बचपन

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कक्षा-छठी पाठ-बचपन विषय-व िंदी

-कृष्णा सोबती
विधा- सं स्म रण

‘बचपन’ िब्द भाििाचक सिंज्ञा ै, जर


‘बच्चा’ जावतिाचक सिंज्ञा िब्द से बना ै ।

रचनाएँ - वजिंदगीनामा, वमत्रिं मरजानी, तीन प ाड़, डार से वबछड़ी, बादलरिं के घेरे।

पुरस्कार- साव त्य अकादमी, साव त्य अकादमी फेलरविप, ज्ञानपीठ।

पाठ का सार

‘बचपन’ संस्मरण की लेखिका कृष्णा सरबती हैं । इस पाठ में लेखिका ने अपने बचपन की कई मनमोहक घटनाओं
के बारे में उल्लेि वकया है। लेखिका का बचपन कई मायने में आज के बच्ों के बचपन के जैसा ही था तो कई मायने
में अलग भी था।
लेखिका का जन्म वपछली शताब्दी में हुआ था। इनकी उम्र दादी या नानी की होगी। पररिार में सबसे बडी होने के
कारण सभी लोग इन्हें ‘जीजी’ कहकर बुलाते हैं । लेखिका स्वयं को उम्र में सयाना महसूस करती है । िह अपने
बचपन के बारे में कहती है वक तब से लेकर अब तक उनके पहनािे में काफ़ी बदलाि आया है। बचपन में िह गहरे
रं ग के कपडे पहनती थी, जैसे- नीला, जामुनी, ग्रे, काला और चॉकलेटी। अब हलके रं ग के कपडे पहनती है। पहले
फ्रॉक, वनकर-िॉकर, स्कटट , लहँगे, गरारे पहनती थी जबवक अब चूडीदार और घेरदार कुते पहनती हैं। बचपन के
कुछ फ्रॉक अभी भी उन्हें याद है , वजनमें वफ्रल लगे होते थे । उन्हें अपने मोज़े और स्टॉवकंग भी याद हैं । बचपन में
इतिार की सुबह उन्हें अपने मोज़े स्वयं धोने पडते थे और जूते पॉवलश भी करती थी। उन वदनों नए जूते पहनने पर
लेखिका के पैर में छाले पड जाते थे, वजससे बचने के वलए िह अपने साथ रुई रिती थी। हर शवनिार को सेहत ठीक
रिने के वलए घर के सभी बच्ों को ऑवलि ऑयल ि कैस्टर ऑयल पीना पडता था, जो इन्हें वबलकुल पसंद नहीं
था।
उनवदनों मनोरं जन के साधन सीवमत थे। कुछ घरों में ग्रामोफ़ोन थे, रे वियो और टे लीविजन नहीं थे। पहले और आज
के िानपान में भी अंतर आया है। अब कुल्फ़ी की जगहआइसक्रीम ने ले ली है । कचौडी-समोसा पैटीज़ में बदल गया
है। शहतूत, फाल्से और िसिस के शरबत की जगह कोक-पेप्सी ने ले ली है। लेखिका को हफ़्ते में एक बार चॉकलेट
िरीदने की छूट थी, वजसे िह रात के िाने के बाद वबस्तर पर िाया करती थी। उनवदनों लेखिका अपने भाई-बहनों
के साथ वशमला ररज पर भी बहुत मज़े वकया करती थीं। वशमला ररज पर शाम को रं ग-वबरं गे गुब्बारे दे िना, घोडों
की सिारी करना, जािू का पहाड और चचट की घंवटयों की गूँज उन्हें आज भी याद है। िहाँ गाडी िाले मॉिल की
दु कान के साथ एक और दु कान थी जहाँ लेखिका ने पहला चश्मा बनिाया था, जो उन्हें बख़ूबी याद है। वजसे लगाने
के बाद उनके चचेरे भाई अकसर उन्हें वचढ़ाया करते थे -

आँ ि पर चश्मा लगाया
तावक सूझे दू र की
यह नहीं लडकी को मालूम
सूरत बनी लंगूर की!

भाई की इस हरकत से लेखिका को िीझ होती थी। िह आइने


के सामने जाकर कभी चश्मा पहनकर दे िती तो कभी
उतारकर। जो उन्हें कभी अच्छा लगा और मजावकया भी। परन्तु,
अब तो वबना चश्मे के उनका चेहरा िाली लगता है । समय से
साथ-साथ चश्मा इनके जीिन का अवभन्न बन गया और वहमाचली
टोवपयाँ भी मन को ख़ूब भाने लगी।
िब्दाथथ

शताब्दी- सदी, सौ िर्ट की अिवध


दशक- दस िर्ट की अिवध
पररितटन- बदलाि
चलन- ररिाज
रौनक- आभा कैस्टर ऑयल- अरं िी का तेल
वमतली- उबकाई
आश्वासन- भरोसा
सख्त- कठोर
ऐनक- चश्मा
मनाही- अनुमवत न होना
छाले- फोफले ऑवलि ऑयल- जैतून का तेल
मनभािनी- मन को भाने िाली
िुराक- वनवित मात्रा
पोशाक- पररधान
उम्र- आयु
वनरा- वबलकुल
िीजना- वचडवचडाना
स्टॉक- संग्रह, भंिार वफ्रल- झालर
कमतर- लघुतर,
सहल- आसान
अटपटा- ऊटपटांग
कोलाहल- शोरगुल
बुरकना- चूणट जैसी िस्तु को वछडकना
सेहत- स्वास्थ्य
बचपन- छु टपन

पाठाधाररत प्रश्नरत्तर

1. लेखिका बचपन में इतिार की सुब क्या-क्या काम करती थी?


उत्तर- लेखिका इतिार (रवििार) की सुबह अपने मोज़े धोती थी। वफर जूते पॉवलश करके उसे कपडे या ब्रश से
रगडकर चमकाती थी।

2. ‘‘तुम्हें बताऊँगी वक मारे समय और तुम्हारे समय में वकतनी दू री र चुकी ै ’’- इस बात के वलए लेखिका
क्या-क्या उदा रण दे ती ै ?
उत्तर- लेखिका के अनुसार उनके बचपन और आज के समय में काफ़ी दू री आई है, जो इस प्रकार है - उन वदनों
रे वियो और टे लीविजन की जगह ग्रामोफ़ोन था। बच्े उस समय कुल्फी िाना पसंद करते थे, आज उसकी जगह
आइसक्रीम ने ले ली है। कचौडी-समोसा की जगह पैटीज़ ने ले ली है । शहतूत, फाल्से, िसिस और नींबू के शरबत
पीने का प्रचलन कम हुआ है। इसकी जगह लोग कोक-पेप्सी पीने लगे हैं ।
3. पाठ से पता करके वलिर वक लेखिका कर चश्मा क्यरिं लगाना पड़ा? उनके चचेरे भाई ने चश्मा लगाने पर उन्हें
क्या क कर वचढ़ाते थे?
उत्तर- लेखिका वदन की रोशनी को छोडकर रात में टे बल लैंप के सामने काम करती थी, वजससे इनकी आँ ि की
रोशनी धीरे -धीरे कमज़ोर हो गई। िॉक्टर की सलाह पर इन्हें चश्मा लगाना पडा। इस बात के वलए िह स्वयं को
वजम्मेदार मानती थी। चश्मा लग जाने के उपरांत अकसर उनके चचेरे भाई उन्हें वचढ़ाया करते थे। िे कहते थे -
आँ ि पर चश्मा लगाया
तावक सूझे दू र की
यह नहीं लडकी को मालूम
सूरत बनी लंगूर की!

4. लेखिका अपने बचपन में कौन-कौन सी चीज़ें मजा ले-लेकर िाती थी िं? उनमें से कुछ प्रमुि फलरिं के नाम
वलिर।
उत्तर- लेखिका रात में सोते समय चॉकलेट मज़े से िाती थी। इसके अलािा उन्हें चेस्टनट, चनाज़ोर गरम और
अनारदाने का चूणट बहुत पसंद था। वशमला में पाए जाने िाले िट्टे -मीठे फल िाना इन्हें बहुत अच्छा लगता था, जैसे-
काफल, कसमल और रसभरी आवद ।

अवतररक्त प्रश्न

1. बढ़ती उम्र के साथ-साथ लेखिका के प नािे में वकस प्रकार के बदलाि आए?
उत्तर- बढ़ती उम्र के साथ-साथ लेखिका के पहनने-ओढ़ने में काफी बदलाि आए। बचपन में गहरे रं ग के कपडे
पहनती थी। वकंतु, बडी होने पर िह हलके रं ग के कपडे पहनने लगी। पहले फ्रॉक, वनकर-िॉकर, स्कटट , लहँ गे, गरारे
पहनना उन्हें अच्छा लगता था जबवक अब कुताट और चूडीदार।

2. िवनिारी दिा वकन्हें क ा गया ै और क्यरिं?


उत्तर- ऑवलि ऑयल ि कैस्टर ऑयल को शवनिारी दिा कहा गया है । प्रत्येक शवनिार को घर के सभी बच्ों को
दिा के रूप में इन्हें पीने को वदया जाता था, तावक उनकी सेहत ठीक रहे। वजसे दे िते ही लेखिका को वमतली होने
लगती थी।

3. लेखिका के बचपन में िाई ज ाज़ की आिाज़ें , घुड़सिारी, ग्रामरफ़रन और िररूम में विमला-कालका ट्र े न
का मॉडल ी आश्चयथजनक आधुवनक चीज़ें थी िं। आज तुम्हें आश्चयथजनक आधुवनक कौन-कौन सी चीज़ें
आकवषथत करती ैं?
उत्तर- आज हमें वनम्नवलखित चीज़ें आकवर्टत करती हैं -
िाई-फाई और इिं ट्रनेट् सेिा किंप्यूट्र

लैपट्ॉप मरबाइल

मेट्रर ट्र े न आई पैड

ररबरट् ाडथ -वडस्क

4. पवठत गद्ािंि आधाररत प्रश्न-

वपछली सदी में तेज रफ़्तारिाली गाडी िही थी। कभी-कभी हिाई जहाज़ भी दे िने को वमलते! वदल्ली में जब भी
उनकी आिाज़ आती, बच्े उन्हें दे िने बाहर दौडते। दीिता एक भारी-भरकम पक्षी उडा जा रहा है पंि फैलाकर।
यह दे िो और िह गायब! उसकी स्पीि ही इतनी ते ज़ लगती। हाँ, गाडी के मॉिलिाली दु कान के साथ एक और
ऐसी दु कान थी जो मुझे कभी नहीं भूलती। जहाँ मेरा पहला चश्मा बना था। िहाँ आँ िों के िॉक्टर अंग्रेज़ थे।

क. गद्ािंि वकस पाठ से ली गई ै और विधा क्या ै?


उ० बचपन / संस्मरण

ि. लेखिका का नाम वलखिए।


उ० कृष्णा सोबती

ग. गद्ािंि में से दर विदे िज िब्द चुनकर वलखिए।


उ० स्पीि / िॉक्टर

घ. िाई ज ाज़ उड़ते हुए कैसा दीिता था और उसकी िास बात क्या थी?
उ० उडता हुआ जहाज़ एक भारी-भरकम पक्षी की तरह दीिता था। उसकी िास बात यह थी वक िह पलभर
में गायब हो जाता था। उसकी रफ़्तार बहुत तेज़ थी।

ड. गाड़ी के मॉडलिाली दु कान के पास कौन-सी दु कान थी, वजसे ि कभी न ी िं भूल पाई?
उ० गाडी के मॉिलिाली दु कान के पास एक चश्मे की दु कान थी। जहाँ लेखिका का पहला चश्मा बना था, वजसे
िह कभी नहीं भूल पाई।

भाषा की बात
1. भाििाचक सिंज्ञा बनाइए-

बच्ा- बचपन पहनना-


मनुष्य- मरना-
बूढ़ा- सीिना-
अपना- पलटना-
अच्छा- हडपना-
सुंदर- काटना-
सजाना- चढ़ना-

2. पाठ से अिंग्रेज़ी िब्दरिं कर चुनकर उनके व िंदी अथथ वलखिए।


जैसे- स्पीि- गवत, रफ़्तार
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