वह जन्मभूमि मेरी

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वह जन्मभूमि मेरी, वह मातभ

ृ ूमि मेरी।
ऊँचा खड़ा हिमालय आकाश चम
ू ता है ,
नीचे चरण तले झक
ु , नित सिंधु झम
ू ता है ।
गंगा यमन
ु ा त्रिवेणी नदियाँ लहर रही हैं,
जगमग छटा निराली पग-पग छहर रही है ।
वह पण्
ु य भमि
ू मेरी, वह स्वर्ण भमि
ू मेरी।

प्रस्तत
ु पंक्तियों में कवि ने भारत भमि
ू की विशेषताओं का गण
ु गान किया है । कवि ने भारत के
उत्तर में खड़े हिमालय पर्वत जो आकाश को चूमता है हमारे भारत के गौरव का प्रतीक है ।
दक्षिण दिशा में स्थित हिंद महासागर भारत माँ के चरणों का स्पर्श करके मानो अपने सौभाग्य
पर इतराता है । इस दे श में गंगा यमुना और सरस्वती जैसी पवित्र नदी का अनोखा संगम है ।
इसी कारण कवि को अपनी जन्मभमि
ू पर गर्व है । यह उसकी पुण्यभमि
ू और स्वर्ण भूमि भी है ।
 
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातभ
ृ ूमि मेरी।
झरने अनेक झरते जिसकी पहाड़ियों में ,
चिड़िया चहक रही हैं, हो मस्त झाड़ियों में ।
अमराइयाँ घनी हैं कोयल पुकारती है ,
बहती मलय पवन है , तन मन सँवारती है ।
वह धर्मभूमि मेरी, वह कर्मभूमि मेरी।

कवि कहते हैं कि भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में कल कल बहते हुए झरने यहाँ की शोभा बढ़ाते हैं।
इसी दे श की झाड़ियों में चिड़िया निरं तर चहकती रही है तथा वातावरण को आनंदमय बनाती है ।
दे श में बड़े-बड़े आमों के पेड़ है जहाँ पर कोयल सदा पुकारती रहती है । मलय पर्वत से आने
वाली सुगंधित वायु तन-मन को सँवारती रहती है । इसी कारण कवि अपनी जन्मभमि
ू को
धर्मभूमि और कर्मभमि
ू भी मानता है ।
 
वह जन्मभमि
ू मेरी वह मातभ
ृ मि
ू मेरी।
जन्मे जहाँ थे रघप
ु ति, जन्मी जहाँ थी सीता,
श्रीकृष्ण ने सन
ु ाई, वंशी पन
ु ीत गीता।
गौतम ने जन्म लेकर, जिसका सय
ु श बढ़ाया,
जग को दया सिखाई, जग को दिया दिखाया।
वह युद्ध-भूमि मेरी, वह बुद्ध-भमि
ू मेरी।
वह मातभ
ृ मि
ू मेरी, वह जन्मभूमि मेरी।
कवि ने इस भूमि पर जन्म दे ने वाले वीर महापुरुषों जैसे राम-सीता, कृष्ण, गौतम आदि तथा
उनके कार्यों का उल्लेख किया है । मर्यादा परु
ु षोत्तम राम और आदर्श सीता ने अपने चरित्र से
मानव जाति को प्रेरणा दी है । श्रीकृष्ण के निष्काम कर्मयोग तथा बद्
ु ‌ध के ज्ञान और दया ने इस
दे श को महिमाशाली बनाया है ।
 
यहाँ अनेक धर्मों की स्थापना हुई जिससे मनुष्य को एक नई जीवन दृष्टि मिली यह दे श कर्म
प्रधान दे श है । ये वह मातभ
ृ मि
ू है जो सदै व कर्म और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दे ती है ।
कवि कहते हैं कि यह भारत भमि
ू ऐसी भूमि है जो शांति और अहिंसा की वाहक है तथा धर्म
और न्याय की रक्षक है ।

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