फीचर लेखन

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आर.सी.वी.पी.

नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी

मध्य प्रदे श भोपाल

स्वामी वििेकानंद कैरियि मार्गदर्गन योजना, उच्च वर्िा विभार्, मध्यप्रदे र्


अल्पािवि िोजर्ािोन्मुखी प्रवर्िण – भाषा कौर्ल मॉड्यूल
डॉ. सुनीता जैन
कंटें ट लेखक
सह प्राध्यापक, शासकीय गीतांजवल कन्या महाववद्यालय (स्वशासी), भोपाल
कंटें ट समीिक प्रो उमेश कुमार वसंह

विििण
विषय फीचर लेखन
उप विषय ➢ फीचर लेखन की आवश्यकता
➢ फीचर लेखन का महत्त्व
➢ फीचर लेखन: स्वरोजगार की संभावनाएँ
उद्दे श्य ➢ ववद्यावथियों में लेखन कला ववकवसत करना
➢ लेखन के माध्यम से जीवन कौशल ववकवसत करना
➢ कुशल लेखन से स्वरोजगार प्राप्ति
➢ ववषय से पररचय
➢ लेखन के माध्यम से भावावभव्यप्ति
अपेवित परिणाम ➢ लेखन कौशल का ववकास ।
➢ भावावभव्यप्ति का ववकास ।
➢ लेखन कला का उन्नयन ।
➢ आत्मववश्वास में वृप्ति ।
➢ अवभव्यप्ति क्षमता का ववकास ।

फीचि लेखन
1. प्रस्तािना
2. फीचि लेखन क्या है ?
3. फीचि लेखन के प्रमुख अंर्
4. फीचि लेखन की विर्ेषताएँ
5. फीचि के प्रकाि
6. फीचि लेखन के सहायक तत्व या र्ुण
7. फीचि लेखन का महत्त्व
8. फीचि की लोकवप्रयता
9. फीचि लेखन: स्विोजर्ाि की संभािनाएँ
10. अभ्यास प्रश्न

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मध्य प्रदे श भोपाल


1. प्रस्तािना :

मानव जावत का स्वभावगत गुण उसकी वजज्ञासु प्रवृवि है । वजज्ञासा की यह प्रवृवि उसे न केवल अपने
आस-पास की, अवपतु सारी दु वनया में घट रही घटनाओं को जानने की वदशा में प्रेररत करती रही है ।
संसार के घटनाक्रम से मनुष्य को यथाशीघ्र पररवचत कराने के प्रयासों की होड़ में पत्रकाररता का ववववध
रूपों में ववकास होने लगा। आज पत्रकाररता का क्षे त्र अत्यंत व्यापक है । सूचना की इस सदी में पत्रकाररता
जनता को प्रभाववत करने , ज्ञान दे ने का सशि माध्यम है । इसकी पररवध में जीवन जगत की हर घटना
आ जाती है । पत्रकाररता अपने आप में एक गंभीर एवं उिरदावयत्वपू णि सामावजक कमि है । फीचर लेखन
सृजनात्मक लेखन की अत्यंत महत्वपूणि ववधा है । पत्रकाररता में अपना अवितीय स्थान रखने वाली इस
ववधा का उद्दे श्य ऐवतहावसक, भौगोवलक, सामावजक, राजनीवतक, सां स्कृवतक या अन्य क्षेत्रों के ववववध
पहलुओं की नई-नई जानकारी प्रदान करना है ।

2. फीचि लेखन क्या है ?

फीचर’ (Feature) अंग्रेजी भाषा का शब्द है । इसकी उत्पवि लैवटन भाषा के फैक्ट्र ा (Fectura) शब्द से
हुई है । वववभन्न शब्दकोशों में इसके अनेक अथि हैं , मुख्य रूप से इसके वलए स्वरूप, आकृवत, रूपरे खा,
लक्षण, व्यप्तित्व आवद अथि प्रचलन में हैं । ये अथि प्रसंग और संदभि के अनुसार ही प्रयोग में आते हैं ।
अंग्रेजी के फीचर शब्द के आधार पर ही वहं दी में भी ‘फीचर’ शब्द को ही स्वीकार वलया गया है । वहं दी
के कुछ वविान इसके वलए ‘रूपक’ शब्द का प्रयोग भी करते हैं लेवकन पत्रकाररता के क्षे त्र में वतिमान में
‘फीचर’ शब्द ही प्रचलन में है ।

समकालीन घटना या वकसी भी क्षेत्र ववशे ष की वववशष्ट जानकारी के सवचत्र तथा मोहक वववरण को
फीचर कहा जाता है । इसमें मनोरं जक ढं ग से तथ्ों को प्रस्तु त वकया जाता है । इसके संवादों में गहराई
होती है । यह सुव्यवप्तस्थत, सृजनात्मक व आत्मवनष्ठ ले खन है , वजसका उद्दे श्य पाठकों को सू चना दे ने,
वशवक्षत करने के साथ मु ख्य रूप से उनका मनोरं जन करना होता है ।

फीचर में ववस्तार की अपेक्षा होती है । इसकी अपनी एक अलग शैली होती है । एक ववषय पर वलखा गया
फीचर प्रस्तुवत ववववधता के कारण अलग ही वदखाई दे ता है । इसमें भूत, वति मान तथा भववष्य का समावेश
हो सकता है । इसमें तथ्, कथन व कल्पना का उपयोग वकया जा सकता है । फीचर में आँ कड़ें , फोटो,
काटू ि न, चाटि , नक्शे आवद का उपयोग उसे रोचक बना दे ता है ।

फीचर लेखन अथाि त शब्दों िारा वचत्रां कन। शब्द वचत्र. भाव और भाषा के वमवित लेखन प्रस्तुवत को शै ली
कहते है , यवद यह शैली मानवीय भावनाओं और उनकी अवभरुवच के अनुरूप मनोरं जक ढं ग से प्रस्तुत
की जाए तो उसे हम फीचर कहते हैं ।

फीचर में दै वनक समाचार, सामवयक ववषय और बहुसख्यक पाठकों की रूवच वाले ववषय की चचाि होती
है । इसका लक्ष्य मनोरं जन करना, सूचना दे ना और जानकारी को जनउपयोगी ढं ग से प्रस्तुत करना है ।

फीचर लेखक घटना या ववषय की जानकारी के अवतररि अपनी प्रवतवक्रया अथवा ववचारों से भी पाठक
को अवगत कराता है और इस तरह पाठक की कल्पनाशप्ति और उसकी मनः प्तस्थवत को भी प्रभाववत
करता है ।

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समाचाि औि फीचि में अंति –

1 समाचार में शब्दों की सीमा होती है जबवक फीचर में शब्दों की कोई वनवित सीमा नहीं होती, यह
समाचारों से बड़े होते हैं ।

2 समाचार ज्ों का त्यों प्रस्तुत वकया जाता है जबवक फीचर में लेखक अपनी राय और दृवष्टकोण के
अनुसार वलखता है , इसमें वह अपने ववचार और भावनाएँ प्रस्तुत कर सकता है ।

3 समाचार का काम तथ् और ववचार दे कर खत्म हो जाता है जबवक फीचर का काम इससे आगे का
होता है । यह समाचार की पृष्ठभूवम का खुलासा करते हैं , ववषय या घटना के जन्म और ववकास का वववरण
दे ते है ।

4. समाचार लेखन में वस्तुवनष्ठता और तथ्ों की शुिता पर जोर वदया जाता है जबवक फीचर में ले खक
के पास अपनी राय या दृवष्टकोण और भावनाएँ जावहर करने का अवसर होता है ।

5. समाचार की भाषा में सपाटबयानी होती है जबवक फीचर लेखन की भाषा सरल, रूपात्मक व आकषि क
होती है ।

6. समाचार का ववषय त्वररत घटी घटनाएँ होता है जबवक फीचर का ववषय कुछ भी हो सकता है ।

फीचि तथा आलेख में अंति –

1. आले ख गंभीर तथा प्रामावणक रचना होती है जबवक फीचर वकसी रोचक ववषय पर मनोरं जक ढं ग से
तथ्ों को प्रकट करने की कला है ।

2. आले ख में वकसी ववषय पर तथ्ात्मक, ववश्ले षणात्मक तथा ववचारात्मक जानकारी होती है इसमें
कल्पना का कोई स्थान नहीं होता जबवक फीचर ववषय से सम्बंवधत व्यप्तिगत अनुभूवतयों पर आधाररत
वववशष्ट ले खन होता है जो कल्पनाशील एवं सृजनात्मक होता है ।

3. आले ख में अनुच्छेद बड़े होते हैं जबवक फीचर छोटे -छोटे अनुच्छेदों से बनता है ।

फीचर लेखन एक वववशष्ट कला है । यह एक िम-साध्य कायि है । फीचर ले खन के वलए प्रवतभा, पररिम
और अनुभव तीनों की महिा है । फीचर पत्र- पवत्रकाओं एवं वेबसाइटस का ऐसा महत्वपूणि अंग है जो
समाचारों से पूणितः वभन्न एवं वववशष्ट है । सरल, स्पष्ट रुवचकर तथा पठनीय होने के कारण यह पाठक या
दशि क का मनोरं जन तो करता ही है , उसकी उत्सु कता, मानवीय भावना तथा कल्पना शप्ति भी जगाता
है ।

3. फीचि लेखन के प्रमुख अंर् -

1 विषयिस्तु – फीचर लेखन में ववषय वनधाि रण का अपना महत्त्व है । वकसी भी फीचर को महत्वपूणि ,
प्रभावी तथा ववश्वसनीय बनाने के वलए जो ववषय चु ना जाता है उसकी पररवे शगत प्तस्थवतयों एवं समस्याओं
का अध्ययन करना अत्यंत आवश्यक होता है । फीचर लेखन के वलए ववषय की नवीनता, पत्र- पवत्रका की
प्तस्थवत, उसके पाठक वगि , पाठकों की रूवच आवद का पूणि ध्यान रखना आवश्यक होता है । ववषय की

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नवीनता फीचर को न केवल पठनीय बनाती है वरन संग्रहणीय भी बनाती है । उपयोवगता को ध्यान में
रखते हुए सामान्य से सामान्य ववषय को भी फीचर लेखन का आधार बनाया जा सकता है ।

2 सामग्री संकलन – सामग्री संकलन के वलए फीचर लेखक को ववषयवस्तु से वनकटता स्थावपत करनी
होती है । फीचर लेखक को उन सभी स्थलों पर पूरी तै यारी के साथ जाना पड़ता है जहाँ से सामग्री उपलब्ध
हो सके साथ ही लोगों से वमलना, प्रवतवक्रया जानना, बातचीत भी करना होता है । ऐवतहावसक, सामावजक,
सां स्कृवतक एवं आवथि क पृ ष्ठभूवम के वलए फीचर ले खक को तत्कालीन समाज एवं सावहत्य का भी अध्ययन
करना पड़ता है ।

3 आमुख -आमुख फीचर का प्राण है । इसे फीचर का पररचयपत्र भी कहा जाता है । आमुख में कम से
कम वाक्ों में रोचक एवं संतुवलत ढं ग से फीचर का पररचय वदया जाता है । अच्छा आमुख पाठक को
पूरा फीचर पढ़ने पर वववश कर सकता है , वही ँ नीरस आमुख पाठकों को फीचर से दू र कर सकता है
अतः आमुख का रुवचकर होना अत्यंत आवश्यक है ।

4 वििेचन-विश्लेषण - वववे चन-ववश्ले षण के अंतगित फीचर की मूल संवेदना की व्याख्या की जाती है ।


ववषय प्रवतपादन में मावमिकता, कलात्मकता, ववश्वसनीयता, वजज्ञासा, उिेजना आवद का यथा संभव
समावे श होना चावहए।

5 उपसंहाि – यह फीचर का समीक्षात्मक अंश होता है । इसमें लेखक वनष्कषि नहीं वनकालता बप्ति
अपनी बात संक्षेप में कहते हुए पाठक की समस्त वजज्ञासाओं का समाधान करने का प्रयास करता है ।
फीचर के उपसंहार में ले खक नए ववचार- सूत्र दे सकता है , कोई सुझाव दे सकता है , कोई प्रश्न छोड़
सकता है वजनके उिर पाठक को ढू ँ ढना पड़े ।

6 र्ीषगक – आकषिक शीषिक फीचर की आत्मा है । शीषिक फीचर के सौन्दयि के साथ-साथ उसके प्रभाव
को भी बढ़ाता है । फीचर का शीषि क ऐसा हो जो उसके मूल भाव को प्रकट करे । शीषिक नवीन, आकषिक
एवं कौतुहलवधि क होना चावहए।

7 छायांकन – फीचर ले खन में छायां कन का ववशेष महत्त्व है । दृयश्मूलक प्रवृवि होने से फीचर में
छायावचत्रों का ववशे ष स्थान है । छायावचत्र ववषयवस्तु से सम्बि, उसका ववस्तार करने वाले , सुन्दर,
स्पष्ट,जीवंत तथा आकषि क होने चावहए।

4. फीचि लेखन की विर्ेषताएँ -

अपनी ववशेषताओं के कारण ही एक फीचर समाचार, वनबंध या ले ख जैसी ववधाओं से वभन्न अपनी पहचान
बनाता है । एक अच्छे फीचर में वनम्नवलप्तखत ववशे षताएँ होनी चावहए –

• सत्यता या तथ्यात्मकता – वकसी भी फीचर ले ख के वलए सत्यता या तथ्ात्मकता का गुण अवनवायि


है । तथ्ों से रवहत वकसी अववश्वनीय सू त्र को आधार बनाकर वलखे गए लेख फीचर के अंतगि त नहीं आते।
कल्पना से यु ि होने के बावजू द ववश्वसनीय सूत्रों को फीचर में ले ख का माध्यम बनाया जाता है । यवद वे
तथ् सत्य से परे हैं या उनकी प्रामावणकता संवदग्ध है तो ऐसे तथ्ों पर फीचर नहीं वलखा जाना चावहए।

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• र्ंभीिता एिं िोचकता– फीचर में भावों और कल्पना के आगमन से उसमें रोचकता तो आ जाती है
वकंतु ऐसा नहीं वक वह ववषय के प्रवत गं भीर न हो। उसके गं भीर वचंतन के पररणामों को ही फीचर िारा
रोचक शै ली में संप्रेवषत वकया जाता है ।

• मौवलकता- सामान्यतः एक ही ववषय को आधार बनाकर अनेक लेखक उस पर फीचर वलखते हैं । जो
फीचर अपनी मौवलक पहचान बना पाने में सफल होता है वही फीचर एक आदशि फीचर कहलाता है ।
लेखक वजतना अवधक तथ्ों को गहनता से ववश्ले वषत कर उसे अपनी दृवष्ट और शैली से अवभव्यप्ति
प्रदान करता है उतना ही उसका फीचर ले ख मौवलक कहलाता है ।

• सामावजक दावयत्व बोि - कोई भी रचना वनरुद्दे श्य नहीं होती। उसी तरह फीचर भी वकसी न वकसी
वववशष्ट उद्दे श्य से युि होता है । फीचर का उद्दे श्य सामावजक दावयत्व बोध से संबि होना चावहए क्ोंवक
फीचर समाज के वलए ही वलखा जाता है इसवलए फीचर सामावजक जीवन के वजतना अवधक वनकट होगा
और सामावजक जीवन की ववववधता को अवभव्यंवजत करे गा उतना ही अवधक वह सफल होगा।

• संविप्तता एिं पूणगता– फीचर लेख का आकार अवधक बड़ा नहीं होना चावहए। कम-से-कम शब्दों में
गागर में सागर भरने की कला ही फीचर लेख की प्रमुख ववशे षता है लेवकन फीचर लेख इतना छोटा भी
न हो वक वह ववषय को पू णि रूप से अवभव्यि कर पाने में सक्षम ही न हो। ववषय से संबंवधत वबंदुओं में
क्रमबिता और तारतम्यता बनाते हुए उसे आगे बढ़ाया जाए तो फीचर स्वयं ही अपना आकार वनवित
कर लेता है ।

• वचत्रात्मकता- फीचर सीधी-सपाट शै ली में न होकर वचत्रात्मक होना चावहए। सीधी और सपाट शैली में
वलखे गए फीचर पाठक पर अपेवक्षत प्रभाव नहीं डालते। फीचर को पढ़ते हुए पाठक के मन में उस ववषय
का एक ऐसा वचत्र या वबम्ब उभरकर आना चावहए वजसे आधार बनाकर ले खक ने फीचर वलखा है ।

• लावलत्ययुक्त भाषा – फीचर की भाषा सहज, सरल और कलात्मक होनी चावहए। लावलत्यपूणि भाषा
िारा ही गं भीर से गंभीर ववषय को रोचक एवं पठनीय बनाया जा सकता है ।

• उपयुक्त र्ीषगक-एक उत्कृष्ट फीचर के वलए उपयुि शीषि क भी होना चावहए। शीषि क ऐसा होना
चावहए जो फीचर के ववषय, भाव या सं वेदना का पूणि बोध करा पाने में सक्षम हो। संवक्षिता एवं सारगवभिता
फीचर के शीषिक के अन्यतम गुण हैं । फीचर को आकषि क एवं रुवचकर बनाने के वलए काव्यात्मक,
कलात्मक, आियिबोधक, भावात्मक, प्रश्नात्मक आवद शीषिकों को रखा जाना चावहए।

5.फीचि के प्रकाि-

फीचर ववषय, वगि, प्रकाशन, प्रकृवत, शै ली, माध्यम आवद ववववध आधारों पर अनेक प्रकार के हो सकते
हैं । पत्रकाररता के क्षेत्र में जीवन के वकसी भी क्षेत्र की कोई भी छोटी-से -छोटी घटना आवद समाचार बन
जाते हैं । इस क्षेत्र में वजतने ववषयों के आधार पर समाचार बनते हैं उससे कहीं अवधक ववषयों पर फीचर
लेखन वकया जा सकता है । ववषय-वैववध्य के कारण इसे कई भागों-उपभागों में बाँ टा जा सकता है । इनके
आधार पर फीचर के वनम्नवलप्तखत प्रकार हो सकते हैं –

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• सामावजक एिं सांस्कृवतक फीचि – इसके अंतगित सामावजक जीवन के अंतगित रीवत-ररवाज,
परं पराओं, त्यौहारों, मेलों, कला, खे ल-कूद, शैवक्षक, तीथि, धमि संबंधी, सां स्कृवतक ववरासतों आवद ववषयों
को रखा जा सकता है ।

• घटनापिक फीचि – इसके अंतगित यु ि, अकाल, दं गे, दु घिटनाएँ , बीमाररयाँ , आं दोलन आवद से
संबंवधत ववषयों को रखा जा सकता है ।

• प्राकृवतक फीचि- इसके अंतगित प्रकृवत सं बंधी ववषयों जैसे पवि तारोहण, यात्राओं, प्रकृवत की वववभन्न
छटाओं, पयिटन स्थलों आवद को रखा जा सकता है ।

• िाजनीवतक फीचि – इसके अंतगित राजनीवतक गवतवववधयों, घटनाओं, ववचारों, व्यप्तियों आवद
से संबंवधत ववषयों को रखा जा सकता है ।

• सावहत्यत्यक फीचि – इसके अंतगित सावहत्य से संबंवधत गवतवववधयों, पुस्तकों, सावहत्यकारों आवद
ववषयों को रखा जा सकता है ।

• समाचाि फीचि अथिा तात्कावलक फीचि – तात्कावलक घटने वाली वकसी घटना पर तै यार
वकए गए समाचार पर आधाररत फीचर को समाचारी या तात्कावलक फीचर कहा जाता है । इसके अं तगित
तथ् अवधक महत्त्वपूणि होते हैं , जैसे वकसी क्षेत्र में एक बच्चे के 60 फुट गहरे गड्ढे में वगरने की घटना एक
समाचार है लेवकन उस बच्चे िारा लगातार 50 घंटे की संघषि गाथा का भावात्मक वणिन उसका समाचारी-
फीचर है ।

• विवर्ष्ट फीचि – जहाँ समाचारी फीचर में तत्काल घटने वाली घटनाओं आवद का महत्त्व अवधक
होता है वहीं वववशष्ट फीचर में घटनाओं को बीते भले ही समय क्ों न हो गया हो लेवकन उनकी
प्रासंवगकता हमेशा बनी रहती है जैसे प्रकृवत की छटाओं या ऋतुओं, ऐवतहावसक स्थलों, महापु रुषों एवं
लम्बे समय तक याद रहने वाली घटनाओं आवद पर वलखे गए लेख वकसी भी समय प्रकावशत वकए जा
सकते हैं । इन ववषयों के वलए लेखक वववभन्न प्रयासों से सामग्री का संचयन कर उन पर लेख वलख सकता
है । ऐसे फीचर समाचार पत्रों के वलए प्राण-तत्त्व के रूप में होते हैं । इनकी प्रासंवगकता हमे शा बनी रहती
है इसवलए बहुत से पाठक इनका संग्रहण भी करते हैं । इस तरह के फीचर वकसी वदन या सिाह ववशेष
में अवधक महत्त्वपू णि होते हैं जैसे- दीपावली या होली पवि पर इन त्यौहारों से संबंवधत पौरावणक या
ऐवतहावसक संदभो को ले कर वलखे फीचर, महात्मा गां धी जयं ती या सुभाषचं द्र बोस जयंती पर गां धी जी
अथवा सुभाषचं द्र बोस के जीवन और ववचारों पर प्रकाश डालने वाले फीचर आवद।

6. फीचि लेखन के सहायक तत्व या र्ुण –

• फीचर वलखते समय ले खक को आरम्भ से अंत तक अपनी ववषय सीमा में रहना चावहए, ववषय
से भटकना नहीं चावहए ।

• वकसी भी ले खक या व्यप्ति िारा कही गयी बात को उसी के शब्दों में ही प्रस्तुत करना चावहए।

• रचना को रोचक एवं आकषि क बनाने के वलए प्रवतवक्रयाओं और घटनाओं का सहारा लेना चावहए।

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• फीचर की भूवमका इस तरह से वलखी जानी चावहए वक पाठक के मन में उसके सम्बन्ध में वजज्ञासा
एवं रूवच उत्पन्न हो।

• फीचर रोचक तथा सरस होना चावहए।

7.फीचि लेखन का महत्त्व-

• प्रत्येक समाचार-पत्र एवं पवत्रका में वनयवमत रूप से प्रकावशत होने के कारण फीचर की
उपयोवगता स्वतः स्पष्ट है । समाचार की तरह यह भी सत्य का साक्षात्कार तो कराता ही है ले वकन साथ ही
पाठक को ववचारों के जंगल में भी मनोरं जन और औत्सुक् के रं ग वबरं गे फूलों के उपवन का भान भी
करा दे ता है ।

• फीचर समाज के ववववध ववषयों पर अपनी सटीक वटप्पवणयाँ दे ते हैं । इन वटप्पवणयों में लेखक का
वचंतन और उसकी सामावजक उपादे यता प्रमु ख होती है ।

• लेखक फीचर के माध्यम से प्रवतवदन घटने वाली वववशष्ट घटनाओं और सूचनाओं को अपने केंद्र में
रखकर उस पर गं भीर वचं तन करता है । उस गं भीर वचंतन की अवभव्यप्ति इस तरह से की जाती है वक
पाठक उस सूचना को न केवल प्राि कर लेता है बप्ति उसमें केंवद्रत समस्या का समाधान खोजने के
वलए स्वयं ही बाध्य हो जाता है ।

• फीचर व्यप्तिगत नहीं होता, बप्ति यह सामावजक और राष्टरीय स्तर पर समाज के सामने अनेक प्रश्न
उठाता है और उन प्रश्नों के उिर के रूप में अने क वै चाररक वबंदुओं को भी समाज के सामने रखता है ।

8. फीचि की लोकवप्रयता-

भारतीय समाचार पत्रों में फीचर लेखन अत्यवधक लोकवप्रय हुआ है और उसके प्रवत पाठक की वजज्ञासा
बढ़ती जा रही है । हमारे दे श में अनेक फीचर लेखक उत्कृष्ट शब्द वशल्पी हैं वजनकी तुलना ववश्व स्तर के
उिम फीचर लेखकों में की जा सकती है । भारतीय पत्रकाररता में अनेक ववषयों से सम्बंवधत फीचर का
ववकास हुआ है जैसे- त्यौहार सम्बन्धी, व्यप्तित्व सम्बन्धी, वचत्रात्मक फीचर, ऐवतहावसक घटनाओं एवं
वैज्ञावनक आववष्कार सम्बन्धी फीचर। इनके अवतररि फीचर लेखन मानवीय अवभरुवच की सामग्री प्राि
करने के वलए नए-नए ववषयों तथा क्षेत्रों के वलए प्रयत्नशील एवं प्रगवतशील है ।

9 फीचि लेखन: स्विोजर्ाि की संभािनाएँ -

आज का युग संचार क्रां वत का युग है । संचारक्रां वत की इस प्रवक्रया में जनसंचार माध्यमों के आयाम भी
बदल रहे हैं । आज की वैवश्वक अवधारणा के अंतगित सूचना एक हवथयार के रूप में पररववतित हो गई
है । सूचना जगत गवतमान हो गया है , वजसका प्रभाव जनसं चार माध्यमों पर पड़ा है । समाचारपत्र, रे वडयो
और टे लीववजन जैसे पारं पररक माध्यमों की जगह आज वेब मीवडया ने ले ली है । परं परागत पत्रकाररता
से वबलकुल वभन्न कंप्यूटर और इन्टरनेट के माध्यम से संचावलत पत्रकाररता को वेब पत्रकाररता कहा जाता
है । इसे ऑनलाइन पत्रकाररता, इन्टरनेट पत्रकाररता तथा सायबर जनिवलज्म के नाम से भी जाना जाता
है । इसकी पहुँ च वकसी एक पाठक, गाँ व, शहर या एक दे श तक सीवमत नहीं है बप्ति सम्पूणि ववश्व तक
होती है । चूँवक इसमें समाचारों को पढ़ा, सुना और दे खा भी जा सकता है इसवलए इसमें टे क्स्ट, वपक्चसि,

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ऑवडयो और वीवडयो का प्रभावकारी रूप से प्रयोग वकया जाता है । वे ब पत्रकाररता ने सामावजक सरोकार
से जुड़े ववषयों को काफी ववस्तार वदया है । वतिमान समय में फीचर की महिा इतनी अवधक बढ़ गयी है
वक ववववध ववषयों पर फीचर वलखने के वलए वप्रंट मीवडया, रे वडयो और टे लीववजन उन ववषयों के ववशे षज्ञ
लेखकों से अपने वलए फीचर वलखवाते हैं और वजसके वलए उन्हें समुवचत पाररिवमक भी वदया जाता है ।
फीचर लेखन में आजकल वववभन्न ववषयों के ले खकों की माँ ग बहुत अवधक है लेवकन इसमें सावहप्तत्यक
प्रवतबिता के कारण वही फीचर लेखक ही सफलता की ऊँचाईयों को छू सकते हैं वजनकी सं वेदनात्मक
अनुभूवत की प्रबलता और कल्पना की मुखरता दू सरों की अपेक्षा अवधक हो।

िस्तुवनष्ठ प्रश्न –

1 शब्दकोष के अनुसार फीचर शब्द का अथि है –

अ स्वरुप ब रूपरे खा

स आकृवत द उपरोि सभी

2 फीचर का उद्दे श्य है –

अ वशवक्षत करना ब सूवचत करना

स मनोरं जन करना द उपरोि सभी

3 आमुख का अथि है –

अ पररचय ब वववरण

स मुख द इनमें से कोई नहीं

4 फीचर के अंग हैं –

अ चार ब छः

स सात द दस

5 वजस फीचर में युि, अकाल, दं गे या दु घिटनाओं से सम्बंवधत ववषयों पर वलखा जाता है , कहलाता है -

अ घटनापरक ब सामावजक

स राजनीवतक द सावहप्तत्यक

6 आलेख होता है –

अ काल्पवनक ब अनुभूवतपरक

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स तथ्ात्मक द सृजनात्मक

7 समाचार की भाषा होती है –

अ कवठन ब सपाटबयानी

स आलंकाररक द संस्कृतवनष्ठ

8 फीचर शब्द की उत्पवि ....... भाषा के शब्द से हुई ।

अ फ्रेंच ब अंग्रेजी

स लैवटन द वहन्दी

9 फीचर की भू वमका इस तरह वलखी जानी चावहए वजससे पाठक के मन में ............... तथा ...................
उत्पन्न हो ।

अ संदेश, अवनच्छा ब वजज्ञासा , रूवच

स भय, असुरक्षा द वजज्ञासा , अरूवच

10 परं परागत पत्रकाररता से वबलकुल वभन्न कंप्यूटर और इन्टरनेट के माध्यम से संचावलत पत्रकाररता को
................ कहा जाता है ।

अ वेब पत्रकाररता ब नेट पत्रकाररता

स अपरं परागत पत्रकाररता द पवत्रका पत्रकाररता

स्वामी वििेकानंद कैरियि मार्गदर्गन योजना | e-text

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