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दिल्ली सल्तनत काल-4
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प्री लम्स और मुख्य परीक्षा पर आधा रत फाउं डेशन कायर्यक्रम
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ध यवाद
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इ तहास
पाँच वंश
गुलाम वंश / मामलुक वंश / इल्बरी वंश (1206
– 1290)
❖ 712 ई. में मुहम्मद का सम के नेतत्ृ व में भारत में पहली अरब वजय होती है ।
❖ इसके बाद महमूद गजनवी द्वारा भारत में लूटपाट के उद्दे श्य से कई बार
आक्रमण कया जाता है ।
❖ इसके बाद भारत पर मुहम्मद गौरी द्वारा लूटपाट के साथ ही साम्राज्य वस्तार
के उद्दे श्य से भारत पर आक्रमण कया जाता है ।
❖ इस क्रम में 1192 ई. में तराइन के दूसरे युद्ध में पृथ्वी राज चौहान की मृत्यु के
साथ ही भारत में दल्ली सल्तनत के साम्राज्य का मागर्य प्रशस्त हो जाता है ।
❖ मुहम्मद गौरी स्वयं भारत पर शासन नहीं करते हु ए अपने न ठावान गुलाम
कुतुबद्दीन ऐबक को भारत की सत्ता सौंपकर वा पस लौट जाता है ।
❖ कुतुबद्दीन ऐबक द्वारा दल्ली सल्तनत में गुलाम वंश की स्थापना होती है
तथा यह क्रम 1290 ई. तक चलता है ।
❖ खलजी वंश के अंतगर्यत पहली बार साम्राज्य वस्तार के उद्दे श्य से द क्षण
भारत के संबंध सफल वजय अ भयान आयोिजत कए जाते हैं, कं तु उ हें
दल्ली सल्तन के क्षेत्रा धकार के अंतगर्यत सिम्म लत नहीं कया जाता।
❖ अंततः 1320 ई. में ही गाजी म लक के साथ हु ए युद्ध में ना सरुद्दीन खुसरो
शाह परािजत होकर मारा गया तथा गाजी म लक गयासुद्दीन तुगलक के नाम
से दल्ली की गद्दी पर बैठता है ।
❖ इस प्रकार दल्ली सल्तनत काल के इ तहास में खलजी वंश समाप्त हो गया
तथा नए तुगलक वंश का उदय होता है ।
❖ तुगलक शासक के प्रारं भक लगभग 70 वषर्वों में सै य के साथ ही प्रशास नक
िस्थ त मजबूत रहती है , क्यों क इस दौरान ग्यासुद्दीन तुगलक, मुहम्मद बन
तुगलक तथा फरोज शाह तुगलक जैसे अपेक्षाकृ त अ धक योग्य सुल्तानों ने
शासन कया।
❖ कं तु 1388 ई. में फरोज शाह तुगलक की मृत्यु होने के बाद तुगलक वंश योग्य
उत्तरा धका रयों के अभाव में कमजोर हो जाता है और अंततः 1413 ई. में पंजाब
के सूबेदार खज्र खां द्वारा सैयद वंश की स्थापना की जाती है ।
गुलाम वंश / मामलुक वंश / इल्बरी वंश (1206-1290)
❖ सैयद वंश सल्तनत काल में शासन करने वाला एकमात्र शया वंश था, जब क
शेष वंश सु नी शाखा से संबं धत थे।
तैमूर लंग
❖ तैमूर लंग 14वीं शताब्दी का एक शासक था िजसका साम्राज्य लगभग पिश्चम
ए शया, मध्य ए शया से लेकर भारत तक फैला हु आ था।
❖ इसके बाद तैमूर लंग ने भारत पर आक्रमण की योजना बनाई, कं तु इसके प्रमुख
अ धका रयों ने तैमूर की इस नी त का समथर्यन नहीं कया।
❖ इसके बाद तैमूर लंग आगे बढ़ते हु ए दल्ली की सीमा के पास तक पहुं च गया।
❖ इस दौरान पानीपत के क्षेत्र में तैमूर लंग की सेना और तत्कालीन तुगलक
सुल्तान महमूद के बीच युद्ध हु आ, िजसमें तैमूर लंग की जीत हु ई।
❖ इसके बाद तैमूर लंग ने दल्ली में प्रवेश कर व्यापक मात्रा में लूटपाट और नदर्वोष
लोगों की हत्या की।
❖ तैमूर लंग के बारे में प्रच लत है क यह लोगों की हत्या करवाकर उनके कटे सरों
की दीवार बनवा दे ता था।
❖ खज्र खां द्वारा तैमूर लंग एवं उसके पुत्र शाहरूख के प्र त न ध के रूप में इन
क्षेत्रों का प्रशासन कया गया और नय मत तौर पर कर भी भेजा गया।
❖ तुगलक वंश के अं तम सुल्तानों के शासनकाल के दौरान खज्र खां पंजाब प्रांत
का सूबेदार था और माना जाता है क तैमूर लंग को भारत पर आक्रमण करने के
लए आमंत्रण और सहायता प्रदान करने में प्रमुख भू मका नभाई थी।
❖ चूं क तैमूर लंग और खज्र खां दोनों ही इस्लाम धमर्य की शया शाखा से संबं धत
थे, जब क तुगलक वंश सु नी शाखा से संबं धत था।
❖ अतः तैमूर लंग और खज्र में वैचा रक एवं महत्वाकांक्षा के स्तर पर एकरूपता
थी।
❖ इसके अलावा तुगलक वंश इस समय अपनी शिक्तयों के पतन के दौर में था और
उत्तर भारत के कई प्रांतों में दल्ली का केंद्रीय प्रशास नक नयंत्रण कमजोर हो
चुका था।
❖ महमूद तुगलक अपनी प्राकृ तक मृत्यु के समय (1414 ई.) तक गुजरात में ही
रहता है ।
❖ दौलत खां महमूद तुगलक का वश्वास पात्र था और सेना में उच्च पद पर आसीन
था।
अब यहां दो प्रश्न उल्लेखनीय है -
2. खज्र खां महमूद तुगलक की मृत्यु के बाद ही दल्ली का सुल्तान क्यों बना
जब क य द वह चाहता है तो 1399 ई. में ही दल्ली का सुल्तान बन सकता था।
दौलत खां स्वयं दल्ली का सुल्तान क्यों नहीं बना ?
❖ तैमूर लंग के प्र त न ठा प्रद शर्यत करने के उद्दे श्य से खज्र खां ने तैमूर एवं
उसके पुत्र के नाम का खुतबा भी पढ़वाया।
❖ यही कारण था क जब 1414 ई. में खज्र खां दल्ली सल्तनत का शासक बनता
है तो वह सुल्तान की उपा ध भी धारण नहीं करता है ।
❖ अंततः 1399 ई. में जब महमूद तुगलक की मृत्यु हो जाती है तो खज्र खां स्वयं
दल्ली के सुल्तान के पद पर आसीन हो जाता है , क्यों क इस समय तक तैमूर
लंग की भी मृत्यु हो चुकी थी।
तैमूर लंग एक शिक्तशाली, क्रूर और
वैिश्वक वजय की भावना से प्रे रत था,
कं तु उसकी मृत्यु एक साधारण जुकाम
के कारण हो जाती है ।
❖ खज्र खां की मृत्यु पर सभी ने काले वस्त्र पहनकर दुःख प्रकट कया।
मुबारक शाह (1421-1434)
❖ खज्र खां का पुत्र
❖ मुहम्मद शाह के शासन काल के दौरान ही बहलोल लोदी का उदय एवं वास्त वक
रूप से सैयद वंश का पतन प्रारं भ हो जाता है ।
❖ अपने प्रमुख वजीर हमीद खां से ग तरोध होने के कारण हमीद खां ने बहलोल
लोदी को दल्ली पर आक्रमण के लए आमं त्रत कया।
❖ बहलोल लोदी ने दल्ली पर आक्रमण कया, कं तु सुल्तान ने भागकर बदायूं
(उत्तरप्रदे श) में शरण ले ली और बहलोल लोदी 1451 ई. में दल्ली का सुल्तान
बन गया।
❖ चूं क आलम शाह अयोग्य एवं वलासी प्रवृ त्त का था, अतत ् बहलोल लोदी को
इससे कोई खतरा नहीं था।
❖ इसी कारण बहलोल लोदी ने आलम शाह को समाप्त करने के लए कोई ठोस
प्रयास नहीं कया।
❖ इसके अलावा बहलोल लोदी का प्रमुख उद्दे श्य दल्ली का सुल्तान बनना था
और इस कायर्य में उसे सफलता प्राप्त हो चुकी थी।
❖ 1451 ई. में जब बहलोल लोदी दल्ली के संहासन पर बैठा तो इसने बदायूं में बैठे
अलाउद्दीन आलमशाह को पत्र लखा क
आपके महान पता ने मेरा पालन-पोषण कया। मैं खुतबा से आपका नाम हटाए बना
आप के प्र त न ध के रूप में कायर्य कर रहा हूं ।
❖ इस पत्र के उत्तर में आलमशाह ने लखा क
मेरे पता आपको अपना पुत्र कहकर पुकारते थे, इस लए आप मेरे बड़े भाई हैं। मैं
बदायूं में ही संतु ट हूं और अपना साम्राज्य आपको दे रहा हूं ।
❖ बाद में तुगलक वंश के शासनकाल, वशेषकर सैयद वंश में यह प्रशास नक पदों
पर नयुक्त हु ए, िजनमें बहलोल लोदी और दौलत खां का नाम उल्लेखनीय है ।
❖ मूलतः लोदी म श्रित तुकर्य थे और अफगा नस्तान के गल्जाई (शाहू खेल) कबीले
से संबं धत थे।
❖ प्रारं भ में लोदी अपनी आजी वका मुख्यतः पशुपालन से चलाते थे। कं तु अपनी
लड़ाकू प्रवृ त्त के कारण समीपवतर्ती क्षेत्रों में लूटपाट भी करते रहते थे।
❖ कं तु कालांतर में अपनी योग्यता एवं वशेषकर तैमूर लंग के संरक्षण में इसने
उच्च प्रशासक की िस्थ त प्राप्त कर ली।
❖ तैमूर लंग ने बहलोल लोदी को पंजाब प्रांत का प्रशासक नयुक्त कया था।
❖ बहलोल लोदी योग्य, युद्ध प्रय एवं धा मर्यक रूप से स ह णु प्रवृ त्त का शासक था
।
❖ बहलोल लोदी ने अपने अ धकांश अ भयान वद्रोहों का दमन करने के लए कए,
कं तु इन अ भयानों का उद्दे श्य साम्राज्य वस्तार नहीं था।
❖ बहलोल लोदी ने दल्ली सल्तनत के सभी शासकों में सवार्य धक समय (38 वषर्य)
तक शासन कया।
❖ बहलोल लोदी का राजत्व सद्धांत नरं कुशता के सद्धांत पर आधा रत न
होकर अफगान सरदारों की समानता पर आधा रत था।
❖ बहलोल लोदी के सरदारों में राय प्रताप संह, राय करन संह, राय नर संह, राय
त्रलोक चंद्र व राय दादू जैसे कई प्रमुख हंद ू सरदार भी थे।
❖ अंततः जून, 1489 ई. में राजस्थान से लौटते समय लू लगने के कारण बहलोल
लोदी की मृत्यु हो जाती है ।
❖ अपनी मृत्यु से पूवर्य ही बहलोल लोदी ने अपने राज्य का वभाजन अपने पुत्र और
अफगान सरदारों में कर दया था।
❖ सकंदर लोदी का मूल नाम नजाम खां था और 1489 ई. में सकंदर लोदी के
नाम से दल्ली का सुल्तान बना।
प्रशास नक पक्ष
❖ इसके अलावा सकंदर लोदी ने आगरा नामक नगर की स्थापना की तथा दल्ली
के बजाय आगरा को अपनी राजधानी बनाया।
आ थर्यक पक्ष
❖ हंद ू धमर्य को सत्य बताने के कारण सकंदर लोदी ने बोधन नामक एक हंद ू को
मृत्युदंड दे दया।
❖ सकंदर लोदी के काल में कई संस्कृ त ग्रंथों का फारसी भाषा में अनुवाद हु आ।
❖ इनमें औष धशास्त्र नामक संस्कृ त ग्रंथ प्रमुख है , िजसका मया भुंआ ने तब्बत-
ए- सकंदरी एवं फरहं ग-ए- सकंदरी के नाम से फारसी अनुवाद कया।
❖ सकंदर लोदी के काल में ही संगीत पर आधा रत पहले फारसी ग्रंथ ‘लज्जत-ए-
सकंदरशाही’ नामक ग्रंथ की भी रचना हु ई।
❖ इसके अलावा सकंदर लोदी ने अपने पता बहलोल लोदी का दल्ली में एक
मकबरा भी बनवाया।
❖ दल्ली में मया भुंआ के नदर्दे शन में मोठ की मिस्जद का भी सकंदर लोदी ने
नमार्यण करवाया।
❖ अंततः 1517 ई. में गले की बीमारी के कारण सकंदर लोदी की मृत्यु हो गई।
इब्रा हम लोदी (1517 - 1526)
❖ सकंदर लोदी की मृत्यु के बाद उसका पुत्र इब्रा हम लोदी दल्ली का सुल्तान
बनता है जो क लोदी वंश के साथ ही दल्ली सल्तनत काल का भी अं तम शासक
होता है ।
❖ इसी दौरान राजस्थान (मेवाड़) के राणा सांगा द्वारा भी अपने साम्राज्य वस्तार
के क्रम में दल्ली की ओर अ भयान प्रारं भ कर दया जाता है ।
❖ इस प्रकार इब्रा हम लोदी के काल में आंत रक व्यवस्था का पतन प्रारं भ हो जाता
है ।
❖ इससे पुराने सरदार असंतु ट हो गए िजनमें पंजाब के शासक दौलत खां एवं
इब्रा हम लोदी के चाचा आलम खां प्रमुख थे।
❖ इससे दल्ली दरबार में भी सुल्तान के वरूद्ध षड़यंत्र प्रारं भ हो जाता है ।
❖ खजीन : कोषाध्यक्ष
❖ दीवान-ए-अजर्य : स्थापना बलबन ने की, अहमद अय्याज वभाग का पहला
अध्यक्ष, वभाग के अध्यक्ष को आ रज-ए-मुमा लक कहा जाता था।
❖ आ मल उत्तर भारत में सल्तनत काल के दौरान राजस्व एकत्र करने के अ धकारी
थे।
❖ दल्ली सल्तनत में नरं तर नये-नये राज्यों का उदय हो रहा था, िजसके कारण
दल्ली सल्तनत का वस्तार हो रहा था।
❖ धीरे -धीरे दल्ली सल्तनत इतना बङा हो गया क इस पर अकेले शासन करना
संभव नहीं था।
❖ इक्तेदार अपनी इक्ता में सुल्तान के नाम से शासन करता था, उसका पद
वंशानुगत नहीं था।
❖ इसका कायर्य सै नकों की भतर्ती करना, हु लया एवं दाग, शस्त्र, रसद आ द की
दे खभाल करना, पदो न त एवं वेतन दे ना था।
इ तहासकार बरनी ने दल्ली के सुल्तानों के अधीन भारत के शासन को वास्त वक
रूप से इस्लामी नहीं माना, क्यों क-
❖ मोहम्मद बन तुगलक की मृत्यु के बाद उसका चाचा नहीं बिल्क उसका चचेरा
भाई फरोजशाह तुगलक गद्दी पर बैठा।
कारण (R) : मुहम्मद बन तुगलक पिश्चम ए शयाई तथा उत्तरी अफ्रीकी दे शों के साथ व्यापार
अ भवृद् ध के लए स्वणर्य सक्कों की टोकन मुद्रा जारी करना चाहता था।
कूट
कारण (R) : मुहम्मद बन तुगलक पिश्चम ए शयाई तथा उत्तरी अफ्रीकी दे शों के साथ व्यापार
अ भवृद् ध के लए स्वणर्य सक्कों की टोकन मुद्रा जारी करना चाहता था।
कूट
❖ हालां क मुहम्मद बन तुगलक वदे शों के साथ व्यापार स्था पत करने के अपने
लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाया।
Q. बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लए आमं त्रत करने वालों में से एक,
आलम खान-
(a) इब्रा हम लोदी का संबंधी था तथा वह दल्ली के राज संहासन का दावेदार था।
(c) दलावर खान का पता था, िजसे इब्रा हम लोदी के हाथों क्रूर व्यवहार मला।
(d) पंजाब प्रांत का एक उच्चा धकारी था, जो अपनी जा त के प्र त इब्रा हम लोदी के
व्यवस्था से अत्य धक असंतु ट था।
Q. बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लए आमं त्रत करने वालों में से एक,
आलम खान-
(a) इब्रा हम लोदी का संबंधी था तथा वह दल्ली के राज संहासन का दावेदार था।
(c) दलावर खान का पता था, िजसे इब्रा हम लोदी के हाथों क्रूर व्यवहार मला।
(d) पंजाब प्रांत का एक उच्चा धकारी था, जो अपनी जा त के प्र त इब्रा हम लोदी के
व्यवस्था से अत्य धक असंतु ट था।
❖ आलम ख़ाँ सुल्तान बहलोल लोदी (1451-89) का बेटा और दल्ली के अि तम
सुल्तान इब्रा हम लोदी (1517-26) का चाचा था।
❖ दरअसल, चंगेज खां ख्वा रज्म शाह का पीछा कर रहा था, िजसको चंगेज खां
नजी कारणों से दं ड दे ना चाहता था।
❖ ख्वा रज्म भारत की तरफ भाग आया था और उसका पीछा करते हु ए चंगेज खां
ने भारत पर आक्रमण कया।
❖ हालां क चंगेज खां भारत के ज्यादा अंदर तक नहीं आया, क्यों क तत्कालीन
शासक इल्तुत मश ने ख्वा रज्म शाह को शरण दे ने से मना कर दया था।
भारत पर मंगोलों के आक्रमण
❖ इन आक्रमणों का मुख्य उद्दे श्य भारत में लूटपाट करना होता था।
❖ पहला मंगोल आक्रमण भारत पर इल्तुत मश के काल में 1221 में चंगेज खां ने
कया था, कं तु यह लूटपाट के उद्दे श्य से नहीं कया गया था।
❖ इसके बाद 1279 एवं 1285 को बलबन के काल में मंगोलो ने भारत पर लूटमार
के उद्दे श्य से दो बड़े सफल आक्रमण।