Gaur Purnima Festival Lectures - HH Lokanath Swami Maharaj - 18-March - 2022

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Gaur purnima Festival Lectures || HH

Lokanath Swami Maharaj||18- March-


2022
अंतिम १२ वर्षो में महाप्रभु राधा भाव में ही रहे जगाणांि पूरी में ,उनके प्राकट्य का असल मकसद था

,अनेक ग्रन्थ है महाप्रभु के बारे में ,और ये हमारे घर में होना भी चाहहए

प्रभुपाद जी ने इसे इंग्ललश में अनुवाद ककया और अपने शशष्यों से कहा के translate it into as many
languages as possible ,इस्कॉन की और से १९७२ में पहला उत्सव हुआ गौर पूर्णिमा ,महाप्रभु १८ वर्षि
रहे , २४ वर्षि वे नवद्वीप में रहे ,६ वर्षि prapogated हरे कृष्ण नाम ,पैदल चल के ,और धमि संस्थापना भी
की

रुग्ममणी मैया ने कहा द्वारकाधीश से कहा ,कई बािे है जो बस राधा रानी ही जानिी है और कोई नहीं
जनिा ,िो कृष्णा ने राधा रानी बने ,शुरुआि में िो वे कृष्ण भाव में रहे ,,धमि की स्टाफ़ना की ,काली कलेर

धमि हररनाम संकीििन आर नहीं धमि ,भगवान ् और साधु दोनों ही धमि की स्टाफ़ना करिे है ,युग के बीच में

धमि की स्टाफ़ना sadhu , भमि ,आचायि करिे है , और ये हररनाम हमसब िक पहुुँच गया

हररनाम स्वयं भगवान ् है ,नाम चचंिामर्ण ,रस ववग्रह ,पूणि शुद्ध है नाम और नामी अशभन्न है ,भागवि

साक्षात्कार हरे कृष्णा नाम से संभव है यही ववचध है ,दतु नया वालो को भगवान ् का नाम भी है पिा ,महाप्रभु

कहिे है मायावाद भाष्य सुतनले होतयले सविनाश ,कशलयुग में भगवि साक्षात्कार का मुख्या साधन हररनाम
संकीििन है

महाप्रभु ने सही स्थान नहीं दे खा पात्र अपात्र नहीं दे खे ,ववचार अववचार नहीं दे खा ,हररनाम हदया ,प्रभुपाद जी

ने महाप्रभु की वाणी को सत्य ककया ,१४ बार दतु नया की पररक्रमा की ,उनको jetage पररव्राजकाचायि कहिे है
पहले जंबो जेट से हरे कृष्णा भमि आयेथे

१९७५ हदल्ली रमलीना मैदान में प्रभुपाद जी के बार में बिािे हुए मैंने कहा की वे इम्पोटि र एमसपोटि र है
,हररनाम ,शास्त्र वैहदक ज्ञान का एमसपोटि ककया और साधओ
ु का इम्पोटि ककया ,ये सुन के वे बहुि प्रसन्न हुए

साधू बनने का अचधकार हर ग्जव का है ,हर ग्जव कृष्णा का भमि है

महाप्रभु ही िो अल्लाह है ,अल्लाह मिलब ग्रेट ,अन्य धमि की ककिाब pocket dictionary की िरह है

,सनािन धमि oxford dictionary की िरह है ,सब कुछ समाहहि ककये हुए भगवान ् के बारे में

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