Download as docx, pdf, or txt
Download as docx, pdf, or txt
You are on page 1of 3

देशभक्ति एक दिखावा

भारत हमको जान से प्यारा है


सबसे न्यारा गुलिस्ता हमारा है|

क्या है वो देश भक्ति ;


जो सिरफ स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस मनाने तक सिमित हैं|

इस भारत मां को आजाद दिलाने के लिए |


के ई देश भक्त स्वदेशीयों की रक्त गंगा बहा दी गई थी |
क्या हम इस बलिदानियो की कदर करते हैं -
शायद नहीं –
वो खून ही क्या जिसमे देशभक्ति की कोई ज्वाला नहीं,
वो दिल ही क्या जिसे बलिदानियों की कोई कदर नहीं|
ध्वज को लहराना, और उसकी महत्त्वो वो को समझना|

सिर्फ स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस तक सिमित रखना


क्या यही है या यही बाकी रखती है|

अरे उस पास की कदर करो -


जिस्की हर बूंद कहती थी - "मां तुझे सलाम"
उसी मां को आज निछोड़ा जा रहे हैं
क्या इसी भारत के लिए हमारे पूर्वजो ने बालिदान दी थी|
मेरे प्यारे भारत वशियों अंदर की आंखें खोलो ,
महसूस करों इस भूमि को, उस हर दिल को, उस हर रक्त को
जिनके छबी भारत मां के नस में बसी हैं
युद्ध में सैनिको की बलिदान
बड़ा देती थी भारतियो की पहचान|
जो बन गए हैं सिर्फ दिखावे

असली भारत ने अपने मसाला की चुनिंद्य खुशबू से पूरी दुनिया को आकर्षित किया था |
पर दिल देहला दिया था भाईचारे की नारे ने
क्या एककिस्वी शताब्दी की –
हिंदू, मुस्लिम, सिख इसाई के भेदभाव के लिए
हमारे प्यारें विश्व कवि ने डोर को अपना था|

अरे मुर्खो;
जिस देश की मिट्टी आज मुफ्त होकर चल पा रहे हो |
इसके पानी की स्वद ले पा रहे हो |
बेझिझक अपने भाषा को प्रकाश कर पा रहे हो |
मुफ्त हवा में सांस ले पा रहे हो |

क्या आजादी की निव के पीछे जिन्की बालिदान है


क्या उनकी बहादुरी, त्याग सिर्रफ किताबें और हमारे
In दो दिनों की ध्वज को लहरने तक सिमित हैं|

अभी हमारे कार्यक्रम पर हमें हसी आती है


जब दसरें ही दिन देश मां की मिट्टी में खिलोना तिरंगा घुल जाती हैं |

बस इतनी ही तमन्ना है की -
आगर देश भक्ति दीखानी ही तो –
हर दिन दिखाओ –
अंदर की आवाज़ को जगाओ

और बोलो

"हिंदुस्तानी हूं;
हमारे हर करम में हिंदुस्तान की छबी दिखलाएंगे'
फिर से भारत 'सोने की चिड़िया' कहलाएंगे'|

जय हिन्द

- हिमाली

You might also like