जय चननचर्चत कुणलमणडत कौसतभशोभित दे हि पदम् ॥१॥ जय पंकजलोचन मारविमोहन पापविखणन दे हि पदम्। जय वेणुनिनादक रासविहारक बकिमसुनर दे हि पदम्॥ २॥ जय धीरधुरनर अदभ तसुनर दै वतसेवित दे हि पदम्। जय विशविमोहन मानसमोहन संस्थतिकारण दे हि पदम्॥३॥ जय भकजनाशय नितसुखालय अनतमबानव दे हि पदम्। जय दु र्नशासन केलिपरायण कालियमर् न दे हि पदम् ॥४॥ जय नितनिरामय दीनदयामय चिनय माधव दे हि पदम्। जय पामरपावन धर्परायण दानवसूदन दे हि पदम् ॥ ५॥ जय वेदविदांवर गोपवधूपरय वृनदवनधन दे हि पदम्। जय सतसनातन दु र्तिभञन सजनरञन दे हि पदम्॥६॥ जय सेवकवतल करणासागर वाञछतपूरक दे हि पदम्। जय पूतधरातल दे वपरातर सतगुणाकर दे हि पदम् ॥ ७॥ जय गोकुलभूषण कंसनिषूदन साततजीवन दे हि पदम्। जय योगपरायण संसृतिवारण बहनिरञन दे हि पदम् ॥८॥