Maanas Paath - Baalkand

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भोजन करत चपल चचत इत उत अवसरु पाइ। भाचज चले चकलकत मुख दचि ओदन लपटाइ॥

-:चौपाई :-

बालचरित अतत सिल सहु ाए । सािद सेष संभु श्रतु त गाए ॥


तिन्ह कि मन इन्ह सन नतहं िाता । ते िन बंतचत तकए तबधाता ॥
भए कुमाि िबतहं सब भ्राता । दीन्ह िनेऊ गरुु तपतु माता ॥
गिु गहृ ँ गए पढ़न िघिु ाई । अलप काल तबद्या सब आई ॥
िाकी सहि स्वास श्रतु त चािी । सो हरि पढ़ यह कौतक ु भािी ॥
तबद्या तबनय तनपनु गनु सीला । खेलतहख ं ेल सकल नपृ लीला ॥
कितल बान धनषु अतत सोहा । देखत रूप चिाचि मोहा ॥
तिन्ह बीतिन्ह तबहितहं सब भाई । ितकत होतहं सब लोग लगु ाई ॥
-:दोहा :-

कोसलपरु बासी नर नारर बद्ध


ृ अरु बाल । प्रानहु ते चप्रय लागत सब कहुुँ राम कृपाल ॥
-:चौपाई :-

बंधु सखा सँग लेतहं बोलाई। बन मगृ या तनत खेलतहं िाई॥


पावन मगृ माितहं तियँ िानी। तदन प्रतत नपृ तह देखावतहं आनी॥
िे मगृ िाम बान के मािे । ते तनु तति सिु लोक तसधािे ॥
अनिु सखा सँग भोिन किहीं। मातु तपता अग्या अनसु िहीं॥
िेतह तबतध सख ु ी होतहं पिु लोगा। कितहं कृपातनतध सोइ संिोगा॥
बेद पिु ान सनु तहं मन लाई। आपु कहतहं अनिु न्ह समझु ाई॥
प्रातकाल उति कै िघनु ािा। मातु तपता गरुु नावतहं मािा॥
आयसु मातग कितहं पिु कािा। देतख चरित हिषइ मन िािा॥
-:दोहा :-

ब्यापक अकल अनीह अज चनगुन नाम न रूप। भगत हेतु नाना चबचि करत चररत्र अनपू ॥

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