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Case 001 Bail Warrent 2
Case 001 Bail Warrent 2
।. ... हीरालाल पुत्र स्वर्गीय बसंतीलाल बया, जाति जैन, उम्र 48 वर्ष, निवासी
महावीर कॉलोनी, गाँव नाई, तहसील गिर्वा, जिला उदयपुर (राज.) |
2. ... श्रीमती गणेशी बाई पत्नी कन्हैयालाल जाति जैन, आयु 46 वर्ष, निवासी
आवरी माता कच्ची बस्ती, रेती स्टेण्ड, तहसील गिर्वा,जिला उदयपुर (राज.) |
--पवादीगण
विरूद्द
...... पन्नालाल पुत्र रामलाल जाति चौधरी कलाल, आयु 54 वर्ष, निवासी 428,
खटीकों का मोहल्ला, गाँव नाई, तहसील गिर्वा, जिला उदयपुर (राज.) |
2. ... नारायण लाल पुत्र स्वर्गीय बसंतीलाल बया, जाति जैन, आयु 54 वर्ष,
निवासी महावीर कॉलोनी, गाँव नाई, तहसील गिर्वा, जिला उदयपुर (राज.) |
--प्रतिवादीगण
उपस्थिति :-
आदेश
दिनांक :-6.02.2023
. ... प्रतिवादी संख्या । पन्नालाल द्वारा एक प्रार्थना पत्र अन्तर्गत आदेश 7 नियम
करने का अनुतोष चाहा है | प्रार्थना पत्र में अंकित तथ्यों को दोहराते हुए प्रतिवादी
निरस्ती विकय पत्र दिनांक १ 2.04.2022 माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है।
उक्त विकय पत्र प्रतिवादी संख्या 2 द्वारा प्रतिवादी संख्या 4 के पक्ष में निष्पादित
किया गया है। वादीगण इस दस्तावेज में के ता अथवा विके ता नहीं है। वादीगण ने
हीरालाल व अन्य बनाम पन्नालाल व अन्य (सिविल मूल प्रकरण संख्या १ 87/2022) आदेश दिनांक 6.02.2023
को
2 को धोखे में रखकर एवं टॉवर वाली भूमि का दुगुना किराया देने का कहकर
विकय
विकय विलेख अपने हक में निष्पादित करवा उसका पंजीयन करवा लिया। इस
संबंध में वादीगण के अभिवचन वादपत्र के पैरा संख्या 7 व ४ में किए गए है।
विलेख
एवं यह कथन किए गए है कि प्रतिवादी संख्या 2 विकृ त्तचित होकर संविदा करने के
लिए सक्षम नहीं है। इस बाबत अभिवचन वादपत्र के पैरा संख्या 4 में किए गए है।
)2 प्रतिवादी संख्या । के विद्वान अधिवक्ता ने यह तर्क प्रस्तुत किए है कि
वादीगण को वादपत्र में अंकित आधारों पर वाद लाने का कोई अधिकार नहीं है।
उन्हें कोई वाद हेतुक उत्पन्न नहीं होता है। वादपत्र में अंकित तथ्यों के आधार पर
विकृ त्तचित व्यक्ति है, ऐसी स्थिति में दस्तावेज निरस्ती का वाद दस्तावेज का
निष्पादक जरिए संरक्षक या वादमित्र प्रस्तुत कर सकता है, किसी तृतीय व्यक्ति को
इस संबंध में वाद लाने का अधिकार नहीं है। वादीगण द्वारा प्रतिवादी संख्या 2 को
सामान्य बुद्धि का मानते हुए, प्रस्तुत वाद में उसे बतौर पक्षकार प्रतिवादी संख्या 2
बनाया है |
उसके एक भाग (रंग) का ही विकय किया है। वादीगण ने अपने वाद में
स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि प्रतिवादी सं. 2 द्वारा अपने हिस्से की कृ षि भूमि
सह-खातेदार को अपने हिस्से की भूमि विकय करने हेतु अधिकृ त करती है। इस
बाबत् अन्य सह-खातेदार की अनुमति आवश्यक नहीं है। वादीगण द्वारा प्रस्तुत वाद
अपील व द्वितीय अपील के रूप में होती है। राजस्थान भू राजस्व अधिनियम की
(3)
हीरालाल व अन्य बनाम पन्नालाल व अन्य (सिविल मूल प्रकरण संख्या १ 87/2022) आदेश दिनांक 6.02.2023
धारा 259 से सिविल न्यायालय की अधिकारिता बाधित है। अंत में उनके द्वारा तर्क
प्राप्त नहीं है। उनके द्वारा यह भी निवेदन किया गया है कि वादीगण का वाद
भूमि होने से उसके प्रत्येक इंच पर, उसके प्रत्येक सह-खातेदार का हक, हित व
हिस्सा तो विकय कर सकता है, परन्तु अविभाजित कृ षि भूमि में से अपने हिस्से का
भाग (000 विधि अनुसार विकय नहीं कर सकता है, ऐसा विकय पत्र कानून की
निर्धारण जो तथ्य एवं विधि का प्रश्न है, पक्षकारान की साक्ष्य के पश्चात ही किया
जा सकता है। प्रतिवादी संख्या 4 द्वारा वाद की कार्यवाही में विलम्ब करने के
उद्देश्य से दुर्भावनापूर्वक उक्त प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया है। प्रतिवादी संख्या १
(व)
हीरालाल व अन्य बनाम पन्नालाल व अन्य (सिविल मूल प्रकरण संख्या १ 87/2022) आदेश दिनांक 6.02.2023
अपने सारे उच्च जवाब दावे में ले सकता है। उनके द्वारा निवेदन किया गया कि
धारा 35-बी सिविल प्रकिया संहिता के अनुसार प्रतिवादी संख्या 4 का प्रार्थना पत्र
लि
कथनों से वादी को ऐसा कोई वाद कारण प्राप्त नहीं है जिससे उसे
योग्य है। अर्थात यदि वादी का वाद में कोई हित नहीं है या उसका
हित नहीं
वाद में पर्याप्त हित नहीं है तो उसे वाद प्रस्तुत करने का कोई
अधिकार नहीं है।
के . अकबर अली' से यह मार्गदर्शन प्राप्त होता है कि आदेश 7 नियम
अनुज्ञा नहीं देती है। वाद करने का अधिकार वादपत्र में स्पष्टतया
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(5)
हीरालाल व अन्य बनाम पन्नालाल व अन्य (सिविल मूल प्रकरण संख्या १ 87/2022) आदेश दिनांक 6.02.2023
जहां विकय पत्र शून्य है, वहां वाद का विचारण राजस्व न्यायालय के
द्वारा तथा जहां विकय पत्र शून्यकरणीय है, वहां वाद का विचारण
विश्वविद्यालय
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(6)
हीरालाल व अन्य बनाम पन्नालाल व अन्य (सिविल मूल प्रकरण संख्या १ 87/2022) आदेश दिनांक 6.02.2023
को
हिस्सा विकय नहीं किया जा सकता है। कोई भी व्यक्ति अपने हिस्से
6.
संताने है। बसंतीलाल बया की कृ षि भूमि का विवरण वादपत्र की चरण संख्या 2 में
दिया गया है। वादीगण के अनुसार वादपत्र के चरण संख्या 2 में अंकित भूमि
अविभाजित है तथा वह वादीगण व प्रतिवादी संख्या 2 के नाम दर्ज है। वादीगण का
हीरालाल व अन्य बनाम पन्नालाल व अन्य (सिविल मूल प्रकरण संख्या १ 87/2022) आदेश दिनांक 6.02.2023
में रखते हुए उसके भोजन, चाय-पानी, कपड़े-लत्ते आदि की जिम्मेदारी वादी
मानसिक स्थिति ज्यादा बिगड़ गई, उसने वादी संख्या 4 के घर आना जाना बंद
कर दिया, वह पागल टाईप रहने लगा, अपनी सुदबुध खो चुका है, यह बात
प्रतिवादी संख्या । सहित गाँव नाई के अन्य सभी लोगों को पता है। वादीगण
संख्या 2 को बैंक खाता खुलवाने के नाम पर कोर्ट ले गया, वहां पर उसने प्रतिवादी
वाली भूमि का ठेका दूसरी कं पनी को दे रहे है, जिससे दुगुना किराया मिलेगा,
रखी है, जिसमें रिलायन्स कं पनी का टॉवर लगा हुआ है एवं एक मकान बना हुआ
अविकसित मस्तिष्क
करायी गई रजिस्ट्री अवैध व शून्य है। उक्त रजिस्ट्री वादी संख्या 4 व 2 के हित
को प्रभावित करती है, इसलिए वादीगण संयुक्त रूप से उक्त विकय पत्र एवं
उसका पंजीयन दिनांक 2.04.2022 को निरस्त कराने हेतु यह वाद प्रस्तुत कर रहे
हीरालाल व अन्य बनाम पन्नालाल व अन्य (सिविल मूल प्रकरण संख्या १ 87/2022) आदेश दिनांक 6.02.2023
नामांतरकरण अपने नाम खुलवाना चाहता है। वादीगण द्वारा वादपत्र में निम्न
अनुतोष चाहा गया है- प्रतिवादी संख्या 2 द्वारा प्रतिवादी संख्या 4 के पक्ष में
विलेख निरस्त किया जाये व दिनांक 2.04.2022 के बाद और दौराने वाद यदि
प्रतिवादी संख्या 4 उक्त विकय विलेख के आधार पर अपने नाम विवादित कृ षि भूमि
का नामांतरण खुला लेता है तो उसे निरस्त किया जाए तथा प्रतिवादी संख्या । को
दिनांक 2.04.2022 में अंकित कृ षि भूमि को प्रतिवादी संख्या अन्य किसी व्यक्ति,
संस्था, फर्म अथवा कं पनी आदि को विकय नहीं करे, उसे गिरवी नहीं रखे और न
ही ठेके पर या किराये पर या सिजारे पर देवे तथा न ही विवादित कृ षि भूमि का
दौराने वाद हस्तांतरण करे और यदि दौराने वाद प्रतिवादी संख्या । उक्त कार्य कर
हस्तगत वाद प्रस्तुत करने के संबंध में वाद कारण प्राप्त है ? व क्या वादीगण का
वाद विधि द्वारा बाधित है ?
8... वाद कारण क्या है ? वाद कारण से तात्पर्य ऐसे कारण से जो किसी
के ऐसे अधिकार का उल्लंघन होता है जिसका विधि में मान्यता प्राप्त उपचार है।
उत्पन्न हो अर्थात विधि अनुसार अनुतोष प्राप्त करने का अधिकार तब प्रारम्भ होता
दो, अविकसित मस्तिष्क का है। उसे अपनी लाभ-हानि का पूरा ज्ञान नहीं है।
फायदा उठाकर उसके हिस्से की कृ षि भूमि 0.2090 है0 अर्थात 22488 वर्गफीट भूमि
की रजिस्ट्री उसको धोखे में रखकर प्रतिवादी संख्या 4 ने अपने नाम पर दिनांक
42.04.2022 को करा दी। वादीगण का यह अभिवचन है कि रजिस्ट्री भारतीय
संविदा अधिनियम की धारा 44 के अनुसार अवैध व शून्य है। उनके यह भी
(9)
हीरालाल व अन्य बनाम पन्नालाल व अन्य (सिविल मूल प्रकरण संख्या १ 87/2022) आदेश दिनांक 6.02.2023
तथा स्वस्थचित्त संविदा करने के लिए सक्षम है। धारा 42 के अनुसार कोई भी
कारित हुई थी |
3. . वादीगण द्वारा प्रश्नगत वाद प्रतिवादी संख्या 2 को विकृ तचित्त व्यक्ति होने
से प्रस्तुत नहीं किया गया है। वादीगण द्वारा प्रतिवादी संख्या 2 को स्वस्थचित्त
मानते हुए प्रकरण में पक्षकार बनाया है जिसने न्यायालय के समक्ष अपना
वकालतनामा भी प्रस्तुत किया है। वादीगण द्वारा अपने वादपत्र में भी प्रतिवादी
संख्या 2 को विकृ तचित्त के रूप में पक्षकार बनाते हुए उसके वादार्थ संरक्षक की
नियुक्ति के संबंध में कोई प्रार्थना नहीं की गई है। वादीगण द्वारा के वल उसे
अविकसित मस्तिष्क का व्यक्ति बताया गया है। ऐसी स्थिति में वादपत्र में अंकित
विकृ त्तचित्त होना या अवयस्क होना बताया जा रहा है। किसी तृतीय पक्षकार की
और से ऐसी संविदा के संबंध में वाद प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है। इसी तरह
किसी व्यक्ति की सम्मति प्रपीडन, कपट या दुर्व्यपदेशन से प्राप्त करने के संबंध में
है। ऐसी स्थिति में इस आधार पर की प्रतिवादी संख्या 2 स्वस्थचित्त नहीं होने के
कारण उसके द्वारा निष्पादित विकय पत्र धारा 4। संविदा अधिनियम के अनुसार
(0)
हीरालाल व अन्य बनाम पन्नालाल व अन्य (सिविल मूल प्रकरण संख्या १ 87/2022) आदेश दिनांक 6.02.2023
अवैध व शून्य है, वादीगण को वाद लाने का अधिकार नहीं है। इस आधार पर
वाद लाने का अधिकार नहीं होकर कोई वादकारण प्राप्त नहीं होता है।
अपने हित का अंतरण कर सकता है। वादीगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत
न्यायिक निर्णयों से भी यही मार्गदर्शन प्राप्त होता है कि कोई भी सह-खातेदार
संपत्ति में अपना अविभक्त हिस्सा विकय कर सकता है किं तु वह संपत्ति का कोई
कि प्रतिवादी संख्या 2 द्वारा संपत्ति के किसी विनिर्दिष्ट हिस्से का विकय नहीं किया
है। उसके द्वारा संपत्ति में से अपने हिस्से की भूमि से 0.2090 हैक्टेयर अर्थात
22488 भूमि का विक्रय किया है। इस कारण इस आधार पर भी की प्रतिवादी संख्या
2 द्वारा भूमि का बंटवारा हुए बिना अपने हिस्से का विकय कर दिया गया है,
वादीगण को वाद लाने का अधिकार नहीं होने से कोई वादकारण प्राप्त नहीं होता
है।
6. . वादीगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत न्यायिक निर्णयों के अनुसार
करवा लेता है। वह संपत्ति पर जबरन कब्जा प्राप्त नहीं कर सकता है और अन्य,
सकते है। प्रश्नगत भूमि कृ षि भूमि है जिसके विभाजन व निषेधाज्ञा के संबंध में वाद
सुनने का अधिकार राजस्व न्यायालय को प्राप्त है। हस्तगत वाद में वादीगण द्वारा
सकता है। इस कारण इस संबंध में वादीगण की ओर से प्रस्तुत तर्क स्वीकार किए
जाने योग्य नहीं है|
(7)
हीरालाल व अन्य बनाम पन्नालाल व अन्य (सिविल मूल प्रकरण संख्या १ 87/2022) आदेश दिनांक 6.02.2023
प्रस्तुत करने के संबंध में कोई वादकारण प्राप्त नहीं होने से वादीगण का वादपत्र
और उनसे मार्गदर्शन प्राप्त किया गया। वादीगण द्वारा प्रस्तुत न्यायिक दृष्टान्तों से
आदेश
फलतः प्रतिवादी संख्या- द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र अंतर्गत आदेश 7 नियम
4 सिविल प्रकिया संहिता स्वीकार किया जाकर वादीगण का वादपत्र नामंजूर किया
जाता है। खर्चा पक्षकारान अपना-अपना वहन करेंगे। तद्अनुसार डिक़ी पर्चा मुर्तिव
किया जाए।
(चंचल मिश्रा)
जिला न्यायाधीश
उदयपुर (राज.)
जिला न्यायाधीश
उदयपुर (राज.)