विभाजन और स्त्री

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विभािन की िासदी और स्त्री


●प्रो. शंभु गु प्त
अिकाश प्राप्त, महात्मा गााँ िी अंिरराष्ट्रीय तहं दी तिश्वतिद्यालय
ििाव , महाराष्ट्र

सारांश
भारि-तिभाजन की िािदी का जेंडरगि अध्ययन : एक आिश्यक लेखकीय कायवभार
भारि-तिभाजन की ऐतिहातिक घटना का क्कस्त्रयों की तजंदतगयों पर क्ा प्रभाि पड़ा; यह दे खना
दरअिल एक िािदी िे गुजरने जैिा अनुभि है । िैिे िो तकिी भी दे श के तिभाजन का उि दे श के
प्रत्येक व्यक्कक्त पर प्रभाि पड़िा है , लेतकन क्कस्त्रयों पर इिके कुछ तभन्न प्रभाि एिं पररणाम दे खे जािे हैं .
ये प्रभाि व्यक्कक्तगि, िामातजक एिं आतथवक िब प्रकार के हो िकिे हैं . इन पररणामों और प्रभािों का
जेंडरगि अध्ययन एक आिश्यक लेखकीय कायवभार है .
यह अध्ययन इन िार तिषय-तिस्तार तबन्दु ओं के माध्यम िे िम्न्न तकया जाएगा-
1. भारि का तिभाजन तकन तिशेष क्कथथति-पररक्कथथतियों के बीि हुआ? ये क्कथथति-पररक्कथथतियााँ कैिे
उत्पन्न हुईं और इनके पीछे कौन लोग थे. इिके अतिररक्त यह भी तक भारि-तिभाजन के क्ा
पररणाम हुए?
2. तिभाजन की िािदी एक िािदी कैिे है ? ऐिी टर े जेडी दु तनया में दू िरी नहीं है ?
3. तिभाजन के दौरान स्त्री पर हुई तहं िा के तितिि रूपों का तिस्तृि तििरण और तिश्लेषण ?
4. तिभाजन की िािदी का क्कस्त्रयों के जीिन पर पड़े प्रभाि का मूल्ाङ्कन करना |

तिभाजन की िािदी का िबिे िां घातिक और शमवनाक पहलू क्कस्त्रयों पर की गई बेिरह तहंिा
है । तिभाजन के िमय और उिके बाद क्कस्त्रयों पर की गई तहं िा को, उिके तितभन्न रूपों को तिशेष रूप
िे उद् घातटि तकया जाना प्राथतमक िौर पर जरूरी है . यहााँ हमने इि पर ध्यान दे ने की कोतशश की है ।

िीि शब्द
भारि-तिभाजन जेंडरजेंडरगि अध्ययन इतिहाि स्त्रीिाद िािदी स्त्री पर तहं िा
िाम्प्रदातयक, ध्रुिीकरण, तपिृित्ता, यौन तहं िा, मुक्किम लीग, तहन्दू िाद, पातकस्तान, शरणाथी,
मुहातजर, थथान्तरण, िाम्प्रदातयक दं गा, भारिीय उपमहार्द्वीप, िातमवक अतििाद,पाटीशन, कुलदीप
नैयर,DeccanHerald 1947, ऑनर तकतलंग, युद्धबंदी, बलात्कार, तिथथापन, िामूतहक
आत्महत्या, इतिहाि का पुनरिलोकन इत्यातद |
तहं िा के अतिररक्त एक अनिरि जारी िािदी के बिौर यहााँ तिभाजन को तलया गया है । िाम्प्रदातयक
ध्रुिीकरण की प्रथा और परम्रा आज भी लगािार जारी है । इिका स्पष्ट् िात्पयव यह है तक तिभाजन की
प्रतिया आज ित्तर िाल के बाद भी जारी है !इि िम्बन्ध में तपछले कुछ िषों में इि तिषय पर हुए
िाजािरीनतििार-तिमशव, िंगोतष्ठयों इत्यातद में हुई ििाव को तिशेषिः दे खा जा िकिा है। हमने इिी
तििार-तिमशव और ििाव को अपना िान्दतभवक आिार बनाया है . एित्संबंिीिामग्री नेट िथा कुछ इिर
प्रकातशि पि-पतिकाओं में उपलब्ध है । िमकालीन तहन्दी कतििा एिं कहानीमें इि मुद्दे पर पयाव प्त
िामग्री मौजूद है । तबना िातहक्कत्यक िंदभों के कोई तिषय-तिश्लेषण अिूरा ही रहिा है ।

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विभािन की घिना और िेंडर का सन्दभश 14 अगस्त को पातकस्तान अतिराज् और 15 अगस्त को


प्राथथातनक िौर पर हमें यह मान कर िलना िातहए तक दे श भारिीय िंघ की थथापना की गई। इिी के िाथ बंगाल प्रान्त
में घटी तकिी भी घटना का प्रभाि क्कस्त्रयों पर तभन्न प्रकार िे को पूिी पातकस्तान और भारि के पतिम बंगाल राज् में बााँ ट
पड़िा है ; िह घटना िाहे तफर राजनीतिक हो,आतथवक हो, तदया गया.
िां स्कृतिक हो, िातमवक हो या तकिी और प्रकार की। क्कस्त्रयों अंग्रेजों ने भारि में प्रारं भ िे ही फूट डालो राज करो
पर उिका एक तभन्न ही प्रभाि पड़िा है । ित्तर िाल पहले की नीति अपनाई। उनकी यह नीति िमव के मामले में िबिे
घटी भारि-तिभाजन की घटना का भी क्कस्त्रयों पर िबिे अलग घािक थी. उन्होंने तहन्दू और मुिलमान दोनों को इि िीमा
प्रभाि पड़ा था। इि प्रभाि के मूल में जेंडर की क्कथथतियााँ हैं . िक परस्पर तिरोिी बना तदया तक िे एक िाथ रहने के तििार
के ही दु श्मन हो गए। मुहम्मद अली तजन्ना ने लाहोर में 1940
भारि जैिे परम्रािादी, रूतढ़िादी, तपछड़े ,
में मुक्किम लीग के िम्मेलन में िाफ-िाफ कहा तक िे दो
पौरातणक िमाजों में तपिृित्ता की क्कथथतियााँ अत्यंि दृढ़ और
अलग राष्ट्र िाहिे हैं ।तहं दूिादी नेिाओं और िंगठनों ने भी
बहुव्यापी हैं । स्त्री के प्रति भारि जैिे दे शों में अभी भी
िातमवक अलगाि को बढ़ाने में भरपूर योगदान तकया। कां ग्रेि
दे हिादी, िेक्सिादी, लम्ट रिैया अतिकिर दे खने में आिा
और तिशेषिः महात्मा गााँ िी इिके तिरोिी थे ; हालााँ तक आगे
है । इिके आलािा स्त्री को उिकी जाति, िगव, कुटु म्ब, दे श
िलकर दोनों को इिे स्वीकार करना पड़ा।
इत्यातद का प्रिीक-प्रतितनति मानकर उिे अपमातनि,
तिभाजन के िमय पूरे दे श में भयंकर दं गे-फ़िाद
जलील, पददतलि कर उिकी पूरी जाति, िगव, कुटु म्ब, दे श
हुए।िीमाििी प्रान्तों और इलाक़ों में भारी नरिंहार हुआ।इि
इत्यातद िे ‘बदला’ तलया जािा है । स्त्री को तनशाना बनाकर
तिभाजन में लाखों की िंख्या में आबातदयों का थथान्तरण
बदला लेने की यह प्रथा और परम्रा पूरी दु तनया में बहुि
हुआ। लाखों की िंख्या में स्त्री-पुरुष शरणाथी बने। भारि में
पुरानी और बहुप्रितलि है । आज भी इिके उदाहरण पयाव प्त
िो पातकस्तान िे आए शरणाथी शीघ्र घुलतमल गए लेतकन
दे खने में आिे हैं ।
पातकस्तान गए मुिलमान आज भी िहााँ ‘मुहातजर’ कहलािे हैं
तिभाजन के िमय भारि और पातकस्तान दोनों ही
और उन्हें पराया िमझा जािा है ।
दे शों में एक-दू िरे के दे शों की औरिों के िाथ बेिरह की गई
तिभाजन के िमय कई लाख लोग मारे गए थे। कुछ
यौतनक बदिलूतकयााँ इिके ज्वलन्त उदाहरण हैं।
िो दं गा-फ़िादों में िथा कुछ िीमाओं पर थथान्तरण के
िाम्प्रदातयक दं गों में भी क्कस्त्रयों के िाथ इिी िरह की यौन
िमय।लाखों औरिें बलात्कार, हत्या, तहं िा की तशकार
तहं िा आए तदन दे खने में आिी है । बलात्कार, िामूतहक
हुईं।अनतगनि क्कस्त्रयााँ तितक्षप्त हो गईं।बहुिों का अपहरण
बलात्कार, अपहरण, अगिा कर इिर-उिर कर दे ना इत्यातद हुआ और गायब कर दी गईं। िमव और िम्प्रदाय के नाम पर
िारदािें क्कस्त्रयों के िाथ होिी ही रहिी हैं । तिभाजन के िमय दे श के बाँटिारे ने इन दोनों दे शों के बीि एक ऐिी राजनैतिक
ऐिी घटनाएाँ काफी बड़ी िं ख्या में हुईं और क्कस्त्रयााँ इनकी खाई पैदा की तक आज भी िम्बन्धों में खटाि क़ायम है ।दोनों
भीषण तशकार हुईं। इि िब पर तिज्ञ और तिस्तार-पूिवक
दे शों की आम जनिा एक-दू िरे को बहुि िाहिी है ,दोनों दे शों
तििार तकए तबना तिभाजन की िािदी का अिल रूप पहिान
की आम जनिा के बीि अनेक प्रकार के पाररिाररक ि अन्य
में न आएगा। यौतनकिा स्त्री की यतद िबिे बड़ी तिशेषिा है
िम्बन्ध अभी भी जारी हैं , तकन्तु दोनों दे शों की राजनीतिक
िो तपिृित्ता के मानकों के िहि यही उिकी िबिे बड़ी कमी
जमाि दोनों दे शों के बीि की खाई को पटने नहीं दे ना िाहिी।
और कमजोरी भी बन जािी है!
तिभाजन की िािदी का िबिे अतिक अतभशाप दोनों िरफ़
भारत-विभािन की ल्पस्थवत-पररल्पस्थतयाँ की क्कस्त्रयों ने झेला। तजिके अन्तगवि क्कस्त्रयों का अपहरण,
और पररणाम अथाशत् इन्सानी खून से रं गा पन्ना बलात्कार, अन्य अनेक प्रकार की यौन-तहं िा और अत्यािार
भारि का तिभाजन माउन्टबेटन योजना के आिार पर िैयार इत्यातद बड़े पैमाने पर अिघतटि हुए।तिभाजन के िमय, जब
भारिीय स्विंििा अतितनयम 1947 के िहि हुआ था। इि आबातदयों का बड़े पैमाने पर परस्पर थथानां िरण हुआ, दं गे-
अतितनयम में कहा गया है तक भारि ि पातकस्तान स्वायत्त बलिे हुए, िो उनमें औरिों को ख़ाि िौर िे तनशाना बनाया
बना तदए जाएाँ गे और तब्रतटश िरकार उन्हें ित्ता िौंप दे गी। गया था।

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तिभाजन की िािदी के पररणामों का लेखन और अंकन शब्दों में बयान नहीं तकया जा िकिा. ××× यह ग्रीक टर े जेडी
इतिहाि की तकिाबों में िो तमलिा ही है , तहं दी, उदू व और की िरह थी.” (िही)। इि िािदी का िबिे भयािह पक्ष यह
अंग्रेजी के भारिीय एिं पातकस्तानी िातहत्य में भी बराबर था तक “तहन्दू और मुिलमान दोनों ईश्वर में आथथा के नाम
तमलिा है । इन भाषाओं में भारि और पातकस्तान दोनों ही पर, ईश्वर और अल्लाह का नाम- ‘हर-हर महादे ि’िथा ‘या
दे शों में प्रभूि िंख्या में ऐिे िातहत्य की रिना हुई है , जो दे श- अली’- लेिे हुए एक-दू िरे के िलिार और बरछी घौंप रहे थे.”
तिभाजन की तिषयिस्तु को आत्मिाि तकए हुए है ।इनमें (िही)। इि लेख में उन्होंने यह भी तलखा तक तिभाजन में हुई
उपन्याि, कहानी, कतििा, ररपोिाव ज आतद तििाओं में तहं िा और िूरिा के िबिे अतिक तशकार दोनों ही िरफ़ की
मुख्यिः तलखा गया। इन िातहक्कत्यक कृतियों में बहुतिि रूप क्कस्त्रयााँ और बच्चे हुए। (िही)।
िे तिभाजन की िािदी पर तलखा गया है । तिभाजन के कारण, भारि-तिभाजन एक अन्तहीन और अनिरि िािदी
तितभन्न राजनैतिक पातटव यों की उिमें भूतमका, तितभन्न िबकों के बिौर िामने आिा है । इतिहािकार ितलल तमश् ने 12

की दु रतभिंतियााँ , कूटनीतियााँ , अंग्रेजी हुक्मरानों की अगस्त 2012 के DeccanHerald (SundayHerald) में

िालातकयााँ , बड़े राजनैतिक नेिाओं की गतितितियों इत्यातद प्रकातशि अपने ‘The tregedy of Partition’ शीषवक लेख
का तिस्तारपूिवक िणवन इन िातहक्कत्यक कृतियों में तमलिा है । में तलखा है तक भारि का तिभाजन एक अन्तहीन और तनरन्तर
इन िातहक्कत्यक कृतियों में तिभाजन के आि-पाि का िमय जारी रहने िाली िािदी है ।यह दरअिल एक प्रतिया है , जो
जैिे मूतिवि हो गया है । उक्त तिषय-िन्दभों के अतिररक्त 1947 में िो केिल शुरू हुई थी; िस्तुिः यह आज भी जारी
िाम्प्रदातयक दं गे, दं गों की िूरिा, लोगों का िहशीपन भी बड़े है - “तिभाजन कोई अिानक घटी घटना नहीं थी. इिके पीछे
पैमाने पर इन कृतियों में तितिि हुआ है ।यह भारिीय और आगे घटनाओं की एक लम्बी श्ृंखला है । इिके निीजे
उपमहार्द्वीपके लम्बे इतिहाि का इन्सानी खून िे रं गा पन्ना है , आज भी हम भुगि रहे हैं ।”तहन्दी कथाकार स्वयं प्रकाश की
तजिकी याद बार-बार िाजा हो जािी है । एक कहानी कुछ िमय पहले आई थी- ‘पाटीशन’। इि
कहानी में अन्त में एक िाक् आिा है , तजिका िात्पयव भी
भारत विभािन की अन्तहीन और अनिरत िासदी लगभग यही है - “आप क्ा खाक तहस्ट्र ी पढ़ािे हैं ? कह रहे हैं
: पहले से ज़्यादा िढ़ा धावमशक अवतिाद पाटीशन हुआ था! हुआ था नहीं, हो रहा है , जारी है ...”
भारि तिभाजन की िािदी तिश्व इतिहाि की गम्भीरिम
(www.hindisamay.com)। तहन्दी की एक बहुि ही
घटनाओं में िे एक रही है । इि तिभाजन िे तकिे क्ा तमला? महत्वपूणव िातहक्कत्यक और िैिाररक पतिका ‘पहल’ में अभी-
इि मुद्दे पर तििार करिे हैं िो इतिहाि की िरफ़ दे खकर अभी एक युिा कति िुिां शु तफरदौि (तदल्ली) की एक लम्बी
भारी पीड़ा िे मन भर जािा है । प्रतिद्ध पिकार और पूिव कतििा छपी है - ‘िूखिे िालाब की मुरगातबयााँ ’। इि कतििा
राज्िभा िां िद कुलदीप नैयर; जो स्वयं तियालकोट िे में तिभाजन की तनरन्तरिा को बड़ी ही हृदयहारी पीड़ा के
तिथथातपि होकर भारि आए थे;ने आज िे लगभग िीन िाल िाथ उकेरा गया है । कति तलखिा है तक भारि-तिभाजन की
पहले के तलखे अपने एक लेख ‘The tragedy of कारणगि पररक्कथथतियााँ आज भी ज्ों की त्यों तिद्यमान हैं और
Partition’ में तलखा है तक जब उन्होंने आजादी तमलने (यानी जारी हैं ।िाम्प्रदातयक िैमनस्य, इि िैमनस्य िे पैदा होने िाले
तिभाजन) के 32 तदन बाद अपने घर िे िलकर िीमा को पार दं गे, िूरिा और तहं िा, तिभाजनकारी राजनीति; इत्यातद
तकया िो हालााँ तक तहन्दू -मुिलमानों के झगड़े और लूटपाट िो क्कथथतियााँ आज भी जारी हैं और ज्ों की त्यों हैं -
बन्द हो गए थे लेतकन मैंने दे खा तक अपने छोटे -मोटे िामान कहााँ गए िे लोग
को अपने तिर पर लादे इिर-उिर होिे अनेक स्त्री-पुरुषों के तजनकी दु हाई हर तियािी पाप के पहले आज भी दे िे रहिे हैं
िेहरों पर अभी भी ददव की लकीरें थीं। उनके िेहरे िनाि िे हुक्मरान
ग्रस्त थे। उनके पीछे -पीछे उनके डर िे िहमे हुए बच्चे िले तियािि िब भी दे खिी थी तहन्दू -मुिलमान
तियािि अब भी दे खिी है तहन्दू -मुिलमान
जा रहे थे! (द्रष्ट्व्य: The Express TRIBUNE; करािी,
लगाओ नारे थोड़े और जोर िे मजतलिों में िकिीम के
पातकस्तान; 15 अगस्त, 2014)। आगे इि लेख में उन्होंने क्ा हुआ जो िुमने पा तलया है अपना पातकस्तान
तलखा है तक “तिभाजन की िािदी इिनी गहरी है तक इिे क्ा हुआ जो हमने पा तलया तहन्दु स्तान
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क्ा अब नही ं होिा कही ं कोई दं गा? Indian Partition’; The New Yorker का 29 जून
क्ा अब नही ं होिा कही ं कोई कत्लेआम? 2015 का अंक)।
क्ा अब नही ं िोिा भूखा कही ं कोई इन्सान!
(पहल;िम्ादक- ज्ञानरं जन, जबलपुर (म.प्र.); अंक 109; अक्तूबर 2017; पृष्ठ- 24)। विभािन की वहंसा : धमश ने वकस क़दर लोगों
भारिीय िमाज की अन्तः िंरिना दरअिल कुछ
को पागल िना वदया!
ऐिी है तक िहााँ तकिी िमुदाय को तकिी िे अलग नहीं तकया भारि-तिभाजन की िािदी का िबिे दु :खद पक्ष है , इिमें हुई
जा िकिा। यह एक िााँ झी िंस्कृति िाला िमाज है।िमव के तहं िा का स्वरूप और िररि। यह तहं िा पूिवििी ि आम तहं िा
आिार पर तकया गया कोई भी तिभाजन यहााँ अव्यािहाररक िे अलग और तितशष्ट् प्रकार की थी। तिभाजन की इि तहं िा
और टर े तजक ही होगा।प्रतिद्ध पातकस्तानी इतिहािकार की तनम्नतलक्कखि प्रिृतत्तयााँ रहीं, जो इिे अन्य प्रकार की
आयेशाजलाल ने तलखा है तक “तिभाजन बीििीं शिाब्दी के तहं िाओं िे अलग करिी हैं -
दतक्षण एतशया की िबिे केिीय ऐतिहातिक घटना है । यह 1. यह तहं िा िामूतहक या िमू हबद्ध थी।ठट्ठ के ठट्ठ एक-दू िरे
एक ऐिा िाकया हुआ है , तजिकी न शुरुआि का पिा िलिा पर टू ट पड़िे थे और जो भी घरे लू तक़स्म का हतथयार हाथ
है , न अन्त का। उत्तर-औपतनिेतशक दतक्षण एतशया जब भी लगा, उिी िे ‘दु श्मन’ पर तपल पड़िे थे; जैिे िलिार, फरिा,
अपने अिीि, ििवमान और भतिष्य पर तििार करे गा, कुल्हाड़ी, लाठी, बरछी; आतद-आतद।
तिभाजन का उि पर जरूर अिर तदखेगा।” (तितलयम 2. इि तहं िा में शातमल लोग पेशेिराना हत्यारे नहीं थे , अतपिु
डे लररम्ल; ‘The Bloody Legacy of Indian Partition’; िािारण लोग थे।ये अतिकां शिः िे लोग थे जो अमूमन
The NewYorker; 29 जून 2015) शाक्कन्ततप्रय होिे हैं । लेतकन तिभाजन के दं गों में ये अिानक
तिभाजन एक तनरन्तर िािदी की िरह लगािार िहशी हो उठे ।
जारी रहा है । तिभाजन के बाद भारि और पातकस्तान छोटे - 3. इतिहािकार ितलल तमश् ने इि तहं िा के एक तितशष्ट् िररि
बड़े युद्धों में िीन बार आमने -िामने तभड़ िुके हैं । इिी िम की ओर इं तगि तकया है । यह तितशष्ट् िररि है -
में 1971 में पातकस्तान का एक बार तफर तिभाजन हुआ और तिकल्पहीनिा।ितलल तमश् ने अपने लेख
बां ग्ला दे श बना।बां ग्ला दे श के तनमाव ण में भारि की केिीय ‘ThetregedyofPartition’ में तलखा है तक “उन्होंने तकिी
भूतमका थी। तिभाजन के बाद इन दोनों-िीनों दे शों के बीि आिेश या घृणा के िलिे िामने िाले को नहीं मारा। बक्कि
िनाि की क्कथथतियााँ लगािार बनी हुई हैं । पातकस्तान और इि अन्दे शे में मारा तक यतद मैंने इिे नहीं मारा िो यह मुझे
भारि के बीि कश्मीर एक अन्तहीन िमस्या की िरह बना मार डालेगा। उन्होंने मारे जाने, ख़ुद मरने के थथान पर िामने
हुआ है । इिे लेकर कई युद्ध िो हो ही िुके हैं , इिके अलािा िाले को मारना ज़्यादा बेहिर िमझा।” (DeccanHerald
तपछले िीि िाल िे पातकस्तान की िेना िथा ख़ुतफ़या एजेंिी (SundayHerald); 12 अगस्त 2012)।
आई एि आई र्द्वारा भारि के तिरुद्ध प्र क्सी-िार तनरन्तर िालू 4. इि तहं िा का स्वरूप िाम्प्रदातयक था। इिमें एक िरफ़
तकया हुआ है । तहन्दू और तिख थे िो दू िरी िरफ़ मुिलमान थे। तिशेषिः
तिभाजन की िािदी अभी जारी है । आज भी िीमाििी इलाक़ों में तहं िा ज़्यादा हुई। यह तहं िा एक-दू िरे
क्कथथतियााँ बदली नहीं हैं । बक्कि आज िो क्कथथतियााँ और ज़्यादा को नेस्तनाबूद करने के मक़िद िे की गई थी। यह तहं िा
बदिर हुई हैं । आज की िारीख में दोनों दे शों के बीि बाििीि िामने िाले पर केिल हतथयारों िे हमले के रूप में नहीं थी
ही बन्द है ।तितलय मडे लररम्ल ने अपने उक्त लेख के अन्त बक्कि घर, दु कान, या जो कुछ िामने तदखे, उिे आग के
में तलखा है तक- “आज की क्कथथतियााँ भी ज़्यादा उत्साहिद्धव क
हिाले कर दे ने, जलाकर राख कर दे ने के रूप में भी थी।यह
नहीं हैं । तदल्ली में इि िमय एक ऐिी कट्टर दतक्षणपन्ी
जाति-िंहार (genocide) के रूप में िामने आई।
िरकार है तजिने इिामाबाद िे बाििीि बरिरफ़ कर दी
TheNewYorker के 29 जून 2015 के अंक में प्रकातशि
है । दोनों दे श इि िमय िातमवक अतििाद में पहले की अपेक्षा
अपने ‘The Bloody Legacy of Indian Partition’
कहीं ज़्यादा तगरफ़्त में हैं । एक िरह िे 1947 अभी भी जारी
शीषवक लेख में William Dalrymple ने तलखा है तक “यह
है । िह ख़त्म नहीं हुआ है ।”(‘The Bloody Legacy of

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परस्पर जाति-िंहार तनिान्त अप्रत्यातशि था क्ोंतक ऐिा भयंकर िािदी बनाने में क्कस्त्रयों पर हुई तहं िा का एक बड़ा
पहले कभी हुआ नहीं था।”आगे उन्होंने यह भी तलखा तक इि हाथ है ।क्कस्त्रयों पर तहं िा, यौन-तहं िा, के तजिने रूप यहााँ तमले,
तहं िा के कई रूप थे। इिने िारी हदें पार कर दीं- “यह िे आज िक अन्यि कहीं नहीं दे खे गए। भारि-तिभाजन के
हत्याकाण्ड बहुि ही प्रिण्ड था। इिमें िामूतहक हत्याएाँ , िमय क्कस्त्रयों पर हुई व्यापक िूर तहं िा आज भी बहि और
आगजनी, बलपूिवक िमव-पररििवन, िामूतहक अपहरण और तििार का मुद्दा बना हुआ है ।
बबवर यौतनक तहं िा; यह िब-कुछ हुआ।” तिभाजन के दौरान क्कस्त्रयों पर हुई तहं िा, अत्यािार, यौन-
(http://www.newyorker.com/magazine/2015/0 तहं िा, जेंडर के आिार पर हुए अत्यािार-अन्याय इत्यातद को
6/29/the-great-divide-books-dalrymple)। तनम्नतलक्कखि तबन्दु ओं में तनबद्ध तकया जा िकिा है -
5. तितलयमडे लररम्ल ने अपने इिी लेख में तनतिद हजारी 1. तिभाजन के दौरान ऑनरतकतलंग के दृश्य भी तदखाई
र्द्वारा अपनी पुस्तक ‘Midnight’s Furies’में दजव इि िथ्य तदए थे। ये तहन्दु स्तान में नये युग के ऑनरतकतलंग के
का उल्लेख तकया है तक तिभाजन की तहं िा की बबवरिा उदाहरण माने जा िकिे हैं।इिके अन्तगवि इि
नातजयों के डे थकेम्ों िे भी बदिर थी।तनतिद हजारी ने तलखा आशंका के डर िे तक हमारे घर की औरिें कहीं
है तक गभवििी मतहलाओं के स्तन काट तदए गए और उनका तकिी तििमी के हाथ न पड़ जाएाँ , घर िालों ने ख़ुद
पेट िीर कर गभवथथ तशशु को तनकालकर टु कड़े -टु कड़े कर अपने घर की क्कस्त्रयों को मौि की नींद िुला
तदया गया िथा तशशुओं को िलाखों पर शब्दशः भूना तदया।ितलल तमश् ने अपने लेख ‘The tregedy of
गया।[िन 2002 के गुजराि दं गों में एक बार तफर ऐिे दृश्य Partition’ में तलखा है तक “तपिृित्तािातदयों ने अपने
तदखाई तदए थे।]। घर की औरिों को, तकिी और के र्द्वारा बेइज़्ज़ज़्ज़ि हो
तहं िा का यह रूप अन्य तहं िाओं िे तभन्न है ।यह तहं िा जाने िे बिाने के तलए स्वयं ही मौि के घाट उिार
यहीं दे खने को तमली। जब यह बिाल थम गया और िीजें तदया। उन्हें अपने घर की औरिों को मार दे ना एक
पटरी पर आईं िो लोगों को आियव हुआ तक उन्होंने कैिे माि िम्मानजनक तिकल्प लगा होगा!”
इिनी बबवरिा कर दी! भारिीय उपमहार्द्वीप के लोग (DeccanHerald (SundayHerald; 12 अगस्त
िामान्यिः शाक्कन्ततप्रय हैं । तकन्तु िमव ने जैिे उन्हें तहं िक पागल 2012)।उिवशी बुटातलया ने मौक्कखक इतिहाि-पद्धति
बना तदया! तिर्द्वानों का मि है तक दु तनया में कहीं भी अन्यि पर तलखी गई अपनी तकिाब ‘The Other Side of
ऐिी तिभाजन की तहं िा नहीं हुई। Silence: Voices from the Partition of India’
में अपने घर की क्कस्त्रयों को अपने ही घर के लोगों
विभािन की िासदी और स्त्री : र्द्वारा मार तदए जाने का तिस्तार िे तििेिन तकया
वहंसा का िेंडरगत विभेद अथाशत् ििशरता है ।Scroll.In पर प्रकातशि अपने एक लम्बे
तिभाजन की िािदी का िबिे िां घातिक प्रभाि क्कस्त्रयों पर िाक्षात्कार ‘Men killed their own women and
पड़ा।इतिहाि की तकिी भी घटना का प्रभाि जेंडर कारणों children during Partition, but freedom
िे क्कस्त्रयों और पुरुषों पर अलग-अलग पड़िा है । पुरुषों पर overshadowed that horror’ में उन्होंने तलखा-
की जाने िाली और क्कस्त्रयों पर की जाने िाली तहं िा में अन्तर “पुरुषों को इि बाि का डर था तक जब िे बिकर
होिा है ।पुरुषों पर जहााँ मारपीट, हत्या, अंग-भंग इत्यातद होिी भाग रहे होंगे, घोड़ों पर िढ़ रहे होंगे, हतथयार िला
है िो क्कस्त्रयों पर इनके िाथ-िाथ अपहरण, रहे होंगे, िेजी िे तनकल जा रहे होंगे; िब क्कस्त्रयााँ और
बच्चे ऐिा नहीं कर िकेंगे।” (अशरफ, एजाज:
दािीत्व,एकल/िामूतहक बलात्कार, गभवििी मतहलाओं के
QuartzIndia; 14 अगस्त 2016)।उिवशी बुटातलया
भ्रूण की हत्या, पति एिं बच्चों की हत्या कर उन्हें तनरातश्ि कर
ने अपनी इिी तकिाब में इि िथ्य को भी रे खां तकि
दे ना; इत्यातद-इत्यातद भी होिा है ।तकिी भी जातििादी,
तकया तक अपने घर की क्कस्त्रयों को अपने ही घर के
िाम्प्रदातयक, कबीलाई दं गे-फ़िादों में क्कस्त्रयााँ इिी िरह की
लोगों र्द्वारा मार तदए जाने का एक कारण यह भी रहा
कुछ अलग तक़स्म की जेंडर तहं िा की तशकार होिी हैं । भारि-
तक क्कस्त्रयों को अपनी कौम/िमाज/िमुदाय की
तिभाजन दु तनया की एक बड़ी िािदी मानी जािी है । इिे एक
प्रतिष्ठा का प्रिीक माना जािा रहा है । यह प्रतिष्ठा
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बिी रहे , दू िरी कौम/िमुदाय/िमाज के लोगों के हैं ।”(द्रष्ट्व्य :अशरफ, एजाज: QuartzIndia; 14
हाथ िे न पड़ें , इितलए उन्हें ख़ुद मार दे ना ही िबिे अगस्त 2016)।कुछ लेखक/ इतिहािकार ऐिी
उतिि है !उन्होंने कहा तक-“क्कस्त्रयााँ अपने िमुदाय की क्कस्त्रयों की िंख्या 1,00,000 िक मानिे/ मानिी हैं।
प्रतिष्ठा की प्रिीक मानी जािी रही हैं । आज भी मानी 3. भारि-तिभाजन में जनिंख्यायों के तिथथापन की
जािी हैं । मुिलमानों की अपेक्षा तहन्दु ओं और तिखों पररघटना में क्कस्त्रयों के िाथ कई अमानिीय और िूर
में यह अतिक दे खा जािा है । उन लोगों को डर था मजाक हुए। ऊपर तजन अपहृि क्कस्त्रयों की ििाव हुई,
तक उनकी औरिें अपहृि की जा िकिी हैं , उनका उनके िाथ एक के बाद एक कई ज्ादतियााँ हुईं।
बलात्कार हो िकिा है , तजिके पररणामस्वरूप िे तजन क्कस्त्रयों का अपहरण तकया गया था, उनका
दू िरे िमुदाय के रक्त िे िंितमि हो जा िकिी हैं ।” तििाह उनके अपहिाव ओं के िाथ करा तदया गया।
(िही)। िीरे -िीरे जब इन क्कस्त्रयों ने अपने नए घरों और
2. क्कस्त्रयों को अपनी जाति की अक्कस्मिा या इज्जि का माहौल में स्वयं को तकिी भी िरह व्यिक्कथथि कर
प्रिीक माना जािा है । ऐिी िैिाररक मान्यिा तलया; िो इन दोनों दे शों की िरकारों ने अपनी-
परम्रागि रूप िे प्रायः हर िमाज में पाई जािी है अपनी क्कस्त्रयों कीअदला-बदली करिे हुए िापि लेने
तक तकिी िमाज िे बदला लेना है या उिे कोई का तनणवय तलया। िोिा जा िकिा है तक यह तनणवय
िबक़ तिखाना है या उिे उिके तकए की िजा दे नी तकिना अमानिीय और अपमानजनक रहा होगा।
है ,िो उि िमाज की क्कस्त्रयों को कुिलना, उन पर ितलल तमश् ने क्कस्त्रयों की इि अदला-बदली की
अत्यािार, तहं िा, उन्हें तठकाने लगाना शुरू कर दो; िुलना दो दे शों के युद्धबक्कन्दयों की अदला-बदली िे
िह िमाज ख़ुद-ब-ख़ुद िुम्हारे अंकुश-िले आ की है । (DeccanHerald (SundayHerald; 12
जाएगा!इि आिार पर तहन्दू और मुिलमान दोनों अगस्त 2012)।इि िारी कारव िाई का अिर इन
िमुदायों के िातमवक और िाम्प्रदातयक रूप िे क्कस्त्रयों की मानतिकिा पर बहुि घािक रूप में
िहशी हुए पुरुषों ने तििमी िमुदाय की क्कस्त्रयों पर पड़ा। ये क्कस्त्रयााँ दो-दो बार अपने थथानों िे तिथथातपि
भरपूर और भयंकर यौन-तहं िा की। इिमें बलात्कार हुईं। पहले िो अपने मूल घरों िे और तफर उि
िबिे जघन्य तहं िा थी। यह िम दरअिल इि पररिेश िे तजिे उन्होंने (अपहरण और
प्रकार हुआ- पहले िर-पकड़ तफर अपहरण, तफर अपहरणकिाव के िाथ तििाह के बाद) अपना तलया
बलात्कार और तफर अन्त में तहंिा की इन्तेहा के रूप था। अपने माथे पर अपहरण और बलात्कार का
में कहीं-कहीं उिकी हत्या! इि प्रतिया िे तििमी कलंक ओढ़े इन औरिों को अपने मूल घरों में पुनः
िमुदाय के िाथ बदला पूरा हुआ! लगभग 70,000 खपने में भारी तदक़्क़िों का िामना करना पड़ा।
क्कस्त्रयों के िाथ यह िब हुआ। ितलल तमश् ने अपने अनेक लोगों ने उन्हें स्वीकार ही नहीं तकया। अनेक
उक्त लेख ‘The tregedy of Partition’ में एक कहााँ तबला गईं, पिा ही नहीं िला! तिभाजन की
थथान पर तलखा है तक “लगभग 70,000 क्कस्त्रयााँ िािदी का यह िह कहर है , जो केिल औरि पर
पकड़ी गईं। उनका अपहरण हुआ और तफर उन टू टा।(द्रष्ट्व्य : (DeccanHerald (Sunday Herald;
पर बलात्कार हुआ। दू िरे िमव की स्त्री का अपहरण 12 अगस्त 2012)।
उि िातमवक िमुदाय िे बदला लेने का एक मान्य 4. क्कस्त्रयों के इि दु िरफ़ा तिथथापन और अपनी जड़ों
रास्ता बन गया था।” (DeccanHerald िे उखड़ने की िािदी भारि-तिभाजन की एक
(SundayHerald; 12 अगस्त 2012)।उिवशी शमवनाक पररघटना के रूप में िामने आिी है । दोनों
बुटातलया ने भी अपनी तकिाब ‘The Other Side दे शों की िरकारों र्द्वारा क्कस्त्रयों की अदला-बदली एक
of Silence: Voices from the Partition of हास्यास्पद कदम िो था ही, यह क्कस्त्रयों के तलए एक
India’ में इि िथ्य को रे खां तकि तकया है । उन्होंने नई लाइलाज िमस्या लेकर उपक्कथथि हुआ। ऊपर
तलखा है तक “क्कस्त्रयााँ अपने िमुदाय की प्रतिष्ठा की कहा गया तक जब ये क्कस्त्रयााँ अपने स्वदे श मूल घरों
प्रिीक मानी जािी रही हैं । आज भी मानी जािी पर पहुाँ िीं िो इनके घरिालों ने इन्हें स्वीकार नहीं
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तकया।िोिने की बाि है तक ये क्कस्त्रयााँ तफर कहााँ गई the 1947 Partition’ में भारि के Abducted
होंगी! हो िकिा है , कुछ ने कूएाँ में छलााँ ग लगा ली Person’s (RecoveryandRestoration) Act
हो, तकिी ने रे ल के नीिे कटकर जान दे दी हो, कोई 1949 का िन्दभव लेिे हुए तलखाथा- “16 िषव िे
अपना मानतिक िन्तुलन खो बैठी हो और ऊपर के पुरुषों को यह तिकल्प तदया गया था तक िे
पागलखाने पहुाँ ि गई हो, या तकिी ने कुछ और कर अभी जहााँ हैं ,िहााँ िाहें िो रह िकिे हैं । लेतकन
तलया हो! यानी तक यह एक बड़ी भयािह क्कथथति थी। क्कस्त्रयों पर राज् र्द्वारा इिे थोप तदया गया था। उन्हें ,
उि िमय के िातहत्य में यह यथाथव िशक्त रूप िे यतद उनके कोई बच्चे हैं िो उन्हें िहीं छोडकर आने
तितिि हुआ है । इि िम्बन्ध में िआदि हिन मंटो को कहा गया। यतद िे गभवििी थीं िो बािजूद इिके
की कहातनयााँ दे खी जा िकिी हैं । तक गभवपाि ग़ैर-क़ानूनी था, उनका गभवपाि कराया
तिथथातपि और लौटी हुई क्कस्त्रयों के िाथ घरिालों का गया।” (खान, िहमीना: The Express Tribune
यह व्यिहार तकिना अमानिीय और बबवर था, (Blogs); 13 अगस्त 2015)।
इिकी भनक इि बाि िे भी तमलिी है तक उि 5. तिभाजन के िमय अपनी क्कस्त्रयााँ तिितमवयों के हाथ न
िमय महात्मा गााँ िी और प्रिानमंिी पड़ जाएाँ , इिके तलए क्कस्त्रयों र्द्वारा िामूतहक
जिाहरलालनेहरू दोनों ने अपने-अपने स्तर पर इि आत्महत्या की घटनाओं के उदाहरण भी इतिहाि में
प्रिृतत्त की आलोिना की थी।गााँ िीजी ने 7 तदिम्बर, तमलिे हैं । इन क्कस्त्रयों के िामूतहक आत्महत्या के इि
1947 की प्राथवना-िभा में तहन्दू और तिख पररिारों तनणवय के पीछे कौन थे, इि बारे में मिैक् नहीं
और िमुदायों र्द्वारा तिभाजन के दं गों में है ।तिितमवयों के हाथ में पड़ने के क्ा दु िररणाम होिे
अपहरण/बलात्कार की तशकार हुई क्कस्त्रयों के हैं , इि पर ऊपर ििाव की गई।यौन-तहं िा, बलात्कार,
पातकस्तान िे प्रत्याििवन के उपरान्त अंगीकार न जबरन तििाह के अतिररक्त िमव-पररििवन एक बड़ी
तकए जाने के मुद्दे पर बोलिे हुए कहा था- “िह पति पररघटना के रूप में िामने आया। तििाह के तलए
बबवर है और िे मााँ -बाप बबवर हैं , जो अपनी पत्ी/पुिी स्त्री का िमव बदलिाना जरूरी था।िमव-पररििवन
को िापि अपना नहीं रहे हैं । इिमें मेरे तििार िे तििमी पर ििवस्व के प्रिीक की िरह प्रितलि
उि स्त्री का कोई क़िूर नहीं है । िे िो तहं िा की हुआ।तिितमवयों की क्कस्त्रयों का अपहरण करना, तफर
तशकार हुई हैं । इन क्कस्त्रयों पर कलंक लगाना और उनिे तििाह करने के तलए उनका िमव -पररििवन
इन्हें िमाज में स्वीकार-योग्य न मानना अन्यायपूणव कराना; यह एक तनरन्तर िलने िाला तिलतिला
है ।” (Mookerjea-Leonard, Debali; Cornell था।यह नौबि न आए, इितलए क्कस्त्रयों र्द्वारा िामूतहक
University,Ithaca, New York,USA; The आत्महत्या के क़दम उठाने के उदहारण पाए जािे
Journal of Commonwealth Literature; Vol हैं ।अिेषािेन गुप्ता ने अपने एक लेख ‘Looking
40, Issue 2, 2005)।इिी िरह जिाहरलालनेहरू Back at Partirion and Women: A Factsheet’
ने जनिरी 1948 को लगभग ऐिी ही एक अपील में इि िथ्य का तिश्लेषण तकया है । उन्होंने तलखा है
की- “यह एक बहुि ही आपतत्तजनक और ग़लि तक क्कस्त्रयााँ अपने व्यिहार र्द्वारा तपिृित्तात्मकिा का
रिैया है । जो िामातजक रीति-ररिाज इिका िमथवन अन्ततनविवहन करिी दे खी जािी हैं । अपने िमव की
करिे है , िह भत्सवनीय है । इन क्कस्त्रयों को हमारे पतिििा और तिशुद्धिा को बिाए रखने के तिलतिले
कोमल और प्यार-भरे िंरक्षण की जरूरि है ।” में क्कस्त्रयों ने िामूतहक आत्महत्याएाँ कीं।अिेषािेन
(िही) गुप्ता ने इिका एक उदहारण दे िे हुए तलखा है तक
अिल में अपहृि क्कस्त्रयों के लौटने के मामले रािलतपंडी के पाि के थोया खालिा नामक गााँ ि में
में जेंडर के आिार पर दोहरा मापदण्ड अपनाया कोई 96 क्कस्त्रयों ने इि डर िे तक कहीं उनका िमव
गया।िहमीना खान ने The Express Tribune पररििवन न हो जाए,कूएाँ में कूदकर अपनी जान दे
(Blogs)में 13 अगस्त 2015 को प्रकातशि अपने दी। (द्रष्ट्व्य : िेनगुप्ता, अिेषा; ‘Looking Back at
लेख ‘End of silence: A woman’s narrative of
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Partirion and Women: A Factsheet’ शीषवक उिकी जाति, िगव, कुटु म्ब, दे श इत्यातद का प्रिीक-प्रतितनति
लेख ; www.wiscomp.org/ peaceprints.htm)। मानकर उिे अपमातनि, जलील, पददतलि कर उिकी पूरी
6. तिभाजन के पररणामस्वरूप शरणाथी-िमस्या जाति, िगव, कुटु म्ब, दे श इत्यातद िे ‘बदला’ तलया जािा है ।
उत्पन्न हुई।इिमें पुरुष शरणाथी भी थे िथा मतहला
जैिा तक हम जानिे हैं ,भारि-तिभाजन के दौरान यह ििवि
शरणाथी भी। लेतकन जेंडर के आिार पर दोनों की
दे खने में आया।िाम्प्रदातयक दं गों में क्कस्त्रयों पर जबदव स्त यौन-
िमस्याएाँ , पीड़ाएाँ एक-दू िरे िे तभन्न
तहं िा हुई। बलात्कार, िामूतहक बलात्कार, अपहरण, अगिा
थीं।अिेषािेनगुप्ता ने अपने उक्त लेखमें भारि
कर इिर-उिर कर दे ना इत्यातद िारदािें खूब हुईं। पुरुषों को
राज् र्द्वारा पंजाब और बंगाल के शरणातथवयों के तलए
इि िारी तजल्लि िे नहीं गुजरना पड़िा। औरिों को ही यह
अलग-अलग मानदण्ड अपनाए जाने का हिाला
िब झेलना पड़िा है । दरअिल इिीतलए जेंडर-दृतष्ट् िे
तदया है । उन्होंने तलखा है तक बंगाल की बजाय पंजाब
इतिहाि का अध्ययन-पुनरध्ययन तनहायि जरूरी है ।
के शरणातथवयों को िरकार ने ज़्यादा महत्व तदया
था।इन दोनों क्षेिों की मतहला शरणातथवयों के बीि भी
तिभेद तकया जािा था। जैिे तक पंजाब की मतहला
शरणातथवयों को भत्ते के बिौर 20 रुपए तमलिे थे ,
जबतक बंगाल की मतहला शरणातथवयों को माि 12
रुपए तमलिे थे। (द्रष्ट्व्य : िेनगुप्ता, अिेषा;
‘Looking Back at Partirion and Women: A
Factsheet’ शीषवक लेख ;
www.wiscomp.org/peaceprints .htm)।

िेंडर-दृवष्ट से इवतहास का अध्ययन


अन्तिः बिौर तनष्कषव हम अब यह कह िकिे हैं तक भारि-
तिभाजन की ऐतिहातिक घटना का क्कस्त्रयों की तजंदतगयों पर
पुरुषों िे अलग कुछ तितशष्ट् ही प्रभाि पड़ा था। जैिा तक
हमने दे खा, ये प्रभाि व्यक्कक्तगि, िामातजक एिम् आतथवक िब
प्रकार के थे। जेंडर की तभन्निा के िलिे प्रभािों की यह
तभन्निा दे खने में आिी है । स्त्री-दृतष्ट् िे जब भी हम भारि-
तिभाजन पर बाि करें गे, लगभग इिी िरह के तनष्कषों िक
पहुाँ िेंगे। एक िरह िे स्त्री-दृतष्ट् िे यह इतिहाि का
पुनरिलोकन (रे तितजतटं गतहस्ट्र ी) होगा। इि दृतष्ट् िे इतिहाि
का पुनरिलोकन आिश्यक है , क्ोंतक इििे इतिहाि का
अिल रूप हमारे िामने उजागर होिा है । राज्, राज् के
अंगोपां गों,जनिा के तितभन्न िगों/िमूहों इत्यातद ने तकिी
काल-तिशेष या िंिमणात्मक क्कथथति में कब क्ा कैिी
भूतमका तनभायी; यह इििे बख़ूबी उकेरा जा िकिा है । स्त्री-
दृतष्ट् िे इतिहाि का पुनरिलोकनऔर पुनमूवल्ां कन जब हम
करिे हैं िो यह भीषण िथ्य भी हमारे िामने आकर उपक्कथथि
होिा है तकस्त्री के प्रति भारि जैिे दे शों में अभी भी दे हिादी,
िेक्सिादी, लम्ट रिैया अतिकिर दे खने में आिा है । स्त्री को

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