दीपावली लक्ष्मी पूजन विधि

You might also like

Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 11

लक्ष्मी पूजा के ललए जरूर सामग्री

लिवाली पर पजू ा करते समय कोई कमी नहीं रहनी चालहए. कहा जाता है लक इस लिन यलि लवलि-लविान
से पजू ा की जाए तो घर में लक्ष्मी का वास होता है. इसललए ध्यान रखें लक पजू न सामग्री में कोई वस्तु छूट
न जाए. माां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पजू ा के ललए सबसे पहले घर में माां लक्ष्मी और भगवान गणेश
की नई प्रलतमा लेकर आए.ां
रोली लौंग जनेऊ िपू सप्तधान्य
कुमुकम इलायची श्वेस,लाल वस्त्र अगरबलियाां िलनया खडा,
लसिां रू सपु ारी पीला वस्त्र कपरू जौ,
चांिन गुड कलावा रूई गेहां
अबीर शहि कमल गट्टा लमट्टी का 11िीया अक्षत(चावल),
गलु ाल बताशे गोमती चक्र 1 सातमख ु ी िीपक चने की िाल
हल्िी नाररयल पीली कौडी 3 और अनाज
के सर लमश्री गोमूत्र शुद्ध घी काले लतल
इत्र गगां ाजल, शख ां थाली कलश
हल्िी की गाांठ चाांिी का लसक्का करेंसी नोट चौकी आसन
बैठने के ललए आसन
पंचामृत ििू िही पान के पिे तुलसी िल
पंच पल्लव बड, पीपल गूलर, पाकर आम के पिे कुशा व िवू ाा
ऋतफु ल लसांघाडे सीताफल इत्यालि सलमिा(आम लक)
फूल माला गल ु ाबका फूल कमल का फूल नैवद्ये या लमष्ठान्न हवन कुांड

हवन सामग्री:- काले लतल, जौ, चावल, लमश्री, सफे ि चन्िन का चूरा, अगर, तगर, गुग्गुल, जायफल,
पान, लौंग, इलायची, नाररयल गोला, छुहारे, सवोषलि, नागर मौथा, कपूर काचरी, लकशलमश, बालछड,
घी कमल गट्टा, जटामासी
काले लतल 1Kg/ 200gm
जौ 500Gm/ 100gm
चावल 250 Gm/ 50gm
लमश्री 125 Gm/ 25gm
यही अनपु ात होना चालहए
पूजा में शालमल करें ये लवशेष वस्तु:
िलक्षणावती शख
ां - लक्ष्मी पूजा में िलक्षणावती शांख जरूर रखें. िलक्षणावती शांख को लक्ष्मी जी का भाई
माना जाता है, क्योंलक लक्ष्मी जी की तरह ही शांख की उत्पलि भी समुद्र से ही होती है.िलक्षणवती शांख
को पूजा में इस प्रकार रखें लक इसकी पूांछ उिर-पूवा लिशा की ओर रहे.
श्रीयांत्र - श्रीयांत्र लक्ष्मीजी का लप्रय है. लक्ष्मी पूजन में श्रीयांत्र भी जरूर रखें.श्रीयांत्र स्फलटक का, सोने या
चाांिी का हो तो बहुत शुभ रहता है. इसकी स्थापना उिर-पूवा लिशा में करनी चालहए.
समद्रु का जल- लिवाली की पूजा में यलि आप समुद्र का जल शालमल कर लें तो इससे माां लक्ष्मी प्रसन्न
होती हैं. मान्यता है लक लक्ष्मी माता की उत्पलि समुद्र से ही हुई थी. लहिां ू मान्यताओ ां के अनुसार समुद्र को
माां लक्ष्मी का लपता माना गया है.
पीली कौडी- लक्ष्मी पूजा में पीली कौलडयाां रखने की परांपरा काफी पुरानी है.ये पीली कौलडयाां िन और
श्री यानी लक्ष्मी की प्रतीक मानी जाती हैं. पजू ा के बाि इन्हें लतजोरी में रखना शभु माना जाता है.
गन्ना- गजलक्ष्मी भी महालक्ष्मी का एक रूप है. लजसमें वो ऐरावत हाथी पर सवार लिखाई िेती हैं. लक्ष्मी
के ऐरावत हाथी को गन्ना बहुत लप्रय है. पजू ा में गन्ना रखने के बाि इसे लकसी हाथी को लखला सकते हैं.
दीपावली पूजन वववि और मंत्र
पूजन शुरू करने से पहले गणेश लक्ष्मी के लवराजने के स्थान पर रांगोली बनाएां। लजस चौकी पर पूजन कर
रहे हैं उसके चारों कोने पर एक-एक िीपक जलाए।ां इसके बाि प्रलतमा स्थालपत करने वाले स्थान पर
कच्चे चावल (अस्तिल कमल बनाये ) रखें लफर गणेश और लक्ष्मी की प्रलतमा को लवराजमान करें। इस
लिन लक्ष्मी, गणेश के साथ कुबेर, सरस्वती एवां काली माता की पूजा का भी लविान है अगर इनकी मूलता
हो तो उन्हें भी पूजन स्थल पर लवराजमान करें। ऐसी मान्यता है लक भगवान लवष्णु की पूजा के लबना िेवी
लक्ष्मी की पूजा अिरू ी रहती है। इसललए भगवान लवष्ण के बाांयी ओर रखकर िेवी लक्ष्मी की पूजा करें।

इन मत्रां ों से अपने ऊपर तथा आसन पर 3-3 बार कुशा या पष्ु पालि से छींटें लगाए।ां
“ऊां अपलवत्र : पलवत्रोवा सवाावस्थाां गतोऽलपवा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षां स बाह्याभ्यन्तर: शुलच :॥”

आचमन करें
ऊां के शवाय नम:
ऊां मािवाय नम:
ऊां नारायणाय नम:
लफर हाथ िोएां।
इस मांत्र से आसन शुद्ध करें-
ऊां पृथ्वी त्वयािृता लोका िेलव त्यवां लवष्णनु ािृता।
त्वां च िारयमाां िेलव पलवत्रां कुरु चासनम॥्

अब चिां न लगाए।ां अनालमका उांगली से श्रीखडां चिां न लगाते हुए मत्रां बोलें
चन्िनस्य महत्पुण्यम् पलवत्रां पापनाशनम,्
आपिाां हरते लनत्यम् लक्ष्मी लतष्ठ सवािा।

दीपावली पज ू न के ललए सक ं ल्प मत्रं लबना सक


ां ल्प के पजू न पणू ा नहीं होता इसललए सक
ां ल्प करें। पष्ु प,
फल, सुपारी, पान, चाांिी का लसक्का, नाररयल (पानी वाला), लमठाई, मेवा, आलि सभी सामग्री थोडी-
थोडी मात्रा में लेकर सांकल्प मांत्र बोलें-
ऊां लवष्णलु वाष्णलु वाष्णु:, ऊां तत्सिद्य श्री परु ाणपरुु षोिमस्य लवष्णोराज्ञया प्रवतामानस्य ब्रह्मणोऽलि लितीय
पराद्र्िे श्री श्वेतवाराहकल्पे सप्तमे वैवस्वतमन्वन्तरे , अष्टालवश ां लततमे कललयुग,े कललप्रथम चरणे जम्बुिीपे
भरतखण्डे आयाावताान्तगात ब्रह्मवतैकिेशे पुण्य (अपने नगर/गाांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर
लवक्रमालित्यनृपते : 2075, तमेऽब्िे लवरोिकृ त नाम सांवत्सरे िलक्षणायने हेमांत ऋतो महामांगल्यप्रिे
मासानाां मासोिमे कालताक मासे कृ ष्ण पक्षे अमावस लतथौ बुिवासरे स्वालत नक्षत्रे आयुष्मान योगे चतुष्पाि
करणालिसत्सुशुभे योग (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहां अमुकनामा (अपना नाम लें) सकलपापक्षयपूवक ा ां
सवााररष्ट शालां तलनलमिां सवामगां लकामनया– श्रलु तस्मृत्यो- क्तफलप्राप्तथं— लनलमि महागणपलत
नवग्रहप्रणव सलहतां कुलिेवतानाां पजू नसलहतां लस्थर लक्ष्मी महालक्ष्मी िेवी पजू न लनलमिां एतत्सवं शभु -
पजू ोपचारलवलि सम्पािलयष्ये।
कलश की पज
ू ा करें:
कलश पर मौली बािां कर ऊपर आम का पल्लव रखें। कलश में सपु ारी, िवू ाा, अक्षत, लसक्का रखें।
नाररयल पर वस्त्र लपेटकर कलश पर रखें। हाथ में अक्षत और पष्ु प लेकर वरुण िेवता का कलश में
आह्वान करें।
ओ३म् ित्वायालम ब्रह्मणा वन्िमानस्तिाशास्ते यजमानो हलवलभ:।
अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशांस मान आयु: प्रमोषी:।
(अलस्मन कलशे वरुणां साांग सपररवारां सायुि सशलक्तकमावाहयालम, ओ३म्भूभुाव: स्व:भो वरुण इहागच्छ
इहलतष्ठ। स्थापयालम पूजयालम॥)

कलश पजू न के बाि सभी कुबेर और इद्रां सलहत सभी िेवी िेवता की पजू ा करें।
दीपावली गणेश पूजा मत्रं लवलध
लनयमानसु ार सबसे पहले गणेश जी की पजू ा करें। हाथ में फूल लेकर गणेश जी का ध्यान करें। मत्रां बोलें-
गजाननम्भतू गणालिसेलवतां कलपत्थ जम्बू फलचारुभक्षणम।् उमासतु ां शोक लवनाशकारकां नमालम
लवघ्नेश्वरपािपकां जम्। आवाहन मत्रां - हाथ में अक्षत लेकर बोलें -ऊां गां गणपतये इहागच्छ इह लतष्ठ।। अक्षत
पात्र में अक्षत छोडें।
पद्य, आर्घयय, स्नान, आचमन मंत्र – एतालन पाद्याद्याचमनीय-स्नानीय,ां पुनराचमनीयम् ऊां गां गणपतये
नम: । इस मत्रां से चिां न लगाए:ां इिम् रक्त चिां नम् लेपनम् ऊां गां गणपतये नम:, इसके बाि- इिम् श्रीखडां
चिां नम् बोलकर श्रीखडां चिां न लगाए।ां अब लसन्िरू लगाएां “इिां लसन्िरू ाभरणां लेपनम् ऊां गां गणपतये नम:।
िवू ाा और लवल्बपत्र भी गणेश जी को चढाएां। गणेश जी को लाल वस्त्र पहनाएां। इिां रक्त वस्त्रां ऊां गां
गणपतये समपायालम।
गणेश जी को प्रसाद चढाए:ं इिां नानालवलि नैवद्ये ालन ऊां गां गणपतये समपायालम:।
लमठाई अलपात करने के ललए मांत्र: -इिां शका रा घृत यक्त
ु नैवद्ये ां ऊां गां गणपतये समपायालम:। अब आचमन
कराएां। इिां आचमनयां ऊां गां गणपतये नम: । इसके बाि पान सुपारी िें: इिां ताम्बूल पुगीफल समायुक्तां ऊां गां
गणपतये समपायालम:। अब एक फूल लेकर गणपलत पर चढाएां और बोलें: एष: पुष्पान्जलल ऊां गां गणपतये
नम: ।
गणेश जी के पूजन के बाि उन्हें अलपात की गई मौली को रक्षा सत्रू की तरह पररवार के सभी
सिस्यों के हाथों में बाांि िेना चालहए।
गणेश जी के पूजन के बाि सभी कुबेर और इद्रां सलहत सभी िेवी िेवता की पूजा गणेश पूजन
की तरह करें। बस गणेश जी के स्थान पर सबां लां ित िेवी-िेवताओ ां के नाम लें।
दीपावली लक्ष्मी पूजन लवलध मंत्र
सबसे पहले माता लक्ष्मी का ध्यान करेेः – ॐ या सा पद्मासनस्था, लवपल ु -कलट-तटी, पद्म-
िलायताक्षी। गम्भीरावता-नालभिः, स्तन-भर-नलमता, शुभ्र-वस्त्रोिरीया।। लक्ष्मी लिव्यैगाजन्े द्रैिः। ज-खलचतैिः,
स्नालपता हेम-कुम्भैिः। लनत्यां सा पद्म-हस्ता, मम वसतु गृह,े सवा-माांगल्य-युक्ता।।
अब हाथ में अक्षत लेकर बोलें “ॐ भूभुाविः स्विः महालक्ष्मी, इहागच्छ इह लतष्ठ, एतालन
पाद्याद्याचमनीय-स्नानीय,ां पनु राचमनीयम।् ” प्रलतष्ठा के बाि स्नान कराएां: ॐ मन्िालकन्या समानीतैिः,
हेमाम्भोरुह-वालसतैिः स्नानां कुरुष्व िेवले श, सलललां च सगु लन्िलभिः।। ॐ लक्ष्म्यै नमिः।। इिां रक्त चिां नम्
लेपनम् से रक्त चिां न लगाए।ां इिां लसन्िरू ाभरणां से लसन्िरू लगाए।ां ‘ॐ मन्िार-पाररजाताद्यैिः, अनेकैिः कुसमु ैिः
शुभैिः। पूजयालम लशवे, भक्तया, कमलायै नमो नमिः।। ॐ लक्ष्म्यै नमिः, पुष्पालण समपायालम।’इस मांत्र से
पुष्प चढाएां लफर माला पहनाएां। अब लक्ष्मी िेवी को इिां रक्त वस्त्र समपायालम कहकर लाल वस्त्र पहनाएां।

देवी लक्ष्मी की अंग पूजा:- बाएां हाथ में अक्षत लेकर िाएां हाथ से थोडा-थोडा अक्षत छोडते जाएां—
ऊां चपलायै नम: पािौ पजू यालम ऊां चचां लायै नम: जानूां पजू यालम, ऊां कमलायै नम: कलट पजू यालम, ऊां
कात्यालयन्यै नम: नालभ पजू यालम, ऊां जगन्मातरे नम: जठरां पजू यालम, ऊां लवश्ववल्लभायै नम: वक्षस्थल
पूजयालम, ऊां कमलवालसन्यै नम: भुजौ पूजयालम, ऊां कमल पत्राक्ष्य नम: नेत्रत्रयां पूजयालम, ऊां लश्रयै नम:
लशरां: पूजयालम।
अष्टलसलि पज ू न मत्रं और लवलध:- अगां पजू न की भालां त हाथ में अक्षत लेकर मत्रां बोलें। ऊां अलणम्ने
नम:, ओ ां मलहम्ने नम:, ऊां गररम्णे नम:, ओ ां ललघम्ने नम:, ऊां प्राप्तत्यै नम: ऊां प्राकाम्यै नम:, ऊां ईलशतायै
नम: ओ ां वलशतायै नम: ।
अष्टलक्ष्मी पूजन मंत्र और लवलध:- अगां पूजन एवां अष्टलसलद्ध पूजा की भाांलत हाथ में अक्षत लेकर
मांत्रोच्चारण करें। ऊां आद्ये लक्ष्म्यै नम:, ओ ां लवद्यालक्ष्म्यै नम:, ऊां सौभाग्य लक्ष्म्यै नम:, ओ ां अमृत लक्ष्म्यै
नम:, ऊां लक्ष्म्यै नम:, ऊां सत्य लक्ष्म्यै नम:, ऊां भोगलक्ष्म्यै नम:, ऊां योग लक्ष्म्यै नम:

प्रसाद अलपयत करने का मत्रं :-“इिां नानालवलि नैवद्ये ालन ऊां महाललक्ष्मयै समपायालम” मत्रां से नैवद्यै
अलपात करें। लमठाई अलपात करने के ललए मांत्र: “इिां शका रा घृत समायुक्तां नैवद्ये ां ऊां महाललक्ष्मयै
समपायालम” बालें। प्रसाि अलपात करने के बाि आचमन करायें। इिां आचमनयां ऊां महाललक्ष्मयै नम:।
इसके बाि पान सुपारी चढाएां:- इिां ताम्बूल पुगीफल समायुक्तां ऊां महाललक्ष्मयै समपायालम। अब एक फूल
लेकर लक्ष्मी िेवी पर चढाएां और बोलें: एष: पुष्पान्जलल ऊां महाललक्ष्मयै नम:।
लक्ष्मी िेवी की पूजा के बाि भगवान लवष्णु एवां लशव जी पूजा करने का लविान है। व्यापारी
लोग गल्ले की पजू ा करें। पजू न के बाि क्षमा प्राथाना और आरती करें।
कुबेर जी की पज
ू ा
िन के िेवता कुबेर जी की भी लिवाली के लिन पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है लक कुबेर जी को प्रसन्न
करके आलथाक परेशालनयों को िरू लकया जा सकता है। तो चललए जानते हैं लक कुबेर जी की पूजा में कौन
सी सामग्री लगती हैं-
कुबेर जी की प्रलतमा, कुबेर जी का श्री यत्रां , लाल चिां न, पष्ु प, लसघां ाडा, चािां ी का लसक्का इत्र, रोली
चावल, तेल का िीपक, कुशा, गगां ाजल, बताशे और पान।
कुबेर जी की पूजा के बाि आपको उनके इस मांत्र का जाप भी करना चालहए-
‘ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय िन िान्यालिपतये िनिान्या समृलद्धम् िेलह िापय िापय स्वाहा।'
इस तरह इन देवी-देवताओ ं की पज
ू ा करके आपकी लदवाली की पज
ू ा सपं नन् हो जाएगी।

इस तरह करें हवन, आहुलत के ललए यह कुछ चीजें हैं जरूरी


लहिां ू िमा में शद्ध
ु ीकरण के ललए हवन का लविान है। हवन कुण्ड में अलग्न के जररये िेवताओ ां के लनकट हलव
पहुचां ाने की प्रलक्रया यज्ञ कहलाती है। हलव उस पिाथा को कहा जाता है लजसकी अलग्न में आहुलत िी जाती
है। हवन की वेिी वैसे तो परु ोलहत के परामशा से तैयार करनी चालहए लेलकन आजकल हवन की वेिी तैयार
भी लमलती है।
हवन कुण्ड में अलग्न प्रज्जज्जवललत करने के पश्चात पलवत्र अलग्न में फल, शहि, घी, काष्ठ इत्यालि पिाथों की
आहुलत प्रमुख होती है। हवन करते समय लकन-लकन उांगललयों का प्रयोग लकया जाये इसके सम्बन्ि में मृगी
और हसां ी मुद्रा को शुभ माना गया है। मृगी मुद्रा वह है लजसमें अगां ूठा, मध्यमा और अनालमका उांगललयों से
सामग्री होमी जाती है। हसां ी मुद्रा वह है, लजसमें सबसे छोटी उांगली कलनष्ठका का उपयोग न करके शेष
तीन उांगललयों तथा अगां ूठे की सहायता से आहुलत छोडी जाती है।
गांि, िपू , िीप, पुष्प और नैवद्ये भी अलग्न िेव को अलपात लकये जाते हैं। इसके बाि घी लमलश्रत हवन
सामग्री से या के वल घी से हवन लकया जाता है। शास्त्रों में घृत से अलग्न को तीव्र करने के ललए तीन
आहुलत िेने का वणान लकया गया है।
आहुलत (घी) के साथ लनम्न मंत्र बोलते जाएं

1− ओम भूिः स्वाहा, इिमगन्ये इिां न मम।


2− ओम भुविः स्वाहा, इिां वायवे इिां न मम।
3− ओम स्विः स्वाहा, इिां सूयााय इिां न मम।

ओम अगन्ये स्वाहा, इिमगन्ये इिां न मम।


ओम िन्वन्तरये स्वाहा, इिां िन्वन्तरये इिां न मम।
ओम लवश्वेभ्योिेवभ्योिः स्वाहा, इिां लवश्वेभ्योिेवभ्े योइिां न मम।
ओम प्रजापतये स्वाहा, इिां प्रजापतये इिां न मम।
ओम अग्नये लस्वष्टकृ ते स्वाहा, इिमग्नये लस्वष्टकृ ते इिां न मम।

इन मंत्रों से हवन शुरू करें-


1. ऊँ सूयााय नमिः स्वाहा
2. ऊँ चांद्रयसे स्वाहा
3. ऊां भौमाय नमिः स्वाहा
4. ऊँ बुिाय नमिः स्वाहा
5. ऊँ गुरवे नमिः स्वाहा
6. ऊँ शुक्राय नमिः स्वाहा
7. ऊँ शनये नमिः स्वाहा
8. ऊँ राहवे नमिः स्वाहा
9. ऊँ के तवे नमिः स्वाहा

लफर आप इन मत्रं ों से हवन कर सकते हैं


10. ॐ भभू ावु : स्व: तत्सलवतवु रा ेण्यां भगो िेवस्य िीमलह लियो यो न: प्रचोियात् स्वाहा ।
11. ऊां गणेशाय नम: स्वाहा,
12. ऊां गौरये नम: स्वाहा,
13. ऊां वरुणाय नम: स्वाहा,
14. ऊां िगु ााय नम: स्वाहा,
15. ऊां महाकाललकाय नम: स्वाहा,
16. ऊां हनमु ते नम: स्वाहा,
17. ऊां भैरवाय नम: स्वाहा,
18. ऊां कुल िेवताय नम: स्वाहा,
19. ऊां स्थान िेवताय नम: स्वाहा,
20. ऊां ब्रह्माय नम: स्वाहा,
21. ऊां लवष्णुवे नम: स्वाहा,
22. ऊां लशवाय नम: स्वाहाऊां जयतां ी मगां लाकाली भद्रकाली कपाललनी स्वाहा
23. ऊां िगु ाा क्षमा लशवा िात्री स्वाहा, स्विा नमस्ततु े स्वाहा
24. ॐ ईशानाय स्वाहा .
25. ॐ अग्नये स्वाहा .
26. ॐ लनऋतये स्वाहा .
27. ॐ वायवे स्वाहा .
28. ॐ त्र्यम्बकां यजामहे सुगलन्िां पुलष्टविानम् । उवाारुकलमव बन्िनान् मृत्योमुाक्षीय मामृतात् स्वाहा ॥
29. ॐ भूभुाविः स्विः । तत्सलवतुवरा ेण्यां भगो िेवस्यिः िीमलह । लियो यो निः प्रचोियात् स्वाहा ।।
30. ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नम स्वाहा”
31. “ॐ श्री महालक्ष्म्यै च लवद्महे लवष्णु पत्न्यै च िीमलह तन्नो लक्ष्मी प्रचोियात् ॐ स्वाहा”
32. “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीि प्रसीि ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्ये नम: स्वाहा” (22)

इसी तरह आप लकसी भी मंत्र से हवन कर सकते है।


हवन के बाि नाररयल के गोले में कलावा बाांि लें। चाकू से उसके ऊपर के भाग को काट लें। उसके मुांह
में घी, पान, सुपारी, लौंग, जायफल और जो भी प्रसाि उपलब्ि है, उसे रख िें। बची हुई हवन सामग्री
लफर उसमें डाल िें। यह पूणा आहुलत की तैयारी है। लफर पूणा आहुलत मांत्र पढते हुए उसे हवनकुांड की अलग्न
में रख िें।
पूणायहुलत मंत्र- ऊँ पूणयमद: पूणयम् इदम् पूणायत पूणायलदमं उच्यते, पुणस्य पूणयम् उदच्यते।
पूणास्य पूणाभािाय पूणामवे ावालशष्यते।।

इस मांत्र को कहते हुए पूणा आहुलत िे िेनी चालहए। उसके बाि यथाशलक्त िलक्षणा माता के पास रख िें, लफर
आरती करें। क्षमा प्राथाना करें
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश िेवा । माता जाकी पावाती लपता महािेवा ॥
एक ितां ियावतां , चार भजु ा िारी । माथे लसिां रू सोहे मसू े की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश िेवा । माता जाकी पावाती लपता महािेवा ॥
पान चढे फल चढे, और चढे मेवा । लड्डुअन का भोग लगे सतां करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश िेवा । माता जाकी पावाती लपता महािेवा ॥
अिां न को आांख िेत, कोलढन को काया । बाांझन को पुत्र िेत लनिान को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश िेवा । माता जाकी पावाती लपता महािेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा । माता जाकी पावाती लपता महािेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश िेवा । माता जाकी पावाती लपता महािेवा ॥
िीनन की लाज रखो, शांभु सुतकारी । कामना को पूणा करो जाऊां बललहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश िेवा । माता जाकी पावाती लपता महािेवा ॥
मां लक्ष्मीजी की आरती

महालक्ष्मी नमस्तभ्ु य,ां नमस्तभ्ु यां सरु ेश्वरर ।


हरर लप्रये नमस्तभ्ु य,ां नमस्तभ्ु यां ियालनिे ॥
पद्मालये नमस्तभ्ु य,ां नमस्तभ्ु यां च सवािे ।
सवाभतू लहताथााय, वसु सृलष्टां सिा कुरुां ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।


तमु को लनसलिन सेवत, हर लवष्णु लविाता ॥
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तमु ही जग माता ।
सयू ा चद्रमां ा ध्यावत, नारि ऋलष गाता ॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
िगु ाा रुप लनरांजलन, सख ु -सपां लि िाता ।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋलद्ध-लसलद्ध िन पाता ॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
तुम ही पाताल लनवासनी, तुम ही शुभिाता ।
कमा-प्रभाव-प्रकाशनी, भव लनलि की त्राता ॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
लजस घर तुम रहती हो, ताँलह में हैं सिग् ुण आता ।
सब सभांव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
तुम लबन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
शुभ गुण मांलिर सुांिर, क्षीरोिलि जाता ।
रत्न चतुिशा तुम लबन, कोई नहीं पाता ॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता ।
उँर आांनि समाता, पाप उतर जाता ॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

You might also like