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डायरी लेखन
डायरी लेखन
(iv) सि
ु रू िक्षिणपव
ू ष-सेठ गोववंििास।
उत्तर-डायरी में हम अपने िीवन िे िुछ वविेर् िणों में घदटत अनुभवों, ववचारों, घटनाओं, मुलािातों आदि िा
वववरण ललखते हैं। यदि हम इन वववरणों िो उसी ततथि वविेर् पर नहीं ललखते तो संभव है कि हम उस वविेर् िण में
घदटत अनुभव िो भूल िाएाँगे और कफर िभी उसे टमरण नहीं िर पाएंगे। डायरी में ललखखत वववरण हमें भूलने से
बचाते हैं। उिाहरण िे ललए यदि हम किसी पयषटन टिल पर िाते हैं और वहााँ पर अनेि टिलों िो िे खते हैं। यदि हम
प्रत्येि टिल िी यात्रा िा वववरण उसी दिन अपनी डायरी में ललख लेते हैं तो हम अपने अनभ
ु व िो पूणष रूप से
सुरक्षित रख सिते हैं तिा अवसर लमलने पर इसे पढ़िर उस यात्रा िा कफर से पूरा आनंि उठा सिते हैं। यदि हम
यात्रा से लौट िर सारा वववरण ललखना चाहें तो संभव नहीं हो पाएगा। हम अनेि वववरण ललखना छोड़ िाएंगे। डायरी
से िब हम अपने ववगत िो पढ़ते हैं तो यह हमारा एि व्यजततगत िटतावेज़ बन िाता है।
(i) डायरी सिा किसी नोटबुि अिवा वपछले साल िी डायरी में ललखी िानी चादहए। इसिा िारण यह है कि यदि
हम वतषमान वर्ष िी डायरी ततथि अनुसार ललखेंगे तो उसमें एि दिन िे ललए िी गई िगह िम या अथिि हो सिती
है। इससे हमें भावों िी अलभव्यजतत िो उसी सीमा में ही बााँिना पड़ेगा।
(ii) डायरी ललखते समय टवयं तय िरें कि आप तया सोचते हैं और टवयं िो तया िहना चाहते हैं। दिन भर िी
घटनाओं में से मुख्य घटना अिवा गततववथि िा चयन िरने िे बाि ही उसे िब्िबद्ि िरें ।
(iii) डायरी अत्यंत तनिी वटतु है। इसे सिा यही मानिर ललखें कि उसिे पाठि भी आप टवयं हैं और लेखि भी।इससे
भार्ा-िैली टवाभाववि बनी रहती है।
(iv) डायरी में भार्ा िी िुद्िता और िैली िी वविेर्ता पर ध्यान नहीं िे ना चादहए। मन िे भावों िो टवाभाववि वेग
से जिस रूप में भी प्रटतुत किया िाए, वही डायरी िी िैली होती है।
(v) डायरी समिालीन इततहास होता है। अतः डायरी ललखते समय हमें इस बात िा भी ध्यान रखना चादहए। डायरी में
डायरी लेखि िे भावों और तत्िालीन समाि िो टपष्ट िे खा िा सिता है ।
उत्तर-डायरी ललखते समय हमें सहि, व्यावहाररि तिा आडंबरववहीन भार्ा-िैली िा प्रयोग िरना चादहए। मानव एवं
सादहजत्यि भार्ा-िैली िे प्रयोग िे मोह में हम डायरी में अपनी भावनाओं िो सहि रूप से व्यतत नहीं िर सिते।
डायरी में भावों िो सवषत्र सहिता से प्रिट होने िा अवसर लमलना चादहए। मन में उत्पन्न भाव अत्यंत सरलता से
िब्िों में ढलते िाने चादहए। डायरी-लेखन प्रत्येि अच्छी-बुरी बात िो सहि रूप से ललखा िाता है । इसललए इसमें
भार्ा-िैली िे आडंबरपूणष होने िा अवसर ही नहीं होता है। डायरी में आप अपनी बात िैसे चाहें और जिस ढं ग से चाहें
ललख सिते हैं। यही डायरी िी भार्ा-िैली िी वविेर्ता है । डायरी िी भार्ा-िैली समटत बंिनों से मुतत होती