेि या वनयामक संस्थान से सेिावनिरत्त अविकारी, यही औसत समय 36 दिन और वित्तीय संस्थानों में 189 दिन था।
• इसकी शवक्त और अविकार क्षेि पर कानूनी बािाएं: दिल्ली उच्च न्यायालय ने
या
वपछले साल िै सला सुनाया था दक BBB राज्य द्वारा संचावलत सामान्य बीमा
▪ वित्तीय क्षेि का पया़िप्त ज्ञान रखने िाला कोई प्रवतवष्ठत
कं पवनयों के महाप्रबंिकों और वनिेशकों का चयन नहीं कर सकता है, क्योंदक
व्यिसायी, या
यह एक सक्षम वनकाय नहीं है।
▪ बैंककं ग और वित्तीय क्षेिक में अनुभि के साथ-साथ लोक • स्िायत्तता का अभाि: सरकार ने PSBs पर अपने अविकार का प्रयोग करना
प्रशासन में कम-से-कम 25 िषों का अनुभि रखने िाला जारी रखा था। जब BBB दकसी चेयरमैन की वनयुवक्त की वसिाररश करता था
व्यवक्त। तो उसे ACC के भेज दिया जाता था।
o पिेन सिस्य (Ex officio members):
▪ वित्तीय सेिा विभाग (DFS) का सवचि,
▪ साि़िजवनक उद्यम विभाग का सवचि,
▪ भारतीय बीमा विवनयामक और विकास प्राविकरण (IRDAI) के अध्यक्ष, और
▪ RBI का एक वडप्टी गिऩिर।
o सिस्य (अंशकावलक और गैर-सरकारी):
▪ साि़िजवनक क्षेिक के बैंकों और वित्तीय संस्थानों से संबंवित विषय-िस्तु का ज्ञान रखने िाले 3 व्यवक्त (कें द्र सरकार द्वारा नावमत); और
▪ साि़िजवनक क्षेिक के बीमाकता़ि से संबंवित विषय-िस्तु का ज्ञान रखने िाले 3 व्यवक्त (कें द्र सरकार द्वारा नावमत)।
FSIB का महत्ि
• वनयुवक्तयों में लगने िाले समय में कमी: इसके चलते जांच प्रदक्रयाओं में सुिार दिखने को वमलेगा और यह ब्यूरो प्रौद्योवगकी का भी उठाएगा। िलतिः
PSBs, साि़िजवनक क्षेि के बीमाकता़िओं और वित्तीय संस्थानों में वनयुवक्तयों में लगने िाले समय में उल्लेखनीय कमी आएगी।
• बेहतर मानि संसािन प्रबंिन: यह ब्यूरो महत्िपूण़ि पिों पर भविष्य में वनयुवक्त के वलए एक ठोस योजना विकवसत करने में मिि करे गा।
• बेहतर कॉपोरे ट गिनेंस: पूण़िकावलक वनिेशकों के वलए आचार और आचरण संवहता के वनमा़िण एिं उन्हें लागू करने से समग्र गिनेंस में सुिार होगा।
• चयन प्रदक्रया में पारिर्श़िता: पिोन्नवत और भर्त़ियां सरकार की इच्छा और िया पर वनभ़िर करती हैं। BBB और अब FSIB का उद्देश्य इस तरह की
लालिीताशाही को रोकना और योग्यता के आिार पर लोगों को पिोन्नत करना है।
कें द्रीय वित्त मंिी ने वबजनेस ररिॉम्स़ि एक्शन प्लान (BRAP) 2020 के तहत राज्यों और कें द्र शावसत प्रिेशों की 5िीं मूल्यांकन ररपोट़ि जारी की है।
अन्य संबवं ित तथ्य
• BRAP को िष़ि 2014 से ही उद्योग और आंतररक व्यापार संिि़िन विभाग (DPIIT)25 द्वारा तैयार दकया जा रहा है। इसका उद्देश्य िेश भर में
EoDB सुिारों को आगे बढाना है।
• कं पनी वनगमन में समय और प्रयास बचाने के वलए िेब-आिाररत SPICe+ और AGILE-PRO िॉम़ि का शुभारं भ दकया गया है।
• पररभावषत समय सीमा, ऑनलाइन प्रमाण-पि आदि के साथ-साथ ऑनलाइन वबशल्डंग अनुमवत प्रणाली (OBPS)27 शुरू की गई है।
• दिल्ली और मुंबई में समर्प़ित िावणवज्यक न्यायालय और दििाला समािान में सुिार के वलए दििाला और शोिन अक्षमता संवहता (IBC)28 के माध्यम से एक
आिुवनक दििाला व्यिस्था शुरू की गई है।
• इं वडया कस्टम्स इलेक्ट्ॉवनक गेटिे (ICEGATE) वनया़ित एिं आयात के समय और लागत को कम करता है। साथ ही, यह बंिरगाहों पर कन्साइन्मेंट्स की क्लीयरें स
को िास्ट-ट्ैक करता है।
• अन्य पहल, जैस-े BRAP के माध्यम से राज्यों और कें द्र शावसत प्रिेशों को शावमल करके सहकारी संघिाि को बढािा; GST जैसे करािान सुिार; छोटे व्यिसायों
को आरं भ करने पर वनगमन शुल्क (incorporation fees) की समावप्त आदि।
• विद्युत कनेक्शन प्राप्त करने के वलए आिश्यक दिनों की संख्या को कम करना (यह िष़ि 2014 में 105 दिन था, जो घटकर 2019 में 53 दिन हो गया)।
• करािान कानून (संशोिन) अविवनयम, 202129 को पाररत दकया गया है। इसने भूतलक्षी करािान (retrospective taxation) को समाप्त कर दिया। इससे
करािान कानूनों आदि में वनवश्चतता आई है।
• पररचालन संबि
ं ी चुनौवतयां (Operational challenges):
o भारत अब भी व्यापार चक्र के महत्िपूण़ि मापिंडों (जैसे दक कॉन्ट्ैक्ट्स पर अवडग रहना यानी अनुबंिों का प्रित़िन) में वपछड रहा है। इसके पीछे
मुख्य कारण दििाला समािान बोड़ि में खाली पिों को भरने में होने िाली िेरी है। पररणामस्िरूप, दििाला समािान में बहुत समय लग जाता
है।
o अवनवश्चत नीवतगत पररिेश के कारण टैररि और अन्य उपायों में लगातार पररित़िन होते रहते हैं।
o लगातार कम पूंजीगत व्यय और विकासात्मक गवतविवियों के बैकलॉग के कारण बुवनयािी ढांचे के विकास में रुकािट पैिा होती है।
o वबजली की कमी, भ्रष्टाचार, गिनेंस से जुडे मुद्दे आदि, अन्य शचंताएं।
• िैचाररक और प्रदक्रयात्मक मुद्दे (Ideological and procedural issues):
o उिारिािी पूिा़िग्रह, क्योंदक EoDB का विचार बडे पैमाने पर वनम्नवलवखत पूंजीिािी िरवष्टकोण पर आिाररत है:
▪ विवनयमों और वनिेश की बािाओं को िूर करना,
▪ बाजार के अनुकूल सुिारों को बढािा िेना, और
▪ श्म सुरक्षा को कम करना, आदि।
o EoDB पर अत्यविक ध्यान कें दद्रत करने से गहन संरचनात्मक, सामावजक या राजनीवतक मुद्दों की उपेक्षा होती है। साथ ही, इसके िलस्िरूप
िास्तविक और स्थायी संरचनात्मक सुिारों की अनिेखी दकए जाने का जोवखम भी पैिा होता है।
o भारत के सभी मापिंडों, व्यिसायों और क्षेिों के वलए िन-साइज-दिट्स-ऑल एप्रोच हावनकारक हो सकता है।
आगे की राह
• वनम्नवलवखत उपायों के माध्यम से गिनेंस में सुिार करना:
o सभी राज्यों/ कें द्र शावसत प्रिेशों में लोक सेिा वडलीिरी गारं टी अविवनयम या इसी तरह के अन्य कानून बनाये जाने चावहए। इनके माध्यम से
अवनिाय़ि वनमा़िण परवमट, पया़ििरण मंजूरी आदि की समय-सीमा स्पष्ट की जानी चावहए।
ई-गिनेंस कॉमन सर्ि़िस सेंटर सामावजक, आर्थ़िक और वडवजटल रूप से समािेशी समाज सुवनवश्चत करना।
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण िन का तेज प्रिाह, लाभार्थ़ियों का सटीक लक्ष्यीकरण करना तथा डु प्लीके शन और िोखािडी को
रोकना।
कर वष राष्ट्रीय कर वष बाजार (eNAM) दकसानों के वलए लाभकारी मूल्य सुवनवश्चत करना, िसलों की बबा़ििी को कम करना आदि।
स्िास्थ्य ई-संजीिनी यह शहरी और ग्रामीण क्षेिों के बीच मौजूि वडवजटल स्िास्थ्य विभाजन को रोकता है।
CoWIN (कोविड िैक्सीन इं टेवलजेंट भारत ने 18 महीने के भीतर 200 करोड टीके लगाने का आंकडा पार कर वलया।
नेटिक़ि )
वशक्षा स्ियं (SWAYAM) उन छािों के वलए वडवजटल वडिाइड को खत्म करना, जो वडवजटल क्रांवत से अछू ते रहे हैं और
मुख्यिारा की ज्ञान आिाररत अथ़िव्यिस्था में शावमल नहीं हुए हैं।
वित्त प्रिान मंिी जन-िन योजना बैंककं ग सुवििाओं, वित्तीय साक्षरता, ऋण तक पहुंच, बीमा और पेंशन सुवििा तक साि़िभौवमक पहुंच
सुवनवश्चत करना।
कौशल PMGDISHA विशेष रूप से ग्रामीण आबािी को लवक्षत करते हुए वडवजटल वडिाइड को खत्म करना।
आंतररक सुरक्षा क्राइम एंड दक्रवमनल ट्ैककं ग नेटिक़ि एंड “अपराि की जांच करने और अपरावियों का पता लगाने” हेतु आई.टी.-सक्षम-अत्यािुवनक ट्ैककं ग
वसस्टम्स (CCTNS) प्रणाली का वनमा़िण करना।
मुद्दे और चुनौवतयां:
• ग्रामीण-शहरी वडवजटल वडिाइड: भारत के गााँिों में विद्युत आपूर्त़ि का भरोसेमंि न होना, िहनीयता, भौगोवलक चुनौवतयां, बुवनयािी ढांचे की उच्च
लागत आदि जैसी समस्याएं व्याप्त हैं। यही कारण है दक ग्रामीण भारत को 24 घंटे इं टरनेट तक पहुंच हावसल करने में चुनौवतयों का सामना करना
पडता है।
o वडवजटल वडिाइड का वशक्षा, स्िास्थ्य, आिाजाही, सुरक्षा, वित्तीय समािेशन आदि पर प्रभाि पडता है।
• वडवजटल वनरक्षरता: भारत के अविकांश कस्बों और गांिों में खासकर बुजुगों के बीच वडवजटल वनरक्षरता पाई जाती है। सरकारी आंकडों के अनुसार,
के िल 20% भारतीय ही वडवजटल सेिाओं का उपयोग करना जानते हैं।
हाल ही में, जम़िनी में आयोवजत G-7 वशखर सम्मेलन में भारतीय प्रिान मंिी ने एनजी पॉिटी (ऊजा़ि वनि़िनता) के मुद्दे पर विि का ध्यान आकर्ष़ित
दकया। अपने संबोिन में उन्होंने कम समरद् ग्लोबल साउथ और अपेक्षाकर त अविक समरद् ग्लोबल नॉथ़ि के वलए ऊजा़ि तक समान रूप से पहुंच की
आिश्यकता पर बल दिया।
ऊजा़ि वनि़िनता को ईंिन वनि़िनता के रूप में भी जाना जाता है। इसे आमतौर पर िो तरीकों से पररभावषत दकया जाता है-
i. ऊजा़ि तक पहुंच, यानी वबजली तक पहुंच का अभाि; और
ii. ऊजा़ि िहन करने की क्षमता, अथा़ित् अकु शल और प्रिूषणकारी ऊजा़ि स्रोतों पर घरे लू वनभ़िरता, जैसे दक ठोस बायोमास को जलाना।
• अके ले लैरटन अमेररका, एवशया और अफ्रीका में लगभग तीन अरब लोग ऊजा़ि-वनि़िन हैं।
• G20 और वब्रक्स जैसे प्लेटिामों का उपयोग करके ऊजा़ि पहुंच, गरीबी और सुरक्षा पर अविक ध्यान कें दद्रत करना। इसके द्वारा िैविक ऊजा़ि शासन में
सुिार करना।
o उिाहरण के वलए- एक िैविक अंतर-सरकारी संगठन की स्थापना करना। इसके द्वारा ऊजा़ि संक्रमण, ऊजा़ि पहुंच और न्याय तथा ऊजा़ि एिं
जलिायु की दिशा में वित्तीय, तकनीकी और ज्ञान आिाररत सहायता प्रिान करना।
• आर्थ़िक असमानताओं को ऊजा़ि वनि़िनता के रूप में संबोवित करना सीिे तौर पर क्रय शवक्त से जुडा हुआ है। यह ऊजा़ि के हमारे विकल्पों को प्रभावित
करता है।
• स्थानीय से राष्ट्रीय स्तर तक निोन्मेषी नीवतयों, बेहतर योजना और अविक काय़िकुशलता के द्वारा वबजली क्षेि में शासन प्रणाली में सुिार करना।
• निीन एिं सस्ते ऊजा़ि संसािनों और प्रौद्योवगदकयों को विकवसत करने के वलए निाचार ि अनुसि
ं ान को बढािा िेना। इससे सभी के वलए लागत
प्रभािी और वििसनीय वबजली की पहुंच सुवनवश्चत हो सके गी। उिाहरण के वलए-
o स्माट़ि उपकरणों का उपयोग जो टैररि के उपयोग के समय के आिार पर अपनी खपत को समायोवजत करते हैं। थोररयम आिाररत परमाणु
ररएक्टरों के विकास की गवत में तेजी लाना।
o वबजली वितरण की योजना बनाने और सबसे उपयुक्त प्रौद्योवगदकयों की पहचान करने के वलए भू-स्थावनक मानवचिण का उपयोग करना।
• व्यापक िरवष्टकोण, अथा़ित् स्थलाकर वत तथा संसािन की कमी जैसी बािाओं को िूर करने के वलए ऑि-वग्रड, वमनी-वग्रड, राष्ट्रीय और िैविक वग्रड
समािानों का उपयोग करना।
• स्िच्छ ऊजा़ि स्रोतों तक पहुंच के साथ ऊजा़ि के मूल्य में होने िाली िरवद् के वखलाि समाज के कमजोर िगों की रक्षा करना। साथ ही पया़ििरणीय
वनयमों के प्रवतकू ल प्रभाि को कम करने में मिि करना।
o खाना पकाने िाले बेहतर स्टोि या बायोगैस जैसे सहायता उपाय, खाना पकाने के स्िच्छ ईंिन तक पहुंच प्रिान करने में मिि कर सकते हैं।
• ऊजा़ि वनि़िनता के स्थायी समािान के वलए स्िच्छ ईंिन के बारे में जागरूकता और सामावजक साझेिारी को बढािा िेना। ऐसा करते समय रोजगार
सरजन, घरेलू आय में िरवद् और बेहतर स्िास्थ्य पररणामों को भी सुवनवश्चत दकया जाना चावहए।
कें द्र ने DMF िं ड के उपयोग के मानिंडों को कठोर करने के वलए दिशा-वनिेश जारी दकए हैं। इससे यह सुवनवश्चत दकया जा सके गा दक उनका उपयोग स्पष्ट
रूप से बताए गए उद्देश्यों के वलए दकया जाए। ये उद्देश्य खनन गवतविवियों से प्रभावित क्षेिों और लोगों के पुनर्ि़िकास से संबंवित हैं।
• DMFs पांच िषों के वलए एक रणनीवत तैयार करें गे और उसे पररप्रेक्ष्य वनिेश िे सकती है, जबदक राज्य सरकारें DMF के गठन और कायों को
वनिा़िररत करना जारी रखेंगी।
योजना में शावमल दकया जाएगा। यह रणनीवत आिारभूत सिेक्षणों के
• िष़ि 2021 में सरकार ने आिेश जारी दकया था दक राज्य सरकार या
ज़ररए वचवन्हत वनष्कषों और अंतरालों के आिार पर तैयार की जाएगी।
दकसी राज्य स्तरीय एजेंसी द्वारा राज्य स्तर पर DMF िं ड में से दकसी भी
DMF के बारे में खच़ि को स्िीकर त या अनुमोदित नहीं दकया जाएगा।
िं ड पर अपडेटेड वजला-स्तरीय डेटा प्रिान दकया है, िह भी प्रभावित क्षेिों और लोगों का कल्याण सुवनवश्चत करना है।
पूरी तरह से नहीं। • यह योजना सुवनवश्चत करती है दक खनन िाले वजलों में पया़ििरण, लोगों के
स्िास्थ्य और सामावजक-आर्थ़िक व्यिस्था पर खनन के िौरान और बाि में
• प्रशासवनक द्वंद्व: DMF प्रशासन वजलों और राज्यों के िायरे में आता
पडने िाले प्रवतकू ल प्रभािों को कम दकया जा सके । यह खनन क्षेिों में
है। लेदकन नए MMDR, 2021 संशोिनों ने कें द्र सरकार को िं ड की प्रभावित लोगों के वलए िीघ़िकावलक ि स्थायी आजीविका प्रिान करने का भी
संरचना और उपयोग के संबि
ं में अविक शवक्त प्रिान की है। प्रयास करती है।
• जमीनी स्तर पर भागीिारी का अभाि: राज्य DMF वनयम और • इस योजना के तहत पेयजल, स्िास्थ्य िेखभाल, स्िच्छता, वशक्षा, कौशल
PMKKKY खनन प्रभावित क्षेिों में वनम्नवलवखत के संिभ़ि में ग्राम विकास, कल्याणकारी उपाय और पया़ििरण संरक्षण जैसे उच्च प्राथवमकता िाले
सभा की शवक्त एिं भूवमका का स्पष्ट रूप से उल्लेख करते हैं- क्षेिों को कम से कम 60 प्रवतशत स्थान दिया जाना है।
o लाभार्थ़ियों की पहचान, • इसे खान मंिालय ने आरं भ दकया था।
o DMF योजना वनमा़िण, तथा
o कायों और योजनाओं की समीक्षा।
o अनुसूवचत क्षेिों के वलए ग्राम सभा की उपयु़िक्त शवक्त एिं भूवमका पर विशेष बल दिया गया है।
o हालांदक, दकसी भी राज्य के DMF वनकाय में ग्राम सभा सिस्यों के प्रवतवनवित्ि की व्यािहाररक रूप से कोई भूवमका नहीं है।
o इसके अलािा, DMF वनकाय, गिर्निंग काउं वसल और प्रबंिन सवमवत के सिस्यों पर सरकारी महकमों (सांसि, वििायक आदि) का िच़िस्ि है।
• सही से योजना न बनाना या अस्थायी वनिेश: अविकांश खनन प्रभावित वजलों में यह एक प्रमुख समस्या है और विशेष रूप से उच्च जनजातीय
आबािी िाले क्षेिों में तो वस्थवत और भी खराब है।
o उिाहरण के वलए- दकसी भी वजले में बाल पोषण में सुिार करने और पांच िष़ि से कम आयु िग़ि में मरत्यु िर (U5MR) को कम करने के वलए
आिश्यक वनिेश नहीं दकया गया है।
आगे की राह
• DMF लाभार्थ़ियों की पहचान और अविसूचना: लाभार्थ़ियों के वहत ही ट्स्ट के प्राथवमक ‘उद्देश्य’ हैं। इसवलए DMF ट्स्ट के वलए अपने लाभार्थ़ियों
की पहचान करना और उन्हें सूवचत करना अवनिाय़ि है।
• खनन से प्रभावित क्षेिों के लोगों को DMF वनकाय में शावमल करना चावहए, तादक िं ड का अविक प्रभािी उपयोग दकया जा सके ।
• अल्पकावलक (1-3 िष़ि) और मध्यम अिवि (3-5 िष़ि) की योजनाएं विकवसत करके DMF वनिेश की योजना बनानी चावहए। यह प्रदक्रया “उत्पािन
और पररणाम” उन्मुख िरवष्टकोण पर आिाररत होनी चावहए।
• एक DMF िेबसाइट के माध्यम से साि़िजवनक डोमेन में DMF से संबंवित सभी सूचनाओं को साझा करके पारिर्श़िता और साि़िजवनक जिाबिेही को
बढािा िेना चावहए।
• सामुिावयक भागीिारी को बढािा िेकर विकें द्रीकरण सुवनवश्चत करना चावहए।
3.9. विद्युत वितरण कं पवनयों (वडस्कॉम्स) के वलए पुनोत्थान वितरण क्षेि योजना {Revamped Distribution Sector Scheme (RDSS)
for DISCOMS}
हाल ही में, विद्युत मंिालय ने पुनोत्थान वितरण क्षेि योजना (RDSS) का शुभारं भ दकया है।
• इसका उद्देश्य वनजी क्षेिक की विद्युत वितरण कं पवनयों (वडस्कॉम्स/DISCOMs) को छोडकर सभी वडस्कॉम्स/विद्युत विभागों की पररचालन क्षमता
और वित्तीय वस्थरता में सुिार करना है।
• विद्युत क्षेि के अंतग़ित अग्रवलवखत तीन प्राथवमक खंड हैं: उत्पािन (generation), पारे षण (transmission) और वितरण (distribution)।
o उत्पािन एक प्रदक्रया है। इसके तहत विवभन्न ईंिनों का उपयोग करके उत्पािन स्टेशनों (उत्पािन संयि
ं ों) में विद्युत का उत्पािन दकया जाता है।
• संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कर वष संगठन (FAO) के अनुसार, जैि-अथ़िशास्त्र का आशय जैविक संसािनों के उत्पािन, उपयोग, संरक्षण और पुनरुत्पािन से
है। इसमें स्थायी समािान (सूचना, उत्पाि, प्रदक्रया ि सेिाएं) उपलब्ि कराने के वलए संबवं ित ज्ञान, विज्ञान और प्रौद्योवगकी तथा निाचार को
शावमल दकया जाता है। साथ ही, यह संिारणीय अथ़िव्यिस्था को सक्षम बनाए रखने में भी मिि करता है।
• जैि-अथ़िव्यिस्था बाजार: िष़ि 2021 में भारत के सकल घरेलू उत्पाि में जैि अथ़िव्यिस्था बाजार की वहस्सेिारी 2.6 प्रवतशत के आस-पास थी। इस
क्षेि ने िष़ि 2020 में 14% की िरवद् िज़ि की थी।
o कोविड-19 टीकाकरण और टेशस्टंग अवभयान के कारण जैि-अथ़िव्यिस्था के लगभग पांचिें वहस्से का विकास हुआ है।
• क्षेिक आिाररत वितरण: जैि-अथ़िव्यिस्था में बायोिामा़ि की वहस्सेिारी (49 प्रवतशत) सिा़िविक है।
o िष़ि 2021 में जैि-अथ़िव्यिस्था में जैि-औद्योवगक खंड के योगिान में 202 प्रवतशत की िरवद् िेखी गई।
• निाचार: िष़ि 2021 में जैि-अथ़िव्यिस्था के क्षेि में लगभग प्रत्येक दिन कम-से-कम तीन बायोटेक स्टाट़ि-अप्स जुडे।
• िष़ि 2021 में बायोटेक क्षेि में प्रत्यक्ष वििेशी वनिेश (FDI) बढकर लगभग 830 वमवलयन डॉलर तक पहुंच गया था।
आगे की राह
एक उपयुक्त जैि-आर्थ़िक रणनीवत के वलए एक काय़ि योजना विकवसत करना आिश्यक है। इसमें स्थानीय सरकार, राज्य सरकार, राष्ट्रीय सरकार तथा
अन्य बाजार अवभकता़िओं को शावमल दकया जाना चावहए।
• अनुसि
ं ान, निोन्मेष और प्रवशक्षण संबि
ं ी वनिेश में िरवद्: अक्सर जैि-अथ़िव्यिस्था के मुद्दों पर अनुसंिान और उसके इस्तेमाल के बीच जुडाि खत्म
हो जाता है। इसके वनिारण के वलए साि़िजवनक-वनजी भागीिारी को बढािा दिया जाना चावहए।
• नीवत समन्िय और संलिता को मजबूत करना: जैि-अथ़िव्यिस्था से संबंवित नीवतयों, पहलों और आर्थ़िक क्षेिों के मध्य तालमेल एिं संबद्ता को
बढाया जाना चावहए।
• मानि पूज
ं ी का वनमा़िण: इस क्षेि द्वारा प्रिान की जाने िाली नौकररयों की संख्या और गुणित्ता में िरवद् करने के साथ-साथ विशेष मानि संसािनों के
विकास पर भी जोर दिया जाना चावहए।
• निाचार आिाररत पाररवस्थवतकी तंि: वििविद्यालयों के वलए एक ऐसा पाररवस्थवतकी तंि विकवसत दकया जाना चावहए, वजसमें िैज्ञावनकों, नि-
प्रित़िकों और भविष्य के उद्यवमयों को आिश्यक सहायता वमल सके ।
• इस क्षेि के विवनयमन के वलए समवन्ित नीवतयों को तीव्र गवत से काया़िवन्ित दकया जाना चावहए।
• जैि अथ़िव्यिस्था के विवभन्न क्षेिों को अविक संिारणीय बनाने के साथ-साथ स्िच्छ ऊजा़ि के विकास को बढािा िेने के वलए भी आिश्यक ज्ञान
आिार प्रिान दकया जाना चावहए। साथ ही, बाजारों में सुिार और प्रवतस्पिा़ि को बढािा दिया जाना चावहए।
3.11. प्रिान मंिी सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारीकरण (PMFME) योजना {Pradhan Mantri Formalisation of Micro Food
Processing Enterprises (PMFME) Scheme}
हाल ही में, PMFME योजना के िो िष़ि पूरे हो गए। PMFME योजना को खाद्य
प्रसंस्करण उद्योग मंिालय द्वारा ‘आत्मवनभ़िर भारत’ अवभयान के तहत आरंभ
दकया गया था।
PMFME के बारे में
• यह एक कें द्र प्रायोवजत योजना है। इसका उद्देश्य मौजूिा सूक्ष्म खाद्य
प्रसंस्करण उद्यमों को बढािा िेने के वलए वित्तीय, तकनीकी और कारोबारी
सहायता प्रिान करना है।
• इस योजना के उद्देश्य:
o तकनीकी ज्ञान, कौशल प्रवशक्षण और हैंड होशल्डंग सपोट़ि सेिाओं के
माध्यम से उद्यवमयों का क्षमता वनमा़िण करना;
o मौजूिा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यवमयों हेतु ऋण की उपलब्िता बढाना,
तादक िे मौजूिा प्रौद्योवगकी को और अपग्रेड कर सकें ;
o दकसान उत्पािक संगठनों (FPOs); स्ियं सहायता समूहों (SHGs);
उत्पािक सहकारी सवमवतयों और अन्य सहकारी सवमवतयों को उनकी
संपणू ़ि मूल्य श्ंखला में सहायता प्रिान करना।
o इसका उद्देश्य सूक्ष्म उद्यमों को साझा सेिाओं का लाभ उठाने में सक्षम
बनाना है।
o विवनयामकीय फ्रेमिक़ि के तहत पंजीकरण और अनुपालन के वलए मौजूिा
उद्यमों को औपचाररक व्यिस्था में शावमल होने हेतु सहायता करना;
o ब्रांशडंग और माके टटंग को मजबूत करके उन्हें संगरठत आपूर्त़ि श्रख
ं ला के साथ एकीकर त करना।
3.12. प्रारूप कॉिी (संिि़िन और विकास) वििेयक, 2022 {Draft Coffee (Promotion and Development) Bill, 2022}
वनयंिण में है। अविशेष पूल में वितररत करना आिश्यक होता था।
o बोड़ि द्वारा तब नीलामी के माध्यम से वनया़ित के वलए कु ल पूल के 70% की और
नए कानून की आिश्यकता क्यों?
घरे लू बाजारों के वलए 30% की माके टटंग की जाती थी। साथ ही, एक पूल िं ड
• विकास को सुगम बनाने और व्यिसाय में सुगमता के वलए: तैयार दकया गया था।
नया कानून “प्रवतबंिात्मक और अनािश्यक” प्राििानों को • बाि में, संशोिनों की एक श्रंखला के माध्यम से बोड़ि के अविकारों को कम कर दिया गया।
हटा िेगा। साथ ही,यह उद्योग की ित़िमान जरूरतों के इसके अलािा, कॉिी बाजार को भी वनयंिण मुक्त कर दिया गया था।
अनुरूप कॉिी अविवनयम, 1942 का एक सरलीकर त o िष़ि 1996 में, पूशलंग वसस्टम को समाप्त कर दिया गया और उत्पािकों को अपने
उत्पािों को सीिे प्रसंस्करण िमों को बेचने की अनुमवत िी गई।
संस्करण पेश करे गा।
• कॉिी उत्पािकों की सुवििा के वलए: नया कानून कॉिी o हालांदक, कॉिी बोड़ि अब एक सलाहकार की भूवमका वनभाता है, दिर भी
वनया़ितकों के वलए इससे एक प्रमाण-पि प्राप्त करना आिश्यक है।
बोड़ि को बंि नहीं करे गा, बवल्क इसे िावणज्य मंिालय से
कर वष मंिालय में स्थानांतररत कर दिया जाएगा। इससे सभी कर वष योजनाओं का लाभ कॉिी उत्पािकों को भी वमल सके गा।
वमट्टी गहरी, उपजाऊ, जैविक पिाथों से समरद्, अच्छी तरह से सूखी हुई और गहरी, उपजाऊ, जैविक पिाथों से समरद्, अच्छी तरह से सूखी हुई और
थोडी अम्लीय थोडी अम्लीय
ढलान हल्की से मध्यम ढलान हल्की ढलान से लेकर पया़िप्त रूप से समतल क्षेि
तापमान 15 वडग्री सेवल्सयस से 25 वडग्री सेवल्सयस तक तापमान तथा शांत ि 20 वडग्री सेवल्सयस से 30 वडग्री सेवल्सयस तक तापमान तथा गम़ि ि आद्ऱि
वस्थर मौसम मौसम
3.13.1. भारत में प्रत्यक्ष वििे शी वनिे श की वस्थवत {Trend on Foreign Direct Investment (FDI) in India}
• िावणज्य मंिालय के आंकडों के अनुसार, भारत ने वित्त िष़ि 2021-22 में सबसे अविक 84.835 वबवलयन अमेररकी डॉलर का FDI प्राप्त दकया था।
यह वपछले िष़ि प्राप्त FDI से 2.87 वबवलयन अमेररकी डॉलर अविक है।
• अन्य प्रमुख तथ्य:
o भारत में FDI के प्रमुख स्रोत: शसंगापुर प्रथम स्थान पर है।
इसके बाि संयक्त
ु राज्य अमेररका और मॉरीशस का स्थान
है।
o सिा़िविक FDI प्राप्त करने िाले राज्य: कना़िटक के बाि
महाराष्ट्र और दिल्ली का स्थान है।
o सिा़िविक FDI प्राप्त करने िाले क्षेि: कं प्यूटर सॉफ्टिेयर
और हाड़ििय
े र के बाि सेिा क्षेि तथा ऑटोमोबाइल
उद्योग।
o विवनमा़िण क्षेि में FDI: वित्त िष़ि 2021 की तुलना में वित्त
िष़ि 2022 में 76% (21.34 वबवलयन डॉलर) की िरवद्
िज़ि की गई।
o FDI दकसी कं पनी या वनिेशक द्वारा अपने िेश के बाहर की दकसी कं पनी में वहस्सेिारी की खरीि है।
• FDI का महत्ि:
o यह आर्थ़िक विकास के वलए गैर-ऋण आिाररत और वस्थर वित्तीय संसािन का प्रमुख स्रोत है।
o इसके अंतग़ित कौशल और प्रबंिन तकनीकों के हस्तांतरण के माध्यम से मानि संसािन का विकास होता है।
o यह आिुवनक और कु शल उत्पािन प्रणावलयों के वलए प्रौद्योवगकी हस्तांतरण का प्रमुख स्रोत है।
o वनया़ित िरवद् से िैविक आर्थ़िक एकीकरण को बढािा वमलता है।
o कु छ अन्य लाभ वनम्नवलवखत हैं:
▪ FDI से रोजगार के बेहतर अिसर पैिा होते हैं;
▪ इससे निाचार और प्रवतस्पिा़ि को बढािा वमलता है;
▪ पूंजी आने और वनया़ित बढने के कारण विवनमय िर को वस्थर करने में मिि वमलती है, आदि।
• कें द्र सरकार ने राज्यों की ऑि बजट उिाररयों को समायोवजत करने के मानिंडों को आसान बनाया है।
• नए मानिंडों के तहत, िष़ि 2020-21 तक राज्यों द्वारा ली गई ऑि-बजट उिाररयों को समायोवजत नहीं दकया जाएगा। के िल िष़ि 2021-22 में
वलए गए ऑि-बजट उिार को ही समायोवजत दकया जाएगा। इसके वलए भी माच़ि 2026 तक का समय दिया गया है।
o इस िष़ि की शुरुआत में, कें द्र ने राज्यों को सूवचत दकया था दक ऑि-बजट उिाररयों को राज्यों के उनके ऋण में जोडा जाएगा। इसके साथ ही
बढे हुए ऑि-बजट उिार (2020-21 और 2021-22) को इस िष़ि की उिार सीमा से समायोवजत दकया जाएगा।
3.13.3. सू क्ष्म, लघु एिं मध्यम उद्यमों (MSMEs) को मजबू त करने के वलए योजनाएं {Schemes To Strengthen Micro,
Small and Medium Enterprises (MSMEs)}
• प्रिान मंिी ने 'उद्यमी भारत' काय़िक्रम में भाग वलया। इस काय़िक्रम के िौरान उन्होंने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) के वलए कई महत्िपूण़ि
पहलों की शुरुआत की।
o MSME क्षेि भारत के सकल घरे लू उत्पाि में लगभग 30% का योगिान करता है।
o यह क्षेि भारत से वनया़ित में 48% और विवनमा़िण में 45% से अविक का योगिान करता है।
o िेश में लगभग 6.34 करोड सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम हैं। ये 11.1 करोड रोजगार सरवजत करते हैं।
• इसके अलािा, रसायन और उि़िरक मंिालय द्वारा 'औषवि उद्योग को मजबूत करने (SPI)' की योजना के तहत तीन योजनाएं शुरू की गई हैं।
o इन योजनाओं का उद्देश्य िामा़ि से जुडे भारतीय MSMEs को िैविक आपूर्त़ि श्रंखला का वहस्सा बनाना है। साथ ही, उन्हें विि स्िास्थ्य संगठन
(WHO) के शेड्यल
ू -M या गुड मैन्युिैक्चटरं ग प्रैवक्टस (GMP) प्रमाणन प्राप्त करने के वलए प्रोत्सावहत दकया जाना है।
▪ GMP प्रमाणन WHO द्वारा पररभावषत एक मानक है। GMP यह सुवनवश्चत करता है दक उत्पािों का उत्पािन और वनयंिण गुणित्ता
मानकों के अनुसार दकया जा रहा है।
MSMEs के प्रिश़िन में सुिार करना और तेजी लाना • यह MSMEs की काया़िन्ियन क्षमता और किरे ज को बढाने के वलए शुरु की गई है। साथ ही, यह मौजूिा
(RAMP)47/ रै म्प योजना MSME योजनाओं के प्रभाि क्षेि में भी िरवद् करे गी।
• यह योजना आत्मवनभ़िर भारत अवभयान की पूरक होगी, जो-
o निोन्मेष को बढािा िेगी,
o नयी सोच को प्रोत्सावहत करे गी, तथा
o नए व्यिसाय और उद्यवमता को बढािा िेगी।
नए MSME वनया़ितकों का क्षमता वनमा़िण • यह अंतरा़िष्ट्रीय मानकों के उत्पाि और सेिाएं प्रिान करने के वलए MSMEs को प्रोत्सावहत करेगी।
(Capacity Building of First-Time MSME • इससे िैविक मूल्य श्रंखला में भारतीय MSME की भागीिारी बढेगी। साथ ही, उन्हें अपनी वनया़ित क्षमता
Exporters: CBFTE) योजना का पूरा उपयोग करने में मिि वमलेगी।
योजनाएं विशेषताएं
औषि उद्योग प्रौद्योवगकी उन्नयन • यह योजना बेहतर प्रिश़िन करने िाले औषि क्षेि के MSMEs को उनकी तकनीक में सुिार लाने में मिि करे गी।
सहायता योजना (PTUAS) • इस योजना के तहत तीन िष़ि की न्यूनतम चुकौती अिवि के साथ अविकतम 10 करोड रुपये तक का ऋण दिया जाएगा।
इस ऋण पर प्रवतिष़ि 10% की पूज
ं ीगत सवब्सडी या 5% तक ब्याज छू ट होगी। SC/ST के स्िावमत्ि िाली इकाइयों के
मामले में यह छू ट 6% होगी।
सामान्य सुवििाओं के वलए औषि • यह योजना मौजूिा औषि उद्योग क्लस्टर की क्षमता को मजबूत करेगी, तादक वनरं तर संिरवद् जारी रखी जा सके ।
उद्योग को सहायता (API-CF) • इस योजना के तहत पररयोजना लागत के 70% या 20 करोड रुपये तक (जो भी कम हो) की सहायता प्रिान की जाती है।
योजना
वहमालयी और पूिोत्तर क्षेि के वलए यह सहायता 90% होगी।
औषि और वचदकत्सा उपकरण • इस योजना का उद्देश्य िामा़ि और वचदकत्सा उपकरण क्षेिक का एक डेटाबेस तैयार करना है।
संिि़िन तथा विकास योजना • इसमें भारतीय औषि और वचदकत्सा उपकरण उद्योग के वलए महत्ि के विषयों पर अध्ययन ररपोट़ि तैयार करना शावमल
(PMPDS) होगा।
3.13.4. राष्ट्रीय प्रवशक्षु ता सं ि ि़ि न योजना (National Apprenticeship Promotion Scheme: NAPS)
• कौशल विकास और उद्यमशीलता मंिालय (MSDE) ने घोषणा की है दक NAPS प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) योजना का वहस्सा होगी।
o अब, सरकार राष्ट्रीय कौशल विकास वनगम (NSDC) के माध्यम से प्रवशक्षुओं के बैंक खातों में अपना योगिान सीिे स्थानांतररत कर िेगी। यह
िजीिे (अध्येतािरवत्त) का 25% यानी दक प्रवत माह 1500 रुपये तक िेय होगा।
• NAPS को िष़ि 2016 में शुरू दकया गया था। इसका लक्ष्य िेश में प्रवशक्षुता प्रवशक्षण को बढािा िेना है। साथ ही, प्रवशक्षुता प्रवशक्षण प्रिान करने
िाले प्रवतष्ठानों को वित्तीय सहायता प्रिान करना भी इसके उद्देश्य में शावमल है।
o इस काय़िक्रम का उद्देश्य प्रवशक्षुओं को वनयुक्त करने के वलए वनयोक्ताओं को प्रेररत करना है। साथ ही, गहन कौशल विकास के माध्यम से उनकी
क्षमताओं को अविकतम करते हुए उपयुक्त नौकररयां खोजने में उनकी सहायता करना भी इसके उद्देश्य में शावमल है।
o NAPS को प्रवशक्षुता प्रोत्साहन योजना (APY) के स्थान पर संचावलत दकया जा रहा है।
3.13.5. स्टाट़ि - अप इकोवसस्टम्स को समथ़ि न पर राज्यों की रैं ककं ग प्रदक्रया 2021 के पररणाम घोवषत दकए गए (Ranking of
States’ Exercise 2021 on support to Start -up Ecosystems declared)
• इस रैं ककं ग प्रदक्रया का उद्देश्य राज्यों और कें द्र शावसत प्रिेशों को उनके स्टाट़ि-अप पररिेश के विकास में सहायता करना है। साथ ही, प्रत्येक राज्य और
कें द्र शावसत प्रिेश की सिोत्तम प्रथाओं से सीखना भी इसके उद्देश्य में शावमल है।
3.13.6. ग्लोबल िाइं डे क्स डे टाबे स 2021 (Global Findex Database 2021)
• विि बैंक ने "ग्लोबल िाइं डेक्स डेटाबेस 2021: िाइनेंवसयल इन्क्लूसन, वडवजटल पेमेंट्स एंड ररवजवलएंस इन ि एज ऑि कोविड-19" ररपोट़ि जारी
की है।
• ग्लोबल िाइं डेक्स डेटाबेस ने विि की 123 अथ़िव्यिस्थाओं में लोगों द्वारा औपचाररक और अनौपचाररक वित्तीय सेिाओं के उपयोग पर सिेक्षण
दकया है। इस सिेक्षण में िष़ि 2021 में वडवजटल भुगतान करने ि प्राप्त करने के वलए का्स़ि, मोबाइल िोन्स तथा इं टरनेट के उपयोग पर सिेक्षण
शावमल है।
• सिेक्षण में भारत से संबवं ित वनष्कष़ि
o भारत उन सात िेशों में शावमल है, जहां विि के 1.4 अरब ियस्कों में से आिे ियस्क वनिास करते हैं। इनकी औपचाररक बैंककं ग सेिाओं तक
पहुंच नहीं है।
o आिार प्रणाली ने वित्तीय समािेशन में उल्लेखनीय िरवद् की है। इसके कारण िष़ि 2017 में 80% ियस्कों के पास अपना बैंक खाता था। िष़ि
2011 में माि 35% ियस्कों के पास बैंक खाते थे।
o नकि भुगतान के स्थान पर बायोमेरट्क स्माट़ि काड़ि से भुगतान का तरीका अपनाने के बाि पेंशन भुगतान में आंतररक िोखािडी और लीके ज में
47% की कमी आई है।
3.13.7. भारतीय ररज़ि़ि बैं क -वडवजटल भु ग तान सू च कां क {Reserve Bank of India – Digital Payments Index (RBI -
DPI)}
• RBI-DPI ने माच़ि 2021- माच़ि 2022 के बीच महत्िपूण़ि िरवद् का प्रिश़िन दकया है। इसने िेश भर में वडवजटल भुगतानों को तेजी से अपनाने और
इसके गहन होने का संकेत दिया है।
• इसे 01 जनिरी, 2021 को लॉन्च दकया गया था। इसका आिार िष़ि माच़ि 2018 है।
• इसमें 5 व्यापक मानिंड शावमल हैं, जो िेश में अलग-अलग समय अिवि में वडवजटल भुगतान की गहनता और व्यापकता को मापने में सक्षम हैं, जैसे
-
o भुगतान सक्षमकता़ि (भारांश 25%),
o भुगतान अिसंरचना - मांग-पक्ष कारक (10%),
o भुगतान अिसंरचना - आपूर्त़ि-पक्ष कारक (15%)
o भुगतान वनष्पािन (45%) और
o उपभोक्ता कें दद्रत (5%)।
3.13.8. भारत निाचार सू च कां क का तीसरा सं स्करण {3rd edition of India Innovation Index (III) 2021}
• यह सूचकांक नीवत आयोग और इं वस्टट्यूट िॉर कॉम्पेरटरटिनेस ने तैयार दकया है। यह राज्यों और कें द्र शावसत प्रिेशों को उनके निाचार प्रिश़िन के
आिार पर रैं ककं ग प्रिान करता है। इससे उनके बीच स्िस्थ प्रवतस्पिा़ि की भािना पैिा होती है।
• सूचकांक के मुख्य वनष्कष़ि
o अलग-अलग श्ेवणयों में सिोच्च स्थान प्राप्त करने िाले राज्य हैं:
▪ प्रमुख राज्य: कना़िटक,
▪ पूिोत्तर और पहाडी राज्य: मवणपुर तथा
▪ कें द्र शावसत प्रिेश और वसटी-स्टेट: चंडीगढ।
o िेश में अनुसि
ं ान और विकास (R&D) में वनिेश िष़ि 2008-09 में सकल घरे लू उत्पाि का 0.8% था। िष़ि 2017-18 में यह घटकर 0.7% हो
गया था।
o अनुसि
ं ान और विकास (R&D) में वनजी क्षेि की भागीिारी कम रही है।
• सूचकांक के ित़िमान संस्करण के सभी 7 स्तंभों में िैविक निाचार सूचकांक (GII) के फ्रेमिक़ि को अपनाया गया है (इन्िोग्रादिक्स िेखें)। सूचकांक के
7 स्तंभों में शावमल हैं:
o ‘सक्षम बनाने िाले’ (Enabler)' पांच स्तंभ इनपुट का मापन करते हैं। ये इनपुट निाचार को बढािा िेने के वलए जरूरी हैं।
• कें द्र ने कच्चे तेल के उत्पािकों पर शिंडिॉल टैक्स में कटौती की है। साथ ही, पेट्ोल वनया़ित लेिी को भी समाप्त दकया है।
• शिंडिॉल टैक्स, एक कं पनी पर सरकार द्वारा लगाया जाने िाला एकबारगी कर है।
o यह कर अनपेवक्षत या अप्रत्यावशत रूप से प्राप्त बडे लाभ पर लगाया जाता है। इसे विशेष रूप से गलत तरीके से प्राप्त लाभ पर लगाया जाता है।
o यह के िल जनवहत से जुडे उद्देश्यों के वलए िसूला जाता है।
o इसकी घोषणा घरे लू तेल की बढती कीमतों को वनयंवित करने और पेट्ोल की घरे लू आिश्यकता को पूरा करने के वलए की गई है।
सर्ि़िस पोट़ि • पत्तन प्राविकरण के पास भूवम और सभी उपलब्ि अचल ि सचल पररसंपवत्तयों का स्िावमत्ि होता है। प्राविकरण, सभी विवनयामक और पत्तन
मॉडल
संचालन संबंिी काय़ि भी करता है। इस तरह पोट़ि ट्स्ट, लैंडलॉड़ि और कागो टर्म़िनल ऑपरे टर, िोनों की भूवमका में होता है।
टू ल पोट़ि • पत्तन प्राविकरण के पास पत्तन की अिसंरचना का स्िावमत्ि होता है। िह इसे विकवसत करता है और उसका रख-रखाि करता है। उसकी इस
मॉडल भूवमका में कागो हैंडशलंग उपकरण जैसे दक क्रेन और िोक़ि वलफ्ट ट्क भी शावमल हैं।
कॉपोरे ट पोट़ि • पत्तनों का पूरी तरह से वनजीकरण कर दिया जाता है, लेदकन स्िावमत्ि सरकार के अिीन होता है। सरकार बहुसंख्यक शेयरिारक होती है।
मॉडल
3.13.12. न्यू न तम समथ़ि न मू ल्य (MSP), प्राकर वतक खे ती और िसल विवििीकरण के वलए सवमवत का गठन {Panel for
Minimum Support Price (MSP), Natural Farming and Crop Diversification}
• सवमवत का गठन पूि़ि कें द्रीय कर वष सवचि संजय अग्रिाल की अध्यक्षता में दकया गया है। आठ महीने पहले कर वष कानूनों को वनरस्त करने के िौरान
सरकार की प्रवतबद्ता को पूरा करने के वलए ऐसी सवमवत गरठत करने की घोषणा की गई है।
• इस सवमवत के वनम्नवलवखत उद्देश्य हैं:
o MSP को अविक प्रभािी और पारिशी बनाना।
o शून्य-बजट प्राकर वतक खेती को बढािा िेने के वलए उपायों का
सुझाि िेना। यह पौिों के विकास और कटाई की शून्य लागत
िाली खेती है।
o बिलती खाद्य सुरक्षा आिश्यकता को पूरा करने के वलए िसल
विवििीकरण को बढािा िेने के उपायों पर सुझाि िेना।
• न्यूनतम समथ़िन मूल्य (MSP) के बारे में
o प्रत्येक िसली मौसम के िौरान, कर वष लागत और मूल्य आयोग
(CACP)48 की वसिाररशों पर कें द्र सरकार 23 िसलों के वलए
MSP की घोषणा करती है।
o एक िसल के वलए MSP िह मूल्य है, वजस पर सरकार को उस
िसल को दकसानों से खरीिना होता है, यदि बाजार मूल्य इससे
नीचे चला जाता है।
• MSP व्यिस्था के तहत ित़िमान चुनौवतयां
o यह व्यिस्था िान और गेहूं को प्राथवमकता िेती है। इस प्रकार
यह इन िसलों के अविक उत्पािन के वलए दकसानों को प्रोत्सावहत करती है।
o इस व्यिस्था से सीवमत संख्या में दकसानों को लाभ हुआ है। के िल 2.2 प्रवतशत दकसान ही MSP प्रणाली से लाभावन्ित होते हैं।
o यह लाभ भी पूरे िेश में एक जैसा नहीं है। हररयाणा और पंजाब को अविक लाभ हुआ है।
o खरीि कें द्रों की स्थापना में िेरी भी एक प्रमुख समस्या है।
o मौजूिा MSP व्यिस्था का घरे लू बाजार की कीमतों से कोई संबि
ं नहीं है।
• कें द्रीय कर वष और दकसान कल्याण मंिी ने 11िीं कर वष संगणना (2021-2022) का शुभारं भ दकया।
• भारत की कर वष संगणना राज्यों और कें द्र शावसत प्रिेशों के सहयोग से िष़ि 1970-71 से आयोवजत की जा रही है। यह संगणना संयुक्त राष्ट्र कर वष एिं
खाद्य संगठन (FAO) के ‘िैविक कर वष संगणना काय़िक्रम’ के तहत की जाती है।
• यह संगणना प्रत्येक 5 िषों में की जाती है।
• यह अलग-अलग संकेतकों पर जानकारी का मुख्य स्रोत है। इन संकेतकों में वनम्नवलवखत शावमल हैं:
o खेती के अिीन भू-जोत की प्रकर वत और उनका आकार,
o िग़ि के अनुसार भू-जोत का वितरण,
o भूवम उपयोग संबि
ं ी आंकडे,
o काश्तकारी और
o िसल पैटऩि।
• कर वष संगणना कर वष सांवख्यकी की एक व्यापक एकीकर त राष्ट्रीय प्रणाली के विकास के वलए आिार प्रिान करती है। साथ ही, यह राष्ट्रीय सांवख्यकीय
प्रणाली के अलग-अलग घटकों से भी संबंवित है।
• 11िीं संगणना के िौरान पहली बार स्माट़ििोन और टैबलेट का उपयोग करते हुए डेटा संग्रहण दकया जाएगा।
o यह तेज और सटीक गणना में मिि करे गा।
o अविकांश राज्यों ने भूवम ररकॉ्स़ि और सिेक्षणों को वडवजटल कर दिया है। इससे कर वष संगणना के आंकडों के संग्रह में और तेजी आएगी।
• 10िीं कर वष संगणना (2015-16) के वनष्कष़ि
o सभी दकसानों में 86.2% लघु और सीमांत दकसान थे, लेदकन उनके पास के िल 47.3% िसल क्षेि था। िो हेक्टेयर से कम भूवम िाले दकसानों
को लघु और सीमांत दकसान कहा जाता है।
o जोतिारण अभी भी असमान है।
• ‘िैविक कर वष संगणना’ (WCA) काय़िक्रम के बारे में
o पहली ‘िैविक कर वष संगणना’ अंतरा़िष्ट्रीय कर वष संस्थान ने िष़ि 1930 में कराई थी। िष़ि 1950 से शुरु करते हुए FAO प्रत्येक 10 िषों में ‘िैविक
कर वष संगणना’ को तैयार और इसका पक्ष लेता रहा है।
o भारत में अपनाई गई कर वष पररचालन जोत की अििारणा FAO द्वारा वनिा़िररत अििारणा से कु छ हि तक अलग है। इसमें ऐसी जोत शावमल
नहीं हैं, वजसमें खेती नहीं की जा रही है, जैस-े मुख्यतिः पशुिन, मुगी पालन, मत्स्य पालन आदि में इस्तेमाल कर वष भूवम।
• हाल ही में, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंिालय ने खाि प्रबंिन के वलए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोड़ि (NDDB) की सहायक कं पनी मरिा
(MRIDA) वलवमटेड का गठन दकया है। यह NDDB की पूण़ि स्िावमत्ि िाली सहायक कं पनी है, जो िेश भर में खाि प्रबंिन पहल के क्षेि में काय़ि
करे गी।
o यह एक असूचीबद् पवब्लक वलवमटेड कं पनी है। इसकी स्थापना 1 जुलाई, 2022 को कं पनी अविवनयम, 2013 के अंतग़ित की गई है।
o यह डेयरी संयंिों के वलए खाि मूल्य श्रंखला तथा बायोगैस आिाररत CNG और बायोगैस आिाररत ऊजा़ि उत्पािन संयि
ं स्थावपत करे गी।
• खाि प्रबंिन िह प्रदक्रया है, वजसमें पशुओं का गोबर प्राप्त कर उसे संग्रवहत दकया जाता है। तत्पश्चात् उसे उपचाररत करके उपयोग में लाया जाता है।
o खाि एक दकिायती और मूल्यिान उि़िरक है। इसमें अलग-अलग मािा में पोषक तत्ि मौजूि होते हैं, जैस-े नाइट्ोजन और िास्िोरस, सूक्ष्म
पोषक तत्ि तथा काब़िवनक पिाथ़ि।
o कु शल खाि प्रबंिन िुिारू पशुओं के उत्पािक आर्थ़िक जीिन चक्र को िुग्ि उत्पािन से आगे ले जाता है। इससे ग्रीन हाउस गैस उत्सज़िन को कम
करने में भी मिि वमलती है।
o कु शल खाि प्रबंिन के वनम्नवलवखत लाभ भी हैं:
• नीवत आयोग और विि खाद्य काय़िक्रम (WFP) ने 'मैशपंग एंड एक्सचेंज ऑि गुड प्रैवक्टसेज' नामक पहल आरं भ की है। इस पहल का उद्देश्य एवशया
और अफ्रीका में मोटे अनाजों को मुख्यिारा में लाना है।
• मोटे अनाज के बारे में:
o मोटे अनाज में प्रोटीन, िाइबर, विटावमन और खवनजों की भरपूर मािा होती है।
o ित़िमान में, भारत में उगाए जाने िाले तीन प्रमुख मोटे अनाज की िसलें हैं- ज्िार (Sorghum), बाजरा (Pearl Millet) और रागी (Finger
Millet)।
o इसके प्रमुख उत्पािक राज्यों में राजस्थान, आंध्र प्रिेश, तेलंगाना, कना़िटक, तवमलनाडु , महाराष्ट्र, गुजरात और हररयाणा शावमल हैं।
o खाद्य और कर वष संगठन (FAO) ने िष़ि 2023 को "मोटे अनाज का अंतरा़िष्ट्रीय िष़ि" घोवषत करने के भारत के आह्िान का समथ़िन दकया है।
• कें द्र सरकार ने पहली बार एक वनजी कं पनी ‘बजाज हेल्थके यर’ को वबना चीरा लगे पोस्ता बीजकोष से सांदद्रत पोस्ता स्ट्ॉ एल्कलॉइड और सदक्रय
औषि सामग्री (APIs) बनाने की मंजूरी िी है।
o सांदद्रत पोस्ता स्ट्ॉ एक मशीनीकर त प्रणाली है। इसके तहत पूरी िसल को मशीन से काटा जाता है, दिर अल्कलॉइड प्राप्त करने के वलए
कारखानों में भेज दिया जाता है।
o यह प्रदक्रया िैि रूप से उत्पादित अिीम के अन्य उद्देश्यों के वलए इस्तेमाल की संभािना को समाप्त कर िेती है।
• वनजी क्षेिों की भागीिारी का महत्ि:
o मॉर्ि़ि न और कोडीन जैसे कई एल्कलॉइड के घरे लू उत्पािन को बढािा वमलेगा।
o एल्कलॉइड प्राप्त करने के वलए आिुवनक तकनीक को बढािा वमलेगा।
o अिीम का आयात कम होगा।
o भारत में पोस्ता की खेती के तहत घटते क्षेि की भरपाई करने में मिि वमलेगी।
• अिीम एक प्राकर वतक पिाथ़ि है। यह पोस्ता और उसके यौवगकों से प्राप्त होता है।
o अिीम से प्राप्त एल्कलॉइड का उपयोग कि वसरप, कैं सर की ििाएं और िि़ि वनिारक ििाएं बनाने के वलए दकया जाता है।
o भारत सवहत के िल 12 िेशों में औषिीय उपयोग के वलए कानूनी रूप से इसकी खेती की अनुमवत है।
o इसे िूम्रपान, पेय पिाथ़ि या टेबलेट्स के रूप में गैर-कानूनी रूप से इस्तेमाल दकया जाता है।
• अिैि व्यापार की संभािना और व्यसन के खतरों के कारण, अिीम पोस्ता की खेती को सख्ती से वनयंवित दकया जाता है।
o ित़िमान में, पोस्ता और अिीम की खेती ि प्रसंस्करण को नारकोरटक्स ड्रग्स एंड साइकोट्ॉवपक सब्सटेंस (NDPS) के प्राििानों तथा इसके
अंतग़ित बनाए गए वनयमों के द्वारा वनयंवित दकया जाता है।
• उपभोक्ता मामले, खाद्य और साि़िजवनक वितरण मंिालय के तहत उपभोक्ता मामले विभाग ने ‘प्याज के भंडारण पर ग्रैंड चैलज
ें ’ की घोषणा की है।
इसका उद्देश्य ‘प्याज के प्राथवमक प्रसंस्करण, भंडारण और बेहतर मूल्य वनिा़िरण के वलए तकनीकों’ का विकास करना है।
o इस चैलज ें में प्याज की कीमतों को घटाने और नुकसान को कम करने िाले समािानों को खोजने का प्रयास दकया जाएगा। इसके वलए छािों,
स्टाट़ि-अप्स और कॉरपोरे ट्स को आमंवित दकया गया है।
o यह एक शचंतनीय विषय है दक भंडारण के िौरान लगभग 30-40% प्याज नष्ट हो जाती हैं।
• भारतमाला पररयोजना के तहत सरकार एक महत्िाकांक्षी सडक संपक़ि पररयोजना पर काय़ि कर रही है। रे टटंग एजेंसी ICRA के अनुसार, यह
पररयोजना छह िष़ि की िेरी के साथ वित्त िष़ि 2028 में पूरी हो
सकती है।
o शुरुआत में, इसे वित्त िष़ि 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा
गया था।
o ित़िमान में, कु ल राजमाग़ि पररयोजना के के िल 60% भाग के
वनमा़िण के वलए ही अनुबि
ं दकया जा सका है। माच़ि 2022 तक
के िल 23% पररयोजना ही पूरी हुई है।
• पररयोजना में विलंब के प्रमुख कारण वनम्नवलवखत हैं:
o भूवम अविग्रहण में िेरी,
o भूवम अविग्रहण की लागत में उल्लेखनीय िरवद्,
o कोविड-19 महामारी आदि।
o वित्तपोषण एक बडी समस्या है। इसकी लागत िष़ि 2015 से
लगभग िोगुनी हो गई है।
• भारतमाला पररयोजना की घोषणा िष़ि 2015 में की गई थी। इसे
सडक पररिहन और राजमाग़ि मंिालय के तहत आरं भ दकया गया
था।
o इसका मुख्य उद्देश्य िेश भर में िस्तुओं और लोगों की आिाजाही की िक्षता में सुिार करना है।
o चरण-1 के तहत, वित्त िष़ि 2022 तक 34,800 दकलोमीटर के राजमाग़ि के विकास का लक्ष्य रखा गया था।
o चरण 2 में िष़ि 2024 तक पूरे भारत में लगभग 48,000 दकलोमीटर लंबे सडक नेटिक़ि के विकास का लक्ष्य वनिा़िररत दकया गया है।
• भारतमाला पररयोजना की आिश्यकता
o यह मल्टीमॉडल लॉवजवस्टक्स पाकों के विकास और चोक पॉइं ट को समाप्त करके मौजूिा कॉररडोर की िक्षता में सुिार करे गी।
o इसके अंतग़ित पूिोत्तर में कनेवक्टविटी में सुिार लाने पर ध्यान दिया जाएगा। साथ ही, अंतिेशीय जलमागों का भी लाभ उठाया जाएगा।
o िुघट़ि नाओं की वस्थवत में तीव्रता से किम उठाने के वलए अिसंरचना का अभाि है। यह पररयोजना इस कमी को पूरा करे गी।
o इससे पररयोजना की तैयारी और पररसंपवत्त की वनगरानी के वलए प्रौद्योवगकी के उपयोग तथा िैज्ञावनक रूप से योजना वनमा़िण को बल
वमलेगा।
4.1. पूिोत्तर में विद्रोह का सीमा-पारीय संपक़ि (Trans-border Linkages to North-East Insurgency)
हाल ही में, कई विशेषज्ञों ने यह मत प्रकट दकया है दक म्यांमार में वस्थरता का भारत के पूिोत्तर क्षेि के विद्रोहों पर अंकुश लगाने के साथ सीिा संबंि है।
परष्ठभूवम
वशविर भी शावमल थे। बोडो और काबी आंगलोंग शांवत समझौता जैसे शांवत समझौते या समािान
समझौते दकए गए हैं।
o भारत और म्यांमार की सेनाओं द्वारा उत्तर पूि़ि तथा म्यांमार
क्षेि में सदक्रय विद्रोही समूहों के वशविरों को नष्ट करने के • स्थानीय एिं क्षेिीय कनेवक्टविटी पहलें, जैसे उडान 4.0 योजना के तहत पूिोत्तर
वलए क्रमशिः ऑपरे शन सनराइज और ऑपरे शन गोल्डन बड़ि क्षेि को प्राथवमकता िेने का प्रयास दकया गया है। िे नी निी पर मैिी सेतु पुल का
अवभयान चलाए जा रहे हैं। वनमा़िण दकया गया है। साथ ही, सभी पूिोत्तर राजिावनयों को भारतीय रे लिे
नेटिक़ि से जोडने का प्रयास दकया जा रहा है।
o िष़ि 2009 से िष़ि 2015 के बीच बांग्लािेश सरकार ने उल्िा
• पूिोत्तर क्षेि के वलए कम से कम 10% सकल बजटीय सहायता के अवनिाय़ि
और नेशनल डेमोक्रेरटक फ्रंट ऑि बोडोलैंड (NDFB) के
वनिा़िरण, स्ििेश िश़िन योजना, कर वष वनया़ित क्षेि योजना, राष्ट्रीय बांस वमशन
शीष़ि नेताओं को भारत को सौंप दिया था। इससे उन्हें शांवत
आदि जैसी पहलों द्वारा आर्थ़िक कें द्र के रूप में पूिोत्तर का विकास दकया जा रहा
िाता़ि के वलए मजबूर होना पडा था। है।
• अन्य किम: • क्षेि में अनुसूवचत और आदििासी क्षेिों के अविकारों की रक्षा के वलए संवििान के
o सुरवक्षत आश्यों को समाप्त करने के वलए सीमाओं की अनुच्छेि 244(1) ि अनुच्छेि 244(2) के तहत संिि
ै ावनक प्राििान दकए गए
बाडबंिी: उिाहरण के वलए, विपुरा में भारत-बांग्लािेश हैं।
सीमा पर लगभग 24 दकलोमीटर में बाड लगाई गई है। • हॉऩिवबल िे वस्टिल जैसे त्यौहारों को मनाकर सांस्कर वतक समरवद् को संरवक्षत
o इनर लाइन परवमट (ILP): वमजोरम, नागालैंड और दकया जा रहा है।
आगे की राह
• अिसरों का िोहन: पूि़ि एिं िवक्षण-पूि़ि एवशया की समरद् अथ़िव्यिस्थाओं से भौगोवलक वनकटता पूिोत्तर क्षेि को अपार अिसर प्रिान करती है।
उिाहरण के वलए चाय, मसाले, िल और सवब्जयों, िू लों और जडी-बूरटयों के वलए सीमा-पार बाजार विकवसत करना; पय़िटन; जल विद्युत उत्पािन
आदि।
• वथएटराइजेशन या वथएटर कमान का अथ़ि है एक वनर्ि़िष्ट भौगोवलक क्षेि में तीनों सेनाओं
रक्षा आिुवनकीकरण में इसी प्रकार के अन्य किम
(थल सेना, नौसेना और िायु सेना) से एक वनिा़िररत संख्या में सैवनकों को एक सामान्य
• चीि ऑि वडिें स स्टाि (CDS) के पि का गठन,
कमांडर के अिीन रखना।
• एकीकर त युद् समूहों (IBG) का प्रस्ताि,
o ित़िमान में भारतीय थल सेना, नौसेना और िायु सेना में से प्रत्येक के पास अनेक
• अविपथ योजना का शुभारं भ आदि।
कमान हैं, जो अपनी कमान संरचना के संिभ़ि में लंबित रूप से (vertically)
विभावजत हैं।
o भारत के पास ित़िमान में 19 सैन्य कमान हैं। इनमें 17 तीनों सेनाओं की सेिा-आिाररत कमान हैं। अन्य िो कमान वनम्नवलवखत हैं-
▪ परमाणु हवथयारों की िेखभाल के वलए एक सामररक बल कमान (SFC), तथा
▪ अंडमान और वनकोबार में एक वि-सेिा कमान।
• हालांदक अभी ित़िमान में वििरण पूण़ितिः स्पष्ट नहीं है, ककं तु ररपोट़ि में कहा गया है दक ित़िमान में जो एकल-सेिा कमान हैं, उन्हें के िल 4 भौगोवलक
कमानों में ही एकीकर त दकया जाएगा।
• इसके साथ ही, एयर स्पेस और साइबर िॉर 5िीं और 6िीं वथएटर कमान होंगी।
• कमान की संरचना: इनकी संरचना को लेकर अभी यह संशय है दक वि-सेिाओं और संयुक्त वथएटर कमान विन्यास में कौन दकसे ररपोट़ि करे गा। साथ
ही, सैन्य कर्म़ियों एिं मशीनरी, सेिा प्रमुखों या वथएटर कमांडरों की पररचालन कमान दकसके पास होगी।
• अंतर-सेिा प्रवतयोवगता: जहां एक ओर प्रत्येक सेना उत्साहपूि़िक अपनी संपवत्त की िेखरे ख करती है और रक्षा बजट का अविकाविक भाग प्राप्त करने
का प्रयास करती है, िहीं यह प्रभाि सेनाओं के बीच तालमेल बनाने में एक बािा के रूप में सावबत हो सकता है।
• सशस्त्र बलों की संपवत्त के बीच मौजूिा असमानता: उिाहरण के वलए, िायु सेना के वलए ऑपरे शनल स्क्वाड्रन की स्िीकर त संख्या 42 है, जबदक इसके
पास के िल 31 ऑपरे शनल स्क्वाड्रन ही मौजूि हैं। इसके कारण दकसी विशेष कमान में पररसंपवत्तयों को स्थायी रूप से तैनात करने से समस्या उत्पन्न
होगी।
• थल सेना के प्रभुत्ि की िारणा: तीनों सेनाओं में थल सेना हमेशा सिोच्च दिखाई िेती रही है। ऐसे में यह शचंता व्यक्त की गई है दक एकीकरण से थल
सेना का प्रभुत्ि स्थावपत हो सकता है और इसे अविक पररचालन वनयंिण प्राप्त हो सकता है।
• भारत का सीवमत अनुभि: एकीकर त कमान संरचनाओं में कु छ सुिारों की आिश्यकता हो सकती है। इसके साथ ही, समस्याओं को समय पर पहचानने
और उनका समािान करने की भी आिश्यकता होगी। इससे एकीकरण की प्रदक्रया िीमी हो सकती है।
‘संयुक्त वथएटर कमान’ (JTC) की ओर अग्रसर होना एक आिश्यक किम है। ऐसा प्रतीत होता है दक यह आगे बढने के वलए एक प्रेरक शवक्त होगी। इसके
साथ ही, ित़िमान में पररचालन संबंिी बािाओं से लेकर िैचाररक वभन्नता तक अनेक मुद्दे भी मौजूि हैं। इन मुद्दों पर ध्यान दिया जाना चावहए, तादक यह
पूरी तरह से उपयोगी वसद् हो सके और भारतीय सेना को रूपांतररत कर सके ।
हाल ही में, उच्चतम न्यायालय ने िन-शोिन वनिारण अविवनयम (PMLA), 2002 में दकए गए प्रमुख संशोिनों को सही ठहराया है।
• उच्चतम न्यायालय का यह वनण़िय िष़ि 2019 में वित्त अविवनयम के माध्यम से PMLA, 2002 में दकए गए संशोिनों को चुनौती िेने िाली
यावचकाओं पर आया है। PMLA में वनम्नवलवखत संशोिन दकये गए थे:
o PMLA में हुए संशोिनों द्वारा प्रित़िन वनिेशालय (ED)51 को समन जारी करने, वगरफ्तारी करने और छापेमारी करने की व्यापक शवक्तयां
प्रिान की गई हैं।
o साथ ही, वनिोष सावबत होने की वजम्मेिारी आरोपी पर डालते हुए जमानत प्राििानों को कठोर बना दिया गया है।
• विजय मिनलाल चौिरी बनाम भारत संघ िाि में उच्चतम न्यायालय द्वारा की गई अन्य प्रमुख रटप्पवणयां-
विशेषताएं वििरण
िन-शोिन एक एकल
• िन-शोिन जघन्य अपरािों में से एक है। यह न के िल राष्ट्र के सामावजक और आर्थ़िक ताने-बाने को प्रभावित करता है, बवल्क अन्य
अपराि नहीं है जघन्य अपरािों को भी बढािा िेता है। उिाहरण के वलए- आतंकिाि, नारकोरटक ड्रग्स एंड साइकोट्ॉवपक सब्स्टांस (NDPS)
अविवनयम से संबवं ित अपराि आदि।
जमानत हेतु िोहरी शतें • PMLA अविवनयम के तहत जमानत की कठोर शतें िैि हैं और ये मनमानी शतें नहीं हैं।
o जमानत हेतु PMLA की िारा 45 में ‘िोहरी शतें’ वनिा़िररत की गई हैं। पहली, न्यायालय के पास यह मानने के वलए उवचत
आिार हो दक आरोपी अपराि का िोषी नहीं है और िूसरी, जमानत पर रहने के िौरान उसके द्वारा कोई अपराि करने की
संभािना नहीं है।
• न्यायालय ने पूि़ि में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए वनण़िय को नजरअंिाज कर दिया। पूि़ि वनण़िय में जमानत हेतु िोहरी शतों को
यह मानते हुए अिैि घोवषत कर दिया गया था दक िे संवििान के अनुच्छेि 14 और 21 का उल्लंघन हैं।
ED के अविकारी पुवलस • ED के अविकारी जो PMLA अविवनयम के अनुसार िन-शोिन से संबवं ित मामलों की जांच करते हैं, िे "पुवलस अविकारी" नहीं
अविकारी नहीं हैं हैं। इसवलए, ED के अविकाररयों द्वारा PMLA अविवनयम की िारा 50 के तहत, अपराि के अवभयोग की जांच करते समय जो
बयान िज़ि दकया जाता है, िह संवििान के अनुच्छेि 20(3) (आत्म-िोषारोपण के वखलाि अविकार) से प्रभावित नहीं होता है।
प्रित़िन मामले की सूचना • PMLA, 2002 के तहत अपराि से हुई आगम (proceeds) से जुडी प्रदक्रया या गवतविवि में संवलप्त व्यवक्त के विरुद् िंडात्मक
ररपोट़ि (Enforcement काऱि िाई या अवभयोजन शुरू करने से पहले औपचाररक रूप से ECIR पंजीकर त करने की आिश्यकता नहीं होती है।
Case Information • ECIR की तुलना प्रथम सूचना ररपोट़ि (FIR)52 से नहीं की जा सकती, क्योंदक ECIR प्रित़िन वनिेशालय का आंतररक िस्तािेज
Report: ECIR) होता है।
संपवत्त की अनंवतम कु की • उच्चतम न्यायालय ने PMLA की िारा 5 को उवचत ठहराया है, जो संपवत्त की अनंवतम कु की से संबंवित है।
PMLA का िन वििेयक के • न्यायालय ने इस तथ्य के आिार पर तकों की जांच नहीं की दक कु छ संशोिन िन वििेयकों के रूप में पेश दकए गए थे, क्योंदक िन
रूप में संशोिन वििेयकों के िायरे से संबवं ित मुद्दे पर सात-न्यायािीशों की पीठ द्वारा अलग से विचार दकया जा रहा है।
51 Enforcement Directorate
52 First Information Report
• इसे िन शोिन की समस्या से वनपटने के वलए िष़ि 2002 में पेश दकया गया था और िष़ि 2005 में अविवनयवमत दकया गया था।
o िन शोिन की प्रदक्रया के माध्यम से कोई व्यवक्त अिैि िन को िैि िन में बिल िेता है।
• इसे िन शोिन की समस्या से वनपटने के वलए भारत की िैविक प्रवतबद्ता (वियना कन्िेंशन सवहत) की अनुदक्रया में अविवनयवमत दकया गया था।
यह िन शोिन इसके साथ होने िाले नशीले एिं स्िापक पिाथों के व्यापार और संगरठत अपराि से उत्पन्न होता है।
• PMLA अविवनयम के उद्देश्य
o िन शोिन का वनिारण एिं वनयंिण करना;
o िन शोिन से प्राप्त संपवत्त को जब्त करना तथा
अविहरण करना; तथा
o भारत में िन शोिन से जुडे दकसी अन्य मुद्दे से
वनपटना।
• इस अविवनयम के तहत, ED को िन शोिन से
संबवं ित जांच करने का अविकार है।
• यह िन शोिन के अपराि को पररभावषत करता है: इस अविवनयम के अनुसार, यदि कोई व्यवक्त इस अपराि के आगम से जुडी दकसी प्रदक्रया या
दक्रयाविवि में शावमल होता है, तो उसे िन-शोिन के अपराि का िोषी माना जाएगा। इस दक्रयाविवि में आगम के रूप में प्राप्त की गई पररसंपवत्तयों
को छु पा कर रखना, उन पर कब्जा करना, उनका अज़िन या प्रित़िन वनिेशालय (ED) के बारे में
इस्तेमाल करना, उन्हें बेिाग संपवत्त (Untainted
• यह राजस्ि विभाग, वित्त मंिालय के अिीन एक वित्तीय जांच एजेंसी है।
property) के रूप में पेश करना या उन पर िािा करना • इसकी स्थापना िष़ि 1956 में की गई थी तथा इसका मुख्यालय नई दिल्ली में वस्थत
शावमल है। है।
• यह न्याय वनण़ियन प्राविकरण की स्थापना करता है: इस • यह वििेशी मुद्रा प्रबंिन अविवनयम, 1999 (FEMA) और PMLA, 2002 के तहत
अविवनयम के तहत संपवत्त की कु की और जब्ती से संबंवित कु छ विशेष प्राििानों को लागू करने हेतु उत्तरिायी है।
मामलों से वनपटने के वलए न्यायवनण़िय करने िाले तीन • FEMA एक वसविल कानून है, जबदक PMLA एक आपराविक कानून है।
सिस्यीय प्राविकरण के गठन का प्राििान दकया गया है।
• िष़ि 2021 में, संसि ने ED के वनिेशक के काय़िकाल को अविकतम पांच िष़ि तक
• यह अपीलीय अविकरण की स्थापना करता है: यह कें द्र द्वारा
बढाए जाने हेतु एक वििेयक पाररत दकया था।
वनयुक्त वनकाय है। इसे अविवनयम के तहत न्यायवनण़िय करने
िाले प्राविकरण या दकसी अन्य प्राविकरण के वनण़ियों के विरुद् अपीलों की सुनिाई करने हेतु अविकर त दकया गया है।
• यह विशेष न्यायालयों की स्थापना करता है:
इनकी स्थापना कें द्र सरकार द्वारा िन शोिन के PMLA में दकए गए हावलया संशोिन
अपरािों की सुनिाई करने हेतु कई राज्यों/कें द्र
• भारतीय कानूनों के प्राििानों को वििेशों के कानूनों से संबद् करने हेतु ‘संगत कानून
शावसत प्रिेशों में की गई है।
(Corresponding Law)’ की अििारणा को जोडा गया है।
• वित्तीय आसूचना एकक-भारत (FIU-IND):
• इसमें ‘ररपोर्टिंग इकाई’ की अििारणा को जोडा गया है। इसके अंतग़ित एक बैंककं ग कं पनी, वित्तीय
इसकी स्थापना िष़ि 2004 में कें द्रीय राष्ट्रीय
संस्थान, मध्यस्थ या एक वनर्ि़िष्ट व्यिसाय या पेशा करने िाला व्यवक्त शावमल होगा।
एजेंसी के रूप में की गई थी। यह मुख्य रूप से • प्रित़िन वनिेशक को लेन-िेन के ररकॉड़ि या जांच के उद्देश्यों हेतु आिश्यक दकसी भी अवतररक्त
संदिग्ि वित्तीय लेन-िेन से संबवं ित जानकारी जानकारी की मांग करने की शवक्त प्रिान की गई है।
प्राप्त करने, प्रसंस्करण करने, विश्लेषण करने और • अपराि के आगमों (आय) में न के िल अनुसवू चत अपराि से प्राप्त संपवत्त शावमल है, बवल्क
हस्तांतरण करने हेतु उत्तरिायी है। अनुसूवचत अपराि के समान या उससे संबंवित दकसी भी आपराविक गवतविवि से प्राप्त की गई
o यह एक स्ितंि वनकाय है। यह सीिे वित्त अन्य संपवत्त भी शावमल होगी।
मंिी द्वारा शावसत आर्थ़िक आसूचना पररषि
(EIC) को ररपोट़ि करता है।
• कानूनों को कमजोर करना: PMLA िन शोिन के खतरे (विशेष रूप से स्िापक पिाथों के व्यापार से उत्पन्न) का सामना करने हेतु एक व्यापक
िंडात्मक कानून है। ित़िमान में, इस अविवनयम की अनुसूची में अपरािों का स्िरूप अत्यविक व्यापक है और कई मामलों में उनका स्िापक पिाथों या
संगरठत अपराि से कोई संबंि नहीं होता है।
• प्रदक्रयात्मक समस्याएं: ED द्वारा मामलों के चयन की प्रदक्रया पर स्पष्टता का अभाि है।
• बेगन
ु ाही सावबत करने का भार: अवभयुक्तों को प्रथम िरष्टया यह सावबत करना होगा दक िह िोषी नहीं हैं। साथ ही, उन्हें जमानत पाने के वलए
न्यायालय को संतुष्ट करना होगा दक िे भविष्य में कोई अपराि नहीं करें गे।
• अपराि वसवद् की वनम्न िर: िष़ि 2014 से िष़ि 2022 के बीच ED द्वारा 3,010 से अविक छापे मारे गए हैं। लेदकन, माि 23 व्यवक्तयों को ही िोषी
ठहराया जा सका है। यह अपराि सावबत होने की माि 0.5 प्रवतशत की िर को िशा़िता है।
• अस्पष्टता: यह स्पष्ट नहीं है दक "अपराि के आगमों" की पररभाषा को स्पष्ट करने हेतु "स्पष्टीकरण" शब्िािली को शावमल करने का पूि़िव्यापी प्रभाि
होगा या नहीं। साथ ही, संवििान का अनुच्छेि 20(1) आपराविक कानून के पूि़िव्यापी अनुप्रयोग को प्रवतबंवित भी करता है।
आगे की राह
• प्रदक्रयात्मक: अपरािों के अंवतम रूप से संपन्न होने के उपरांत ही ECIR ररपोट़ि तैयार की
जानी चावहए। साथ ही, अवभयुक्त को उसके अपराि से अिगत कराने हेतु उसे ECIR ररपोट़ि
प्रिान की जानी चावहए।
• पररचालन िक्षता: PMLA का उपयोग सीवमत होना चावहए तथा उत्पीडन के सािन के रूप
में उसका इस्तेमाल नहीं करना चावहए। अपराि वसवद् के िर को बढाए जाने पर ध्यान
कें दद्रत दकया जाना चावहए, जो ित़िमान में लगभग 0.5% है।
• शतों पर स्पष्टीकरण: कु छ पहलुओं की कानूनी वस्थवत पर स्पष्टीकरण की आिश्यकता है।
उिाहरण के वलए "अपराि के आगमों" की संशोवित पररभाषा का िायरा तथा जांच
अविकाररयों द्वारा बयान िज़ि दकए जाने के िौरान सुरक्षा उपायों का पालन दकए जाने के
संबंि में स्पष्टीकरण की जरूरत है।
• अनुसवू चत अपरािों की समीक्षा की जानी चावहए: इसमें 30 अलग-अलग कानूनों में िर्ण़ित
"अनुसूवचत अपरािों" को शावमल करने से कानून का िायरा बहुत व्यापक हो गया है। इसके
कारण ED का ध्यान गंभीर अपरािों की जांच से िंवचत हुआ है। गंभीर अपरािों पर लवक्षत
रूप से ध्यान दिया जाना सुवनवश्चत करना चावहए। ऐसा "अनुसूवचत अपरािों" की सूची की
समीक्षा करके तथा उसमें से कु छ अपरािों को हटाकर दकया जा सकता है।
4.4.2. प्रथम स्ििे शी विमानिाहक पोत (IAC) विक्रां त {First Indigenous Aircraft Carrier (IAC) Vikrant}
• ित़िमान में, इसे IAC-1 कोडनेम दिया गया है। हालांदक यह भारतीय नौसेना में प्रिेश के बाि आई.एन.एस. विक्रांत के नाम से जाना जाएगा।
• इस विमानिाहक पोत को मारक/युद्क समूह िाले जहाज के रूप में विकवसत दकया गया है। ित़िमान में के िल पांच या छह िेशों के पास ही ऐसे
विमानिाहक पोतों के वनमा़िण की क्षमता मौजूि है।
• IAC-1 को भारतीय नौसेना के नौसेना वडजाइन वनिेशालय द्वारा वडजाइन दकया गया है तथा इसे कोचीन वशपयाड़ि वलवमटेड (CSL) द्वारा वनर्म़ित
दकया गया है। CSL, जहाजरानी मंिालय के अिीन संचावलत एक साि़िजवनक क्षेिक िाला पोत वनमा़िण उपक्रम है।
• यद्यवप, भारत में पहले ही ऐसे कई विमानिाहक पोत तैनात दकए जा चुके हैं, हालांदक सभी या तो वब्रटेन अथिा रूस में वनर्म़ित थे।
o आई.एन.एस. विक्रमादित्य (सोवियत-रूसी युद्पोत 'एडवमरल गोश़िकोि) ित़िमान में नौसेना द्वारा पररचावलत एकमाि विमानिाहक पोत है।
o आई.एन.एस. विक्रांत और आई.एन.एस. विराट मूलतिः वब्रटेन में वनर्म़ित थे।
• विमानिाहक पोत का महत्ि
o यह नौसेना की क्षमता को बढा सकता है तथा साथ ही घरेलू तटों से िूर वस्थत क्षेिों की यािा करने में उन्हें सक्षम बना सकता है।
o यह दकसी िेश की नौसेना को 'ब्लू िाटर' नेिी के रूप में मान्यता दिलाने में सहयोग कर सकता है। ब्लू-िाटर नेिी को खुले महासागरीय क्षेिों में
दकसी राष्ट्र की क्षमता और शवक्त प्रिश़िन की योग्यता के रूप में रे खांदकत दकया जाता है।
o यह शहंि महासागरीय क्षेि में एक महत्िपूण़ि सुरक्षा प्रिाता के रूप में भारत की प्रवतबद्ता के मद्देनजर महत्िपूण़ि सावबत हो सकता है,
विशेषकर इस चीनी प्रवतद्वंवद्वता िाले क्षेि में।
o यह पादकस्तान के वखलाि पारं पररक युद् में आिश्यक सहयोग प्रिान कर सकता है। साथ ही यह पादकस्तान की नौसैवनक पररसंपवत्त और भूवम
आिाररत रठकानों पर हमले कर सकता है।
• कना़िटक में परीक्षण रें ज में स्ििेशी स्टेल्थ ड्रोन ने अपनी पहली उडान भरी है।
• स्टील्थ ड्रोन को मानि रवहत लडाकू विमान (UCAV) भी कहा जाता है।
4.4.4. भारत-जापान मै रीटाइम पाट़ि न रवशप एक्सरसाइज {India-Japan Maritime Partnership Exercise (MPX)}
• हाल ही में, अंडमान सागर में जापान मैरीटाइम सेल्ि वडिें स िोस़ि और भारतीय नौसेना के बीच एक ‘मैरीटाइम पाट़िनरवशप एक्सरसाइज’ (MPX)
का सिल आयोजन दकया गया।
o इस अभ्यास का उद्देश्य अंतिःदक्रयाशीलता में िरवद् करना, नाविक कला (seamanship) को सुव्यिवस्थतता करना और संचार प्रदक्रयाओं को
बेहतर बनाना है।
5.1. IPBES आकलन ररपोट़ि: िन्य प्रजावतयों का संिारणीय उपयोग (IPBES Assessment Report: Sustainable Use of Wild
Species)
• विवनयमन: िन्य प्रजावतयों के िैविक व्यापार से िन्य प्रजावतयों पर िबाि बढता है। साथ ही, इस व्यापार से िन्य प्रजावतयों के असंिारणीय उपयोग
को बढािा वमलता है और कभी-कभी िन्य प्रजावतयों की दकसी विशेष प्रजावत का अत्यविक ह्रास भी हो जाता है (उिाहरण के वलए, शाक़ि के दिन
का व्यापार)। इसवलए संपण ू ़ि आपूर्त़ि श्रख
ं ला में स्थानीय से लेकर िैविक स्तर तक प्रभािी विवनयमन अवनिाय़ि है।
• िन्य प्रजावतयों के संिारणीय उपयोग को बढाना: इस संिभ़ि में संिारणीय उपयोग को बढािा िेने िाले वनम्नवलवखत प्रमुख तत्िों को प्रस्तुत दकया
गया है-
िष़ि 2023 में प्रोजेक्ट टाइगर अथिा बाघ पररयोजना को आरं भ हुए 50 िष़ि पूरे हो जाएंगे।
• इस पररयोजना को िष़ि 1973 में शुरू दकया गया था। यह पया़ििरण, बाघ संरक्षण के वलए अंतरा़िष्ट्रीय सहयोग
िन और जलिायु पररित़िन मंिालय की एक कें द्र प्रायोवजत योजना है। • ग्लोबल टाइगर इवनवशएरटि (GTI): यह भारत सवहत बाघों के प्राकर वतक
• यह योजना बाघों के प्राकर वतक पया़ििास िाले राज्यों के वनिा़िररत पया़ििास िाले 13 िेशों और विि बैंक, िैविक पया़ििरण सुवििा (GEF),
टाइगर ररजिों (बाघ आरवक्षत क्षेिों) में बाघों का स्िस्थाने (In-Situ) जैसे अन्य संगठनों के नेतरत्ि में एक िैविक गठबंिन है।
संरक्षण करने हेतु कें द्रीय सहायता प्रिान करती है। • ग्लोबल टाइगर िोरम: भारत इस अंतर सरकारी मंच के संस्थापक सिस्यों
में से एक है। यह िोरम विशेष रूप से िनों में बाघों के संरक्षण के वलए
• आरं भ में इसे भारत के विवभन्न राज्यों में 9 टाइगर ररजिों (TRs) में
काय़िरत है।
शुरू दकया गया था। • वद्वपक्षीय सािन:
• काया़िन्ियन एजेंसी: इसकी काया़िन्ियन एजेंसी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण o चीन के साथ बाघों के संरक्षण पर प्रोटोकॉल।
प्राविकरण (NTCA)55 है। इसका गठन िन्य जीि (संरक्षण) संशोिन o सुंिरिन के संरक्षण पर बांग्लािेश के साथ समझौता ज्ञापन (MoU)
अविवनयम, 2006 के द्वारा दकया गया था। इस प्रकार प्रोजेक्ट टाइगर o लकडी की तस्करी से वनपटने और बाघों एिं अन्य िन्यजीिों के
संरक्षण के वलए म्यांमार के साथ समझौता ज्ञापन।
के वलए सांविविक प्राविकरण का गठन दकया गया।
• वित्तपोषण पैटऩि: कें द्र सरकार सभी गैर-आिती और आिती मिों पर व्यय के वलए राज्यों को क्रमशिः 60% और 50% की वित्तीय सहायता प्रिान
करती है।
o पूिोत्तर और वहमालयी राज्यों को इन िोनों मिों के मामलों में 90% कें द्रीय सहायता प्रिान की जाती है।
बाघों की आबािी की पुनब़िहाली और उनके संरक्षण से संबवं ित प्रयासों को मजबूत करने में इस पररयोजना ने क्या भूवमका वनभाई है?
• नए टाइगर ररजिों की स्थापना और विकास: ित़िमान में भारत में कु ल 52 टाइगर ररजि़ि हैं, जो 75,000 िग़ि दक.मी. क्षेि पर िै ले हुए हैं।
क्षेिों और सीमांत क्षेिों में भू-पररिरश्य आिाररत िरवष्टकोण • भारत ने 2018 में TX2 पहल के तहत वनिा़िररत लक्ष्यों को 4 िष़ि पहले ही हावसल कर
के साथ सह-अवस्तत्ि के िरवष्टकोण को अपनाया जाता है। वलया।
o हाल ही में, NTCA ने टाइगर ररजि़ि के कोर क्षेिों में o Tx2 िष़ि 2022 तक िन्य पया़ििास में बाघों की संख्या को िोगुना करने का िैविक
नए वनमा़िण पर प्रवतबंि लगा दिया है। लक्ष्य है। इसे 2010 में बाघों के प्राकर वतक पया़ििास िाले 13 िेशों द्वारा सेंट पीटस़िबग़ि
टाइगर सवमट में अपनाया गया था।
• बाघों, सह-वशकाररयों, वशकार और उनके पया़ििासों का
• भारत के 14 टाइगर ररजिों को अंतरा़िष्ट्रीय कं जिेशन अस्योड़ि | टाइगर स्टैंडड़ि (CA|TS)
वनयवमत आकलन: NTCA एम-वस्ट्प (मॉवनटटरं ग
से सम्मावनत दकया गया है।
वसस्टम िॉर टाइगस़ि इं टेंवसि-प्रोटेक्शन एंड इकोलॉवजकल o CA|TS विि स्तर पर स्िीकर त संरक्षण संबिी उपाय हैं। ये बाघों के प्रबंिन के वलए
स्टेटस: M-STrIPES) एवप्लके शन का उपयोग करके 5िें सिोत्तम पद्वतयों और मानकों को वनिा़िररत करते हैं। साथ ही, ये वनिा़िररत
चक्र की आकलन प्रदक्रया का संचालन कर रहा है। एम- मानिंडों से संबवं ित प्रगवत के आकलन को भी प्रोत्सावहत करते हैं।
वस्ट्प वजयोटैग आिाररत िोटो साक्ष्य हेतु GPS का
उपयोग करके प्राथवमक क्षेि के डेटा को
संबवं ित तथ्य: भारत की पहली अंतरराज्यीय बाघ स्थानांतरण पररयोजना की वििलता
वडवजटल रूप से ररकॉड़ि करता है।
• अंतरा़िष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्रबंिन • िष़ि 2018 में मध्य प्रिेश से सुंिरी नामक बावघन को ओवडशा में स्थानांतररत दकया गया था। इसे भारत की
प्रभाि मूल्यांकन (MEE) फ्रेमिक़ि पहली अंतरराज्यीय स्थानांतरण पररयोजना के वहस्से के रूप में स्थानांतररत दकया गया था। हाल ही में इसे
मध्य प्रिेश में िापस भेज दिया गया है।
विकवसत करके टाइगर ररजिों की स्ितंि
• बाघ स्थानांतरण पररयोजना के बारे में: इस पररयोजना को 2018 में शुरू दकया गया था। इसके तहत मध्य
वनगरानी और मूल्यांकन दकया जाता है।
प्रिेश के कान्हा टाइगर ररजि़ि के एक नर बाघ (महािीर) और बांििगढ से एक मािा बावघन (सुंिरी) को
• अिैि वशकार रोिी पहल: कई टाइगर
ओवडशा राज्य के सतकोवसया टाइगर ररजि़ि में स्थानांतररत दकया गया था। इस पररयोजना का उद्देश्य
ररजिों में अिैि वशकार रोिी अवभयानों
ओवडशा में बाघों की आबािी को बढाना था, ककं तु यह पररयोजना सिल नहीं हो सकी।
के वलए विशेष बाघ संरक्षण बल
• पररयोजना की वििलता के कारण-
(Special Tiger Protection Force: o िील्ड स्टाि (क्षेि कमी) और टाइगर ररजि़ि प्रबंिन पया़िप्त रूप से तैयार नहीं थे।
STPF) तैनात दकए गए हैं। o बाघों की वनगरानी और संरक्षण की खराब क्षमता (महािीर नामक बाघ की मौत अिैि वशकार के
• स्थानीय जन समथ़िन प्राप्त करने के वलए कारण हुई)।
प्रोजेक्ट टाइगर की ब्रांशडंग और माके टटंग o स्थानीय समुिायों को वििास में नहीं वलया गया और न ही पररयोजना से होने िाले लाभों से उन्हें
अिगत कराया गया। इसके कारण स्थानीय समुिायों द्वारा इस पररयोजना का गंभीर विरोि दकया
करके जागरूकता को बढािा दिया जा
गया।
रहा है।
o कोर क्षेि में पहले से मौजूिा बावघन से प्रवतस्पिा़ि।
• राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राविकरण (पय़िटन
गवतविवियों और प्रोजेक्ट टाइगर के वलए वनिेशात्मक मानक) दिशा-वनिेश56 2012 के माध्यम से संिारणीय पय़िटन को बढािा दिया जा रहा है।
• ई-बड़ि पररयोजना के तहत बाघों के संरक्षण हेतु उनकी रखिाली और वनगरानी की जा रही है। इस काय़ि के वलए मानि रवहत हिाई िाहनों (UAVs)
जैसी उन्नत तकनीक का उपयोग दकया जा रहा है।
• अन्य महत्िपूण़ि गवतविवियां:
o टाइगर ररजिों में तैनात अवग्रम पंवक्त के कर्म़ियों की क्षमता में िरवद् करना।
o िन्यजीि अपरािों की रोकथाम में सूचना प्रौद्योवगकी का उपयोग करना।
o मानि-िन्यजीि संघषों का समािान करना।
o संिारणीय आजीविका विकल्पों के माध्यम से िन्य संसािनों पर स्थानीय लोगों की वनभ़िरता के मुद्दे को हल करना।
o पाररवस्थवतकी पय़िटन को बढािा िेने के वलए राज्यों को सहायता प्रिान करना।
56 National Tiger Conservation Authority (Normative Standards for Tourism Activities and Project Tiger) Guidelines
हाल ही में, 'जलिायु पररित़िन के कारण विस्थावपत बच्चों के अंतरा़िष्ट्रीय प्रिासन संगठन (IOM)
• यह प्रिास के क्षेि में अग्रणी अंतर-सरकारी संगठन है। यह सरकारी, अंतर-सरकारी और
संरक्षण हेतु माग़ििश़िक वसद्ांत'58 जारी दकए गए हैं। इसे संयक्त
ु
गैर-सरकारी भागीिारों के साथ वमलकर काय़ि करता है।
राष्ट्र बाल कोष (UNICEF), अंतरा़िष्ट्रीय प्रिासन संगठन • उत्पवत्त: इसे मूल रूप से प्रोविजनल इं टरगिऩिमेंटल कवमटी िॉर ि मूिमेंट ऑि माइग्रेंट्स
(IOM)59, जॉज़ि टाउन वििविद्यालय और संयुक्त राष्ट्र फ्रॉम यूरोप (PICMME) के नाम से जाना जाता था। इसका गठन िष़ि 1951 में वद्वतीय
विि युद् के बाि पवश्चमी यूरोप में पैिा हुई अराजकता और विस्थापन के पररणामस्िरूप
वििविद्यालय द्वारा जारी दकया गया है।
दकया गया था।
अन्य संबवं ित तथ्य • उद्देश्य:
• इनके तहत जलिायु पररित़िन के कारण विस्थावपत बच्चों के o विि भर में प्रिावसयों की सहायता करना,
वलए पहली बार एक िैविक नीवतगत फ्रेमिक़ि की स्थापना o प्रिास की पररित़िनशील गवतशीलता के वलए प्रभािी काऱि िाई विकवसत करना
का प्राििान दकया गया है। यह फ्रेमिक़ि इन बच्चों का तथा
o प्रिास संबंिी नीवत और व्यिहार पर प्रमुख सलाहकार के रूप में काय़ि करना।
संरक्षण करने, उन्हें मुख्यिारा में शावमल करने और सशक्त
• मुख्यालय: वस्िट्जरलैंड के वजनेिा में।
बनाने में मिि करे गा। • सिस्य: भारत सवहत 174 सिस्य िेश और 8 पय़ििेक्षक िेश।
• इसमें नौ (9) वसद्ांत शावमल हैं। ये जलिायु पररित़िन के • अन्य महत्िपूण़ि तथ्य:
प्रवतकू ल प्रभािों के पररणामस्िरूप बच्चों की विवशष्ट और o यह संयक्त
ु राष्ट्र प्रणाली का अंग है।
बहुस्तरीय सुभेद्यताओं से वनपटने में सहायता प्रिान करते o यह प्रिास संबंिी प्रबंिन के चार वनम्नवलवखत व्यापक क्षेिों में काय़ि करता है:
▪ प्रिास और विकास के संबंि में;
हैं। इन दिशा-वनिेशों में आंतररक और सीमा-पार प्रिास,
▪ प्रिास संबंिी सहयोग के संबंि में;
िोनों को शावमल दकया गया है।
▪ प्रिास को विवनयवमत करने के संबंि में और
• ये वसद्ांत बाल अविकारों पर हुए कन्िेंशन से वलए गए हैं।
▪ जबरन प्रिास के संबंि में।
इस प्रकार ये नए अंतरा़िष्ट्रीय कानूनी िावयत्िों का वनमा़िण
नहीं करते हैं।
आगे की राह
प्रमुख आंकडे
• नीवतगत समथ़िन: इन माग़ििश़िक वसद्ांतों का उपयोग स्थानीय एिं
राष्ट्रीय सरकार और नागररक समाज समूहों द्वारा बच्चों से संबंवित • मौसम संबंिी घटनाओं के कारण िष़ि 2020 में, लगभग 10 वमवलयन बच्चे
प्रिास-नीवतयों के वनमा़िण एिं काया़िन्ियन में दकया जा सकता है। विस्थावपत हुए हैं।
o जमीनी स्तर पर दकए गए आकलनों के माध्यम से जलिायु • िैविक स्तर पर जलिायु पररित़िन से जुडी बीमाररयों के लगभग 90% मामले
पररित़िन के प्रवत बच्चों के जोवखम और सुभद्य े ता को भी पांच िष़ि से कम आयु के बच्चों के होते हैं।
समझना चावहए। • यूवनसेि के ‘वचल्ड्रेन्स क्लाइमेट ररस्क इं डेक्स' (CCRI) के अनुसार, भारत उन 4
• बच्चों को अपने अविकारों का उपयोग करने में वनम्नवलवखत के िवक्षण एवशयाई िेशों में शावमल है जहां बच्चों को जलिायु पररित़िन के प्रभािों
माध्यम से उवचत माग़ििश़िन प्रिान करना: का सिा़िविक खतरा है।
o जलिायु संबंिी वशक्षा और हररत कौशल विकवसत करने के
माध्यम से जागरूकता प्रिान करके ।
o राष्ट्रीय, क्षेिीय और अंतरा़िष्ट्रीय स्तर के वनण़िय लेने में उनकी भागीिारी को प्रोत्सावहत करके ।
• सामावजक सुरक्षा प्रणावलयों की जलिायु संबि
ं ी काऱि िाई करने की क्षमता में सुिार करना चावहए। इसके वलए आिश्यक सेिाओं जैसे दक- स्िास्थ्य,
वशक्षा, पोषण आदि के अनुकूलन और प्रत्यास्थ क्षमता में पया़िप्त वनिेश दकया जाना चावहए।
• बच्चों के अनुकूल एक न्याय प्रणाली स्थावपत करनी चावहए। इससे प्रिासी बच्चों की विवशष्ट आिश्यकताओं और पररवस्थवतयों को ध्यान में रखने में
मिि वमल सके गी।
• जलिायु पररित़िन के व्यापक प्रभािों को कम करने के वलए उत्सज़िन में अविक और त्िररत कमी की जानी चावहए।
हाल ही में, निीन और निीकरणीय ऊजा़ि मंिालय (MNRE)60 ने अपतटीय पिन ऊजा़ि पररयोजनाओं की स्थापना के वलए रणनीवत पि61 जारी दकया है।
• इसके तहत अपतटीय पिन ऊजा़ि के िोहन के वलए गुजरात और तवमलनाडु में कु ल 16 अपतटीय क्षेिों की पहचान की गई है।
• इसके तहत अपतटीय पिन ऊजा़ि क्षेि की कं पवनयों को प्रोत्साहन िेने का सुझाि दिया गया है। इन प्रोत्साहनों में ट्ांसवमशन शुल्क संबि
ं ी छू ट, अक्षय
ऊजा़ि क्रेवडट एिं काब़िन क्रेवडट लाभ और व्यिहाय़िता-अंतर वित्तपोषण शावमल हैं।
• साथ ही, यह िेश में अपतटीय शिंड िाम्स़ि के समग्र विकास हेतु तीन मॉडलों को प्रस्तावित करता है।
लाभ चुनौवतयां
अपतटीय • अविक ऊजा़ि उत्पािन: अपतटीय पिनों की गवत आम तौर पर मुख्य भूवम • उच्च लागत: अपतटीय शिंड िाम्स़ि के वलए अिसंरचना का
(Offshore) (स्थलीय भाग) की तुलना में तेज होती है। साथ ही, पिनों की गवत में थोडी-सी वनमा़िण महंगा और करठन होता है, मुख्य रूप से गहरे जल
िरवद् भी ऊजा़ि उत्पािन में कािी िरवद् कर सकती है। में।
• पिनों की गवत में अविक वस्थरता: अपतटीय पिनों की गवत में अविक पररित़िन • रखरखाि और मरम्मत: समुद्री लहरें और अत्यविक तेज
नहीं होता है और िायु की दिशा प्राय: समान रहती है। इसवलए अपतटीय पिनें टरबाइनों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसवलए
टरबाइन विद्युत उत्पािन में अविक िक्ष होते हैं। उन्हें अविक रखरखाि की आिश्यकता होती है। इसके
• भूवम अविग्रहण संबि
ं ी मुद्दों का अभाि: अपतटीय शिंड िम्स़ि स्थावपत करने हेतु अलािा, अपतटीय पिन िाम्स़ि तक पहुंचना करठन होता
भूवम अविग्रहण संबि
ं ी मुद्दों का सामना नहीं करना पडता है। साथ ही, यहां है, वजसका अथ़ि है दक इसकी मरम्मत के वलए लंबा
ऐसी कोई भौवतक बािा नहीं होती जो िायु के िेग को बावित करे । इं तजार करना पडता है।
• अविक ऊजा़ि: यहां अविक ऊंचाई िाले अपतटीय शिंड टरबाइनों को स्थावपत • समुद्री जीिन पर प्रभाि: टरबाइनों से पैिा होने िाले शोर
दकया जा सकता है। इसका अथ़ि है दक िे अविक विद्युत का उत्पािन कर सकते से जलीय जीि और अन्य समुद्री जीिन प्रभावित हो
हैं। सकता है।
तटिती • कम खचीला: तटिती पिन ऊजा़ि के वलए आिश्यक अिसंरचना की लागत • पिनों की गवत में अंतर: स्थलीय भू-भाग पर पिनों की
(Onshore) अपतटीय पिन ऊजा़ि की लागत की आिी होती है। साथ ही, इसमें दकया गया गवत और दिशा में अंतर होता है। इसवलए लगातार
वनिेश िो िषों में ही लाभ भी प्रिान कर सकता है। विद्युत उत्पािन सुवनवश्चत करना चुनौतीपूण़ि हो सकता है।
• ट्ांसवमशन के िौरान कम क्षवत: शिंड िाम्स़ि और उपभोक्ता के बीच कम िूरी • पिनों के वलए संभावित बािाएं: इमारतों और आसपास
होने के कारण ट्ांसवमशन के िौरान विद्युत की कम क्षवत होती है। के भू-पररिरश्य जैसे पहावडयों या पि़ितों संबंिी भौवतक
आगे की राह
हाल ही में, विि बैंक ने 'सीइं ग ि इनविवजबल: ए स्ट्ेटेवजक ररपोट़ि ऑन ग्राउं डिाटर क्वावलटी' शीष़िक से एक ररपोट़ि जारी की है।
ररपोट़ि के मुख्य वनष्कष़ि
• 1970 के िशक के बाि से िैविक स्तर पर लगभग 150 वमवलयन लोग पेयजल के माध्यम से आसेवनक के खतरनाक स्तर के संपक़ि में आ चुके हैं।
• लंबे समय तक फ्लोराइड युक्त जल के पीने से विि भर में अनुमावनत 200 वमवलयन लोगों में दक्रप्पशलंग स्के लेटल फ्लोरोवसस रोग होने का खतरा है।
भूजल संिष
ू ण के स्रोत
• खाद्य श्रख
ं ला में संचयन: उिाहरण के वलए,
आसेवनक से संिवू षत भूजल द्वारा शसंचाई करने से
चािल जैसी िसलों में आसेवनक का संचयन हो
सकता है।
• सुरवक्षत और स्िच्छ जल की उपलब्िता का अभाि: भारत में लोगों का एक बडा िग़ि, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेिों में रहने िाले लोग भूजल पर वनभ़िर
है। यह उन्हें भूगभीय संिष
ू कों के प्रवत अविक सुभेद्य बनाता है।
• प्रिूषण वनयंिण मानिंडों का अकु शल प्रित़िन: औद्योवगक स्तर पर रसायनों का अकु शल प्रबंिन दकया जाता है और ऐसे रासायवनक अपवशष्ट को
भूजल एिं जलभरतों में पया़िप्त रूप से उपचार दकए वबना ही छोड दिया जाता है।
• भूजल गुणित्ता वनगरानी से संबंवित डेटा को एकि करने, विश्लेषण करने और
प्रबंवित करने में आने िाली तकनीकी और वित्तीय चुनौवतयां। भूजल की गुणित्ता सुवनवश्चत करने के वलए भारत में उठाए गए किम
• प्रिूषण के “नॉन-पॉइं ट” स्रोतों जैसे कर वष क्षेिक से होने िाले नाइट्ेट प्रिूषण की • कें द्रीय भूजल बोड़ि (CGWB)65: यह क्षेिीय स्तर पर उथले
खराब वनगरानी एक अन्य प्रमुख बािा है। जलभरतों की भूजल गुणित्ता की वनयवमत रूप से वनगरानी करता
है। यह वनगरानी लगभग 15000 अिलोकन कु ओं के नेटिक़ि के
आगे की राह
माध्यम से प्रत्येक िष़ि में एक बार की जाती है।
• इसके संबि
ं में संस्थागत सुिढर ीकरण के उपाय दकए जाने चावहए। इसके तहत
• अटल भूजल योजना: यह एक कें द्रीय क्षेि की योजना है। इसमें
एक सुव्यिवस्थत वििायी ढांचा, पया़िप्त बजट की व्यिस्था, प्रासंवगक विशेषज्ञों
सामुिावयक भागीिारी, मांग पक्ष के हस्तक्षेप और संिारणीय
की भती तथा साि़िजवनक ररपोर्टिंग एिं सूचना साझाकरण आदि के साथ एक
भूजल प्रबंिन के वलए जारी योजनाओं के साथ समन्िय पर बल
जिाबिेह फ्रेमिक़ि की स्थापना जैसे उपाय दकए जा सकते हैं।
दिया गया है।
• जलभरत के माध्यम से प्रिूषकों के संचरण को वनयंवित करने िाली प्रदक्रयाओं को
समझने हेतु कॉन्सेप्चुअल हाइड्रो वजयोलॉवजकल मॉडल का उपयोग करना • भारतीय मानक ब्यूरो: इसके द्वारा पेयजल में संिष
ू कों की सीमा
चावहए। को वनिा़िररत दकया गया है।
• जल के नमूनों, प्रयोगशाला विश्लेषण और डेटा प्रोसेशसंग के माध्यम से भूजल • जल (प्रिूषण वनिारण तथा वनयंिण) अविवनयम, 1974 के तहत
गुणित्ता की वनरं तर वनगरानी की जानी चावहए। इससे पेयजल हेतु उपयुक्त औद्योवगक प्रिूषण के वनयंिण हेतु प्राििान दकए गए हैं।
• लघु उद्योग इकाइयों के समूह हेतु साझा बवह:स्राि उपचार संयि
ं
स्रोतों की पहचान करने में सहायता वमलेगी।
(CETPs)66 की स्थापना की गई है।
• त्िररत सिेक्षणों और आपातकालीन जल आपूर्त़ि संबंिी हस्तक्षेपों के माध्यम से
प्राकर वतक संिष
ू ण के प्रभािों को कम करने का प्रयास करना चावहए।
• तकनीकी हस्तक्षेप जैस-े दिल्ट्ेशन वसस्टम और जैिोपचारण आदि को अपनाया जाना चावहए।
• स्िस्थाने उपचार, परमेबल ररएवक्टि बैररयस़ि आदि जैसी तकनीकों के माध्यम से मानि जवनत प्रिूषण का उपचार दकया जा सकता है।
• भूजल प्रबंिन की सिोत्तम पद्वतयों को अपनाना, जैस-े
o अवनिाय़ि भूजल वनगरानी (इससे संिष
ू ण का शीघ्र पता लगाना संभि हो पाता है);
o भूजल का सहभावगता आिाररत प्रबंिन;
o नए रसायनों से संबंवित सूची को सदक्रय रूप से तैयार करना (अनुकूलन प्रवतदक्रया को साकार बनाने हेतु),
o स्िैवच्छक उपचार आदि को प्रोत्सावहत करने िाली विवनयामक व्यिस्था को अपनाना।
हाल ही में, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा जुलाई माह
के वलए शुष्कता विसंगवत आउटलुक सूचकांक जारी दकया गया। इसके
अनुसार, पूरे भारत में कम से कम 85% वजले शुष्कता की वस्थवत का
सामना कर रहे हैं।
• इस सूचकांक के आिार पर एक साप्तावहक सूखा आउटलुक भी जारी दकया जाता है। यह आने िाले सप्ताह के िौरान िेश में संभावित सूखे की वस्थवत
के बारे में संकेत िेता है।
सूखे के बारे में भारत में सूखा प्रबंिन के वलए की गईं पहल
• सामान्य शब्िों में, लंबे समय तक जल की उपलब्िता में कमी को • राष्ट्रीय कर वष संबि
ं ी सूखा आकलन और वनगरानी प्रणाली (NADAMS)68: यह
सूखे की वस्थवत कहते हैं। इस वस्थवत के वलए मुख्य रूप से राज्य/वजला/उप-वजला स्तर पर कर वष संबंिी सूखे की व्यापकता, गंभीरता के स्तर
अपया़िप्त िषा़ि और िष़िण या असािारण रूप से उच्च तापमान और वनरं तरता पर िास्तविक समय के आिार पर जानकारी प्रिान करती है।
तथा कम आद्ऱिता उत्तरिायी है। इसके पररणामस्िरूप िसलें सूख • सूखे की अवग्रम चेतािनी प्रणाली (DEWS)69: भारतीय प्रौद्योवगकी संस्थान,
जाती हैं और संग्रहीत जल संसािनों की हावन होती है। गांिीनगर द्वारा प्रबंवित एक िास्तविक समय आिाररत सूखा वनगरानी प्लेटिाम़ि
• सूखे और शुष्कता के बीच अंतर: है।
o शुष्कता िस्तुतिः जलिायु का एक स्थायी अवभलक्षण है, • आत्मवनभ़िर कर वष ऐप: यह ऐप दकसानों को काऱि िाई करने योग्य कर वष संबंिी
जानकारी िेने और अवग्रम मौसम चेतािनी से लैस है।
जबदक सूखा बार-बार घरटत होने िाला और सामान्य
वस्थवत की तुलना में एक अस्थायी पररित़िन है। • राष्ट्रीय जल नीवत 2012: यह बाढ/सूखे की वस्थवत से वनपटने के वलए तैयाररयों
• इसके तहत सूखे के बाि की काऱि िाई एिं राहत कें दद्रत िरवष्टकोण को महत्ि दिया जाता है। िूसरी ओर शमन, अनुकूलन तथा तैयारी करने संबि
ं ी
पहलुओं पर सीवमत ध्यान दिया जाता है।
• जलिायु की वस्थवत से संबवं ित जानकारी का सीवमत उपयोग ही हो पाता है। इसके वलए अकु शल परस्पर संचार, भाषा संबंिी बािा, जरटल प्रारूपों,
पूिा़िनुमान संबि
ं ी विलंब और अंवतम उपयोगकता़िओं (सरकारी एजेंवसयों और समुिाय िोनों) की कम क्षमता जैसे मुद्दे उत्तरिायी हैं।
आगे की राह
• सूखे का वनिारण, शमन एिं तैयारी और अनुकूलन संबंिी रणनीवतयों पर आिाररत एकीकर त प्रबंिन को अपनाना चावहए।
• बेहतर समझ के वलए स्थानीय भाषा सवहत संिभ़ि विवशष्ट और आिश्यकता आिाररत सूखा पूिा़िनम
ु ान के वलए तंि विकवसत करना चावहए।
• शमन नीवतयों और उपायों जैस-े िसल विवििीकरण, सूक्ष्म शसंचाई और जल संचयन आदि से संबंवित वशक्षा एिं जागरूकता को बढािा िेना
चावहए।
• सूखे के प्रवत बेहतर प्रत्यास्थता के वलए सभी स्तरों पर मानि क्षमता वनमा़िण हेतु संयक्त
ु प्रवशक्षण काय़िक्रमों का आयोजन करना चावहए।
• सूखा-रोिी क्षमता को बढाने के वलए पारं पररक ज्ञान और स्थानीय पद्वतयों का पता लगाना और उन्हें लागू करना चावहए।
• सटीक पूिा़िनम ु ान लगाने के वलए तकनीकी क्षमताओं को बेहतर करने के संबि ं में पया़िप्त वनिेश करना चावहए।
सूखा प्रबंिन पर राष्ट्रीय आपिा प्रबंिन प्राविकरण (NDMA) के दिशा-वनिेश
आकलन और अवग्रम चेतािनी • व्यापक ररपोर्टिंग के वलए भूवम-आिाररत और अंतररक्ष-आिाररत जानकारी को एकीकर त करना।
(Assessment and Early • मरिा में नमी के स्तर की वनगरानी करना।
Warning) • िसल की पैिािार के त्िररत आकलन के िैकवल्पक तरीकों का विकास करना।
रोकथाम, तैयारी और शमन • स्िचावलत मौसम स्टेशन और िषा़िमापी (रे न-गेज) का उपयोग करके सूक्ष्म स्तर पर विश्लेषण और पूिा़िनुमान करना।
(Prevention, Preparedness
• सूखे को सहन करने में सक्षम िसल दकस्मों का विकास करना।
• िसल विवििीकरण, शस्प्रंकलर/वड्रप शसंचाई प्रणाली का उपयोग, बायो-डीजल प्रजावतयों को शावमल करते हुए िनीकरण करना
and Mitigation)
आदि जैसी पद्वतयों को बढािा िेना।
• शमन के संभावित उपाय के रूप में क्लाउड-सीशडंग का प्रयोग करने पर विचार करना।
(Capacity Development)
• वशक्षा के पाठ्यक्रम में सूखा प्रबंिन को शावमल करना।
• प्राकर वतक संसािन प्रबंिन, ऋण, बीमा, सूक्ष्म शसंचाई, कर वष िावनकी आदि क्षेिों के संबंि में दकसानों, समुिायों और अन्य
वहतिारकों को संिि
े नशील बनाना और प्रवशक्षण िेना।
सूखा प्रभावित क्षेिों में राहत और • तालाबों और कु ओं जैसी पररसंपवत्तयों का वनमा़िण करना।
प्रवतदक्रया
o ये सूखे के प्रभाि को कम करने के साथ-साथ रोजगार भी पैिा करते हैं।
(Relief and Response in
• वित्तीय सेिाओं तक बेहतर पहुंच सुवनवश्चत करना।
drought-affected areas) • अनुपरू क पोषाहार काय़िक्रम का विस्तार करना।
5.7.1. स्िच्छ और स्िस्थ पया़ि ि रण तक पहुं च सा ि़ि भौवमक मानिाविकार घोवषत (Access to Clean and Healthy
Environment as Universal Human Right )
• भारत ने महासभा के एक संकल्प के पक्ष में मतिान दकया है। यह संकल्प स्िच्छ, स्िस्थ और सतत पया़ििरण के अविकार को मानिाविकार का िजा़ि
प्रिान करता है।
o संकल्प में यह भी स्िीकार दकया गया है दक स्िस्थ पया़ििरण का अविकार मौजूिा अंतरा़िष्ट्रीय कानून से संबवं ित है। यह इस बात की भी पुवष्ट
करता है दक इसके प्रसार के वलए पया़ििरण से जुडे बहुपक्षीय समझौतों को पूण़ितिः लागू करना जरुरी है।
o यह संकल्प कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है।
o इसे मानिाविकारों की साि़िभौवमक घोषणा, 1948 में शावमल नहीं दकया गया है।
• इससे पहले िष़ि 2021 में, जेनि
े ा में संयक्त
ु राष्ट्र मानिाविकार पररषि ने एक संकल्प पाररत दकया था। यह संकल्प स्िस्थ और सतत पया़ििरण तक
पहुंच को साि़िभौवमक अविकार के रूप में मान्यता प्रिान करता है।
o िष़ि 1972 में आयोवजत स्टॉकहोम संयक्त
ु राष्ट्र पया़ििरण सम्मेलन का समापन पया़ििरण के मुद्दों को िैविक स्तर पर रखने के संकल्प के साथ
हुआ था।
• संकल्प का महत्ि
o पया़ििरणीय अन्याय और संरक्षण में भेि-भाि को कम करने में मिि वमलेगी।
o यह लोगों को सशक्त करे गा, विशेष रूप से जोवखमपूण़ि पररवस्थवतयों में रहने िाले लोगों को। इनमें पया़ििरणीय मानिाविकार रक्षक, बच्चे, युिा,
मवहलाएं और िेशज लोग शावमल हैं।
o यह संकल्प परथ्िी के वतहरे संकट, अथा़ित् जलिायु पररित़िन, जैि विवििता को नुकसान और प्रिूषण से वनपटने के वलए महत्िपूण़ि है।
o यह िेशों की उनके पया़ििरण और मानिाविकार संबि
ं ी िावयत्िों तथा प्रवतबद्ताओं के काया़िन्ियन में तेजी लाने में मिि करे गा।
• िूसरा संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन “वलस्बन घोषणा-पि” के साथ समाप्त हुआ। यह एक राजनीवतक घोषणा है। इसका शीष़िक है- “आिर ओशन,
आिर फ्यूचर: कॉल िॉर एक्शन।”
o इसे के न्या और पुतग
़ि ाल की सह-मेजबानी में वलस्बन में आयोवजत दकया गया था।
5.7.3. उष्ण करटबं ि के ऊपर ओजोन वछद्र (Ozone Hole Over The Tropics)
• िैज्ञावनकों ने उष्ण करटबंि के ऊपर समताप मंडल के वनचले क्षेि में एक विशाल तथा सभी मौसमों में सदक्रय ओज़ोन वछद्र (All-Season Ozone
Hole) का पता लगाया है। यह ओजोन वछद्र लंबित रूप से अंटाक़ि रटका के ऊपर बने ओज़ोन वछद्र के बराबर है। हालांदक, क्षेििल के मामले में यह
उससे लगभग सात गुना बडा है।
o सभी मौसमों में सदक्रय ओजोन वछद्र सामान्य िशाओं में मौजूि िायुमंडलीय ओजोन की तुलना में 25% से अविक ओजोन की हावन िाला क्षेि
होता है।
• समताप मंडल में उच्च ओजोन सांद्रता िाले क्षेि को ओजोन (O3) परत कहते हैं। यह सूय़ि से आने िाली हावनकारक पराबैंगनी विदकरणों को
अिशोवषत करके परथ्िी पर जीिन की रक्षा करती है।
o ओजोन परत के क्षरण की पुवष्ट िष़ि 1985 में िवक्षणी गोलाि़ि में िसंत मौसम के िौरान अंटाक़ि रटका के ऊपर ओजोन वछद्र के बनने से हुई थी।
▪ ओजोन वछद्र के वलए वनम्नवलवखत रसायनों के उत्सज़िन को वजम्मेिार माना जाता है:
5.7.4. पां च नई आद्ऱि भू वमयों को 'अं त रा़ि ष्ट्रीय महत्ि' का िजा़ि वमला (5 Wetlands Get ‘International Importance’ Tag )
• रामसर स्थल का िजा़ि प्राप्त करने िाली भारत की पांच नई आद्ऱिभवू मयां वनम्नवलवखत हैं:
करीदकली पक्षी अभयारण्य तवमलनाडु • यहां जलकाग, सिे ि बगुला, िूसर बगुला, खुली चोंच िाला सारस, डाट़िर, स्पूनवबल, सिे ि इबवनस,
वनशाचर बगुला, ग्रेब, ग्रे पेवलकन आदि पक्षी पाए जाते हैं।
पवल्लकरनई माश़ि ररज़ि़ि िॉरे स्ट तवमलनाडु • यह चेन्नई शहर में अंवतम बची प्राकर वतक आद्ऱिभवू मयों में से एक है।
वपचिरम मैंग्रोि तवमलनाडु • यह भारत के सबसे बडे मैंग्रोि पाररवस्थवतक तंिों में से एक है। यह समुद्र तटीय और िलिली िनों से युक्त
पया़ििास भी है।
• यह िेल्लार और कोल्लीडम नदियों के मुहाने के बीच वस्थत है।
• यहां के िरक्ष कु छ िीट पानी के नीचे स्थायी रूप से जडें जमा लेते हैं।
पाला आद्ऱिभवू म वमजोरम • यह वमजोरम में सबसे बडी प्राकर वतक आद्ऱिभवू म है।
• यह एक गहरी झील (16 मीटर से अविक गहरी) है। यह जानिरों की कई प्रजावतयों को आश्य प्रिान करती
है।
• यह सांभर वहरण, जंगली सूअर और भौंकने िाले वहरणों के वलए एक अनुकूल पया़ििास प्रिान करती है।
• यहां एंडेंजड़ि हूलॉक वगब्बन और िायरे स लीि मंकी पाए जाते हैं।
• स्थानीय मारा समुिाय इसे पविि मानता है।
साख्य सागर मध्य प्रिेश • इसे िष़ि 1918 में मवनयर निी से बनाया गया था।
• यह मध्य प्रिेश के वशिपुरी वजले में मािि राष्ट्रीय उद्यान के वनकट वस्थत है।
5.7.5. रे वडयोकाब़ि न डे टटं ग या काब़ि न -14 डे टटं ग (Radiocarbon Dating or Carbon-14 Dating)
• जीिाश्म ईंिन के िहन से िायुमंडलीय काब़िन-डाइऑक्साइड में रे वडयोिमी तत्ि ‘काब़िन-14’ के अनुपात में वगरािट आई है। इससे काब़िन-14 डेटटंग
(वतवथ वनिा़िरण) की प्रभािशीलता पर प्रवतकू ल प्रभाि पडा है।
• काब़िन-14 डेटटंग तकनीक जीवित जीिों से उत्पन्न काब़िन-आिाररत सामवग्रयों के वलए ‘िस्तुवनष्ठ आयु अनुमान’ (Objective Age Estimates)
प्रिान करती है।
• इसके अनुसार:
o सभी सजीि िातािरण और खाद्य स्रोतों से रे वडयोिमी तत्ि काब़िन-14 सवहत अन्य काब़िन को अिशोवषत करते हैं।
o जब दकसी सजीि की मरत्यु हो जाती है, तो िह काब़िन का अिशोषण करना बंि कर िेता है, दकन्तु उसके द्वारा जमा दकए गए रे वडयोिमी
काब़िन-14 का क्षय होता रहता है।
o शेष बची हुई मािा को मापने से यह अनुमान लगाया जाता है, दक कोई सजीि दकतने समय से मरत है।
• उपभोक्ता मामलों का विभाग ‘राइट टू ररपेयर’ पर एक व्यापक फ्रेमिक़ि तैयार करे गा। इसका उद्देश्य सतत उपभोग के माध्यम से लाइि/ LiFE
(पया़ििरण के वलए जीिनशैली) मूिमेंट पर बल िेना है।
o इस फ्रेमिक़ि के वलए वनम्नवलवखत प्रमुख क्षेिों की पहचान की गयी है:
▪ कर वष उपकरण,
▪ मोबाइल िोन/ टैबलेट,
▪ उपभोक्ता िस्तुएं और
▪ ऑटोमोबाइल तथा ऑटोमोबाइल उपकरण।
• ‘राइट टू ररपेयर’ आंिोलन वनमा़िताओं से उपभोक्ताओं को प्रामावणक पुजे उपलब्ि कराने की मांग करता है। इससे उपभोक्ता दकसी भी िक़ि शॉप पर
अपने उपकरण की मरम्मत करिा सकते हैं।
o ‘राइट टू ररपेयर’ को संयक्त
ु राज्य अमेररका, वब्रटेन और यूरोपीय संघ के िेशों सवहत कई िेशों में मान्यता िी गई है।
• ‘राइट टू ररपेयर’ आंिोलन की आिश्यकता:
o उपकरणों की मरम्मत करने िाली छोटी िक़ि शॉप्स के व्यिसाय को बढािा वमलेगा।
o ित़िमान में उपकरण ‘योजनाबद् अप्रचलन’ (planned obsolescence) की संस्कर वत के तहत बाजार में लाए जाते हैं। ये उपकरण इस तरह
वडज़ाइन दकये जाते हैं दक एक वनवश्चत समय के बाि इन्हें बिलना पडता है।
o पया़ििरण पर अत्यविक िबाि और प्राकर वतक संसािनों के वििेकहीन इस्तेमाल को कम करे गा।
o उपभोक्ता के िन और समय की बचत करे गा।
5.7.7. ‘हररत ऊजा़ि मु क्त पहुं च ’ वनयम (Green Energy Open Access Rules)
• विद्युत मंिालय ने ‘हररत ऊजा़ि तक मुक्त पहुंच’ से जुडे वनयम अविसूवचत दकए।
• विद्युत (हररत ऊजा़ि तक मुक्त पहुंच के माध्यम से निीकरणीय ऊजा़ि को प्रोत्साहन) वनयम, 2022 का उद्देश्य िेश के निीकरणीय ऊजा़ि काय़िक्रमों में
तेजी लाना है।
• वनयमों की मुख्य विशेषताएं
o सभी उपभोक्ताओं को हररत ऊजा़ि तक पहुंच प्रिान की गयी है। हररत ऊजा़ि के वलए ओपन एक्सेस ट्ांजेक्शन की सीमा 1 मेगािाट से घटाकर
100 दकलोिाट कर िी गई है। इससे छोटे उपभोक्ता भी मुक्त पहुंच के माध्यम से निीकरणीय ऊजा़ि खरीि सकते हैं।
o उपभोक्ता को विद्युत् वितरण कं पनी (वडस्कॉम) से हररत ऊजा़ि की आपूर्त़ि की मांग करने का अविकार है।
o िावणवज्यक और औद्योवगक उपभोक्ता स्िेच्छा से हररत ऊजा़ि खरीि सकते हैं।
o वितरण लाइसेंसिाररयों के क्षेि में सभी बाध्य संस्थाओं के वलए एक समान निीकरणीय ऊजा़ि खरीि िावयत्ि (RPO) का प्राििान दकया गया
है। RPO मानिंड को पूरा करने के वलए ग्रीन हाइड्रोजन/ ग्रीन अमोवनया को भी शावमल दकया गया है।
o हररत ऊजा़ि का उपभोग करने िाले उपभोक्ताओं को हररत प्रमाण-पि दिया जाएगा।
• इन वनयमों का महत्ि
o सभी के वलए दकिायती, वििसनीय, सतत और हररत ऊजा़ि तक पहुंच सुवनवश्चत होगी।
o हररत ऊजा़ि के उत्पािन, खरीि और उपभोग को बढािा िेंगे। इसमें ‘अपवशष्ट से ऊजा़ि’ संयंिों द्वारा उत्पादित ऊजा़ि भी शावमल है।
o हररत ऊजा़ि तक मुक्त पहुंच के वलए प्रदक्रयाओं को सरल करें ग।े
o िष़ि 2030 तक गैर-जीिाश्म ईंिन आिाररत 500 GW ऊजा़ि उत्पािन की क्षमता को हावसल करने के भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में मिि
करें गे।
• अंतरा़िष्ट्रीय प्रकर वत संरक्षण संघ (IUCN) ने पहली बार प्रिासी मोनाक़ि वततली को संकटापन्न प्रजावतयों की अपनी लाल सूची में शावमल दकया है।
IUCN ने इसे इस सूची में "एंडज
ें ड़ि" के रूप में िगीकर त दकया है।
• यह विि में सबसे ज्यािा िेखी जाने िाली वततवलयों में से एक है।
• उत्तरी अमेररका में लाखों मोनाक़ि वततवलयां सबसे लंबा प्रिास करती हैं। यह प्रिास विज्ञान में ज्ञात दकसी भी कीट प्रजावत द्वारा दकए जाने िाले
प्रिास की तुलना में बहुत अविक है।
• खतरे : पया़ििास का नुकसान, कर वष के वलए शाकनाशी और कीटनाशकों का बढता उपयोग तथा जलिायु पररित़िन।
• इनकी संख्या में िरवद् के उपाय: वमल्किीड का रोपण दकया जाना चावहए। यह एक ऐसा पौिा है, वजस पर कै टरवपलर (इवल्लयां) वनभ़िर करते हैं।
5.7.11. लाइट-में ट ल्ड अल्बाट्ॉस (िोबे रट्या - पै ल्पब्रे ट ) {Light-mantled Albatross (Phoebetria palpebrate)}
• एवशया में पहली बार ‘लाइट-मेंटल्ड अल्बाट्ॉस’ की उपवस्थवत िज़ि की गई है। यह अंटाक़ि रटक समुद्र का स्थावनक पक्षी है। इसे रामेिरम तट
(तवमलनाडु ) के वनकट िेखा गया है।
• इस पक्षी का पया़ििास अंटाक़ि रटक समुद्र का पररध्रुिीय (circumpolar) क्षेि है। यह अपने भोजन की तलाश में ठं डे अंटाक़ि रटका का विचरण करता
है।
• IUCN वस्थवत: वनयर थ्रेटेन्ड।
• परथ्िी विज्ञान मंिालय (MoES) के अनुसार वपछले 28 िषों से भारत के 34% समुद्र तट, अपरिन के अलग-अलग स्तरों का सामना कर रहे हैं।
• राष्ट्रीय तटीय अनुसि
ं ान कें द्र (NCCR) िष़ि 1990 से तटरे खा अपरिन की वनगरानी कर रहा है। इसके वलए यह सुिरू संिेिन डेटा और भौगोवलक
सूचना प्रणाली (GIS) आिाररत मैशपंग तकनीकों का उपयोग कर रहा है। NCCR, परथ्िी विज्ञान मंिालय का एक संलि काया़िलय है।
o िष़ि 1990 से िष़ि 2018 की अिवि के वलए िेश की मुख्य भूवम की 6907.18 दक.मी. लंबी तट रे खा का विश्लेषण दकया गया है।
o 26% समुद्र तट का विस्तार िेखा जा रहा है, जबदक 40% वस्थर अिस्था में है।
o पवश्चम बंगाल को सबसे अविक अपरिन का सामना करना पडा है। इसके बाि के रल, तवमलनाडु और गुजरात का स्थान है।
• समुद्री तट रे खा के समीप तलछट और चट्टानों के लंबी अिवि में क्रवमक रूप से कम होते जाने को तटीय अपरिन कहा जाता है। इस अपरिन के
कारण समुद्री लहरें , ज्िार, जल िाराएं, पिन संचावलत जल आदि जैसे प्राकर वतक कारक हैं।
o NCCR की 'भारतीय तट से सटी तटरे खा में पररित़िन का राष्ट्रीय आकलन' ररपोट़ि के अनुसार, वनम्नवलवखत मानि गवतविवियों ने भी तटीय
अपरिन को बढािा दिया है:
▪ तट के समीप संरचनाओं का वनमा़िण,
▪ समुद्र तट पर रे त खनन,
▪ अपतटीय ड्रेशजंग आदि।
• तटीय अपरिन के प्रभाि
o जानिरों और पौिों के पया़ििास नष्ट हो जाते हैं। साथ ही, तट अपनी सुंिरता भी खो िेते हैं।
o तटीय जीिों पर वनभ़िर मत्स्य उद्योग पर इसका प्रवतकू ल आर्थ़िक प्रभाि पडता है।
o उपजाऊ भूवम का नुकसान होता है।
o पररिहन अिसंरचना को नुकसान पहुंचता है। इससे पय़िटन प्रभावित होता है।
• तटीय अपरिन को रोकने के वलए दकए गए उपाय
o भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेिा कें द्र (INCOIS) ने तटीय सुभद्य
े ता सूचकांक (CVI) का मानवचि तैयार दकया है। यह भारतीय तटों के
समुद्र स्तर में िरवद् के प्रभािों का आकलन प्रिान करता है।
5.7.14. भारत की सबसे बडी तै र ती सौर ऊजा़ि पररयोजना (India’s Largest Floating Solar Power Project)
• राष्ट्रीय ताप विद्युत वनगम (NTPC) ने भारत की सबसे बडी तैरती (फ्लोटटंग) सौर ऊजा़ि पररयोजना की शुरुआत की है।
• NTPC तेलग
ं ाना के रामागुड
ं म में 100 मेगािाट की तैरती सौर ऊजा़ि पररयोजना का संचालन कर रहा है।
• यह पररयोजना उन्नत प्रौद्योवगकी के साथ-साथ पया़ििरण के अनुकूल सुवििाओं से भी संपन्न है।
5.7.15. एवशया-पै वसदिक सस्टे ने वबवलटी इं डे क्स 2021 (Asia Pacific Sustainability Index 2021)
• इसे एक िैविक संपवत्त सलाहकार नाइट फ्रैंक ने जारी दकया है।
• चार भारतीय शहर बेंगलुरु (शीष़ि पर), दिल्ली, हैिराबाि और मुब
ं ई ने शीष़ि 20 संिारणीय शहरों की सूची में जगह बनायी है।
• इस सूचकांक में शहरीकरण के िबाि, जलिायु जोवखम, काब़िन उत्सज़िन और सरकारी पहलों के आिार पर 36 शहरों का मूल्यांकन दकया गया है।
• भारत िष़ि 2021 में जारी दकये गए हररत बॉन्ड की कु ल रावश के मामले में एवशया प्रशांत में छठा सबसे बडा िेश है।
o हररत बॉन्ड एक प्रकार की वनवश्चत आय िाला सािन है।
o इसे विशेष रूप से जलिायु और पया़ििरण पररयोजनाओं के वलए वित्त जुटाने के वलए जारी दकया जाता है।
6.1. राष्ट्रीय वशक्षा नीवत (NEP), 2020 {National Education Policy (NEP), 2020}
• इसे NEP, 1986 (1992 में संशोवित) को प्रवतस्थावपत करने के वलए लांच दकया गया था। इसका उद्देश्य भारत को एक जीिंत एिं ज्ञान संपन्न
समाज में पररिर्त़ित करना है। साथ ही, ज्ञान के क्षेि में िैविक महाशवक्त के रूप में भारत को स्थावपत करना है। इस उद्देश्य को स्कू ली और कॉलेज
वशक्षा िोनों को 21िीं सिी की आिश्यकताओं के अनुकूल, अविक समग्र, लचीला तथा बहु-विषयक बनाकर पूरा दकया जाएगा।
• इसे पहुंच, वनष्पक्षता, गुणित्ता, िहनीयता और जिाबिेही के आिारभूत स्तंभों के आिार पर तैयार दकया गया है। साथ ही, इस नीवत को सतत
विकास एजेंडा 2030 के अनुरूप विकवसत दकया गया है।
• स्कू ली वशक्षा: राष्ट्रीय संचालन सवमवत के माग़ििश़िन में राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरे खा को विकवसत करने हेतु प्रयास दकए जा रहे हैं। स्कू ली वशक्षा में, बालिारटका में
गुणित्तापूण़ि ECCE का संचालन, वनपुण भारत (समझ के साथ पढने तथा संख्या गणना में वनपुणता के वलए राष्ट्रीय पहल) जैसी पहलों को अविगम पररणामों के
वलए अपनाया जा रहा है। साथ ही अविगम पररणामों को बढािा िेने के संिभ़ि में विद्या प्रिेश, परीक्षा सुिार और कला-एकीकर त वशक्षा, वखलौना-आिाररत
वशक्षाशास्त्र आदि जैसी अवभनि वशक्षण पहलों को भी अपनाया जा रहा है।
• भारतीय भाषाओं का प्रचार: राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA)75 ने 13 भाषाओं में JEE परीक्षा आयोवजत की है। अवखल भारतीय तकनीकी वशक्षा पररषि (AICTE)76
ने कर विम बुवद्मत्ता (AI)-आिाररत अनुिाि ऐप विकवसत दकया है तथा अध्ययन सामग्री का भारतीय भाषाओं में अनुिाि दकया जा रहा है।
• मल्टी मॉडल वशक्षा: स्ियं (SWAYAM), िीक्षा (DIKSHA), स्ियं-प्रभा (SWAYAM PRABHA), आभासी लैब (Virtual Labs) और अन्य ऑनलाइन संसािन
पोट़िल्स द्वारा नेिहीनों के वलए सांकेवतक भाषा ि ऑवडयो प्रारूपों सवहत कई भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री प्रिान की जा रही है। एक काय़िक्रम में ऑनलाइन
सामग्री की अनुमत सीमा को भी बढाकर 40% कर दिया गया है।
• उच्चतर वशक्षा में बहुविषयकता: लचीलेपन और आजीिन सीखने के वलए मल्टीपल एंट्ी-एवग्जट के साथ-साथ वडवजलॉकर प्लेटिॉम़ि पर एके डवमक बैंक ऑि क्रेवडट की
सुवििा को शुरू दकया गया है। इससे अब छािों के वलए उनकी सुवििा और पसंि के अनुसार अध्ययन को संभि बनाया जा सके गा। इसके अवतररक्त UGC ने भी कु छ
दिशा-वनिेश प्रकावशत दकए हैं। इसके अनुसार छाि एक साथ िो शैक्षवणक काय़िक्रम में भाग ले सकते हैं।
o एके डवमक बैंक ऑि क्रेवडट िस्तुतिः छािों के डेटा ररकॉड़ि को रखने हेतु वनर्म़ित एक िचु़िअल स्टोर-हाउस है।
• निाचार और स्टाट़िअप: NEP के साथ संरेवखत ‘निाचार उपलवब्ियों पर संस्थानों की अटल रैं ककं ग’ (ARIIA)77 को िष़ि 2021 में अनुसंिान, इन्क्यूबेशन और
स्टाट़िअप की संस्कर वत के वनमा़िण हेतु आरम्भ दकया गया था।
• भारतीय वशक्षा क्षेि की विवििता: भारत िुवनया का सबसे बडा लोकतांविक शैवक्षक पाररतंि िाला िेश है। यहां लगभग 34 करोड से अविक बच्चे
पढते हैं। ऐसे में NEP का िेशव्यापी काया़िन्ियन अत्यंत जरटल हो सकता है।
• वित्तीय संसािन: यद्यवप NEP में वशक्षा बजट के वलए मौजूिा प्रवतबद्ता (वशक्षा पर सकल घरे लू उत्पाि का 6% व्यय करने के उपबंि) पर जोर
दिया गया है, लेदकन इसमें इस बात का कहीं भी उल्लेख नहीं दकया गया है दक कै से वशक्षा बजट को 3.5% के मौजूिा स्तर से 6% के लक्ष्य तक
पहुंचाया जाएगा।
• पहले से चले आ रहे मुद्दे: भारत की वशक्षा प्रणाली व्यापक नौकरशाही व्यिस्था से प्रभावित रही है। साथ ही, यह निाचार की क्षमता और स्के ल अप
दकए जाने की क्षमता की कमी से भी ग्रस्त है। साथ ही, गैर-लचीली सामग्री पर आिाररत रटंत विद्या प्रणाली से अनुभिात्मक वशक्षा की ओर बढने के
वलए नौकरशाही, वशक्षकों ि अवभभािकों सवहत वहतिारकों के िरवष्टकोण में क्रांवतकारी बिलाि की आिश्यकता होगी।
• संघिाि: तवमलनाडु जैसे कई राज्यों ने NEP के अनेक प्रमुख प्राििानों और उन्हें लागू करने के तरीके पर कडी आपवत्त जताई है।
• अविगम क्षवत: विि बैंक के अनुसार भारत में, लर्निंग पॉिटी (अविगम वनि़िनता) 54% से बढकर 70% हो गई है। यह रचनात्मक अविगम की प्रावप्त
को अत्यंत करठन बना सकता है।
o लर्निंग पॉिटी का तात्पय़ि 10 िष़ि की आयु तक आयु के अनुरूप पाठ को पढने और समझने में असमथ़ि होने से है।
• बहुभाष्यता: मातरभाषा में पढाने से बच्चों की सीखने की क्षमता में सुिार होता है। लेदकन ऐसी बहुभाषी वशक्षण पद्वत के प्रबंिन के वलए प्रवशवक्षत
वशक्षकों की उपलब्िता को सुवनवश्चत कर पाना करठन होगा।
आगे की राह
• वित्तीय संसािन: कं पवनयों को वशक्षा क्षेि में वनिेश करने के वलए वनगवमत सामावजक उत्तरिावयत्ि (CSR) वनवि का उपयोग करने के वलए
प्रोत्सावहत दकया जाना चावहए। पूि़ि छािों द्वारा दिए जाने िाले िन पर कर आरोवपत नहीं दकया जाना चावहए। हाि़िड़ि और MIT की तरह, भारत के
6.1.1. भारत में उच्चतर वशक्षा की गु ण ित्ता (Quality of Higher Education in India)
• वित्तपोषण का वनिा़िररत मानक से कम होना: वपछले कु छ िषों में वशक्षा पर भारत का व्यय सकल घरे लू उत्पाि (GDP) का लगभग 3.1% रहा है।
इसके अलािा, भारतीय अनुसंिान एिं विकास व्यय (GDP का लगभग 0.62%) उभरती अथ़िव्यिस्थाओं की तुलना में सबसे कम रहा है।
• कम छाि नामांकन: भारत में उच्चतर वशक्षा में सकल नामांकन अनुपात (GER)80 िैविक औसत (36.7%) की तुलना में कािी कम रहा है। िष़ि
2019-20 में भारत का उच्चतर वशक्षा में सकल नामांकन अनुपात लगभग 27.1% रहा है।
• अपया़िप्त सरं चना: अविकांश कॉलेजों और वििविद्यालयों में बुवनयािी सुवििाओं जैसे प्रयोगशाला, अनुसि
ं ान उपकरण, कं प्यूटर, पुस्तकालय,
छािािास, पररिहन, खेल सुवििा आदि का अभाि है।
• वित्तपोषण: NEP, 2020 द्वारा अवििेवशत वशक्षा व्यय (सकल घरेलू उत्पाि का 6%) को िीरे -िीरे बढाया जाना चावहए। व्यवक्तयों, पूि़ि छािों और
संस्थानों द्वारा दिए जाने िाले िान को 100% कर कटौती योग्य होना चावहए। िानकता़ि की कु ल कर योग्य आय में से िान की रावश घटाई जानी
चावहए, वजससे िानकता़ि को अंततिः कम कर िेना पडे।
o वशक्षा को विवनमा़िण क्षेि के समान िरीयता िी जानी चावहए। इससे उच्चतर वशक्षा से जुडे बुवनयािी ढांचे के वनमा़िण के वलए बैंकों तथा वित्तीय
संस्थान के ऋणों तक पहुंच प्राप्त करने में मिि वमलेगी।`
o कॉपोरे ट क्षेि से िन प्राप्त करने के वलए उद्योग-अकािवमक सहयोग को बढािा दिया जाना चावहए। साथ ही, यह सहयोग छािों को विवभन्न
इं टऩिवशप काय़िक्रमों के माध्यम से अपने कौशल को बढाने में मिि करे गा। साथ ही, यह उद्योगों को अपनी जरूरतों को पूरा करने के वलए लीक से
हटकर समािान खोजने में भी मिि करे गा।
• वशक्षण पद्वत: पाठ्यक्रम की समीक्षा और इसे अपडेट करने के वलए एक स्थायी तंि उपलब्ि कराया जाना चावहए।
o साथ ही, हाइवब्रड प्रारूप में बािा रवहत वशक्षा प्रिान करने के वलए उपग्रह प्रौद्योवगदकयों के उपयोग पर विचार दकया जाना चावहए। हाइवब्रड
प्रारूप को ित़िमान में दिवजटल (दिवजकल प्लस वडवजटल) के रूप में संिर्भ़ित दकया जाता है।
• मान्यता: मान्यता के महत्ि को ध्यान में रखते हुए (जैसादक यह मानकीकरण और न्यूनतम मापिंडों को अपनाने पर जोर िेता है) संस्थानों को
मान्यता प्रणाली के तहत लाने के वलए और अविक प्रोत्साहन प्रिान दकया जाना चावहए। यह संस्थानों की मान्यता प्रणाली के संिभ़ि में महत्िपूण़ि
किम सावबत हो सकता है।
इससे वनजी/डीम्ड/अन्य वििविद्यालयों की • राष्ट्रीय वशक्षा नीवत (NEP) 2020: इसका उद्देश्य वशक्षा क्षेि में व्यापक सुिार लाकर "भारत को ज्ञान
प्रमाणन आिश्यकता को शीघ्रता से पूरा दकया के क्षेि में िैविक महाशवक्त" के रूप में स्थावपत करना है।
जा सके गा। • स्ियं (SWAYAM): भारत का यह मैवसि ओपन ऑनलाइन कोस़ि (MOOC) प्लेटिॉम़ि लगभग सभी
o एडटेक (Edtechs) के वलए, ऑनलाइन विषयों पर मुफ्त ऑनलाइन पाठ्यक्रम प्रिान करता है।
• उच्चतर वशक्षा वित्तपोषण एजेंसी (HEFA)81, 2018: यह वशक्षा मंिालय और के नरा बैंक का एक संयक्त
ु
पाठ्यक्रम शुरू करने संबि
ं ी मानिंडों में
उद्यम है। यह वशक्षा के वलए बाजार से िन, िान और CSR िं ड को एकवित करती है। साथ ही, यह
सुिार करना चावहए। साथ ही,
इन वनवियों का उपयोग भारत के प्रमुख उच्चतर वशक्षण संस्थानों में शैवक्षक बुवनयािी ढांचे के अनुसंिान
विवनयामक वनकायों को मौजूिा सिोत्तम और विकास के वलए करती है।
प्रथाओं के अनुरूप समायोवजत करने के • HEFA द्वारा वित्त पोवषत ररिाइटलाइज इं फ्रास्ट्क्चर एंड वसस्टम इन एजुकेशन (RISE) योजना:
वलए उन्हें अपडेट दकया जाना चावहए। इसका उद्देश्य प्रमुख शैक्षवणक संस्थानों में अनुसंिान और संबंवित बुवनयािी ढांचे में वनिेश को बढाना
• निोन्मेषकों को समथ़िन: CAG और वित्त है।
• पीएम ररसच़ि िे लोवशप (PMRF) योजना: इसे तकनीकी अनुसंिान की गुणित्ता को बढाने के वलए
मंिालय के परामश़ि से एक तंि विकवसत
आरं भ दकया गया था।
दकया जाना चावहए। इससे सरकारी वनवििा
• िैविक अकािवमक नेटिक़ि पहल (GIAN)82 और VAJRA/िज्र (विवजटटंग एडिांस ज्िाइं ट ररसच़ि): इन
से संबंवित बोली प्रदक्रया में निोन्मेषकों और
योजनाओं को अंतरा़िष्ट्रीय वनकायों को आकर्ष़ित करने हेतु शुरू दकया गया था।
इनक्यूबेटस़ि के सुगम प्रिेश को सुवनवश्चत
• स्टडी इन इं वडया काय़िक्रम: इसका उद्देश्य अंतरा़िष्ट्रीय छािों के वलए भारत को एक प्रमुख वशक्षा कें द्र के
दकया जा सके गा। रूप में स्थावपत करना है।
o ऐसे निोन्मेषकों और उद्यवमयों को
अिसर प्रिान करने से उन्हें कडी प्रवतस्पिा़ि का सामना करने में मिि वमलेगी।
• वशक्षा संकायों (िै कल्टी) की गुणित्ता को बढाना: यह शैक्षवणक वनयोजन ि भती के तरीकों में सुिार करके दकया जा सकता है। इन तरीकों में
हेडहंटटंग (वनयोजन हेतु श्ेष्ठ व्यवक्तयों की पहचान करना), प्रवतिारण रणनीवत, स्टाि विकास और प्रवशक्षण, व्यवक्तगत एिं पेशेिर परामश़ि,
अध्यापन अविगम कें द्र (TLC) की स्थापना आदि शावमल हैं।
• संस्थागत नेतत्र ि काय़िक्रम: अविक प्रभािी संस्थागत नेतरत्ि सुवनवश्चत करने के क्रम में उच्चतर वशक्षा संस्थानों के कु लपवतयों, प्रिानाचायों और शासी
वनकायों के सिस्यों की वनण़ियन क्षमता के विकास पर जोर िेना चावहए। साथ ही, विवभन्न स्तरों पर संरवचत शैक्षवणक काय़िक्रमों को बढािा दिया
जाना चावहए।
6.2. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सूचकांक के वलए राज्य रैं ककं ग सूचकांक {State Ranking Index (SRI) for National Food Security Index}
प्राििान वििरण
खाद्यान्न पािता • पाि पररिारों को ररयायती मूल्य पर 3/2/1 रुपये प्रवत दकलोग्राम की िर से क्रमशिः चािल,गेहूं और मोटे अनाज का वितरण दकया जाता है।
o इन्हें कें द्रीय वनग़िम मूल्य (CIP)84 पर वितररत दकया जाता है।
जनसंख्या का • NFSA, िष़ि 2011 की जनगणना के अनुमानों के आिार पर TDPS के तहत अत्यविक ररयायती मूल्य पर खाद्यान्न प्राप्त करने के वलए 75%
किरे ज ग्रामीण और 50% शहरी आबािी (जनसंख्या का 67%) को कानूनी अविकार प्रिान करता है।
o अविवनयम के तहत, पाि पररिारों को िो श्ेवणयां के अिीन शावमल दकया गया है- अंत्योिय अन्न योजना (AAY) पररिार और
प्राथवमकता िाले पररिार (PHH)85।
▪ खाद्यान्न पािता: प्रत्येक AAY पररिार को प्रवत माह 35 दकलोग्राम तथा प्रत्येक PHH व्यवक्त को प्रवत माह 5 दकलोग्राम अनाज
प्रिान दकया जाता है।
मातरत्ि अविकार के • गभ़ििती मवहलाओं और स्तनपान कराने िाली माताओं को कम से कम 6,000 रुपये का मातरत्ि लाभ प्रिान दकया जाता है।
वलए पररिारों की
• एकीकर त बाल विकास सेिाओं (ICDS)86 और मध्याह्न भोजन (MDM)87 योजनाओं के तहत वनिा़िररत पोषण मानिंडों के अनुसार गभ़ििती
पहचान
मवहलाओं और स्तनपान कराने िाली माताओं तथा बच्चों (6 महीने से 14 िष़ि तक के ) को भोजन का अविकार प्रिान दकया गया है।
खाद्य सुरक्षा भत्ता • खाद्यान्न की आपूर्त़ि न होने की वस्थवत में यह पाि लाभार्थ़ियों को दिया जाता है।
TPDS में सुिार • कें द्र और राज्य द्वारा TDPS का पूण़ि रूप से कं प्यूटरीकरण करने, विवशष्ट पहचान के वलए आिार का लाभ उठाने आदि जैसे सुिारों को
उत्तरोत्तर बढािा दिया जाएगा।
• लाभार्थ़ियों की पहचान: ित़िमान NFSA और TDPS पहलों को कई कारणों से आलोचना का सामना करना पडा है। इन कारणों में वनम्नवलवखत
शावमल हैं- शहरी विभेि, समािेशन ि बवहष्करण िुरटयां और बेघर, प्रिावसयों, आदििावसयों आदि जैसे लाभार्थ़ियों को लवक्षत करने की दिशा में
खराब प्रिश़िन करना इत्यादि।
• ररसाि और उद्देश्य से इतर उपयोग88: खाद्य और साि़िजवनक वितरण विभाग द्वारा दकए गए मूल्यांकन अध्ययनों में आपूर्त़ि श्रख
ं ला के लगभग प्रत्येक
शबंि ु पर खाद्यान्न के ररसाि, चोरी और उद्देश्य से इतर उपयोग को िशा़िया गया है। इसमें राज्य के गोिामों में भंडारण से लेकर आिंटन तक और
लाभार्थ़ियों को उनके FPS के माध्यम से अंवतम वितरण तक आपूर्त़ि श्रंखला के लगभग सभी शबंिु शावमल हैं।
o चोरी, मल्टीप्ल हैंडशलंग, ररसाि आदि के कारण खाद्यान्नों के पररिहन के िौरान नुकसान उठाना पडता है।
• अपया़िप्त भंडारण अिसंरचना: FCI द्वारा खाद्यान्न की खरीि के बाि,
पया़िप्त बुवनयािी ढांचे के अभाि में और अिैज्ञावनक प्रबंिन के कारण
खाद्यान्न की बबा़ििी (ििूं िी, चूहों आदि द्वारा) जैसी चुनौवतयााँ उत्पन्न
हो जाती हैं।
o इसके अलािा, भंडारण के बुवनयािी ढांचे में व्यापक स्तर पर
क्षेिीय असमानता मौजूि है। साथ ही अविकांश भंडारण क्षमता
पंजाब, हररयाणा, आंध्र प्रिेश आदि जैसे अत्यविक खरीि करने
िाले राज्यों तक सीवमत है।
• भारी राजकोषीय बोझ: सरकार द्वारा NFSA के तहत 67 िीसिी
आबािी को ररयायती िर पर खाद्यान्न उपलब्ि कराने के वलए
सवब्सडी के रूप में सालाना लगभग 1.70 लाख करोड रुपये का
भुगतान दकया जाता है। इसके अवतररक्त, सरकार द्वारा कें द्रीय वनग़िम
मूल्य (CIP) या खाद्यान्नों के ररयायती मूल्यों में संशोिन भी नहीं
दकया गया है।
o प्रिान मंिी गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतग़ित अवतररक्त
आिंटन का भुगतान कें द्र सरकार द्वारा दकया जाता है। इसने
सरकार पर बोझ को और बढा दिया है।
• लाभार्थ़ियों का अपडेशन नहीं दकया जाना: NFSA के तहत
लाभार्थ़ियों की संख्या िष़ि 2013 के स्तर पर बनी हुई है। हालांदक,
तब से हुई जनसंख्या िरवद् को िेखते हुए, NFSA के तहत एक िार्ष़िक
अपडेशन प्रणाली को अपनाकर सूची को अपडेट करने की मांग की जा
रही है।
• के िल अनाज सुरक्षा तक सीवमत होना: अविवनयम में शावमल खाद्य
िस्तुओं के अंतग़ित मुख्य रूप से चािल और गेहूं को ही सवम्मवलत
दकया गया है। इसमें िाल, सवब्जयों आदि को शावमल नहीं दकया गया
है।
• खाद्य िस्तुओं पर मुद्रास्िीवत का िबाि: सरकार द्वारा खाद्यान्नों की
वनरं तर और बढी हुई खरीि के पररणामस्िरूप खुले बाजार में वबक्री
के वलए अल्प मािा में खाद्यान्न उपलब्ि हो पाते हैं। इससे इनकी कीमतें बढ जाती हैं।
• शून्य अपिज़िन (Exclusion) िुरट के लक्ष्य के साथ िैज्ञावनक तरीके से प्राथवमकता िाले पररिारों की पहचान की जानी चावहए।
• िजी लाभार्थ़ियों और लीके ज को रोकने के वलए सूचना प्रौद्योवगकी सहायता के साथ लवक्षत लाभार्थ़ियों की विवशष्ट पहचान हेतु प्रयास दकए जाने
चावहए।
• खाद्यान्नों के उत्पािन में संिारणीय िरवद् के वलए कर वष एिं जैि-प्रौद्योवगकी हस्तक्षेप को बढािा दिया जाना चावहए। साथ ही, खाद्यान्नों की गुणित्ता
में सुिार हेतु उन्नत िसलोत्तर प्रौद्योवगकी का प्रयोग दकया जाना चावहए।
• अपवशष्ट न्यूनीकरण काय़िक्रमों पर प्रवशक्षण प्रिान करना चावहए और इस संबंि में जागरूक बनाना चावहए। साथ ही, कोष्ठागार (silos), शीत
भंडारण श्रख
ं ला तथा खाद्यान्नों के भंडारण के स्ििेशी तरीकों को विकवसत करके भंडारण क्षमता को भी बढाया जाना चावहए।
• NFSA के तहत िालों और िुग्ि उत्पािों को शावमल करने के वलए खाद्यान्न के िायरे को बढाया जाना चावहए।
• राजकोषीय बोझ को कम करने के वलए राष्ट्रीय ग्रामीण और शहरी किरे ज अनुपात को कम दकया जाना चावहए। इस अनुपात को नीवत आयोग द्वारा
सुझाए गए िायरे (मौजूिा 75-50 से कम करके 60-40 तक) के अिीन लाया जाना चावहए।
o CIP को पुनिः वनिा़िररत दकया जाना चावहए। आर्थ़िक सिेक्षण 2020-21 में भी इसकी अनुशस
ं ा की गई थी।
• खाद्यान्न उपलब्ि कराने की जगह लाभार्थ़ियों के बैंक खाते में खाद्य सवब्सडी के प्रत्यक्ष नकि हस्तांतरण की योजना का विस्तार दकया जा सकता है।
इससे खाद्यान्नों की भौवतक आिाजाही को कम करने तथा ररसाि को रोकने आदि में मिि वमलेगी।
o ित़िमान में इसे तीन कें द्र शावसत प्रिेशों यथा चंडीगढ, पुडुचेरी तथा िािरा और नगर हिेली (शहरी क्षेिों) में पायलट आिार पर लागू दकया
गया है।
6.3. प्रारूप राष्ट्रीय दिव्यांगजन नीवत {Draft National Policy on Persons with Disabilities (PwDs)}
विवनिेश वििरण
दिव्यांगता की रोकथाम पर व्यापक • दिव्यांगजन अविकार (RPD) अविवनयम के तहत दिव्यांगता के सभी पहलुओं और अन्य वचदकत्सा वस्थवतयों को शावमल दकया
राष्ट्रीय काय़िक्रम
गया है। इसके तहत उन्हीं वचदकत्सा वस्थवतयों को शावमल दकया गया है, वजन्हें जोवखमपूण़ि अिस्था के रूप में मान्यता प्रिान
की गई हो। साथ ही, वजनसे दकसी भी रूप में दिव्यांगता के प्रकट होने की संभािना हो।
प्रारं वभक पहचान और हस्तक्षेप • यदि शुरुआत में ही पहचान कर ली जाए तो बच्चों की अविकांश दिव्यांगताओं में से एक वतहाई की रोकथाम की जा सकती है।
सभी प्रकार की दिव्यांगताओं के • प्रत्येक वजले में विवभन्न दिव्यांगताओं के वलए प्रारं वभक हस्तक्षेप कें द्र स्थावपत दकया जाएगा। यह स्क्रीशनंग और पहचान तथा
वलए प्रारं वभक हस्तक्षेप के न्द्र पुनिा़िस सेिाओं के वलए रे िरल जैसी सुवििाएं उपलब्ि कराने में मिि करें ग।े
(Cross Disability Early • दिव्यांगता के आकलन और प्रमाणन के वलए अवभभािक की मिि करने हेतु प्रारं वभक हस्तक्षेप के न्द्र (EIC) को विवशष्ट
Intervention Centres: दिव्यांगता पहचान पोट़िल तक पहुंच प्रिान की जाएगी।
CDEICs)
प्रमाणीकरण • दिव्यांगजन अविकार (RPD) अविवनयम, 2016 के अिीन शावमल दिव्यांगता के आिार पर बािारवहत दिव्यांगता प्रमाणन
की सुवििा प्रिान की जाएगी।
o इसके अवतररक्त UNCRPD, इं वचयोन रणनीवत, सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) आदि जैसे अंतरा़िष्ट्रीय सािनों तथा नए घरे लू कानूनों के मध्य
नीवतगत समन्िय स्थावपत करने हेतु भी प्रयास दकए जाने चावहए।
• जागरूकता बढाना: पारस्पररक सम्मान और समझ िस्तुतिः समािेशी समाज के वनमा़िण में महत्िपूण़ि भूवमका का वनि़िहन करते हैं। इसवलए,
दिव्यांगता के प्रवत साि़िजवनक समझ में सुिार ि नकारात्मक िारणाओं का वनराकरण दकया जाना चावहए। साथ ही, दिव्यांगता को उवचत
प्रवतवनवित्ि दिया जाना अत्यंत आिश्यक है।
o उिाहरण के वलए, वशक्षा अविकाररयों को स्कू ल को समािेशी बनाने हेतु प्रयास करने चावहए। साथ ही, स्कू लों में विवििता को महत्ि िेने की
भािना भी होनी चावहए।
6.4. प्रिान मंिी स्ट्ीट िेंडस़ि आत्मवनभ़िर वनवि (पी.एम. स्िवनवि) (Prime Minister Street Vendors Atmanirbhar Nidhi: PM
SVANidhi)
सरकार ने प्रिान मंिी स्िवनवि योजना की सिलता के उपलक्ष्य में एक सांस्कर वतक उत्सि (‘स्िवनवि महोत्सि') का शुभारं भ दकया है।
• यह सूक्ष्म ऋण प्रिान करने हेतु संचावलत योजना है। यह 10,000 रुपये के काय़िशील पूंजी ऋण (संपार्ि़िक मुक्त ऋण) की सुवििा प्रिान करती है।
इसके तहत 7% की िर से ब्याज सवब्सडी के साथ 20,000 रुपये और 50,000 रुपये तक के ऋण प्रिान दकए जाते हैं।
o यह आिासन और शहरी काय़ि मंिालय के अिीन संचावलत एक कें द्रीय क्षेि की योजना है
o इसके उद्देश्यों में स्ट्ीट िेंडस़ि को काय़िशील • पथ विक्रेता (जीविका संरक्षण और पथ विक्रय विवनयमन) अविवनयम, 201491 के अनुसार,
पूज
ं ी ऋण की सुवििा प्रिान करना; स्ट्ीट िेंडस़ि में वनम्नवलवखत शावमल हैं:
o ऐसा व्यवक्त जो सडक, िु टपाथ, पैिल पथ आदि स्थानों पर या क्षेि में अस्थायी िुकानों
o वनयवमत पुनभुग
़ि तान को प्रोत्सावहत करना;
से या एक स्थान से िूसरे स्थान पर घूमकर प्रवतदिन के उपयोग की िस्तुएं, सामान,
o कै शबैक सुवििा के माध्यम से वडवजटल लेन-
िेन को पुरस्कर त करना इत्यादि शावमल हैं। माल ि खाद्य पिाथों के विक्रय का काय़ि करता है या जनता को सेिाएं प्रिान करने में
लगा हुआ है।
• पािता
• स्ट्ीट िेंडस़ि िेश के लघु उद्यमी (nano entrepreneurs) हैं, जो िस्तुओं और सेिाओं की
o 24 माच़ि, 2020 को या उससे पहले से विक्रय
उपलब्िता सुवनवश्चत करने में महत्िपूण़ि भूवमका वनभाते हैं।
में शावमल शहरी क्षेिों के सभी स्ट्ीट िेंडस़ि • िे औपचाररक अथ़िव्यिस्था के साथ संबि ं रखते हुए भारत के आर्थ़िक विकास के एक
इस योजना का लाभ ले सकते हैं। अवनिाय़ि अंग के रूप में शावमल हैं।
o हालांदक, के िल उन राज्यों/संघ राज्य क्षेिों के • अनुमावनत तौर पर भारत में स्ट्ीट िेंडस़ि की संख्या लगभग 1 करोड है। इनमें लगभग 11%
स्ट्ीट िेंडस़ि को ही इस योजना का लाभ शहरी श्वमक भी शावमल हैं।
उठाने की अनुमवत प्रिान की गई है, जहां पथ • पथ विक्रय की अथ़िव्यिस्था में प्रवतदिन की वहस्सेिारी लगभग 80 करोड रुपये है। साथ ही,
विक्रेता (आजीविका संरक्षण और पथ विक्रय प्रत्येक पथ उद्यमी या व्यापारी औसतन तीन अन्य उद्यवमयों या व्यापाररयों को सहयोग
विवनयमन) अविवनयम, 2014 के अंतग़ित प्रिान करता है।
• स्ट्ीट िेंडस़ि के वलए अन्य पहलों में शावमल हैं:
वनयमों एिं योजनाओं को अविसूवचत दकया
o पथ विक्रेता (जीविका संरक्षण और पथ विक्रय विवनयमन) अविवनयम 2014 को
गया है।
सरकार द्वारा शहरी स्ट्ीट िेंडस़ि के अविकारों के संरक्षण हेतु तथा पथ विक्रय
• योजना की विशेषताएं
गवतविवियों को विवनयवमत करने के वलए अविवनयवमत दकया गया था।
o ऋण के वलए, कोई संपार्ि़िक नहीं वलया o शहरी स्ट्ीट िेंडस़ि की सहायता हेतु िीनियाल अंत्योिय योजना के एक घटक के रूप में
जाएगा। िीनियाल अंत्योिय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका वमशन (DAY-NULM) की
o समय पर या ऋण को शीघ्र चुकाने पर, शुरुआत की गई है।
विक्रेता काय़िशील पूज
ं ी ऋण के अगले चक्र के o 125 शहरी स्थानीय वनकायों में स्िवनवि से समरवद् (SVANidhi se Samriddhi)
वलए पाि होंगे। साथ ही, अगले चक्र हेतु पहल को आरं भ दकया गया है।
• पथ विक्रेता अविवनयम 2014 का असमान काया़िन्ियन: िेश भर के राज्यों द्वारा िष़ि 2014 के इस अविवनयम को असमान रूप से लागू दकया गया
है। यह वस्थवत िेंडस़ि के सिेक्षण की आिश्यकता को प्रिर्श़ित करती है, तादक उन्हें स्ट्ीट िेंडस़ि प्रमाण-पि प्रिान दकया जा सके ।
• के िल एक चौथाई स्ट्ीट िेंडस़ि को किर दकया गया है: भारत में अनुमावनत 1 करोड स्ट्ीट िेंडस़ि में से के िल एक चौथाई स्ट्ीट िेंडस़ि को ही किर
दकया गया है। योजना के उद्देश्य के तहत अभी आिे स्ट्ीट िेंडस़ि (यानी 50 लाख) की पहचान की जानी शेष है।
91 Street Vendors (Protection of Livelihood and Regulation of Street Vending) Act, 2014
• संिारणीय योजना: इस योजना को कोविड जवनत आजीविका संबंिी संकट के समािान के वलए अल्पकावलक उपाय के रूप में शुरू दकया गया था।
लेदकन इसे "अवत सूक्ष्म उद्योगों" (स्ट्ीट िेंडस़ि) के वलए एक संिारणीय विकास योजना के रूप में नए वसरे से पुनिः तैयार दकया जाना चावहए। इससे
स्ट्ीट िेंडस़ि के वलए संिारणीय आिार पर ऋण प्राप्त करना संभि हो सके गा।
• सभी विक्रेताओं के वलए अनुशस
ं ा पिों का प्राििान: विक्रेताओं की "C" और "D" श्ेवणयों को योजना में शावमल नहीं दकया गया है। ये िे हैं वजनके
सिेक्षण में शावमल दकए जाने की संभािना कम है, क्योंदक उनके पास शहरी स्थानीय वनकायों से जारी दकए जाने िाले विक्रय प्रमाण-पि उपलब्ि
नहीं है। अतिः ऐसे में उन्हें अनुशस
ं ा-पि प्रिान दकया जाना चावहए।
• स्थानीय प्रशासन की सदक्रय भूवमका: िष़ि 2014 के इस अविवनयम में टाउन िेंशडंग सवमवतयों के गठन की पररकल्पना की गई थी। यह सरकार द्वारा
वचवन्हत सभी स्ट्ीट िेंडस़ि को मानिंडों के अिीन विक्रय जोन (िेंशडंग जोन) में समायोवजत करने हेतु दकया गया है।
• वनजी क्षेिक की िर्ि़ित भूवमका: वनजी बैंक जो ित़िमान में कु ल वितररत ऋण रावश का के िल 2% ही प्रिान करते हैं, िे इस प्रदक्रया में महत्िपूण़ि
भूवमका का वनि़िहन कर सकते हैं।
6.5.1. विि में खाद्य सु र क्षा और पोषण वस्थवत (SOFI) ररपोट़ि , 2022 {The State of Food Security And Nutrition in
The World (Sofi) Report, 2022}
92 letter of recommendation
6.5.2. िै विक लैं वगक अं त राल (GGG) ररपोट़ि , 2022 {Global Gender Gap (GGG) Report, 2022 }
• विि आर्थ़िक मंच (WEF) ने िैविक लैंवगक अंतराल (GGG) ररपोट़ि, 2022 जारी की है।
• िैविक लैंवगक अंतराल सूचकांक चार प्रमुख आयामों पर लैंवगक समानता की ित़िमान वस्थवत और उसके विकासक्रम पर आिाररत है (इन्िोग्रादिक
िेखें)।
o इस सूचकांक के प्रत्येक चार उप-सूचकांकों और समग्र सूचकांक पर GGG 0 और 1 के बीच अंक प्रिान करता है। जहां अंक 1 पूण़ि लैंवगक-
समानता की वस्थवत दिखाता है, िहीं 0 पूण़ि लैंवगक असमानता की वस्थवत दिखाता है।
o इस सूचकांक को िष़ि 2006 में लॉन्च दकया गया था। इसका उद्देश्य लैंवगक अंतराल को समाप्त करने के वलए सबसे प्रभािी नीवतयों की पहचान
करने में सहायता करना है।
• ररपोट़ि के मुख्य वनष्कष़ि
o िष़ि 2022 में, विि स्तर पर लगभग 68.1% लैंवगक अंतराल समाप्त हो जाएगा। िष़ि 2021 की तुलना में यह मामूली सुिार है।
o ररपोट़ि के अनुसार मौजूिा प्रगवत की िर पर पूण़ि लैंवगक समानता प्राप्त करने में 132 िष़ि लगेंगे।
o अभी तक दकसी भी िेश ने पूण़ि लैंवगक समानता हावसल नहीं की है। विि की 10 सबसे बडी अथ़िव्यिस्थाओं ने लगभग 80% लैंवगक अंतराल
समाप्त कर दिया है।
• भारत से संबवं ित वनष्कष़ि
o भारत "स्िास्थ्य और उत्तरजीविता" (health and survival) उप-सूचकांक में विि में सबसे खराब प्रिश़िन करने िाला िेश है। इस उप-
सूचकांक में भारत 146िें स्थान पर है।
o राजनीवतक सशक्तीकरण उप-सूचकांक में भारत के अंक में वगरािट िज़ि की गयी है। इसका कारण यह है दक भारत में बहुत कम समय के वलए
मवहलाएं राज्य प्रमुख के पि पर रही हैं।
• हाल ही में, कें द्रीय मंिी ने राष्ट्रीय पररिार वनयोजन वशखर सम्मेलन 2022 को संबोवित दकया। उन्होंने कहा दक भारत ने प्रवतस्थापन स्तर की
प्रजनन क्षमता हावसल कर ली है। साथ ही, िेश के 31 राज्यों/ कें द्र शावसत प्रिेशों की कु ल प्रजनन िर 2.1 या उससे कम है।
o प्रवतस्थापन स्तर की प्रजनन क्षमता (Replacement level fertility: RLF) प्रजनन क्षमता का िह स्तर है, वजस पर एक जनसंख्या एक पीढी
से िूसरी पीढी में स्ियं को उतने ही अनुपात में बिल लेती है।
o िल्ड़ि पॉपुलश
े न प्रॉस्पेक्ट्स 2022 के अनुसार, भारत िष़ि 2023 में चीन को पीछे छोडकर विि में सबसे अविक आबािी िाला िेश बन जाएगा।
• काय़िक्रम के िौरान, कें द्रीय मंिी ने भारत पररिार वनयोजन 2030 विजन िस्तािेज भी जारी दकया। इसमें वनम्नवलवखत विषयों का उल्लेख दकया
गया है:
o दकशोर आयु में बच्चे को जन्म िेना और जल्िी/ बाल वििाह: राष्ट्रीय पररिार स्िास्थ्य सिेक्षण-4 (NFHS-4) से NFHS-5 के बीच, दकशोररयों
द्वारा गभ़ििारण में मामूली वगरािट िज़ि की गयी है। िष़ि 2015-16 में यह िर 7.9% थी, जो िष़ि 2019-21 में कम होकर 6.8% हो गई थी।
o प्रिासन और गभ़ि वनरोिकों तक पहुंच में कमी: यह ज्यािातर प्रिासी पवत के आने से पहले गभ़िवनरोिक तैयाररयों की कमी, स्िास्थ्य सुवििाओं
तक पहुंच नहीं होने आदि के कारण है।
o जागरूकता काय़िक्रमों में पुरुषों की कम भागीिारी होती है।
o आिुवनक गभ़िवनरोिक उपलब्ि कराने में वनजी क्षेि की भागीिारी होनी चावहए।
• जनसंख्या वनयंिण के वलए भारत द्वारा दकए गए उपाय
o िष़ि 1952 में पररिार वनयोजन के वलए राष्ट्रीय काय़िक्रम शुरू करने िाला भारत िुवनया का पहला िेश बना था।
o िष़ि 2000 में राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग का गठन दकया गया था।
o भारत पररिार वनयोजन (FP) 2020 का सिस्य है। इसे अब FP 2030 में बिल दिया गया है। यह पररिार वनयोजन के वलए एक िैविक पहल
है।
• श्म पर संसि की स्थायी सवमवत को सूवचत दकया गया था दक कें द्र के पास बाल श्म पर कोई नया डेटा उपलब्ि नहीं है।
• पहली बार एक संसिीय सवमवत राष्ट्रीय बाल श्म पररयोजना (NCLP) की विस्तरत जांच कर रही है।
o NCLP योजना का समग्र वशक्षा अवभयान में विलय कर दिया गया था। इस विलय के बाि NCLP के वलए बजट की कमी हो गई थी। इसी
कारण बल श्म से जुडा कोई नया डेटा उपलब्ि नहीं हो सका।
• बाल श्म के बारे में
o िष़ि 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 5-14 िष़ि की आयु के 10.1 वमवलयन कामकाजी बच्चे हैं।
विज्ञानी जेवनिर डॉडना द्वारा प्रकावशत दकया गया था। RNA: RNA या राइबोन्यूवक्लक एवसड अणु एकल स्ट्ैंड िाले न्यूवक्लक एवसड होते हैं। यह
कु छ िायरस में पाए जाने िाली आनुिंवशक सामग्री होती है।
क्लस्टड़ि रे ग्युलरली इं टरस्पेस्ड शॉट़ि पैवलनड्रॉवमक ररपीट्स
जीन: जीन DNA का एक ‘विवशष्ट’ खंड होता है। यह RNA (ट्ांसदक्रप्शन) या प्रोटीन
(CRISPR)93 क्या है? (ट्ांसलेशन) के वनमा़िण में मिि करता है।
CRISPR िस्तुतिः बैक्टीररया (जीिाणुओं) में पाया जाने िाला जीनोम: दकसी सजीि के DNA के संपण
ू ़ि सेट को जीनोम कहते हैं। इसमें सभी गुणसूि (इसमें
एक आनुिंवशक कोड या अनुक्रम है। ये अनुक्रम जीिाणुओं को DNA होता है) और जीन शावमल होते हैं।
संक्रवमत करने िाले जीिाणु भोजी या बैक्टीररयोिे ज द्वारा वनर्म़ित आणविक कैं ची: यह DNA के अिांवछत वहस्से को काटने हेतु प्रयोग की जाने िाली एक कैं ची
होते हैं। है। इसे प्रवतबंिन एंजाइम (Restriction Enzymes) भी कहते हैं, क्योंदक ये गाइडेड RNA
• जीिाणु, अपने पर हमला करने िाले प्रत्येक िायरस को याि द्वारा वचवन्हत स्थान से अिांवछत जीन को हटाने में सहयोग करते हैं।
• गाइड RNA: यह RNA का एक खंड/वहस्सा होता है, जो लवक्षत जीन को वचवन्हत करने में मिि करता है। इसे प्रयोगशाला में तैयार दकया जाता है।
• CRISPR संबद् प्रोटीन 9 (Cas9): यह एक कैं ची के रूप में काय़ि करता है, जो DNA के अिांवछत वहस्से को काटकर हटाने में मिि करता है।
• DNA: DNA के िांवछत वहस्से को काटे गए स्थान में जोड दिया जाता है।
CRISPR के लाभ
• वनिानात्मक और वनिारक स्िास्थ्य िेखभाल: इससे, िुल़िभ आनुिंवशक रोगों को जल्ि और कु शल तरीके से ठीक करने में मिि वमल सकती है। इससे
आनुिंवशक रोगों से संबंवित महामारी विज्ञान (Epidemiology) के वनिा़िरण में भी मिि वमलेगी। इससे दकिायती तरीके से आनुिंवशक परीक्षण
तथा आनुिंवशक कैं सर का कु शल वनिान आदि संभि हो सके गा।
• खाद्य सुरक्षा: यह जल की कम आिश्यकता िाली िसलों और पािपों एिं प्रावणयों की उच्च उत्पािक दकस्मों को तैयार कर िुवनया भर में खाद्य
असुरक्षा के समािान में महत्िपूण़ि योगिान िे सकता है।
o ऐसे प्रयासों के पररणामस्िरूप, िसलों को सूखा और पया़ििरणीय प्रभाि का सामना करने में सक्षम बनाकर कर वष को अविक कु शल एिं उत्पािक
बनाया जा सकता है।
• कैं सर: चीन में CRISPR के पहले मानि परीक्षण को शुरू दकया गया है। यह परीक्षण कई प्रकार के कैं सर के इलाज पर कें दद्रत है।
• HIV: जापान में कोबे वििविद्यालय के िैज्ञावनकों द्वारा HIV को संक्रवमत मानि की कोवशकाओं में िै लने से रोकने के वलए CRISPR तकनीक का इस्तेमाल दकया
गया है।
• पार्किं सन: संयुक्त राज्य अमेररका वस्थत बायोिामा़िस्युरटकल कं पनी सीलोस थेरेप्यूरटक्स ने पार्किं सन रोग के वलए SLS-004 जीन एवडटटंग थेरेपी का पेटेंट हावसल
कर वलया है।
• आनुिवं शक हेरिे र (Genetic Manipulation): िष़ि 2015 में, चीन के िैज्ञावनकों ने मायोस्टेरटन जीन को वनवष्क्रय करके एक सुपर मस्कु लर बीगल (कु त्ते की एक
प्रजावत) को विकवसत दकया था। मायोस्टेरटन जीन मांसपेवशयों को सामान्य आकार में विकवसत होने के वलए वनिेवशत करता है।
• वसकल सेल एनीवमया: दिल्ली के इं स्टीट्यूट ऑि वजनोवमक्स एंड इं टीग्रेटेड बायोलॉजी के िैज्ञावनक जीन-एवडटटंग टू ल का उपयोग करके आनुिंवशक वसकल सेल
एनीवमया रोग को रोकने हेतु समािान खोजने की दिशा में प्रयासरत हैं।
• कर वष-खाद्य: राष्ट्रीय कर वष-खाद्य जैि प्रौद्योवगकी संस्थान (NABI)94 के शोिकता़िओं ने CRISPR CAS-9 का उपयोग कर के ले के जीनोम में िांवछत बिलाि दकया है।
यह बिलाि के ले की पोषण गुणित्ता और रोगजनक संबि
ं ी प्रवतरोिक क्षमता में सुिार करने हेतु दकया गया है।
• िुष्प्रभाि को कम करना: “ऑि-टारगेटटंग” की समस्याओं को िूर करने के वलए, व्यापक रूप से इस्तेमाल दकए जाने िाले स्ट्ेप्टोकोकस पाइोजेन्स कै स 995 की जगह
प्राकर वतक रूप से पाए जाने िाले बैक्टीररया फ्रांवससेला नोविवसडा (Francisella Novicida) के उपयोग पर शोि दकया जा रहा है।
o ऑि-टारगेट प्रभाि: इसे गैर-लवक्षत जीनोम स्थानों पर अिांवछत कटाि और उत्पररित़िन (mutations) के रूप में पररभावषत दकया जा सकता है। यह लवक्षत
जीनोम के समान, लेदकन उसकी तुलना में अलग अनुक्रम विशेषता प्रिर्श़ित करता है।
चुनौवतयां
• नैवतक चुनौवतयां:
o ‘अनुिांवशक रूप से तैयार दकए गए वशशुओं (Designer Babies)’ से जुडी शचंताएं: मानि भ्रूण से जुडे अनुिांवशक संशोिन, वडज़ाइनर बेबीज
के उद्देश्यों को साकार करने की संभािना प्रस्तुत करते हैं। इनके तहत भ्रूण में अनुिांवशक संशोिन को वचदकत्सा कारणों की बजाए सामावजक
कारणों से बढािा वमल सकता है। उिाहरण के वलए- उं चाई या बुवद्मता-क्षमता को बढाने के संिभ़ि में।
o न्याय और समानता संबि ं ी मुद्दे: इससे अमीर और गरीब के बीच मौजूिा अंतराल में और बढोतरी हो सकती है। इसके तहत के िल अमीर ही
बेहतर बुवद्मता या बेहतर रं ग के वलए जीन एवडटटंग संबंिी व्यय को िहन कर पाएंगे।
• जोवखम और लाभ संतल ु न: के िल सैद्ांवतक रूप से संभि कई वचदकत्सा उपचार अब व्यािहाररक रूप में भी संभि हो रहे हैं। यह वस्थवत इस तकनीक
के वनम्नस्तरीय या गैर-मानकीकरण उपयोग के साथ-साथ संबंवित वशकायत वनिारण समस्याओं को बढािा िे सकती है।
• पाररवस्थवतक प्रभाि: इससे पया़ििरणीय जीन भंडार को अपररित़िनीय स्थायी नुकसान पहुंच सकता है। यह पूरी आबािी में नकारात्मक लक्षणों िाले
जीनों के समूह के प्रसार को बढािा िे सकता है, वजससे गंभीर पाररवस्थवतक पररणामों के साथ पूरी लवक्षत आबािी प्रवतकू ल रूप से प्रभावित हो
सकती है।
आगे की राह
• परोपकारी विज्ञान: इससे संबंवित अनुसंिान को मानि स्िास्थ्य और कल्याण को बढािा िेने के अनुसार वडजाइन दकया जाना चावहए। इस तकनीक
के संबंि में अवनवश्चत और अली स्टेज संबंिी अनुप्रयोग से बचा जाना चावहए, तादक इससे संबंवित जोवखम को कम दकया जा सके । इससे संबंवित
अनुसि
ं ान के लाभ और बोझ को व्यापक तथा समान रूप से वितररत करना चावहए।
• सहमवत-आिाररत इस्तेमाल: जैि-नैवतकतािािी और शोिकता़िओं का मानना है दक जनन उद्देश्यों के वलए मानि जीनोम एवडटटंग का प्रयास तब तक
नहीं दकया जाना चावहए जब तक दक सुरवक्षत एिं प्रभािी शोि द्वारा इसकी पुवष्ट न कर िी जाए। साथ ही, इस पर सामावजक सहमवत को भी
सुवनवश्चत दकया जाना चावहए।
• अंतररक्ष पय़िटन, अंतररक्ष यािा का ही एक प्रकार है। यह आम लोगों को मनोरं जन, रोमांच या
व्यािसावयक उद्देश्यों के वलए अंतररक्ष की यािा करने का अिसर प्रिान करता है।
o इस उद्योग का आकार िष़ि 2019 में 350 वमवलयन डॉलर था। िष़ि 2040 तक इसका
आकार 1 रट्वलयन डॉलर से अविक हो जाने की संभािना है।
• अंतररक्ष पय़िटन का उद्देश्य उन लोगों के वलए अंतररक्ष की यािा को अविक सुलभ बनाना है, जो
एस्ट्ोनॉट्स नहीं हैं तथा जो गैर-िैज्ञावनक कारणों से अंतररक्ष की यािा करने के इच्छु क हैं।
• तीन वनजी कं पवनयों, यथा- ब्लू ओररवजन, िर्ज़िन गेलेवक्टक और एलोन मस्क की स्पेसएक्स के
अवतररक्त कु छ अन्य कं पवनयां भी अंतररक्ष पय़िटन के क्षेि में काय़िरत हैं।
• अंतररक्ष पय़िटन को अलग-अलग श्ेवणयों में विभावजत दकया गया है। इसमें कक्षीय, उप-कक्षीय
और चंद्र पय़िटन (Lunar Tourism) शावमल हैं।
अंतररक्ष में यावियों को अंतररक्ष में कु छ वमनट व्यतीत करने का अिसर प्रिान दकया जाता अंतररक्ष में कई दिन या एक सप्ताह से भी अविक समय व्यतीत करने का
समय है। अिसर प्रिान दकया जाता है।
• मानि स्िास्थ्य पर प्रभाि: यावियों को अंतररक्ष की असामान्य पररवस्थवतयों से संबंवित चुनौवतयों का सामना करना पड सकता है। इसके तहत यान
की सामान्य उडान के िौरान भी यावियों को तीव्र त्िरण और
गुरुत्िाकष़िण की अनुपवस्थवत जैसी चुनौवतयों का सामना करना
पडेगा।
• अंतररक्ष पय़िटन के गिनेंस से संबवं ित अंतरा़िष्ट्रीय वनयमों का
अभाि: इससे संबंवित िावणवज्यक उत्पािों, सेिाओं, कर्म़ियों
और सुवििाओं के प्रमाणीकरण के वलए नए वनयमों की
आिश्यकता पड सकती है। हालांदक, इससे पहले अंतररक्ष
पररयोजनाओं के वलए ऐसे वनयमों पर विचार नहीं दकया गया
था।
• पया़ििरण पर प्रभाि: शोिकता़िओं का मानना है दक, तेजी से
बढते अंतररक्ष पय़िटन उद्योग द्वारा वनयवमत प्रक्षेपण से ओजोन
क्षरण में सुिार हेतु शुरू की गई मॉवन्ट्यल प्रोटोकॉल संबंिी
प्रगवत प्रभावित हो सकती है।
• यािी िावयत्ि: अंतरा़िष्ट्रीय संवियों और अवभसमयों का उद्देश्य
अंतररक्ष के संबि
ं में हस्ताक्षरकता़ि िेशों का विवनयमन करना
है। हालांदक, इन संवियों और अवभसमयों के तहत अंतररक्ष के
संबंि में वनजी संस्थाओं के िावयत्ि को प्रबंवित करने िाले
प्राििान शावमल नहीं हैं।
• अंतररक्ष पय़िटक की अस्पष्ट वस्थवत: दकसी भी अंतरा़िष्ट्रीय
अंतररक्ष कानून द्वारा अंतररक्ष पय़िटकों को पररभावषत नहीं
दकया गया है। बाह्य अंतररक्ष संवि98, रे स्क्यू एग्रीमेंट आदि जैसी
मौजूिा अंतररक्ष संवियााँ के िल एस्ट्ोनॉट्स, मानिता के िूतों
या अंतररक्ष यान के कर्म़ियों पर ही लागू होती हैं।
• उच्च लागत: आम लोगों के वलए अंतररक्ष पय़िटन को साकार करने हेतु इसकी लागत को कािी कम करना पडेगा।
आगे की राह
भारत की पहलें
• वनजी अवभकता़िओं के विवनयमन सवहत अंतररक्ष पय़िटन के मुद्दों को विवनयवमत
• गगनयान वमशन को िष़ि 2024-25 के मध्य तक प्रक्षेवपत करने की
करने िाले कानूनों और वनयमों को तैयार दकया जाना चावहए।
योजना है।
• उप-कक्षीय उडानों से संबवं ित खतरों को िेखते हुए यावियों के वलए मेवडकल
• भारतीय राष्ट्रीय अंतररक्ष संिि़िन और प्राविकरण कें द्र (IN-
दिटनेस से संबवं ित वनयम बनाए जाने की आिश्यकता है। इससे यावियों की
SPACe)99: इसका उद्देश्य एंड-टू -एंड अंतररक्ष गवतविवियों में
सुरक्षा सुवनवश्चत करने में मिि वमलेगी।
• इस तेजी से बढते उद्योग से होने िाली जलिायु सम्बन्िी क्षवत को कम करने के वनजी क्षेिक की सदक्रय भागीिारी को बढािा िेना है। साथ ही,
वलए पया़ििरण विवनयमन के वनमा़िण पर ध्यान दिया जाना चावहए। इसके तहत अंतररक्ष पय़िटन को भी शावमल दकया गया है।
विवभन्न िेशों की अथ़िव्यिस्था और सुरक्षा के संिभ़ि में, अंतररक्ष अन्िेषण ने बहुत महत्िपूण़ि भूवमका वनभाई
है। जैसे-जैसे यह क्षेि िरवद् कर रहा है, इस क्षेिक में आपसी सहयोग की आिश्यकता भी बढ गई है। चूंदक
भारत इस क्षेिक की उभरती हुई शवक्त है, यह अंतररक्ष सहयोग स्थावपत करने और उसे सक्षम करने में
महत्िपूण़ि भूवमका वनभा सकता है।
अंतररक्ष अन्िेषण: बिलती
पररवस्थवतयां और भविष्य के
वलए विकल्प
7.3. राष्ट्रीय डोशपंग रोिी अविवनयम, 2022 (National Anti-Doping ACT, 2022)
अन्य • जीन डोशपंग: इसके तहत प्रिश़िन को सुिारने िाले पिाथों का इस्तेमाल करके शरीर की कोवशकाओं या जीन में िे रबिल दकया जाता
है।
• ब्लड डोशपंग: इसके तहत रक्त को शरीर से वनकाल दिया जाता है और ऑक्सीजन के स्तर को बढाने के वलए पुनिः प्रविष्ट कराया
जाता है।
• ग्लूकोकॉर्ट़िकॉइ्स गंभीर चोटों को वछपाने में मिि करते हैं क्योंदक ये सूजनरोिी होते हैं और चयापचय (metabolism) को
प्रभावित करते हैं। इसके अवतररक्त ये ग्लाइकोजन और रक्तचाप के स्तर को भी वनयंवित करते हैं।
• तीरं िाजी और वनशानेबाजी जैसे खेलों में बीटा ब्लॉकस़ि जैसे पिाथों/औषवियों को प्रवतबंवित दकया गया है क्योंदक ये हृिय गवत को
मंि और हाथों के कं पन को कम कर िेते हैं।
o विि डोशपंग रोिी एजेंसी (WADA) सभी प्रकार के प्रवतस्पिी खेलों में डोशपंग की वनगरानी करती है।
▪ WADA को एक स्ितंि अंतरा़िष्ट्रीय एजेंसी के तौर पर िष़ि 1999 में स्थावपत दकया गया था। इसमें िुवनया भर के खेल संगठन और सरकारें
शावमल हैं वजनके द्वारा समान रूप से आर्थ़िक सहायता मुहय
ै ा कराई जाती है।
o WADA समय-समय पर प्रवतबंवित पिाथों और तरीकों की सूची को अपडेट करती रहती है। इनमें, स्टेरॉयड, एनाबॉवलक स्टेरॉय्स, उत्तेजना
बढाने िाले पिाथ़ि, और जीन डोशपंग शावमल हैं।
▪ जैसा दक बताया गया है, वचदकत्सीय उपयोग के वलए यदि आिश्यक हो तो वनवषद् पिाथों के उपयोग से छू ट िी गई है।
o WADA, विि डोशपंग रोिी संवहता103 के आिार पर खेलों में डोशपंग की वनगरानी करती है।
▪ इस संवहता में खेल संगठनों और सरकारी संस्थाओं के वलए डोशपंग रोिी नीवतयााँ, विवनयमन और वनयमों के वनमा़िण के वलए एक फ्रेमिक़ि
उपलब्ि कराया गया है।
▪ राष्ट्रीय या अंतरा़िष्ट्रीय स्पिा़िओं में भाग लेने िाले दकसी भी वखलाडी को खेल आयोजन के िौरान डोशपंग रोिी एजेंसी या खेल आयोजन
सवमवत द्वारा दकसी भी समय अपने रक्त और/या मूि के नमूने िेने के वलए कहा जा सकता है।
▪ प्रवतस्पिा़ि में भाग लेने के िौरान और उसके बाि भी वखलाडी की जााँच की जा सकती है।
▪ WADA प्रत्यक्ष रूप से स्ियं ऐसे जााँच/परीक्षण नहीं करता है, बवल्क यह उन प्रयोगशालाओं को अविकर त करता है जो अंतरा़िष्ट्रीय स्तर पर
अवनिाय़ि मानकों का पालन करती हैं।
o भारत में इसे NADA द्वारा शावसत दकया जाता है। यह कें द्रीय खेल मंिालय के अिीन संचावलत एक स्ितंि वनकाय है।
7.4.1. ध्रु िीय उपग्रह प्रक्षे प ण यान (Polar Satellite Launch Vehicle: PSLV )
• नासा के 'जेम्स िेब स्पेस टेलीस्कोप' (JWST) ने ब्रह्ांड की अभी तक की सबसे गहरी अिरक्त तस्िीर खींची है।
• इस तस्िीर को िेब की पहली डीप िील्ड कहा जा रहा है। यह तस्िीर आकाशगंगा समूह ‘SMACS 0723’ को िशा़िती है। यह समूह 4.6 वबवलयन
िष़ि पहले प्रकट हुआ था।
हबल JWST
परथ्िी से िूरी 507 दक.मी. िूसरे सूय़ि-परथ्िी लैग्रेंज शबंि ु पर 1.5 वमवलयन दक.मी.
खोज का विषय युिा आकाशगंगाएाँ (12.5 अरब िष़ि पूि़ि) ब्रह्ांड के वनमा़िण के समय बनी (न्यूबोऩि) आकाशगंगाएाँ (13.5 अरब िष़ि पूि़ि)
सर्ि़िसब
े ल (मरम्मत योग्य) हााँ नहीं
Infrared) का वहस्सा
7.4.3. डाक़ि मै ट र वडटे क्टर LUX-ZEPLIN (LZ) {LUX-ZEPLIN (LZ) Dark Matter Detector}
• लाज़ि हैड्रॉन कोलाइडर ब्यूटी (LHCb) प्रयोग ने यूरोवपयन ऑग़िनाइजेशन िॉर न्यूवक्लयर ररसच़ि (CERN/ सऩि) में तीन नए कणों को खोजा है।
o एक नए प्रकार का पेंटाक्वाक़ि और पहली बार खोजे गए युग्म टेट्ाक्वाक़ि नए हैड्रॉन की सूची में शावमल तीन कण हैं।
o ये भौवतकवििों को बेहतर ढंग से यह समझने में मिि करें गे दक क्वाक़ि वमवश्त कणों में एक साथ कै से आबद् होते हैं।
• क्वाक़ि मूल कण होते हैं। ये सामान्यतिः िो और तीन के समूहों में संयोवजत होकर हैड्रॉन का वनमा़िण करते हैं, जैसे प्रोटॉन तथा न्यूट्ॉन वमलकर परमाणु
के नावभक का वनमा़िण करते हैं।
o ये चार-क्वाक़ि और पांच-क्वाक़ि कणों में भी संयोवजत हो सकते हैं। इन्हें टेट्ाक्वाक़ि और पेंटाक्वाक़ि कहा जाता है।
• सरकार ने टेलीकॉम एयरिेव्स के वलए 5जी स्पेक्ट्म नीलामी शुरू की है। हालांदक, इस क्रम में िाइबराइजेशन के वलए जरूरी अिसंरचना संबंिी
चुनौवतयां सामने आ रही हैं।
• िाइबराइजेशन (Fiberisation), ऑवप्टकल िाइबर के बल के माध्यम से रे वडयो टािरों को एक िूसरे से जोडने की प्रदक्रया है।
o यह नेटिक़ि का िह वहस्सा है, जो 5G सेिाओं में उपयोग दकए जाने िाले डेटा की बडी मािा के संचार के वलए नेटिक़ि के कोर को एक छोर से
जोडता है।
o इसके अलािा, यह अवतररक्त बैंडवि्थ और मजबूत बैकहॉल आिार भी प्रिान करता है।
o भारत में, ित़िमान में के िल 33% टािर िाइबर के बल से जुडे हुए है। िहीं संयुक्त राज्य अमेररका, जापान और चीन में यह अनुपात 80% से
90% के बीच है।
o 5G सेिा शुरू करने के वलए, भारत को कम से कम 16 गुना अविक िाइबर की आिश्यकता है।
• िाइबराइजेशन से संबवं ित
चुनौवतयां
o पूज ं ी संबि
ं ी बािा: भारत में
70% टािरों को िाइबर युक्त
बनाने के वलए 2.2 लाख करोड
रुपये के वनिेश की आिश्यकता
है।
o समय की कमी: िेश के प्रत्येक
गांि को 1000 दिनों में
ऑवप्टकल िाइबर के बल
(OFC) से जोडने के वलए, एक
दिन में 1251 दकमी की गवत से
के बल वबछाए जाने की
आिश्यकता है। यह ित़िमान
गवत से लगभग 3.6 गुना अविक है।
o भारतीय टेलीग्राि का माग़ि का अविकार (Right of Way: RoW) वनयम 2016 का अप्रभािी काया़िन्ियन: ये वनयम ओिरग्राउं ड टेलीग्राि
लाइन (OTL) की स्थापना के वलए एकमुश्त मुआिजे और एक समान प्रदक्रया का प्राििान करते हैं।
• भारत के पहले स्िायत्त नेविगेशन सुवििा कें द्र वतहान का उद्घाटन आईआईटी हैिराबाि में दकया गया है। इसे मानि रवहत जमीनी और हिाई िाहन
परीक्षण िोनों के वलए विकवसत दकया गया है।
• वतहान विज्ञान और प्रौद्योवगकी मंिालय की एक बहु-विषयक पहल है। इसका उद्देश्य भारत को भविष्य और अगली पीढी की 'स्माट़ि मोवबवलटी'
तकनीक में एक िैविक दिग्गज बनाना है।
• वतहान उद्योगों, अनुसि
ं ान और विकास प्रयोगशालाओं तथा वशक्षावििों को स्िायत्त नेविगेशन में अनुसि
ं ान के वलए एक मंच प्रिान करे गा।
• वतहान राष्ट्रीय अंतिःविषय साइबर भौवतक प्रणाली (NM-ICPS) वमशन के तहत 25 प्रौद्योवगकी निाचार कें द्रों में से एक है।
• दक्रप्टोजैककं ग, एक साइबर हमला है। इसका पता लगाना मुवश्कल है। इसमें एक कं प्यूटटंग वडिाइस को हमलािर हैक कर लेता है। इसके बाि िह
अिैि रूप से दक्रप्टोकरें सी के ‘कॉइन माइशनंग’ के वलए इसके संसािनों का उपयोग करता है।
• कॉइन माइशनंग एक िैि ि प्रवतस्पिी प्रदक्रया है। इसका उपयोग नए दक्रप्टो क्वाइन्स को प्रचलन में लाने या नए लेन-िेन को सत्यावपत करने के वलए
दकया जाता है।
o इसमें ब्लॉकचेन में जोडे जाने िाले सत्यावपत लेन-िेन के ब्लॉक्स उत्पन्न करने के वलए जरटल कम्प्यूटेशनल समस्याओं को हल करना शावमल है।
• इलेवक्ट्क िाहनों में आग लगने की घटनाओं में बढोतरी हो रही है। इसे ध्यान में रखते हुए कें द्र सरकार ने बैटरी प्रमाणन और गुणित्ता वनयंिण पर
प्रदक्रयाएं तैयार करने के वलए एक काय़ििल का गठन दकया है।
• इलेवक्ट्क िाहनों की बैटररयों में वनम्नवलवखत कारणों से आग लगने का खतरा पैिा हो सकता है:
o विवनमा़िण िोष,
o बाह्य क्षवत,
o िोषपूण़ि चार्जिंग,
o बैटरी प्रबंिन प्रणाली को स्थावपत करने में िोष आदि।
• जलिायु पररित़िन की बढती शचंता और कच्चे तेल के आयात वबल में कमी लाने के प्रयासों को ध्यान में रखते हुए सरकार यािी िाहन मावलकों को
इलेवक्ट्क िाहनों की खरीि के वलए प्रोत्सावहत कर रही है।
o इलेवक्ट्क िाहनों को ऊजा़ि प्रिान करने के वलए अलग-अलग प्रकार की बैटररयां उपलब्ि हैं। जैसे ली. आयन, सॉवलड स्टेट, वनकल-मेटल
हाइड्राइड आदि।
o हालांदक, इनमें से ली. आयन बैटररयों को सबसे अविक पसंि दकया जाता है। इसके वनम्नवलवखत कारण हैं:
▪ िजन की तुलना में अविक ऊजा़ि अनुपात,
▪ उच्च ऊजा़ि िक्षता,
▪ कम स्ितिः-वडस्चाज़ि आदि।
• बैटरी सुरक्षा के वलए उठाए गए किम
o भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने EV बैटररयों के वलए प्रिश़िन मानक तैयार दकए हैं।
o आग लगने की घटनाओं के कारणों की जांच करने के वलए एक जांच सवमवत का गठन दकया गया है।
o ररजेनरे े रटि ब्रेककं ग प्रणाली शुरू की गयी है, जो ऊजा़ि की पुनप्रा़िवप्त के द्वारा बैटरी की रें ज को बढाती है।
o कारखानों और घरे लू ऊजा़ि बैटरी भंडारण प्रणावलयों में EV बैटररयों के दिर से उपयोग को बढािा दिया जा रहा है।
• WHO की साइं स काउं वसल ने िैविक स्िास्थ्य के वलए जीनोवमक्स तक पहुंच में तेजी लाने पर कें दद्रत अपनी पहली ररपोट़ि जारी की है। इसमें तक़ि
दिया गया है दक समरद् िेशों की तुलना में कम संसािन िाले िेशों को ऐसी तकनीकों तक िेर से पहुंच प्राप्त होती है। यह नैवतक या िैज्ञावनक रूप से
उवचत नहीं है।
o साइं स काउं वसल की स्थापना िष़ि 2021 में WHO के महावनिेशक ने की थी। इसका उद्देश्य WHO की विज्ञान और अनुसि
ं ान रणनीवत पर
माग़ििश़िन प्रिान करना है।
• ररपोट़ि की वसिाररशें चार विषयों पर कें दद्रत हैं:
o जीनोवमक्स को बढािा िेने का समथ़िन;
o जीनोवमक पद्वतयों का काया़िन्ियन;
o जीनोवमक्स में काय़िरत संस्थाओं के बीच सहयोग; तथा
o जीनोवमक्स से पैिा हुए नैवतक, कानूनी और सामावजक मुद्दों (ELSIs) पर ध्यान कें दद्रत करना।
• जीनोवमक्स जीिों के संपण
ू ़ि जीनोम और उससे बडी मािा में उत्पन्न संबंवित जानकाररयों का अध्ययन है।
o िूसरी ओर, जेनरे टक्स, आनुिवं शकी के अध्ययन से भी संबवं ित है।
• जीनोवमक्स के अनुप्रयोग और उपयोग:
o वचदकत्सा संबि
ं ी उद्देश्यों के वलए मानि जीनोवमक्स: आनुिंवशक विकारों की रोकथाम, वनिान, पूिा़िनुमान, प्रबंिन, वनगरानी और उपचार।
o वचदकत्सा संबि
ं ी उद्देश्यों के वलए माइक्रोवबयल जीनोवमक्स: संक्रामक अवभकारकों की पहचान, िैक्सीन वडजाइन आदि।
o कर वष और जलीय कर वष जीनोवमक्स: नए लक्षणों की पहचान और रोगों के प्रवत संिेिनशीलता आदि।
o जैविक और वचदकत्सा अनुसि
ं ान: ििा विकास, रोग को प्रभावित करने िाले जीन की खोज आदि।
o अन्य: िोरें वसक विज्ञान, िंशािली का आकलन आदि।
भारत में जीनोवमक्स संबि
ं ी पहलें:
• जैि प्रौद्योवगकी विभाग (DBT), 'जीनोम इं वडया: कै टलॉशगंग ि जेनरे टक िेररएशन इन इं वडयंस' पररयोजना संचावलत कर रहा है।
• िैज्ञावनक तथा औद्योवगक अनुसि
ं ान पररषि (CSIR) द्वारा इं डीजेन (IndiGen) काय़िक्रम चलाया जा रहा है।
• भारतीय सास़ि-कोि-2 (SARS-CoV-2) जीनोवमक्स कं सोर्ट़ियम (INSACOG) आयोवजत दकया जाता है।
7.4.10. 'औषवि, वचदकत्सा उपकरण और प्रसािन सामग्री वििे य क-2022' का प्रारूप (Draft ‘Drug, Medical Devices,
and Cosmetics Bill-2022’)
• इस वििेयक में बिलती जरूरतों और तकनीक के साथ तालमेल बनाए रखने के वलए सख्त विवनयामकीय दिशा-वनिेश वनिा़िररत दकये गए हैं। यह
वििेयक पाररत होने के बाि िष़ि 1940 के ‘औषवि और प्रसािन सामग्री अविवनयम’ का स्थान लेगा।
o भारत, विि में वचदकत्सा उपकरणों के शीष़ि 20 बाजारों में शावमल है।
o इस बाजार का मूल्य िष़ि 2020 के 10 वबवलयन अमेररकी डॉलर से बढकर िष़ि 2025 तक 50 वबवलयन अमेररकी डॉलर होने की संभािना है।
• इस प्रारूप वििेयक की मुख्य विशेषताएं वनम्न हैं-
o इसमें वक्लवनकल ट्ायल, ओिर-ि-काउं टर ििाएं, ििा वनमा़िताओं, वचदकत्सा उपकरणों, नई ििाओं, जैि उपलब्िता अध्ययन
(Bioavailability Study), नई ििा की जांच और आयावतत नकली ििाओं के वलए नई पररभाषाएाँ तय की गई हैं।
o राज्य और कें द्रीय स्तर पर ििा प्रयोगशालाओं की तरह 'वचदकत्सा उपकरण परीक्षण कें द्र' बनाने का प्राििान दकया गया है।
o ऑनलाइन िामेसी और वचदकत्सा उपकरणों के वलए विवनयमन का प्राििान दकया गया है।
o ििाओं और वचदकत्सा उपकरणों के नैिावनक परीक्षण के वलए ‘कें द्रीय लाइसेंशसंग प्राविकरण’ की अनुमवत आिश्यक होगी।
o सुझाि िेने के वलए एक अलग 'औषवि प्रौद्योवगकी सलाहकार बोड़ि' और 'वचदकत्सा उपकरण तकनीकी सलाहकार बोड़ि' का गठन दकया जाएगा।
o कें द्र जनवहत में दकसी नए वचदकत्सा उपकरण का वनमा़िण या आयात के वलए आिश्यक नैिावनक परीक्षण नहीं करने की अनुमवत िे सके गा।
करने पर सहयोग करने के वलए िन आिंटन • इन महाद्वीपों में मनुष्यों की सघन आबािी िाले क्षेिों की अविकता के कारण इनके जानिरों के संपक़ि
तथा िैविक प्रयास शुरू कर दिए जाते हैं। में आने की संभािना बढ जाती है।
o इस िष़ि अब तक 60 से अविक िेशों में • गौरतलब है दक जैि विवििता समरद् उष्णकरटबंिीय क्षेिों में ऐसे रोगजनक सिा़िविक मािा में पाए
जाते हैं। ऐसे में इन क्षेिों में नए रोगजनकों के उत्पन्न होने की संभािना अत्यविक बढ जाती है।
मंकीपॉक्स के 15000 मामले सामने आ • शहरीकरण और अिसंरचना विकास में तीव्र िरवद् के साथ-साथ जैि विवििता समरद् क्षेिों के विनाश
चुके हैं। ने वपछले कु छ िशकों में प्रजावतयों के मध्य अन्तिःदक्रया को बढाया है।
• मंकीपॉक्स के बारे में • इन िोनों महाद्वीपों में अविकांश पररिार जीिन वनिा़िह कर वष और सीवमत पशुिन संसािनों की
o यह एक िायरल रोग है। यह संक्रवमत आपूर्त़ि पर वनभ़िर हैं। अतिः ऐसी पररवस्थवतयों में यहां पशुओं के रोग वनयंिण, चारा और उनके आिास
व्यवक्त के वनकट संपक़ि में आने से िै लता है। उपलब्िता को सुवनवश्चत कर पाना अत्यंत करठन हो जाता है।
संक्रवमत व्यवक्त में फ्लू जैसे लक्षण दिखाई
िेते हैं और त्िचा पर मिाि से भरे घाि बन जाते हैं।
o अफ्रीका के बाहर मंकीपॉक्स का ित़िमान संक्रमण वपछले संक्रमण से वबलकु ल अलग है। ित़िमान में एक व्यवक्त-से िूसरे व्यवक्त में वनरं तर संक्रमण
िेखा जा रहा है।
o अफ्रीका के बाहर ित़िमान संक्रमण के मामले मुख्य रूप से पुरुषों के साथ लैंवगक संबि
ं रखने िाले पुरुषों में ही िेखे जा रहे हैं। अफ्रीका में यह
स्थावनक (एंडेवमक) रोग है।
• अंतरा़िष्ट्रीय स्िास्थ्य विवनयम (IHR), 2005 के बारे में
o यह एक बाध्यकारी अंतरा़िष्ट्रीय कानूनी समझौता है। इस समझौते में WHO के सभी सिस्य िेशों सवहत िुवनया भर के 196 िेश शावमल हैं।
• िैविक िैक्सीन गठबंिन (GAVI) ने िष़ि 2022-2025 के बीच अफ्रीका में पहला मलेररया टीकाकरण संचालन के वलए अंतरा़िष्ट्रीय समथ़िन में 160
वमवलयन डॉलर की घोषणा की है।
o अफ्रीका में मलेररया के टीके की पहली खुराक घाना, के न्या और मलािी में िी जाएगी। िष़ि 2019 में इन्हीं िेशों में इस टीके का प्रायोवगक
परीक्षण दकया गया था। इनके बाि मलेररया प्रभावित अन्य िेशों में इसका विस्तार दकया जायेगा।
• मलेररया, प्लाज्मोवडयम परजीिी के कारण होने िाली बीमारी है। तेज बुखार आना इसका प्रमुख लक्षण है। यह संक्रवमत मािा एनादिलीज मच्छरों
के काटने से लोगों में िै लती है।
o WHO की विि मलेररया ररपोट़ि (WMR) 2021 के अनुसार, िष़ि 2020 में िुवनया भर में मलेररया के अनुमावनत 241 वमवलयन मामले थे।
साथ ही, इसी िष़ि इस रोग की िजह से 6,27000 लोगों की मरत्यु हुई थी।
o मलेररया उप-सहारा अफ्रीका में बचपन में बीमारी और मरत्यु का प्रमुख कारण बना हुआ है।
• भारत में मलेररया:
o WHO के िवक्षण-पूि़ि एवशया क्षेि (WMR 2021) में मलेररया के 83% मामले और इससे होने िाली सभी मौतों के लगभग 82% मामले
भारत में िज़ि दकये गए हैं।
o भारत ने मलेररया रोग को चरणबद् तरीके से समाप्त करने के वलए ‘राष्ट्रीय मलेररया उन्मूलन रूपरे खा (NFME), 2016-2030 लागू की है।
▪ इसका लक्ष्य िष़ि 2027 तक मलेररया के स्थानीय मामलों को शून्य करना है। साथ ही, िष़ि 2030 तक इसे पूरी तरह से समाप्त करना है।
▪ प्रमुख उपायों में वनम्नवलवखत शावमल हैं:
• आरं भ में ही उपचार,
• गहन उपचार,
• एकीकर त रोगाणु-िाहक प्रबंिन,
• सामुिावयक एकजुटता, आदि।
o यह एक अत्यविक संक्रामक िायरल रक्तस्रािी बुखार है। इसमें मरत्यु िर 88 प्रवतशत तक है।
o यह इबोला िायरस के कु ल से संबवं ित है।
o इससे जुडा पहला मामला सबसे पहले िष़ि 1967 में जम़िनी के मारबग़ि और फ्रैंकिट़ि में सामने आया था।
o टेरोपोवडडे कु ल के िलाहारी चमगािड (Fruit bats) इस रोग के प्रमुख िाहक हैं।
o यह रोग इन चमगािडों से लोगों में िै लता है। दिर यह मानि-से-मानि संचरण के माध्यम से अन्य मनुष्यों में िै लता है।
o ित़िमान में MVD के वलए कोई स्िीकर त टीका या एंटीिायरल उपचार उपलब्ि नहीं है।
कालाजार
• इस रोग को ब्लैक िीिर या विसेरल लीशमैवनयावसस के रूप में भी जाना जाता है। यह एक प्रोटोजोआ परजीिी जवनत रोग है। यह सैंडफ्लाई के
काटने से िै लता है। ये मवक्खयां 'लीशमैवनया डोनोिानी' नामक परजीिी से संक्रवमत होती हैं।
o यह रोग कु पोषण, जनसंख्या विस्थापन, आिास की खराब वस्थवतयों, कमजोर प्रवतरक्षा प्रणाली और पया़ििरणीय पररित़िनों से संबंवित है।
o इस रोग का उपचार और वनिान संभि है।
• भारत में, यह रोग वबहार, झारखंड, उत्तर प्रिेश और पवश्चम बंगाल में स्थावनक है।
o इस रोग को वनयंवित करने के वलए राष्ट्रीय कालाजार उन्मूलन काय़िक्रम शुरू दकया गया था।
o सरकार का लक्ष्य िष़ि 2015 तक भारत से इस रोग को समाप्त करना था। लेदकन, अभी तक इस लक्ष्य को प्राप्त नहीं दकया जा सका है।
अफ्रीकन स्िाइन िीिर (ASF)
• वबहार से ASF के मामले सामने आए हैं। इसके कारण राज्य सरकार ने सूअर, सूअर के मांस, सूअर के मांस उत्पाि तथा सुअर से प्राप्त खाि के
o ASF मानि स्िास्थ्य के वलए खतरा नहीं है। यह सूअरों से मनुष्यों में संचाररत नहीं होता है।
o ित़िमान में, ASF के वलए कोई प्रभािी टीका उपलब्ि नहीं है।
o इसके लक्षण तेज बुखार, उल्टी, िस्त इत्यादि हैं।
o इस रोग को भारत में पहली बार िष़ि 2019 में ररपोट़ि दकया गया था।
• हाल ही में, एक वब्ररटश कं पनी ने िािा दकया है दक उसने िुवनया का पहला बायोप्लावस्टक विनाइल ररकॉड़ि बनाया है। इससे कं पनी यह उम्मीि कर
रही है दक अब अत्यविक विषाक्त पॉलीविनाइल क्लोराइड (PVC) की मांग कम हो जाएगी।
• बायोप्लावस्टक्स तेल या गैस की बजाय शक़ि रा और स्टाच़ि जैसे स्रोतों से प्राप्त होते हैं। इनके उत्पािन के िौरान कोई विषाक्त अपवशष्ट नहीं बनता है।
o ये शत-प्रवतशत अपघटनीय है। साथ ही, समान रूप से प्रवतरोिी और बहु उपयोगी प्रकर वत के होते हैं। इनका पहले से ही कर वष, िस्त्र उद्योग, ििा,
कं टेनर, पैकेशजंग बाजार आदि में उपयोग दकया जा रहा है।
• संयुक्त राज्य अमेररका के िैज्ञावनकों ने बैक्टीररया से ईंिन विकवसत दकया है। इस ईंिन को पोप-िे म नाम दिया गया है।
हाल ही में, प्रिान मंिी ने आंध्र प्रिेश के भीमािरम में महान स्ितंिता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू की 125िीं जयंती
के अिसर पर एक िष़ि तक चलने िाले जयंती समारोह का शुभारं भ दकया है। इस अिसर पर प्रिान मंिी ने अल्लूरी
सीताराम राजू की 30 िु ट ऊंची कांस्य प्रवतमा का भी अनािरण दकया।
• अल्लूरी सीताराम राजू का जन्म 1897 ई. में मद्रास प्रेसीडेंसी के पवश्चमी गोिािरी वजले के मोगल्लु गांि में हुआ
था।
• आदििासी उन्हें अपना भगिान मानते थे। ऐसा माना जाता था दक िह एक चमत्काररक पुरुष हैं तथा उनके पास
कु छ ऐसी शवक्तयां हैं, जो मानिों में नहीं होतीं हैं।
• उन्हें मन्यम िीरुडु ’ के रूप में भी जाना जाता है। इसका शावब्िक अथ़ि होता है- 'जंगलों का नायक'।
• सीताराम राजू की पहुंच के िल रम्पा क्षेि तक ही सीवमत नहीं थी, उन्होंने पूरे भारत में लोगों के साथ अपना संपक़ि स्थावपत दकया था।
o िह कलकत्ता सीक्रेट सोसाइटी के सिस्य थे, जहााँ उन्होंने बम बनाना सीखा था।
o उन्होंने चटगांि में क्रांवतकाररयों की एक बैठक में भी भाग वलया था, जहां कई अन्य क्रांवतकारी एकजुट हुए थे।
o उन्होंने रम्पा क्षेि में अंग्रेज़ों के विरुद् अपने संघष़ि में पूरे भारत से हवथयार और गोला-बारूि एकि दकए थे।
• सीताराम राजू ने पहाडी क्षेि (रम्पा और गुडम े ) में असहयोग आंिोलन के प्रसार में महत्िपूण़ि भूवमका वनभाई थी।
• िह एक शानिार रणनीवतज्ञ थे, वजन्हें िहां की भौगोवलक वस्थवतयों का भली भांवत ज्ञान था। उन्होंने अंग्रज
े ों के साथ गुररल्ला युद् में शावमल होने के
वलए अपने भौगोवलक ज्ञान का प्रयोग दकया था।
रम्पा विद्रोह के बारे में (अगस्त 1922 - मई 1924)
• रम्पा विद्रोह को ‘मन्यम विद्रोह’ भी कहा जाता है। यह एक आदििासी विद्रोह था।
• विद्रोह को जन्म िेने िाले कारक
o मुत्तिार इस क्षेि के िास्तविक शासक थे। उन्हें जबरिस्ती औपवनिेवशक ढांचे के अिीन लाकर उनकी सामावजक-आर्थ़िक वस्थवत को चुनौती िी
गई थी।
o नए औपवनिेवशक शासन के तहत ‘पोडु खेती’ (स्थानांतररत खेती) को अिैि घोवषत कर दिया गया था।
o औपवनिेवशक शासन ने स्थानीय लोगों के लघु िनोपज एकि करने के अविकारों को भी छीन वलया था।
o आदििावसयों को जबरन िेट्टी, अथा़ित अिैतवनक श्म में लगाया जाता था।
• अल्लूरी सीताराम राजू ने लोगों को जागरूक करते हुए कहा दक िे ही िन उपज के एकमाि स्िामी हैं। इस आिार पर उन्हें िमनकारी ‘मद्रास िन
अविवनयम, 1882’ के वखलाि लडने के वलए तैयार दकया।
आंिोलन का घटनाक्रम
• अल्लूरी सीताराम राजू का मानना था दक आिुवनक हवथयारों से लैस वब्ररटश सेना के विरुद् पारं पररक हवथयारों से नहीं लडा जा सकता है। इसवलए,
आिुवनक हवथयार प्राप्त करने के वलए उन्होंने पुवलस थानों से हवथयारों को लूटना शुरू कर दिया।
• हवथयारों के वलए पहला हमला विशाखापत्तनम एजेंसी क्षेि के शचंतापल्ली पुवलस स्टेशन पर दकया गया था।
• प्रत्येक हमले के बाि, अल्लूरी अपने द्वारा वलखे गए एक पि को पीछे छोड िेते थे। इसमें पुवलस को उसके हमले के वििरण के बारे में सूवचत दकया
जाता था।
• उनके द्वारा दकए जाने िाले हमलों की एक और पहचान यह थी दक िह अगले हमले की तारीख ि समय की घोषणा करते हुए पुवलस को चेतािनी
िेते थे।
राजकीय प्रतीक
हाल ही में, कें द्र सरकार ने भारतीय ध्िज संवहता में संशोिन दकया है।
• नए संशोिन के अनुसार, राष्ट्रीय ध्िज को अब खुले में या दकसी नागररक के घर पर दिन-रात िहराया जा सकता है। इससे पहले, वतरं गे को के िल
सूयोिय से सूया़िस्त तक ही िहराने की अनुमवत थी।
o भारतीय ध्िज संवहता को दिसंबर 2021 में भी संशोवित दकया गया था। इसमें हाथ से काते गए ि हाथ से बुने गए ऊनी/ सूती/ वसल्क/
पॉवलस्टर या खािी के कपडे से बने ध्िज के उपयोग की अनुमवत िी गई थी।
• नया संशोिन का उद्देश्य सरकार के 'हर घर वतरं गा' अवभयान को गवत प्रिान करना है।
o ‘हर घर वतरं गा’ अवभयान को ‘आजािी के अमरत महोत्सि’ के अिसर पर शुरू दकया गया है। इस अवभयान का उद्देश्य लोगों को भारत की
आजािी के 75िें िष़ि का उत्सि मनाने के वलए अपने घर पर वतरं गा िहराने हेतु प्रोत्सावहत करना है।
• डाक विभाग को 'हर घर वतरं गा' अवभयान के महत्ि के बारे में लोगों को जागरूक करके िेश भर में अपनी पहुंच और काय़िबल का उपयोग करने का
काय़ि सौंपा गया था।
• भारतीय ध्िज संवहता, भारतीय राष्ट्रीय ध्िज के उपयोग, प्रिश़िन और िहराने के संिभ़ि
में कानूनों, परं पराओं, प्रथाओं तथा वनिेशों का एक समूह है। इसे 26 जनिरी 2002 को
लागू दकया गया था।
o राष्ट्रीय ध्िज को भारत की संवििान सभा ने 22 जुलाई 1947 को अपनाया था।
• यह वनजी, साि़िजवनक और सरकारी संस्थानों में राष्ट्रीय ध्िज के प्रिश़िन को शावसत
करता है।
• राष्ट्रीय ध्िज का आकार और माप: यह आयताकार होगा। यह दकसी भी आकार का हो
सकता है, लेदकन राष्ट्रीय ध्िज की लंबाई और ऊंचाई का अनुपात 3:2 होना चावहए।
• घर पर राष्ट्रीय ध्िज: साि़िजवनक या वनजी संगठन या शैक्षवणक संस्थान का कोई सिस्य
राष्ट्रीय ध्िज की गररमा और सम्मान के अनुसार सभी दिनों या अिसरों पर राष्ट्रीय ध्िज को िहरा सकता है।
हाल ही में, प्रिान मंिी ने राजकीय प्रतीक का अनािरण दकया है। इसे निवनर्म़ित संसि भिन के शीष़ि पर स्थावपत दकया गया है।
• मौय़ि सम्राट अशोक ने 250 ईसा पूि़ि में शसंह-शीष़ि स्तंभ का वनमा़िण करिाया था। इसे उस स्थान (सारनाथ) को वचवह्नत करने के वलए वनर्म़ित
करिाया गया था, जहां बुद् ने ज्ञान की प्रावप्त के उपरांत अपना पहला उपिेश दिया था। इस उपिेश में उन्होंने चार-महान सत्यों की व्याख्या की
थी। इस घटना को िम़िचक्र प्रित़िन कहा जाता है।
• राजकीय प्रतीक सारनाथ के शसंह-शीष़ि स्तंभ का वचिात्मक रूपांकन है। यह मूल रूप से सारनाथ में अशोक स्तंभ (शसंह स्तंभ) के शीष़ि पर वस्थत
है। इसके नीचे वलखा गया िाक्य राष्ट्रीय आिश़ि िाक्य है।
• प्रवसद् कलाकार नंिलाल बोस के पांच छािों ने इस प्रतीक को बनाया है। इनमें जगिीश वमत्तल, कर पाल शसंह शेखाित, गौरी भांजा और
िीनानाथ भाग़िि शावमल थे।
• यह महसूस दकया गया था दक यह स्तंभ स्ितंि राष्ट्र की शवक्त, साहस और आत्मवििास का प्रतीक है।
• यह प्रतीक एक वद्व-आयामी मूर्त़िकला को िशा़िता है। इसमें वनर्म़ित शसंहों के नीचे िेिनागरी वलवप में मुड
ं क उपवनषि से वलया गया िाक्य ‘सत्यमेि
जयते’ (के िल सत्य की ही जीत होती है) उत्कीण़ि दकया गया है।
• पशु आकर वत
o गज़िना करते हुए चार राजसी शसंह और चार मुख्य दिशाओं की ओर उनके मुख शवक्त, साहस, गि़ि ि
आत्मवििास को िशा़िते हैं। ये शसंह समग्र रूप से जीिन के सभी क्षेिों में समानता और न्याय पर जोर िेने के
प्रतीक हैं।
o चक्रों के बीच में चार पशुओं को चारों दिशाओं के संरक्षक के रूप में माना जाता है। ये पशु शीष़ि िलक
(Abacus) में चक्रों को घुमाते हुए दिखाई िेते हैं।
▪ हाथी राजकु मार वसद्ाथ़ि के अपनी माता के गभ़ि में आने को िशा़िता है।
▪ िरषभ राजकु मार वसद्ाथ़ि की युिािस्था का प्रवतवनवित्ि करता है।
▪ अि के माध्यम से वसद्ाथ़ि को ज्ञान की तलाश में अपने शाही जीिन को त्यागते हुए िशा़िया गया है।
▪ शसंह पीपल के िरक्ष के नीचे वसद्ाथ़ि को ज्ञान प्राप्त करने और बुद् के रूप में उनके पररित़िन का वचिण करता है।
• िम़ि चक्र या अशोक चक्र 'कानून का पवहया' है, जो िम़ि (सद्गुण) को िशा़िता है।
o चक्र की 24 तीवलयााँ एक दिन में घंटों की संख्या का प्रवतवनवित्ि करती हैं, और समय बीतने को िशा़िती हैं। तीवलयााँ जीिन में आगे बढने का संकेत िेती हैं और
इस प्रकार व्यवक्त मन-मवस्तष्क की वस्थरता से बच सकता है।
8.3.1. अमू त़ि सां स्कर वतक विरासत (ICH) की सु र क्षा के वलए अवभसमय {Convention for Safeguarding of Intangible
Cultural Heritage (ICH)}
8.3.2. िष़ि 2022 में विि के 50 सि़ि श्े ष्ठ स्थान (World's 50 Greatest Places of 2022 )
• टाइम मैगज़ीन ने िष़ि 2022 के 'विि के सि़िश्ेष्ठ स्थानों' की अपनी सूची जारी की है। इस सूची में अहमिाबाि और के रल शावमल हैं।
• अहमिाबाि के बारे में
o यह चारिीिारी (परकोटा) िाला शहर भारत का पहला यूनस्े को विि िरोहर शहर है।
▪ यूनेस्को के विि िरोहर शहर (WHC) काय़िक्रम का उद्देश्य उसके पक्षकार िेशों को उनकी शहरी िरोहर की सुरक्षा और प्रबंिन की
चुनौवतयों में सहायता करना है।
▪ विि िरोहर सूची में शावमल होने के वलए स्थानों को वनम्नवलवखत शतों को पूरा करना आिश्यक है:
• उस स्थान को उल्लेखनीय साि़िभौवमक/ िैविक मूल्य िाला होना चावहए और
• िस चयन मानिंडों में से कम से कम एक को पूरा करना चावहए।
o इसकी स्थापना 15िीं शताब्िी में सुल्तान अहमि शाह ने साबरमती निी के पूिी तट पर की थी।
o इस शहर को पहले आशा भील की आशािल; कण़ििि
े की कणा़ििती, जैन िम़ि की राजिानी राजनगर आदि नामों से जाना जाता था।
o शहर के महत्िपूण़ि स्थापत्य वनम्नवलवखत हैं:
▪ भद्र दकला,
▪ िोट़ि वसटी की िीिारें और द्वार,
▪ मवस्जि और मकबरे ,
▪ बाि के समय के महत्िपूण़ि शहंिू और जैन मंदिर।
o यहां की इमारती लकडी पर आिाररत स्थापत्यकला असािारण महत्ि की है। यह इसकी विरासत का सबसे अनूठा पहलू है।
o अहमिाबाि शहर की बसािट की योजना वनिास योग्य पररिेश के बेहतर अनुक्रम में है। सडकों के साथ-साथ सामुिावयक स्थान भी एक उत्तम
अनुक्रम में हैं। बसािट की यह योजना स्थानीय ज्ञान का प्रवतवनवित्ि करती है और मजबूत सामुिावयक बंिन की भािना को िशा़िती है।
• सरकार मानगढ पहाडी को राष्ट्रीय महत्ि का स्मारक घोवषत करने पर विचार कर रही है। यह किम िेश के वलए अपने प्राणों की आहुवत िेने िाले
आदििासी स्ितंिता सेनावनयों को श्द्ांजवल है। यह पहाडी राजस्थान के बांसिाडा वजले में वस्थत है।
o यह गुजरात-राजस्थान सीमा पर वस्थत है। यह अब पविि स्थल बन गया है। इसे मानगढ िाम के नाम से जाना जाता है।
• मानगढ नरसंहार के बारे में
o िष़ि 1913 में कु छ भीलों ने एक समाज सुिारक गोशिंि गुरु (एक स्थानीय आदििासी) और पुज
ं ा के नेतत्र ि में वब्ररटश शासन के वखलाि विद्रोह
दकया था।
o गोशिंि गुरु ने भीलों के बीच 'भगत आंिोलन' शुरू दकया था। इसके तहत लोगों को शाकाहार का पालन करने और सभी प्रकार के नशे से िूर
रहने के वलए कहा गया था।
• भारतीय पुरातत्ि सिेक्षण (ASI) ने कना़िटक में कनगनहल्ली (सन्नवत स्थल का वहस्सा) के वनकट एक प्राचीन बौद् स्थल के संरक्षण की योजना
बनायी है।
o सन्नवत भीमा निी के दकनारे बसा एक छोटा-सा गााँि है।
o यह स्थल एक बौद् महास्तूप और सम्राट अशोक के पाषाण-वचि (Stone-Portrait) की खोज के वलए प्रवसद् है। इस महास्तूप को अिोलोक
महा चैत्य के रूप में भी संबोवित दकया जाता है।
▪ यह माना जाता है दक इस स्तूप का वनमा़िण तीन चरणों में हुआ था। ये चरण थे- मौय़ि काल, आरं वभक-सातिाहन और उत्तर-सातिाहन
काल (तीसरी शताब्िी ईसा पूि़ि से तीसरी शताब्िी ईस्िी)।
▪ इस पाषाण-वचि को सम्राट अशोक की एकमाि अब तक सही अिस्था में रही छवि माना जाता है। इस पर ब्राह्ी वलवप में 'राय अशोक'
उत्कीण़ि है।
• अलीबाग (महाराष्ट्र) के सिे ि प्याज को भौगोवलक संकेतक िजा़ि प्राप्त हुआ है।
o अलीबाग के दकसानों के अनुसार, सिे ि प्याज को सदियों से के िल पारं पररक पद्वतयों और असली बीजों के साथ उगाया जाता है।
o साथ ही, इस क्षेि की भू-जलिायु पररवस्थवतयों के कारण इसमें एक अवद्वतीय स्िाि, सुगंि और आकार विकवसत हुआ है।
• भौगोवलक संकेतक (GI)104 िजे के बारे में
o ये संकेतक सामूवहक और प्रमाणन वचह्नों के रूप में पंजीकर त होते हैं। इन्हें आम तौर पर िस-िष़ि की अिवि के वलए संरवक्षत दकया जाता है।
हालांदक, इस अिवि के बाि इनका निीनीकरण दकया जा सकता है।
o भारत में GI टैग को ‘माल के भौगोवलक संकेतक (रवजस्ट्ीकरण और संरक्षण) अविवनयम, 1999’ के अंतग़ित विवनयवमत दकया जाता है।
8.3.6. भारतीय ज्ञान प्रणाली’ (IKS) पहल {Indian Knowledge Systems (IKS) initiative }
• कें द्र सरकार ने घोषणा की है दक िह ‘भारतीय ज्ञान प्रणाली’ (IKS) पहल के तहत स्कू लों में 75 स्ििेशी खेलों को शुरू करे गी। इनमें राजा मंिी चोर
वसपाही, पोशम पा, वगल्ली डंडा आदि जैसे खेल शावमल हैं।
• यूक्रेन की गवणतज्ञ मैरीना वियाज़ोिस्का िील््स मेडल जीतने िाली िूसरी मवहला बन गयी हैं।
• िील््स मेडल को सामान्यतिः गवणत के क्षेि में नोबेल पुरस्कार के रूप में िर्ण़ित दकया जाता है।
o यह अंतरा़िष्ट्रीय गवणत संघ (IMU) द्वारा दिया जाता है। यह एक अंतरा़िष्ट्रीय गैर-सरकारी और गैर-लाभकारी िैज्ञावनक संगठन है। यह गवणत के
क्षेि में अंतरा़िष्ट्रीय सहयोग को बढािा िेता है।
o यह पुरस्कार प्रत्येक चार िष़ि में 40 िष़ि से कम आयु के गवणतज्ञों को दिया जाता है।
o पुरस्कार के रूप में एक स्िण़ि पिक (14 कै रे ट स्िण़ि) दिया जाता है। साथ ही, 15,000 कै नेवडयन डॉलर का नकि पुरस्कार भी प्रिान दकया
जाता है।
o िील््स मेडल संगोष्ठी का आयोजन कनाडा के टोरं टो में वस्थत िील््स इं स्टीट्यूट करता है।
पररचय
भारत में शराब का बढता सेिन, स्िास्थ्य और सामाज के वलए एक प्रमुख खतरा बनता जा रहा है। हाल ही में, गुजरात के बोटाड वजले में जहरीली शराब
पीने के कारण 40 से अविक लोगों की मरत्यु हो गई थी। इस घटना ने शराबबंिी से जुडी खावमयों को उजागर दकया है। साथ ही, यह घटना बढती शराब
की खपत को कम करने की दिशा में सुिार की आिश्यकता को भी रे खांदकत करती है।
मद्यपान और शराबबंिी के संिभ़ि में प्रमुख वहतिारक कौन हैं और उनसे संबंवित मुद्दे क्या हैं?
• शराबबंिी का आशय कानूनी रूप से शराब की खरीि या वबक्री या शराब पीने पर लगाए गए रोक से है।
• भारतीय संवििान के अनुच्छेि 47 के तहत, राज्य को यह िावयत्ि सौंपा गया है दक िह भारत में नशीले पेय पिाथों के उपभोग को रोकने का प्रयास
करे गा। हालांदक, ििाओं और अन्य औषिीय उद्देश्यों के वलए इसके प्रयोग की अनुमवत िी गई है।
• शराबबंिी के बाि गुजरात और वबहार में क्रमश: िमन और नेपाल से शराब की कालाबाजारी में िरवद् हुई है।
• इसके चलते शराबबंिी िाले राज्यों को कर राजस्ि की हावन हुई है तथा राज्य पय़िटन पर इसका नकारात्मक प्रभाि पडा है। इससे उन्हें राजकोषीय
नुकसान का सामना करना पडा है। उिाहरण के वलए- राजस्ि नुकसान तथा बढते बजटीय घाटे के कारण िष़ि 1997 में आंध्र प्रिेश में शराबबंिी को
हटा दिया गया था।
• जहााँ िेश के न्यायालयों में कानूनी मामलों (cases/िाि) की संख्या पहले से अविक है, िहीं शराबबंिी के कारण न्यायालयों पर और बोझ बढ गया
है। उिाहरण के वलए- वबहार में शराबबंिी के पररणामस्िरूप 3.5 लाख मामलों में चार लाख से अविक लोगों की वगरफ्तारी हुई है।
• शराबबंिी से अिैि या िेशी शराब या अन्य नशीले पिाथों की वबक्री में िरवद् से िासिीपूण़ि घटनाओं और लोगों की मरत्यु में िरवद् हुई है।
• इससे प्रशासवनक भ्रष्टाचार में भी बढोतरी हुई है। शराब की तस्करी या अिैि शराब की वबक्री करने िालों ने भ्रष्टाचार को बढािा दिया है।
• कठोर कानूनों या सामावजक मानिंडों के माध्यम से राज्य और समाज द्वारा लोगों के व्यवक्तगत चयन के अविकार को सीवमत करने का प्रयास दकया
गया है।
• अन्य चुनौवतयां: हालांदक शराबबंिी एक नैवतक िावयत्ि आरोवपत करती है, लेदकन कई व्यािहाररक करठनाइयों के कारण इसे प्रवतबंवित कर पाना
करठन हो गया है (इन्िोग्रादिक िेखें)।
अलग-अलग सामावजक-िार्म़िक विचारों और विवभन्न वहतिारकों द्वारा सामना की जाने िाली िुवििाओं के मद्देनजर, उवचत साि़िजवनक नीवत का वनमा़िण
दकया जाना चावहए। इस हेतु सबकी भागीिारी को सुवनवश्चत करने िाला िरवष्टकोण महत्िपूण़ि सावबत हो सकता है। यह वनम्नवलवखत प्रयासों के माध्यम से
एक ऐसे माहौल के वनमा़िण में मिि करे गा, जहां व्यवक्त सवहत प्रत्येक वहतिारक को उनके िावयत्िों के प्रवत वजम्मेिार बनाया जा सकता है:
• ऐसे कानून बनाए जा सकते हैं जो (i) िावयत्िपूण़ि व्यिहार और अनुपालन को प्रोत्सावहत करते हों; और (ii) घरेलू शहंसा, शराब पीकर गाडी चलाने
या अिैि शराब उद्योग या इसकी तस्करी के वखलाि कठोर काय़ििाही को सुवनवश्चत करते हों।
o उिाहरण के वलए- पूरे िेश में शराब पीने की आयु से जुडे कानून को समान बनाया जाना चावहए। साथ ही, कम आयु के दकसी भी व्यवक्त को
शराब खरीिने की अनुमवत नहीं िी जानी चावहए।
• शराब की खपत को बढािा िेने िाली अप्रत्यक्ष माके टटंग रणनीवत (जैसे दक सरोगेट या छद्म विज्ञापन) से बचने के वलए शराब उद्योग को विवनयमन
के अिीन लाया जाना चावहए।
• लोगों को सूवचत वनण़िय लेने में मिि करने के वलए पया़िप्त नोरटस और साििानी के साथ लेबल मानकों को लागू दकया जाना चावहए।
• पय़िटन और MICE105क्षेिक पर शराबबंिी से जुडे नकारात्मक पररणामों से वनपटने के क्रम में मनमाना या वििेकािीन किम उठाने से बचना
चावहए।
• उवचत मद्यपान सुवनवश्चत करने और नशा मुवक्त संबंिी सुवििाओं को बढाने के वलए कॉपोरे ट सामावजक िावयत्ि का उपयोग दकया जाना चावहए।
• व्यसन/नशे से बचने और व्यसन से पीवडत लोगों के पुनिा़िस के वलए सामुिावयक समथ़िन प्राप्त करने हेतु प्रयास दकया जाना चावहए।
• शराब के िुष्प्रभािों के बारे में लोगों को वशवक्षत करने के वलए राज्य और वजला प्रशासन द्वारा सूचना, वशक्षा और जागरूकता (IEC)106 अवभयान को
आयोवजत दकया जाना चावहए, जैसा दक आदि शंकराचाय़ि ने कहा है:
“िार्म़िक कम़ि अज्ञान को नष्ट नहीं कर सकते, क्योंदक यह अज्ञान के विरोि में नहीं है। के िल ज्ञान ही अज्ञान को नष्ट करता है, जैसे प्रकाश घने अंिकार को
नष्ट करता है।”
105 meetings, incentives, conferences and exhibitions / बैठक, प्रोत्साहन, सम्मेलन और प्रिश़िनी
106 Information, Education and Awareness
करठन पररवस्थवतयों में जीिन यापन कर रहे बच्चों के संरक्षण तथा इस दिशा में दकए जा रहे सभी प्रयासों को संगरठत करने के वलए “वमशन िात्सल्य”
आरं भ दकया गया है। इसे मवहला एिं बाल विकास मंिालय द्वारा आरं भ दकया गया है। ऐसे बच्चों में लापता, अनाथ, पररत्यक्त और अिैि व्यापार िाले
बच्चे शावमल हैं।
वमशन िात्सल्य-