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उत्तर- राष्ट्रवास एक ऐसी समाजिक परिकल्पना है जिसमे किसी भी क्षेत्रो में अहम योगदान होती है, अर्थात – किसी भी देश का विकास करना ही राष्टवाद
कहलाता है . राष्ट्रवाद का विकास 19 वी शताब्दी में यूरोप में हुआ था .
– जो अपने देश के प्रति सोच और लगाव की भावना को विकास करता है उसे राष्ट्रवाद कहते है.
उत्तर- मेटरनिख ऑस्ट्रिया का एक चांसलर था जो एक घोर प्रतिक्रियावादी राजा था. इसका कहना था की किसी राज्य में शासन तो करो जनता की
भलाई न करो .
उत्तर- 1815 ई. से लेकर 1848 ई. तक का समय मेटरनिख काल कहा जाता है यह एक ऑस्ट्रिया का चांसलर था . जो एक घोर प्रतिक्रियावादी
राजा था . इसका मूल मंत्र था परिवर्तन में बाधा पहुँचाना .
उत्तर- वैसे शासन प्रणाली जिसमे सामंतो या जमींदारो को किसानो से ज्यादा अधिकार दिया जाता है, जिसे सामंतवाद कहते है.
उत्तर- समाज में रहनेवाले वैसे लोग जो अपना जीवन निर्वाह छोटे-छोटे व्यापर और नौकरियों के माध्यम से करते है उसे मध्यम वर्ग कहते है.
उत्तर- समाज में रहने वाले वैसे लोग जिसमे गरीब, किसान, मजदुर, शामिल होते है उसे सर्वहारा वर्ग कहते है. जिसके पास पूँजी का अभाव होता है
तथा स्थिति दैनिक होती है.
उत्तर- 1789 ई. के फ़्रांस की क्रांति का मुख्य कारण राजनितिक, आर्थिक, समाजिक, बौद्धिक कारण को माना जाता है . फ्रांस की क्रांति के समय
निरंकु शवादी शासक लुई 16(सोलहवाँ) था . इसके काल में भ्रष्टाचार का बोलबाला था .
सभी प्रदेशो की आर्थिक स्थिति दैनिक थी . विशेषकर सर्वहार वर्ग की स्थिति खराब थी जबकि पादरी एवं कु लीन वर्ग की स्थिति अच्छी थी . इस क्रांति
के मार्ग को वालटेयररूसो तथा मनेस्क्यु ने आगे बढ़ाया .
उत्तर- 1789 से 1815 तक जो भी घटना घटा है उसे दुहराया न जाये और नेपोलियन के द्वारा जो भी विकास का आन्दोलन चलाया गया है, उसे
दबा दिया जाये और यूरोप में जैसी स्थिति है उससे कोई परिवर्तन न होनी चाहिए.
उत्तर- जब कोई बड़ा देश किसी छोटे देश पर जबरदस्ती अपना अधिकार जमा लेता है है, जिसे सम्राज्यवाद कहते है . सम्राज्यवाद का शाब्दिक अर्थ
शोषण करना होता है.
सम्राज्यवाद का प्रसार
मध्यम वर्ग के उपर शासन
राजनितिक डालो के संगठनो में अभाव
लुई फिलियो की असफलता को सबसे बड़ा कारण माना गया है , क्योकि इसने जनता से वडा किया था की अगर हमारी सता आएगी तो तमाम जनता
को खुश करने के लिए गीजो को प्रधानमंत्री बनाया था . जो कठोर प्राकृ ति का व्यक्ति था . इसके कम में भुखमरी और बढ़ गई . इसका विरोध
सुधारवादी नेता थेथर्स ने किया लेकिन पुलिस द्वारा गोलिया चलवा दी जिससे बहुत सारे नेता मारे गये .
प्रश्न 12. वियना सम्मेलन का आयोजन क्यों किया गया था ? इसकी क्या उपलब्धिया थी ?
उत्तर- वियना सम्मेलन का उदेश्य नेपोलियन के द्वारा यूरोप की राजनितिक में लाए गए परिवर्तनो को समाप्त करना और पुराणी व्यवस्था को लागु करना तथा
फ्रांस की क्रांति के दौरान प्रजातंत्र और गणतंत्र का उदय का विरोध करना
इसकी उपलब्धिया :-
उत्तर- फ्रांस 1830 ई. में एक गृहयुद्ध की शुरुवात हुआ था जिसे 1830 ई. की क्रांति कहा जाता है
मेटरनिख का कथन था की फ्रांस जब छिकता है तो, पूरा यूरोप संक्रमित हो जाता है . इस क्रांति में चाल्स दशम एक स्वेच्छारी निरंकु शवादी राजा था
. जिसने फ़्रांस में पनप रही राष्ट्रीयता की भावना को दवाने का कार्य किया . इसके द्वारा प्रतिक्रियावादी पोलिगेनिक को प्रधानमंत्री बनाया गया जिसका विरोध
उदारवादी लोगो ने किया था.
उत्तर- इटली और जर्मनी के एकीकरण में ऑस्ट्रिया सबसे बड़ी बाधा थी . चुकी एकीकरण के पीछे राष्ट्रवाद का हाथ था. ऑस्ट्रिया का चांसलर मेटरनिख
को कहा जाता है .
जिसका कहना था की किसी भी देश में शासन तो करो लेकिन जनता के भलाई न करो . यह एक निरंकु शवादी राजा था . जैसे ही मेटरनिख का पतन
हो जाता है वैसे ही इटली और जर्मनी का विकास हो जाता है.
प्रश्न 16. इटली और जर्मनी के एकीकरण में नेपोलियन का क्या योगदान रहा था ?
उत्तर- इटली और जर्मनी के एकीकरण में नेपोलियन का अहम योगदान रहा था . इन्होने इटली और जर्मनी को भौगोलिक परिधियो से बाहर कर कर
वास्तविक सता दिलाने का कार्य किया . फ्रांस की क्रांति ने राष्ट्रीयता की सिदांत को जन्म दिया और 300 छोटे-छोटे राज्यों को के वल 39 राज्यों में
परिवर्तित कर दिया तथा 1806 ई. में जर्मन राइन संघ की स्थापना की.
उत्तर-मेजनी का जन्म 1805 ई. जेनेवा में हुआ मेजनी को इटली के एकीकरण का मशीहा कहा जाता है . यह एक कर्मठ कार्यकर्त्ता लेखक तथा
दार्शनिक थे . इन्होने 1830 ई. में नागरिक आन्दोलन चलाया था . जिसका समर्थन तमाम जनता ने की 1831 ई. में यंग इटली की स्थापना
कत्था 1834 ई. में यंग यूरोप की स्थापना की.
उत्तर- यह एक सफल कु टनीतिक एवं राष्ट्रवादी व्यक्ति था जो निरंकु शवाद का पक्का विरोधी था. यह जानता था की इटली के व्कीकरण की सबसे बड़ी बाधा
ऑस्ट्रिया थी अतः ऑस्ट्रिया को हराने के लिए इसने फ़्रांस से दोस्ती कर ली जबकि फ़्रांस पहले ऑस्ट्रिया का पक्का मित्र था .
ये इटली और जर्मनी के क्षेत्रो में विकास करना चाहते थे . लेकिन इस प्रकार इटली की समस्या को इन्होने एक अंतराष्ट्रीय समस्या बना दिया .
उत्तर- मेजिनी के लिए आत्मा, काबूर के लिए बुद्धि , गैरिवाल्डी के लिए पूरा शारीर
उत्तर- रक्त और लौह की निति का प्रतिपादन बिस्मार्क ने किया था . यह प्रशा का चांसलर 1862 ई. में बना था इसका कहना था की भाषण से
कु छ नहीं होगा बल्कि जर्मनी और इटली के एकीकरण के लिए विशाल सेना का संगठन करना होगा .
उत्तर- यह एक सफल कू टनीतिज्ञ था . यह राजतंत्र, प्रजातंत्र, निरंकु श, कट्टरवादी तथा उदारवादी आदि का समर्थक था इसने जर्मनी के एकीकरण के
लिए विशाल सेना का संगठन किया.
प्रशा का शासक विलयम प्रथम यह जानता था की जब तक की फ़्रांस और ऑस्ट्रिया को पूरी तरह पराजित नहीं कर दिया जाता है , तबतक जर्मनी का
एकीकरण नहीं होगा . और यह काम विस्मार्क ही कर सकता है .
(VVI) प्रश्न 22. जर्मनी के एकीकरण में विस्मार्क का क्या क्या योगदान रहा है ?
उत्तर- जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क का अहम् योगदान रहा . जब से यह प्रशा का चांसलर बना तब से इसका मुख्य उपदेश्य जर्मन sang से
ऑस्ट्रिया की सत्ता को मिटा देना. इसके लिए चाहे मुख्य आंतरिक या बाहय युद्ध क्यों न लड़ना पड़े . इसने रक्त एवं लौह की निति अपनाया था .
इसका कथन था – भाषण की निति से कु छ नहीं होगा .
जर्मनी के एकीकरण के लिए विशाल सेना का संगठन किया . जिसमे सेना में उत्तम भोजन, उत्तम सुविधा तथा सही समय पर वेतन दिया . इसने जर्मनी
के एकीकरण करने के लिए रूस , फ़्रांस एवं ऑस्ट्रिया से मित्रता कर ली . और इस प्रकार से यह तिन युद्ध करता है .
डेनमार्क से युद्ध (1864):- यह युद्ध राज्य क्षेत्र को लेकर हुआ था, जिसमे बिस्मार्क ने ऑस्ट्रिया के साथ मिलकर किया था . इसमें प्रशा को
शोल्सबिंग तथा ऑस्ट्रिया को होल्स्टिंग मिला.
ऑस्ट्रिया से युद्ध (1866):- इस युद्ध में प्रशा ने ऑस्ट्रिया को बुरी तरह से हरा दिया.
फ्रांस प्रशा का युद्ध (1870):- यह युद्ध सेडोवा के मैदान में लड़ा गया था . स्पेन की राजगद्दी को लेकर इस युद्ध में भी ऑस्ट्रिया फ्रांस की बुरी
तरह हार हो गई और अंततः बिस्मार्क ने पुरे यूरोप के मानचित्र को बदलकर रख दिया.