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4 पत्रकारीय लेखन के विभिन्न रूप
4 पत्रकारीय लेखन के विभिन्न रूप
4 पत्रकारीय लेखन के विभिन्न रूप
फीचर-लेखन में उलर्ा वपरावमड की बजाय फीचर की शुरुआत कहीं से िी हो सकती है। जबक्रक विशेष
ररपोर्ट के लेखन में तथ्यों की खोज और विश्लेषि पर जोर क्रिया जाता है। समाचार-पत्रों में विचारपरक
लेखन के तहत लेख, रर्प्पवियों और संपािकीय लेखन में िी विचारों और विश्लेषि पर जोर होता है।
• छोर्े-छोर्े िाक्य वलखें। जरर्ल िाक्य की तुलना में सरल िाक्य की संरचना को िरीयता िें।
• आम बोलचाल की िाषा और शब्िों का इस्तेमाल करें। गैर-जरूरी शब्िों के इस्तेमाल से बचें। शब्िों
को उनके िास्तविक अर्ट समझकर ही प्रयोग करें।
• अच्छा वलखने के वलए अच्छा पढ़ना िी बहुत जरूरी है। जाने-माने लेखकों की रचनाएाँ ध्यान से पढ़ें।
• लेखन में विविधता लाने के वलए छोर्े िाक्यों के सार्-सार् कु छ मध्यम आकार के और कु छ बडे
आकार के िाक्यों का प्रयोग कर सकते हैं। इसके सार्-सार् मुहािरों और लोकोवियों के प्रयोग से
लेखन में रं ग िरने की कोवशश करें।
• अपने वलखे को िुबारा जरूर पढ़ें और अशुद्धयों के सार्-सार् गैर-जरूरी चीजों को हर्ाने में संकोच न
करें। लेखन में कसािर् बहुत जरूरी है।
• वलखते हुए यह ध्यान रखें क्रक आपका उद्देश्य अपनी िािनाओं, विचारों और तथ्यों को व्यि करना
है, न क्रक िूसरे को प्रिावित करना।
• एक अच्छे लेखक को पूरी िुवनया से लेकर अपने आस-पास घर्ने िाली घर्नाओं, समाज और
पयाटिरि पर गहरी वनगाह रखनी चावहए और उन्हें इस तरह से िेखना चावहए क्रक िह अपने लेखन
के वलए उससे विचारबबंिु वनकाल सके । एक अच्छे लेखक में तथ्यों को जुर्ाने और क्रकसी विषय पर
बारीकी से विचार करने का धैयट होना चावहए।
अखबार पाठकों को सूचना िेने, उन्हें जागरूक और वशवित बनाने तर्ा उनका मनोरंजन करने का िावयत्ि
वनिाते हैं। लोकतांवत्रक समाजों में िे एक पहरेिार, वशिक और जनमत-वनमाटता के तौर पर बहुत महत्िपूिट
िूवमका अिा करते हैं। अपने पाठकों के वलए िे बाहरी िुवनया में खुलने िाली ऐसी वखडकी हैं, वजनके जररये
असंख्य पाठक हर रोज सुबह िेश-िुवनया और अपने पास-पडोस की घर्नाओं, समस्याओं, मुद्दों तर्ा
विचारों से अिगत होते हैं।
अखबार या अन्य समाचार माध्यमों में काम करने िाले पत्रकार अपने पाठकों, िशटकों और श्रोताओं तक
सूचनाएाँ पहुाँचाने के वलए लेखन के विविन्न रूपों का इस्तेमाल करते हैं। इसे ही पत्रकारीय लेखन कहते हैं।
पत्रकार तीन प्रकार के होते हैं-
1. पूिटकावलक
2. अंशकावलक और
3. फ्रीलांसर यानी स्ितंत्र।
1. पूिक ट ावलक पत्रकार-इस श्रेिी के पत्रकार क्रकसी समाचार संगठन में कमकने िाले नाम बेनोग
कमटबारी होते हैं।
2. अंशकावलक पत्रकार-इस श्रेिी के पत्रकार क्रकसी समाचार संगठन के वलए एक वनवित मानिेय पर
एक वनवित समयािवध के वलए कायट करते हैं।
3. फ्रीलांसर पत्रकार-इस श्रेिी के पत्रकारों का संबंध क्रकसी विशेष समाचार-पत्र से नहीं होता, बवकक िे
िुगतान के आधार पर अलग-अलग समाचार-पत्रों के वलए वलखते हैं।
1. पत्रकारीय लेखन का संबंध तर्ा िायरा समसामवयक और िास्तविक घर्नाओं, समस्याओं तर्ा मुद्दों
से होता है। यह सावहवत्यक और सृजनात्मक लेखन-कविता, कहानी, उपन्यास आक्रि-इस मायने में
अलग है क्रक इसका ररश्ता तथ्यों से होता है , न क्रक ककपना से।
2. पत्रकारीय लेखन सावहवत्यक और सृजनात्मक लेखन से इस मायने में िी अलग है क्रक यह अवनिायट
रूप से तात्कावलकता और अपने पाठकों की रुवचयों तर्ा जरूरतों को ध्यान में रखकर क्रकया जाने
िाला लेखन है, जबक्रक सावहवत्यक और सृजनात्मक लेखन में लेखक को काफी छू र् होती है।
पत्रकारीय लेखन करने िाले विशाल जन-समुिाय के वलए वलखते हैं, वजसमें पाठकों का िायरा और ज्ञान का
स्तर विस्तृत होता है। इसके पाठक मजिूर से विद्वान तक होते हैं, अत: उसकी लेखन-शैली और िाषा-
पत्रकारीय लेखन का सबसे जाना-पहचाना रूप समाचार-लेखन है। आमतौर पर समाचार-पत्रों में समाचार
पूिटकावलक और अंशकावलक पत्रकार वलखते हैं , वजन्हें संिाििाता या ररपोर्टर िी कहते हैं।
हालााँक्रक इस शैली का प्रयोग 19िीं सिी के मध्य से ही शुरू हो गया र्ा लेक्रकन इसका विकास अमेररका में
िौरान हुआ। उस समय संिाििाताओं को अपनी खबरें र्ेलीग्राफ संिेशों के ज् यूाँ महाँगी, अवनयवमत और
िुलटि र्ीं। कई बार तकनीकी कारिों से सेिा ठप्प हो क्रकसी घर्ना की खबर कहानी की तरह विस्तार से
वलखने की बजाय संिेप में वपरावमड शैली का विकास हुआ और धीरे -धीरे लेखन और संपािन की सुविधा के
की मानक (स्र्ैंडडट) शैली बन गई।
क्रकसी समाचार को वलखते हुए वजन छह सिालों का जिाब िेने की कोवशश की जाती है , िे हैं-
• क्या हुआ?
• क्रकसके सार् हुआ?
• कब हुआ?
• कहााँ हुआ?
• कै से हुआ?
• क्यों हुआ?
इस क्या, क्रकसके (या कौन), कब, कहााँ, कै से और क्यों को ही छह ककारों के रूप में जाना जाता है।
समाचार के मुखडे (इंट्रो) यानी पहले पैराग्राफ या शुरुआती िो-तीन पंवियों में आमतौर पर तीन या चार
ककारों को आधार बनाकर खबर वलखी जाती है। ये चार ककार हैं-क्या, कौन, कब और कहााँ? इसके बाि
समाचार की बॉडी में और समापन के पहले बाकी िो ककारों-कै से ‘ और क्यों-का जिाब क्रिया जाता है। इस
तरह छह ककारों के आधार पर समाचार तैयार होता है। इनमें से पहले चार ककार-क्या, कौन, कब और
कहााँ-सूचनात्मक और तथ्यों पर आधाररत होते हैं जबक्रक बाकी िो ककारों-कै से और क्यों-में वििरिात्मक,
व्याख्यात्मक और विश्लेषिात्मक पहलू पर जोर क्रिया जाता है।
उिाहरितया 26 जून, 2015 के ‘बहंिस्ु तान’ िैवनक में प्रकावशत समाचार पर ध्यान िीवजए-
23 अगस्त को िेश िर के लखों कें द्रों पर नि सािरों की परीिा होगी, वजसमें एक करोड से ज्यािा लोगों के बैठने की संिाि
िेश मैं होगी िूवनया की सबसे बडी परीिा
क्या – िुवनया की सबसे बडी परीिा समाचार का इं ट्रो-मानि संसाधन विकास मंत्रालय अगले महीने 23 अगस्त, 2014 को िुव
क्रकसकी – निसािरों की सबसे बडी परीिा कराने जा रहा है। इसमें एक करोड से ज्यािा निसािर परीिार्र्टयों क
कब – 23 अगस्त, 2015 को लेने की संिािना है। परीिा िेश के 26 राज्यों के 410 वजलों में िो लाख सै ज्यािा कें द्रों प
कै से – मानि संसाधन विकास समाचार की बााँडी-सािरता अवियान में पढ़ रहे लोग परीिा में शावमल होंगे : मंत्रालय
मंत्रालय, राज्य के वशिा वििाग िारत अवियान’ के तहत पढ़ रहे छात्र-छात्राओं के वलए इस परीिा का आयोजन कर रह
तर्ा मुि वबिूयालयी संस्र्ान के स्कू ल न जा पाने िाले 16 साल सै लेकर क्रकसी िी आयु तक के िे लोग इसमें िाग लेंगे ज
सहयोग से िारत अवियान’ वशिा ले रहे हैं। इसे अंजाम िेने में मानि संसाधन विकास मंत्रालय के अ
क्यों – अवधकावधक लोगों को सािर राज्यों के वशिा महकमे, प्रौढ़ वशिा वििाग और राष्ट्रीय मुि वििूयालयी संस्र्ान के कार्
उिूधरपा/स्त्रोत-संिाििाता ,
150 अंकों का प्रश्न-पत्र : करीब 13 िाषाओ में 150 अच्छे का प्रश्न-पत्र होता हे। इसमें वल
िालों को ए ग्रेड, 40 फ्रीसिी रनै ज्यािा अंक लाने िालों को बी ग्रेड क्रिया जाता है। सी ग्र
रहा है, जहााँ मवहलाओाँ की सािरता िर 50 फीसिी से कम है, इसवलए इसमें ‘ज्यािातर
होती हैं। यह कायटिम 2010 से शुरू हुआ र्ा और तब से पााँच करोड लोग सािर हो चुके
उपयुटि समाचार के पहले पैराग्राफ यानी मुखडे (इंट्रो) में चार ककारों-क्या, कौन, कब और कहााँ-के बाबत
जानकारी िी गई है जबक्रक उसके बाि के तीन पैराग्राफ में िो अन्य ककारों-कै से और क्यों-के माध्यम से
परीिा के आयोजन के कारिों पर प्रकाश डाला गया है। अवधकांश समाचार इसी शैली में वलखे जाते हैं।
लेक्रकन किी-किी अपने महत्ि के कारि ‘कै से” या ‘क्यों’ िी समाचार के मुखडे में आ सकते हैं। एक और
बात याि रखने की है क्रक समाचार में सूचना के स्रोत यानी वजससे जानकारी वमली है , उसको िी अिश्य
उद्धृत करना चावहए।
इलाके में रहने िाले शैलेंद्र नारं ग ने बताया क्रक चोर उनकी मारुवत िैन से बैर्री चोरी कर ले गए। उन्होंने
बताया क्रक उनके मुतावबक उनकी गली से आठ कारों की बैर्ररया चोरी की गई। यहााँ रहने िाले राधेश्याम
ने बताया क्रक एक साल के िीतर यह तीसरी घर्ना है जब उनकी कार से बैर्री वनकाल ली गई। लोगों ने
बताया क्रक ये लोग वसफट मारुवत की गावडयों को वनशाना बनाते हैं। यह पूरी घर्ना गुरुरामिास नगर में
रहने िाले बृजेश कौवशक के घर के बाहर लगे सीसीर्ीिी में कै ि हो गई है।
सीसीर्ीिी फु र्ेज िेखने पर पता चला क्रक सुबह चार बजे िो संक्रिग्ध व्यवि सफे ि रंग की एवक्र्िा से पूरी
गली का जायजा लेते हैं और क्रफर िापस चले जाते हैं। पााँच वमनर् बाि िे िापस आते हैं और राजक्रकशन
जैन की गाडी को वनशाना हैं। सफे ि कु ताट-पाजामा और सफे ि जालीिार र्ोपी पहने तकरीबन 27-28 िषीय
युिक फु ती से कार का बोनर् खोल िेता है और जेब से औजार वनकालकर बैर्री चुरा लेता है। ऐसा करने में
उसे करीब एक वमनर् का समय लगता है।
इस घर्ना में कोई हताहत नहीं हुआ है, लेक्रकन पडोस की वबजली की एक िुकान का सारा सामान जल गया
है। िुकानिार ने एफआईआर िजट कराने के सार् ही प्रशासन ने िी ररक्रफबलंग करने िाले के वखलाफ ररपोर्ट
िजट कराई है। सोनू िारद्वाज की गैस ररक्रफबलंग की िुकान में बुधिार सुबह 11 बजे पााँच क्रकलो के वसलेंडर
में ररक्रफबलंग के िौरान बनटर की जााँच करते हुए आग लग गई। सोनू आग लगते ही मौके से िाग गया।
िेखते-ही-िेखते चार वसलेंडरों में धमाके हुए और िुकान की छत उड गई। सूचना पर पुवलस और िमकल की
गावडयााँ मौके पर पहुाँचीं। िमकल की चार गावडयों ने सोनू की िुकान तर्ा िेिेंद्र की वबजली के सामान की
िुकान में लगी आग को बुझाया।
समकालीन घर्ना या क्रकसी िी िेत्र विशेष की विवशष्ट जानकारी के सवचत्र तर्ा मोहक वििरि को फीचर
कहा जाता है। इसमें तथ्यों को मनोरंजक ढंग से प्रस्तुत क्रकया जाता है। इसके संिािों में गहराई होती है। यह
सुव्यिवस्र्त, सृजनात्मक ि अवद्ध न है वजक उद्देश्य पाठकों को स्चना ने तर्ा उह शतकने के सार् मुष्यरूप
सेउक मोजना करना होता है।
फीचर में विस्तार की अपेिा होती है। इसकी अपनी एक अलग शैली होती है। एक विषय पर वलखा गया
फीचर प्रस्तुवत विविधता के कारि अलग अंिाज प्रस्तुत करता है। इसमें िूत, ितटमान तर्ा िविष्य का
समािेश हो सकता है। इसमें तथ्य, कर्न ि ककपना का उपयोग क्रकया जा सकता है। फीचर में आाँकडे,
फोर्ो, कार्ूटन, चार्ट, नक्शे आक्रि का उपयोग उसे रोचक बना िेता है।
1. फीचर में लेखक के पास अपनी राय या िृवष्टकोि और िािनाएाँ जावहर करने का अिसर होता है।
जबक्रक समाचार-लेखन में िस्तुवनष्ठता और तथ्यों की शुद्धता पर जोर क्रिया जाता है।
2. फीचर-लेखन में उलर्ा वपरावमड शैली का प्रयोग नहीं होता। इसकी शैली कर्ात्मक होती है।
3. फीचर-लेखन की िाषा सरल, रूपात्मक ि आकषटक होती है, परंतु समाचार की िाषा में
सपार्बयानी होती है।
4. फीचर में शब्िों की अवधकतम सीमा नहीं होती। ये आमतौर पर 200 शब्िों से लेकर 250 शब्िों तक
के होते हैं, जबक्रक समाचारों पर शब्ि-सीमा लागू होती है।
5. फीचर का विषय कु छ िी हो सकता है , समाचार का नहीं।
फीचर के प्रकार
फीचर के प्रकार वनम्नवलवखत हैं
1. समाचार फीचर
2. घर्नापरक फीचर
3. व्यविपरक फीचर
4. लोकाविरुवच फीचर
5. सांस्कृ वतक फीचर
6. सावहवत्यक प्रफीचर
7. विश्लेषि प्रफीचर
8. विज्ञान फीचर।
फीचर-लेखन संबध
ं ी मुख्य बातें
1. फीचर को सजीि बनाने के वलए उसमें उस विषय से जुडे लोगों की मौजूिगी जरूरी होती है।
2. फीचर के कथ्य को पात्रों के माध्यम से बताना चावहए।
3. कहानी को बताने का अंिाज ऐसा हो क्रक पाठक यह महसूस करें क्रक िे घर्नाओं को खुि िेख और सुन
रहे हैं।
4. फीचर मनोरंजक ि सूचनात्मक होना चावहए।
5. फीचर शोध ररपोर्ट नहीं है।
6. इसे क्रकसी बैठक या सिा के कायटिाही वििरि की तरह नहीं वलखा जाना चावहए।
7. फीचर का कोई-न-कोई उद्देश्य होना चावहए। उस उद्देश्य के इिट-वगिट सिी प्रासंवगक सूचनाएाँ तथ्य
और विचार गुंर्े होने चावहए।
8. फीचर तथ्यों, सूचनाओं और विचारों पर आधाररत कर्ात्मक वििरि और विश्लेषि होता है।
9. फीचर-लेखन का कोई वनवित ढााँचा या फॉमूटला नहीं होता। इसे कहीं से िी अर्ाटत प्रारंि , मध्य या
अंत से शुरू क्रकया जा सकता है।
10. फीचर का हर पैराग्राफ अपने पहले के पैराग्राफ से सहज तरीके से जुडा होना चावहए तर्ा उनमें
प्रारंि से अंत तक प्रिाह ि गवत रहनी चावहए।
11. पैराग्राफ छोर्े होने चावहए तर्ा एक पैराग्राफ में एक पहलू पर ही फोकस करना चावहए।
उिाहरि
िुिहरिस्िरूप कु छ महत्िपूिट विषयों पर फीचर क्रिए जा रहे हैं , इन्हें पढ़कर समवझए।
1. आित, जो छू र्ती नहीं ….
बार-बार एक ही शब्ि िोहराने की आित आपको मुवश्कल में िी डाल सकती है। खुि पर विश्वास और िृढ़
वनिय हो तो आप इससे छु र्कारा पाने में सफल हो सकते हैं। तक्रकया कलाम यानी सखुन तक्रकया। सोते
समय वसर को आराम िेने के वलए जैसे तक्रकया का सहारा वलया जाता है, उसी प्रकार अपने कर्न या उवि
को जोर िेने के वलए ‘आपकी कृ पा …….आपकी कृ पा’, ‘यानी क्रक ………..यानी क्रक’, ‘है ना ’ है ना’ शब्ि
विशेष का सहारा वलया जाता है। मनोिैज्ञावनक कहते हैं क्रक तक्रकया कलाम हकलाने या तुतलाने जैसा ही
एक रोग है। कु छ लोग वनवित अिस्र्ा तक सुधर जाते हैं और जो नहीं सुधरते , िे उसके रोगी हो जाते हैं।
लंिन के मनोिैज्ञावनक डॉ० बुच मानते हैं क्रक तक्रकया कलाम एक प्रकार का इ०सी०ए० है , यानी एक्स्ट्रा
के ररक्यूलर एक्शन है। इस इस कु क करता होता हैऔ िाक्र्ुता बात है वतकया कहामक बेल प्रयोग सायक
बाि ि बारता करना िी है।
सिी के मौसम में िैसे तो सब कु छ हजम हो जाता है, इसवलए जो मजी खाएाँ। इसके अलािा सिी के मौसम
में पानी पीना शरीर के वलए बहुत जरूरी होता है। गमी के क्रिनों में तो बार-बार प्यास लगने पर व्यवि
पयाटप्त मात्रा में पानी पी लेता है, लेक्रकन सिी के मौसम में िह इस चीज को नजरअंिाज कर िेता है। ऐसा
नहीं होना चावहए क्योंक्रक मौसम चाहे सिी का हो या क्रफर गमी का, शरीर को पानी की जरूरत होती है।
जब तक शरीर को पानी पयाटप्त मात्रा में नहीं वमलेगा, तब तक शरीर का विकास िी सही तरीके से नहीं हो
पाएगा।
माना क्रक सिी में प्यास नहीं लगती, लेक्रकन हमें वबना प्यास के िी पानी पीना चावहए। पानी पीने से एक
तो शरीर की अंिर से सफाई होती रहती है। इसके अलािा पर्री की वशकायत िी अवधक पानी पीने से िूर
हो जाती है। पानी पीने से शरीर की पाचन-शवि िी सही बनी रहती है तर्ा पाचन-रसों का स्राि िी
जरूरत के अनुसार होता रहता है। वबना पानी के शरीर अंिर से सूखा हो जाता है, वजससे शारीररक
क्रियाओं में व्यिधान उत्पन्न हो जाता है। विज्ञान में पानी को हाइड्रोजन तर्ा ऑक्सीजन का वमश्रि माना
गया है और अॉॉक्सीजन हमारे जीिन के वलए सबसे जरूरी गैस है। इसी िजह से पानी को िी शरीर के
वलए जरूरी माना गया है, चाहे सिी हो या क्रफर गमी।
हर कोई गलवतयों से सबक लेता है। जब गलती ही अच्छे कायट के वलए प्रेररत करती है तो बच्चों को िी
गलती करने पर िुबारा अच्छे कायट के वलए प्रेररत क्रकया जाना चावहए। अच्छा काम करने पर बच्चों को यानी
प्रोत्सावहत करना जरूरी है, जब हम बच्चों को प्रोत्सावहत करें गे तो िे आगे िी बेहतर करने को उत्सुक होंगे।
लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल के चाइकड स्पेशवलस्र् डॉ० तनुज के मुतावबक आम तौर पर िो िषट के बच्चे
का 90 प्रवतशत क्रिमाग सीखने-समझने के वलए तैयार हो जाता है और पााँच िषट तक िह पूिट रूप से
सीखने, बोलने लायक हो जाता है। यही िह उम्र होती है, जब बच्चा तेजी से सीखता है। ऐसे में माहौल िी
इस तरह का हो क्रक बच्चा अच्छा सीखे। गलती करने पर यक्रि प्यार से समझाया जाए तो िह उसे समझेगा।
उसे गलत करने पर र्ोकना जरूरी हो जाता है। िरना िह गलती को िोहराता रहेगा। बच्चों को बेहतर करने
के वलए प्रोत्साहन क्रिया जाना चावहए।
डॉ० तनुज कहते हैं क्रक बच्चों को यह नहीं पता होता क्रक िे जो कर रहे हैं , िह सही है या गलत। उसे बताया
जाए क्रक जो उसने क्रकया है, िह गलत है, क्योंक्रक जब तक बच्चों को बताया नहीं जाएगा, उन्हें गलती के बारे
में पता नहीं चलेगा। यक्रि एक बार उसकी गलती के विषय में उसे बताते हैं तो िह िुबारा िही गलती नहीं
करेगा। बच्चों के सार् हमारा व्यिहार िैसा ही हो, जैसा हम खुि के वलए अपेिा करते हैं। बच्चों को प्यार-
िुलार की ज्यािा जरूरत होती है।
सफलता के वलए आत्मविश्वास बहुत जरूरी है। आत्मविश्वास से िरपूर बच्चे क्रकसी िी मुवश्कल का सामना
बडी आसानी से कर लेते हैं, लेक्रकन ज्यािातर बच्चों में आत्मविश्वास की कमी होती है। ऐसे बच्चे अपने कामों
के वलए अपने मम्मी-पापा पर ही वनिटर रहते हैं। हर किम बढ़ाने के वलए उन्हें मम्मी-पापा के सहारे की
जरूरत होती है। बडे होने पर ऐसे बच्चों को बहुत परेशावनयों का सामना करना पडता है। लेक्रकन अगर
शुरुआत से ही ध्यान क्रिया जाए तो बच्चों को आत्मविश्वासी बनाया जा सकता है।
आज वजस क्रकसी िी गली, मोहकले या चौराहे पर सुबह के समय िेवखए, हर जगह छोर्े-छोर्े बच्चों के कं धों
पर िारी बस्ते लिे हुए क्रिखाई िेते हैं। कु छ बच्चों से बडा तो उनका बस्ता ही होता है। यह िृश्य िेखकर आज
की वशिा-व्यिस्र्ा की प्रासंवगकता पर प्रश्नवचहन लग जाता है। क्या वशिा-नीवत के सूत्रधार बच्चों को
क्रकताबों के बोझ से लाि िेना चाहते हैं।
िस्तुत: इस मामले पर खोजबीन की जाए तो इसके वलए समाज अवधक वजम्मेिार है। सरकारी स्कू लों में
छोर्ी किाओं में बहुत कम पुस्तकें होती हैं , परंतु वनजी स्कू लों में बच्चों के सिाटगीि विकास के नाम पर बच्चों
ि उनके माता-वपता का शोषि क्रकया जाता है। स्कू ल गैर-जरूरी विषयों की पुस्तकें िी लगा िेते हैं , ताक्रक िे
अवििािकों को यह बता सकें क्रक िे बच्चे को हर विषय में पारंगत कर रहे हैं, वजससे िविष्य में िह हर िेत्र
में कमाल क्रिखाने में समर्ट होगा।
अवििािक िी सुपररिाम की चाह में यह बोझ झेल लेते हैं, परंतु इसके कारि बच्चे का बचपन समाप्त हो
जाता है। िह हर समय पुस्तकों के ढेर में िबा रहता है। खेलने का समय उसे नहीं क्रिया जाता। अवधक बोझ
के कारि उसका शारीररक विकास िी कम होता है। छोर्े-छोर्े बच्चों के नाजुक कं धों पर लिे िारी-िारी
बस्ते उनकी बेबसी को ही प्रकर् करते हैं। इस अनचाहे बोझ का िजन विद्यार्र्टयों पर क्रिन-प्रवतक्रिन बढ़ता
जा रहा है जो क्रकसी िी िृवष्ट से उवचत नहीं है।
महानगर सपनों की तरह है। मनुष्य को ऐसा लगता है मानो स्िगट िहीं है। हर व्यवि ऐसे स्िगट की ओर
वखचा चला आता है। चमक-िमक, आकाश छू ती इमारतें, मनोरंजन आक्रि सब कु छ पा लेने की चाह में गााँि
का सुिामा िी लालावयत होकर चल पडता है, महानगर की ओर। आज महानगरों में िीड बढ़ रही है। हर
ट्रेन, बस में आप यह िेख सकते हैं। गााँि यहााँ तक क्रक कस्बे का व्यवि िी अपनी िररद्रता समाप्त करने के
ख्िाब वलए महानगरों की तरफ चल पडता है।
वशिा प्राप्त करने के बाि रोजगार के अवधकांश अिसर महानगरों में ही वमलते हैं। इस कारि गााँि ि कस्बे
से वशवित व्यवि शहरों की तरफ िाग रहा है। इस िाग-िौड में िह अपनों का सार् िी छोडने को तैयार
हो जाता है। िूसरे , अच्छी वचक्रकत्सा सुविधा, पररिहन के साधन, मनोरंजन के अनेक तरीके , वबजली-पानी
की कमी न होना आक्रि अनेक आकषटि महानगर की ओर पलायन को बढ़ा रहे हैं , वजससे महानगरों की
व्यिस्र्ा चरमराने लगी है।
यहााँ के साधन िी िीड के सामने बौने हो जाते हैं। महानगरों का जीिन एक ओर आकर्षटत करता है तो
िूसरी ओर यह अविशाप से कम नहीं है। सरकार को चावहए क्रक िह कस्बों ि गााँिों के विकास पर िी ध्यान
िे। इन िेत्रों में वशिा, स्िास्थ्य, पररिहन, रोजगार आक्रि की सुविधा होने पर महानगरों की ओर पलायन
रुक सकता है।
महानगरों में सुबह सैर पर वनकवलए, एक तरफ आप स्िास्थ्य-लाि करेंगे तो िूसरी तरफ आपको फु र्पार्
पर सोते हुए लोग नजर आएाँगे। महानगर को विकास का आधार-स्तंि माना जाता है, लेक्रकन िहीं पर
मानि-मानि के बीच इतना अंतर है। यहााँ पर िो तरह के लोग हैं-एक उच्च िगट, वजसके पास उद्योग, सत्ता,
धन है, वजससे िह हर सुख िोगता है। उसके पास बडे-बडे ििन हैं और यह िगट महानगर के जीिन-चि पर
प्रिािी है।
िूसरा िगट िह है जो अमीर बनने की चाह में गााँि छोडकर आता है तर्ा यहााँ आकर फु र्पार् पर सोने के
वलए मजबूर हो जाता है। इसका कारि उसकी सीवमत आर्र्टक िमता है। महाँगाई, गरीबी आक्रि के कारि
इन लोगों को िोजन िी मुवश्कल से नसीब होता है। घर इनके वलए एक सपना होता है। इस सपने को पूरा
करने के चक्कर में यह िगट अकसर छला जाता है। सरकारी नीवतयााँ िी इस विषमता के वलए िोषी हैं।
सरकार की तमाम योजनाएाँ भ्रष्टाचार के मुाँह में चली जाती हैं और गरीब सुविधाओं की बार् जोहता रहता
है। िह गरीबी में पैिा होता है, गरीबी में पलता-बढ़ता है और गरीबी में ही मर जाता है। िह जीते-जी
रूखी-सूखी खाकर पेर् की आग जैसे-तैसे बुझा लेता है और फर्े-पुराने कपडों से तन ढाँक लेता है, पर उसके
वसर पर छत नसीब नहीं हो पाती और िह फु र्पार्, पाकट या अन्य खुली जगहों पर सोने को वििश रहता
है।
सुबह अखबार खोवलए-कश्मीर में चार मरे, मुंबई में बम फर्ा-िो मरे, ट्रेन में विस्फोर्। इन खबरों से िारत
का आिमी सुबह-सुबह सािात्कार करता है। उसे लगता है क्रक िेश में कहीं शांवत नहीं है। न चाहते हुए िी
िह आतंक के फोवबया से ग्रस्त हो जाता है। आतंकिाि एक विश्वव्यापी समस्या बन गया है। यह िू रतापूिट
नरसंहार का एक रूप है। आतंकिाि मुख्यत: 20िीं सिी की िेन है तर्ा इसके उिय के अनेक कारि हैं।
कहीं यह एक िगट द्वारा िूसरे िगट के शोषि का पररिाम है तो कहीं यह वििेशी राष्ट्रों की करतूत है। कु छ
विकवसत िेश धमट के नाम पर अविकवसत िेशों में लडाई करिाते हैं। आतंकिाि की जड में अवशिा,
बेरोजगारी, वपछडापन है। सरकार का ध्यान ऐसे िेत्रों की तरफ तिी जाता है , जब िहााँ बहंसक घर्नाएाँ
शुरू हो जाती हैं। िेश के कु छ राजनीवतक िल िी अपनी सत्ता बनाए रखने के वलए आतंक के नाम पर िंगे
करिाते रहते हैं। इस समस्या को सामूवहक प्रयासों से ही समाप्त क्रकया जा सकता है।
आतंकिािी िय का माहौल पैिा करके अपने उद्देश्यों में सफल होते हैं। जनता को चावहए क्रक िह ऐसे तत्िों
का डर्कर मुकाबला करे। आतंक से जुडे व्यवियों के वखलाफ सख्त कानूनी कारट िाई करनी चावहए। सरकार
को िी आतंक-प्रिावित िेत्रों में विकास-योजनाएाँ शुरू करनी चावहए ताक्रक इन िेत्रों के युिक गरीबी के
कारि गलत हार्ों का वखलौना न बनें।
9. चुनािी िायिे
जब िी चुनाि आते हैं तो ऐसे नारों से िीिारें रैं ग िी जाती हैं। अखबार हो, र्ी०िी० हो, रेवडयो हो या
अन्य कोई साधन, हर जगह मतिाताओं को अपनी तरफ खींचने के वलए चुनािी िायिे क्रकए जाते हैं। िारत
एक लोकतांवत्रक िेश है। यहााँ हर पााँच िषट बाि चुनाि होते हैं तर्ा सरकार चुनने का कायट संपन्न क्रकया
जाता है। चुनािी वबगुल बजते ही हर राजनीवतक िल अपनी नीवतयों की घोषिा करता है। िह जनता को
अनेक लोकलुिािने नारे िेता है।
जगह-जगह रैवलयााँ की जाती हैं। िाडे की िीड से जनता को क्रिखाया जाता है क्रक उनके सार् जनसमर्टन
बहुत ज्यािा है। उन्हें अपने-अपने िेत्र की समस्याओं का पता होता है। चुनाि-प्रचार के िौरान िे इन्हीं
समस्याओं को मुद्दा बनाते हैं तर्ा सत्ता में आने के बाि इन्हें सुलझाने का िायिा करते हैं। चुनाि होने के
बाि नेताओं को न जनता की याि आती है और न ही अपने िायिे की। क्रफर िे अपने ककयाि में जुर् जाते हैं।
िस्तुत: चुनािी िायिे कागज के फू लों के समान हैं जो किी खुशबू नहीं िेते। ये के िल चुनाि जीतने के वलए
क्रकए जाते हैं। इनका िास्तविकता से कोई संबंध नहीं होता। अत: जनता को नेताओं के िायिों पर यकीन
नहीं करना चावहए और वििेक तर्ा िेशवहत के मद्देनजर अपने मत का प्रयोग करना चावहए।
10. िैलर्ें ाइन डे : शहरी युिाओं का त्योहार
फरिरी माह की शुरुआत में ही मीवडया एक नए त्योहार को मनाने की तैयारी शुरू कर िेता है। कं पवनयााँ
अपने उत्पािों में इस त्योहार के नाम पर छू र् िेनी शुरू कर िेती हैं। यह सब प्रेम के नाम पर होता है। जी
हााँ, यह त्योहार है-िैलेंर्ाइन डे। यह 14 फरिरी को मनाया जाता है। िैसे तो िारत में अनेक त्योहार मनाए
जाते हैं; जैसे-होली, िीिाली, िशहरा, िैशाखी आक्रि।
इन सबके पीछे पौराविक, धार्मटक ि आर्र्टक आधार होते हैं, परंतु िैलेंर्ाइन डे पूिटत: वििेशी है। इसका
िारतीय वमट्टी से कोई लेना-िेना नहीं है। मीवडया के प्रचार-प्रसार से यह किी नहीं सोचना चावहए क्रक यह
िारत के गााँि-गााँि में मनाया जाने िाला त्योहार है। िस्तुत: यह शहरी त्योहार है। यहााँ के युिा इस क्रिन
अपने प्यार का इजहार करते हैं। इस क्रिन युिा लडके -लडक्रकयााँ अपने िोस्तों तर्ा प्रेवमयों को कु छ-न-कु छ
उपहार िेकर अपने प्रेम का इजहार करते हैं। इस क्रिन के वलए बाजारों में तरह-तरह के उपहार ि ग्रीटर्ंग
काडटस की िरमार िेखी जा सकती है।
कु छ लोग इसे ‘फ्रेंडवशप डे’ िी कहते हैं। इस क्रिन युिा अपने मन की इच्छाएाँ व्यि करने के वलए आतुर
होता है। िैसे इस क्रिन अनेक आपरावधक घर्नाएाँ िी घर्ती हैं। अपने प्रेमी से उवचत जिाब न वमलने पर
तेजाब डालने या आत्महत्या करने जैसी खबरें अकसर सुनाई िेती हैं। िैसे समाज में उन्हीं त्योहारों को
मनाना चावहए जो िेश की वमट्टी तर्ा संस्कृ वत से जुडे हों।
िोजन का स्िाि और स्िास्थ्य से सीधा संबंध है। स्िाक्रिष्ट िोजन िेखते ही हमारी लार र्पकने लगती है
और हम अपने आपको रोक नहीं पाते। कई बार तो हम वबना िूख के िी खाने के वलए उतािले ही बैठते हैं।
ऐसी वस्र्वत आने पर यह समझना चावहए क्रक हम जाने-अनजाने व्यसन या िोजन के लालच का वशकार हो
रहे हैं। आज इस उपिोिािािी युग में चारों ओर िातािरि ऐसा बना क्रिया गया है क्रक हम ललचाए वबना
रह ही नहीं सकते। िुकानों पर र्ैंगे स्िाक्रिष्ट चर्पर्े और कु रकु रे व्यंजन तर्ा खाद्य िस्तुएाँ िेखकर हमारे मुाँह
में पानी आना स्िािाविक ही है।
हमारी िूख-प्यास को बढ़ाने में अविनेवत्रयों का योगिान िी कम नहीं है, जब िे यह कहती हुई ‘र्ेढ़ा है पर
मेरा है’-कु रकु रे हमारी ओर बढ़ाती प्रतीत होती हैं; इसके अलािा सेिन अप, वलम्का, कोकाकोला आक्रि
विज्ञापन हमें घर के िोजन से िूर करके अपनी ओर आकर्षटत करते हैं ; वपज्जा, बगटर, नूडल, चाउमीन आक्रि
के विज्ञापन हमारी िूख बढ़ा िेते हैं तो हम उन्हें खरीिने के वलए बाध्य हो जाते हैं। अब तो विज्ञापन में बच्चे
िी कहते क्रिखते हैं-‘खाने से डरता है क्या?”
यह सुनकर जंक फू ड के प्रवत हमारी वझझक िूर होती है और हम उनके नफे -नुकसान पर विचार क्रकए वबना
उनको अपने नाश्ते और िोजन के अलािा समय-असमय खाना शुरू कर िेते हैं। जंक फू ड के प्रवत बच्चों और
युिाओं की िीिानगी िेखने लायक होती है। आप कहीं िी चले जाइए, चप्पे-चप्पे पर बगटर, हॉर् डॉग,
सैंडविच, पैर्ीज, नूडकस, कोकड वड्रक, समोसे, चाउमीन, ढोकले आक्रि वमल जाएाँगे।
इनमें वछपी उच्च कै लोरी की मात्रा बच्चों में मोर्ापा और आलस्य बढ़ाते हैं। डॉक्र्र इन्हें स्िास्थ्य के वलए विष
बताते हैं। योगगुरु रामिेि जैसे लोग इनका विरोध करते हैं, पर लोगों की समझ में यह बात आए तब न।
मोर्ापा, मधुमेह, रिचाप हृियाघात जैसी बीमाररयों से यक्रि बचना है तो जंक फू ड से तौबा करना ही
पडेगा।
वनरंतर बढ़ती जनसंख्या ने अनेक समस्याओं को जन्म क्रिया है। इनमें से एक है-समाज में अिांवछत घर्नाओं
में िृद्ध। खाली-ठाली बैठे लोग अपनी जरूरतें पूरी करने के वलए अनैवतक कायों में संवलप्त हो जाते हैं। इसी
का पररिाम है-गााँि, शहर और महानगरों में चोरी, हत्या की घर्नाओं में अप्रत्यावशत िृद्ध।
महानगरों में ये घर्नाएाँ होनी आम बात हो गई हैं। शहरों में लोगों का एकल पररिार और िृद्धािस्र्ा में
अपनों से अलग रहने को वििश िृद्ध िंपवत प्राय: इन घर्नाओं का वशकार बनते रहते हैं। शहरों की बढ़ती
जनसंख्या के कारि कानून-व्यिस्र्ा उतनी चुस्त-िुरुस्त नहीं रह पाती, वजतनी होनी चावहए। इसका
अनुवचत फायिा चोर-उचक्के, डकै त आक्रि उठाते हैं और चोरी-डकै ती की घर्नाओं को अंजाम िेते हैं। इन
घर्नाओं का विरोध करने िालों को ये मार-पीर्कर घायल कर िेते हैं और हत्या तक कर िेते हैं। इनके
वशकार शहर के बडे-बडे व्यापारी और धनाढ्य लोग बनते हैं।
उनके बच्चों का अपहरि करके क्रफरौती रावश की मााँग करना तर्ा उसकी पूर्तट न होने पर हत्या कर िेना
आम बात है। यद्यवप यहााँ पुवलस की तैनाती गााँिों की अपेिा अवधक होती है , पर पुवलस की वनवष्ियता
िेखकर लगता है क्रक अपरावधयों और पुवलस में कोई साठ-गााँठ हो क्योंक्रक डकै त और हत्यारे अपना काम
करके आसानी से चले जाते हैं। यद्यवप कु छ घर्नाओं में पुवलस सफलता प्राप्त करती है, पर उनका प्रवतशत
‘न’ के बराबर है। इसके वलए सख्त कानून बनाकर उन्हें िृढ़ इच्छा शवि के सार् लागू करिाकर पूरी वनष्ठा
और ईमानिारी से पालन करिाया जाना चावहए।
अन्य हल प्रश्न
प्रश्न 1:
पत्रकाररता के विविन्न पहलू कौन-कौन-से हैं?
उत्तर –
पत्रकाररता के विविन्न पहलू हैं-
1. समाचारों का संकलन,
2. उनका संपािन कर छपने योग्य बनाना,
3. उन्हें पत्र-पवत्रकाओं में छापकर पाठकों तक पहुाँचाना आक्रि।
प्रश्न 2:
पत्रकार क्रकसे कहते हैं?
उत्तर –
समाचार-पत्रों, पत्र-पवत्रकाओं में छपने के वलए वलवखत रूप में सामग्री िेने, सूचनाएाँ और समाचार एकत्र
करने िाले व्यवि को पत्रकार कहते हैं।
प्रश्न 3:
संिाििाता के प्रमुख कायों का उकलेख कीवजए।
उत्तर –
संिाििाता का प्रमुख कायट विविन्न स्र्ानों से खबरें लाना है।
प्रश्न 4:
संपािक के कायट वलवखए।
उत्तर –
संपािक संिाििाताओं तर्ा ररपोर्टरों से प्राप्त समाचार-सामग्री की अशुद्धयााँ िूर करते हैं तर्ा उसे त्रुरर्हीन
बनाकर प्रस्तुवत के योग्य बनाते हैं। िे ररपोर्ट की महत्िपूिट बातों को पहले तर्ा कम महत्ि की बातों को अंत
में छापते हैं तर्ा समाचार-पत्र की नीवत, आचार-संवहता और जन-ककयाि का विशेष ध्यान रखते हैं।
प्रश्न 5:
क्रकन गुिों के होने से कोई घर्ना समाचार बन जाती है?
उत्तर –
निीनता, लोगों की रुवच, प्रिाविकता, वनकर्ता आक्रि तत्िों के होने से घर्ना समाचार बन जाती है।
प्रश्न 6:
पत्रकाररता क्रकस वसिधांत पर कायट करती है?
उत्तर –
पत्रकाररता मनुष्य की सहज वजज्ञासा शांत करने के वसद्धांत पर कायट करती है।
प्रश्न 7:
पत्रकाररता के प्रमुख प्रकार कौन-से हैं?
उत्तर –
पत्रकाररता के कई प्रमुख प्रकार हैं। उनमें से खोजपरक पत्रकाररता, िॉचडॉग पत्रकाररता और एडिोके सी
पत्रकाररता प्रमुख हैं।
प्रश्न 8:
समाचार क्रकसे कहते हैं?
उत्तर –
समाचार क्रकसी िी ऐसी घर्ना, विचार या समस्या की ररपोर्ट होता है, वजसमें अवधक-से-अवधक लोगों की
रुवच हो और वजसका अवधकावधक लोगों पर प्रिाि पड रहा हो।
प्रश्न 9:
संपािन का अर्ट बताइए।
उत्तर –
संपािन का अर्ट है-क्रकसी सामग्री से उसकी िाषा-शैली, व्याकरि, ितटनी एिं तथ्यात्मक अशुद्धयों को िूर
करते हुए पठनीय बनाना।
प्रश्न 10:
पत्रकाररता की साख बनाए रखने के वलए कौन-कौन-से वसििांत अपनाए जाते हैं?
उत्तर –
पत्रकाररता की साख बनाए रखने के वलए वनम्नवलवखत वसद्धांत अपनाए जाते हैं
1. तथ्यों की शुद्धता,
2. िस्तु परखता,
3. वनष्पिता,
4. संतुलन, और
5. स्रोत।
प्रश्न 11:
क्रकन्हीं िो राष्ट्रीय समाचार-पत्रों के नाम वलवखए।
उत्तर –
प्रश्न 12:
समाचार-पत्र संपूिट कब बनता है?
उत्तर –
जब समाचार-पत्र में समाचारों के अलािा विचार, संपािकीय, रर्प्पिी, फोर्ो और कार्ूटन होते हैं तब
समाचार-पत्र पूिट बनता है।
प्रश्न 13:
खोजपरक पत्रकाररता क्रकसे कहते हैं?
उत्तर –
सािटजावनक महत्ि के भ्रष्टाचार और अवनयवमतता को लोगों के सामने लाने के वलए खोजपरक पत्रकाररता
की मिि ली जाती है। इसके अंतगटत वछपाई गई सूचनाओं की गहराई से जााँच की जाती है। इसके प्रमाि
एकत्र करके इसे प्रकावशत िी क्रकया जाता है।
प्रश्न 14:
िॉचडॉग पत्रकाररता क्या है?
उत्तर –
जो पत्रकाररता सरकार के कामकाज पर वनगाह रखती है और कोई गडबडी होते ही उसका परिाफाश
करती है, उसे िॉचडॉग पत्रकाररता कहते हैं।
प्रश्न 15:
एडिोके सी पत्रकाररता क्रकसे कहते हैं?
उत्तर –
जो पत्रकाररता क्रकसी विचारधारा या विशेष उद्देश्य या मुद्दे को उठाकर उसके पि में जनमत बनाने के वलए
लगातार और जोर-शोर से अवियान चलाती है, उसे एडिोके सी पत्रकाररता कहते हैं।
प्रश्न 16:
िैकवकपक पत्रकाररता क्रकसे कहते हैं?
उत्तर –
जो मीवडया स्र्ावपत व्यिस्र्ा के विककप को सामने लाने और उसके अनुकूल सोच को अविव्यि करते हैं ,
उसे िैकवकपक पत्रकाररता कहते हैं।
प्रश्न 17:
पेज थ्री पत्रकाररता क्या है?
उत्तर –
पेज श्री पत्रकाररता का आशय उस पत्रकाररता से है, वजसमें फै शन, अमीरों की बडी-बडी पार्र्टयों, महक्रफलों
तर्ा लोकवप्रय लोगों के वनजी जीिन के बारे में बताया जाता है। ऐसे समाचार सामान्यत: समाचार-पत्र के
पृष्ठ तीन पर प्रकावशत होते हैं।
प्रश्न 18:
पत्रकारीय लेखन क्रकसे कहते हैं?
उत्तर –
पत्रकार अखबार या अन्य समाचार माध्यमों के वलए लेखन के विविन्न रूपों का इस्तेमाल करते हैं, इसे
पत्रकारीय लेखन कहते हैं।
प्रश्न 19:
स्ितंत्र या फ्री-लांसर पत्रकार क्रकसे कहा जाता है?
उत्तर –
फ्री-लांसर पत्रकार को स्ितंत्र पत्रकार िी कहा जाता है। ये क्रकसी विशेष समाचार-पत्र से संबद्ध नहीं होते।
ये क्रकसी िी समाचार-पत्र के वलए लेखन करके पाररश्रवमक प्राप्त करते हैं।
प्रश्न 20:
पत्रकारीय लेखन संबंधी िाषा की विशेषताएाँ वलवखए।
उत्तर –
पत्रकारीय िाषा सीधी, सरल, साफ-सुर्री परंतु प्रिािपूिट होनी चावहए। िाक्य छोर्े , सरल और सहज
होने चावहए। िाषा में करठन और िुरूह शब्िािली से बचना चावहए, ताक्रक िाषा बोवझल न हो।
प्रश्न 21:
समाचार-लेखन की क्रकतनी शैवलयााँ होती हैं?
उत्तर –
समाचार-लेखन की िो प्रमुख शैवलयााँ होती हैं-
प्रश्न 22:
सीधा वपरावमड शैली की विशेषताएाँ बताइए।
उत्तर –
सीधा वपरावमड शैली में सबसे महत्िपूिट समाचार (घर्ना, समस्या, विचार के सबसे महत्िपूिट अंश) को
पहले पैराग्राफ में वलखा जाता है। इसके बाि कम महत्िपूिट समाचार की जानकारी िी जाती है।
प्रश्न 23:
उलर्ा वपरावमड शैली (इंिर्ेंड वपरावमड शैली) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर –
यह समाचार-लेखन की सबसे लोकवप्रय, उपयोगी और बुवनयािी शैली है। यह कहानी या कर्ा लेखन शैली
की ठीक उलर्ी होती है। इसमें आधार ऊपर और शीषट नीचे होता है। इसमें शुरू में समापन, मध्य में बॉडी
और अंत में मुखडा होता है।
प्रश्न 24:
समाचार-लेखन के छह ककारों के नाम वलवखए।
उत्तर –
क्या, कौन, कहााँ, कब, क्यों और कै से-ये समाचार-लेखन के छह ककार हैं।
प्रश्न 25:
समाचार-लेखन में छह ककारों का महत्ि क्या है?
उत्तर –
क्रकसी समाचार को वलखते समय मुख्यत: छह सिालों के जिाब िेने की कोवशश की जाती है। समाचार
वलखते समय क्या हुआ, क्रकसके सार् हुआ, कहााँ हुआ, कब हुआ, कै से और क्यों हुआ का उत्तर क्रिया जाता है।
प्रश्न 26:
समाचारों के मुखडे (इंट्रो) में क्रकन ककारों का प्रयोग क्रकया जाता है?
उत्तर –
समाचारों के मुखडे (इंट्रो) में तीन या चार ककारों-क्या, कौन, कब और कहााँ-का प्रयोग क्रकया जाता है,
क्योंक्रक ये सूचनात्मक और तथ्यों पर आधाररत होते हैं।
स्ियं करें
वनम्नवलवखत में से क्रकसी एक विषय पर लगिग 150 शब्िों में फीचर वलवखए
ररपोर्ट
ररपोर्ट समाचार-पत्र, रे वडयो और र्ेलीविजन की एक विशेष विधा है। इसके माध्यम से क्रकसी घर्ना,
समारोह या आाँखों-िेखे क्रकसी अन्य कायटिम की ररपोर्ट प्रस्तुत की जाती है। चूाँक्रक िूरिशटन िृश्य एिं श्रव्य
िोनों ही उद्देश्य पूरा करने िाला माध्यम है , अत: इसके वलए आाँखों-िेखी घर्ना की ररपोर्ट तैयार की जाती
है जबक्रक रेवडयो के वलए के िल सुनने योग्य ररपोर्ट तैयार करने से काम चल जाता है। किी संचालक द्वारा
िी जा रही कायटिाही का वििरि िेखकर ही उसे ररपोर्ट का आधार बनाकर ररपोर्ट तैयार कर ली जाती है।
ररपोर्ट की विशेषताएाँ-
1. ररपोर्ट की पहली मुख्य विशेषता उसकी संविप्तता है। संविप्त ररपोर्ट को ही लोग पढ़ पाते हैं। ज्यािा
विस्तृत ररपोर्ट पढ़ी नहीं जाती, अत: उसे तैयार करना उद्देश्यहीन हो जाता है।
2. ररपोर्ट की िूसरी मुख्य विशेषता उसकी वनष्पिता है। ररपोर्ट को प्रिािशाली बनाने के वलए वनष्पि
ररपोर्ट तैयार करनी चावहए।
3. ररपोर्ट की तीसरी प्रमुख विशेषता उसकी सत्यता है। इस तथ्य से रवहत ररपोर्ट अप्रासंवगक और
वनरुद्देश्य हो जाती है। असत्य ररपोर्ट पर न कोई विश्वास करता है और न कोई पढ़ना पसंि करता है।
4. ररपोर्ट की अगली विशेषता उसकी पूिटता है। आधी-अधूरी ररपोर्ट से ररपोर्टर का न उद्देश्य पूरा होता
है और न िह पाठकों की समझ में आती है।
5. ररपोर्ट की अगली विशेषता है-उसका संतुवलत होना। अर्ाटत इसे सिी पिों को समान महत्ि िेते हुए
तैयार करना चावहए।
ररपोर्ट के कु छ उिाहरि
प्रश्न 1:
मुंबई पर हमले के संबंध में सरकारी लापरिाही के संबंध में ररपोर्ट।
उत्तर –
छह माह पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाि की सौंपी जा चुकी इस ररपोर्ट का मराठी अनुिाि
गृहमंत्री आर०आर० पारर्ल ने सोमिार को विधान सिा के पर्ल पर रखा। इस ररपोर्ट में क्रिए गए तथ्यों
की जानकारी स्ियं पारर्ल ने सिन को िी। इस ररपोर्ट को पूिट गिनटर आरडी प्रधान की अध्यिता में गरठत
िो-सिस्यीय सवमवत ने तैयार क्रकया र्ा।
पारर्ल ने सिन को बताया क्रक मुख्यमंत्री को वमलाकर गरठत 16-सिस्यीय िल इस ररपोर्ट के सिी पहलुओं
का अध्ययन करे गा। सार् ही मीवडया में इसके लीक होने की िी जााँच की जाएगी। उन्होंने स्िीकार क्रकया
क्रक महाराष्ट्र सरकार को िी गई ररपार्ट और लीक हुई ररपोर्ट एक जैसी र्ी। विधान सिा में विपि के नेता
एकार् खडसे ने ररपोर्ट के मीवडया में लीक होने की सीबीआई जााँच की मााँग की। उन्होंने इस मामले में
सरकार पर लापरिाही बरतने का।
1. खोजी ररपोर्ट (इन्िेवस्र्गेरर्ि ररपोर्ट) -इस प्रकार की ररपोर्ट में ररपोर्टर मौवलक शोध और छानबीन के
जररये ऐसी सूचनाएाँ या तथ्य सामने लाता है जो सािटजावनक तौर पर पहले से उपलब्ध नहीं र्ीं।
खोजी ररपोर्ट का इस्तेमाल आमतौर पर भ्रष्टाचार, अवनयवमतताओं और गडबवडयों को उजागर करने
के वलए क्रकया जाता है।
2. इन-डेप्र् ररपोर्ट-इस प्रकार की ररपोर्ट में सािटजावनक तौर पर उपलब्ध तथ्यों, सूचनाओं और आाँकडों
की गहरी छानबीन की जाती है और उसके आधार पर क्रकसी घर्ना, समस्या या मुद्दे से जुडे
महत्िपूिट पहलुओं को सामने लाया जाता है।
3. विश्लेष्माक ररपोर्ट-सप्रकरक पावॉर्टमेंर् या सस्या सेजु तर्ा के विलेय औ व्याख्या वपरयो क्रिया जाता
ह।
4. वििरिात्मक ररपोर्ट -इस तरह की ररपोर्ट में क्रकसी घर्ना या समस्या के विस्तृत और बारीक वििरि
को प्रस्तुत करने की कोवशश की जाती है। विविन्न प्रकार की विशेष ररपोर्ों को समाचार-लेखन की
उलर्ा वपरावमड-शैली में ही वलखा जाता है लेक्रकन कई बार ऐसी ररपोर्ों को फीचर शैली में िी
वलखा जाता है। चूाँक्रक ऐसी ररपोर्ट सामान्य समाचारों की तुलना में बडी और विस्तृत होती हैं,
इसवलए पाठकों की रुवच बनाए रखने के वलए कई बार उलर्ा वपरावमड और फीचर िोनों ही शैवलयों
को वमलाकर इस्तेमाल क्रकया जाता है। ररपोर्ट बहुत विस्तृत और बडी हो तो उसे श्रृंखलाबद्ध करके
कई क्रिनों तक क्रकस्तों में छापा जाता है। विशेष ररपोर्ट की िाषा सरल, सहज और आम बोलचाल की
होनी चावहए।
पानी का संकर्
पहल का इं तजार
कु एाँ िले ही अतीत की चीज हो गए हैं , लेक्रकन क्रफलहाल िे हमारे िविष्य के अंिेशे को बता रहे हैं। िेश में
चार हजार कु ओं पर क्रकए गए अध्ययन से यह सावबत हुआ क्रक सात साल में िेश के िूजल में 54 फीसिी की
कमी हो गई है और 22 शहर गंिीर जल-आपूर्तट संकर् से गुजर रहे हैं। नासा के 2003 से 2013 तक के
अध्ययन पर आधाररत हाल के आाँकडों के अनुसार बसंधु बेवसन जल-स्तर -4.263 वमलीमीर्र प्रवतिषट और
गंगा-ब्रहमपुत्र बेवसन में जल-स्तर -19,564 वमलीमीर्र प्रवतिषट की िर से कम हो रहा है।
नासा के उपग्रहों की हाल में जारी तस्िीरों ने िारत की बचंता बढ़ा िी है। इनके मुतावबक िारत-पाक्रकस्तान
में बसंधु निी के बेवसन िेत्र यानी उत्तर-पविम िारत में िूजल तेजी से कम हो रहा है। उसने अपने उपग्रहों
की तस्िीरों के आधार पर एक अध्ययन 2009 में िी जारी क्रकया र्ा, वजसमें बताया गया र्ा क्रक बसंचाई के
कारि उत्तर िारत के हररयािा, पंजाब, राजस्र्ान और क्रिकली में 108 क्यूवबक क्रकलोमीर्र िूजल खत्म हो
गया है। ये आाँकडे 2002 से 2008 के बीच के र्े। तब से वनवित रूप से यह संकर् अब और गंिीर हुआ है।
नासा के जुडिााँ उपग्रहों ग्रेविर्ी ररकिरी और क्लाइमेर् एक्सपेररमेंर् (ग्रेस) ने पृथ्िी के गुरुत्िाकषटि िेत्र में
कु छ पररितटन महसूस क्रकए। इनकी िजह जल-वितरि के तरीके में वछपी वमली। इसमें िूजल िी शावमल है।
नासा ने पाया क्रक उत्तर िारत में िूजल तेजी से खत्म हो रहा है। मैर् रोडेल की अगुिाई में हुए अध्ययन के
मुतावबक उत्तर िारत कृ वष उत्पािकता बढ़ाने के वलए बसंचाई पर वनिटर हो गया है। यक्रि िूजल के संतुवलत
उपयोग के किम नहीं उठाए गए तो िेत्र के 11 करोड से ज्यािा लोगों को इसके िुष्पररिाम िुगतने पडेंगे।
कृ वष पैिािार में कमी आएगी और पीने योग्य पानी की क्रककलत बढ़ेगी।
संकर् उतना जल का नहीं है, वजतना जल-नीवतयों का खडा क्रकया हुआ है। िूजल स्रोतों का अंधाधुध िोहन
हो रहा है। िेश के राजनीवतज्ञ बडे िोर् बैंक को खुश रखने के वलए ट्यूबिेल जैसे उपकरिों और वबजली
जरूरतों पर बडे पैमाने पर सवब्सडी िे रहे हैं। हररत िांवत की शुरुआत से ही वमली इस छू र् के कारि िारत
में िूजल बसंचाई बहुत तेजी के सार् बढ़ी है। जब बरसात पयाटप्त नहीं होती तो यह वनिटरता और बढ़ जाती
है।
जुलाई 2012 में िारत की कु ल जनसंख्या का आधा यानी 67 करोड (िुवनया की आबािी का 10 प्रवतशत)
लोगों को वग्रड फे ल होने की िजह से वबजली संकर् से जूझना पडा र्ा। विशेषज्ञों ने इसकी िजह उत्तर
िारत में सूखे को ठहराया र्ा। िरअसल कम िषाट के कारि जल की कमी र्ी। क्रकसानों ने फसल सींचने के
वलए जरूरत से ज्यािा वबजली का उपयोग क्रकया और वग्रड फे ल हो गई। –
कु छ िेत्रों में पानी की मााँग-आपूर्तट की वस्र्वत में असंतुलन है। शहरी िेत्रों में मााँग 135 लीर्र प्रवत व्यवि
प्रवतक्रिन । (एलपीसीडी) है, जबक्रक ग्रामीि िेत्रों में िह मााँग इसकी एक-वतहाई यानी 40 एलपीसीडी है।
संयुि राष्ट्र का अनुमान है क्रक 2050 तक शहरी िारत की आबािी कु ल जनसंख्या का 50 प्रवतशत बढ़
जाएगी। यानी जल की कमी िाले िेत्रों में 84 करोड लोग वनिास कर रहे होंगे। अिी यह संख्या 32 करोड
है। जल के कारि कई राज्यों में आपसी वििाि िेखने को वमल चुके हैं। इनके और बढ़ने की संिािना है।
नासा ने इस बात के वलए चेताया है क्रक िूजल का िोहन वनयंवत्रत नहीं क्रकया गया तो संकर् और गंिीर हो
जाएगा। आज िेश में 55 प्रवतशत िूजल-स्रोतों का उपयोग हो रहा है। सतह का जल हमें नक्रियों से वमलता
है। बााँधों के जररये इसका अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है। इन बााँधों के कारि कु छ नक्रियों का जल-प्रिाह
प्रिावित हुआ है। िेश की खेती में 60 प्रवतशत िूजल लग रहा है। कु ल वमलाकर 80 फीसिी पानी खेती में
जा रहा है। इसके अलािा शहरों में 30 फीसिी और गााँिों में 70 फीसिी आपूर्तट िूजल से ही होती है।
िारत में कु छ विशाल नक्रियााँ हैं। इन नक्रियों के एक बडे वहस्से का उपयोग प्राकृ वतक कारिों से नहीं हो
पाता। ब्रहमपुत्र । जल उपयोग के वहसाब से सबसे ज्यािा संिािना िाली निी है, लेक्रकन इसका हम महज
चार प्रवतशत ही उपयोग कर सकते हैं। िास्ति में यह निी िुगटम पिटतीय िेत्रों से बहती है, वजससे इसके
पानी का समुवचत उपयोग नहीं हो पाता। िारत में नक्रियों के 1900 अरब क्यूवबक मीर्र जल उपयोग की
संिािना है, लेक्रकन उपयोग 700 अरब क्यूवबक मीर्र ७ ही हो पाता है। बााँधों के कारि सतह के जल पर
िी असर पडा है।
अन्य हल प्रश्न
प्रश्न 1:
‘ररपोताटजन’ शब्ि की उत्पवत्त क्रकस िाषा से मानी जाती है?
उत्तर –
फ्रेंच िाषा से।
प्रश्न 2:
ररपोताटज की पररिाषा िीवजए।
उत्तर –
क्रकसी घर्ना का उसके िास्तविक रूप में ििटन, जो पाठक के सम्मुख घर्ना का वचत्र सजीि रूप में उपवस्र्त
कर, उसे प्रिावित कर सके , ररपोताटज ररपोर्ट कहलाता है।
प्रश्न 3:
ररपोताटज लेखन में क्या आिश्यक है?
उत्तर –
संबंवधत घर्ना-स्र्ल की यात्रा, सािात्कार, तथ्यों की जााँच।
प्रश्न 4:
ररपोताटज की मुख्य विशेषताएाँ बताइए।
उत्तर –
तथ्यता, कलात्मकता, रोचकता।
प्रश्न 5:
बहंिी में ररपोताटज प्रकावशत करने का श्रेय क्रकस पवत्रका को है ?
उत्तर –
हंस को।
प्रश्न 6:
ररपोर्ट की पररिाषा िीवजए।
उत्तर –
क्रकसी योजना, पररयोजना या कायट के वनयोजन एिं कायाटन्ियन के पिात उसके ब्यौरे के प्रस्तुतीकरि को
ररपोर्ट कहते हैं।
प्रश्न 7:
विशेष ररपोर्ट क्रकसे कहते हैं?
उत्तर –
क्रकसी विषय पर गहरी छानबीन, विश्लेषि और व्याख्या के आधार पर बनने िाली ररपोर्ों को विशेष ररपोर्ट
कहते हैं।
प्रश्न 8:
विशेष ररपोर्ट के िो प्रकारों का उकलेख कीवजए।
उत्तर –
खोजी ररपोर्ट, इन—डेप्र् ररपोर्ट।
प्रश्न 9:
विशेष ररपोर्ट के लेखन में क्रकन बातों पर अवधक बल क्रिया जाता है?
उत्तर –
विशेष ररपोर्ट के लेखन में घर्ना, समस्या या मुद्दे की गहरी छानबीन की जाती है तर्ा महत्िपूिट तथ्यों को
इकट्ठा करके उनका विश्लेषि क्रकया जाता है।
प्रश्न 10:
ररपोर्ट ि ररपोताटज में अंतर स्पष्ट कीवजए।
उत्तर –
ररपोर्ट में शुष्कता होती है, ररपोताटज में नहीं। ररपोर्ट का महत्ि सामवयक होता है , जबक्रक ररपोताटज का
शाश्वत।
प्रश्न 11:
खोजी ररपोर्ट का प्रयोग कहााँ क्रकया जाता है?
उत्तर –
इस ररपोर्ट का प्रयोग आमतौर पर भ्रष्टाचार, अवनयवमतताओं और गडबवडयों को उजागर करने के वलए
क्रकया जाता है।
प्रश्न 12:
इन-डेप्र् ररपोर्ट क्या होती है?
उत्तर –
सुवष्ट में सािटजक्रक तैरप, उप्लब तर्ा स्िनाओं औरऑकों क छनन कके माहििटमुद्दों क बताया जाता ह। ,
प्रश्न 13:
विशेषीकृ त ररपोर्र्टग की एक प्रमुख विशेषता वलवखए।
उत्तर –
इसमें घर्ना या घर्ना के महत्ि का स्पष्टीकरि क्रकया जाता है।
प्रश्न 14:
ररपोर्ट-लेखन की िाषा की िो विशेषताएाँ बताइए।
उत्तर –
ररपोर्ट-लेखन की िाषा सरल ि सहज होनी चावहए। उसमें संविप्तता का गुि िी होना चावहए।
वििरिात्मक ररपोर्ट की पररिाषा िीवजए। ररपोर्ट और ररपोताटज में कोई िो मुख्य अंतर वलवखए। विशेष
ररपोर्ट को क्रकस शैली में वलखा जाता है?
आलेख
क्रकसी एक विषय पर विचार प्रधान एिं गद्य प्रधान अविव्यवि को ‘आलेख’ कहा जाता है। आलेख िस्तुत:
एक प्रकार के लेख होते हैं जो अवधकतर संपािकीय पृष्ठ पर ही प्रकावशत होते हैं। इनका संपािकीय से कोई
संबंध नहीं होता। ये लेख क्रकसी िी िेत्र से संबंवधत हो सकते हैं, जैसे-खेल, समाज, राजनीवत, अर्ट, क्रफकम
आक्रि। इनमें सूचनाओं का होना अवनिायट है।
आलेख के मुख्य अंग हैं-िूवमका, विषय का प्रवतपािन, तुलनात्मक चचाट ि वनष्कषट। सिटप्रर्म, शीषटक के
अनुकूल िूवमका वलखी जाती है। यह बहुत लंबी न होकर संिेप में होनी चावहए। विषय के प्रवतपािन में
विषय का िगीकरि, आकार, रूप ि िेत्र आते हैं। इसमें विषय का िवमक विकास क्रकया जाता है। विषय में
तारतम्यता ि िमबद्धता अिश्य होनी चावहए। तुलनात्मक चचाट में विषयिस्तु का तुलनात्मक विश्लेषि
क्रकया जाता है और अंत में, विषय का वनष्कषट प्रस्तुत क्रकया जाता है।
आलेख रचना के संबध
ं में प्रमुख बातें
1. लेख वलखने से पूिट विषय का बचंतन-मनन करके विषयिस्तु का विश्लेषि करना चावहए।
2. विषयिस्तु से संबंवधत आाँकडों ि उिाहरिों का उपयुि संग्रह करना चावहए।
3. लेख में श्रृंखलाबद्धता होना जरूरी है।
4. लेख की िाषा सरल, बोधगम्य ि रोचक होनी चावहए। िाक्य बहुत बडे नहीं होने चावहए। एक
पररच्छेि में एक ही िाि व्यि करना चावहए।
5. लेख की प्रस्तािना ि समापन में रोचकता होनी जरूरी है।
6. विरोधािास, िोहरापन, असंतुलन, तथ्यों की असंक्रिग्धता आक्रि से बचना चावहए।
आलेख के कु छ उिाहरि
ऐसी जगह होना चावहए जहााँ सीखने के वलए उवचत माहौल बन सके । स्कू ल के बुवनयािी ढााँचे के अलािा
इसके िैकयू वसस्र्म समेत हमें इसके िातािरि पर क्रफर से गौर करना होगा। हमें बच्चों को िखलंिाजी से
मुि और रोचक माहौल िेने की आिश्यकता है। हमें ऐसे तत्िों को पहचानकर िूर करना होगा, जो बच्चों के
शारीररक, मानवसक और िािनात्मक विकास में बाधक हैं। अनुशासन के वलहाज से यही बेहतर है क्रक ऐसे
वनयम-कायिों को, वजन्हें बच्चे सजा की तरह समझे, जबरन लािने की बजाय वनयमों को तय करने में उनकी
िागीिारी िी हो। हमें उन्हें सशि बनाना होगा और स्कू ली प्रक्रिया में उनकी िागीिारी सुवनवित करनी
होगी।
क्लास रूम में लोकतांवत्रक व्यिस्र्ा नजर आए, जहााँ बच्चों के सार् इंर्रएक्शन संिािात्मक हो, वशिात्मक
नहीं; जहााँ सिी बच्चों के सार् समान व्यिहार क्रकया जाए। आपसी संपकट , संिाि और अनुिि पर आधाररत
वशिा संबंधी प्रविवधयााँ अवधक प्रिािशाली होंगी। अिधारिाओं को वसखाने पर ध्यान िेना चावहए।
मेरे विचार से यह बेहि जरूरी है क्रक हम वशिा को व्यापक सामावजक संििों के वहसाब से िेखें। वशिा ऐसी
होनी चावहए वजससे बच्चे अपने ज्ञान को बाहरी िुवनया के सार् जोड सकें । ज्ञान िास्तविक अनुििों से आता
है और यक्रि क्लास रूम के क्रियाकलापों को िास्तविकता से नहीं जोडा जाता तो वशिा हमारे बच्चों के वलए
महज शब्िों और पाठों का खेल ही बनी रहेगी। आज हम एक समाज के तौर पर बेहतर वस्र्वत में हैं और
बिलाि के वलहाज से महत्िपूिट किम उठा सकते हैं।
िेश में कई स्कू ल और संस्र्ान यह िशाट रहे हैं क्रक िस्तुत: हम पुराने तौर-तरीकों से वनजात पाकर बेहतर
वशिा के वलए प्रयास कर सकते हैं। जयपुर का क्रिगंतर द्वारा संचावलत बंध्याली स्कू ल, बंगलूरू का सेंर्र फॉर
लर्नटग या बिटिान में वििमवशला का विद्या स्कू ल जैसे कु छ वशिालय ऐसी वशिा के वलए जाने जाते हैं ,
जैसी हम चाहते हैं। एकलव्य, क्रिगंतर और विद्या ििन जैसे सामावजक संस्र्ान और आई वडस्किरी तर्ा
ईजेड विद्या जैसे कु छ सामावजक उपिम पूरे िेश में चलाए जा रहे इस सतत आंिोलन का एक वहस्सा हैं। इन
सबके प्रिाि मुख्यधारा की स्कू बलंग पर नजर आने लगे हैं।
2. िारतीय कृ वष की चुनीती
ऐसे समय में, जब खाद्य पिार्ों की कीमतें आसमान छू रही हैं और िुवनया में िुखमरी अपने पैर पसार रही
है, जलिायु-पररितटन से संबंवधत विशेषज्ञ आगाह कर रहे हैं क्रक आने िाले िि में हमें और िी ियािह
वस्र्वत का सामना करना पडेगा। क्रिनों-क्रिन बढ़ते िैवश्वक तापमान की िजह से िारत की कृ वष-िमता में
लगातार वगरािर् आती जा रही है। एक अनुमान के मुतावबक इस िमता में 40 फीसिी तक की कमी हो
सकती है। (ग्लोबल िार्मटग एंड एग्रीककचर, विवलयम क्लाइन)।
कृ वष के वलए पानी और ऊजाट या वबजली िोनों ही बहुत अह तत्ि हैं, लेक्रकन बढ़ते तापमान की िजह से
िोनों की उपलब्धता मुवश्कल होती जा रही है। तापमान बढ़ने के सार् ही िेश के एक बडे वहस्से में सूखे और
जल संकर् की समस्या िी बि से बितर होती जा रही है। एक तरफ िैवश्वक तापमान से वनपर्ने के वलए
जीिाश्म ईंधन के इस्तेमाल पर ब्रेक लगाने की जरूरत महसूस की जा रही है। िहीं िूसरी ओर कृ वष-कायट के
वलए पानी की आपूर्तट के िास्ते वबजली की आिश्यकता िी क्रिन-प्रवतक्रिन बढ़ती जा रही है।
खाद्य सुरिा, पानी और वबजली के बीच यह संबंध जलिायु-पररितटन की िजह से कहीं ज्यािा उिरकर
सामने आया है। एक अनुमान के मुतावबक अगले िशक में िारतीय कृ वष की वबजली की जरूरत बढ़कर
िुगुनी हो जाने की संिािना है। यक्रि वनकर् िविष्य में िारत को काबटन उत्सजटन में कर्ौती करने के
समझौते को स्िीकारने के वलए बाध्य होना पडता है तो सबसे बडा सिाल यही उठे गा क्रक क्रफर आवखर
िारतीय कृ वष की यह मााँग कै से पूरी की जा सके गी।
‘ररयवलर्ी शो’ क्रकस वचवडया का नाम है, इस िशक से पहले बहंिस्ु तान में शायि ही कोई इस बात से
िाक्रकफ र्ा। लेक्रकन इस पूरे िशक में छोर्े पिे और ररयवलर्ी शो का मानो चोली-िामन का सार् हो गया।
इन ररयवलर्ी शो के जररये आम लोगों की प्रवतिा सामने आई और बहंिस्ु तानी िशटकों को अहसास हुआ क्रक
छोर्ा पिाट बडे वसतारे तैयार कर सकता है और कु छ लोगों की क्रकस्मत िी बिल सकता है।
छोर्े पिे को ररयवलर्ी शो ने इस िशक में िह ताकत िी क्रक यह बडे पिे के वसतारों को अपने फलक तक
खींच लाया। बॉलीिुड के इवतहास के सबसे बडे वसतारे अवमताि बच्चन हों या शाहरुख खान, सलमान
खान, गोबिंिा, अिय कु मार, माधुरी िीवित, वशकपा शेट्टी और अरशि िारसी, एक के बाि एक वसतारों को
यहााँ पनाह वमली। गेम शो हो या डांस शो, गीत हों या एक घर में रहकर एक-िूसरे की र्ााँग खींचने िाले शो
या क्रफर एमर्ीिी रोडीज जैसे वबगडैल युिाओं के शो, िशटकों ने हरेक को पूरी तिज्जो िी।
िषट 2000 के बाि का िशक समाप्त हो चुका है। अगला िशक प्रारंि हो चुका है। सन 2001 में जॉजट
डब्कयू० बुश के िुवनया के सबसे बडी अर्टव्यिस्र्ा और सामररक ताकत की कमान साँिालने के बाि से बराक
ओबामा के द्रवितीय कायटकाल तक बहुत कु छ बिल चुका है। बुश के पिे पर उिरने के समय जहााँ अमेररका
ही िुवनया के रंगमंच पर प्रमुख िूवमका में र्ा, िहााँ अब ओबामा के िौर में चीन और िारत िी बेहि अह
िूवमका में नजर आने लगे हैं।
शीतयुद्ध के बाि बनी एकध्रुिीय िुवनया ने िला ऐसी अाँगडाई क्यों ली? इस सिाल के जिाब में कु छ लोग
बुश की नीवतयों को िोषी ठहराते हैं तो कु छ लोग चीन और िारत की नीवतयों और प्रवतिाओं को इस
चमत्कार का श्रेय िेते हैं। छाछ िी फ्रैंक-फूं क कर पीने की तजट पर खुि ओबामा िोनों ही कारिों का अपने
िाषिों और नीवतयों में उकलेख करते नजर आ रहे हैं।
मगर एक बात पर तो शायि सिी एक मत हैं क्रक िुवनया की इस बिलती तस्िीर के पीछे का असल
कलाकार तो आर्र्टक मंिी ही है। बीते िशक की शुरुआत में जहााँ सब कु छ हरा-हरा नजर आ रहा र्ा, िहीं
िबे पााँि आई मंिी ने मानो सब कु छ उलर्-पुलर् कर क्रिया। जावहर है, ऐसे खतरनाक िूचाल के बाि अगर
अमेररका और यूरोप जैसे महारर्ी औधे मुाँह वगर पडे हों और िारत क्रफर िी मतिाली चाल से चलता चला
जा रहा हो तो क्रफर क्यों न िुवनया इस चमत्कार को नमस्कार करे।
5. कॉमनिेकर् गेम्स
कॉमनिेकर् गेम्स का सबसे पहला प्रस्ताि क्रिया र्ा, िषट 1891 में वब्ररर्श नागररक एस्ले कू पर ने। उन्होंने
ही एक स्र्ानीय समाचार-पत्र में इस खेल प्रवतयोवगता का प्रारंविक प्रारूप पेश क्रकया र्ा। इसके अनुसार,
यक्रि कॉमनिेकर् के सिस्य िेश प्रत्येक चार िषट के अंतराल पर इस तरह की खेल प्रवतयोवगताओं का
आयोजन करें, तो यह उनकी गुडविल तो बढ़ाएगा ही, आपसी एकजुर्ता में िी खूब इजाफा होगा। क्रफर
क्या र्ा, वब्ररर्श साम्राज्य को कू पर का यह प्रस्ताि बेहि पसंि आया और उसके सार् ही शुरू हो गया खेलों
का यह महोत्सि।
पहली बार कॉमनिेकर् गेम्स आयोवजत करने की कोवशश हुई िषट 1911 में। यह अिसर र्ा ककं ग जॉजट
पंचम के राज्याविषेक का। यह एक बडा उत्सि र्ा, वजसमें अन्य सांस्कृ वतक आयोजनों के अलािा, इंर्र
एंपायर चैंवपयनवशप िी संपन्न हुई। इसमें ऑस्ट्रेवलया, कनाडा, साउर् अफ्रीका और यूके की र्ीमें शावमल
हुई र्ीं। इसमें विजेता र्ीम र्ी-कनाडा, वजसे िो फीर् और छह इंच की वसकिर ट्रॉफी से निाजा गया र्ा।
काफी समय तक कॉमनिेकर् गेम्स के शुरुआती प्रारूप में कोई बिलाि नहीं हुआ।
िषट 1928 में जब एम्सर्डटम ओलंवपक आयोजन हुआ तो क्रफर वब्ररर्श साम्राज्य ने इसे शुरू करने का वनिटय
वलया और हैवमकर्न, ओर्ेररया, कनाडा में शुरू हुए पहले कॉमनिेकर् गेम्स। हालााँक्रक इसका नाम उस समय
र्ा वब्ररर्श एंपायर गेम्स। इसमें ग्यारह िेशों ने वहस्सा वलया र्ा।
वब्ररर्श एंपायर गेम्स की सफलता कॉमनिेकर् गेम्स को वनयवमत बनाने के वलहाज से एक बडी प्रेरिा र्ी।
िषट 1930 से ही यह प्रत्येक चार िषों के अंतराल पर आयोवजत होने लगा। िषट 1930 से 1950 तक यह
वब्ररर्श एंपायर गेम्स के नाम से ही जाना जाता र्ा। क्रफर िषट 1966 से 1974 तक इसे वब्ररर्श कॉमनिेकर्
गेम्स के रूप में जाना जाने लगा। इसके चार िषट बाि यानी िषट 1978 से यह कॉमनिेकर् गेम्स बन गया।
आधुवनक िारत में जनसंख्या बडी तेजी से बढ़ रही है। िेश के वििाजन के समय यहााँ लगिग 42 करोड
आबािी र्ी, परंतु आज यह एक अरब से अवधक है। हर िषट यहााँ एक आस्ट्रेवलया जुड रहा है। िारत के
मामले में यह वस्र्वत अवधक ियािह है। यहााँ साधन सीवमत हैं। जनसंख्या के कारि अने क समस्याएाँ उत्पन्न
हो रही हैं। िेश में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। हर िषट लाखों पढ़े-वलखे लोग रोजगार की लाइन में बढ़ रहे
हैं।
खाद्यान्नों के मामले में उत्पािन बढ़ने के बािजूि िेश का एक बडा वहस्सा िूखा सोता है। स्िास्थ्य सेिाएाँ
बुरी तरह चरमरा गई हैं। यातायात के साधन िी बोझ ढो रहे हैं। क्रकतनी ही ट्रेनें चलाई जाएाँ या बसों की
संख्या बढ़ाई जाए, हर जगह िीड ही िीड क्रिखाई िेती है। आिास की कमी हो गई है। इसका पररिाम यह
हुआ क्रक लोगों ने फु र्पार्ों ि खाली जगह पर कब्जे कर वलए हैं। आने िाले समय में यह वस्र्वत और
वबगडेगी।
जनसंख्या बढ़ने से िेश में अपराध िी बढ़ रहे हैं क्योंक्रक जीिन-वनिाटह में सफल न होने पर युिा अपरावधयों
के हार्ों का वखलौना बन रहे हैं। िेश के विकास के क्रकतने ही िािे क्रकए जाएाँ , सच्चाई यह है क्रक आम लोगों
का जीिन-स्तर बेहि वगरा हुआ है। आबािी को रोकने के वलए सामूवहक प्रयास क्रकए जाने चावहए। सरकार
को िी सख्त कानून बनाने होंगे तर्ा आम व्यवि को िी इस क्रिशा में स्ियं पहल करनी होगी। यक्रि
जनसंख्या पर वनयंत्रि नहीं क्रकया गया तो हम किी िी विकवसत िेशों की श्रेिी में नहीं खडे हो पाएाँगे।
7. अॉॉखों-िेखा जल-प्रलय
प्रकृ वत का सौंियट वजतना मोहक होता है, उसका विनाशकारी रूप उतना ही ियािह होता है। प्रकृ वत जब
कृ द्ध होती है तो िह कई रूपों में बिला लेती है। इन्हीं में से एक है जल प्रलय। प्रकृ वत का यह रूप गतिषट
जम्मू-कश्मीर में आई बाढ़ के रूप में िेखने को वमला, वजससे जनजीिन बुरी तरह प्रिावित हुआ।
आकाश से वगरती िषाट की जो बूंिें तन-मन को शीतलता पहुाँचा रही र्ीं, और मौसम को सुहािना बना रही
र्ीं, उन्हीं बूंिों ने जब िषाट का रूप ले वलया और कई घंर्े तक अपने अविरल रूप में बरसती रहीं तो मन में
शंकाएाँ पनपना स्िािाविक र्ा। िेखते-ही-िेखते िषाट का पानी नावलयों की सीमा लााँघकर सडकों पर जमा
होने लगा।
हरे-िरे मैिान पानी में डू बने लगे। िेखते-ही-िेखते पानी घरों और िुकानों में घुसने लगा। अब लोगों के चेहरे
पर िय और बचंता की रे खाएाँ स्पष्ट क्रिखने लगी र्ीं। िे अपना सामान बााँधने और सुरवित स्र्ान पर जाने
की तैयारी करने लगे। इधर िषाट रुकने का नाम नहीं ले रही र्ी। लोगों की करठनाई कम होने का नाम नहीं
ले रही र्ी। िे अपना सामान उठाए कमर िर पानी िरे रास्ते से सुरवित स्र्ान की ओर जाने लगे। बाढ़
अपना कहर ढाने पर तुली र्ी। लगता र्ा इस जल-प्रलय में सब कु छ डू ब जाएगा। हमारे होर्ल के कमरे की
एक मंवजल पानी में डू ब चुकी र्ी।
तीसरे क्रिन जब बरसात पूरी तरह रुकी तब लोगों की जान में जान आई। अब तक राहत एजेंवसयों और सेना
बचाि कायट में जुर् चुकी र्ीं। हेलीकॉप्र्रों द्वारा िेाजन और अन्य जीिनोपयोगी िस्तुएाँ लोगों तक पहुाँचाकर
उनके घाि पर मरहम लगाने का कायट क्रकया जा रहा र्ा। इस जल-प्रलय की छवि मेरे मनोमवस्तष्क पर अब
िी अंक्रकत है।
अन्य हल प्रश्न
प्रश्न 2:
आलेख क्रकन-क्रकन िेत्रों से संबंवधत होते हैं?
उत्तर –
आलेख खेल, समाज, राजनीवत, अर्टजगत, व्यापार, खेल आक्रि िेत्रों से संबंवधत हो सकते हैं।
प्रश्न 3:
अच्छे आलेख के गुि/विशेषताएाँ वलवखए।
उत्तर –
1. अच्छे आलेख में सूचनाओं का होना अवनिायट होता है वजसमें निीनता एिं ताजगी हो।
2. विचारों में स्पष्टता तर्ा िाषा में सरलता, बोधगम्यता तर्ा रोचकता होनी चावहए।
प्रश्न 4:
आलेख में क्रकसकी प्रमुखता होती है?
उत्तर –
आलेख में लेखक के विचारों की प्रमुखता होती है। इसी कारि इसे विचार-प्रधान गिय िी कहा जाता है।
प्रश्न 5:
आलेख के मुख्य अंग कौन-कौन-से हैं?
उत्तर –
आलेख के मुख्य अंग हैं-िूवमका, विषय का प्रवतपािन ि वनष्कषट।
प्रश्न 6:
आलेख वलखते समय क्या-क्या तैयाररयााँ आिश्यक होती हैं?
उत्तर –
1. आलेख वलखते समय संबंवधत विषय से जुडे आाँकडों ि उिाहरिों का संग्रह करना आिश्यक होता है।
2. लेखन से पूिट विषय का बचंतन-मनन करके विषयिस्तु का विश्लेषि करना िी आिश्यक होता है।
स्ियं करें
विचारपरक लेखन
अखबारों में समाचार और फीचर के अलािा विचारपरक सामग्री का िी प्रकाशन होता है। कई अखबारों की
पहचान उनके िैचाररक रुझान से होती है। एक तरह से अखबारों में प्रकावशत होने िाले विचारपूिट लेखन से
उस अखबार की छवि बनती है। अखबारों में संपािकीय पृष्ठ पर प्रकावशत होने िाले संपािकीय अग्रलेख ,
लेख और रर्प्पवियााँ इसी विचारपरक पत्रकारीय लेखन की श्रेिी में आते हैं। इसके अलािा, विविन्न विषयों
के विशेषज्ञों या िररष्ठ पत्रकारों के स्तंि (कॉलम) िी विचारपरक लेखन के तहत आते हैं। कु छ अखबारों में
संपािकीय पृष्ठ के सामने ऑप-एड पृष्ठ पर िी विचारपरक लेख, रर्प्पवियााँ और स्तंि प्रकावशत होते हैं।
संपािकीय लेखन संपािकीय पृष्ठ पर प्रकावशत होने िाले संपािकीय को उस अखबार की आिाज माना
जाता है। संपािकीय के जररये अखबार क्रकसी घर्ना, समस्या या मुद्दे के प्रवत अपनी राय प्रकर् करते हैं।
संपािकीय क्रकसी व्यवि-विशेष का विचार नहीं होता, इसवलए उसे क्रकसी के नाम के सार् नहीं छापा
जाता। संपािकीय वलखने का िावयत्ि उस अखबार में काम करने िाले संपािक और उनके सहयोवगयों पर
होता है। आमतौर पर अखबारों में सहायक संपािक ही संपािकीय वलखते हैं। कोई बाहर का लेखक या
पत्रकार संपािकीय नहीं वलख सकता।
बहंिी के अखबारों में कु छ में तीन, कु छ में िो और कु छ में के िल एक ही संपािकीय प्रकावशत होता है।
संपािकीय का एक उिाहरि प्रस्तुत है-
िारत की पहल पर रवििार को आयोवजत प्रर्म विश्व योग क्रििस को आने िाले िौर में योग की ग्लोबल
पॉप्युलैररर्ी की बानगी के तौर पर िेखा जा सकता है। लेक्रकन इसमें कोई शक नहीं क्रक यहााँ से आगे योग को
लेकर िारत की वजम्मेिारी बहुत बढ़ गई है। मन को वस्र्र और शरीर को चपल बनाने िाले इस विज्ञान को
िुवनया के अलग-अलग िेशों में अलग-अलग तरह आजमाया जाता रहा है। स्ियं िारत में िी विविन्न
संस्र्ान और आचायट इसे अपने-अपने ढंग से बरतते हैं। मानक स्िरूप जैसी कोई चीज योग पर लागू नहीं
होती।
लेक्रकन बाहरी विन्नताओं को छोड िें तो अपनी अंतिटस्तु में योग एक िशटन और जीिन-पद्धवत है, जो समय
बीतने के सार् कसरतों के जंगल में गुम होती जा रही है। िुवनया को योग की इस मूल आत्मा से पररवचत
कराने का काम िारत का है। जहााँ तक सिाल इसके बाहरी रूप का है तो वपछले पंद्रह-बीस िषों में िुवनया
के कई िेशों में योग का खासा बडा बाजार बन चुका है। हर साल 21 जून को विश्व योग क्रििस की तरह
मनाने को लेकर संयुि राष्ट्र संघ में शावमल 177 िेशों की सहमवत इस स्ित:स्फू तट प्रक्रिया पर मोहर लगाने
जैसी ही र्ी।
विश्व की अनेक स्िास्थ्य संस्र्ाएाँ अब योग पर गंिीरता से विचार कर रही हैं। विश्व स्िास्थ्य संगठन तो
बाकायिा शोध ही करा रहा है क्रक योग को युवनिसटल हेकर् के यर के वलए कै से इस्तेमाल क्रकया जाए।
िरअसल, लोगों की जीिनचयाट अिी उनसे बहुत ज्यािा समपटि की मााँग करने लगी है। बहुत सारी
शारीररक और मानवसक बीमाररयों को लाइफस्र्ाइल वडजीज के र्ैले में डाल िेना आसान है , लेक्रकन इनसे
बचने या वनपर्ने के नाम पर अस्पतालों के लंबे-लंबे वबल के वसिाय लोगों के हार् कु छ िी नहीं आता।
योग में इस खालीपन को िरने की िरपूर िमता है। लेक्रकन यह काम िह तिी कर पाएगा, जब इसे खुि ही
माके टर्ंग फडों का वशकार होने से बचाया जाए। योग-िूवम होने के नाते िारत की यह वजम्मेिारी बनती है
क्रक िह योग को खतरनाक वबकाऊ चीज बनने से रोके । िुिाटग्यिश, िारत में पहले विश्व योग क्रििस का
आयोजन एक आिामक ब्रैबडंग एक्सरसाइज जैसा ही बनकर रह गया, वजसमें एक िचटस्ििािी राजनीवत की
गंध िी शावमल र्ी। उम्मीि करें क्रक आने िाले क्रिनों में हमारा समाज, खासकर हमारा राजनीवतक िगट,
िारत की इस प्राचीन धरोहर को लेकर ज्यािा गंिीर होगा।
धंधे के र्मट में बात करें तो अच्छी ब्रैबडंग होने पर िारत में योग र्ूररज्म के अिसर बढ़ेंगे। हमारे योग ट्रेनरों
को िी िेश से बाहर काम करने के मौके वमलेंगे। लेक्रकन यह सब तो तब होगा, जब हमारे पास वसखाने को
कु छ अलग, कु छ खास होगा। सरकार अगर सोचती है क्रक एक प्राचीन ज्ञान को पुनजीवित करने का काम
एक क्रिन का प्रिशटन आयोवजत करके या क्रफर पााँचिी किा तक योग को अवनिायट बनाने जैसे उपायों के
जररये संपन्न कर वलया जाएगा तो उसको इस मामले में सबसे पहले अपनी ही समझ िुरुस्त करनी चावहए।
स्तंि-लेखन
स्तंि-लेखन िी विचारपरक लेखन का एक प्रमुख रूप है। कु छ महत्िपूिट लेखक अपने खास िैचाररक रुझान
के वलए जाने जाते हैं। उनकी अपनी एक लेखन-शैली िी विकवसत हो जाती है। ऐसे लेखकों की लोकवप्रयता
को िेखकर अखबार उन्हें एक वनयवमत स्तंि वलखने का वजम्मा िे िेते हैं। स्तंि का विषय चुनने और उसमें
अपने विचार व्यि करने की स्तंि लेखक को पूरी छू र् होती है। स्तंि में लेखक के विचार अविव्यि होते हैं।
यही कारि है क्रक स्तंि अपने लेखकों के नाम पर जाने और पसंि क्रकए जाते हैं। कु छ स्तंि इतने लोकवप्रय
होते हैं क्रक अखबार उनके कारि िी पहचाने जाते हैं।
स्तंि-लेखन का एक उिाहरि
इजरायल और सऊिी अरब, िोनों को ही डर है क्रक इस िाताट से ईरान को िले ही परमािु हवर्यारों से िूर
ले जाया जाए, पर प्रवतबंध हर्ने से ईरान की वस्र्वत पहले से िी अवधक मजबूत हो जाएगी। इजरायल को
डर है क्रक इसके बाि ईरान क्रफलस्तीवनयों को और अवधक हवर्यार तर्ा आर्र्टक सहायता िेने के सार् ही
लेबनान में वहज्बुकला की शवि िी बढ़ाएगा। िूसरी ओर, सऊिी अरब के वलए वशया ईरान की बढ़ती शवि
अरब जगत में उसके सुन्नी आवधपत्य को सीधी चुनौती होगी। सऊिी अरब और ईरान यमन में अिी एक
तरह से आपसी युद्ध ही लड रहे हैं।
सऊिी अरब तो खुलेआम कहता है क्रक ईरान में हुकू मत बिलनी चावहए। उसने ऐसे कु र्िटस्तान को िी
सहायता िेने का िािा क्रकया है, वजसमें तुकी और इराक के कु र्िटश िेत्रों के सार् ही ईरान का िी कु छ िाग
होगा। जहााँ तक इजरायल और सऊिी अरब के बीच की िोस्ती की बात है, तो इस संबंध में अिी और कु छ
कहना बहुत जकिी होगी। िैसे िी सऊिी अरब ने न तो पहले किी इजरायल को मान्यता िी है और न ही
अिी िह इजरायल का अवस्तत्ि मानता है।
िूसरी ओर, इजरायल की नेतन्याहू सरकार ने िी ऐसा कोई संकेत नहीं क्रिया है क्रक क्रफलस्तीवनयों के सार्
शांवत का सऊिी अरब ने जो प्रस्ताि रखा है , उस पर िह सहमत है। साल 1981 में सऊिी अरब के शाह
फहि ने अप्रत्यि रूप से इजरायल के अवस्तत्ि को मान्यता िी र्ी और साल 1991 की मैवड्रक कॉन्फ्रेंस के
बाि िोनों िेश िेत्रीय समस्याओं पर विचार करने के वलए बराबर वमलते रहे र्े। यह वसलवसला अब आगे
िी बढ़ सकता है। इसवलए जो लोग अब िी यह मानते हैं क्रक अरब िेशों की नाराजगी की कीमत पर िारत
को इजरायल को बहुत महत्ि नहीं िेना चावहए, उन्हें अब तो अपनी सोच बिल लेनी चावहए।
1. सबके वलए
19 जनिरी का संपािकीय ‘वसर पर एक छत’ पढ़ा। असल में , आर्र्टक उिारीकरि के बाि हमारे यहााँ रीयल
एस्र्ेर् िेत्र में जो िारी उछाल आया, िह मध्य और उच्च-मध्य िगट तक सीवमत र्ा। बेशक यह फै सला
सरकार की आर्र्टक सेहत के अनुकूल नहीं है, आगे ब्याज-िर बढ़ने की वस्र्वत में उस पर सवब्सडी का बाझ
और िी बढ़ सकता है। लेक्रकन आर्र्टक तरक्की कर रहे िेश की छवि के वलए ठीक नहीं क्रक सिी नागररकों के
वसर पर छत न हो।
2. पहचान का मसला
संपािकीय ‘नेपाल का संविधान’ पढ़ा। नेपाल का समाज बेहि ध्रुिीकृ त है, और पहचान का मसला बडा
मुद्दा है। ऐसे में प्रस्तावित राज्यों का नामकरि और सीमांकन उतना आसान िी नहीं है, वजतना महसूस हो
रहा है। ठीक है क्रक संघीय आयोग प्रस्तावित आठ राज्यों के नाम और उनकी सीमा-रेखा तय करे गा। लेक्रकन
एक वििावजत समाज में ये काम िविष्य िरोसे नहीं छोडना चावहए। क्रफर उस नजररये को कै से बिलेंगे , जो
प्रस्तावित संघीय व्यिस्र्ा को ७ अपने-अपने वहसाब से िेख रहा है?
3. व्यिस्र्ा की विफलता
संपािकीय ‘कै ररयर पर कु ठाराघात’ (16 जून) पढ़ा। असल सिाल परीिा की पवित्रता और विश्वसनीयता
है। अनुवचत तरीकों से लािावन्ित होने िाला हर परीिार्ी क्रकसी-न-क्रकसी िास्तविक हकिार का हक
मारेगा, जो परीिा-व्यिस्र्ा की विफलता िी है और एक गंिीर अपराध िी। इस तथ्य को िी नजरअंिाज
नहीं क्रकया जा सकता क्रक खुि परीिार्र्टयों ने िी परीिा रद्द करिाने के वलए सुप्रीम कोर्ट में यावचकाएाँ
िायर कीं। इसीवलए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई के तकों को िरक्रकनार करते हुए क्रफर से परीिा आयोवजत
करने के वनिेश क्रिए हैं।
4. िविष्य का सिाल
यह लाखों छात्रों के िविष्य का सिाल है। इसवलए पेपर लीक होने के पीछे जो िी लोग हों, उनको ऐसी
सजा िी जानी चावहए, वजससे िविष्य में कोई ऐसा करने की सोचे िी नहीं। पर हमारे िेश में अकसर यह
नहीं हो पाता, इसवलए बार-बार इस तरह की घर्नाएाँ सामने आती रहती हैं। यूपीएससी में इस तरह के
मामले इसवलए सामने नहीं आते क्योंक्रक यूपीएससी में क्रकसी को सिस्य बनाने से पहले इस बात का विशेष
ध्यान रखा जाता है क्रक वपछली सर्िटस के िौरान उस व्यवि की साख कै सी रही है। िह क्रकतना न्यायवप्रय,
ईमानिार और सिम अवधकारी रहा है। परीिा से जुडे िूसरे आयोगों में िी ऐसी ही व्यिस्र्ा होनी चावहए।
-वििेक तन्जा,%पालक
5. अवतम पत्र
आप सरकार के विज्ञापन पर िडकीं बीजेपी-कांग्रेस, कोर्ट जाने की धमकी िी : खबर। सरकार चाहे क्रकसी
िी पार्ी की हो, उनके अच्छे काम तो बस विज्ञापन में ही क्रिखाई िेते हैं
1. वजस विषय पर और वजस व्यवि के सार् सािात्कार करने आप जा रहे हैं, उसके बारे में आपके पास
पयाटप्त जानकारी होनी चावहए।
2. आप सािात्कार से क्या वनष्कषट वनकालना चाहते हैं, इसके बारे में स्पष्ट रहना बहुत जरूरी है।
3. आपको िे सिाल पूछने चावहए जो क्रकसी अखबार के एक आम पाठक के मन में हो सकते हैं।
4. सािात्कार को अगर ररकॉडट करना संिि हो तो बेहतर है , लेक्रकन अगर ऐसा संिि न हो तो
सािात्कार के िौरान आप नोट्स लेते रहें।
5. सािात्कार को वलखते समय आप िो में से कोई िी एक तरीका अपना सकते हैं। एक आप सािात्कार
को सिाल और क्रफर जिाब के रूप में वलख सकते हैं या क्रफर उसे एक आलेख की तरह से िी वलख
सकते हैं।
सािात्कार का उिाहरि
अिी तो मैं जिान हूाँ
तीन िशक से िी अवधक समय से बॉलीिुड में सक्रिय 57-िषीय अवनल कपूर आज िी 35 िषट के नजर आते
हैं, लेक्रकन क्रकरिारों के चुनाि में िे अपनी उम्र को िी ध्यान में रखते हैं। िे बॉलीिुड -हॉलीिुड में पूरी तरह
से सक्रिय हैं। हाल ही में ररलीज जोया अख्तर वनिेवशत क्रफकम ‘क्रिल धडकने िो’ में उनके द्वारा वनिाए गए
क्रकरिार कमल मेहरा की सिी तारीफ कर रहे हैं। ऐसा लग रहा है क्रक लंबे समय बाि इंडस्ट्री को एक नया
‘वपता’ वमला है, जो क्रफकम के हीरो को िी र्क्कर िे सकता है।
• आप हर क्रफकम में कु छ अलग करते हुए नजर आते हैं। लोग कहते हैं क्रक आपकी प्रवतिा क्रिन-ब-क्रिन
वनखर रही है?
– इनसान अपने कै ररयर की शुरुआत से वजस तरह के फै सले लेता रहता है, उसका नतीजा उसे
हमेशा वमलता रहता है। मुझे लगता है क्रक मैंने अपने कै ररयर में जो फै सले वलए, उसी की िजह से
मुझे हमेशा अलग-अलग तरह के क्रकरिार वनिाने के अिसर वमले। आज िी वमल रहे हैं। इसके
अलािा मैंने एक ही तरह के क्रकरिार किी नहीं वनिाए। मैंने हमेशा लंबी िौड पर ही जोर क्रिया।
लंबी रेस का घोडा बनने के वलए मैंने आम मुंबइया क्रफकमों की तरह अपनी हर क्रफकम में हीरोइन के
सार् ट्रेवडशनल नाच-गाना करना जरूरी नहीं समझा। मैंने वजस रास्ते को चुना, िह बहुत करठन र्ा,
पर उसी का फल आज मुझे वमल रहा है।
• अजुनट कपूर का मानना है क्रक क्रफकमों के प्रवत आपका जो पैशन और समझ है , उससे िह प्रिावित
हैं….
– मुझे लगता है क्रक मुझे अिी िी क्रफकमों को लेकर बहुत कु छ सीखना है। जहााँ तक पैशन का सिाल
है तो ये होता है या क्रफर नहीं होता है। मुझे क्रफकमों का पैशन है! मैं वजतनी ज्यािा क्रफकमें िेखेंगा, मैं
वजतने ज्यािा-से-ज्यािा युिा कलाकारों से वमलेंगा, वजतना घूमुाँगा, उतना मेरा ज्ञान बढ़ेगा। यह
अजुटन का बडप्पन है क्रक िह मेरी इतनी तारीफ करता है।
• अपनी बेरर्यों को लेकर क्या कहेंगे?
मुझे अपनी िोनों बेरर्यों-सोनम और ररया-की उपलवब्धयों पर गिट है। अविनय के िेत्र में सोनम
काफी अच्छा काम कर रही है। एक क्रिन जब इन िोनों ने मेरे सामने प्रस्ताि रखा क्रक िे मेरे नाम का
उपयोग क्रकए वबना क्रफकम-वनमाटि करना चाहती हैं तो मैंने उनका हौसला बढ़ाया। मैंने कहा क्रक उन्हें
ऐसा ही करना चावहए।
• रििीर बसंह तो आपके िूर के ररश्तेिार हैं। ‘क्रिल धडकने िो’ में उनके सार् काम करने का अनुिि
कै सा रहा?
– सच यह है क्रक ‘क्रिल धडकने िो’ में काम करने के िौरान ही मैं रििीर के करीब आया। उसमें
बनािर्ीपन नहीं है। मैं उसे बचपन से ही इसी रूप में िेखता आ रहा हूाँ। मस्तीखोरी करना, डांस
करना और क्रकसी की िी पप्पी ले लेना उसकी आित रही है।
• जोया अख्तर तो आपके काफी जूवनयर हैं , उनके वनिेशन में काम करने का अनुिि कै सा रहा?
– मैंने पहले िी कई जूवनयर और नए वनिेशकों के सार् काम क्रकया है। बहुत कम ऐसे वनिेशक हैं ,
वजनकी तुलना मैं विश्व के अच्छे वनिेशकों के सार् कर सकता हूाँ। ऐसे ही वनिेशकों में से एक हैं -जोया
अख्तर। उनके काम 9 करने का तरीका, उनका पैशन, कलाकार के अंिर से उसकी प्रवतिा वनकलिाने
की उनकी जो कावबवलयत है, िह वबरले वनिेशकों में ही वमलती है।
• 57 साल की उम्र में िी 35 साल के युिा जैसी ऊजाट का राज?
– कु छ लोग शराब पीते रहे और मैं अपनी एनजी का सही उपयोग करता रहा। घर-पररिार और
अपनी सेहत पर खास ध्यान क्रिया। जब लोग पार्र्टयााँ करते हुए जागते र्े, तब मैं घर पर चैन की
नींि सोता र्ा। अंिरूनी सुकून की िजह से िी यह सेहत वमली है। मैं क्रिल से बहुत युिा हूाँ।
• आपने प्रचार के वलए किी चालू तरीके नहीं आज़माए……….
– जो सब कर रहे हैं, िह सब मैंने किी नहीं क्रकया। जब बच्चे बडे हो रहे हों तो उनके सामने आप खुि
को क्रकस तरह से पेश करते हैं, यह बात बहुत मायने रखता है। मैं प्रचार के वलए झूठे संबंधों की खबरें
उडाता तो उसका असर मेरे बच्चों पर क्या पडता?
• सोनम के कै ररयर को लेकर आपकी बचंताएाँ क्रकस तरह की हैं?
– मुझे कोई बचंता नहीं है। मेरी राय में सोनम का कै ररयर वजस मुकाम पर है, उससे बेहतर नहीं हो
सकता। उसने हर काम प्रोफे शनल अंिाज में ही क्रकया। उसके अंिर पाररिाररक मूकय हैं।
• अब तो आपके बेर्े हषटिधटन िी अविनेता बनकर आ रहे हैं ’?
– िह राके श ओमप्रकाश मेहरा की क्रफकम कर रहा है। अिी उसे सलाह िेना गलत होगा, इससे
नुकसान हो जाता है। मैं मानता हूाँ क्रक हर इनसान अपना मुकद्दर, अपनी तकिीर लेकर आता है। कोई
उससे उसकी तकिीर नहीं छीन सकता। िह मेरे नक्शे-किम पर चलने की बजाय अपनी एक अलग
राह बनाना चाहता है।
• आप अब नई उम्र की हीरोइनों के सार् हीरो बनकर नजर नहीं आते ’?
– िेवखए, युिा पीढ़ी की सोच काफी बिल चुकी है। जो लोग विग पहनकर चेहरा बनाकर नई
हीरोइनों के सार् हीरो बनकर आ रहे हैं, उनकी क्रफकमें चलती नहीं हैं। उम्र के अनुरूप कलाकार को
क्रकरिार वनिाने चावहए। क्रफकम ि क्रकरिार अच्छा होना चावहए। िुवनया के लोग पढ़े -वलखे हैं। वसफट
अनपढ़ लोगों को ही आप मूखट बना सकते हैं।
पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न
प्रश्न 1:
क्रकसे क्या कहते है-ाँ
(क) सबसे महत्त्िपूिट तथ्य या सूचना को सबसे ऊपर रखना और उसके बाि घर्ते हुए महत्त्ििम में सूचनाएाँ
िेना…………………
(ख) समाचाएर के अंतगटत क्रकसी घर्ना का निीनतम और महत्त्िपूिट पहलू…………………
(ग) क्रकसी समाचार के अंतगटत उसका विस्तार, पृष्ठिूवम, वििरि आवध िेना …………………
(घ) ऐसा सुव्यिवस्र्त, सृजनात्मक और आत्मवनष्ट लेखन; वजसके माध्यम से सूचनाओं के सार्-सार्
मनोरंजन पर िी ध्यान क्रिया जाता है…………………
(ङ) क्रकसी घर्ना, समस्या या मुद्दे की गहन छानबीन और विश्लेषि…………………
(च) िह लेख, वजसमें क्रकसी मुद्दे के प्रवत समाचार-पत्र को अपनी राय प्रकर् होती है…………………
उत्तर –
प्रश्न 2:
नीचे क्रिए गए समाचार के अंश को ध्यानपूिटक पक्रढए-
पाक्रकस्तान में विपि के नेता मौलाना फज़लुरटहमान ने अपनी िारत-यात्रा के िौरान कहा क्रक िे शांवत ि
िाईचारे का संिेश लेकर आए हैं। यहॉ िारूलउलुश्नम पहूाँचने पर पत्रकार सम्मेलन को संबोवधत करते हुए
उन्होंने कहा क्रक िोनों िेशों के संबंधो में वनरंतर सुधार हो रहा है। प्रधानमंत्री मनमोहन बसंह से गत सप्ताह
नई क्रिकली में हुई िाताट के संििट में एक प्रश्न के उतार में उन्होंने कहा क्रक पाक्रकस्तानी सरकार ने कश्मीर
समस्या के समाधान के वलए 9 प्रस्ताि क्रिए हैं।
प्रधानमंत्री मनमोहन बसंह ने उन पर विचार करने का आश्वासन क्रिया है। कश्मीर समस्या के संबंध में
मौलाना साहब ने आशािािी रिैया अपनाते हुए कहा क्रक 50 िषों की इतनी बडी जरर्ल समस्या का एक-
िो िाताट में हल होना संिि नहीं है। लेक्रकन इस समस्या का समाधान अिश्य वनकलेगा। प्रधानमंत्री के
प्रस्तावित पाक्रकस्तान िौरे की बाबत उनका कहना र्ा क्रक वनकर् िविष्य में यह संिि है और हम लोग
उनका ऐवतहावसक स्िागत करें गे। उन्होंने कहा क्रक िोनों िेशी के ररश्ते बहुत मज़बूत हुए हैं और प्रर्म बार
सीमाएाँ खुली हैं, व्यापार बढ़ा है तर्ा बसों का आिागमन आरि हुआ है।
उत्तर –
(क)
(ख)
• इंट्रो-पाक्रकस्तान में विपि के नेता मौलाना फज़लुरटहमान ने अपनी-िारत पात्रों के िौरान कहा क्रक
िे शांवत ि िाईचारे का सिेश लेकर िारत आए हैं।
• बॉडी-फज़लुरटहमान द्वारा िारूलउलूम पहुाँचने पर तत्कालीन िारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन बसंह के
सार् हुई बातचीत को पत्रकारों हैं बताने क अंश।
• समापन-िारतीय प्रधानमंत्री को आमंत्रि तर्ा िोनों िेशों के ररश्तों में आई मजबूती संबंधो कर्न।
(ग) यह समाचार उलर्ा वपरावमड शैली में है क्योंक्रक इसमें इं ट्रो पहले, बॉडी मध्य में और समापन सबसे
अंत में है।
प्रश्न 3:
एक क्रिन के क्रकन्हीं जीन समाचार-पत्रों को पक्रढए और क्रिए गए वबन्िुओं के संििट में उनका तुलनात्मक
अध्ययन कीवजए-
उत्तर –
(ग) समाचार प्रस्तुवत का ढंग रोचक, आकषटक (ग) समाचार प्रस्तुवत का ढंग
(ग) समाचार प्रस्तुवत का ढंग साधारि है।
एिं प्रिािशाली है। आकषटक एिं प्रिािी है।
(घ) समाचार की िाषा सरल, सहज तर्ा (घ) िाया सरल, सुबोध एिं
(घ) िाषा अच्छी है।
स्तरीय है। स्तरीय है।
प्रश्न 4:
अपने विद्यालय और मोहकले के आस-यास की समस्याओं यर नज़र डालें। जैसे-यानी की कमी, वबजली की
कर्ौती, खराब सडकें , सफाई की िुव्यटिस्र्ा। इनमें से क्रकन्हीं िो विषयों यर ररपोर्ट तैयार करें और अपने
शहर के अखबार में िेजें।
उत्तर –
पानी को कमी-माचट का महीना बीता नहीं क्रक पानी की क्रककलत शुरू हो गई। तालाब और पोखर सूखने लगे
और नलों में िी पानी आना कम हो गया । पानी की कमी और उपर से बढ़ती गमी, िोनों वमलकर जीना
क्रकतना करठन िना िेती हैं, पर परेशावनयों का नाम ही तो जीिन है। शहरी िेत्रों में यह समस्या और िी
विकराल रूप ले लेती है। अनवधकृ त कॉलोवनयों में यानी के र्ैंकर समय पर न आना, सप्ताह में एक-िो बार
आने पर युिधृ जैसी वस्र्वत उत्पन्न होना आम बात हो जाती है। पानी के र्ैंकर की राह िेखते हुए रात
वबताना सामान्यतः कोई नई बात नहीं है। चुनािी िायिे करने िाले नेता अब िशटन नहीं िेते और वशकायत
लेकर जाने पर पकला झाडने की कोवशश करते नज़र आते हैं। िे किी जल बोडट की िोष िेते हैं तो किी
वपछली सरकार को। आवखर यह समस्या लोगों का पीछा कब छोडेगी?
सफाई की िुव्यि ट स्र्र-सफाईं का नाम लेते ही जगह-जगह पहुाँ कू डे के ढेर, गंिे पानी से िरी नावलयााँ,
कू डेिान के बाहर तक सडक पर वबखरा कू डा और उनमें मुाँह मारते जानिरों का िृश्य साकार हो उठता है।
कु छ एसा िृश्य उतारी क्रिकली को पुनिाटस कॉलोवनयों में िेखा जा सकता हैं। यूाँ तो उत्तारी क्रिकली नगर
वनगम साफ-सफाई के बडे-बडे िािे करता है, पर हककी-सी बाररश होते ही उसके िािों की पोल खुल जाती
है। िषाट होते ही सडकों पर पानी का िरना, उनमें कू डा-करकर् तैरना सांगा को नाक बंि करके जाने के
वलए मज़बूर करता है।
ऐसा गंिगीपूिट िृश्य िेखकर इसे िेश को राजधानी का वहस्सा कहने में संकोच होने लगता है। नगर वनगम के
अध्यि और अवधकारी सफाई-कायों का बजर् कहीं और खचट करके तर्ा सफाई के वलए क्रकए गए कायों के
झूठे आाँकडे प्रस्तुत करके जनता को धोखा िेन का प्रयास करते हैं। उनके इस कृ त्य से क्रिकली की आधी से
अवधक आबािी साफ हिा-यानी के वलए तरसने को मज़बूर है।
प्रश्न 5:
क्रकसी िेत्र-विशेष से जुडे व्यवि से सािात्कार करने के वलए प्रश्न-सूची तैयार कीवजए, जैसे-
• संगीत/नृत्य
• वचत्रकला
• वशिा
• अविनय
• सावहत्य
• खेल
उत्तर –
अविनय के िुवनया में पैर जमा चुके अविनेता से सािात्कार के वलए तैयार की गई प्रशन-सूची-
प्रश्न 6:
आप अखबार के मुखपृष्ठ पर कौन-से छह समाचार शीषटक/सुवखयााँ (हेडलाइन) िेखना चाहेंगे? उन्हें वलवखए।
उत्तर –
अखबार के मुखपृष्ठ पर मैं वनम्नवलवखत छह समाचार शीषटक/सुवखयााँ (हेडलाइन) िेखना चाहूाँगा
अन्य हल प्रश्न
प्रश्न 1:
संपािकीय से आप क्या समझते हैं?
उत्तर –
संपािकीय समाचार-पत्र का िह महत्त्िपूिट अंश होता है, वजसे संपािक, सहायक संपािक तर्ा संपािक
मंडल के सिस्य वलखते हैं।
प्रश्न 2:
संपािकीय का समाचार-पत्र के वलए क्या महत्ि है?
उत्तर –
संपािकीय को क्रकसी समाचार-पत्र की आिाज माना जाता है। यह एक वनवित पृष्ठ पर छपता है। यह अंश
समाचारपत्र को पठनीय तर्ा अविस्मरिीय बनाता है। संपािकीय से ही समाचार-पत्र की अच्छाइयााँ एिं
बुराइयााँ (गुिित्ता) का वनधाटरि क्रकया जाता है। समाचार-पत्र के वलए इसकी महत्ता सिोपरर है।
प्रश्न 3:
संपािकीय क्रकसी नाम के सार् नहीं छापा जाता, क्यों?
अर्िा
संपािकीय में लेखक का नाम क्यों नहीं होता?
उत्तर –
संपािकीय क्रकसी एक व्यवि या व्यवि-विशेष की राय, िाि या विचार नहीं होता अत: उसे क्रकसी के नाम
के सार् नहीं छापा जाता।
प्रश्न 4:
संपािकीय पृष्ठ पर क्रकन-क्रकन सामवग्रयों को स्र्ान क्रिया जाता है?
उत्तर –
संपािकीय पृष्ठ पर संपािकीय, महत्िपूिट लेख, फीचर, सूवियााँ, संपािक के नाम पत्र आक्रि को स्र्ान क्रिया
जाता है।
प्रश्न 5:
संपािकीय का उििेश्य क्या है?
उत्तर –
क्रकसी घर्ना, समस्या अर्िा विवशष्ट मुद्दे पर संपािक मंडल की राय (समाचार-पत्र के विचार) जनता तक
पहुंचाना संपािकीय का उद्देश्य होता है।
प्रश्न 6:
संपािकीय लेखन के चार कायों का उकलेख कीवजए।
उत्तर –
संपािकीय लेखन के चार कायट हैं-समाचारों का विश्लेषि, पृष्ठिूवम की तैयारी, िविष्यिािी करना तर्ा
नैवतक वनिटय िेना।
प्रश्न 7:
स्तंि-लेखन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर –
स्तंि-लेखन विचारपरक लेखन का एक महत्िपूिट रूप है। कु छ लेखक अपने खास िैचाररक रुझान के वलए
जाने जाते हैं, वजनकी लोकवप्रयता िेखते हुए अखबार उन्हें एक वनयवमत स्तंि वलखने का वजम्मा िे िेते हैं।
इसमें विषय चुनने और विचार अविव्यवि की छू र् लेखक को होती है।
स्ियं करें