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पाठ- नशा-प्रश्नोत्तर
पाठ- नशा-प्रश्नोत्तर
सुलवचार
कलम तभी साफ़ और अच्छा ललख पाती है जब..
वो थोडा झुक कर चलती है , वही हाल “लजिंदगी” में
इिं सान का है ..!!
AISV6_VIII_HINDI_NASHA_PRASHNOTTAR
नशा- प्रश्नोत्तर
AISV6_VIII_HINDI_NASHA_PRASHNOTTAR
प्रश्न १- कहानी के मुख्य पात्ोिं के नाम बताइए।
उत्तर- ये कहानी बीर और ईश्वरी की है । इन दो पात्ोिं के
अलावा कहानी में ररयासत अली, रामहरख तथा ठाकुर ने भी
भूलमका लनभाई है ।
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प्रश्न ५- ईश्वरी को क्ा यह अनुमान था लक उसका लमत् उसके घर
जाकर बदल जाएगा ?
उत्तर- हााँ ईश्वरी को यह अनुमान था लक ईश्वरी वहााँ जाकर कुछ
और हो जाएगा तभी जब लेखक ने पूछा लक क्ा तुम्हें लगता है
लक मैं वहााँ जाकर कुछ और हो जाऊाँगा तो ईश्वरी ने कहा था हााँ
मुझे तो यही लगता है ।
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प्रश्न ११- 'सभी मनुष्य बराबर नहीिं होते, छोटे -बडे होते रहते हैं और
होते रहें गे।' यह कथन लकसने कहा, लकससे कहा। इस लवषय पर
अपने लवचार प्रकट कीलजए।
उत्तर- 'सभी मनु ष्य बराबर नहीिं होते , छोटे -बडे होते रहते हैं और
होते रहें गे।' यह कथन ईश्वर ने लेखक से कहा।मेरे लवचार से ईश्वरी
ने सत्य कहा। जन्म तथा कमि के आधार पर आप समाज में अपनी
स्थथलत सुलनलित करते हैं । सिंलवधान की दृलष्ट में सभी बराबर हैं तथा
सभी के समान अलधकार तथा कतिव्य हैं लफर भी मानलसक एविं
आलथिक दृलष्ट से मदभेद हैं तथा रहें गे। और यही मदभेद समाज में
आपको ऊाँचा या नीचा दजाि लदलाते हैं । सामालजक व्यवथथा को
सुचारू रूप से इसी भेद के अनुसार चलाया जा सकता है । अब
ज़मीदारी प्रथा नहीिं है परिं तु आज भी नौकर तथा माललक होते हैं ।
हर व्यस्ि दे श का प्रधानमिं त्ी नहीिं हो सकता परिं तु दे श प्रत्येक
व्यस्ि का होता है ।
AISV6_VIII_HINDI_NASHA_PRASHNOTTAR
धन्यवाद
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