हिंदी अखबारों में राष्ट्रीय खबर और अन्तर्राष्ट्रीय खबरों का कवरेज

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विषय:

ह द
िं ी समाचार पत्रों में राष्ट्रीय, अन्तरााष्ट्रीय और स्थानीय
खबरों के स्िरूप का विश्लेषण

प्रस्तुतकताा

ममता कुमारी
ह द
िं ी समाचार पत्रों में राष्ट्रीय, अन्तरााष्ट्रीय और स्थानीय खबरों के स्िरूप का विश्लेषण

भूममका
समाचार पत्रों के मामले में आज भारत अपनी विशेष और लोकतान्त्रत्रक पहचान रखता
है और हम विश्ि के चुननरदा बड़े बाजारों में से एक हैं| आज भारतीय अखबारों की
संसार में एक अनूठी पहचान है | सिर्प्रथम बेंजाममन है ररस ने बोस्टन में सन 1690ई.
में ‘पन्त्ललक अकरें सेस बोथ फ़ोरे न एंड डोमेन्त्स्टक, नाम से अख़बार ननकाला था| इस
अख़बार को अमरीकी उपननिेशों का पहला अख़बार माना जाता है | इसी र्प्कार भारत
में 29जनिरी सन 1780ई. के आसपास जेम्स आगस््स हहक्की द्िारा बंगाल गजट
या कैलकटा एडिटाइजर ननकला गया था| न्त्जसे ब्रिहटश सरकार ने बंद कर हदया था
और इसी र्प्कार है ररस के समाचारपत्र को भी बंद ककया था| तकरीबन 50 साल बाद,
युगल ककशोर शुक्ल के संपादकत्ि में कलकत्ते से 30 मई 1826 को ‘उदरत मातरण्ड,
का पहला अंक ननकला था| हहंदी का पहला दै ननक समाचार पत्र ‘समाचार सुधा िषरण’
1854 में श्यामसुंदर सेन के संपादकत्ि में कलकत्ते से ननकला| यह पत्र हहंदी और
बांग्ला में र्प्कामशत होता था| ितरमान में अखबारों की संख्या हदन-र्प्नतहदन बढ़ती जा
रही हैं| दै ननक अख़बार जैसे-दै ननक भास्कर, दै ननक जागरण, अमर उजाला, आज,
हहंदस्
ु तान, ममशन जयहहंद, राष्ट्रीय सहारा, राहत टाइम्स, लोकमत समाचार – डेली रयू
दै ननक, दबंग दनु नया, राष्ट्रीय स्िरूप, पायननर, स्ितंत्र चेतना, िायस ऑफ लखनऊ,
स्ितंत्र भारत| स्ितंत्र िातार– संजीिनी टुडे, अमर भारती, िोईस ऑफ रें ड, दमलत मंच,
हे राल्ड यंग लीडर, मेरो हे राल्ड, दै ननक पूिोदय दो बजे दोपहर, हररभूमम, हहंदी ममलाप,
जनसत्ता, मुंबई दै ननक संध्या, कैररयर प्िाइंट साप्ताहहक, नई दनु नया, पूिाांचल र्प्हरी,
पंजाब केसरी, र्प्भात खबर, र्प्ात:कल, संकल्प संदेश, राजस्थान पब्रत्रका, झारखंड
जागरण, रांची एक्सर्प्ेस, साप्ताहहक हहंदस्
ु तान, व्यापार, उजाला दै ननक| सरमागर –रोज
की खबर, जनमुख, जनता सहकार, जनिाणी, स्टार समाचार, हदपशील भारत| यहद
आज समाचार पत्रों की संख्या को गगना जाए तो यह संख्या रोज बढ़ती जा रही है |
क्योंकक सभी को अपने विचार/ भाि/ तकर को रखने की स्ितंत्र है पर जब हम
जागरुक करने या व्यािसानयक दृन्त्ष्ट्ट से एक से अगधक लोगों तक अपने भािों को
अमभव्यक्त करना चाहते है तो हमें माध्यम की आिश्यकता होती है ये माध्यम कई
तरह के हो सकते है जैसे –वर्प्ंट मीडडया, इलेक्रॉननक मीडडया आहद| “समकालीन

2
िैन्त्श्िक पत्रकाररता में अख़बारों का स्थान अनुपम है | आज यह बात सामारय ज्ञान का
हहस्सा समझी जाती है की रे डडयो पर सुनाए जाने िाले या टे लीविजन पर हदखाए
जाने िाले समाचारों की तुलना में अख़बारों में छपे समाचार अगधक असरदार होते हैं|
लोग जो कुछ जो पढ़ते हैं, उसकी छाप उनके मन पर अगधक समय तक अंककत
रहती है | व्यन्त्क्त, समाज और राष्ट्र की छवियों को बनाने – ब्रबगाड़ने की ताकत रखने
िाले अख़बारों की छवि दनु नया में कैसी है ?”1
इस तरह भारत में भी कई असरदार समाचार पत्र हुए न्त्जसमें “जनसत्ता इंडडयन
एक्सर्प्ेस समूह का हहंदी अख़बार है | इसकी स्थापना र्प्नतन्त्ष्ट्ठत संपादक र्प्भात जोशी
ने की थी| 1983 में शुरू हुए इस अख़बार ने ख्यानत अन्त्जत
र की और इसके अनेक
संस्करण ननकले| ितरमान में इसके सम्पादक मुकेश भारद्िाज हैं| िह पांच ककताबों के
लेखक है | हदल्ली के अलािा जनसत्ता कोलकता, चंडीगढ़ और लखनऊ से भी ननकलता
है | दे श में पत्रकाररता को नया आयाम दे ने िाले अख़बारों में जनसत्ता का नाम अग्रणी
है | हहंदी में खोजपूणर पत्रकाररता को नए तेिर का श्रेय अगर ककसी पत्र को जाता है |
तो िह है जनसत्ता। अपनी विशेष शैली, समझ, भाषा, तेज-तरार सम्पादकीय लेखों
तथा समाचार के र्प्स्तुनतकरण ने इसे दे श का लोकवर्प्य पत्र बना हदया और कुछ ही
िषो में श्रेष्ट्ठ हहंदी दै ननक पत्रों के पंन्त्क्त में लाकर खड़ा कर ककया| संपादकीय
हटप्पणणयों और राजनननतक – सामान्त्जक लेखों के अलािा, दनु नया मेरे आगे, समांतर,
दे खी-सुनी आहद जनसता के सिारगधक लोकवर्प्य स्तम्भ हैं |”2
“दै ननक जागरण जो सन 2004 में हदल्ली, उत्तर र्प्दे श, मध्य र्प्दे श, हररयाणा,
उतरांचल, पंजाब, ब्रबहार तथा झारखंड आहद| राज्यों से असंख्य संस्करणों के साथ
र्प्ात:कालीन दै ननक रूप र्प्कामशत होता है , की भारत में हहंदी पाठक िगर पर मजबूत
पकड़ है | इसके संस्थापक स्ि.पूणच
र ंद गुप्ता थे| स्ि.श्री नरें द्र मोहन (जो राज्य सभा के
सदस्य भी रहे है )के कुशल नेतत्ृ ि में जागरण रुपी पौधा अत्यगधक पुन्त्ष्ट्पत – पल्लवित
हुआ| इस समय सम्पादक श्री संजय गुप्ता है |”3 दै ननक जागरण उत्तर भारत का
सिारगधक लोकवर्प्य समाचारपत्र है | वपछले कई िषो से यह भारत में सिारगधक र्प्सार
संख्या िाला समाचार पत्र बन गया है | यह समाचार विश्ि का पढ़े जाने िाला दै ननक

र्प्ांजल धर – समकालीन पत्रकाररता में अख़बार ,िाणी र्प्काशन,संस्करण २०१३ पष्ट्ृ ट संख्या १६
1

www.jansatta.comइंडडयन एक्सर्प्ेस ग्रुप


2

पी.के.आयर – समाचार लेखन, र्प्भात र्प्काशन ,पष्ट्ृ ठ संख्या १९


3

3
है |”4 इसीमलए हमने राष्ट्रीय, अंतराष्ट्रीय और स्थानीय छवि को जानने के मलए दै ननक
जागरण एिं जनसत्ता दो समाचार पत्रों का चयन ककया है ।

पररकल्पना
राष्ट्रीय-अंतरारष्ट्रीय स्थानीय स्तर पर खबरों को जानने के मलए आज भी कोई सरल
माध्यम है तो िो है समाचार पत्र| न्त्जसके माध्यम से दे श, र्प्ारत की भूममका, विदे श
नननत को जा सकता है | राष्ट्रीय स्तर पर सरकारी ननकायों द्िारा कैसी नीनतया बनाई
जा रही है इस पर बहस-मुसाहहबा जानकारी ममल जाती है | “राष्ट्रीय समाचार में दे श
के तथा उसके सभी र्प्दे शों से संबंगधत समाचार राष्ट्रीय समाचार की श्रेणी में आते
है । ये संपूणर राष्ट्र के मलए समान पाठकीय मूल्य रखते हैं| सुर्प्ीम कोटर द्िारा हदए
जाने िाले विविध फैसले, िहााँ चलने िाले वििाद, संसद के दोनों सदनों में होनें िाली,
करिाईयों राष्ट्रीय स्तर पर, होने िाले घोटाले, गबन तथा भ्रष्ट्टाचार संबंधी, विमभरन
नीनतगत योजनाओं संबंधी तथा राष्ट्रीय स्तर पर कायररत कमरचाररयों के लाभ अथिा
अनुशासन के दृन्त्ष्ट्टगत मलए जाने िाले ननणरय संबंधी समाचार र्प्मुख हैं।“5 “अंतराष्ट्रीय
समाचार-अपने दे श को छोडकर दनु नयाभर के सभी समाचार अरतराष्ट्रीय समाचारों की
श्रेणी में आते है -कंरी ररर्प्ेजेंटेहटि| उदाहरण – तत्कामलक समाचार –‘गुजरात दं गो की
ननभीक एि ननष्ट्पक्ष पत्रकाररता की ममसाल लेने िाले एन. डी. टी. िी के र्प्मुख
राजदीप सरदे साई | अमेररका द्िारा ईराक़ पर की गई, बमबारी की किरे ज करने
सिरर्प्थम ‘आज-तक, के चैनल के ररपोटर र श्री दीपक चौरमसया|”6 इसी र्प्कार की
जानकारी से अिगत होने के मलए आम नागाररक समाचार पत्र को हदनचयार के
आिश्क पहलू के रूप में समाचार पत्र का अध्ययन करता है | इसमलए समाचार पत्रों में
विशेषज्ञों द्िारा खबरों का विश्लेषण ककया जाता है । हर क्षेत्र की एक भौगोमलक दरू ी
होती है न्त्जसके कारण हर खबर का र्प्त्यक्ष वििरण नहीं होता, इस समस्या के
समाधान के रूप में परोक्ष रूप से खबरों को जानने के मलए कई र्प्कार के संसाधनों
का र्प्योग ककया जाता है , न्त्जसमें राज्य लयूरो में अपने-अपने संपादकों के कायारलयों
द्िारा िहां की स्थानीय सूचना को ग्रहण ककया जाता है | कभी-कभी इन खबरों की

नैशनल रीडरमशप सिे 2012 दै ननक जागरण सिारगधक पढ़े जाने िाला अख़बार
4

पी .के .आयर – समाचार लेखन ,र्प्भात र्प्काशन ,पष्ट्ृ ठ संख्या – २५


5

पी .के.आयर – समाचार लेखन ,र्प्भात र्प्काशन ,पष्ट्ृ ठ संख्या


6
-३३

4
र्प्ान्त्प्त कुछ समाचार पत्र अपने ररपोटर र द्िारा करते है या कभी ककसी अरय सूत्रों के
माध्यम से। कभी अरतराष्ट्रीय संस्था सममनत द्िारा सूचना र्प्ाप्त की जाती है | जैसे –
भारत में यू.एन.ए, पी.टी.आई, यूनीिातार, समाचार-भारती, हहंदस्
ु तान आहद| विश्ि में
अमेररका – यू.पी.एस, चीन-सी.एन.ए, ईरान – इरना, इंडोनेमशया-अंतारा, ब्रिटे न -रायटर,
जमरन -डी.पी.ए., फ़्ांस-एजेंसी फ़्ांस र्प्ेस, रूस-तास, चीन-मसरहुआ, आस्रे मलया-ए.ए.पी,
जापान-क्योदो, न्त्जनी आहद बाहरी संस्था हैं| हम जब राष्ट्रीय अरतरारष्ट्रीय स्थानीय
खबरों का अध्ययन करें गे तब इरहीं स्रोतों द्िारा विश्िसनीयता, सत्यता, निीनता,
सामनयकता, ननकटता, मानिीयता, विमशष्ट्टता, अिधारणा, अहद द्िारा खबरों के
स्िरूप का विश्लेषण करें गे| समाचार पत्र इन संस्थाओ का र्प्योग कैसे करते हैं?
समाचारों पत्रों में ककस र्प्कार एक ही रयूज़ का वििरण अलग अलग तरह से हदया
जाता है , दोनों में क्या विमभनता या समानता है ? ककस र्प्कार स्रोतों को ग्रहण ककया
है , आचार सहहंता का र्प्योग ककया है या नहीं? दै ननक जागरण और जनसत्ता के
अध्ययन द्िारा इन विषयों पर ध्यान हदया जाएगा। ककस संस्था की रयूज़ को हहंदी
समाचार पत्रों में स्थान हदया जाता है , ककसे नहीं हदया जाता है ? समचार पत्रों को
तैयार करने में कई संिाददाता की भूममका होती है । हर क्षेत्र के अलग-अलग
संिाददाता होते हैं जैसे- स्थानीय संिाददाता, कायारलय संिाददाता, िररष्ट्ठ संिाददाता,
हर क्षेत्र के संिाददाता होते है न्त्जसमें ककस संिाददाता की खबरों को महत्ि हदया जाए
ककसे छापा जाए ककसे नहीं छापा जाए यह संकलनकतार ही तय करता है | “भारतीय
अख़बारों में स्थानीय खबरों को ज्यादा तरजीह नहीं हदया जाता था और उसके बदले
अंतराष्ट्रीय खबरों को र्प्मुखता दी जाती थी | बहुत से भारतीय संपादक और कुछ
मामलक मानते हैं की स्थानीय खबरों को छापना गंभीर ककस्म की पत्रकाररता के
णखलाफ है | पर यहद कोई भी घटना ऐसी है जो पाठकों की दे श-दनु नया से जुडी हुई हो
तो िह अंतराष्ट्रीय खबरों के मुकाबलें उसे ज्यादा आकवषरत करती है | ममडडया के
विशेषज्ञ विलबर श्रीराम ने मलखा है की पूरी दनु नया में जो लोग अख़बार जगत से जुड़े
हुए है िो जानते है की स्थानीय खबरें ब्रबक्री को बढ़ाती है | स्थानीय खबरों के पाठक
ककसी भी समय में अंतराष्ट्रीय खबरों से ज्यादा होते है , अख़बारों का जोर स्थानीय
खबरों में बढ़ा है | हहंदी अख़बारों में अंतराष्ट्रीय खबरों का चयन और विश्लेषण
अमूमन भारतीय राज्य और सत्ता के नजररए से ही होता आया है ”7 ितरमानकाल में

अरविरद दास- हहंदी में समाचार ,अंनतका र्प्काशन ,पष्ट्ृ ठ संख्या -५५
7

5
खबरों का स्िरूप तो बहुत बदल गया है , कफर भी अख़बारों की कोई आत्मा है तो िो
है समाचार पत्र की खबरें । समाचार पत्र के विषय की विमभरनता उरहें सभी िगर,
मलंग, अिस्था, से जोडती है , तथा समाचार को िक्त के साथ र्प्सांगगक बनाकर रखती
है । इसमें हर क्षेत्र से संबंगधत खबर होती है | यहद आप विद्याथी हैं तो आपको
विश्िविद्यालय से संबंगधत खबर ममलती रहे गी, आप अपना कररयर बना चाहते हैं तो
समाचार में एक पष्ट्ृ ठ ममल जाएगा, भविष्ट्य में क्या करें क्या न करें , आप राजनीनतक
खबर पढ़े या साहहन्त्त्यक खबर आपकों हर क्षेत्र की जानकारी समाचार पत्र दे गा,
उद्योग से लेकर मनोरं जन तक कुलममलाकर यह सभी खबर अखबारों की र्प्नतष्ट्ठा को
तय करती हैं। इसमलए इन खबरों के विषय का विश्लेषण करना, आज के खबरों की
हदशा को तय करे गा, कौन ककस खबर को तरजीह दे रहा है , कौन मात्र खानापूनतर कर
रहा है , या कौन से विषय हमेशा समाचार पत्र में स्थान पाते है ? ककरहें हमेशा ही
नजरअंदाज ककया जाता है ? या सामान्त्जक दबाि में ही छापा जाता है , इसमलए आज
समाचार पत्रों का अध्ययन ितरमान समय की दशा का वििरण दे गा। समाचार पत्रों की
अपनी शलदािली और भाषा होती है न्त्जसके द्िारा खबरों के रूप को समझा जा
सकता है जैसे- बैनर न्त्जसे मुख्य शीषरक कहते है , ओिर बैनर, नामप्हटका,
स्कूप_एक्स्क्लून्त्जि स्टोरी, प्लेअप – व्यन्त्क्त को अनतररक्त महत्त्ि दे ना| स्पॉट रयूज़ –
अर्प्त्यामशत समाचार, फ़ॉलो अप-नई जानकारी हामसल करना, हाडर रयूज़-व्याख्या
रहहत और विश्लेषणात्मक तथ्यात्मक, हाडर रयूज़ – समाचार की व्याख्या और
विश्लेषण, मसंडडकेटे ड कॉलममस्ट – र्प्मसद्ध स्तम्भकार ,घोस्ट राइटर- छद्म नामों से
मलखने िाले, आहद ककस्म की समाचार की शलदािली होती है न्त्जसका सम्बरध भाषा
से भी होता है एिं रयूज़ पेपर की सामग्री से भी सीधा सम्बरध होता है , समाचार के
शलद तय करते है कक समाचार पत्रों का स्िरूप क्या है , इसी र्प्कार विज्ञापनों की
रूपरे खा, उद्योग जगत से उसके अंत:संबंध और विज्ञापनों की भाषा का अध्ययन
करें गे, इसमलए विज्ञापनों के विषय में रे मंड विमलयम्स कहते है “अख़बार का चलना
या बंद होना पाठकों के बीच उसकी मााँग के आधार पर तय नहीं होता बन्त्ल्क इस
बात पर तय होता है की िे विज्ञापन के माध्यम के रूप में ककतनी सफल भूममका
ननभा रहें है |”8 हहंदी समाचार पत्रों के इनतहास में दै ननक जागरण, जनसत्ता के इनतहास
को भी रे खांककत ककया जाएगा| समाचार संस्था और उसके स्रोतों के स्िरूप पर भी

रे मंड विमलयम्स – संचार माध्यमो का िगर चररत्र ,पष्ट्ृ ठ संख्या – ५०


8

6
अध्ययन ककया जाएगा| इन समाचार पत्रों के विषय अरय समाचार पत्रों के विषय से
ककस र्प्कार अलग होते हैं, इस पर भी तुलनात्मक विश्लेषण ककया जाएगा| साथ में
ही शलदािली और भाषा के ब्रबंद ु को भी विश्लेवषत ककया जाएगा एंि विज्ञापनों के
स्िरूप पर भी अध्ययन ककया जाएगा|

शोध प्रविधध
हहंदी समाचार पत्रों पर शोध कायर करने के मलए दो समाचार पत्र दै ननक जागरण और
जनसत्ता का चयन ककया जाएगा। इस दौरान शोध की पद्धनत तुलनात्मक,
विश्लेषणात्मक होगी। इस समय एजेन्त्रसयों के कायारलय एिं िहां से उपललध शोधों
की र्प्माणणकता/ अनुमाननत भािानुमाननत का अध्ययन और विश्लेषण ककया जाएगा।
विमभरन सम्िाददाताओं उनके कायारलयों उनकी सीमाओं तथा अरय स्तम्भकार,
अंशकामलक विशेष स्थानीय/ राष्ट्रीय/ अंतरारष्ट्रीय/ र्प्ांतीय सम्िाददाताओं राज्य लयूरो
का अध्ययन करते हुए तुलनात्मक विश्लेषण ककया जाएगा और पत्रकारों की भूममका
द्िारा खबरों पर उसके र्प्भाि का अध्ययन उसकी विशेषता के अनुरूप ककया जाएगा।
स्टे ट लयूरो में अरय स्टे ट लयूरो में महत्िपूणर खबरों के संबंधों का भी विश्लेषण ककया
जाएगा एिं समाचार-पत्र एक पष्ट्ृ ठों पर अंककत समाचार विषयों का अध्ययन ककया
जाएगा। अंतत: समाचारों की शलदािली का अध्ययन पाठक के अनुरूप एिं खबरों के
स्िरूप में महत्त्िपूणर स्थान पर अध्ययन ककया जाएगा। र्प्स्तुत शोध-विषय की र्प्विगध
तुलनात्मक और विश्लेषणात्मक होगी।

इस क्षेत्र में ु ए शोध काया


समाचार पत्रों के संदभर में कई तरह के शोध हुए हैं, पर राष्ट्रीय, अंतरारष्ट्रीय एिं
स्थानीय समाचार के खबरों के स्िरूप को लेकर अभी तक कोई शोध नहीं रहा है ।
पत्रकाररता विभाग में मात्र समाचार के एक अंश को ही ले शोध हुए है | ककसी ने
जागरुक अमभयान पर शोध ककया है तो ककसी ने समाचार पत्र न पढने िाले समुदाय
के मनोविज्ञान का विश्लेषण ककया है | ककसी ने क्षेत्र विशेष से संबंगधत ही शोध कायर
ककया है | ककसी ने समाचार पत्र में मलखे जाने िाले विज्ञान लेखन पर शोध ककया है |
ककसी ने पयारिरण अमभयान संबंगधत शोध ककया है , ये शोध पत्रकाररता विभाग से
संबंगधत है | हदल्ली विश्िविद्यालय के हहंदी विभाग में भी समाचार संबगधत शोध हुए

7
है - न्त्जसमें शोधकतारओं ने समाचार के सम्पादकीय पष्ट्ृ ठ पर कायर ककया है , तो ककसी
शोधकतार ने हहंदी समाचार की सूचना संबंगधत क्रांनतयों पर| अभी तक कोई भी कायर
हहंदी समाचार पत्रों के राष्ट्रीय, अंतराष्ट्टीय और स्थानीय खबरों के स्िरूप पर नहीं
ककया है | यह विषय ितरमान काल में र्प्ासांगगक एिं उपयोगी भी है | जो अनुसरधान
विभाग को लाभन्त्रित करें गा क्योंकक इस शोध द्िारा राष्ट्रीय, अंतरारष्ट्रीय और
स्थानीय रूप से खबरों को समझने में सहायता करे गा| यह शोध र्प्स्तुत सामगग्रयों का
विश्लेषण करे गा न्त्जसमें अनुसरधान विभाग को कई र्प्कार के उपादान र्प्ाप्त होगे जो
आने िाले शोध कायो का मागर र्प्शस्त करें गें| विमभरन क्षेत्र में हुए समाचार से
संबंगधत शोध कायों का वििरण –

1. समाचार अमभयानों की विधा या उनकी वििेचना उदयपुर के चरण


शोधकत्तार- बोडककया विकास
ननदे शक- कंु जन आचायर
विभाग- पत्रकाररता और जनसंचार विभाग (2015)
2. समाचार माध्यमों की आचार सन्त्रहता क वििेचन और अनेक र्प्ाचीन मीडडया
कममरयों की अिधारणों का पालन
शोधकत्तार- हुसैन ताब्रबश
ननदे शक अरुण कुमार भगत
विभाग- पत्रकाररता (2017)
3. समाचार पत्रों में न पढ़ने िाले समुदायों का सामान्त्जक एिं मनोिैज्ञाननक
अध्ययन
शोधकतार हांडा चंदशेखर
ननदे शक-कुननमाला, िह्म ककशोर
विभाग- जनसंचार समाचार पत्र (2015)
4. समाचार पत्रों द्िारा चलाये जा रहे जनजागरुक अमभज्ञानों के संबंध में पाठकों
की धारणा, हररयाणा के र्प्मख
ु समाचार पत्रों के संदभर में एक अमभयान
शोधकतार- कुमार र्प्दीप
ननदे शक- जेना, र्प्मोद कुमार

8
विभाग-जनसंचार (2016)
5. समाचार पत्रों के पीठ पत्रकाररता की व्यान्त्प्त का तुलनात्मक अध्ययन
शोधकतार-सैनी, विजेश कुमार
ननदे शक कुमार सब
ु ोध (2018)
6. समाचार पत्रों में विज्ञान लेखन
शोधकतार- र्प्भात दीक्षक्षत
ननदे शक- सुबोध कुमार
विभाग-पत्रकाररता
7. समाचार पत्रों में पयारिरण संबंगधत का अमभयान
शोधकत्तार- रजनीश उपाध्याय
ननदे शक- अननल कुमार उपाध्याय
विभाग – पत्रकाररता

ह द
िं ी विभाग हदल्ली विश्िविद्यालय में ु ए शोध काया
1.वर्प्ंट मीडडया में व्यािसानयक विज्ञापनों की भाषा
शोधकतार. – यादि नूतन
ननदे शक- डॉ.कृष्ट्ण दत्ता शमार
विभाग- हदल्ली विश्िविद्यालय
िषर 2006 एम.कफल
2.हहंदी समाचार पत्र और सूचना क्रांनत (2000-2004 तक)
ननदे शक. कृष्ट्ण दत्त शमार
शोधकतार.िणरबाल रमेश
िषर- 2006
विभाग- हदल्ली विश्िविद्यालय
3 .र्प्मुख राष्ट्रीय समाचार पत्रों में स्त्रीभारत ए :अध्ययन :गचत्रण का व्यन्त्क्तत्ि-िं
पाककस्तान के विशेष संदभर में
शोधकतार. काममनी भारद्िाज
ननदे शक.डॉ कुमुद शमार

9
िषर.2007 (पी.एच.डी)
4.हहंदस्
ु तान के फीचर-पष्ट्ृ ठों पर सौंदयर मानकों का ननमारण
ननदे शक. डॉ. कुमुद शमार
शोधकतार. परममशला
मई, जन
ू , जुलाई 2006 के अंत
5 .हदल्ली से र्प्कामशत र्प्मुख हहंदी दै ननकों की भाषा )2005 (
शोधकतार. िणरिाल(रमेश कुमार)
ननदे शक र्प्ो. मोहन
िषर 2011( पीएच.डी)
6 जनसत्ता के रवििारीय सम्पादकीय पष्ट्ृ ठों में र्प्कामशत संस्कृनत विमशर
ननदे शक. सुधीश पचौरी
शोधकतार. हवषरता
िषर 2007
7 .इंडडया टुडे के िावषरकांको का हहंदी साहहत्य में योगदान
ननदे शक. डॉ कुमुद शमार
शोधकतार. धमेरद्र मसंह
िषर -2007
जिा रलाल ने रु विश्िविद्यालय में ह द
िं ी विभाग से ु ए शोध
1 .हहंदी में समाचार
ननदे शक. िीर भारत तलिार
शोधकतार.अरविरद दास
िषर .2009 (पी.एच.डी)

सम्भावित अध्याय
विषय- हहंदी समाचार पत्रों में राष्ट्रीय अंतरारष्ट्रीय स्थानीय खबरों के स्िरूप का
ब्रबश्लेषण
प्रथम अध्याय -समाचार पत्रों का इतत ास

10
• दै ननक जागरण समाचार पत्र और जनसत्ता समाचार पत्रों का इनतहास
• दै ननक जागरण समाचार पत्र और जनसत्ता समाचार पत्र की ितरमान न्त्स्थनत
दस
ू रा अध्याय – प्रबिंध और सिंचालन
• र्प्बंध का ढााँचा
• मामलक और संपादक:भूममका एिं संबंध
• पत्रकारों का चयन एिं ननयुन्त्क्तयााँ
तीसरा अध्याय- समाचार सिंस्था
• अंतराष्ट्रीय समाचार संस्था
• राष्ट्रीय समाचार संस्था
• स्थानीय समाचार संस्था एिं राज्य संिादाताओं की भूममका और संबंध
चौथा अध्याय- समाचार विषय
• सामग्री विश्लेषण
• राजनीनत समाचार
• संसदीय समाचार
• कानूनी समाचार
• अपराध समाचार
• नागररक व्यन्त्क्त केंहद्रत समाचार
• औद्योगगक समाचार
• खेल समाचार
• सांस्कृनतक समाचार
• कृवष समाचार
• साहहन्त्त्यक समाचार
पािंचिािं अध्याय – समाचार पत्रों की भाषा एििं शब्दािली
• समाचार पत्र की भाषा
• समाचार पत्र की शलदािली
• विज्ञापनों का स्िरूप

उपसिं ार

11
मेरे र्प्स्तावित शोध का र्प्थम अध्याय होगा ‘हहंदी समाचार पत्रों का इनतहास ’ दै ननक
जागरण, जनसत्ता का इनतहास, न्त्जसमें जनसत्ता और दै ननक जागरण का आरं मभक रूप
क्या था? धीरे -धीरे ककस पररितरन से इन समाचार पत्रों को गुजरना पड़ा| उनका तथ्यों
के माध्यम से विश्लेषण ककया जाएगा| यह तीन उप अध्याय में विभान्त्जत होगा|
न्त्जसमें र्प्थम उप अध्याय -हहंदी समाचार पत्रों का इनतहास| दस
ू रा उप अध्याय- दै ननक
जागरण समाचार पत्र और जनसत्ता समाचार पत्र का इनतहास| तीसरे उप अध्याय -
दै ननक जागरण समाचार पत्र और जनसत्ता समाचार पत्र की ितरमान न्त्स्थनत|
दस
ू रा अध्याय-‘र्प्बंध और संचालन, न्त्जसमें तीन उप अध्याय होगें | र्प्थम उप अध्याय-
र्प्बरधन का ढााँचा| दस
ू रा उप अध्याय -मामलक और संपादक:भूममका एिं संबंध| तीसरा
उप अध्याय - पत्रकारों का चयन एिं ननयुन्त्क्तयााँ|
तीसरा अध्याय- ‘समाचार संस्था’ न्त्जसमें तीन उप अध्याय होगे| र्प्थम उप अध्याय –
अरतराष्ट्रीय समाचार संस्था| दस
ू रा उप अध्याय – राष्ट्रीय समाचार संस्था |तीसरा
स्थानीय समाचार संस्था एिं राज्य संिाददाताओं की भूममका और संबंध |
चौथा अध्याय –‘समाचार पत्र में ननहहत विषय’| न्त्जसमें दस उप विषय होगें | र्प्थम
विषय -राजनीनत समाचार| दस
ू रा विषय- संसदीय समाचार| तीसरा विषय – औद्यौगगक
समाचार| चौथा विषय -कृवष समाचार| पााँचिा विषय -क़ानूनी समाचार| छठा विषय –
अपरागधक समाचार| सातिााँ विषय -सांस्कृनतक समाचार| आठिां विषय- साहहन्त्त्यक
समाचार| नौिां विषय -खेल समाचार| दसिां विषय – नागाररक व्यन्त्क्त केन्त्रद्रत
समाचार| आहद विषयों का विश्लेषण ककया जाएगा|
पााँचिां अध्याय ‘समाचार पत्रों की भाषा एिं शलदािली’ न्त्जसमें दो उप अध्याय होगे |
र्प्थम उप अध्याय समाचार पत्रों की भाषा और शलदािली पर होगा| दस
ू रा उप अध्याय
– विज्ञापनों की भाषा एिं उसके स्िरूप, आहद विषयों पर अध्ययन ककया जाएगा| अंत
में उपसंहार के रूप में शोध का ननष्ट्कषर है |

सिंदभा ग्रिंथ
आधार ग्रिंथ
1. दै ननक जागरण समाचार पत्र की र्प्नतमलवपयां
2. जनसत्ता समाचार पत्र की र्प्नत मलवपयााँ
स ायक ग्रिंथ

12
1. अरविंद दास – हहंदी में समाचार, अंनतका र्प्काशन, पहला संस्करण 2013
2. र्प्ांजल धर- समकालीन िैन्त्श्िक पत्रकाररता में अख्बार, िाणी र्प्काशन, र्प्थम
संस्करण 2013
3. डॉ. माणणक मग
ृ ेश , समाचार पत्रों की भषा, िाणी र्प्काशन, संस्करण 1999
4. रे मंड विमलयम्स , संचार माध्यमों का िगर चररत्र
5. सुरेंद्र र्प्ताप मसहं चयन, पत्रकाररता के महानायक सरें द्र र्प्ताप मसंह चयन,
राजकमल र्प्काशन, 2011
6. डॉ. मोहन, स्िाधीन आंदोलन की पत्रकाररता और हहंदी, अनंग र्प्काशन, 2004
7. जगदीश्िर चतुिेदी, जनमाध्यम र्प्ौदयौगगकी और विचारधारा, अनाममका
र्प्काशन, संस्करण 2012
8. अभय कुमार दब
ु े, भारत का भम
ू ंडलीकरण, िाणी र्प्काशन
9. अन्त्म्बका र्प्साद िाजपेयी, समाचार पत्रों का इनतहास, बनारस ज्ञानमंडल
मलममटे ड, सम्ित- 2010
10. सुधीर पचौरी, मीडडया और साहहत्य, िाणी र्प्काशन,
11. रॉब्रबन हािरर-2000, इंडडयाज-रयज
ू पेपर ररिोल्यश
ू न: हदल्ली ऑक्स्फोडर
यूननिमसरटी र्प्ेस 2004, भारतीय जनसंचार संस्थान (अनुिाद-भारत में संचार क्रांनत)
12. तबरे ज अहमद ननयाजी (2010)क्लचरल इंपीररयमलज्म आर िनारकुलर
मॉडननरटी? हहंदी रयूज़पेपसर इन ए ग्लोबलाइजेशन इंडडया, मीडडया कल्चर सोसाइटी
सेज पन्त्ललकेशन
13. िीर भारत तलिार – रस्साकशी, संस्करण 2002
14. डॉ. राजेंद्र ममश्र- पत्रकाररता के विविध आयाम, तक्षमशला र्प्काशन-2003
15 धनंजय चोपड़ा. – मसफ़र समाचार इलाहाबाद विश्िविद्यालय र्प्काशन ,–2006
16 जैरी का मंडीकरण, जैरी मैणडर, अनुिादक सुशील कुमार, गागी र्प्काशन 2017

पत्रत्रका
दीिान-ए-सराय मीडडया, विमशर, हहंदी जनपद (संकमलत लेख )
1. हहंदी पत्रकाररता: वर्प्ंट संस्कृनत के बदलते पररदृश्य (1900-1940), अविनाश
2. हहंदी पन्त्ललक न्त्स्फयर: हहंदी सािरजननक दनु नका : फ्रंचेस्का और सीनी

13
3. हहंदी में किर ड्राइि: भूमंडलीकरण के दौर में युयुत्यु कक्रकेटीय राष्ट्रिाद :अभी
कुमार दब
ु े
4. मास मीडडया और साहहत्य : मनोहर श्याम जोशी
5. ‘लग
ु दी’ साहहत्य के अाँधेरे उजाले-: र्प्भात रं जन
6. ‘बाजारू’ साहहत्य:औपननिेमशक उत्तर भारत में अश्लीलता वििाद: चारु गुप्ता
7. इस र्प्पंच में मसफ़र स्त्री न थी : सुधीश पचौरी

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